सूनी राह अन्धेरा नीम रात कुछ कुछ गहराई

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(प्रेमोन्मयी सरस रति सरिता)
:सूनी राह अन्धेरा नीम रात कुछ कुछ गहराई:
______________________________

सूनी राह अन्धेरा नीम रात कुछ कुछ गहराई
सहमे गुजार रहे इक बेचारे पर शामत आई
खुसपुस सी आवाज़ सूनी फिर चुलबुल सीटी गूंजी
अरी अकेला मस्त चल धरो कहे चार रह टूटीं
सन पचीस था दो हज़ार यह नया ज़माना आया
राज औरतों का आदम था बस गुलाम हो आया
उफ़ रे मरा मुसीबत आई सोच धड़क दिल आया
फंसा गुंडियों के चक्कर में जान रहा घबराया
आह बचूं भगवान रहा रट रट कंपता वह आया
पर घेरे जकड़ीं सब मान मनव्वल कामा न आया

इक जबरा कस घेर कमर पीछे से बांधी आई
दूजी ठुनके लंड माल अच्छा है कह सिसियाई
तीजी कह सालियों न छेड़ो यहाँ कहे चिल्लाई
पकड़ चलो कस ठीहे पहले कह खीची धर आई
चौथी थी नाज़ुक मासूम देखती यह सब आती
उफ़ छोड़ो री है बेचारा कहती नज़र मिलाती
भोला कितना लगे कहे तक मुखड़ा इक पल आती
बोली री जाने दो इसको क्यों सब रखें सताती
चपत लगा इक गाल तके उसको इक रह मुसकाई
बोली री देखो नन्हीं यह लगता दिल दे आई
साली बड़ी चतुर यह कह सब खिलखिल हंसती आईं
बोलीं इक बस तू न हाय चखने हम सब ललचायीं


बाँध उसे जकड़ी सोफे पर मिलाती सब रख आये
जश्न मनायीं खा पी ठूंसे उसको रहीं खिलाये
इक झुक पीठ खोल बूबें चपकी पीछे से आई
दूजी रगड़े गाल गाल से चुहक अधर धर आई
तीजी फिसली टांग रगड़ धर थपकी रानें आई
चौथी ठुनके लंड खड़ा कर भर मुख चलती आई

नंबर पहले अब मेरा कहती इक आई लपटी
हटो सालियों लीडर मैं कह जबरा आई झपटी
फाँस लंड में चूत तमाशा देखो री अब आई
ऊह ऊह कर भर चटकारे लंड पटकती आई

बेचारा बचता कब तक सनसना उफन रह आया
बरस छूट बुर फव्वारे सा छिटक सींच मुख आया
चाटे जीभ फिरा बोली जबरा नमकीन बड़ा रे
आह मज़ा आया सुस्ताए अब यह छोड़ चलो री

दूजी बोली झरा झरी तू री मैं कैसे खेलूँ
दवा ज़रा दे ठहर चढूं तैयार इसे कर मैं लूँ
सुस्ताए जब नशा चढ़ा फिर खड़ा लंड टन्नाया
चमकी आँख चढ़ी बुर ऊपर चुदा लंड फिर आया
मार मार कस मसक कहीं सब संग लपट उमगायीं
चली खूब सरपट बुर खाए लंड गज़ब झर आयी


दरम्याना कद चिट्टी गोरी चिकनी दूध मलाई
जींस पुलोवर गदगद बदन खड़ी तीजी मुसकाई
खिलती आँख लड़ाए फटकी कपड़े अधर चबाए
हाथ फेर गद्दर रानों पर चहकी बुर खुजलाए
बोली डर न आह मैं ही थी तुझे तके नित आई
मौक़ा आए तुझे पटकने चाह मिटी मर आई
छोडूं चिकने आज न अब हो जाए चल तुझको लूँ
मौक़ा आह खड़ी बुर लेती लंड फाड़ धर छीलूं
पुष्ट बदन तगड़ी बुर आई ताल ठोक ललकारे
जकड़ लंड कस चूमे बोली कर हिम्मत टकरा रे


धर सोफे से खींच पटक धर आई पटक पलंगा
चाप बदन कस फँसे पंजे मचली मस्त मलंगा
खींच लंड धर कहती साले बुर तुझ पर मिट लूटी
पुट्ठे उठ उठ उछल पटकती चूत लंड पर टूटी
पुष्ट जांघ चिकनी टांगें बूबें जबरा गदाराईं
भरी कमर जोबन रसभार चुस्त बुर भिड टकराई
भर मुख लंड कसी बुर लचलच छीली जड़ तक जाती
सिसियाता उफ़ धीरे वह यह फाड़ लंड धर खाती

बिछ नीचे खाता झटके ऊपर से ऊबा आया
उठा झटक गदबद गोरी को उलट चढ़ा वह आया
बोला गज़ब भुखाई तू चुद अब रह न रही मन मारे
गदबद छाती चपक कड़क कस लंड रहा बुर झारे
आह गज़ब उफ़ आह गज़ब उइ हा कह चीखी आई
चला घपाघप फाड़ लंड बुर चुदी छलछला आई
ठहर बताती तुझे आह कह झटक पलट धर पटकी
मार घचाघच टूट लंड कस चला झराए झटकी
आह आह री गज़ब छोड़ उफ़ बदन रहा अब टूटा
लंड बिछा चुद बोला सच बुर तू जबरी मैं झूठा


आँख फाड़ तकती रह आई देखे कमसिन छुटकी
हाहाकार मचा मन सिसकारी उफ़ उफ़ रह छूटी
बोली आह बदन गद्दर सखि गज़ब चुदन पटु तू
बड़ी हठीली बुर तेरी सच चोदे लंड झरा री
मरी देख मैं हाय बिकट बुर लंड धरे आई लड़
जोड़ न बुर तेरी दमदार गज़ब है बड़ी चुदक्कड़
बोली छोड़ इसे रख अब यह थक टूटा सुस्ताने
यह आराम करे कुछ नींद लगी मुझको भी आने

बोली देख डरी मैं तो तुम सब हो बड़ी सयानी
मरूं डरूं मैं आह किये यह बस रही अयानी
अब घंटे दो घंटे हाय न कोई इसे सताना
मैं तक सोई रहूँ इसे झंकने मत कोई आना
हंसीं खिलखिला चुहल किये सब निकली बाहर आयीं
बची एक चौथी जो इकली रह कमरे में आई
फेर गाल पर हाथ चूम बोली उसको उफ़ हाये
निपट निठुर सब इक जुट तुझको कितना रहीं सताये
बतलाऊँ क्या संगत के चक्कर में हूं मैं फँस आई
इन जैसी मैं नहीं कहूँ सच चुद न अभी तक पाई
चूत संभाली रखी जतन से मैंने अब तक कोरी
पहली बार इन्हें करते सब देख चली मैं भोरी

हाय न जाने कैसा लगता होगा मस्त रही ये आतीं
मज़ा इसी में तू क्या जाने छेड़ छेड़ कह जातीं
बोली डरो न मुझसे तुम रह आए खूब सताए
हाय लगो तुम अच्छे तुमपर तरस मुझे है आए

डर न आह भोला तू सच रे कहती बंधन खोले
मैं न सताऊँ तुझको मरजी जो चाहे अब कर ले
थके आह पर तुम सो जाओ मैं भी सुस्ताऊंगी
पर न निकलना बाहर वरना मैं मारी जाऊंगी


पस्त पड़ा ढुरका गबरू यह बंद आँख कर सोई
लेट रही कोने इक पर बुर चली कुलबुला रोई
चैन न धड़के दिल धडधड पलकें देखी रह आईं
समय न काटे कटता चलती बुरें लंड पर छाईं
रहा चीख मन हौले खिसकी टिका लंड मुख आये
अलट पलटती फेर लंड पर गाल रही दुलराए
रह रह सहला परस लंड सोया झुक चूमी जाती
उफ़ उफ़ कितना गया सताया सोच आह भर आती
पलकें उधर मुंदी पर हौले लंड जगता आया
हुआ नशे का असर असल अब उठा खड़ा फन्नाया
आह गज़ब यह कहे लंड मुख लप्प धरे चल आई
उधर गुनगुना लहरा तन पलकें उठती खुल आईं

पतला मुखडा प्यारा गोल ललाया चिकनी गोरी
सधी नुकीली नाक अधर झीने तन नाज़ुक भोरी
कोमल सुतवाँ ढली बांह कटि क्षीण बची रह आई
नरम गुदगुदी लपलप छाती धड़क धड़क लहराई
पाँखुरियाँ गुलाब झीनी काया नाज़ुक लहराई
कोमल कली भरी पराग बुर मक्खन दूध मलाई
झुकी पलक चितवनि बांकी उठ छिपी निहारी जाती
तकें इधर बुर लपलप आँखे उधर लंड झंक आतीं
उइ हा आह करूँ क्या मैं सकुची वह उधर लजाई
इधर मुग्ध छबि तक आँखें कैदी की मर मिट आईं
सहमी आँखें लड़ी नज़रिया सांस थमी रह आई
लंड खड़ा तन्नाया इत उत चूत फरकती आई


कैद गज़ब बोला वह बुर प्यारी जो तुमसा पाया
झुक उठ लिपटाए कस चूमे अधर झरा झर आया
बोला आह ज़बर सब ने धर तोड़े लंड थकाया
लिये छकी चूतें रह आयीं मज़ा न मुझको आया
तक मुखड़ा बोला वह सच तुम हो सब से प्यारी
मज़ा न जोर ज़बर में मिल दिल खेलें अपनी बारी
लहरा टांगें उरझ भिड़ीं तक आँखें गुदगुद चहलीं
रम गुदाज रानें थपकी चढ़ चूत टटोले टहलीं
तकी चुदन की बारी लपलप बुर कुलबुला भुखाई
उबल पिघलती पल न लगा इक लप्प लंड धर खाई

घप्प घुसा बुर लंड फंसा कस चपके दोनों आए
रहे गदागद गटक अटक इक दूजे मस्त समाए
हुआ सुन्न पल डूब थमा रह दोनों होश गंवाए
चल चक्की से पीस लोट संग सने लंड बुर आये
बोली अह हह गज़ब फाड़ अब चूत चलो रह ठोके
कस खाऊँ मैं लंड गदागद चुदती रुकूं न रोके
आह आह उफ़ ले प्यारी कह फूला लंड मुटाया
खड़ा उठ पटक खब्ब खबाखब चला चूत में आया
भिड़े कटकटा लड़े गदागद गुंथ झकझोरे आए
छूटा धीरज टकराए बुर लंड प्यार बरसाए
कोमल नाज़ुक कसी अनछुई कली चूत थी प्यारी
फंसा लंड चल प्यार लुटा बुर चुदी लचालच भारी

उह उह आह आह रे गज़ब कहे बुर भिड टकराती
झटक झटकती लंड घपाघप बजी पुक्क पुक जाती
दिल गदगदा मगन उछला उफ़ उफ़ उफ़ आह गज़ब कह
लच लच लच मुंद पलक चुदी बुर खब खब लंड लिये रह
रटी लगन उह ऊह न छोड़ पटक धर और उड़ा रे
और और उफ़ और झटक कस फाड़े चूत झरा रे
लंड चला रट आया चुद उफ़ आह बुरों की रानी
उफ़ गोरी प्यारी तू मेरी तेरी सज़ा सुहानी
मार मार टकराए भिड भिड इक दूजे पर टूटे
लुटा चूत पर लंड चुदी बुर लंड रही धर लूटे
रमी चुदाई की धुन गद्द गदागद उछले आये
उफन उछर छुर छुर्र छलक रस सान उड़े रह आये
ऊह ऊह छुटकी प्यारी कह वह चूमे न अघाया
यह सिसियाई किया आह जादू क्या रे मन भाया
रटे धुन मगन उड़े गगन में दोनों जब थे आये
चोरी छिपी निगाहें तकती तब थीं रह मुस्काए

अटक सटक झटके पटके जब थी यूँ रमी चुदाई
दे भडाक पट खोल लुटेरी संगीनियाँ धँस आईं
वाह वाह कह हंसीं खिलखिला दौड़ी टूटी आईं
गुथीं लपट जोड़े संग अंग अंग झपट नोच कह आईं
उफ़ री बड़ी चतुर बन्नी नन्ही तू बड़ी सयानी
लुटी गज़ब पर थकी न चूत चुदी बिन मांगे पानी

हुए भोर नित तीन कैद रख उसको भागी जातीं
मस्ताई मचली दिन भर लौंडों को छेड़े आतीं
यह नन्हीं बेकार रखे पहरे इस पर कह छोड़ी जातीं
मनमांगी मुराद यूँ चौथी चुदी मस्त रह आती
चार रात दिन रगड़तीं सब ने लुत्फ़ उठाया
चुद चोदे जब छकीं खूब तब लंड छूटने पाया
गुनता इक इक बात आह भर मन कर रपट लिखाने
खिसियाया थक हार चला यूँ पहुंचा जाये थाने


बोला मैडम रपट लिखो जी मैं भागे हूँ आया
रात गुजरता कस तन शोषण का शिकार हो आया
जाने कौन गुंडियाँ वे जिनसे पड़ आया पाला
चार चार ने चार रात रख रगड़े मुझको घाला
इक छोड़े मुस्तंडाएं मुझपर तीन गज़ब थी टूटीं
आह कहूँ क्या कस दबोचती आईं अस्मत लूटीं

बोली थानेदार भाग चल रपट लिखाने आया
जानूं साले इक की जगह चार बुर लूटे आया
रह चलता चल अभी नहीं तो रहा बंधा आएगा
मानी बात न तो भेजूं धर जेल मज़ा पाएगा
रही पुकारी शीला लीला मीना रानी आओ
इक शरीफ यह आया ले अन्दर तो मजा चखाओ

निबट चार पंजों से भागे चार खडीं फिर आईं
सहमे सोच कहाँ फँस आया हिम्मत टूटी आई
बोला माफ करो मैडमजी मैं गलती कर आया
हाथ जोड़ पाँचों को फौरन भगा राह पर आया
सुन आवाज़ पड़ी चहकी इक उफ़ आह छोड़ क्यों आईं
था शिकार अच्छा मैडम चूकी हम सारी आईं
थार सामने लार बहाती तरसीं बुरें भुखाईं


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1 Comments
HarryHillHarryHillabout 11 years ago
Get this to Crypto imediately

The fox runs. Water is wet. Watch paint dry.