अंतरंग हमसफ़र भाग 018

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दूसरी फूफेरी बहन के साथ सम्भोग.
2.3k words
4.33
819
00

Part 18 of the 343 part series

Updated 04/29/2024
Created 09/13/2020
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"अंतरंग हमसफ़र - 17" में पढ़ा

"मैं धीरे से उस के ऊपर चढ़ गया और उसके होंठो को चूमा तो उसने अपनी बाहो को मेरे चारो और लपेट लिया । हमारे चुंबन अब नरम नहीं थे बल्कि हमारे अंडर जो उत्तेजना और जोश आ गया था उसके अनुसार ही गर्म से गर्मतर होते जा रहे थे। फिर होंठ थोड़ा खुल गए और हमारी झीभे एक दूसरे के चारों ओर नाच रही थी, और दुसरे की होंठ और मुंह में सब जगह घूम रही थी जैसे कुछ खोज रही हो ।"

अब तक की कहानी का सार

मेरी सहयोगी प्रीती दुल्हन बन कर सुहागरात मनाने को तैयार हो गयी और उसके बाद मेरी और मेरे घर की देखभाल करने वाली रोजी और रूबी मिली और मेरी सभी प्रेमिकाओ और उनकी चुदाई के बारे में पूछने लगी l;मैंने उसे बताया किस तरह मैं रोज़ी और रूबी से मिला और कैसे मेरी और रोजी की पहली चुदाई हुईl फिर उसके बाद रूबी को चोदा और फिर हमारे गाँव के प्रवास के आखिरी दिन जंगल में हमने ग्रुप सेक्स और मेरे फूफेरे भाइयो बॉब और टॉम के साथ प्रेमिकाओ की अदला बदली का कार्यक्रम बनाया और वहां रोजी की सहेली टीना की पहली चुदाई की । फिर छोटे योनि के छेद वाली मोना को मैंने चोदा । रोजी मेरे साथ शहर आ गयी । उसके बाद मेरी बुआ और उनकी तीन बेटियों लंदन से दिल्ली हमारे घर आयेl

मेरा दोनों बहनो रोजी और रूबी के साथ हमारा पहला थ्रीसम हुआl अगले दिन सुबह मेरी सबसे बड़ी फूफेरी बहन जेन ने जंगल में पेड़ो के नीचे हरी घास के मैदान पर अपना कुंवारापन मुझे समर्पित कर दिया l दूसरी बुआ के बेटी अलका और जेन का रात को मेरे साथ सोने का कार्यक्रम बन गयाl फिर मैंने बॉब और जेन के साथ मिल कर अपनी बाकी फूफेरी बहनो को भी प्यार मुहब्बत और मजो की हसीं दुनिया में ले जाने का प्लान बनायाl उसी रात में अलका मेरे पास आयी और मैं उसे चुम चाट रहा था ( मेरे अंतरंग जीवन की हमसफ़र -1 -17) ।

अब आगे:-

तो मैं बोला प्रीती जिस तरह और गति से, मुझे नयी नयी लड़किया मिल रही थी और मैं उनकी चुदाई कर रहा था, उससे मैं भी हैरान था, पर यहाँ शिकायत किसको थीl मजे मिल रहे थे और मैं उनको लूट रहा था l

इस तरह मैंने अलका के नंगे कंधे को चूम लिया। मैं धीमी गति से चुंबन करते हुए उसकी ब्रा के पट्टे से होते हुए उसकी गर्दन पर चुंबन रोपण किये जिससे अलका कराहने लगी ।

मैंने उसे बिस्तर पर चित्त लिटा दिया। मैंने धीरे से उसकी गर्दन को चूसा जिससे अलका फिर से कराहने लगी। अपने होठों को अलग करते हुए, मैंने उसे उस प्यार से एक छोटे से निशान से लेकर उसके कान के निचले हिस्से तक चूमते हुए उसकी कामुक गर्दन को अपनी जीभ की नोक से गीला कर दिया। उसने धीरे से उसके कानों को चूसा, उस पर अपने होठों से किस किया। फिर अपनी जीभ उसके पूरे कान के बाहरी हिस्से पर घुमाई, फिर जीभ की नोक उसके कान के अंदर गुसाई तो वो फिर इसससस करती हुई कराह उठी और फिर धीरे से उसके कान के नीचे की लटकन को चूसने लग गया ।

मैं जो कुछ कर रहा था, उसकी कामुकता पर अलका हैरान थी। उसका मन नियंत्रण से बाहर हो रहा था और उसका शरीर पहले से ही खुशी की लहर पर सवार था, जिसकी तीव्रता धीमी होने का कोई संकेत नहीं दिखा रहा था। मेरे होठ उसके कान से उसके माथे पर चले गए, और फिर मैंने उसकी आँखों में से प्रत्येक पर एक कामुक नरम चुम्बन किया । उसके गाल उसके नाक, और फिर उसकी ठोड़ी। अलका की आँखे बंद थी । जैसे मैं उसे किस कर रहा था उससे उसने अनुमान लगाया के अब मैं उसे ओंठो को किस करूंगा ।

बेसब्री से मेरे होठों का अपने होठों का अनुमान लगाते हुए, अलका ने अपना सिर ऊपर कर लिया ताकि हमारे ओंठ मिल जाए लेकिन मैंने उसके ओंठो पर अपनी कुछ गर्म साँसे छोड़ी जिससे उसे मालूम हो गया मेरे ओंठ उसके ओंठो के ऊपर ही मंडरा रहे हैं, इतना पास के उसे मेरे ओंठो का अनुमान लगता रहे पर किस न हो । हमारी साँसे तेज चल रही थी मेरी गर्म सांसे वो मह्सूस कर रही थी और मैं उसकी गर्म साँसे महसूस कर रहा था ।

उसने अपने होंठ अलग किए और मुँह खोला और फिर से अपना सर उठा कर मुझे चुंबन करने की कोशिश की, लेकिन मैंने अपना सर उतना ही पीछा कर लिया जितना उसने उठाया था ताकि ओंठो का चुम्बन उसकी पहुँच से बाहर रहे । वह व्यग्र हो उठी और आँखे बंद रखते हुए बोली"मेरे ओंठो पर चुम्बन कीजिये प्लीज, मेरे ओंठो को क्यों तरसा रहे हो आप, प्लीज, मुझे अपने ओंठ दीजियेl"अलका ने गुहार लगायी और उसने अपने ओंठ खोलते हुए जीभ को लहराते हुए अपना सर और ज्यादा ऊपर उठा दिया। वो तड़प उठी थी ।

मैं उसकी तड़प को और नहीं देख सका और अपने खुले मुंह को उस के मुँह पर लगाया। अब इस के बाद व्यग्रता के कारण अलका ने ऐसा तीव्र चुंबन किया जिसकी तीव्रता बहुत अधिक थी । यह किस काफी लम्बा चला ये क्षण सिर्फ मेरा और अलका का था, इस क्षण और कुछ महत्त्व नहीं रखता था, कुछ नहीं और कुछ भी अस्तित्व में नहीं रहा। वह मेरी थी और मैं उसका था । शरीर, मन और आत्मा दोनों एक हो गए ।

शाश्वत प्रेम में डूबे हुए प्रेमी, पता नहीं कितनी देर तक एक दुसरे को चूमते रहे, ऐसे जैसे कोई जन्मे के बिछड़े प्रेमी मिल गए हो । हम प्रेमियों ने एक दूसरे को, अपने हाथ और पैर, शरीर के चारों ओर लपेटकर चूमा। कभी मैं ऊपर कभी वह ऊपर बस पागलो की तरह चूमते रहे । अलका ने अपनी उंगलियों को मेरी नंगी पीठ के ऊपर और नीचे दौड़ाया, धीरे से उसने अपने नाखूनों को नेरी पीठ की त्वचा पर रगड़ दिया। मेरी उंगलियों ने उसकी रेशमी अधोवस्त्रो को महसूस किया मालूम ही नहीं चल रहा था कहाँ अधोवस्त्र समाप्त हो रहे हैं और उसकी त्वचा कहाँ से शुरू हुई। मेरा स्पर्श उसकी निर्दोष चिकनी रेशमी त्वचा जो वस्त्रो की मुकाबले काफी गर्म थी उसे महसूस कर रहा था ।

मैंने हाथ नीचे खिसकाया और धीरे से उसकी गांड को सहलाया। जैसे-जैसे हमारे होंठ और जीभ अपने हमले जारी रखते थे, मेरे हाथ उसकी चिकनी पीठ और उनके कामुक नितम्बो के गालो को ऊपर-नीचे हो रहे थे। मैंने धीरे से अपने हाथों से उसकी गांड को दबाया तो अलका ने मुझे और भी अधिक आक्रामक तरीके से चुंबन करते हुए जवाब दिया। मैंने उसकी गांड की दरार में अपनी उंगलियाँ फँसा दी और उसकी गीली पैंटी से ढँकी चूत तक पहुँच धीरे से अपनी उंगली उसके ऊपर चलाई। अपनी उंगली पर गीलेपन का आनंद लेते हुए, उसने उसकी चूत को रगड़ा और अपनी उंगली से उसकी चूत के दाने को दबाया। मैं उसकी चूत पर हाथ फेरने लगा उसे जैसे करंट सा लगा और उसने मुझे कस कर पकड़ लिया और मुझसे लिपट गयी, उसका गोरा बदन सुर्ख लाल हो गया थाl

"ऊह यस।"अलका कराही और उसने चुंबन तोड़ दिया । उसने वासना भरी आँखों से मुझे देखा और उसे फिर मुझे उतनी ही उत्तेजना से दुबारा चूमा, मैंने अपने जीभ उसके मुँह में सरका दी तो वो मेरी जीभ चूसने लगी । मेरा हथियार अपने पूरे जोश पर था वो भी उसके बदन पर अपने चुम्मे दे रहा था और अपनी म्यान को छुपा रही उसकी हीरे के आकार वाली पेंटी को फाड़ कर म्यान प्रवेश के लिए मचल रहा था। वो अभी भी अपने हाथों को मेरी पीठ और नितंब पर चला रही थी ।

वह मेरा लिप किस में भरपूर साथ दे रही थी फिर मैंने भी अपनी जीभ उसके मुँह में डाल दी और वह मेरी जीभ को चूसने लगीl मेरी जीभ जब उसकी जीभ से मिली तो उसका शरीर सिहरने लगाl अलका मुझसे कस कर लिपट गयीlमेरे हाथ अब उसके स्तनों पर पहुँच गए मैंने चुम्बन करते करते उसके गोल गोल बूब्स को पहले सहलाया फिर ब्रा के ऊपर से ही दबायाl मैंने महसूस किया उसके अनछुए बूब्स बहुत नरम मुलायम गोल और सुडोल थेl मेरे हाथ को उसके निप्पल जो उत्तेजना के अतिरेक से कड़क मह्सूस हुए और लगा अब समय आ गया है जब अलका के बदन को सब बंदनों से आज़ाद कर देना चाहिए ताकि प्रेम के सागर में वो आज़ादी भरी डुबकी का आनंद ले सके l

मैंने चुम्बन को तोड़ दिया तो उसने मेरी तरफ ऐसे देखा के चुम्बन क्यों तोड़ दिया और वो दुबारा मेरे सर को पकड़ कर किश करने लगी l तो मैंने अपनी उंगलिया उसके गले के पास उसकी रेशमी ब्रा के स्ट्राप में घुसा कर उसकी पीठ तक ले गया चुम्बन को तोडा फिर उसको उसके सिर के ऊपर खींच लिया तो उन भी बाहे ऊपर उठा कर पूरा साथ दिया, जिससे वह ब्रा लेस हो गई। पर अभी भी उसकी छाती पर हार और गहने थे । मैंने एक बार फिर उसको देखा गहनों में अलका बेहद आकर्षक लग रही थी मैंने उसे गले लगाया तो तो धीरे से बोली , हार चुभ रहा है l आपको नहीं चुभा l मैं कुछ नहीं बोला और उसकी गर्दन के पीछे हार की डोरी को ढीला करने लगा उसे भी समझ आ गया, अब सभी बंधन खोलने का समय आ गया थाl

मैंने उसके बूब्स को सहलाया अब उसे ये भी समझ आ गया l मैंने चुम्बन क्यों तोडा था और उसके गले में पहने गहनों को उतार दियाl l बिच बिच में मैं उसकी मदहोश आँखों में देखता था तो वह मुस्करा देती थी मेरे एक हाथ उसकी पीठ पर था l

मैं बैठ गया तो अलका भी अपनी बाजुओं के भार होकर बैठने लगी जिससे उसके बड़े बड़े गोल सुडोल और दृढ अनछुए स्तन अपना आकार बताने लगे । मैंने बस धीरे से उनके ऊपर हाथ चलाने से पहले उन्हें गौर से देखा । और स्तनों के नीचे हाथ रख कर उनका बजन महसूस करने लगा उसके सख्त और गुलाबी निप्पल सीधे मेरी और इशारा कर रहे थे । मेरी वासना चरम पर थी तो मैंने उसके स्तनों की मालिश करना शुरू कर दिया ।

अलका फिर कराहने लगी जिसे सुनकर, मैंने अलका को धीरे से उसकी पीठ पर लेटा दिया। और उसकी ओंठो पर किस किया फिर उसकी ठोड़ी पर गर्दन पर किस करते हुए धीरे धीरे उसके स्तनों की और बढ़ा उसके दाए स्तन को किस किया और फिर स्तनों के बीच की घाटी को किस करके चाटा और फिर उसके दाए स्तन को किस किया और चाटा क्योंकि मैं उसके दायी और ही था l फिर उसके स्तनों के नीचे मुँह लेजाकर स्तनों के निचले हिस्सेको भी चूमा और चाटा l जहाँ उसके स्तन उसकी छाती से मिलते थे वहां चूमा तो वह कराह उठी l फिर धीरे धीरे चूमते हुए उसके निप्पल की और बढ़ने लगा उसके निप्पल उत्तेजने से एकदम खड़े हो कर मुझे आमंत्रित कर रहे थे प्लीज हमे चूसो उधर अलका आँखे बंद कर लेटी हुई थीl

आगे जो हुआ वो मेरे लिए बहुत मुश्किल था पर मैंने पता नहीं कैसे कर लिया मैंने उसके निप्पल को न तो चूमा न चूसा l एक दो फूक मारी और उनके आस पास चूमते हुए सारे स्तन को चूमने लगा अलका इस प्रत्याशा में थी के अब मैं उसके निप्पल चूसूंगा उनसे खेलूंगा पर मैंने सोचा इसे एक बार फिर जैसे ओंठो के चुम्बन के लिए तड़पाया था वैसे ही तड़पाया जाय l क्योंकि उसके बाद जैसा चुम्बन मिला था शायद वैसा की कुछ अब फिर हो जाए l

तो मैंने फिर बाए स्तन पर किस करते हुए उसके नीचे के हिस्से तक गया और उन्हें भी बाए स्तन की तरह निचले हिस्सेको भी चूमा और चाटा l तो वह कराह उठी l फिर धीरे धीरे चूमते हुए उसके निप्पल की और बढ़ने लगा उसे लगा मैं उसके बाये निप्पल को चूसना अब शुरू करूंगा पर मैंने निप्पल को न तो चूमा न चूसा l एक दो फूक बाए निपल पर मारी और उनके आस पास चूमते हुए सारे स्तन को चूमने लगा उसे मेरी गर्म साँसे पाने स्तनों पर महसूस हो रही थीl

पर इस बारी वो मेरी शरारत भरी चाल को समझ गयी थी उसने मेरा सर पकड़ा एक गति में, उसने मेरा मुंह उसके उभरे हुए निप्पल पर उतारा और मैंने उस को चूमा फिर पूरे निप्पल को चूसा, मेरी इस अचानक आक्रामकता ने अलका को उत्तेजित कर दिया और उसने मेरे द्वारा और अधिक निप्पल चूसने के लिए अपनी पीठ उठा कर उसे धनुषाकार कर दिया। वो बोली दीपक चूसो इनको जोर से चूसो आह उह प्लीज ऐसे ही चूसते रहोl मैं एक हाथ से एक स्तन दबा रहा था और दुसरे हाथ से दूसरा और साथ साथ निपल चूस रहा था और आसपास के स्तन के हिस्से को अपने मुँह में ले लिया।

मैंने उसका बाय निप्पल पूरा मुँह में लेते हुए अपनी जीभ पूरे निप्पल पर घुमाई और उसके स्तन के कुछ हिस्से को को धीरे-धीरे मुँह से बाहर निकाल दिया। मैंने निप्पल को चूसना जारी रखा, अपनी जीभ को निपल के चारो और घुमाते हुए उसके निप्पल को ओंठो के बीच दबा कर धीरे से खींचा। फिर स्तनों को अपने हाथ से सहलाया और धीरे से नीपल्ल को हल्का सा काटा जिससे अलका के शरीर में हलके से दर्द भरे आनद की लहर दौड़ गई। उसने मुझे"चूसोl मेरे बेबी! इनको चूसो"कह कर मेरा जोश बढ़ाया और बोली"यह बहुत अच्छा लगता है!"

जहाँ तक निप्पल चूसने का मसला था , मुझे इसके लिए किसी प्रोत्साहन की आवश्यकता नहीं थीl लड़कियों के स्तन मुझे हमेशा आकर्षित करते थे और मैंने एक बार अपनी माँ को किसी से बात करते हुए सुना था की बचपन में भी दूध पीते हुए मैं उनके निप्पल आसानी से छोड़ता नहीं था l और स्तनों पर खूब हाथ मारता था l वैसे भी मनोविज्ञानिक कहते है नवजात के लिए भी चूचक वो स्थान है जहाँ पर उसे मीठा दूध मिलता है इसलिए स्तन और चूचक हर इंसान चाहे वो लड़का हो या लड़की हो, अति प्रिय होते हैं और मैं भी इस मामले में कोई अपवाद नहीं था l

आगे क्या हुआ ... ये कहानी जारी रहेगीl

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