छाया - भाग 11

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कुछ देर बाद हमारी सांसे सामान्य हो गयीं. छाया बिस्तर से उठ कर बाथरूम की तरफ जा रही थी. उसने बिस्तर पर लाल निशान देखा उसने मुझे उठाया और वह लाल निशान दिखाया . हम दोनों ही यह समझ गए थे कि यह छाया के कौमार्य भेदन का प्रतीक है. मैंने छाया को उसकी राजकुमारी की तरफ इशारा करके दिखाया. वह भी रक्त से सनी हुई थी पर छाया को साफ साफ नहीं दिखाई पड़ रही थी. मैं छाया को फिर से गोद में लेकर आईने के पास ले गया उसने अपनी जांघें फैलाकर अपनी राजकुमारी को देखा. वह फूली हुई थी और उसके निचले भाग पर रक्त लगा था जो सूख गया था. उसने मुझे गालों पर फिर से चुंबन लिया और मेरे कान में बोली

"थैंक्यू मानस भैया" भैया शब्द पर उसने विशेष जोर दिया और मेरे गाल पर फिर से एक पर चुंबन जड़ दिया.

अब वह मेरी गोद से उतर चुकी थी और बाथरूम की तरफ जा रही थी. उसकी जांघो पर भी रक्त के धब्बे थे जो पीछे से दिखाई पड़ रहे थे.

कुछ ही देर में वह वापस बिस्तर पर आई. मैं भी एक बार बाथरूम में जाकर अपने राजकुमार पर लगे रक्त के धब्बों को साफ कर कर आया. हम दोनों एक दूसरे के आलिंगन में फिर से आ गए. छाया बहुत खुश थी परंतु संतुष्ट नहीं थी. वह संभोग सुख दोबारा लेना चाहती थी. वह मुझे फिर से चूम रही थी कुछ ही देर में मेरा राज कुमार वापिस युद्ध लड़ने के लिए तैयार हो गया था. छाया अब मेरे ऊपर आ चुकी थी इस बार उसने खुद ही मोर्चा संभाल लिया था. अपनी कमर को मेरे राजकुमार के ऊपर व्यवस्थित करने के बाद उसने अपने हाथों में मेरे राजकुमार को पकड़ लिया और अपनी रानी के मुख पर रख दिया. वह अपनी कमर को नीचे करती गई और राजकुमार की रानी में विलुप्त होता चला गया. जैसे-जैसे राजकुमार अंदर की तरफ जा रहा था छाया के चेहरे पर एक अजीब किस्म का नशा दिखाई पड़ रहा था. वह बहुत खुश थी. पूरे राजकुमार को अपने अंदर लेने के बाद वह मुस्कुरा उठी इस कार्य में उसे कुछ दर्द हो रहा था कि नहीं पर वह उसको नजरअंदाज कर रही थी. वह वापिस मेरे चेहरे की तरफ आई और अपने स्तनों को मेरी छाती से रगड़ने लगी मैंने भी उसके सजे हुए स्तनों लो अपने दोनों हाथों में ले लिया और उन्हें सहलाने लगा.

छाया की कमर हिलने लगी थी. वह धीरे-धीरे अपनी रानी को आगे पीछे करती और मेरा राजकुमार उसका साथ देता. धीरे-धीरे छाया के कमर की गति बढ़ती जा रही थी वह अद्भुत सुख में थी. मैं उसके नितंबों को लगातार सहला रहा था वह इस आनंद की अनुभूति इस बार और भी अच्छे से कर रही थी. बीच-बीच में मैं उसकी दासी को भी हाथ लगा देता था. जैसे ही मैं उसकी दासी को हाथ लगाता वह मेरी तरफ देखती मुस्कुराती और फिर अपनी रफ्तार बढ़ा देती. उसका इस तरह से मेरे साथ संभोग करना अकल्पनीय सुख दे रहा था. मैंने छाया से हमेशा कुछ नए की उम्मीद की थी और आज वह इतनी रफ्तार में और तरह तरह से अपनी कमर चला रही थी कि मुझे यकीन नहीं हो रहा था. राजकुमार अद्भुत सुख में था एक बार के लिए मुझे लगा की छाया ने जिम की मांग सही की थी इन दिनों उसकी कमर में कसाव आ गया था. कुछ ही समय में मैं उत्तेजना के शीर्ष पर पहुंच गया छाया की धड़कन भी और बढ़ गई थी. कुछ ही देर में मुझे महसूस हुआ जैसे मैं पहले स्खलित हो जाऊंगा. मैंने छाया की उत्तेजना बढ़ाने के लिए उसके निप्पलों को अपने मुंह में ले लिया मैं बारी-बारी से उसके निप्पल चूसने लगा.

मेरा फार्मूला काम कर गया और छाया की रानी के कंपन महसूस होने लगे. मैंने भी अपने कमर की गति से रानी को और उत्तेजित करने की कोशिश की. अंततः स्खलित हो रही छाया की कमर हिलनी बंद हो गई. मैंने उसे अपने आगोश में जोर से खींच लिया और अपने कमर की गति और तेज कर दी. छाया काँप रही थी पर मैंने अपनी गति न रोकी. मैंने अपने राजकुमार को रानी के अंदर तक पूरा प्रवेश करा दिया था. मेरा लावा फूटने ही वाला था. मैंने लिंग को बाहर किया. वीर्य किधर जा रहा था यह मुझे होश नहीं था. वह छाया और मेरे पेट के बीच कहीं अपना रास्ता तलाश रहा था. मेरे हाथ छाया के नितंबों और पीठ पर थे वह मुझसे लिपटी हुई थी कुछ ही देर में वह मेरे बगल में आ गयी. और हम एक दूसरे के आगोश में फिर कुछ देर के लिए शांत हो गए

मैंने और छाया ने उस रात चार बार संभोग किया. छाया इस सुहागरात को यादगार बना देना चाहती थी 4 बार संभोग करने के पश्चात वह खुद भी बहुत थक गई थी. राजकुमारी पर एक साथ इतने प्रहार से वह भी आहत हो गई थी. मैंने उसे दिखाया राजकुमारी काफी फूल गई थी और उसके साथ दोबारा संभोग करना उचित नहीं होता. मैंने छाया को अपनी गोद में लेकर सो जाने के लिए कहा वह मान गई पर बोली

"मानस भैया क्या यह हमारी आखिरी रात है"

मैंने उससे कहा

"सीमा हैं ना, वो हमें फिर मिलवाएगी"

छाया खुश हो गयी और मेरी गोद में सो गई.

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