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CHAPTER 3- दूसरा दिन
जड़ी बूटी से उपचार
Update 2
गुरुजी--रश्मि, आज से मैं तुम्हारा उपचार शुरू करूँगा। जय लिंगा महाराज।
"जय लिंगा महाराज।"
रश्मि-वह गुरूजी मुझे कल गुरुमाता से आपकी भेजी हुई दवाई मिल गयी थी और मैंने उनकी बतायी हुई विधि के अनुसार लगा भी ली थीl
गुरूजी-ऐसे ही रोज़ वह क्रीम लगानी है और सुबह स्नान करना हैl
गुरुजी--रश्मि, तुम्हारी शादीशुदा ज़िन्दगी के कुछ डिटेल्स मैं जानना चाहता हूँ। शरमाना मत और कुछ भी मत छुपाना। दिमाग़ खुला रखना। जो भी प्रश्न तुम्हारे दिमाग़ में आए मुझसे ज़रूर पूछना। तुम्हारी समस्या ऐसी है कि अगर तुम खुलोगी नहीं तो सही से उपचार नहीं हो पाएगा।
मैंने फिर से सहमति में सर हिला दिया।
गुरुजी--अभी जब मैंने अंडरगार्मेंट्स की बात कही तो मैंने नोटिस किया तुम शरमा गयी थी। ऐसा क्यूँ रश्मि? जब तक तुम ये बात नहीं समझोगी की ये सब नेचुरल और नॉर्मल चीजें हैं, तब तक तुम्हारी दीक्षा अधूरी रहेगी। जैसे तुमने ब्रा पैंटी पहनी है, वैसे ही मैंने कपड़ो के भीतर अंडरवेयर पहना हुआ है। इसमे शरमाने की क्या बात है, बताओ रश्मि?
"उम्म...।जी गुरुजी. कुछ नहीं है।"
गुरुजी--ठीक है। अब ये बताओ की तुम एक हफ्ते में कितनी बार संभोग करती हो?
"लगभग दो बार।"
गुरुजी--संभोग से तुम्हें पूर्ण संतुष्टि मिलती है?
मैंने हाँ में सर हिला दिया।
गुरुजी--संभोग करते समय तुम पूरी तरह से उत्तेजना महसूस करती हो या तुम्हें लगता है कि अभी थोड़ी देर और जारी रहना चाहिए था या किसी दूसरी तरह से किया जाना चाहिए था या कुछ और?
"नही गुरुजी. मुझे ऐसा कुछ कभी नहीं लगा।"
गुरुजी--ठीक है। सब कुछ नॉर्मल ही लग रहा है और तुम्हें पीरियड्स भी रेग्युलर आते हैं।
गुरुजी--ठीक है। सब कुछ नॉर्मल ही लग रहा है और तुम्हें पीरियड्स भी रेग्युलर आते हैं। अब ये बताओ रश्मि की एक सेशन में तुम कितनी बार संभोग करती हो? एक बार या एक से ज़्यादा?
एक मर्द के सामने ऐसे प्रश्नों के जवाब देते हुए मैं पहले से ही नर्वस हो रही थी, अब तो मेरा पूरा चेहरा शरम से लाल हो चुका था।
"शादी के बाद कुछ महीनों तक तो दो बार, पर अब एक ही बार।"
गुरुजी--रश्मि, शादी के शुरुवाती दिनों में जब तुम दो बार संभोग करती थी तो तुम्हारी योनि से दो बार स्खलन होता था? और क्या दोनों बार बराबर स्खलन होता था या कम ज़्यादा?
"जी, दो बार होता था। पर कभी-कभी ऐसा भी होता था कि मेरे पति दो बार स्खलित हो जाते थे पर मैं एक ही बार होती थी।"
गुरुजी--तुम्हारा स्खलन ज़्यादा मात्रा में निकलता है या कम?
"नही। ज़्यादा नहीं । मेरा मतलब।"
ऐसी निजी बातों को बोलते वक़्त मेरी आवाज़ ही बंद हो गयी, मुझे बोलने को सही शब्द ही नहीं मिल रहे थे। क्या बोलूं? कैसे बोलूं?
गुरुजी--मुझे बताओ रश्मि। अपने दिमाग़ को खुला रखो और खुलकर बोलो।
"जी वह ......मुझे आजकल ऐसा लगता है कि जब मैं गरम हो जाती हूँ तो संभोग ख़त्म होने के बाद भी कुछ गर्मी बाहर निकल नहीं पाती, अंदर ही रह जाती है।"
गुरुजी--ठीक है रश्मि। जो जानकारी मैं चाहता था वह मुझे मिल गयी है।
फिर गुरुजी आँख बंद करके कुछ पलों के लिए ध्यानमग्न हो गये।
गुरुजी--जय लिंगा महाराज। देखो रश्मि, तुम गर्भवती तभी होओगी, जब संभोग के दौरान तुम्हारा ज़्यादा स्खलन होगा। तुमसे बात करके मुझे ऐसा लग रहा है कि तुम उत्तेजना की चरम सीमा तक नहीं पहुँच पा रही हो, इसलिए स्खलन कम हो रहा है और वह गर्मी तुम्हारे अंदर ही रह जा रही है जिससे तुम्हें एक अपूर्णता का एहसास होता हैl
और पूर्ण संतुष्टि नहीं मिल पाती। बहुत सारी विवाहित जोडियों में ये समस्या पायी जाती है और इसमे चिंता की कोई बात नहीं है। पर अगर कोई औरत पूरी तरह से उत्तेजित हो रही है लेकिन फिर भी उसकी योनि से पर्याप्त स्खलन नहीं हो रहा है तो फिर ये चिंता की बात है।
फिर गुरुजी थोड़ा रुके, जैसे मेरे किसी प्रश्न का इंतज़ार कर रहे हों।
"अगर स्खलन पर्याप्त नहीं हो रहा है तो फिर क्या होता है, गुरुजी?"
गुरुजी--देखो रश्मि, अगर स्खलन कम होता है तो फिर औरत के अंडाणु भी कम मात्रा में पैदा होते हैं और इससे गर्भवती होने के चान्स बहुत कम हो जाते हैं। लेकिन तुम चिंता मत करो क्यूंकी योनि से स्खलन को बढ़ाने के लिए कुछ तरीके हैं और जड़ी बूटियों से भी इसको बदाया जा सकता है । लेकिन इसके लिए तुम्हें जैसा मैं बताऊँ, बिना किसी संकोच या शंका के वैसा ही करना होगा।
"गुरुजी, मैं गर्भवती होने के लिए कुछ भी करूँगी। मैं आपको बता नहीं सकती पिछले कुछ महीनो से मैं कितने डिप्रेशन में हूँ की सभी औरतें तो माँ बनती हैं, मैं ही क्यूँ नहीं बन पा रही। जैसी आप आज्ञा देंगे मैं वैसा ही करूँगी।"
गुरुजी--ठीक है रश्मि। लेकिन ये इतना आसान भी नहीं है, समझ लो।
सबसे पहले मुझे ये जानना होगा की तुम्हारी योनि से स्खलन की मात्रा क्या है। क्या तुम हस्तमैथुन करती हो?
अब तो मेरा गला सूखने लगा था। 28 बरस की अपनी ज़िन्दगी में मुझे कभी भी ऐसे प्रश्नों का जवाब नहीं देना पड़ा था। शरम से उस वक़्त मेरा क्या हाल था मैं बता नहीं सकती ।
"हाँ गुरुजी, पर कभी कभार ही करती हूँ और स्खलन भी बहुत कम ही होता है।"
मैं हस्तमैथुन की आदी नहीं थी । मेरे साथ जो भी हुआ अपनेआप हुआ। मतलब शादी के बाद तो ज़रूरत कम ही पड़ती है । शादी से पहले कभी कामुक सपने आते थे तो चूत गीली हो जाती थी । या फिर कभी बस, ट्रेन में किसी आदमी ने बदन से छेड़छाड़ की हो तो तब या फिर घर आकर बेड में लेटती थी तब उस घटना के बारे में सोचकर चूत गीली हो जाती थी। पर ये सब नेचुरल था।
लेकिन अब गुरुजी की बातें सुनकर मैं सोच रही थी की योनि से पर्याप्त स्खलन कैसे होगा? खाली बेड में लेटकर कामुक बातें सोचकर तो नहीं हो पाएगा और मेरे पति भी यहाँ नहीं हैं, तो मैं पूर्ण रूप से उत्तेजित होऊँगी कैसे?
गुरुजी--रश्मि, मुझे तुम्हारी योनि से स्खलन की मात्रा जाननी पड़ेगी और उसके आधार पर आगे का उपचार होगा।
"लेकिन गुरुजी, मेरे पति के बिना कैसे होगा? किसी दूसरे मर्द के साथ तो मैं नहीं कर सकती ना ।"
गुरुजी--रश्मि, तुम क्या सोच रही हो, मुझे नहीं मालूम। क्या तुम ये सोचती हो की मैं तुम्हें किसी दूसरे मर्द के साथ सोने के लिए कहूँगा? मैं जानता हूँ की तुम एक हाउसवाइफ हो और समाज के बंधनों से बँधी हुई हो।
गुरुजी की बात से मैंने राहत की साँस ली पर अभी भी मेरी समझ में नहीं आया की बिना किसी मर्द के साथ संभोग किए मैं पूर्ण रूप से उत्तेजित कैसे होऊँगी?
गुरुजी--रश्मि, उपचार का सबसे पहला भाग है 'माइंड कंट्रोल' । तुम्हें अपने दिमाग़ से सब कुछ हटा देना है और सिर्फ़ अपने शरीर से नेचुरली रेस्पॉन्ड करना है। मतलब इस बात पर ध्यान मत दो की तुम कहाँ पर हो, किसके साथ हो, बस जैसी भी सिचुयेशन मैं तुम्हें दूँगा तुम उसको नॉर्मल तरीके से लो। अपने दिमाग़ पर कंट्रोल करना है और नेचुरली रियेक्ट करना है। ये उपचार का हिस्सा है, चिंता करने की कोई ज़रूरत नहीं । जय लिंगा महाराज।
मैंने हाँ में सर हिला दिया पर मुझे ज़्यादा कुछ समझ नहीं आया की करना क्या है।
गुरुजी--देखो, मैं तुम्हें समझाता हूँ। सबसे पहले जड़ी बूटी से बनी दवाइयाँ। ये दवाई तुम्हें दिन में दो बार लेनी है। एक सुबह सवेरे पेशाब करने के बाद और फिर रात में सोते समय ले लेना। कितनी मात्रा में लेना है वह बॉटल में लिखा है। ठीक है?
मैंने दवाई की बॉटल लेकर सर हिला दिया।
गुरुजी--ये दूसरी दवाई है। जब भी तुम आश्रम से बाहर जाओगी तो इसे खाकर ही जाना और ये तेल है। जब तुम दोपहर में नहाओगी तो नहाने से पहले इस तेल से पूरे बदन की मालिश करना और नहाने के लिए सिर्फ़ जड़ी बूटी वाले पानी से ही नहाना, जिससे दीक्षा से पहले नहाया था। मेरे ख्यालसे इस तेल को तुम कल से लगाना, आज रहने दो।
"ठीक है गुरुजी. जड़ी बूटी से नहाकर कल मुझे बहुत तरोताज़गी महसूस हुई थी।"
गुरुजी--हाँ, जड़ी बूटी से स्नान से बदन में ताज़गी महसूस होती है और ऊर्जा बढ़ जाती है और हाँ ये जो तेल है इसको अपनी चूचियों पर मत लगाना। उसके लिए ये दूसरा तेल है। याद रखना, चूचियों की मालिश के लिए ये हरे रंग का तेल है। ठीक है?
मैंने एक आज्ञाकारी छात्र की तरह से सर हिला दिया। लेकिन एक मर्द के मुँह से चूचियों की मालिश, ऐसे शब्द सुनकर ब्रा के अंदर मेरे निप्पल तन कर कड़क हो गये।
कहानी जारी रहेगी