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Click hereये कहानी विक्रम और रूप के बीच हुए वाकये को बयां करती है। ये एक सच्ची घटना है ओर मेरी पहली कहानी इसी घटना के बारे मे है। इसलिए मैं आपसे निवेदन करता हूँ कि थोड़े धीरज से ये कहानी पढिये क्योंकि रूप की चुदाई से पहले ऐसे कई किस्से है जो आपको जानना जरूरी है ताकी आप पूरी सच्चाई जान सके ओर मज़ा ले सकें।
मेरा नाम विक्रम सिंह हैं। उम्र 28 कद 6 फ़ीट है। मैं कनाडा में मेरे 4 दोस्तों के साथ एक लॉ फर्म चलाता हूँ जिसमें इंटर्न ओर बाकी स्टाफ मिलाकर 20 लोग हैं। मैं कनाडा में ही पला बढ़ा लेकिन हिंदी और पंजाबी अच्छी तरह जानता हूँ क्योंकि मेरा काफी बचपन पंजाब में बीता है। मेरे पिता 1990 में यहां आकर बस गए और यहीं मेरा जन्म हुआ।
ये कहानी अक्टूबर 2020 से शुरू होती है जब मैं रूप से मिला। रूप कौर, वह जनवरी 2020 में स्टडी वीसा पर कनाडा आई थी। यूनिवर्सिटी में पढ़ाई के साथ अपना खर्च चलाने के लिए उसने रेस्टोरेंट में काम करना शुरू किया सब अच्छा चल रहा था लेकिन कोरोना ब्रेकआउट के कारण लगी पाबंदी के वजह से रेस्टोरेंट बन्द हो गए ओर उसे अपनी नोकरी गंवानी पड़ी। पराये देश में उसके लिए ये बहोत बड़ी परेशानी थी। उसने जब अपनी परेशानी पंजाब में अपने घर पर बताई तो उसके पापा ने मेरे पापा को फ़ोन कर सारी बात बताई। दरअसल उसके और मेरे पापा काफी अच्छे दोस्त थे और पंजाब में उनका गाँव भी हमारे गाँव के नजदीक था। पापा ने अंकल को चिंता न करने को कहा और उसी शाम रूप हमारे घर आ गई। मैं छत पर था ओर उसे देखते ही मेरे लंड ने सलामी दी। 22 साल की बला की खूबसूरत उसने सलवार कमीज पहना था। उसकी टाइट कमीज में उसका एक एक उभार नजर आ रहा था। ऐसा लग रहा था मानों जैसे उसके मम्मे अभी उसकी कमीज से उछलकर आजाद हो जाएंगे। दूध जैसा गोरा जिस्म, पतली कमर ओर उसके ऊपर गोल ओर चुस्त मम्मे। पता नहीं कैसे उसके छरहरे बदन ने उन बड़े मम्मों का भार संभाला था। सुंदर चेहरा, लम्बे बाल ओर पीछे से तो नज़ारे ओर भी कमाल, जितनी पतली कमर उतनी ही चौड़ी गांड जो उसके चलने पर कुछ इस तरह मटकती जैसे चुदने का न्यौता दे रही हो। कनाडा में रहकर मैं बहोत कम देसी लौंडियों को मिला था और अब इस देसी रांड को देखकर जैसे मैं पागल हो गया था।
अगले दिन सुबह डाइनिंग टेबल पर हम सब नाश्ता करने के बाद पापा ओर रूप जॉब एडवर्टिजमेंट नंबर्स पर फोन लगाने लगे ओर इसी वक्त में आफिस के लिए निकल गया। शाम को आने पर डाइनिंग टेबल पर ही मैंने रूप और पापा से जॉब एडवर्टिजमेंट के बारे में पूछा। रूप ने उदास होते हुए कहा के कोविड महामारी में कहीं पर भी जॉब नही है।
रूप: "देखो न विक्रम समझ नहीं आ रहा क्या करूँ। सोचा था यहाँ लाइफ सेट हो जाएगी लेकिन बिल्कुल उलट हो गया। मेरे पैसे भी जल्दी खत्म हो जाएंगे ओर यहाँ का किराया मैं कैसे दूंगी।"
किराये की बात सुन पापा बोले: "बेटा तुम्हे कोई किराया देने की जरूरत नहीं है जब तक ये प्रॉब्लम खत्म नहीं हो जाती तुम यहाँ रह सकती हो। जॉब के लिए हम कोशिश करेंगे।"
अचानक माँ बोली: "विक्रम तुम अपनी फर्म में क्यों नहीं रख लेते रूप को?"
माँ की बात सुन मैं हँसा: "माँ ये एक लॉ फर्म है ओर रूप को लॉ के बारे में कुछ नहीं पता।"
पापा: "अरे कुछ तो होगा करने को, तुम देर रात तक घर आते हो। रूप साथ में कुछ काम करेगी तो मदद भी होगी ओर घर भी जल्दी आ सकोगे। कल इसे आफिस ले जाना।"
रूप: "मैं कोई भी काम कर लुंगी विक्रम।" रूप बड़ी उम्मीद से बोली। मैंने भी मुस्कुरा कर हामी भर दी।
उस रात मैं रूप के बारे में सोचता रहा।मैं कोई भी काम कर लुंगी विक्रम। उसकी ये बात मेरे दिमाग में बार बार घूम रही थी। कोई भी काम, ये सोचकर मेरी कल्पनायें ने मुझे क्या क्या सोचने पर मजबूर कर दिया था। मैं अपने पजामे में अपने कड़क होते औजार को महसूस कर सकता था। रूप का चेहरा ओर गुंथा हुआ बदन मेरे सपनों में था। यही सोचते हुए मुझे नींद आ गयी। अब बस अगली सुबह का इंतज़ार था।
अगले दिन सुबह 5 बजे ही मेरी नींद खुल गई। मेरा लौडा तो शायद पहले से जाग रहा था, एकदम तना हुआ, ये सब रूप की भूख थी। मैंने तैयार होकर 6 बजे के करीब अपने पार्टनर्स ( मार्क, इमरान और अमित) को कॉल लगाया ओर सारी बात बताई। वो तीनों भी टीम में एक लड़की के आने पर खुश थे ओर मुझसे रूप की फोटो भेजने की ज़िद करने लगे। मैने हमारे व्हाट्सअप ग्रुप में रूप की 2 फोटो जो मैंने पहले दिन छत से छुपकर ली थी भेज दी। बस फिर क्या था किसी भूखे भेड़िये की तरह उन तीनों की लार टपकने लगी। हम एक दूसरे को बिना कुछ कहे समझ गए थे के हम चारों रूप से क्या चाहते हैं। अगले 2 घंटे तक हमने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग पर बस यही चर्चा की के रूप को किस तरह से ऑफिस में लाने के बाद अपने मन माफिक इस्तेमाल किया जा सके।
8 बजे के करीब मैं ओर रूप पूरे परिवार के साथ डाइनिंग टेबल पर मिले। रूप एक फॉर्मल ड्रेस लाइट ब्लू टॉप, ब्लैक ट्राउज़र ओर ब्लैक जैकेट में थी। फॉर्मल ड्रेस में पूरी तरह ढके होने के बाद भी वो माल लग रही थी।
रूप: "मैं तैयार हूं।"
विक्रम: "देखो रूप आज मेरी एक जरुरी मीटिंग है ओर साथ ही मैं तुम्हारे बारे में आज अपने पार्टनर्स के साथ बात भी कर लूंगा। तुम्हे टीम में रखने से पहले मुझे उनसे बात करनी होगी। उसके बाद हम सब मिलकर फैसला लेंगे के तुम्हें किस काम पर रखना है।"
रूप थोड़ा ठहरकर बोली: "ठीक है मैं इंतज़ार करूँगी।" 9 बजे में घर से निकल गया, रूप ने उम्मीद भरी नजरों से मुझे बाए कहा।
ऑफिस में पहुंचते ही में मार्क, इमरान और अमित से मिला। हम चारो मेरे आफिस में चले गए ओर दरवाजा बंद कर वो तीनों मेरी तरफ देखने लगे।
विक्रम "ओके रूप के बारे में तुम्हारा क्या खयाल है?"
इमरान: "कड़क माल है।"
अमित: "हाँ उसे तो यहाँ होना ही चाहिए।"
मार्क: "फोटो में तो बम्ब लग रही थी, सामने आएगी तो क्या नजारा होगा।"
उन तीनों की बात सुन में भी ठरक में आ गया: "पर उस से करवायें क्या, लॉ फर्म में उसका क्या काम?"
इमरान: "आफिस अस्सिस्टेंट रख लेते हैं उसे। कॉफी सर्व करना। फाइल्स एडजस्ट करना। कॉल्स रिसिव करना, मीटिंग्स फिक्स करना ऐसे कई काम है।"
अमित: "हाँ, वैसे भी आफिस में हर चीज़ ढूंढनी पड़ती है, वो होगी तो ये भी हो जाएगा ओर मन भी बहल जाएगा।"
मार्क: "हाँ ऑफिस में उसके जैसा माल होगा तो सब खुश रहेंगे।"
विक्रम: "ओके तो ये तय रहा, हम उसे ऑफिस अस्सिस्टेंट के काम पर रख लेंगे।"
हम चारों खुश थे ओर तय किया के कल रूप का एक फॉर्मल इंटरव्यू करके सब फाइनल कर देंगे।
शाम को घर पहुंचकर मैंने रूप को आफिस अस्सिस्टेंट के काम के लिए बोला ओर अगले दिन इंटरव्यू के लिए तैयार रहने को बोला। रूप खुशी से उछलते हुए मेरे गले लग गयी। उसके बड़े मम्मे मेरी छाती से जा मिले, मेरे बदन में तो जैसे करंट दौड़ गया था। उस रात रूप को मैंने लॉ फर्म के काम ओर मेरे स्टाफ के बारे मे बताया ताकी वह इंटरव्यू में अच्छा कर सके। वैसे तो हम चारों ने उसे देखते ही काम पर रखने का मन बना लिया था लेकिन प्रोफेशनल दिखने के लिए हमने ये इंटरव्यू का नाटक रचा।
अगले दिन रूप और मै साथ आफिस निकले उसने कल वाला ही फॉर्मल सूट पहना था। वो थोड़ी नर्वस थी लेकिन मैंने उसे कॉन्फिडेंट रहने को कहा। आफिस पहुंचकर मैं रूप को अपने केबिन में ले गया जहाँ अमित मार्क ओर इमरान पहले से मौजूद थे। फॉर्मल इंट्रोडक्शन के बाद इंटरव्यू शुरू हुआ। हम चारों ने रूप से उसके एडुकेशन, वर्क एक्सपीरियंस ओर कुछ और सवाल किए। इंटरव्यू के दौरान हम चारो की नजर रूप के जिस्म को निहारती रही लेकिन उसे भनक नही लगने दी।
इंटरव्यू के बाद हम चारो ने रूप के लिए हामी भर दी। रूप का चेहरा खुशी से चमक उठा, हम सबने उसे भदाई दी ओर बाकी स्टाफ से उसका इंट्रोडक्शन करवाया। सब लोग टीम में रूप को देखकर खुश थे। होते क्यों ना, वो थी ही इतना करारा माल।
रूप को मैने उसका काम समझाया ओर फिर मेरे आफिस में सभी फाइल्स को सही तरीके से जमाने का काम देकर अपने काम में व्यस्त हो गया।
बाकी पूरा दिन रूप फाइल्स जमाती रही और जब भी मेरी नजर उस पर पड़ती मेरे चेहरे पर मुस्कान आ जाती।
सच में रूप हमारी टीम में एक बहोत अच्छा अडिशन थी।
मित्रों मैं आपका शुक्रिया करता हूँ के आप मेरे साथ बने हुए हैं, ये पार्ट बहोत साधारण सा था लेकिन अगले पार्ट से रूप का रंडी बनने का सफर शुरू हो जाएगा। मेरे साथ बने रहिए, रूप के साथ क्या क्या होता है इसकी शुरुआत अगले पार्ट से होगी।