बदला हवस का

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बदला हवस का.
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नमस्कार दोस्तों मैं मानस पाटिल इस बार हाजिर हु और एक सच्ची घटना लेके, जो मेरे जिंदगी की शतप्रतिशत सच्ची कहानी है और इस कहानी का मूल भाग आप मेरे पिछले कहानियों में पढ़ चुके है. हलाकि इस की पहले की कहानिया मैंने लिखी जरूर है पर शब्द और कहानी के बोल ममता थे और कहानी के इस आखरी भाग में ममता के कहने पर मैं अपनी ज़ुबान से लिख रहा हूँ.

जैसे की आपने ने मेरे पिछली कहानी में पढ़ा की कैसे ममता उसके होनेवाले दामाद आरव के साथ हमबिस्तर हो गयी और जिसका पता उसकी बेटी रत्ना को चला तो उसने पूरा घर सर पर उठा लिया। ये तो होना ही था, कौन लड़की अपनी माँ की ऐसी हरकत बर्दाश कर लेगी की उसकी सगी माँ ने उसके होनेवाले दामाद से अपनी चुत चुदवा ली जब उसकी बेटी शराब के नशे में बेहोश थी. जैसे ममता ने बताया मैं कर्मचारी होने के कारन हमेशा दौरे पर रहता था, ममता और मेरी उम्र लगभग एक होने की वजह से हम जल्द ही दोस्त बन चुके थे और मैंने मेरे बीवी के देहवसान के बाद पहली बार किसी औरत से रतक्रीड़ा में शामिल हुवा था.

ममता को इज्जत देकर उसको मैंने मेरे बीवी का दर्जा दिया था पर वो मेरे प्यार के, विश्वास के क़ाबिल नहीं निकली, साली २ कौड़ी की बाजारू रांड अपने ही दामाद से चुद गयी वो भी अपनी बेटी के सामने. उस दिन ममता के घर में मातम का माहौल था, पर मैं ५ दिन के दौरे पर होने के कारण मुझे इस बात की भनक नहीं थी, ममता और उसकी बेटी रत्ना के बिच में एक दिवार सी बन चुकी थी और इस घटना के २ दिन बाद जब मैं दौरे पर था मुझे रत्ना की कॉल आ गयी... पहले तो उसने मेरा हालचाल पूछा और बाद में उसने जो बताया वो सुनके मेरे गुस्से का ठिकाना नहीं रहा. पुरे कॉल पर बेचारी रत्ना रो रो कर अपना हाल बता रही थी और मैं यहाँ गुस्से में पागल होकर ममता को गाली दे रहा था.

मैंने इस पुरे कॉल पर एक बात गौर की, जब भी मैं ममता को गाली देता तो रत्ना को ख़ुशी हो रही ही अपनी माँ के बारे में रंडी, भोसड़ीकी, छिनाल, मादरचोद जैसी गलियां मेरे मुँह से सुनके उसको एक अलग सुकून मिल रहा था. कॉल ख़तम करने ने पहले रत्ना ने मुझे कहा, "चाचा जी मैं माँ को कभी माफ़ नहीं करुँगी ऐसी माँ जिसने मुझ से मेरा सुहाग छीन लिया, और उनको इस बात की सजा जरूर मिलनी चाहिए, अब आप ही बताओ मैं क्या करू?". रत्ना को शांत करते हुए मैं उससे कहा, "मुझे आने में अब भी ३ दिन बाकी है बेटी तब तक तुम मेरे घर में रहो, और ममता को लगने दो की तुम उसको छोड़ के जा चुकी हो". वैसे भी मेरे घर की एक चाबी हमेशा रत्ना के और ममता के पास हुवा करती है, ममता से दुखी रत्ना ने भी मेरा कहा मान कर मेरे घर में रेहन के लिए हाँ कर दी.

जैसे तैसे मैंने ३ दिन पुरे किये, इन दिनों में मेरी रत्ना से लगातार बात हो रही थी और हर बार उसकी बातों में ममता और आरव के ऊपर का गुस्सा मुझे महसूस हो रहा था. आख़िरकार में मेरा दौरा पूरा करके दिल्ली से लौटा, रात के लगभग १२ बज चुके थे और पुरे बिल्डिंग में आदमीं छोड़ो कुत्ता भी सो रहे थे. जैसे ही मैंने घर में कदम रखा तो मुझे पता चला की रत्ना अब भी जग रही है, रो रो कर उसकी आँखों के निचे काला रंग चढ़ चूका था और बेचारी तकिये को अपनी बाँहों में भर के हलके हलके रो रही थी. मेरे आने की आवाज से रत्ना भाग के मेरे पास आयी और जोर से मुझे गले लगते हुए फ़ुट फ़ुट कर रोने लगी, रत्ना के बालों पर हाथ घुमाते हुए मैं उसको शांत करने लगा. मुझे उसकी हालत देख कर ही पता चला की उसके दो तीन से ठीक से ना खाना खाया है और ना वो नहायी है, मैंने उसको शांत करते हुए मेरे बगल मैं बिठाया.

रत्ना के शांत होते ही मैंने मैग्गी के पैकेट निकाल के झटपट बननेवाले नूडल्स बना दिए, रत्ना को नूडल्स मैंने अपने हाथ से खिलाये ताकि उसको लगे की उसका ध्यान रखने वाला और उससे प्यार करने वाला और भी कोई है इस दुनिआ में. खाना खाते ही मैंने उसको नहाने के लिए भेज दिया और खुद नूडल्स खाते हुए व्हिस्की की बोतल से दारु अपने गिलास में भर के अपना पेट भरने लगा. मेरा खाना ख़तम हो ही रहा था की १०-१५ मिनिट के बाद रत्ना नहाके बाहर आ गयी, अपने बदन को तौलिये में लपेट कर आती रत्ना को देख मेरे आँखों में चमक आ गयी. आआह्ह्ह्हह क्या बदन है इस लड़की का, तौलिये के ऊपर से भी रत्ना के उभार साफ़ झलक रहे थे, उसकी फूली हुई चूँचिया, मांसल पिंडली और नंगे हाथ देख कर मेरे अंदर का मर्द जाग गया.

रत्ना मेरे पास आकर बोली, "क्यों चाचा अकेले अकेले पि रहे हो? इस समय तो इसकी सबसे ज़्यादा जरुरत मुझे है.", मैंने बिना कुछ कहे व्हिस्की की बोतल उठायी और उसके सामने रख दी. रत्ना अब मेरे सामने तौलिये में ही बैठ गयी और डायनिंग टेबल पर रखें गिलास को उठाके उसमे शराब भरने लगी, बड़ा सा लार्ज पेग भर कर उसे ने एक ही सास ने पूरा गिलास खली कर दिया। मेरी नजर उसके बदन को नाप रही थी, उसकी आँखों में देख कर मुझे लग रहा था की आज रत्ना का गम मेरे आने से थोड़ा हल्का हो रहा है. फिर भी मेरे तस्सली के लिए मैंने उससे पूछा, "ठीक हो अब रत्ना?". मेरे सवाल का जवाब उसने अपनी गर्दन से हां का इशारा करते हुए दिया, शराब को ख़तम करते ही उसने फिरसे मेरे सामने अपना गिलास आगे किया मानों मुझे बोल रही हो की उसे और शराब पीनी है.

मैंने गुस्से से उसकी तरफ देख के उसे इशारों में ही मना कर दिया, गिलास जोर से टेबल पर पटक के रत्ना बेडरूम की तरह जाने लगी और मैं पीछे से उसकी मटकती गांड जो अब भी तौलिये के अंदर बंद थी उसको आँखे फाड़ कर देख रहा था. मेरा खाना और शराब ख़तम करके मैं बेडरूम की तरफ गया, रत्ना ने अपने कपडे बदल कर बस एक शॉर्ट्स और टीशर्ट पेहेन लिया था. रत्ना पलंग पर दूसरे तरह मुँह करके सो रही थी, उसकी फूली हुई गांड मेरे तरह देख के मुझे कुछ इशारे कर रही थी पर मुझे अपने आप पर क़ाबू पाना था ताकि मैं उसका विश्वास जीत सकूँ. बेडरूम में आके सबसे पहले मैंने बत्ती बुझा दी और नाइट लैंप लगा कर रत्ना के बगल में लेट गया, उसके सर पर हाथ घुमा कर मैं उसको प्यार से सहलाने लगा.

रत्ना अभी सोई नहीं थी, मेरे प्यार भरे सहलाने से उसने मुझे पलट कर देखा और वो मेरे तरफ मुड़ गयी; अपने आप को उसने अब मेरी बाँहों में झोंक दिया और अपना सर मेरे बांए कंधे पर रख दिया. रत्ना का और मेरा बदन अब लगभग चिपक गया था, उसके सीने के उभार मेरे बदन पर दब चुके थे पर मेने ख़ुद को सभांलते हुए मेरे दाए हाथ से उसका सर थपथपाने लगा. रत्ना कुछ देर तो ऐसे ही सोती रही पर उसने अचानक से अपना सर उठाकर मेरी तरफ देखते हए कहा, "चाचाजी, क्यों किया उसने ऐसा मेरे साथ? वो तो माँ है ना मेरी?" और फिर से उसकी आँखों में आंसू छलक आये. मेने उसे शांत करते हुए कहा, "देख बेटा, अब तो जो गलती होनी थी वो हो गयी, पर अब क्या जिंदगी भर तुम ऐसे ममता से ऐसे ही रहोगी? क्या तुम आरव से रिश्ता तोड़ दोगी?". मेरे सवाल पर उसने कुछ देर चुप्पी साध ली और फिर निडर होके बोली, "नहीं चाचा जी, मैं तो आरव से ही शादी करुँगी पर उनके किये की सजा उनको देने के बाद"

पहले तो मुझे समझा नहीं की उसके कहने का क्या अर्थ है? तो मैंने उसकी तरफ सवाल से भरी नजर से देखा और हाथ से इशारा करते हुए कहा, "पर कैसे? क्या सजा दोगी तुम उन दोनों को?". रत्ना अब भी मेरे कंधे पर अपना सर देके लेटी थी, मेरे सवाल का जवाब देने के लिए वो अब बिस्तर पर उठ कर बैठ गयी और उसने जो बात बोली वो सुनके मेरे अंदर आनंद, गुस्सा, और आश्चर्य ऐसे तीनों भाव एक साथ फुट पड़े.

रत्ना: "देखों चाचा मुझे पता है आपके और माँ के बिच में क्या चल रहा है, पर अब मैं उसको दिखाउंगी की उसके मर्द के साथ कोई परायी औरत चुदवा ले तो कैसे लगता है और आरव को भी पता चले की उसकी बीवी अगर पराये मर्द के निचे सो जाए तो कैसे लगता है."

इतना सब एक ही सास में बोल कर रत्ना मेरे तरफ देखने लगी, मैं गुस्से में बोल पड़ा, "क्या बक़वास कर रही हो? ममता और आरव के सामने तुम किसी पराये मर्द से? नहीं मैं तुमको ऐसे करने नहीं दूंगा." मेरा गुस्सा देख रत्ना बोली, "ठीक है फिर मैं कल ही ज़हर खा के जान दे देती हूँ फिर आप सब ख़ुशी से रहना, एक बस आपसे उम्मीद थी की आप मुझे समझोगे पर लगता है अब मुझे समझनेवाला यहाँ कोई नहीं है." इतना बोलकर रत्ना बिस्तर से निचे उतर गयी और कमरे के बाहर जाने लगी, मैं भी झट से उठके उसका हाथ पकड़ लिया और उसे फिरसे कमरे के अंदर ला कर बेड पर बिठाया.

मैं: देख बेटा, ये गलत है. किसी पराये मर्द से अपने घर की इज्जत ऐसे बर्बाद करवाना गलत है. तुम एक बार फिरसे सोच लो इस बारे में...

रत्ना: चाचा जी ३ दिन से वही कर रही हूँ, सोच सोच कर मेरा दिमाख फटा जा रहा है. आप सही गलत मुझे क्या समझा रहे है? गलत तो उन दोनों ने किया है ना? सजा उनको मिलनी चाहिए मुझे नहीं.

मैं: पर बेटी ये बात तो घर के अंदर की है, किसी बाहरवाले से ऐसा करवाना और वो भी अपने माँ से बदला लेने के लिए? क्या ये सही है? क्या इससे तुम्हारी और तुम्हारे माँ की इज्जत पर दाग नहीं लगेगा?

रत्ना: मैं कहा किसी बाहरवाले से करवाने जा रही हूँ, मैं उन दोनों के सामने सेक्स करुँगी वो आदमी कोई और नहीं आप ही है मानस चाचा.

उसके ये आखरीवाला संवाद सुनके मुझे मेरे कानो पर विश्वास नहीं हुवा, वैसे तो मैं रत्ना का जवान बदन भोगने के लिए तैयार था पर ममता के सामने? नहीं मेरा दिल इस बात को मान नहीं रहा था. मेरी ख़ामोशी को मेरा इंकार समझ कर रत्ना बोली, "क्यों, आपको नहीं आया ग़ुस्सा? क्या आपको ये सुनके बुरा नहीं लगा था उस दिन जब मैंने बताया था की कैसे आपकी ममता ने आपकी ग़ैरमौजूदगी में किसी और मर्द से अपने हवस को ठंडा किया था? उस दिन तो बड़ा ग़ुस्सा आ रहा था आपको? अब क्या हुवा?". मैं बस चुपचाप उसकी बातें सुन रहा था, वैसे वो जो भी बोल रही थी वो भी सच था. मेरे पत्नी के गुजरने के १० के बाद भी मैंने कभी किसी अन्य महिला को छुवा नहीं था, ममता को मैंने मेरे बीवी का दर्जा दिया था और पिछले २-३ सालों में उसके हर सुख दुःख के समय मैं ममता के साथ खड़ा था, बिलकुल एक पति की तरह.

रत्ना की बातों में सच्चाई थी जो मुझे ममता के ऊपर मेरे क्रोध को बढ़ा ने क़ामयाब हो रही थी, रत्ना को बिस्तर पर बिठाके मैं उसके साथ बात करते करते उसके सामने घुटनो पर खड़ा था. उसकी बातों को ध्यान से सोचते हुए देख उसने अपना चेहरा मेरी तरफ किया और बोली, "देखो चाचा, जो भी होगा बस एक बार होगा, और भी अगर उन दोनों को अपनी गलती की सज़ा मंजूर होगी तो वरना मैं हमेशा हमेशा के लिए यहाँ से कही दूर चली जाउंगी." मैं बस उसकी बातों को सुन रहा था, उसका हर एक शब्द मेरे दिमाख की सोचने की क्षमता को कम कर रहा था, उस लड़की के बोल अब मेरे अंदर भी क्रोध और प्रतिषोध की भावना जगा रहे थे..

रत्ना: बोलो चाचा, दोगे मेरा साथ? मुझे मेरे पति से बदला लेना है, उसको एहसास दिलाना है की जब उसकी बीवी किसी और से चुदवाती है तो कैसे लगता है.

रत्ना के मुँह से सेक्स, चुदाई, चुदवाना जैसे अश्लील और कामुक भाषा को सुनके मेरे अंदर भी अब वही भावना पनपने लगी और जो धोका ममता ने मेरे साथ किया था उसका गुस्सा भी. सच कहूं तो मुझे कोई इसमें तकलीफ नहीं थी पर मैं इस बात की पुष्टि रत्ना से करना चाह रहा था, रत्ना की आँखों में देख मैं भी कहा, "अगर तुमको आरव से बदला लेना है तो मुझे भी ममता को सबक सीखना है." मेरे इस बात से उसके आँख में चमक आ गयी, मेरे गले लग कर वो बोली, "ठीक है चाचा मैं कल ही आरव से और आपकी ममता से बात कर लुंगी." मेरे गाल पर चुम्मा देकर उसने जान बुझके मुझे कसके गले लगाया, रत्ना का बदन भरा हुआ था लगभग ३६ इंच की दुधारू चूँचिया मेरे छाती में दबी तो मेरे लौड़े ने भी सर उठाके रत्ना के पेट पर धड़क दे दी.

शायद रत्ना को भी मेरे लंड के बढ़ते आकार का आभास हो गया और उसने मेरी बाहों में रहकर ही अपनी गर्दन ऊपर उठायी और बोली, "क्यों चाचा, आज ही मजे लेने है क्या, देखो आपका वो कैसे मेरे पेट में चुभ रहा है." उसकी ऐसी खुली बातों पर मैंने भी उसे आँख मरते हुए कहा, "अरे अगर इतनी सेक्सी लड़की किसी मर्द के बाँहों में हो तो कौन मना करेगा?" रत्ना वैसे नए ज़माने की लड़की थी, उसके विचार और भाषा दोनों खुली थी और मेरे बातों से खुलापन देख के उसने बिधास्त मेरे लौड़े को मेरे पैजामे के ऊपर से पकड़ा और उसे सहलाने लगी. मेरी आँखों में देख रत्ना मेरे लौड़े को सेहला रही और मैं उस कोमल हाथ का अनुभव करते हुए रत्ना को मेरे बाहों में और कसकर बोला, "ये ऊपर ऊपर से क्या कर रही हो, जरा भीतर से देखो अगर पसंद आये तो ले लेना?"

रत्ना भी बेशरमी से बोली, "इसको उसी दिन देख लिया था जब आप मेरे मम्मी को रंडी बनाके चोद रहे थे, आपको क्या लगता है मुझे नही पता की आप हर दूसरे दिन मम्मी को पूरी नंगी करके मेरे ही घर में चोदते हो?" रत्ना को बाँहों में भर के अब मेरा हाथ उसके गदराये चूतड़ों पर लाते हुए मैं उन मांसल गांड के गुब्बारों को मसलना चालू किया, रत्ना ने भी बिना कोई शर्म किये, उसका हाथ मेरे पैजामे के अंदर घुसा दिया. मेरे लौड़े को अपनी मुट्ठी में भरते हुए वो उसे प्यार से सहलाने लगी, अचानक से मेरी कैद से निकल कर अब वो जमीं पर अपने घुटनों पर बैठी और झट से मेरा पैजामा निचे खिंच लिया. मेरा लौड़ा आधा मेरे कच्छे में और आधा कच्छे से बाहर था, कच्छे की क़ैद से निकालने के लिए रत्ना ने मेरे कच्छे को भी झट से निचे सरका दिया. मेरा लौड़ा खड़ा हो रहा था पर अब भी उसमे पूरा कड़ापन नहीं थी, मेरे लौड़े को अपने हाथ में लेके वो उसको सहलाने लगी और बोली, "क्या बात है चाचा जी, लगता है आपने माँ को ज़न्नत दिखा ही दी?"

इतना बोलते ही उसने मेरा लौड़ा पाने मुँह में ले लिया, उसके गरम मुँह में जाके मेरे लंड ने अपनी औकात दिखानी चालू किया और मैंने भी उसके सवाल का जवाब देते कहा, "उस रंडी को बहोत कुछ दिया मैंने पर उस छिनाल ने अपना मुँह काला कर लिया ना? आज तुझे भी दिखाता हूँ रत्ना, कैसे तेरे उस रांड माँ को मेरे लौड़े से पटक पटक कर चोदा है मैंने." मेरे लंड को अपने मुँह से बाहर निकालते हुए रत्ना बोली, "वही तो करवाना है आपसे, आज मेरी चुत ऐसे फाड़ दो की इसके बाद उस कुत्ते आरव का लंड मेरे चुत में आसानी से घुस जाए...चिर के रख दो मेरी चुत, क्या मस्त लौड़ा है तेरा मेरे चाचा..." वापिस मेरे लौड़े को मुँह में लेके चुसनेवाली रत्ना को अब मैंने हुकुम किया, तो फिर तुझे मेरी गुलाम बनाना होगा, तेरे मालिक का हर हुकुम मानना होगा बोलो, क्या तुम तैयार हो मेरी गुलामी करने के लिए?

मेरा लौड़ा मुँह में रख कर ही उसने मेरी आँखों में देख के हां का इशारा किया, उसका इशारा समझते ही मैंने रत्ना के बाल खींचे और उसको घसीटते हुए बिस्तर पर पटक दिया, "ले फिर मेरे रंडी की औलाद, आज तुझे ऐसे चोदुँगा की तेरे चुत का भोसड़ा बना दूंगा". रत्ना को बिस्तर पर पटक कर मैंने उसका टीशर्ट उसके गले के ऊपर से पकड़ा और पूरा जोर लगा कर उसे फाड़ दिया, रत्ना के गुब्बारे काले रंग की ब्रा में कैद थे और उस गुलाबी कबूतरों को देख मेरे अंदर का जानवर पूरा हैवान बन गया. रत्ना के चूँचियों के बिच हाथ डालके मैंने उसकी ब्रा भी जोर से खिंच दी तो उसके हुक टूटने की आवाज के साथ रत्ना के चींखने की आवाज भी कमरे में गूंज उठी.

रत्ना के कपडे फाड़ कर मैंने उसे आधी नंगी कर दिया, उसके सीन को धक्का देकर रत्ना को बिस्तर पर लिटा दिया और उसके पैर खिंच के मैंने मेरा हाथ उसके शॉर्ट्स के ऊपरी हिस्से पर जमा दिया. रत्ना को जैसे पता चला तो उसने खुद अपनी गांड ऊपर उठा ली ताकि मैं उसकी शॉर्ट्स निकाल सकु, मेरा हाथ अब उसकी शॉर्ट्स और चड्डी को पकड़ कर निचे आने लगा और रत्ना कुछ ही पल में मेरे सामने नंगी हो गयी. वहहहह क्या भरा हुवा बदन था साली का, छाती के गुब्बारे बिलकुल सख्त थे उनपर फूली हुई चुचुक हलके गेहूंवे रंग की थी और उसकी पतली कमर पर चरबी का नामोनिशान नहीं थी. चुत पर हलके हलके बाल थे जैसे कुछ ही दिन पहले उसने अपनी फुद्दी चमका दी थी, चुत के आसपास का परिसर कोमल और नरमा नरम दिखाई दे रहा था और बिस्तर पर रखी गांड दबने से उसके चुत्तड़ बाहर की तरफ आ गए थे...

ममता का दूसरा नंगा रूप देख कर पता चल रहा था की ये रंडी भी ममता के चुत से ही निकली है, जैसे इसकी माँ थी वैसे ये भी जवानी ने भरी थी, रत्ना को नंगी करके मैं अब बिस्तर पर चढ़ गया. मेरे बदन पर सिर्फ एक हलकी बनियान थी जिसे उतार कर मैं भी उसके सामने नंगा हो गया, रत्ना के चूसने से मेरा लौड़ा पूरा तन कर उसके मुँह के सामने लहरा रहा था. अब हाल ये था की रत्ना बिस्तर पर नंगी बैठि थी और मैं बिस्तर पर खड़ा होके मेरा लौड़ा उसके मुँह के करीब लेकर जा रहा था, उसने भी मेरा लौड़ा पकड़ कर अपने मुँह में भर लिया और वासना के आग में झुलस रही मादी की तरह वो मेरा लंड फिर से चूसने लगी.

रत्ना के खुले बाल मेरे मुट्ठी में भरके में अब मेरी कमर आगे पीछे करते हुए उसका मुँह चोदने लगा और उसकी लार से मेरा लंड गिला हो रहा था. एक हाथ से उसके बाल और दूसरे हाथ से मैंने मेरा लौड़ा पकड़ रखा था, अपने हाथ से लंड को रत्ना के मुँह में दबा कर ठूस दिया और अब लंड रत्ना के गले तक घुस चूका था. उसकी आँखों से निकलता पानी और मुँह से निकलती आवाजें सुनकर मुझे अब मजा आ रहा था, ममता के ऊपर जो गुस्सा था वो अब मैं उसके बेटी पर निकाल रहा था. "ले मादरचोद रंडी साली, चूस तेरे माँ के यार का लौड़ा हरामी कुत्तिया, आज देख कैसे तेरे चुत और गांड का भोसड़ा बना देता हु..." बोलके मैंने रत्ना का मुँह जोर जोर से चोदना जारी रखा. उसने भी कोई शिकायत किये बिना मेरे लौड़े को अपने मुँह में घुसने दिया, अपनी जबान बाहर निकाल के किसी सड़कछाप कुत्तिया की तरह मेरे लौड़े को चूस और चाट रही थी.

कुछ देर खड़े खड़े उसका मुँह चोदने के बाद मैंने रत्न के बाल खींच कर उसको बिस्तर पर लिटाया, उसका मुँह अब बिस्तर के बाहर लटक रहा था तो उसका नंगा शरीर बिस्तर पर था. मैं खुद अब बिस्तर से निचे उतर कर उसके मुँह के पास गया और बोला, "मुँह खोल रंडी की औलाद", जैसे ही रत्ना ने अपना मुँह खोला मैंने एक ही झटके में मेरा पूरा लौड़ा उसके मुँह में भर दिया और सके ३६इंच के बोबे पकड़ कर रत्ना का मुँह चोदने लगा. रत्ना की नरम नरम मांसल दूध मेरे मुट्ठी में भरके मैं उनको जोर जोर से निचोड़ने लगा, वो भी अपनी माँ की तरह गोरी थी और मेरे कठोर हाथ के मसलने के निशान अब उसके चूँचियो को लाल कर रहे थे. रत्ना की आँखों से लगातार पानी बह रहा था, उसकी सास उखड़ी हुई थी पर मुझे उसकी कोई फ़िकर नहीं थी मैं तो बस अपनी ही धुन में मेरे लौड़े से उसका मुँह चोद रहा था.

गौकककक.... गौकककक और चौकक....चौकक.... की आवाजें बता रही थी की उसके गले में घुसने वाला मेरा लंड उसके थूक से सना हुवा है, लंड की नसें फूल कर साफ़ दिखाई दे रही थी और काला डंडा उसके थूक से चमक रहा था. रत्ना के कमसिन बदन को नौचने के ख़याल से ही मेरा बदन तप रहा था, उसके मम्मे निचोड़ ते हुए अब मैं उन पर थप्पड़ भी मार रहा था, उनकी फूली हुई निप्पल्स को उँगलियों में भरके जोर से मरोड़ देता. जैसे ही उसकी निप्पल में जोर से मरोड़ था तो वो मेरे जांघों पर हाथ रख के मुझे रोकने का प्रयास करती, पर मुझे रोकने की ताकत उस कमसिन बच्ची में नहीं थी वो तो बस खुद को कसाई के हवाले कर चुकी थी. बिस्तर पर नंगी लेती रत्ना का मुँह चोदते हुए अब मेरा ध्यान उसके चुत की तरह गया, उसकी जांघों के बिच बानी एक लक़ीर थोड़ी गीली दिखाई दे रही थी.

मेरा बाया हाथ मैंने उसके बोबे से हटाके अब उसके चुत पर ले गया और मेरी बिच की उंगलीसे उस लक़ीर को सहलाया, एक दबी दबी सी सिसकी रत्ना के मुँह से निकली तो मुझे पता चला की इसको मजा आने लगा है. धीरे धीरे उसकी फुद्दी ऊँगली से रगड़ते हुए मैं अचानक मेरी ऊँगली उस लक़ीर के छेद में घुसा दी, क्या गरम चुत थी इस रंडी की और गीली भी, फुद्दी से निकलता पानी मेरे ऊँगली को गिला करने लगा था. रत्ना के मुँह में अंदर बाहर करने वाला मेरे लंड की गति अब थोड़ी धीमी कर के मैंने मेरा ध्यान अब उस फुद्दी पर लगा दिया, धीरे धीरे मेरे उंगलीसे अब में उस बच्ची की फुद्दी को चोदने लगा और रत्ना मेरे इस हमलसे तड़पने लगी. खुद की गांड ऊपर करते हुए उसने मुझे इशारा किया की उसको भी चुत मालिश का मजा आ रहा है, मैंने उसके मज़े को और बढ़ाने के लिए मेरी दूसरी ऊँगली भी उस छेद में सरका दी.

मेरे २ उंगलियों की मालिश से उसने अब मेरा लैंड मुँह से बाहर निकाला और जोर जोर से गुर्राने लगी, "आह्ह्ह्हह ऊऊऊह्हम्म्म्म चाचा जोर जोर से रगड़ो इस रंडी को आअह्ह्ह्ह मम्मीईईईई आआआ फाड् दे चाचा मेरी भोसड़ी भेंछोड़ड़ड़ड़ड़". मेरा लंड मुँह से निकला तो रत्ना का मुँह अब मेरी जांघों के निचे आ गया, मेरे गांड का छेद उसके मुँह के १ इंच की दुरी पर था और रत्ना के मुँह से निकलती गरम हवाएं मुझे मेरे उस संवेदशील जगह पर महसूस हो रही थी. रत्ना का सर एक हाथ से मैं थोड़ा ऊपर उठाया और मेरे गांड में घुसा दिया, उसकी चुत को जोर जोर रगड़ते हुए मैं बोला, "हां बहनचोद आज फाड़ ही दूंगा तेरी भोसड़ी कुत्तिया, ले रंडी चूस मेरी गांड मादरचोद खाजा तेरे मालिक की गांड को, चाट मेरे गांड का पसीना हरामी छिनाल". मेरा आदेश मिलते ही रत्ना ने अपने हाथ ऊपर करके मेरे गांड को पकड़ा और मेरे गांड को खोलते हुए उसकी जबान से मेरी गांड का छेद चाटने लगी....

२४-२५ साल की जवान लड़की की जबान से गांड चटवाने का सुख़ मिलते ही मेरी आँखे बंद हो गयी, मेरी २ उंगलिया उसके फुद्दी में घुसाकर मैं बस गांड चटवाने का मजा लेता रहा. चुत की मालिश रुकने से रत्ना को शायद मजा नहीं आया तो उसने ख़ुद अपनी कमर उठाकर मुझे मेरे काम की याद दिला दी, मुझे भी अब उसकी फुद्दी का रस चूसने का दिल कर रहा था. रत्ना के मुँह से मेरी गांड हटाके मैंने उसको बिस्तर पर सीधा किया और 69 की दिशा में आते हुए मैंने रत्ना को अब मेरे ऊपर ले लिया, हाल ये था की अब रत्ना की फुद्दी और गांड मेरे मुँह की तरह थी तो मेरा लौड़ा उसके मुँह की तरह. भरा हुवा नरम नरम शरीर मेरे शरीर पर चिपका हुवा था, रत्ना की चूँचिया मेरे पेट में धसी जा थी और लौड़े का सूपड़ा उसके मुँह में २ इंच दुरी पर था.

लंड खुशबु जरूर रत्ना की नाक में घुसी होगी इसीलिए उसने फिर से मेरा लौड़ा पकड़ कर हिलाना चालू किया और मैंने भी मेरी जबान रत्ना की भोसड़ी में घुसा दी. नमकीन खारा पानी अब मेरे जीभ पर छाने लगा, उस पकोड़ी की तरफ फूली चुत को मैंने पूरा मेरे मुँह में भर लिया और जानवर की तरह उसकी पूरी चुत खाने लगा. चुत का दाना मेरे दाँतों से काटते हुए मेरी जीभ पूरी तरह उसके भोसड़े में घुस चुकी थी, लौड़े को चूसते चूसते अब रत्ना मेरे काले गोटे भी मुँह में लेके चूसने लगी. मेरे दोनों हाथ से मैंने उसकी गदरायी गांड को फैलाके रखा था ताकि मेरा मुँह उसकी फुद्दी तक आराम से घुस सके, उसके गांड का छेद काला था पर मुझे अब उस गांड को चूसने का मन अधिक हो रहा था.

जैसे जैसे मैं उसकी चुत काट काट कर खाने लगा वैसे वैसे रत्ना की चींखे निकलने लगी, खुद अपनी गांड मेरे मुँह पर दबाके वो जोर जोर से अपनी कमर हिलाने लगती. मेरे लौड़े को छोड़ अब वो मेरे गोटों को और उसके आजूबाजूवाला भाग अपनी जीभ से चाटने लगी, उस आनंद में मैंने मेरी टाँगे थोड़ी फैलादी ताकि उसको मेरे गांड का छेद ख़ुला मिल जाए. हुवा भी वैसे ही, इस रंडी रत्ना ने अपनी गर्दन निचे करके अपनी जीभ मेरे गांड के छेद पर घिसनी चालु की और अब सिसकने की और आहें भरने की बारी मेरी थी. मैं भी किसी औरत की तरह मेरी कमर उठाके मेरी गांड रत्ना के मुँह में देने लगा तभी रत्ना गर्दन उठाके बोली, "मेरी भी गांड चाट ले चाचा बड़ी खुजली लगी है बहनचोद इसमें, काट दे मेरे गांड का छेद कुत्ते, खाजा तेरे बेटी की गांड भोसड़ीके"

रत्ना की भाषा से मुझे महसूस हुवा की वो वासना से पागल हो चुकी है, वजह २ थी एक तो आरव से झगड़ा और पिछले ४ दिनों से वो किसी से नहीं चुदी थी बस रो रो कर अपना हाल ख़राब कर दिया था. पर अब मेरे साथ संभोग करने के लिए उसकी जवानी भड़क कर शोला बन चुकी थी, किसी धन्देवाली औरत की तरह गाली देते हुए वो मेरी गांड और टट्टे चूस रही थी. कभी एक, कभी पुरे दोनों गोटों को मुँह में लेके चूसते हुए वो पूरी जीभ मेरे गांड के छेद में डालने का प्रयास करती और मैंने भी गांड ढ़ीली छोड़ने के कारण उसकी २-३ इंच की जीभ मेरे गांड में घुसके मुझे असीम आनंद दे रही थी. रत्ना की गांड के गुब्बारे मैं मेरे हाथोंसे मसल मसल कर उस पर जोर जोर से थप्पड़ मार रहा था, चुत के लब काट काट कर ऐसे चूस रहा था की उस रंडी की चुत ऐसे लाल हो चुकी थी की अभी उसमे से खून निकल जाएगा, रत्ना की गांड का छेद भी मेरे जीभ से सेहला रहा था और नुकीली जीभ का टोक रत्ना की गांड में घुसाके उसके गांड का स्वाद ले रहा था.

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