एक नौजवान के कारनामे 064

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सुपर संडे-मानवी.
1.8k words
5
321
00

Part 64 of the 278 part series

Updated 04/23/2024
Created 04/20/2021
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पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे

CHAPTER-5

रुपाली-मेरी पड़ोसन

PART-28

सुपर संडे-मानवी

मैंने भाभी का हाथ लंड पर दबाते हुए जवाब दिया, "आपका ये दीवाना आपके बिना नहीं रह सकता और ये मैं आपके दिखा सकता हूँ।"

"ओह, तो फिर मुझे जल्दी से दिखाओ," भाभी की बड़ी-बड़ी सुंदर उज्ज्वल आंखों में देखने से मुझे निर्देश दिया की अब भाभी मेरा लंड देखना चाहती है और साथ में उसने मेरी पंत के ऊपर से लंड पर हाथ फेरते हुए ज़िप खोल दी।

मैंने उसे हाथ पेण्ट के अंदर ले जाने दिया और उसके सुंदर स्तनों को अपनी छाती पर दबाते हुए, मेरा मुँह उसके से चिपक गया और उसे हर्षातिरेक से चूमा।

भाभी ने मेरे इस गहरे चुम्बन का कोई प्रतिरोध नहीं किया बल्कि मुझे प्यार से वापस चूमने लगी और उसके हाथ ने मेरे लंड को मेरे अंडरवियर के अंदर जा कर सहलाया।

उधर मेरे हाथो ने भाभी की चोली की डोरिया खोल कर उसके स्तनों को आज़ाद कर दिया । उस दिन भाभी ने ब्रा नहीं पहनी हुई थी और उसके स्तनों को मैं सहलाने लगा और उसके निप्पल खींचने लगा।

फिर बिना किसी विरोध के मैंने अपना हाथ सुंदर मानवी भाभी के पैरो के पास से पेटीकोट के अंदर डाल कर उसकी टांगो को सहलाते हुए मेंरी भटकती उंगलियाँ अब उसकी जवान जाँघों के कोमल और गुदगुदे मांस को छू गईं। मानवी भाभी की साँसें तेज़ और तेज़ हो गईं, हालाँकि उन्हें लगा कि मैंने ये थोड़ा जल्दी ही उनके आकर्षण पर हमला कर दिया है परन्तु वह विरोध करने के स्थान पर इसका स्पष्ट रूप से रोमांचक आनंद ले रही थी।

मैं अपनी उंगलिया उसकी योनि के पास ले गया ।उस दिन भाभी ने पैंटी भी नहीं पहनी हुई थी... जब मैंने हाथ योनि के आस पास लगाया तो उसकी योनि बिलकुल चिकनी थी और बी अभी बोली आज ही साफ़ की है तुम्हारे लिएl

"काका! मनवी भाभी फुसफुसायी," आप इसे छु सकते हैं। "

मुझे अब और निमंत्रण की आवश्यकता नहीं थी, वास्तव में मैं पहले से ही आगे बढ़ने की तैयारी कर रहा था और तुरंत अनुमति को ध्यान में रखते हुए, मैंने अपनी उंगलियों को आगे बढ़ाया।

मैंने जैसे ही भाभी की जांघें खोलीं और अगले ही पल मेरे हाथ ने उनके सुंदर चिकनी योनि के नाज़ुक गुलाबी होंठों को ढक दिया।

अगले दस मिनट तक हम लगभग स्थिर बने रहे, हमारे होंठ जुड़े रहे और हमने सांस लेते हुए उन संवेदनाओं को महसूस किया जिनका हम पर नशा का नशा चढ़ा हुआ था। मुझे एक नाज़ुक अंग महसूस हुआ जो मेरे द्वारा छेड़े जाने पर कड़ा हो गया।

मानवी भाभी ने आनंद में अपनी आँखें बंद कर लीं, वह थोडा थरथरायी और अपना सिर पीछे की और फेंकते हुए मेरी बाँह पर टिका दिया। "ओह, काका," वह बड़बड़ायी, "यह आप क्या कर रहे हैं? ऐसे करने से आपको कौन-सी रमणीय संवेदनाएँ मिलती हैं।"

इस बीच वह निष्क्रिय नहीं थी, लेकिन मैंने उसे जिस विवश स्थिति में कर दिया था उसमे भी वह मेरे अंडरवियर के अंदर पूरी तरह से खोजबीन कर रही थी, उसकी हाथ पहले मेरी जांघो फिर अंडकोषों पर गए और उसके नरम मुलायम हाथ के संपर्क में आने के कारण मेरा लंड उठ खड़ा हुआ था l

उसके कोमल स्पर्श ने मेरे जोशीले जुनून को बढ़ा दिया और उधर भाभी ने अपना शरीर मेरे सुपुर्द कर दिया था क्योंकि वह जानती थी की मेरी उंगलियों उसे बहुत अधिक ख़ुशी देने में सक्षम है।

मैं उसके स्तनों को एक हाथ से पकड़ कर उसकी चोली से आजाद करते हुए बाहर निकाल लिया और उसे दबा कर सहलाने लगा अगले ही पल मेरे लंड का कड़ापण महसूस करते हुए भाभी ने मेरा अनुकरण किया और लंड को पेण्ट से बाहर निकाल प्रकाश में ला कर सहलाने लगी।

मेरा लंड उस समय पूरा अकड़ा हुआ जिसके शिश्न के ऊपर से त्वचा भाभी के सहलाने से पीछे हो गयी।

और लाल लंडमुंड बाहर आ गया था और फिर उसने इसे दबाया और ज़्यादा करीब से देखने के लिए अपनी तरफ़ झुका लिया।

उत्तेजना से मेरी आँखें चमक उठीं और मेरे हाथ भाभी के खजाने पर मंडराता रहा, जिसे मैंने अपने-अपने कब्जे में ले लिया था।

इस बीच भाभी के द्वारा मेरे लंड की दबाने सहलाने और संपर्क के कारण मेरा लंड बिलकुल लोहे की रोड जैसा गर्म और कठोर हो गया और उधर भाभी भी पूरी गर्म हो गयी थी।

भाभी ने मेरे लंड को मुग्ध हो देखती रही फिर उसे पकड़ कर कोमल दबावों के साथ सहलाया तो लंडमुंड के ऊपर की चमड़ी वापिस आ गयी और उसने लाल लंडमुंड को अपने अंदर छुपा लिया तो फिर बड़े ही कलात्मक तरीके से जैसे विशाल अखरोट को छीलते हैं वैसे ही भाभी ने लंड के ऊपर की सिलवटों को वापस खींच लिया और लंडमुंड को बाहर निकल लिया।

कामोतेजना से रक्त प्रवाह बढ़ने और भाभी के हाथ के दबाब से इकठा हुए रक्त के कारण लंडमुंड अब बैंगनी रंग का हो चूका था और लंडमुंड का छोटा छिद्र अब बड़ा दिखने लगा था जिसमे से थोड़ा से चिकना पदार्थ निकला जिससे मेरी वासना में वृद्धि हुई और उधर भाभी ने मेरे लंड को धीरे-धीरे सहलाते हुए हाथ को लंड के ऊपर नीचे करना जारी रखा, इससे मेरी संवेदनाओं में नए और अजीब परन्तु उत्तेजक और उत्साहपूर्ण बवंडर आ रहे थे।

उसकी सुंदर आँखें आधी बंद होने के साथ, उसके रस भरे होंठ जुदा हो गए और उसकी त्वचा गर्म हो गयी और अनियंत्रित आवेग के साथ चमक रही थी, ये मेरे लिए उचित अवसर था । मुझे पता था मेरे रखा में नियुक्त ईशा और हेमा आस पास ही थे और इस तरफ़ आने वाले किसी भी आगंतुक को वह रोक देंगे इसलिए बेफिक्र होकर मैंने पहले भाभी की साडी उतारी फिर उसके पेटीकोट का नाडा खोल कर उसे मैंने लेटा दिया ।

नंगी होने से वह अब शरमा रही थी और अपना चेहरा मेरी छाती में छुपा लिया। इसी दौरान मैंने मानवी भाभी की चूची को चूसना फिर से चालू कर दिया। भाभी की चूचियाँ अब पत्थर के समान कड़ी हो गयी थीं।

मैंने अपनी उंगलियों के नीचे उसकी जांघो के मध्य उसकी गीली योनि को धड़कती हुई महसूस किया, उत्तेजना से भाभी लेटी हुई भारी-भारी साँसे लेने लगी जिससे उसके शानदार स्तन ऊपर नीचे होने लगे और उसका ऐसा कामुक भावनाओ को भड़काने वाल रूप मेरे सामंने था उसके भरे, मुलायम और चिकनी टाँगे मुझे ललचा रही थी।

फिर मेरा ध्यान भाभी के मनमोहक आकर्षण के केंद्र स्थान उसकी नरम और गुलाबी योनि पर गया जिसने मेरी उत्तेजना को भड़का दिया भाभी की योनि मेरे द्वारा छेड़छाड़ करने के कारण उसकी योनि से निकले सबसे अच्छे और प्राकृतिक मधुर स्नेहक रस के लबालब चिकनी और रसभरी लग रही थी।

मैंने अपना मौका देखा। धीरे से अपने लंड को उसके हाथ की पकड़ से छुड़ाने के लिए, मैं भाभी के ऊपर लेट गया।

मेरी बायीं बाजू भाभी की कमर में डाल कर अपने ओंठो से भाभी के ओंठो को भावुक और लम्बे चुंबन में दबाया। मेरी गर्म सांस उसके गालो को छू रही थी और-और अपने दोनों हाथो से भाभी के सतहों के एक साथ लाकर दबाने लगा जिससे भाभी कामुक आनंद में कराहने लगी। आह!

इस बीच मेरा लंड मानवी भाभी की योनि के द्वार पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए दस्तक देना लगा, भाभी को उम्मीद नहीं थी ये सब आज इतनी जल्दी हो जाएगा इसलिए वह उत्तेजना से स्पष्ट रूप से थरथरा रही थी और साथ-साथ ये सब खुले में होने कारण घबरा भी रही थी ।

मैं निश्चित तौर पर भाभी के इस रूप पर मुग्ध था और अपने इस मौके का पूरा आनंद लेने के लिए अभी काफ़ी कुछ पूरा करना बाक़ी था और मैं उत्सुकता से इसे जल्द ही पूरा करना का भरपूर प्रयास कर रहा था।

भाभी के अंग और स्तन पूर्णता और ताज़गी लिए हुए पूरी तरह से तैयार थे उसकी छोटी योनि रस के लबालब चिकनी और रसभरी थी और मैंने दाए हाथ से लंड को पकड़ा और योनि के द्वार पर लगाया और दबाया और भाभी के नाज़ुक योनि पर प्रवेश करने के लिए के लिए धक्का दिया, पर लंड अंदर नहीं गया ।

फिर मैंने ढेर सारा थूक अपने हाथ में लेकर पहले अपने लंड पर लगाया फिर भाभी की चूत पर लगाया। थूक से सना अपना खड़ा लंड चूत के मुँह पर रखा और धीरे से कमर को आगे बढ़ा कर अपना सुपाड़ा मानवी भाभी की चूत में घुसा दिया और उस के ऊपर चुपचाप पड़ा रहा। थोड़ी देर के बाद जब भाभी नीचे से अपनी कमर हिलाने लगी तो मैंने धीरे-धीरे अपना लंड नीता की चूत में डालना शुरु किया। भाबी का बदन दर्द से कांपने लगा ।

मेरा लंड भाभी की योनि की गुलाबी सिलवटों और छोटे छिद्र में दो इंच अंदर चला गया और भाभी उत्तेजना के रोष में पागल हो गयी मैंने दुबारा ज़ोर लगाया और लंड आगे बढ़ गया मैंने उसके कंधों को पकड़ कर नीचे को दबाया और एक जोरदार शॉट मारा और लंड जड़ तक भाभी की योनि के अंदर चला गया।

आह! भाभी की हलकी-सी आन्नद भरी कराह निकली क्योंकि उसने अपने अंदर मेरे लंड को महसूस किया। मैंने भाभी की एक चूची को अपने मुँह में लेकर जीभ से सहलाना शुरु कर दिया और दूसरी चूची को हाथ से सहलाना शुरु कर दिया। थोड़ी देर बाद भाभी ने नीचे से अपनी कमर को ऊपर नीचे करना शुरु किया।

इसके बाद मैंने बार-बार लंड को योनि के अंदर पहले धीरे-धीरे आगे पीछे किया और फिर तेजी के साथ चुदाई शुरू कर दी।

भाभी ने भी अब जोरदार धक्के देना शुरु किया और जब मेरा लंड उसकी चूत में होता तो भाभी उसे कस कर जकड़ लेती और अपनी चूत को सिकोड़ लेती थी। अब मैं समझ गया कि भाभी को अब मज़ा आने लगा है तो मैं अपनी कमर को ऊपर खींच कर अपना लंड पूरा का पूरा भाभी की चूत से बाहर निकाल लेता, सिर्फ़ अपना सुपाड़ा अन्दर छोड़ देता और फिर ज़ोर दार झटके के साथ अपना लंड उसकी चूत में पेल दे रहा था। मानवी भाभी बुरी तरह मुझ से लिपटी हुई थी और उसने मेरे को अपने हाथ और टाँगों से जकड़ रखा था।

पार्क के उस कोने में भाभी की सिसकारी और उनकी चुदाई की 'फच' 'फच' की आवाज़ गूँज रही थी। भाभी के मुँह से "आह! आह! ओह! ओह! हाँ! हाँ! और ज़ोर से और ज़ोर से! हाँ-हाँ ऐसे ही अपना लंड मेरी चूत में पेलते रहो," बोल रही थी। मैं फ़ुल स्पीड से भाभी की चूत में अपना लंड अन्दर-बाहर करके उसको चोद रहा था और वह बुरी तरह से मुझ से चिपकी हुई थी। इतनी देर से में मानवी भाभी की चूत चोद रहा मैं झड़ने वाला था और मैंने 8-10 काफ़ी जोरदार धक्के लगाये और मेरे लंड से मेरा वीर्य भाभी की चूत में गिरा और समा गया। मेरे झड़ने के साथ ही साथ भाभी की चूत ने भी पानी छोड़ दिया और उसने अपने बाँहों और टाँगों से मेरे को जकड़ लिया। मैं हाँफते हुए मानवी भाभी के ऊपर गिर गया और थोड़ी देर तक हम दोनों ऐसे ही एक दूसरे से चिपके रहे।

कहानी जारी रहेगी

दीपक कुमार

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