एक नौजवान के कारनामे 074

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घायल वृद्ध की अंगूठी.
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Part 74 of the 278 part series

Updated 04/23/2024
Created 04/20/2021
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पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे

VOLUME II

विवाह, यज्ञ और शुद्धिकरन

CHAPTER-1

PART 05

घायल वृद्ध की अंगूठी

​मैंने देखा बूढ़े के होंठ हिल रहे थे पर मुझे कुछ भी समझ नहीं आया । मेरे इंकार के देख वह मरणासन्न घायल बूढ़ा व्यथित हो गया और उसने मुझे फिर से अंगूठी लेने का इशारा किया, इस डर से कि मेरे इंकार के कारण से घायल आदमी को तकलीफ होगी, मैंने उसे ले लिया।

आश्चर्यजनक रूप से जैसे ही मैंने अंगूठी को अपने हाथ में लिया वह मुझे ऊर्जावान लगी और साथ ही उन घायल वृद्ध के हाथो से मेरे अंदर ऊर्जा का संचार होने लगा बिलकुल वैसे ही जैसे प्रातः काल में साधु बाबा के साथ हुआ था और वह पीतल जैसी लगने वाली अंगूठी से ऊर्जा निकलने लगी और सोने की फीकी चमक देने लगी। बूढ़े ने मेरी तर्जनी (index.) उंगली की ओर इशारा किया और धीरे से अपना सिर हिला कर मुझे अंगूठी तर्जनी में पहनने का इशारा किया।

उसे खुश करने के लिए और उसे फिर सेअशांत होने से रोकने के लिए, मैंने धीरे-धीरे उस घायल वृद्ध आदमी के अनुरोध का पालन किया, यह सोचकर कि इस सरल इशारे से क्या नुक़सान हो सकता है और उस अंगूठी को अपनी तर्जनी ऊँगली में पहनने का प्रयास किया, मुझे पूरा विश्वास था कि ये अंगूठी मेरी उंगली पर बहुत छोटी रहेगी।

यह अंगूठी मेरी उंगली पर फिसलती चली गयी और उसकी फीकी चमक से निकलती हुई ऊर्जा से अंगूठी एक नई सोने की अंगूठी की तरह चमक उठी और मेरी ऊँगली पर समायोजित होते हुए आरामदायक फिट हो रही थी । अंगूठी मेरी ऊँगली के पोर से आराम से पार हो गयी और पूरी तरह उंगली में फिट हो गयी। मैंने देखा वह बिलकुल आराम से ऐसे फिट हो गयी थी जैसे वह मेरे लिए ही बनायीं गयी हो।

उस वृद्ध की अपरिचित भाषा जिसे मैं समझ नहीं पा रहा था उसके शब्दों का अर्थ मुझे समझ आने लगा गया, और मैं उसकी भाषा से पूरी तरह परिचित हो गया। अचानक ही मुझे एक ऐसी भाषा समझने आने लगी जिसे मैंने पहले कभी नहीं सुना था। मैंने आँखे बंद कर उसकी तरफ़ ध्यान लगाया तो मुझे अव्वज सुनाई दी जी निश्चित रूप से उस वृद्ध की ही थी।

मेरी सहायता के लिए आने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद, लोगों ने मुझे मरने के लिए छोड़ दिया था। "फिर उसने जारी रखते हुए कहा" ये दुर्घटना आपके मिलने से कुछ घंटे पहले हुई थी, मैं जंगल में लकडिया इकट्ठा कर रहा था जब मेरा पैर जानवरों के लए शिकारियों द्वारा बिछाए गए शिकंजे में फंस गया और मैं एक बड़े खड़े में गिर गया जिससे मेरी टांग टूट गयी और तभी एक बड़े जानवर ने मुझ पर हमला किया जिससे मैं घायल हो गया और खड़े में ही बहुत देर तक लेटा मदद के लिए चिल्लाता रहा लेकिन कोई भी मदद करने के लिए नहीं आया।

फिर मैं किसी तरह से उस गड्डे से बाहर निकला पर चल पाने में बिलकुल असमर्थ था और मुझे लगा अब मेरा अंतिम समय आ गया है।

तभी नर्स वह आयी और उसने उस बोली में घायल वृद्ध से पुछा अब आप कैसे हैं?

वृद्ध ने तो कोई जवाब नहीं दिया पर मैं उसी बोली में बोलाl

"इन्होने अपनी आँखें खोली थीं और ओंठ हिलाये थे लेकिन मुझे कुछ समझ नहीं आया इन्होने कोई बात नहीं की।"

नर्स को अपने कानों पर विश्वास नहीं हुआ, अभी तक मेरी बातचीत से उसे ऐसा नहीं लगा था मैं उसकी भाषा और बोली समझ और बोल सकता हूँ, खासकर जब उत्तर उसकी मातृभाषा में इतनी अच्छी तरह से मेरे द्वारा दिया गया था। नर्स ने फिर उसी भाषा में जवाब दिया। "

मैं शीघ्र ही इन्हे देखने के लिए डॉक्टर को बुलवाती हूँl

फिर उसने मुझे मरीज के साथ अकेला छोड़ दिया और डॉक्टर को ढूँढने चली गयी।

फिर उसने मुझे मरीज के साथ अकेला छोड़ दिया और डॉक्टर को ढूँढने चली गयी।

नर्स के चले जाने के बाद फिर मेरे को आवाज़ आयी, मैंने बूढ़े की ओर देखा लेकिन यह स्पष्ट था कि वह होश में नहीं था और सीधे किसी से बात करने में असमर्थ था। मुझे लगा रहा था कि आवाज़ उस बूढ़े आदमी की है।

वो बजुर्ग फिर बोलने लगा, "मैं बहुत बूढ़ा हो गया हूँ, मैं अब थक गया हूँ और मेरे गुरु ने मुझे यह अंगूठी एक योग्य व्यक्ति को सौंपने का निर्देश दिया था और बताया था जो आदमी जो आपकी जीवन या मृत्यु की आपात स्थिति में आपकी मदद करेगा वही इसका अगला उत्तराधिकारी होगा। मुझे लगता है कि आप इस अंगूठी को पहनने के लिए बिलकुल सही उत्तराधिकारी हैं क्योंकि आप दयालु और मददगार हैं।"

" मुझे आपको सूचित करना है कि अंगूठी की शक्तियाँ लगभग असीमित हैं; यह अपने मालिक को अपने और दूसरों के भाग्य को नियंत्रित करने की शक्ति देता है, जैसे आप मेरी बात समझ रहे हैं वैसे ही आप दुनिया की हर भाषा और बिजली समझ सकेंगे । इसके अतिरिक्त भी आपको इसकी विशेषताएँ और दिव्य शक्तिया धीरे-धीरे पता चलती जाएंगी।

ये अंगूठी अपने मालिक को शारीरिक और मानसिक सभी चीजों पर नियंत्रण करने में सक्षम बनाती है और पहनने वाले को अपने जीवन के समाप्त होने से पहले इस अंगूठी के उत्तराधिकारी की तलाश करनी होगी। आपको इसके बल को नियंत्रित करना सीखना होगा और इस काम में आपके गुरु आपके सहायक होंगे और जैसे वह आपको निर्देशित करे आप वैसे ही करे अन्यथा इस अंगूठी की दिव्य बल आप पर नियंत्रण कर लेगा। इस से आपका शारीरिक और मानसिक बल बढ़ जाएगा।

इस अंगूठी की दिव्य बल कमजोर दिमाग़ पर कब्जा कर लेगा और आपको पूरी तरह से नियंत्रित करे उस से पहले आप इसे नियंत्रित करना सीख ले । इस नियंत्रण को सीखने में भी ये अंगूठी भी आपकी मदद कर सकती है । यदि इसने आपके दिमाग़ पर नियंत्रण करे लिया तो परिणाम न केवल आपके लिए बल्कि सामान्य रूप से दुनिया के लिए क्या होगा ये कोई नहीं जानता। "आवाज़ जारी रही" जैसा कि मैंने कहा है कि मैं अब जीवन से थक गया हूँ और मैंने दुर्घटना के बाद ख़ुद को ठीक करने के लिए अंगूठी की शक्ति का उपयोग नहीं किया बल्कि प्रकृति को अपना काम करने दिया है।

आधुनिक दुनिया मेरे लिए नहीं है, इसके मूल्य अब वे नहीं हैं जिनका मैं हिस्सा बनना चाहता हूँ, लेकिन मैं अपने इस नश्वर शरीर को तब तक नहीं त्याग कर सकता जब तक कि मुझे एक योग्य उत्तराधिकारी नहीं मिल जाता है और यदि आप मेरे बचावकर्ता के रूप में अंगूठी के उपहार को स्वीकार नहीं करते हैं तो मुझे नया उत्तराधिकारी खोजना होगा। यदि आप अंगूठी और उसकी सभी शक्तियों को स्वीकार करते हैं, तो आपको यह समझना होगा कि जब तक आपको इसका योग्य उत्तराधिकारी नहीं मिल जाता तब तक आपको जीवित रहना होगा।

अंगूठी को स्वीकार करने से अंगूठी की असीमित शक्तियाँ केवल आपकी अपनी कल्पना से चलेंगी और मैं आपको कुछ समय तक इस अंगूठी के साथ देखता रहूंगा जब मुझे ये भरोसा हो जाएगा की आप इसके योग्य हैं तभी मैं चैन से मर सकता हूँ। आपको निर्णय यहाँ और अभी करना होगा या आपको इसे स्वीकार करना होगा अन्यथा इस अंगूठी को मुझे वापस करना होगा, चुनाव केवल आपका है और आपको अकेले करना है। अंगूठी की शकतोयो को नियंत्रण करने के लिए आप आपने गुरुदेव की मदद ले सकते हैं और जहाँ तक मैं देख रहा हूँ उन्होंने आपको इसके लिए कुछ शक्तिया प्रदान कर दी हैं।

आप महसूस कर ही रहे हैं इसी अंगूठी के कारण आप मेरी बात समझ पा रहे हैं और ये अंगूठी दुनिया की हर भाषा और हर बोली को समझने की क्षमता प्रदान करती है और किसी को भी सम्बोधित करते समय वे आपके द्वारा बोले गए हर शब्द को तुरंत समझ जाएंगे।

उस बजुर्ग की आवाज़ की इस बात से मेरा दिमाग़ घूम गया और मैंने यह आकलन करने की कोशिश की कि अंगूठी मेरे लिए क्या कर सकती है और मुझ पर कौन-सी जिम्मेदारियाँ आ जाएंगी। मेरी कल्पनाके घोड़े भागने लगे और अधिकांश मनुष्यों की तरह इस तरह की शक्ति के विचार ने मेरे अंगूठी न स्वीकार करने के किसी भी प्रतिरोध पर काबू पा लिया और मुझे इस शक्ति को स्वीकार करने के लिए प्रेरित किया। जैसे ही मेरे मन में निर्णय हो गया, मैंने उसके अंग जहाँ-जहाँ चोट लगी थी वहाँ अपना हाथ फेरा और महर्षि का ध्यान किया और महादेव से उस घायल बूढ़े के स्वस्थ्य लाभ की प्राथना की और देखा वह घायल बूढ़े के चेहरे पर दर्द गायब हो गया और वह सो गया । तभी डॉक्टर आ गया और उसने उसे चेक किया और बोलै अब ये पहले से बेहतर लग रहा है । हम इनके कुछ टेस्ट और कर लेते हैं।

मैंने डॉक्टर से बोला आपकी नर्स शायद इन घायल बूढ़े के समूह को या इनके कबीले को जानती है आप उन्हें इनके बारे में सूचना दे । मैंने इन्हे अपनी थोड़ी दवाये दे दी हैं और उन्हें कुछ कांच की छोटी शीशीया देता हुए कहा ये दवाये आप इन्हे 2-2 घंटो बाद दे-दे । मुझे लगता है ये शीघ्र ही स्वस्थ हो जायेगे। मैं इन्हे जल्द ही दुबारा देखने आऊँगा।

उसके बाद मैं वहाँ से चला आया और जड़ी बूटियों वाले जल से स्नान कर तरो ताज़ा हो गया और उसके बाद मैं भाई महाराज के साथ पूजा अर्चना की और दूध और दही फल फूल और अन्य पूजा सामग्री को अर्पण किया । वही दादा गुरुदेव् महर्षि के आदेश अनुसार गाय को रोटी खिलाई और हवन में अग्नि को निर्देशित सामग्री अपर्ण की।

फिर मैं पूर्वनिर्धारित कार्यक्रम के अनुसार महाराज माताजी और पिताजी के साथ स्पेशल फ्लाइट द्वारा कामरूप (आसाम) के लिए रवाना हो गया ।

कहानी जारी रहेगी

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