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Click here"चार सौ अट्ठानवे... चार सौ निन्यानवे.... पांच सौ..।"- रॉय ने अपनी नंगी गांड़ और पीठ पर बरस रहे कोड़ों की गिनती पूरी की । कोड़े की मार से उसकी पूरी पीठ खूनी लाल रंग की हो चुकी थी। गांड़ पर कुछ खूनी खरोंचें भी आ गईं थी । लेकिन उनकी परवाह किए बिना रॉय ने कहा-,'थैंक्यू मिस्ट्रेस.."
रॉय की तरफ से इस प्रतिक्रिया के बाद सोफिया ने अपना हंटर मेज पर रखा और छत से लटक रही जंजीर में बंधे रॉय को हाथ को आज़ाद किया। जंजीर के निचले हिस्से से रॉय के पैर बंधे हुए थे, जिसे बड़े आराम से अलग करने के बाद सोफ़िया ने आदेश दिया-,"घुटनों पर...।"
रॉय ने अपने जानलेवा दर्द की परवाह किये बिना घुटनों के बल बैठ गया। सोफ़िया ने आज अपना फेवरेट लाल रंग का कैटसूट और लाल रंग के चमड़े के बूट्स पहने थे । सोफ़िया के अगले इशारे के मिलते ही रॉय ने उसके बूट्स को अपनी जीभ से चाटना शुरू कर दिया । रॉय उसके एक बूट को चाट रहा था, और सोफ़िया अपने दूसरे पैर के बूट की हील से रॉय की गांड़ पर लगे हंटर के खूनी निशान को कुचल रही थी। रॉय की कराह निकलने पर सोफ़िया हंसते हुए उसकी गांड़ पर ठोकरें भी मार रही थी। अगले आधे घण्टे तक सोफ़िया के बूट्स चाटने के बाद रॉय उसकी परमिशन से खड़ा हुआ और बेसमेंट से निकलकर ऊपर हॉल में आ गया। उधर सोफ़िया भी अपने बेडरूम की ओर चल पड़ी। रॉय भी हॉल के कोने में बने 'डार्क रूम' में गया और अपनी गांड़ के खूनी घावों पर मलहम लगाकर अपने कपड़े पहनने लगा । आज का ये 'सेशन' कुछ ज्यादा ही दर्दनाक था । पिछले दो महीनों से सोफ़िया का अपॉइंटमेंट उसे नही मिला था, इसलिए उसने लंबे इंतजार के बाद इस 'हार्ड सेशन' को चुना था ।
सोफ़िया बीस मिनट बाद वापस हॉल में आ गयी। उसने अब काले रंग का खूबसूरत से गाउन पहन रखा था। इधर रॉय भी महंगी व्हिस्की पीते हुए बैठा हुआ था।
"आप ठीक हैं मिस्टर रॉय?"-सोफ़िया ने प्यार से पूछा।
"बिल्कुल । काफी समय बाद तुमसे मिलने का मौका मिला ।"-रॉय ने व्हिस्की की घूंट लेकर जवाब दिया ।
"पिछले दो महीने से मैं बहुत बिजी थी मिस्टर रॉय । पैंडोरा आइलैंड पर ग़ुलामों की ट्रेनिंग में बहुत से गुलाम आ गए थे और आप जानते हैं कि पैंडोरा संस्था में बस अनुभवी मिस्ट्रेस ही जा सकती हैं । दो महीनों में तीन सौ से अधिक ग़ुलामों की ट्रेनिंग हुई है और मिस्ट्रेस बस चालीस थीं, इसलिए मैं कोई और अपॉइंटमेंट नहीं ले रही थी। " -सोफ़िया ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया।
"तुम्हारी आज की फीस?"-रॉय ने पूछा ।
"आप जानते हैं मिस्टर रॉय । ऐसे हार्ड सेशन की फीस तीन घण्टे की कुल बारह सौ पाउंड है । "-सोफ़िया ने आगे कहा-"और आपके मामले में कोड़े मारना आसान नही था। पचपन साल की उम्र के किसी गुलाम के नंगे बदन पर हंटर मारने में बहुत कुछ देखना और बचाना पड़ता है ।"
रॉय ने मुस्कुराते हुए अपना फ़ोन निकाला और सोफ़िया के एकाउंट में ऑनलाइन माध्यम से बारह सौ पाउंड ट्रांसफर कर दिए।
"आप लंदन में कब तक हैं मिस्टर रॉय? "-सोफ़िया ने पूछा ।
"अगले तीन दिन तक तो होटल में आराम करूँगा । तब तक हण्टरों की चोट भी नॉर्मल हो जाएगी । उसके बाद इंडिया निकल जाऊंगा।"-रॉय ने अपना प्लान बताया।
"आप मेरे फार्महाउस आइये कल । कुछ उम्रदराज़ बूढ़े ग़ुलामों को मैं कल से ट्रेनिंग दे रही हूं। आप उन ग़ुलामों को स्टडी करके काफी कुछ सीख पाएंगे।"-सोफ़िया ने रॉय को आमंत्रण दिया ।
"बिल्कुल । मुझे खुशी होगी । अब मैं चलता हूँ। कल बिल्कुल समय से फार्म पर आ जाऊंगा । "-इतना कहकर रॉय अपने होटल के लिए निकल गया ।
दस साल पहले रॉय पहली बार पैंडोरा आइलैंड पर ग़ुलामों की ट्रेनिंग के लिए गया था । और तब से लेकर आज तक वो हर साल लंदन जाता और वहां से पैंडोरा की ट्रेनिंग करता। पांच साल पहले मिस्ट्रेस सोफ़िया से उसकी मुलाकात हुई थी तब से ही वो दोनों अच्छे दोस्त बन गए थे । हालांकि अब रॉय की उम्र पचपन साल थी और सोफ़िया अभी मात्र तीस साल की ही थी, लेकिन सोफ़िया के अनुभव से रॉय बहुत इम्प्रेस था । चाबुक मारने में सोफ़िया के हाथ इतने सेट थे कि पिछले तीन सालों से वो पैंडोरा की 'चीफ एग्जेक्युट्रिक्स' थी, जिसकी ड्यूटी सजा पाए ग़ुलामों के नंगे बदन पर तरह-तरह के कोड़े, चाबुक और हंटर बरसाने की थीं । उम्रदराज़ ग़ुलामों को हैंडल करने में मिस्ट्रेस सोफ़िया एक्सपर्ट थीं, इसीलिए यूरोप के अधितकर बूढ़े गुलाम हमेशा सोफ़िया की सर्विस में रहते थे ।रॉय होटल पहुंचा तो रात के नौ बजे थे। उसने अपने सारे कपड़े उतारे और बाथरूम में लगे शीशे में अपना पूरा बदन देखने लगा । उसकी पूरी पीठ और गांड़ पर कोड़े के निशान थे । लाल-नीली धारियों से उसका पूरा बदन रंगा हुआ था। सामने छाती और पेट पर भी हंटर के हल्के निशान थे। उसने पूरे बदन पर मलहम लगाया और बिस्तर पर नंगा ही सो गया।
रॉय का बिज़नेस अब पूरी तरह से उसके सौतेले बेटे अमन,बहू शनाया और सौतेली बेटी अलीशा के हाथ मे था । अलीशा का पति रोहन भी बिज़नेस में पार्टनर था । चारों ने रॉय के बिज़नेस को बहुत से ट्रेड में फैला दिया था । रॉय अब कई स्टोर्स और मॉल्स का मालिक था । गोआ में एक प्राइवेट रिसॉर्ट भी खुल चुका था,जहां पूरा परिवार हर महीने छुट्टियां मनाने जाता था । शनाया और अमन हमेशा अलीशा और रोहन के साथ ही विदेश घूमने जाते । कभी-कभी रॉय और उसकी पत्नी विशाखा भी उनके साथ जाती लेकिन अब विशाखा कहीं बाहर कम ही जाती थी । बावन साल की उम्र में भी विशाखा फैशनबल कपड़े पहनती और जिम में समय बिताकर फिट रहती। रॉय के लिए अपनी सेहत को अच्छा रखना जरूरी था क्योंकि वो तीन-चार महीने में एक बार जरूर यूरोप जाता और किसी-न-किसी मिस्ट्रेस से 'हार्ड सेशन' लेता । सोफ़िया का अपॉइंटमेंट न मिलने के कारण वो इस बार छः महीने बाद लंदन आया था, लेकिन इस 'सेशन' से उसका लंदन आना सफल हो गया था । उसके लिए सबसे अच्छी बात यह थी कि पिछले दस सालों से इस लाइफस्टाइल में जीने के बाद भी उसने अपना ये सीक्रेट अपने फैमिली से छिपाए रखा था । पैंडोरा के पुराने दिनों को याद करते उसे नींद आ गयी थी। अगले दिन सुबह दस बजे उसकी नींद खुली तो वह जल्दी तैयार हुआ और एक घण्टे में मिडिल लंदन सिटी के आखिरी कोने में बने सोफ़िया के फार्महाउस में पहुंच गया ।
सोफ़िया का फार्महाउस पांच एकड़ में फैला हुआ था, जो कि चारदीवारी से एकदम सुरक्षित था । ये फार्महाउस सोफ़िया के 'पर्सनल' गुलाम ने उसे गिफ्ट किया था, जो कि पिछले आठ सालों से सोफ़िया के साथ था । फार्महाउस पहुंचने पर इसी गुलाम ने रॉय का स्वागत किया जिसका नाम डेनियल था, जो कि एक सफ़ल डॉक्टर था। डेनियल की उम्र बासठ साल थी और वो सोफ़िया का सबसे वफादार गुलाम था। डेनियल पूरी तरह नंगा था, उसके गले मे लोहे का एक पट्टा था, जिसपर सोफ़िया का नाम लिखा था । डेनियल की गांड़ के बाएं हिस्से पर सोफ़िया के नाम की "ब्रांडिंग" थी । मिस्ट्रेस और उनके पर्सनल ग़ुलामों के बीच ब्रांडिंग का क्रिया जरूरी थी, जिससे उस नंगे गुलाम के बदन को देखकर बताया जा सकता था कि ये गुलाम किस मिस्ट्रेस की 'पर्सनल प्रापर्टी' था। 'ब्रांडिंग' में मिस्ट्रेस के नाम की लोहे की एक बड़ी मुहर को आग में गर्म करके एकदम लाल किया जाता है और उसे गुलाम की गांड़ पर दाग दिया जाता है । ये एक दर्दनाक प्रक्रिया थी, लेकिन पर्सनल गुलाम को इस तरह मिस्ट्रेस के नाम से दागना जरूरी होता था।डेनियल ने रॉय को बताया कि मिस्ट्रेस सोफ़िया अभी कुछ देर पहले ही जगीं हैं और नाश्ता करके फार्म की सैर पर हैं।
डेनियल ने बताया कि सोफ़िया ने इस फार्म का नाम 'मिनी पैंडोरा' रखा था । बस फर्क यह था कि इस समय यहां ट्रेनिंग पर बूढ़े गुलाम थे।
"यहां अभी कितने गुलाम हैं मिस्टर डेनियल?"-रॉय ने पूछा।
"यहाँ अभी पांच गुलाम हैं और मुझे मिला लीजिए तो कुल छः ।"-डेनियल ने जवाब दिया ।
"मिस्ट्रेस सोफ़िया ने बताया था कि यहां सब बूढ़े ग़ुलाम ही हैं अभी । सबकी क्या उम्र होगी?"-रॉय ने पूछा ।
"आप यकीन नही करेंगे मिस्टर रॉय लेकिन सबकी उम्र सत्तर से बहत्तर के बीच मे हैं। " डेनियल ने बताया ।
"क्या मिस्ट्रेस सोफ़िया अपनी सजा में उम्र की कोई छूट देती हैं? क्योंकि इतने बूढ़े ग़ुलामों को ज्यादा पीटा नही जा सकता।"-रॉय ने पूछा।
"मिस्ट्रेस सोफ़िया अपने ग़ुलामों को किसी तरह की छूट नही देतीं। सजा सबके लिए बराबर है। अगर ग़ुलाम अपनी मिस्ट्रेस के हंटर से नही डरेगा तो अनुशासन खत्म हो जाएगा।"-डेनियल ने बताया ।
रॉय और डेनियल फार्महाउस के बीच मे बने गोल रास्ते पर चलते जा रहे थे कि सामने से मिस्ट्रेस सोफ़िया आती दिखाई दीं। उनकी बग्घी को चार गुलाम खींच रहे थे और एक गुलाम अपने हाथों में छाता लिए मिस्ट्रेस को धूप से बचाता हुआ बग्घी के पीछे चल रहा था । वो बग्घी जरूरत से ज्यादा बड़ी थी, जिस पर एक भारी-भरकम सोफा और खाने की छोटी टेबल लगी थी । चारो बूढ़े गुलाम पूरी तरह से नंगे होकर उस बग्घी को खींच रहे थे। वो सभी गुलाम कुछ कमजोर से नज़र आ रहे थे । पांचवा गुलाम, जो छाता पकड़े था जो लकड़ी के डंडे की तरह एकदम दुबला पतला था । मिस्ट्रेस सोफ़िया का चाबुक उनकी टेबल पर पड़ा था । सभी गुलाम नार्मल गति से बग्घी को खींच रहे थे । सोफ़िया उस सोफे पर बैठकर सुबह का नाश्ता कर रही थीं । रॉय ने उन्हें देखकर 'गुड मॉर्निंग' कहा।
"हेलो मिस्टर रॉय, 'मिनी पैंडोरा' यानी कि मेरे फार्महाउस पर आपका स्वागत है ।"-सोफ़िया ने चहकते हुए जवाब दिया । इस समय सोफ़िया ने एक बाथिंग गाउन पहन रखा था। रॉय को देखकर उसने ग़ुलामों को रुकने का आदेश दिया ।
"आप डेनियल से मिल ही चुके हैं । बाकी पांचों गुलाम से भी मिल लीजिये । इनकी आज के दिन की ट्रेनिंग से आपको बहुत कुछ सीखना है।"-सोफ़िया ने बाकी सभी ग़ुलामों से रॉय का परिचय कराया । रॉय की तरह ही वो सब गुलाम भी बहुत अमीर थे। उनमें से दो गुलाम एक बड़ी कम्पनी के सी ई ओ थे । बाकी दो गुलाम कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर थे और एक गुलाम ब्रिटिश नौकरशाही का आला अफसर था ।सोफ़िया ने सभी ग़ुलामों को वापस घर की ओर मुड़ने को कहा । सभी गुलाम तुरन्त ही मुड़ गए और फार्महाउस के एक कोने में बने सोफिया के महल की ओर चल पड़े। रॉय और डेनियल भी उनके पीछे थे। महल के दरवाजे पर पहुंच कर सोफिया के कुछ कहे बिना ही, उनके पीछे चलने वाला वो पतला सा गुलाम बग्घी के पास अपने घुटने के बल बैठ गया। सोफ़िया उसकी पीठ पर अपने जूते रखते हुए नीचे उतरी और अंदर चली गयी। सभी गुलाम पांच मिनट में एकदम रेडी होकर अंदर पहुंच गए और अपने-अपने काम मे लग गए। दो गुलाम सोफिया के लिए खाना बना रहे थे, एक गुलाम सोफ़िया के रूम को साफ कर रहा था, बाकी दो गुलाम हॉल की सफाई करने में लग गए। डेनियल सोफ़िया के साथ उसके बैडरूम की ओर जा चुका था । ये सोफ़िया के नहाने का टाइम था और डेनियल उसका पर्सनल गुलाम था, जो हर काम मे सोफ़िया को सर्विस दे रहा था । रॉय ने एक-एक करके पांचो गुलाम के नंगे बदन को देखा । उनके बदन पर हंटर के कोई नए निशान नही थे । इसका मतलब था कि शायद आज से ही उनकी ट्रेनिंग शुरू हुई थी। कुछ देर बाद डेनियल वापस हॉल में आया । उसने बाकी ग़ुलामों को बताया कि मिस्ट्रेस आधे घण्टे के बाद नाश्ता करेंगी, तब तक के लिए सभी गुलाम खुद को आज के दिन के ट्रेनिंग के लिए मानसिक रूप से तैयार कर रहे थे । रॉय ने टाइमपास करने के लिए डेनियल को अपने पास बुलाया । रॉय हॉल के बीच मे लगे सोफे पर बैठा था और उसने डेनियल को भी बगल में बैठने का इशारा किया । डेनियल ने ये कह कर मना कर दिया कि उसे बैठने की परमिशन नही है । इसलिए वो जमीन पर ही बैठ गया । रॉय को ये सोचकर अच्छा लगा कि ये अरबपति आदमी अपनी मिस्ट्रेस का इतना वफादार था कि उनके घर मे मिस्ट्रेस के सामने न होने पर भी ग़ुलामी के नियमों को फॉलो कर रहा था ।
"मिस्टर डेनियल, आप कब से ग़ुलामी की इस लाइफस्टाइल में हैं?"-रॉय ने पूछा ।
"मैं इस लाइफस्टाइल में पिछले चालीस सालों से हूँ, मिस्टर रॉय।"-डेनियल ने एकदम शांत अंदाज़ में कहा ।
"और फैमिली?"-रॉय ने कुछ हिचक कर पूछा ।
"मैं आपका सवाल समझ गया मिस्टर रॉय ।"-डेनियल मुस्कुराया, और कहना शुरू किया -"बाइस साल की उम्र में पहली बार मैंने इस लाइफस्टाइल को एक अनुभवी मिस्ट्रेस की सर्विस के साथ शुरू किया था । उसके बाद मैंने एक खूबसूरत लड़की से शादी की । उसे मेरी इस लाइफस्टाइल की जानकारी थी, लेकिन उसे मेरी मिस्ट्रेस बनना पसन्द नही था । पर मेरी भावनाओ और ग़ुलामी की चाह को समझते हुए उसने कभी भी मुझे मना नहीं किया । उसके बाद से मैने कई मिस्ट्रेस की सेवा की । मेरी पत्नी से दो बेटियां हुई। उन दोनों को भी मेरी इस गुलामी वाली लाइफस्टाइल के बारे में अच्छे से पता है । वो दोनों भी मिस्ट्रेस सोफ़िया की उम्र की हैं। मेरी फैमिली ने हमेशा मुझे सपोर्ट किया है । मेरी पत्नी दस साल पहले गुज़र गयी तो मैंने खुद के 'परमानेंट लाइफस्टाइल स्लेव' के रूप को स्वीकार किया और लेडी सोफिया की सर्विस में आ गया ।"
रॉय को ये सुनकर अजीब लगा कि डेनियल की बेटियां उसके बारे में जानती थीं कि वो मिस्ट्रेस की ग़ुलामी करता है । डेनियल की बात सुनकर उसके मन मे अचानक अपनी सौतेली बेटी अलीशा और बहू शनाया के लिए अजीब से खयाल आने लगे। वो दोनो भी लेडी सोफ़िया और डेनियल की बेटियों की उम्र की थीं। रॉय को महसूस हुआ कि वो भी अपनी गुलामी का इतिहास और अपनी भावनाएं उन दोनों को बता सकता है, लेकिन अगले पल उसके मन में अजीब सा डर आ गया । वो शायद लंदन जैसी जगह में नही था । और अलीशा और शनाया शायद इतनी मॉडर्न स्तर पर नही थीं कि रॉय को समझ सकें। डेनियल की बातें सुनकर रॉय का लन्ड तन गया था । उसने डेनियल से और भी बातें करनी शुरू की।
डेनियल उससे अपने अनुभवों के बारे में बताता गया । बाकी गुलाम भी अब रॉय के पास ही आ गए थे । सबने अपनी ग़ुलामी के किस्से बताने शुरू किए । बढ़ती उम्र के साथ मिस्ट्रेस की ग़ुलामी में कुछ सावधानियां जरूरी थीं - खुद को अच्छे खान-पान और व्यायाम से फिट रखना जरूरी था, रेगुलर हेल्थ चेकअप सबसे जरूरी था, अगर हंटर सहने की क्षमता न हो तो मिस्ट्रेस से सजा कम करने की रिक्वेस्ट की जा सकती थी, और सबसे जरूरी बात जो सभी ग़ुलामों ने बताई वो ये थी कि 'फैमिली मेंबर्स को जरूर पता होना चाहिए जिससे किसी तरह की मेडिकल हेल्प की जरूरत पर सब मौके पर उपलब्ध रहें और साथ ही परमानेंट ग़ुलामी के दौरान किसी जॉब की जरूरत न रहे और ख़र्चे मिलते रहें।'
ग़ुलामों की बात को रॉय ने अच्छे से समझ लिया था और ये तय किया कि चाहे जो हो जाए, अगले कुछ महीनों में सही समय और मौके पर वो अपनी फैमिली को अपनी फैंटेसी और दस साल के अपने सारे अनुभव बता देगा ।
इसी सोच में खोया रॉय ये देख ही नहीं पाया कि मिस्ट्रेस सोफ़िया अपने कैटसूट और बूट्स में वापस हॉल में आ चुकी थीं। उनके हाथ मे छह अलग तरह के हंटर, चाबुक थे । साथ मे अलग-अलग मोटाई की कुछ बेतें थीं ।
फार्म के बीच मे कोड़े मारने की ट्रेनिंग शुरू हो चुकी थी। मिस्ट्रेस सोफ़िया बड़े ही अच्छे तरह से ग़ुलामों पर हंटर बरसा रहीं थी। बूढ़े ग़ुलामों की गांड़ पर ही कोड़े मारना सही था । 'टेलबोन' से लेकर बीच पीठ तक के हिस्से में हंटर मारना किडनी जैसे अंग के लिए घातक हो सकता था । सामने छाती पर सीधे कोड़े या बेंत से मारने से बचना चाहिए। सोफ़िया ने बताया कि बुढापे में ताकत कम होने की वजह से मिस्ट्रेस को बग्घी पर बैठाकर,हंटर की मार सहते हुए बग्घी को अकेले खींचने से शरीर की हड्डियों में दर्द और मांसपेशियों में खिंचाव आ सकता है, ऐसे में बूढ़े गुलाम की पीठ पर घोड़े की जीन लगा कर उसी की सवारी की जा सकती है। इस उम्र में बूट्स की कठोर ठोकर लन्ड या अंडों पर नही लगनी चाहिए इसलिए हल्के से लात मारनी चाहिए । बूढ़े ग़ुलामों के चेहरे पर थप्पड़ मारे जा सकते थे लेकिन कान के हिस्से को बचाना चाहिए। इतनी सारी जानकारी को देते हुए मिस्ट्रेस सोफ़िया उन पांचो ग़ुलामों को पीट भी रहीं थीं। कुछ गुलाम अपनी सजाए पूरी करने के बात अपने अनुभव भी रॉय को बता रहे थे । उस दिन पूरी दोपहर और शाम तक कि ट्रेनिंग को अच्छे से देखने और समझने के बाद रॉय और सोफ़िया लंदन शहर आ गए। दोनों में साथ मे डिनर किया ।
"तो अब कब आना होगा मिस्टर रॉय?"-सोफ़िया ने पूछा।
"मैंने एक फैसला किया है सोफ़िया । मैं अपनी फैंटेसी, ग़ुलामी के अपने सारे अनुभव और पैंडोरा आइलैंड की अपनी सभी ट्रेनिंग्स के बारे में अपने परिवार को बताने के बाद परमानेंट ग़ुलामी की लाइफस्टाइल में आ जाऊंगा।"-रॉय ने एक सांस में अपनी बात कह दी। सोफ़िया ने मुस्कुराते हुए उसे भविष्य की शुभकामनाएं दी और अपने फार्महाउस वापस आ गयी। रॉय भी होटल आ चुका था । एक दिन बाद उसकी मुम्बई की फ्लाइट थी । इंडिया वापस आकर उसने अगले एक महीने तक अपने सभी बिज़नेस और फाइनेंस के सभी सोर्स को अच्छे से समझा और अपनी वसीयत तैयार की । लेकिन वसीयत सामने लाने के पहले वो अपनी पत्नी विशाखा, बेटे अमन, बहू शनाया, बेटी अलीशा और दामाद रोहन को सब कुछ बताना चाहता था । उसके मन कहीं न कहीं ये प्लान था कि अगर सभी फैमिली मेंबर्स की प्रतिक्रिया अजीब रही तो वो अपनी वसीयत भी बदल देगा । वो अपना कंट्रोल बस किसी मिस्ट्रेस को ही दे सकता है। फैमिली से अपनी बात कहने के लिए उसने गोआ के अपने प्राइवेट रिसॉर्ट की ट्रिप का प्लान बनाया और सभी के साथ एक महीने के लिए गोआ चला गया, जहां से पचपन साल के उस बूढ़े रॉय की एक नई जिंदगी की शुरुआत होने वाली थी।
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काहानिया बहुत सुंदर लिखी है.. pegging या strapon का अगर और ज्यादा उपयोग हुआ तोच और मजा आयेगा