पैंडोरा इंडस

Story Info
पैंडोरा का सच और ग़ुलाम की नई मिस्ट्रेस.
4.6k words
4.3
297
0

Part 2 of the 3 part series

Updated 06/11/2023
Created 10/12/2021
Share this Story

Font Size

Default Font Size

Font Spacing

Default Font Spacing

Font Face

Default Font Face

Reading Theme

Default Theme (White)
You need to Log In or Sign Up to have your customization saved in your Literotica profile.
PUBLIC BETA

Note: You can change font size, font face, and turn on dark mode by clicking the "A" icon tab in the Story Info Box.

You can temporarily switch back to a Classic Literotica® experience during our ongoing public Beta testing. Please consider leaving feedback on issues you experience or suggest improvements.

Click here
Vir_kam
Vir_kam
1 Followers

पैंडोरा के किस्से अब रॉय के सभी फैमिली मेंबर्स को पता थे । सच जानकर सभी को गहरा सदमा जैसा लगा था । रॉय की पत्नी विशाखा की नाराजगी इस क़दर थी कि को अपनी बेटी अलीशा और दामाद रोहन के साथ गोआ से निकल चुकी थी । अमन को अपने सौतेले बाप से इस तरह के धोखे की उम्मीद नही थी । रॉय ने दस साल तक ये सच छुपाया था । अमन गुस्से में था इसलिए बिना कुछ कहे वह भी मुम्बई के लिए निकल चुका था । उसकी पत्नी शनाया भी अपना बैग पैक करके अपनी कार में बैठ चुकी थी । रॉय अभी भी गोआ के अपने प्राइवेट रिसॉर्ट में बैठा था । किसी ने भी उसकी बात और उसकी जरूरतों को समझने की कोशिश नहीं कि थी । कमरे से बाहर आकर वो पूल के पास लगी कुर्सी पर बैठ गया । उसके हाथ मे शराब की बोतल थी । उसे लगा था कि सभी उसे छोड़कर वापस मुम्बई जा चुके हैं । लेकिन उसकी बहु शनाया ने बहुत सोचने के बाद तुरन्त मुंबई निकलने का प्लान कैंसिल कर दिया था और वापस अपने ससुर के पास आकर बैठ गयी थी।

"कोई समझे या नहीं, लेकिन मैं आपको समझती हूं पापा! हर इंसान की अपनी अलग तरह की मानसिक और शारीरिक जरूरत होती है । इसमें कुछ भी अजीब या गलत नही है।" शनाया ने रॉय को समझाते हुए कहा ।

"थैंक्स बेटा! तुम भले ही मेरी बहू हो लेकिन तुमने मुझे मेरे बच्चों से ज्यादा बेहतर तरीके से समझा है ।"- रॉय ने कहा ।

शनाया ने अपनी बात जारी रखी-,"तो क्या अब आप अपने 'सेशन्स' के लिए यूरोप नहीं जाएंगे?"

"कुछ नहीं पता । ये मेरी वो जरूरत और फैंटेसी है जिसे इतने सालों के बाद इस तरह से छोड़ा नही जा सकता। लेकिन ये भी सच है कि अब यूरोप जाने से फैमिली के सभी लोगों की नाराज़गी बढ़ेगी ।"-रॉय ने निराशा से कहा ।

"क्या ये इंडिया में नही हो सकता पापा?"-शनाया ने पूछा ।

"मैंने बहुत ढूंढा है लेकिन इंडिया में मिस्ट्रेस की वो क्लास और लेवल नही है, जो यूरोप में है । पैंडोरा एक सोच है जिसे हर औरत नही फॉलो कर सकती।"- रॉय ने जवाब दिया ।

शनाया कुछ देर वहीं बैठी सोचती रही । इस बीच उसके पति अमन ने कई बार फोन किया था । शनाया भी अब मुम्बई के लिए निकल रही थी। लेकिन रिसॉर्ट से बाहर आने के पहले उसने रॉय से बस एक बात कही-,"अगर मैं आपकी कोई हेल्प कर सकूं तो प्लीज़ आप मुझे बताइयेगा।" इतना बोलकर वो चली गयी ।

शनाया की बात रॉय को कुछ देर बाद समझ आयी थी । लेकिन रॉय शायद इसके लिए तैयार नही था । शनाया को पैंडोरा की मिस्ट्रेस जैसा कोई अनुभव नही था । और वो रॉय की बहू थी, जिसने हमेशा रॉय के सेहत की चिंता की है, ऐसे में वो किसी तरह के 'हार्ड एक्ट' को कैसे अंजाम दे पाएगी । रॉय की शाम उसी पूल के किनारे शराब पीते हुए बीत गयी थी । शनाया की कही हुई बात अभी भी उसके मन मे गूंज रही थी । तनाव के चलते वो पूल के पास पड़े बेड पर ही सो गया था ।

रात के एक बजे रॉय का मोबाइल बजा । फोन शनाया का था । रॉय ने फोन उठाया । उधर से शनाया की मीठी सी आवाज़ गूंजी-,"मैं समय से घर पहुंच गई थी पापा । यहां सबका मूड अभी भी खराब है । हो सकता है कुछ हफ़्ते या महीनो में सब सही हो।"

"हम्म.."-रॉय कुछ भी नही बोला ।

"मुझे लगता है पापा! आपको कुछ महीने गोआ में ही रहना चाहिए । हो सकता है तब तक सब नॉर्मल हो जाए ।"-शनाया ने कहा।

"ओके.."-रॉय ने जवाब दिया । और जैसे ही उसने फोन रखना चाहा, उधर से शनाया ने पूछा-,"तो आपने क्या सोचा है पापा? क्या मैं आपकी हेल्प कर सकती हूं?"

रॉय एकदम पशोपेश में था । उसे उस वक़्त पर कोई जवाब नहीं सूझ रहा था । उसने यह कहकर फोन रख दिया कि वो सोचकर बताएगा ।

रॉय को गोआ में अकेले रहते हुए एक सप्ताह हो चुके थे । काफी सोचने के बाद उसके शनाया को हाँ कह दिया था । आगे के प्लान के लिए वो खुद मुम्बई जाना चाहता था लेकिन शनाया ने उसे आने से मना कर दिया और वो खुद शनिवार की शाम को गोआ चली गयी।

"तुम इसमें एकदम नई हो शनाया इसलिए तुम्हे बहुत कुछ सीखने और समझने की जरूरत है ।"-रॉय ने कहा ।

"ओके पापा! वैसे मैंने इंटरनेट पर रिसर्च करके बहुत सी फ़ोटो और वीडियो देख ली है । अगर आप कुछ और बताना चाहे तो प्लीज़ बताइए ।"-शनाया ने कहा ।

रॉय ने उसे अपना लैपटॉप देते हुए कहा -,"इसमें मेरे पैंडोरा की ट्रेनिंग के वीडियो हैं । साथ मे कुछ जरूरी नियमों की भी जानकारी है । इन्हें अच्छे से देख समझ लेना।"

"और बाकी जरूरी सामान?"-शनाया ने पूछा ।

"तुम पहले सब वीडियो देख लो । तुम्हे जो भी जरूरी लगे, उस सामान को ऑनलाइन ऑर्डर कर देना । मैं उसे यहाँ गोआ में ही रिसीव कर लूंगा ।"-रॉय ने शनाया को समझाया ।

"और जगह? मैं समझती हूं 'सेशन' के लिए मुम्बई अब सही नही हैं । यहाँ ये रिसॉर्ट ही सही रहेगा ।"-शनाया ने कहा ।

"नो.. प्राइवेसी और सेफ्टी के हिसाब से हमारा ऊटी के जंगल वाला फार्म सबसे बेहतर जगह है । तुम एक बार सब फाइनल कर लो । फिर हम 'सेशन' की डेट फाइनल कर लेंगे ।"- रॉय ने शनाया को ऊटी वाला शानदार प्लान समझाया । शनाया भी ऊटी जाने के लिए बेताब थी ।

"एक बात पुछु पापा?"-शनाया ने मुंबई वापस आने के पहले पूछा ।

"क्या?"- रॉय ने कहा ।

"आपको क्या लगता है, क्या मैं पैंडोरा की मिस्ट्रेस से बेहतर कर पाऊंगी आपके साथ? अगर मैं आपके हिसाब से अच्छा न कर सकी तो?"-शनाया ने पूछा ।

"हर कोई प्रैक्टिस से ही सीखता है । तुम मेरे साथ प्रैक्टिस करती रहोगी तो बेहतर करोगी।"- रॉय ने शनाया को समझाया ।

शनाया के मन मे कोई शक नही था । मुम्बई पहुंचकर उसने सबसे पहले 'सेशन' के लिए जरूरी सभी 'सामान' ऑर्डर किये । एक महीने के अंदर सारा सामान गोआ में डिलीवर हो चुका था । शनाया ने रॉय से फोन पर ही बात करके अगले महीने के पहले शनिवार और रविवार की डेट फाइनल कर ली थी । रॉय उस डेट के एक दिन पहले ही सारा सामान लेकर ऊटी पहुंच चुका था । दोस्तों के साथ छुट्टियों का बहाना बनाकर शनाया ने भी अपने पति अमन से परमिशन ले ली थी । ऑफिस में दो दिन छुट्टी ही थी तो कोई काम भी प्रभावित नही होने वाला था । शनाया अपनी ज़िंदगी का सबसे अलग और अनूठा अनुभव लेने के लिए ऊटी पहुंच चुकी थी।

ऊटी में रॉय का 'जंगल हाउस' घने जंगलों के बीच मे था जिसके चारों ओर लगभग पांच सौ मीटर तक कोई और फार्म नहीं था । रॉय वहां पहले ही पहुंच चुका था इसलिए जब शनाया वहां पहुंची तो सबकुछ एकदम साफ-सुथरा था । वहां पैंडोरा जैसी बग्घी नही थी इसलिए रॉय ने एक रिक्शा को ही बग्घी जैसा बनाकर घर के बाहर रख दिया था ।

"ओह पापा! ये कितनी खूबसूरत जगह है।"- जंगल हाउस को देखकर शनाया बहुत खुश हुई थी । रॉय ने उसे चाय दी और दोनों बैठकर बातें करने लगे ।

"मैंने तुम्हारा सारा सामान रिसीव कर लिया था । सब अंदर हॉल में है । तुम चाहे तो एक बार देख लो ।"-रॉय ने कहा ।

"ओके पापा! मैंने भी सारे नियम देख समझ लिए हैं। पैंडोरा के वीडियो देखकर मैं सब समझ चुकी हूं । मेरी कोशिश रहेगी कि पहली बार मे उससे अच्छा नही तो कम-से-कम उस जैसा ही कर सकूं।"- शनाया अपने इस नए रोल के लिए बहुत उत्साहित थी ।

"गुड । तुम बेहतर ही करोगी ।"- रॉय ने उसका हौंसला बढ़ाया ।

"तो हम लोग कब से शुरू करेंगे?"- शनाया ने पूछा ।

"आज शनिवार की दोपहर 12 बजे से कल रविवार की रात नौ बजे तक । उसके बाद की फ्लाइट से तुम मुम्बई निकल जाना और मैं गोआ जाऊंगा ।" -रॉय ने सारा प्लान समझाया ।

"ओके पापा!"- शनाया ने जवाब दिया और घर के अंदर चली गयी । रॉय भी अपनी तैयारियों में लग गया। 12 बजने में बस एक घण्टे बाकी थे ।

रॉय पूरी तरह से नंगा होकर शनाया के पास जमीन पर बैठा था । शनाया ने उसके गले मे कुत्ते का पट्टा पहनाया और उसे एक चेन से जोड़कर जंगल हाउस के बेसमेंट में चली गयी। उसके पीछे-पीछे रॉय भी कुत्तों की तरह चार पैरों पर चलता हुआ बेसमेंट में आ गया।

"आप नियम जानते हैं! ग़ुलाम की नई मालकिन के आने पर उस ग़ुलाम की गांड़ को मालकिन के नाम की मुहर से दागा जाता है ।"-शनाया ने एकदम प्रोफेशनल तरीके से अपनी बात कही । उसने अपने नाम की उस मुहर को उठाया जो अब तक आग में जलकर लाल हो चुकी थी और बिना समय बर्बाद किये रॉय की गांड़ पर वो मुहर दाग दी । रॉय की चीख़ निकल गयी लेकिन अगले ही पल शनाया के भारी और तेज थप्पड़ों से उसकी आवाज़ एकदम रुक गयी । शनाया ने अपने बूट्स की हील रॉय की गांड़ पर चुभाई और उसे बाहर आने का आदेश दिया । बाहर आने पर शनाया ने रॉय से कहा-,"पनिशमेंट के लिए तैयार हैं?"

रॉय ने हां में सिर हिलाया । शनाया अगले टास्क के लिए तैयार थी । उसने जंगल हाउस के पीछे लगे ताड़ के दो पेड़ों के बीच मे रॉय को खड़े होने का आदेश दिया । रॉय ठीक उसी जगह खड़ा हो गया । शनाया ने उसके दोनों हाथ, दोनों तरफ खड़े पेड़ों के तने से बांध दिए । उसके बाद एक मोटी जंजीर से रॉय के पैर भी दोनों तरफ फैलाकर पेड़ों के जड़ के पास बांध दिए गए थे । रॉय की नंगी पीठ और गांड़ अब एकदम खुले निशाने की तरह शनाया के सामने थी ।

"हंटर, चाबुक या फिर बेंत? क्या सही रहेगा?"- शनाया ने रॉय से पूछा । रॉय ने अपने अनुभव के आधार पर शनाया को हंटर चुनने की सलाह दी ।

शनाया ने छः फ़ीट लंबा चमड़े का लंबा से हंटर उठाया और रॉय के पीछे खड़ी हो गयी । हंटर की लंबाई के हिसाब से उसके कदम कुछ और पीछे गए । उसने तेज आवाज़ में रॉय से पूछा -,"आप तैयार हैं?"

रॉय ने अपना सिर हिलाकर जवाब दिया । शनाया ने अपनी पूरी ताकत से हंटर हवा में लहराया । 'सटाक' की आवाज़ के साथ हंटर रॉय की नंगी गांड़ पर पड़ा । उसकी आह निकल गयी थी । शनाया को शायद हंटर की चोट का अंदाज़ा नही था । रॉय की गांड़ अगले कुछ सेकेंड तक काँपती रही । जब तक शनाया को इसका पता चलता, रॉय की गांड़ पर लाल-नीली रंग की मोटी धारी उभर आई थी ।शनाया अपने हाथ मे हंटर थामें हुए दौड़ती हुई रॉय के पास पहुंची। घबराहट के साथ उसने रॉय को गांड़ को सहलाते हुए कहा-,"ओह.. सॉरी पापा । पहले स्ट्रोक का अंदाज़ा नही था मुझे ।"

रॉय ने खुद को संभालते हुए शनाया को ज़ारी रखने को कहा ।

शनाया वापस अपनी जगह पर आई और दोबारा हंटर को हवा में लहराया । अगली चोट रॉय की पीठ और थी । रॉय फिर से काँपने लगा । शनाया ने कुछ सेकेंड तक इंतजार किया । रॉय का इशारा मिलते ही शनाया ने तीसरी बार हंटर लहराया । ये स्ट्रोक पिछले दो वारों से कुछ हल्का था । रॉय ने खुद पर काबू कर लिया था।

शनाया उसके पास फिर से गयी । और उसकी नंगी पीठ सहलाते हुए कहा-," आपको स्ट्रोक्स की गिनती भी करनी है । मुझे पहले घण्टे में सौ कोड़े मारने का टारगेट पूरा करना है । को-ऑपरेट करिए ।"

रॉय को गिनती करने का नियम याद दिलाकर शनाया वापस अपनी जगह पर आई और रॉय की चींख और कराह की परवाह किये बिना अपना हंटर चलाती रही । शनाया के हंटर इतनी पावर के साथ बरस रहे थे कि रॉय की पीठ और गांड़ पहले घण्टे के सौ कोड़ों की मार से ही लाल हो गयी थी । रॉय ने किसी तरह सौ की गिनती पूरी की । शनाया ने पास पड़े टेबल पर अपना हंटर रखा और रॉय के पास वापस आयी।

"आप ठीक तो हैं ना? ज्यादा प्रॉब्लम तो नहीं हुई?"-शनाया ने रॉय की नंगी गांड़ को सहलाते हुए पूछा ।

"थैंक्यू शनाया!"- रॉय ने गहरी सांस भरते हुए जवाब दिया ।

शनाया ने मुस्कुराते हुए पूछा-,"मेरी पहली प्रैक्टिस कैसी रही?"

"शुरुआत के हिसाब से तुमने अच्छा काम किया है । मेरे हाथ-पैर खोल दो जिससे मैं तुम्हे थैंक्यू कह सकूं ।"-रॉय ने कहा ।

शनाया ने रॉय के हाथ और पैर की जंजीरें खोलकर पेड़ के तनें से अलग कर दी । रॉय अपने घुटनों के बल बैठ कर शनाया के बूट्स चाटते हुए उसे धन्यवाद दे रहा था ।

"अगला टास्क क्या चाहेंगे आप?"-शनाया ने रॉय को अपने बूट्स से हटाया और पास में पड़े एक सोफे पर बैठ गयी । बदन से चिपके हुए कैटसुट और ऊंची हील वाली बूट्स पहनने की वजह से शनाया को कुछ थकान महसूस हो रही थी ।

"तुम क्या चाहती हो?"- रॉय ने पूछा ।

"मेरे पैरों में दर्द हो रहा है । मैं बूट्स उतार रही हूं, आप अगले एक घण्टे तक मेरे पैर की मसाज़ कर दीजिए । उसके बाद देखेंगे कि क्या करना है। तब तक आपका दर्द भी कुछ कम हो जाएगा ।"-शनाया ने बूट्स उतारकर कहा ।

अगले एक घण्टे तक रॉय ने शनाया के पैरों की अच्छे से मसाज़ की । शनाया का पैर दर्द एकदम ठीक हो गया था ।

"आप एक्सपर्ट हैं । इतनी अच्छी मसाज़ तो स्पा में भी नही मिलती । लगता है आपको पैंडोरा पर अच्छा अनुभव मिला है।"-शनाया ने रॉय की तारीफ़ की ।

रॉय ने मुस्कुराते हुए कहा-,"पैंडोरा में मिस्ट्रेस की मसाज़ करना जरूरी है । अगर मिस्ट्रेस मसाज़ से संतुष्ट नहीं होती हैं तो ग़ुलाम को उसकी सज़ा के तौर पर सौ से पांच सौ तक कोड़े मारे जाते हैं।"

शनाया की मसाज़ के बाद रॉय ने उसके लिए लंच बनाने का सोचा । शनाया ने अपनी मनपसन्द डिश का ऑर्डर दिया और रॉय से अपने लिए रेड वाइन की एक बोतल मंगाई । शनाया के आराम के लिए रॉय ने उसके सोफे के सामने डाइनिंग टेबल रख दी थी । शनाया वाइन पीती हुई अपने मोबाइल पर कुछ वीडियो देख रही थी । अचानक उसके दिमाग मे एक प्लान आया । रॉय कुछ देर में खाना लेकर उसके सामने हाज़िर था ।

" मेरी एक इच्छा है जो कि बस आप ही पूरी कर सकते हैं ।"-शनाया ने कहा ।

रॉय तब तक शनाया की प्लेट में खाना निकाल चुका था । उसकी प्लेट से जूठे खाने के लालच में वो उसी के बगल में अपने घुटनो पर बैठते हुए बोला -,"कहो ।"

शनाया ने कहना शुरू किया-,"अब से लेकर कल रात तक के सारे एक्ट्स को रिकॉर्ड करना चाह रही थी, जिससे उसके बाद उसे देखकर अपने काम को समझ सकूं । उसमें दिख जाएगा कि कहां और सुधार करने की जरूरत है। आपकी क्या राय है?"

"ये तो सही बात कही तुमने । हम लोग अपने दोनों फोन और लैपटॉप की वीडियो रिकॉर्डिंग चार अलग कोने से लगा देते हैं, जिससे अच्छी तरह से वीडियो बन सके।"-रॉय ने अपनी बात कही ।

शनाया ने लंच खत्म कर लिया था और बचे हुए खाने को जमीन पर डालकर कुचल दिया था । रॉय ने जमीन से चाटकर अपना लंच खत्म किया । फिर उसने एक बर्तन में शनाया के पैरों को अच्छे से धुला । नियम के मुताबिक उसे पानी पीने के लिए बोतल नहीं मिली थी । उसने उस बर्तन के पानी को ही पीकर अपनी प्यास बुझाई । वो दोनों अब अगले टास्क को पूरा करने के लिए तैयार थे ।

रॉय ने रिक्शा बाहर ही लगा रखा था। उसपर पैंडोरा की बग्घी की तरह सोफा तो नहीं था, लेकिन बैठने के लिए एक छोटी सी जगह जरूर थी । शनाया भी अपने बूट्स पहन चुकी थी । रॉय को उसने उस रिक्शे में जोत दिया था और खुद अपने हाथ में घोड़े वाले चाबुक लेकर रिक्शे पर लगी कुर्सी पर बैठ गयी।

"ऊटी के जंगल घूमने का मजा कार में नही है । ऐसे खुले में किसी ग़ुलाम के रिक्शे पर घूमना शायद अच्छा अनुभव होगा । हमारे जंगल हाउस के आस-पास का एरिया सुनसान है । मैं चाहती हूं कि कम-से-कम बीस-तीस चक्कर घूम लू ।"-इतना कहकर शनाया ने रिक्शे के पीछे लगी स्टिक पर अपना और रॉय का फोन लगाकर वीडियो रिकॉर्डिंग ऑन कर दी । उन दोनों के लैपटॉप भी पूरी तैयारी के साथ रिक्शे के दो अलग तरफ लगे थे । शनाया ने अपना चाबुक घुमाया और रॉय की गांड़ पर लगातार पन्द्रह-बीस स्ट्रोक्स मारकर उसे दौड़ने का आदेश दिया ।

पैंडोरा की बग्घी जरूरत से ज्यादा बड़ी और भारी होती थी, जबकि ये रिक्शा बहुत ही हल्का था । शनाया का वजन भी साठ किलोग्राम से कम ही था इसलिए रॉय को इस रिक्शे को लेकर दौड़ने में बहुत ज्यादा ताकत नही लगानी पड़ रही थी । लेकिन शनाया की तरफ से लगातार बरसते चाबुक की मार से उसकी पीठ एकदम नीली हो गयी थी । ऊटी के ठण्डे मौसम में भी उसे अपनी पीठ गर्म महसूस हो रही थी । शनाया अपने दूसरे मोबाइल पर 'सेल्फी मोड' ऑन करके वीडियो रिकॉर्ड करती हुई इस सफर के मजे ले रही थी । जंगल हाउस के चारो तरफ घूमने में एक चक्कर लगभग तीन किलोमीटर का था । अगर शनाया के हिसाब से चलना होता तो रॉय को उस रिक्शे के साथ चाबुक सहते हुए साठ किलोमीटर दौड़ना था, जो कि किसी भी ताकतवर इंसान के लिए असम्भव था । रॉय की उम्र भी अधिक थी इसलिए वो शायद पांच-छह चक्कर से ज्यादा नही दौड़ सकता था । लेकिन तीसरे चक्कर में ही उसको बुरी तरह से थकान महसूस होने लगी थी । उसके कदम धीरे होने लगा था । शनाया को रिक्शे की स्पीड कम होने का एहसास हुआ तो उसने कहना शुरू किया-," धीरे मत चलिए । दौड़ते रहिए ।"

रॉय ने हांफती हुई आवाज़ में कहा-,"शनाया! अब शायद मैं अगला चक्कर न लगा पाऊं । मुझे कुछ देर के लिए आराम चाहिए । मैं थोड़ी-थोड़ी देर के ब्रेक लेकर बीस चक्कर पूरा करने की कोशिश करूंगा ।" रॉय को शनाया से कुछ रहम की उम्मीद थी ।

"आप जानते हैं कि 'सेशन' के क्या नियम हैं । अगर आप रुकेंगे तो मुझे आप पर चाबुक बरसा कर आपको दौड़ाना होगा । आपकी पीठ और गांड़ के साथ आपकी जांघ और पैर का पिछला हिस्सा भी चाबुक की मार से नीला हो चुका है। आप इस टास्क को पूरा करिए, वरना मुझे इसके लिए 'ज्यूडिशियल पनिशमेंट' का ऑर्डर देना होगा ।"-शनाया ने अपनी बात कही और एक बार फिर रॉय पर चाबुक बरसाना शुरू किया । रॉय ने किसी तरह एक और चक्कर पूरा किया लेकिन उसके बाद वो जंगल हाउस के सामने आकर रुक गया ।

शनाया कुछ गुस्से में थी और रिक्शे से उतर कर रॉय से बोली-,"आपको ये नही करना था । अब मुझे आपको इसकी सजा देनी होगी । दो घण्टे में घर का पूरा काम करके रात का डिनर तैयार कर लीजिए । उसके बाद मैं 'पनिशमेंट कोर्ट' के जज के तौर पर आपकी सजा आपको बताऊंगी। " इतना कहकर शनाया अपने बेडरूम में चली गयी । रॉय ने रिक्शे से खुद को अलग किया और घर के अंदर जाकर जरूरी कामों में लग गया ।

शनाया की शाम नींद में बीती थी । रॉय ने घर का सारा काम पूरा किया और रात आठ बजे तक डिनर बनाकर शनाया के बेडरूम के बाहर जाकर जमीन पर बैठ गया । शनाया की नींद खुल चुकी थी । उसने रॉय से एक कॉफी मंगाई और फिर नहाने के लिए बाथरूम में चली गयी । इधर रॉय ने उसका खाना टेबल पर सजा दिया था । शनाया कुछ देर में वापस आयी और दोपहर के लंच की तरह ही दोनों ने खाना खाया । ऊटी का मौसम रात में कुछ ठंडा हो गया था इसलिए शनाया ने अपने बूट्स के साथ पहने हुए कैटसूट के ऊपर चमड़े का लंबा सा ओवरकोट पहन लिया था । रॉय को भी कुछ ठंड महसूस हो रही थी लेकिन ग़ुलाम को हमेशा नंगा रहने के नियम को ही मानना था । शनाया ने उसे हॉल में बुलाया और अपने सामने ही जमीन पर बैठने का आदेश दिया । शनाया के हाथ मे एक कागज था जिसपर रॉय की गलतियां लिखी थीं । इन्ही गलतियों पर सुनवाई के बाद रॉय को सजा सुनाई जानी थी । शनाया ने रॉय की गलतियों को पढ़ना शुरू किया-," आपकी पहली गलती है कि मिस्ट्रेस का आदेश न मानकर उसे बस चार चक्कर की सैर कराना, जबकि आदेश कम-से-कम से बीस चक्कर का था । क्या आप अपनी गलती मानते हैं?"

रॉय ने सहमति में सिर हिलाया ।

शनाया ने आगे पढ़ा-,"आपकी दूसरी गलती है कि अपनी मिस्ट्रेस को रिक्शे पर घुमाने के बाद जब वो नीचे उतरी तो आपने उसके बूट्स चाटकर उसे थैंक्यू नही बोला। क्या आप इसे मानते हैं?"

रॉय से ये गलती अनजाने में हुई थी । शनाया थोड़े गुस्से में थी और उतर कर अपने बेडरूम में चली गयी थी । रॉय ने इस पर ध्यान नही दिया था । एक्ट के बाद मिस्ट्रेस को थैंक्यू न कहना एक बड़ा अपराध था, जिसकी सजा कठोर होती थी। रॉय ने अपनी गलती मान ली थी।

"क्या आपको अपनी सफाई में कुछ भी कहना है?"-शनाया ने पूछा ।

रॉय के पास इसका कोई जवाब नही था। वो बस इतनी उम्मीद कर रहा था कि उसकी सजाएं कम हों। आज के दिन में उसने अच्छे-खासे कोड़े झेले थे । रिक्शे की दौड़ की वजह से उसका बदन बुरी तरह से टूट रहा था लेकिन उसे पता था कि 'सेशन' के दौरान हर गलती की सजा दी जाती है । यही नियम हैं, जिन पर एक ग़ुलाम और मिस्ट्रेस का रिश्ता चलता है । नियमों में ढील का मतलब था रिश्ते का खत्म होना ।

रॉय ने अपनी सभी गलतियां मान ली थी और उसने अपनी सफाई में कुछ भी कहने से मना कर दिया था ।

शनाया ने सजा सुनाना शुरू किया-,"टास्क को पूरा न करने की सजा के लिए कुल पांच सौ स्ट्रोक्स, जिसमे से दो सौ स्ट्रोक मोटे चाबुक से, सौ स्ट्रोक बेंत की पतली लकड़ी से और बाकी दो सौ स्ट्रोक दस फ़ीट लम्बे हंटर से मारे जाएंगे ।" इसके बाद भी शनाया नही रुकी-,"मिस्ट्रेस के बूट्स चाटकर थैंक्यू न कहने के लिए 'हैवी राइड' की सजा।"

रॉय को ऐसी ही सजा की उम्मीद थी । शनाया ने उसे सभी जरूरी सामान जंगल हाउस के सामने वाली खाली जगह में रखकर तैयार रहने का हुक़्म दिया । रॉय की तैयारियां पूरी हो चुकी थी । शनाया ने सजा शुरू की और अगले तीन घण्टे तक ऊटी के उस सुनसान जंगली इलाके में हवा में हंटर लहराने की आवाज़ और रॉय की चीखों के अलावा कुछ भी नही सुनाई दे रहा था । रात के एक बजे थे । रॉय की 'हैवी राइड' सजा का समय था । शनाया के सामने वो किसी कुत्ते की तरह बैठा था । शनाया ने उसकी पीठ पर घोड़े की जीन रखी और बैठ गयी । अब शनाया रॉय की सवारी कर रही थी । उसने अपने बूट्स से रॉय की गांड़ पर ठोकरें मारना शुरू किया तो रॉय ने रेंगना शुरू किया । रॉय को जंगल हाउस के ही दस चक्कर लगाने थे इसलिए उसने ये काम एक घण्टे में कर लिया था । शनाया के वजन कि वजह से उसकी कमर में असहनीय दर्द हो रहा था । शनाया ने रात दो बजे रॉय को छोड़ा और उसे एक पेड़ के तने से किसी कुत्ते की तरह बांधकर घर की रखवाली करने का आदेश देकर सोने चली गयी । रॉय के लिए ये दिन पिछले कुछ महीनों में जिया गया सबसे अनूठा दिन था । शनाया की क्रूरता पैंडोरा की मिस्ट्रेस से किसी हाल में कम नही थी । उन दोनों ने पूरा 'सेशन' रिकॉर्ड किया था इसलिए वीडियो देखकर वो एक दूसरे की कमियों को भी पूरा कर सकते थे । रॉय दिन भर की थकान की वजह से बाहर वहीं घास पर सो गया था । बाहर ठंड ज्यादा थी लेकिन ग़ुलाम को कपड़े, कम्बल या सेंकने के लिए आग और हीटर दिए जाने का नियम नही था । शनाया अंदर अपने बेडरूम में मखमली रजाई में चैन से सो रही थी । आज का दिन उसके लिए भी थकाने वाला था । देर से सोने का नतीजा ये रहा कि शनाया अगली दोपहर बारह बजे सोकर उठी थी । उधर रॉय की नींद सुबह दस बजे से ही खुली थी, लेकिन जंजीरों से पेड़ में बंधे होने के कारण वह कहीं जा नही सकता था । उसने अगले दो घण्टे तक इंतजार किया । शनाया जब बाहर आई तो रॉय गुलामो की तरह ही अपने घुटनों पर बैठा था । शनाया की चप्पलों को चाटकर उसने 'गुड मॉर्निंग' कहा । शनाया ने मुस्कुराकर उसका जवाब दिया और उसे जंजीर से अलग किया । रॉय के पास बाथरूम से लेकर नहाने तक के लिए बस पन्द्रह मिनट का समय था । उसके बाद उसने शनाया के लिए सीधे लंच तैयार किया ।

"आपका अनुभव कैसा रहा कल का? कोड़ों की मार से ज्यादा तकलीफ़ तो नही हुई?"- शनाया ने पूछा ।

रॉय ने शनाया की तारीफ करते हुए बताया कि उसके लिए पिछला दिन पैंडोरा से कम नही था । शनाया अपने पहले 'सेशन' से खुश थी । अब वो किसी भी लेवल के एक्ट को पूरा कर सकती थी ।

दोपहर के लंच के बाद रॉय का अगला टास्क 'लेबर स्लेवरी' का था । ये काम जल्दी खत्म करना था क्योंकि रविवार का दिन था और रात के नौ बजे ही दोनों को वापस निकलना था। शनाया ने बहुत ही हल्का टास्क दिया था ।

" यहां एक स्विमिंग पूल होना चाहिए । आपका अगला टास्क ये है कि घर के पीछे स्विमिंग पूल के लिए एक बड़ा गङ्ढा बनाइये और उसकी मिट्टी को घर के बगल वाले लॉन में डालिये, जहां मैं अगली ट्रिप पर अपने मनपसंद पौधे लगाउंगी ।"-शनाया का ये आदेश सुनकर रॉय ने कुदाल और फरसा उठाया और बिना रुके काम पर लग गया । शनाया के लिए लंच तैयार था तो उसने खाना खाया और कुछ टुकड़े रॉय की ओर भी फेके । दोपहर से शाम कैसे हुई, दोनों को ही नहीं पता चला । रात के आठ बजे रॉय ने स्विमिंग पूल का गड्ढा तैयार कर दिया था । शनाया उसकी मेहनत से खुश थी। दोनों ने अपने आप को तैयार किया और सेशन के सारे वीडियो अपने-अपने लैपटॉप में रखकर एयरपोर्ट की ओर चल पड़े । रॉय वापस गोआ जा रहा था । शनाया को मुंबई पहुंचना था।

"तो फिर अगली बार?"-रॉय ने कहा ।

"आप पहले ठीक हो जाइए। हंटर के निशान खत्म होने में दो-तीन महीने लगेंगे । उसके बाद हम लोग फिर से कुछ प्लान कर लेंगे। तब तक के लिए हमारे वीडियो तो रहेंगे ही.।"-शनाया ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया ।

दोनों अलग-अलग रास्ते पर निकल गए थे लेकिन रॉय को अपने मन-मुताबिक रास्ते बनाने का हुनर पता था । उसकी पत्नी और बच्चों ने उसे नही समझा था लेकिन शनाया उसकी बहू होने के बाद भी उसे न केवल अच्छे से समझ रही थी बल्कि उसकी फैंटेसी पूरी करने में पूरी तरह से उसका साथ भी दिया । प्लेन में रॉय के दिमाग मे एक नया प्लान तैयार हुआ था । गोआ पहुंचकर सबसे पहले उसने शनाया को फोन किया था ।

Vir_kam
Vir_kam
1 Followers
12