शकूरे की बीवी

Story Info
The mature wife of the barber fucks the young family help.
926 words
3.54
186
00
Share this Story

Font Size

Default Font Size

Font Spacing

Default Font Spacing

Font Face

Default Font Face

Reading Theme

Default Theme (White)
You need to Log In or Sign Up to have your customization saved in your Literotica profile.
PUBLIC BETA

Note: You can change font size, font face, and turn on dark mode by clicking the "A" icon tab in the Story Info Box.

You can temporarily switch back to a Classic Literotica® experience during our ongoing public Beta testing. Please consider leaving feedback on issues you experience or suggest improvements.

Click here

हमारे घर की बगल में शकूरे का घर था। छोटा-सँकरा, जिसमें रहते थे शकूरा, उसकी बीवी शबाना, दो बेटियाँ और एक बेटा। शकूरे की नाई की दूकान थी। घर पर उसने रिक्शों की मरम्मत का कारखाना बनाया हुआ था। उसे उसका भरोसेमंद नौकर असलम चलाता था। शकूरा होगा करीब ५५ साल का और उसकी बीवी ५० की।

शकूरे की बीवी पहली मैच्योर औरत थी जिसे मैंने चुदवाते देखा था। वह भी एक पराए मरद से।

हुआ ये कि हमारे घर की एक खिड़की शकूरे के घर-कारखाने के ठीक सामने थी। बीच में गली थी। सारे निम्न मध्यम घरों की तरह उसके दरवाज़े पर एक पुराना, गंदा पर्दा पड़ा रहता था। पर्दे और फर्श के बीच में काफी दूरी थी इसलिए नीचे और अगल-बगल से हमारी खिड़की से अंदर के दालान की गतिविधियों की झलक मिलती रहती थी। शकूरे की बेगम उस गरीब घर की गंदगी और मटमैलेपन के बावजूद खूबसूरत थी। जवानी में तो गज़ब रह होगी। उस ढलती उम्र में भी मेरे जैसे नौजवान के लिए वह बड़ी सेक्सी और नमकीन थी। हर वक्त मुँह में दबे पान से लाल होंठ कभी कभी ही परदे के पीछे या जब कभी वह परदा हटा कर दरवाजे पर आती तो मादक दिखते थे। गेहुँए रंग की, लंबी और छरहरी थी एक भरे-भरे ढंग से।

वह दिन भर दालान में तख्त पर बैठी कुछ न कुछ करती रहती। बच्चे बाहर जाते आते रहते थे। असलम घर के बाहर रिक्शे ठीक करता रहता। बीच-बीच में कोई औजार, कोई पुर्जा लेने अंदर जाता-आता रहता। उसके लिए कोई परदा नहीं था। वो घर का अंतरंग हिस्सा था। जवान, साँवला, दुबला पतला लेकिन फुर्तीला, अपने तरीके से स्मार्ट। शकूरा दिन में तीन चार बार पास की ही अपनी नाई की दूकान से घर आ जाता था, खाना खाने या रिक्शा मरम्मत का काम देखने। उस घर के दरवाजे कभी दिन में बंद नहीं देखे। रात को ही होते थे जब मियाँ बीवी भीतर और बच्चे बाहर गली में चारपाईयों पर सोते थे। असलम भी अक्सर वहीं सोता-खाता था क्योंकि रिक्शा वाले अपने रिक्शे ठीक करवाने सुबह जल्दी ही आ जाते थे और उसका काम शुरू हो जाता था। पता नहीं पाखाने के लिए ये लोग कहाँ जाते थे, घर के भीतर होने की तो गुंजाइश ही नहीं दिखती थी बाहर से। असलम उम्र में ३० से ज्यादा का नहीं था। शबाना बेगम कम से कम ५० की लगती थीं। छाती मोहक थी, चूचियाँ बड़ी थीं पर दूर से देख कर लगता था कि लटक गई थीं। घाघरे से टखने के ऊपर की चिकनी टाँगे मेरे जवान मन को लुभाती रहती थीं।

एक दिन दिख गया असलम उस घर का कितना अंतरंग था।

मैं अपने कमरे में बैठा कुछ कर रहा था कि अचानक निगाह सामने के परदे वाले घर पर गई। दो नंगी जनाना टाँगे और उनके पीछे दो बालों वाली मर्दाना टाँगे। दोनों जोड़े आगे पीछे होते हुए। तेज हवा के एक झोंके ने मामला साफ कर दिया। शबाना बेगम कमर तक अपना घाघरा उठाए तख्त पर पीछे से पूरी नंगी झुकी हुई थीं और जवान असलम पीछे अपना ढीला जाँघिया उठाए उन्हें चोद रहा था।

जैसे ही कोई गली से गुज़रता दिखता दोनों खट से अलग हो जाते। बेगम जल्दी से घाघरा नीचे कर खड़ी हो जाती या बैठ जाती और असलम जाँघिया नीचे कर कुछ काम में लग जाता। दोबारा मौका मिलने पर दोनों फिर चोदने लगते।

फिर तो मैं अक्सर ही यह देखने लगा। समय मिलते ही माँ बाप से छुपा कर कमरे में खिड़की के सामने बैठ जाता और शबाना-असलम शो का इंतज़ार करता। देखने का मौका लेकिन महीने में दो तीन बार से ज्यादा न मिलता।

एक दिन तो दोनों दोपहर को इसी खड़ी चुदाई में शुरु हुए ही थे, असलम ने बेगम की चूत में दो तीन बार ही पेला था कि शकूरा आ गया। दोनों आहट पाते ही ऐसी फुर्ती और घबराहट से अलग हुए कि मैं हैरान रह गया। दोनों बच गए। ज़ाहिर था दोनों को ऐसी आहटों का काफी तजुर्बा हो चुका था।

इसके कुछ दिनों बाद ही काम के लिए घर छोड़ना पड़ा। लेकिन शकूरे की बेगम अब इतने दशकों बाद भी कभी-कभी याद आती है, इस कसक के साथ कि काश एक बार मैच्योर औरत और जवान लड़के की चुदाई पूरी देखने का मौका मिल जाता। यह भी नहीं पता कि उन दोनों को भी कभी चैन से, किसी के आ जाने के डर से आजाद होकर खुल कर चोदने का मौका मिला कि नहीं।

यह भी लगता है कि क्या शकूरे को सचमुच नहीं पता चला होगा कि उसकी गर्म बीवी जवान कारीगर से फँसी है। शकूरा खुद तो बदन का कमज़ोर था और बूढ़ा हो चला था। समझ में आता है कि ऐसी मस्त बीवी को संतुष्ट नहीं कर पाता होगा। साथ रहते रहते मियाँ बीवी एक दूसरे की बुनियादी प्रकृति को समझ जाते हैं। क्या यह हो सकता है कि शकूरे को कभी शक न हुआ हो? क्या यह हो सकता है कि जैसे खुले दरवाजे और छोटे पर्दे के पीछे दोनों अपने रंगीन खेल खेलते थे शकूरे या उसके बच्चों ने कभी न कभी उन्हें आधे नंगे, चुदाई करते देख न लिया हो? हो सकता है असलम अपने काम में इतना होशियार था कि उसे भगाने की हिम्मत शकूरे में नहीं रही हो। बीवी को खुश रखने और होशियार कारीगर को बनाए रखने के लिए उसने यह रिश्ता जान कर भी आँखें बंद कर ली होंगी। या उसे भी बीवी के इस रिश्ते में खुद भी मज़ा आता हो। बहुत से पतियों को आता है।

मेरे ख्याल में मेरी जिंदगी का यह पहला ककोल्ड मामला था भले ही तब मैं इस शब्द से ही नावाकिफ़ था।

Please rate this story
The author would appreciate your feedback.
  • COMMENTS
Anonymous
Our Comments Policy is available in the Lit FAQ
Post as:
Anonymous
Share this Story

Similar Stories

प्यासी शबाना (भाग - १) Pyaasi Shabana: Shabana's extra-marital affair with Pratap.in Erotic Couplings
ननद और भाभी की चुदाई Deenu fucks his land-lady and her sister-in-law too.in Erotic Couplings
बानो Bano, The Fucking Machinein Fetish
चौधराईन की दरबार (भाग-1) चौधराईन की दरबार में सबको बराबर की इंसाफ मिलेगी ।in Transgender & Crossdressers
छोटे लंड का पति Newly married has sex with husband's younger brother & boss.in Loving Wives
More Stories