अम्मी बनी सास 077

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मुझे अम्मी की मदद करनी चाहिए
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Part 77 of the 92 part series

Updated 06/10/2023
Created 05/04/2021
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अम्मी बनी सास

PART 077

मुझे अम्मी की मदद करनी चाहिए

"लगता है अम्मी से शायद अलमारी बंद नही हो पा रही, इसी लिए वो अलमारी को बंद करने के लिए अपने जिस्म का पूरा ज़ोर लगा रही हैं"अपनी अम्मी को ज़ोर लगा कर अपने कपड़ों वाली अलमारी को बंद करते हुए देख कर ज़ाहिद को अंदाज़ा हुआ।

"मुझे जा कर अपनी अम्मी की मदद करने चाहिए" ज़ाहिद के दिल में ख्याल आया।

"रुक जा इधर और अपनी अम्मी की पीछे से उठी हुई चौड़ी और भारी गान्ड लुफ्त उठा यार।" दूसरे ही लम्हे ज़ाहिद के लंड ने उस के दिमाग़ में ख्याल डाला और ज़ाहिद अपने लंड की मान कर अपनी अम्मी के मोटे चुतड़ों को पीछे से देख कर मस्त होने लगा।

" साले ज़ाहिद, बेह्न्चोद, अपनी सग़ी बहन को तो तुम चोद ही चुके हो और अब अपनी ही सग़ी अम्मी को गुनाह भरी नज़रों से देख रहे हो, शरम आनी चाहिए तुम,अगर शाज़िया को इस बात का पता चल गया तो वो क्या सोचे गी?" ज़ाहिद के दिल में इन ख्यालों ने जनम लिया। लेकिन चाहने के बावजूद ज़ाहिद के ज़हन से अपनी अम्मी के भरे हुए जिस्म का नशा नही उतर रहा था।

इसीलिए ज़ाहिद हर बात और सोच को नज़रअंदाज कर के अपनी अम्मी के मस्त मोटे जिस्म को देखने में मशगूल रहा।

ज़ाहिद को अपने कमरे में खड़े हो कर भी अपनी अम्मी रज़िया बीबी के मस्त चूतड़ और उन चुतड़ों के दरमियाँ अपनी अम्मी की गान्ड की दरार सॉफ नज़र आ रही थी।

अपनी अम्मी की शलवार कमीज़ में कसी हुई गान्ड को यूँ सुबह सुबह देख कर ज़ाहिद का लंड एक बार फिर अपनी अम्मी के मोटे और भारी जिस्म के लिए उस की पॅंट में खड़ा होने लगा था।

(जैसे के आप सब जानते हैं कि क़ुदरत ने औरत में ये खास सलाहियत रखी है, कि वो अपने जिस्म पर पड़ने वाली मर्द की निगाह का मतलब फॉरन समझ जाती है।)

इसीलिए दूसरी तरफ रज़िया बीबी बे शक अपने बेटे ज़ाहिद की तरफ पानी पीठ किए खड़ी थी।

मगर इस के बावजूद रज़िया बीबी को अपने बेटे की गरम नज़रें पीछे से अपनी गान्ड में चुबती हुई बिल्कुल सही तरीके से महसूस हो रही थी।

रज़िया बीबी बे शक ज़ाहिद की माँ थी। मगर माँ होने के साथ साथ रज़िया बीबी आख़िर कर एक औरत भी थी।

और हर औरत की तरह रज़िया बीबी भी मर्दों को तड़पाने का खेल खेलने का फन अच्छी तरह आता था।

अपनी जवानी और अपने शोहर की जिंदगी में रज़िया बीबी के दिल में किसी मर्द को अपनी जवानी के जलवे दिखा कर लुभाने का ख्याल नही आया था।

मगर आज अपनी गान्ड और जिस्म पर अपने ही जवान बेटे की पड़ती हुई गरम निगाहों ने रज़िया बीबी के अंदर की चुड़क्कड़ औरत को बे दार कर दिया।

और वो जान बूझ कर अपनी भारी गान्ड की पहाड़ियों को इस अंदाज़ में हिलाने लगी। जिसे देख देख कर उस के बेटे ज़ाहिद की अपनी अम्मी के जिस्म के लिए दीवानगी बढ़ती जा रही थी।

इधर जिस वक्त रज़िया बीबी अलमारी को बंद करने में मसरूफ़ थी।

तो दूसरी तरफ उसी वक्त शाज़िया किचन से निकल कर अपने भाई ज़ाहिद के कमरे की तरफ आई। गई थी।

जब शाज़िया आहिस्ता आहिस्ता कदमों से चलती हुई अपने भाई के कमरे की खिड़की के करीब पहुँची।

तो उस की नज़र अपने भाई ज़ाहिद पर पड़ी। जो इस वक्त चाहिए का कप अपने हाथ में कपड़े हुए हर बात से बे खबर अपनी अम्मी के गरम वजूद को अपनी प्यासी आँखों से सैंक कर गरम हो रहा था।

जिस वजह से नीचे से उस का मोटा बड़ा लंड उस की पॅंट में पूरी शिद्दत से अकड कर खड़ा हो चुका था।

शाज़िया कमरे के बाहर जिस जगह खड़ी थी। वहाँ से वो अपने भाई ज़ाहिद के कमरे और उसके सामने बने स्टोर को देख सकती थी। मगर ज़ाहिद के कमरे या स्टोर में मौजूद उस की अम्मी को शाज़िया की बरामदे में मौजूदगी का इल्म नही हो सकता था।

"ये सुबह सुबह चाय पीते वक्त भाई का लंड क्यों और किस के लिए इतना अकड कर खड़ा है" ज्यों ही कमरे के बाहर से शाज़िया की नज़र अपने भाई के लंड पर पड़ी। तो उसे अपने भाई का लंड यूँ खड़ा देख कर हैरत हुई।

ज़ाहिद को अपनी बहन शाज़िया के कमरे के बाहर मौजूदगी का अहसास ना हुआ। और वो यूँ ही खड़े खड़े अपनी अम्मी की भारी गान्ड की पहाड़ियों को आँखे फाड़ फाड़ कर ठहरने में मसरूफ़ रहा।

दूसरी तरफ शाज़िया ने अपने भाई के मोटे और खड़े हुए लंड से अपनी नज़रें हटा कर अपने भाई के चेहरे पर अपनी निगाह डाली। तो उस ने अपने शोहर/भाई को अपने कमरे से बाहर देखते हुए पाया।

"देखूं तो सही मेरे भाई का लंड,मेरे भाई का लंड आज किस फुददी के लिए इतना मचल रहा है भला" शाज़िया के दिल में ख्याल आया।

शाज़िया की नज़रें ज्यों ही अपने भाई की नज़रों का पीछा करती हुई दूसरे कमरे की तरफ गईं। तो ज़ाहिद की तरह शाज़िया की नज़र भी दूसरे कमरे में मौजूद अपनी अम्मी रज़िया बीबी पर पड़ी। जो इस वक्त अपनी अलमारी खोल कर उस में बिखरे हुए कपड़ों को समेटने में मसरूफ़ थी।

अपनी अम्मी को दूसरे कमरे में मौजूद पा कर शाज़िया का मुँह हैरत से खुला का खुला रह गया।

"उफफफफफफफफ्फ़ ये कैसे हो सकता है, मेरे शोहर का लंड मेरी सास, और अपनी सग़ी अम्मी की गान्ड के लिए भला कैसे मचल सकता है" शाज़िया ने अपनी अम्मी की मोटी गान्ड से अपनी नज़रें वापिस अपने भाई के खड़े हुए लंड की तरफ मोडी।

शाज़िया की नज़रें ज्यों ही दुबारा अपने भाई के खड़े हुए लंड पर पड़ीं। तो अपने भाई ज़ाहिद की पॅंट में खड़े हुए लंड को देख कर शाज़िया को यकीन नही हो रहा था कि वो जो देख रही है। वो कोई ख्वाब नही बल्कि एक हक़ीकत है।

इसी दौरान ज़ाहिद अपना चाय का कप टेबल पर रख कर अपनी अलमारी से अपनी शर्ट निकालने लगा । तो शाज़िया की नज़र दुबारा स्टोर में खड़ी हुई अपनी अम्मी की तरफ गई।

इधर रज़िया बीबी भी अपनी कनखियों से अपने बेटे ज़ाहिद की सब हरकतों का जायज़ा ले रही थी।

अपने बेटे को बाथरूम में नहाते देख रज़िया बीबी की चूत तो पहले की गरम हो चुकी थी। और अब अपने बेटे को यूँ भूकि नज़रों से अपने शरीर का जायज़ा लेते देख कर रज़िया बीबी की फुद्दि अपना पानी पूरी तरह छोड़ रही थी।

इसीलिए ज़ाहिद का ध्यान रज़िया बीबी से हटा। तो स्टोर में मौजूद रज़िया बीबी एक दम से थोड़ा सा वापिस मूडी और उस ने ज़ाहिद के कमरे की तरफ अपनी नज़र दौड़ाई । ।

इस के साथ रज़िया बीबी ने अपना एक हाथ नीचे ले जा कर अपनी शलवार के ऊपर से अपनी फुद्दि को छुआ तो रज़िया बीबी के मुँह से एक "सिसकी" सी निकल गई।

"उफफफफफफफफफफफफफफ्फ़! ये तो उसी सिसकी की आवाज़ है जो मेने कुछ दिन पहले ज़ाहिद से अपनी गान्ड मरवाते सुनी थी" अपनी अम्मी को यूँ अपने बेटे ज़ाहिद के कमरे की तरफ देख कर अपनी चूत से खेलते देख कर शाज़िया ने सोचा और अपनी अम्मी की इस हरकत पर शाज़िया हैरतजदा हो गई। जब शाज़िया आहिस्ता आहिस्ता कदमों से चलती हुई अपने भाई के कमरे की खिड़की के करीब पहुँची।

तो उस की नज़र अपने भाई ज़ाहिद पर पड़ी। जो इस वक्त चाहिए का कप अपने हाथ में कपड़े हुए हर बात से बे खबर अपनी अम्मी के गरम वजूद को अपनी प्यासी आँखों से सैंक कर गरम हो रहा था।

जिस वजह से नीचे से उस का मोटा बड़ा लंड उस की पॅंट में पूरी शिद्दत से अकड कर खड़ा हो चुका था।

शाज़िया कमरे के बाहर जिस जगह खड़ी थी। वहाँ से वो अपने भाई ज़ाहिद के कमरे और उसके सामने बने स्टोर को देख सकती थी। मगर ज़ाहिद के कमरे या स्टोर में मौजूद उस की अम्मी को शाज़िया की बरामदे में मौजूदगी का इल्म नही हो सकता था।

"ये सुबह सुबह चाय पीते वक्त भाई का लंड क्यों और किस के लिए इतना अकड कर खड़ा है" ज्यों ही कमरे के बाहर से शाज़िया की नज़र अपने भाई के लंड पर पड़ी। तो उसे अपने भाई का लंड यूँ खड़ा देख कर हैरत हुई।

ज़ाहिद को अपनी बहन शाज़िया के कमरे के बाहर मौजूदगी का अहसास ना हुआ। वो यूँ ही खड़े खड़े अपनी अम्मी की भारी गान्ड की पहाड़ियों को आँखे फाड़ फाड़ कर ठहरने में मसरूफ़ रहा।

दूसरी तरफ शाज़िया ने अपने भाई के मोटे और खड़े हुए लंड से अपनी नज़रें हटा कर अपने भाई के चेहरे पर अपनी निगाह डाली। तो उस ने अपने शोहर/भाई को अपने कमरे से बाहर देखते हुए पाया।

"देखूं तो सही मेरे भाई का लंड,मेरे भाई का लंड आज किस फुददी के लिए इतना मचल रहा है भला" शाज़िया के दिल में ख्याल आया।

शाज़िया की नज़रें ज्यों ही अपने भाई की नज़रों का पीछा करती हुई दूसरे कमरे की तरफ गईं। तो ज़ाहिद की तरह शाज़िया की नज़र भी दूसरे कमरे में मौजूद अपनी अम्मी रज़िया बीबी पर पड़ी। जो इस वक्त अपनी अलमारी खोल कर उस में बिखरे हुए कपड़ों को समेटने में मसरूफ़ थी।

अपनी अम्मी को दूसरे कमरे में मौजूद पा कर शाज़िया का मुँह हैरत से खुला का खुला रह गया।

"उफफफफफफफफ्फ़! ये कैसे हो सकता है, मेरे शोहर का लंड मेरी सास, और अपनी सग़ी अम्मी की गान्ड के लिए भला कैसे मचल सकता है।" शाज़िया ने अपनी अम्मी की मोटी गान्ड से अपनी नज़रें वापिस अपने भाई के खड़े हुए लंड की तरफ मोडी।

शाज़िया की नज़रें ज्यों ही दुबारा अपने भाई के खड़े हुए लंड पर पड़ीं। अपने भाई ज़ाहिद की पॅंट में खड़े हुए लंड को देख कर शाज़िया को यकीन नही हो रहा था कि वो जो देख रही है, वो कोई ख्वाब नही बल्कि एक हक़ीकत है।

इसी दौरान ज़ाहिद अपना चाय का कप टेबल पर रख कर अपनी अलमारी से अपनी शर्ट निकालने लगा । शाज़िया की नज़र दुबारा स्टोर में खड़ी हुई अपनी अम्मी की तरफ गई।

इधर रज़िया बीबी भी अपनी कनखियों से अपने बेटे ज़ाहिद की सब हरकतों का जायज़ा ले रही थी।

अपने बेटे को बाथरूम में नहाते देख रज़िया बीबी की चूत तो पहले की गरम हो चुकी थी। और अब अपने बेटे को यूँ भूकि नज़रों से अपने शरीर का जायज़ा लेते देख कर रज़िया बीबी की फुद्दि अपना पानी पूरी तरह छोड़ रही थी।

इसीलिए ज़ाहिद का ध्यान रज़िया बीबी से हटा। तो स्टोर में मौजूद रज़िया बीबी एक दम से थोड़ा सा वापिस मूडी और उस ने ज़ाहिद के कमरे की तरफ अपनी नज़र दौड़ाई । ।

इस के साथ रज़िया बीबी ने अपना एक हाथ नीचे ले जा कर अपनी शलवार के ऊपर से अपनी फुद्दि को छुआ तो रज़िया बीबी के मुँह से एक "सिसकी" सी निकल गई।

"उफफफफफफफफफफफफफफ्फ़! ये तो उसी सिसकी की आवाज़ है जो मेने कुछ दिन पहले ज़ाहिद से अपनी गान्ड मरवाते सुनी थी" अपनी अम्मी को यूँ अपने बेटे ज़ाहिद के कमरे की तरफ देख कर अपनी चूत से खेलते देख कर शाज़िया ने सोचा और अपनी अम्मी की इस हरकत पर शाज़िया हैरतजदा हो गई।

जारी रहेगी

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