अम्मी बनी सास 080

Story Info
अम्मी की जिन्सी तलब
1.6k words
4.6
165
0

Part 80 of the 92 part series

Updated 06/10/2023
Created 05/04/2021
Share this Story

Font Size

Default Font Size

Font Spacing

Default Font Spacing

Font Face

Default Font Face

Reading Theme

Default Theme (White)
You need to Log In or Sign Up to have your customization saved in your Literotica profile.
PUBLIC BETA

Note: You can change font size, font face, and turn on dark mode by clicking the "A" icon tab in the Story Info Box.

You can temporarily switch back to a Classic Literotica® experience during our ongoing public Beta testing. Please consider leaving feedback on issues you experience or suggest improvements.

Click here

अम्मी बनी सास

PART 080

अम्मी की जिन्सी तलब

रज़िया बीबी के जिस्म में एक करंट से दौड़ गया। जिस वजह से ना सिर्फ़ रज़िया बीबी का जिस्म थोड़ा सा कांप गया। बल्कि साथ ही साथ रज़िया बीबी का चेहरा भी शरम से लाल होने लगा।

शाज़िया ने अपनी अम्मी के जिस्म की हालत और उन के चेहरे का बदलता हुआ रंग देख लिया था।

"मुझे चाहिए कि में अम्मी को मोका दूं, ता कि अम्मी तेन्हाई में अपने बेटे ज़ाहिद के हाथों सेलेक्ट किए गये अंडर गारमेंट्स को अच्छी तरह देख कर इस लम्हे को एंजाय कर सके" ये बात सोच कर शाज़िया ने टीवी लाउन्ज से खिसक जाना ही मुनासिब समझा। और "अम्मी मैं ज़रा पानी पी आऊ"कहती हुई किचन की तरफ चल पड़ी।

इतनी देर में रज़िया बीबी का ध्यान शॉपिंग बॅग पर गया। तो उसे महसूस हुआ कि बॅग में कोई चीज़ पड़ी रह गई। जिसे रज़िया बीबी ने अभी तक नही देखा।

रज़िया बीबी ने जल्दी से शॉपिंग बॅग को उल्टाया। तो शाज़िया की खरीदी हुई हेर रिमूविंग क्रीम बॅग से निकल कर टेबल पर गिर पड़ी।

उधर दूसरी तरफ शाज़िया ज्यों ही किचन में जाने के लिए वापिस मूडी। तो उस के कान में अपनी अम्मी की आवाज़ दुबारा से गूँजी "ये हेर रिमूविंग क्रीम तुम्हारी है शाज़िया"।

"ये भी में और ज़ाहिद भाई आप ही के लिए लाए हैं अम्मी" अपनी अम्मी की बात सुन कर शाज़िया के चेहरे पर एक शैतानी मुस्कराहट फैली। और बहुत सकून से अपनी अम्मी की बात का जवाब देते हुए शाज़िया किचन में दाखिल हो गई।

"ये क्या बकवास कर रही हो तुम शाज़िया" अपनी बेटी का जवाब सुनते ही रज़िया बीबी शाज़िया के पीछे चीखी।

मगर इतनी देर में शाज़िया अंजान बन कर अपनी अम्मी की नज़रों से ओजल हो चुकी थी।

"उफफफफफफफफफफफ्फ़ ये आज हो क्या रहा है इस घर में,मेरे बेटे ने ना सिर्फ़ मेरे लिए आज अपनी पसंद की सेक्सी अंडर गारमेंट्स सेलेक्ट की हैं,बल्कि अपनी अम्मी की चूत के लिए शेविंग क्रीम भी उठा लाया है आज" अपनी बेटी शाज़िया के किचन में जाते ही रज़िया बीबी ने शेविंग क्रीम को अपने हाथ में पकड़े हुआ सोचा।

अपने बेटे ज़ाहिद की अपनी अम्मी के लिए की गई शॉपिंग को देख देख कर रज़िया बीबी बहुत गरम हो चुकी थी।

रज़िया बीबी अभी अपनी सोचो में ही मगन थी। कि इतने में उस के मोबाइल फोन की बेल बज उठी।

अपने हाथ में पकड़ी हुई शेविंग क्रीम को अपने सामने पड़े टेबल पर रख कर रज़िया बीबी अपने सेल फोन की तरफ मुत्वजो हो गई।

ये रज़िया बीबी की कराची वाली बेटी की कॉल थी। जिस ने आज काफ़ी टाइम के बाद अपनी अम्मी को याद किया था।

अपनी कराची वाली बेटी से बातें करने के दौरान ही रज़िया बीबी ने शाज़िया और ज़ाहिद की लाई हुई अंडर गारमेंट्स और शेविंग क्रीम को दुबारा शॉपिंग बाग में रख कर बाग अपने कमरे की अलमारी में रख दिया।

अपने बच्चो की तरफ से की गई इस स्पेशल शॉपिंग को देख कर रज़िया बीबी की चूत गरम तो ज़रूर हुई थी।

मगर अपने घर के काम काज में मसरूफ़ियत की वजह से वो उस दिन अपनी चूत की आग को अपने हाथ से ठंडा ना कर पाई।

इस दौरान रात हो गई तो दोनो माँ बेटी अपने कमरे में जा कर अपने अपने बिस्तर पर सो गईं।

उस रात देर गये ज़ाहिद जब घर वापिस लोटा। तो हुस्बे मामूल शाज़िया और रज़िया बीबी उस वक्त तक सो चुकी थी। इसीलिए ज़ाहिद और रज़िया बीबी का आपस में सामना ना हुआ।

दूसरी सुबह ज़ाहिद अपनी अम्मी और शाज़िया के उठने से पहले की अपने पोलीस स्टेशन चला आया। इसीलिए आज भी ज़ाहिद का अपनी अम्मी रज़िया बीबी से सामना ना हुआ।

उस दिन ज़ाहिद का जन्म दिन था। मगर हर साल की तरह इस साल भी ज़ाहिद को अपना बर्थदे का दिन याद नही था।

चूँके अपनी बहन का शोहर बनने के बाद ये ज़ाहिद की पहली साल गिरह थी।

इसीलिए एक अच्छी और प्यार करने वाली बीवी की तरह शाज़िया को अपने जानू शोहर का ये जनम दिन बहुत अच्छी तरह याद था।

"क्यों ना में शाम से पहले बाज़ार जा कर अपने भाई के लिए गिफ्ट और केक ले आऊँ,और शाम को घर वापसी पर अपनी जान ज़ाहिद को एक सर्प्राइज़ दूं " अपने घर के काम काज से फारिग हो कर शाज़िया ने सोचा।

ये सोच कर शाज़िया ने दोपहर का खाना बनाया और फिर फारिग हो बाज़ार जाने के लिए तैयार हो गई।

"अम्मी में ज़रा मार्केट तक जा रही हूँ" तैयार हो कर ज्यों ही शाज़िया अपने कमरे से बाहर आई। तो उस ने सामने सोफे पर बैठी अपनी अम्मी से कहा।

"तुम तो कल ही ज़ाहिद के साथ बाज़ार गईं थी,क्या कोई चीज़ रह गई थी जो अब अकेले मार्केट जा रही हो बेटी" रज़िया बीबी ने सोफे पर बैठे बैठे अपनी बेटी से पूछा।

"अच्छा आप को बता देती हूँ,मगर आप को वादा करना हो गा कि आप ज़ाहिद भाई से इस बात का ज़िक्र नही करो गीं" शाज़िया ने अपनी अम्मी से रिक्वेस्ट की।

ऐसी भी कौन सी राज़ की बात है शाज़िया,अच्छा चलो नही बताउन्गी" रज़िया बीबी ने अपनी बेटी से वादा कर लिया।

"वो असल में आज ज़ाहिद भाई की साल गिरह (बर्थ डे) है,इसीलिए में भाई के लिए गिफ्ट और केक लेने जा रही हूँ'ताकि आज शाम को उन्हे सूप्राइज़ दे सकून" शाज़िया ने अपने दिल की बात अपनी अम्मी से कह दी।

"अच्छा जाओ मगर ज़रा जल्दी आ जाना बेटी" रज़िया बीबी ने अपनी बेटी को इजाज़त दे दी। तो शाज़िया टॅक्सी ले कर अपने घर के करीब ही एक शॉपिंग मार्केट में चली गई।

उस रोज़ एक तो गर्मी की शिद्दत और दूसरी लोड शेडिंग की भर मार ने रज़िया बीबी के बहरूनी जिस्म का बुरा हाल किया हुआ था।

और वैसे भी अपने बेटे के लाए हुए स्पेशल गिफ्ट के बारे में सोच सोच कर रज़िया बीबी के जिस्म के अंदूनी हिस्सो में गर्मी की शिद्दत कल से भरी हुई थी।

जिस की वजह से रज़िया बीबी की शलवार में उस की मोटी फुद्दि सारी रात चिप चिप करती रही थी।

"जब तक शाज़िया शॉपिंग कर के वापिस आती है,उस वक्त तक क्यों ना में जल्दी से शवर ले कर अपने अंदर और बाहर की गर्मी को थोड़ा कम कर लूँ" अपनी बेटी शाज़िया के घर से बाहर निकलते ही रज़िया बीबी ने बाथ रूम में जा कर नहाने का सोचा।

ये सोच जेहन में आते ही रज़िया बीबी अपने कमरे में गई।

और अपनी कमीज़ उतार कर बिस्तर पर फैंक दी।

रज़िया बीबी ने अपनी कमीज़ के नीचे हमेशा की तरह आज भी देसी स्टाइल का एक पुराना ब्रेज़ियर ही पहना हुआ था।

अपनी कमीज़ उतार कर ज्यों ही रज़िया बीबी ने कमरे के शीशे के सामने अपने सेरपे का जायज़ा लिया। तो जिंदगी में पहली बार आज रज़िया बीबी को अपना ये देसी स्टाइल का पुराना ब्रेज़ियर अच्छा नही लगा।

"नहाने के बाद क्यों ना में आज अपने बेटे ज़ाहिद का पसंद किया हुआ ब्रेज़ियर और पैंटी पहन लूँ" रज़िया बीबी के जेहन में ख्याल आया।

इस के साथ ही अपने ब्रेजियर को अपने जिस्म से उतारने के इरादे से रज़िया बीबी अपने हाथों को अपनी छातियों पर लाई। और अपनी हाथों से अपने ब्रेज़ियर के कप्स को अपनी छातियों से नीचे किया।

तो रज़िया बीबी के दोनो भारी भारी मम्मे झट से उस के ब्रेज़ियर के कप्स से बाहर निकल आए।

"उफफफफफफफफफफ्फ़! आआआआ! मेरे मम्मों के निपल्स कितने मोटे हो गये हैं" रज़िया बीबी ने अपने मम्मो के ब्राउन निपल्स को अपने हाथों में थामा। तो उस के मुँह से एक गरम सिसकी निकल गई।

अभी अपनी सहलवार और ब्रेज़ियर में आधी नंगी रज़िया बीबी शीशे (मिरर) के सामने अपने बड़े बड़े मम्मो का दीदार ही कर रही थी। कि इतने में रज़िया बीबी का बिस्तर पर पड़ा मोबाइल फोन रिंग करने लगा।

"उफफफफफफ्फ़! इस फोन ने भी इसी वक्त बजना था" रज़िया बीबी ने एक चिड चिड़ाहट के साथ अपने हाथों को अपने मम्मो से हटाया। और बिस्तर पर पड़े अपने मोबाइल की तरफ लपकी।

रज़िया बीबी स्क्रीन पर इन कमिंग कॉल का नंबर देखे बिना, उसी तरह ब्रेज़ियर में से झाँकती हुई अपनी पूरी नंगी छातियों के साथ अपने बिस्तर पर नीम दराज़ लेटी। और अपने मोबाइल फोन को अपने कान से लगा कर बोली "हेलो जी कौन"।

"अम्मी में हूँ ज़ाहिद" ज्यों ही ज़ाहिद की आवाज़ फोन के रास्ते रज़िया बीबी के कान (एअर) में गूँजी।

तो रज़िया बीबी को यूँ लगा जैसे ये ज़ाहिद की आवाज़ नही बल्कि उस के बेटे का मोटा सख़्त लंड है। जो कान रास्ते से दाखिल हो कर उस की गरम चूत में समा गया हो।

"हैयय् आआआआआआआ! बएटााआआआआआआअ!" रज़िया बीबी अपने जवान बेटे की रौब भरी मर्दाना आवाज़ सुन कर अपने जज़्बात पर काबू ना पा सकी। और बेइख्तियार उस के मुँह से ये आवाज़ निकल गई।

रज़िया बीबी को एक दम से अपनी इस ग़लती का अहसास हो गया। और वो दिल ही दिल में दुआ करने लगी कि ज़ाहिद अपनी अम्मी इस सिसकी को नज़र आदाज़ कर दे।

उधर ज़ाहिद पोलीस स्टेशन में अपने काम में बिजी होने की वजह से वाकई ही अपनी अम्मी की आवाज़ में छुपी हुई जिन्सी तलब को ना समझ सका।

और वो फोन की दूसरी तरफ से बोला " अम्मी शाज़िया कहाँ है? में दो तीन दफ़ा उसे फोन कर चुका हूँ,मगर वो फोन का जवाब नही दे रही ।"

"शाज़िया तो बाथरूम में है, अभी बाहर आती है तो में उसे तुम्हारे फोन का बताती हूँ बेटा ।" रज़िया बीबी ने अपने बेटे की बात का जवाब दिया।

"अच्छा में शाज़िया के फोन का इंतिज़ार करता हूँ अम्मी!" ये कहते हुए ज़ाहिद ने फोन काट दिया।

"शूकर है ज़ाहिद ने मेरी सिसकी नही सुनी" ज़ाहिद की कॉल बंद होते ही रज़िया बीबी ने अपने आप से कहा। और अपनी बेटी शाज़िया को कॉल मिला दी।

शाज़िया ने फोन उठाया तो रज़िया बीबी ने उसे ज़ाहिद की कॉल की इतला दी।

"अच्छा अम्मी में अभी ज़ाहिद भाई को फोन कर लेती हूँ ।" ये कह कर शाज़िया ने भी जल्दी से फोन बंद कर दिया।

जारी रहेगी

Please rate this story
The author would appreciate your feedback.
  • COMMENTS
Anonymous
Our Comments Policy is available in the Lit FAQ
Post as:
Anonymous
1 Comments
doindiadoindiaover 2 years ago

story bohot slow cahlti hai. details bhi bohot lambi ho jane ke vajah se "Story Magic" kam ho jayega. sirf 1 chapter- 1 page post kar rahe ho...

please, ek chapter 3-4 page ka hona chahiye !!!

Its slowest ever posted and with so many parts !!!

please post more paragraphs in each chapters. Site add more pages automatically.

Share this Story

story TAGS

Similar Stories

Incestuous Cybering How my son fucks me over the net.in Incest/Taboo
Dave's Story: Man of the House Dave becomes man of the house and gives mom a new lover.in Incest/Taboo
The Shrine Mom discovers how much her son really cares for her!in Incest/Taboo
Dexter the Personal Trainer His mother becomes one of his 'special' clients.in Incest/Taboo
Cream & Coco Ch. 01 Tuesday. Coco shares a bed with her son.in Incest/Taboo
More Stories