Note: You can change font size, font face, and turn on dark mode by clicking the "A" icon tab in the Story Info Box.
You can temporarily switch back to a Classic Literotica® experience during our ongoing public Beta testing. Please consider leaving feedback on issues you experience or suggest improvements.
Click hereपड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे
VOLUME II
नयी भाभी की सुहागरात
CHAPTER-2
PART 01
ओवुलेशन प्रक्रिया
महाराज के विवाह में मेरी फूफेरी बहने अलका, जेन, लूसी और सिंडी और मेरे फूफेरे भाई टॉम और बॉब भी आये थे जिनके बारे में आप मेरी कहानी मेरे अंतरंग हमसफ़र में पढ़ सकते हैं और फिर महाराज ने एक बैचलर पार्टी का आयोजन किया जिसमे मैं शामिल नहीं हुआ और महाराज ने उन्हें बॉब और टॉम को बताया क्योंकि मेरा विवाह अगले सप्ताह में राजकुमारी ज्योत्स्ना से होना है तो महर्षि ने ब्रह्मचर्य का पालन करने की आज्ञा दी है।
हाँ एक खास परम्परा जो मेरी माता जी ने करवाई की पंजाब में नयी दुल्हन की गोद में वर के छोटे भाई या फिर भतीजे को बिठाया जाता है और पुत्र की कामना की जाती है। सो राजमाता ने उसके लिए सहमति दी की मुझे ही नयी दुल्हन की गोदी में बिठाया जाए और उसके बदले में मुझे भाभी ने नेग में कुछ आभूषण वस्त्र और मिठाई दी और मुझ से बुलवाया गया की भाभी को पुत्र प्राप्त हो।
इसके बाद कुछ ख़ास नहीं हुआ मेरे विवाह के लिए रीती रिवाज शुरू कर दिए गए।
रात्रि के समय भाई महाराज मेरे कक्ष में गुप्त मार्ग से आये और बोले चलो कुमार एक आवश्यक कार्य से आपको मेरे साथ चलना होगा। मैं उनके साथ चला तो वह मुझे राजमाता के पास छोड़ कर चले गए।
मैंने राजमाता को प्रणाम किया तो राजमाता ने आशीर्वाद दिया और कुशल क्षेम के बाद उन्होंने मुझ से कहाः की यहाँ जो भी होगा उसे आप गुप्त रखेंगे उन्हों ने पुछा पुत्र क्या आप जानते हैं कि स्त्री सबसे ज्यादा कब उर्वर होती है?
तो मैंने कहा राजमाता मैं डॉक्टर हूँ और जानता हूँ स्त्री ओवुलेशन यानी अंडोत्सर्ग (जब स्त्री के अंडाशय से एक अंडा निकलता है) के समय सबसे अधिक उर्वर होती हैं, ओवुलेशन महीने का वह समय होता है (12 से 24 घंटे) जब अंडे वीर्य या स्पर्म के साथ मिलने को तैयार होता है। इसमें अंडे अन्डकोशों से मासिक ऋतुचक्र के समय निकलते हैं।
उसके बाद मैं ये भूल गया की मैं राजमाता और ताईजी से बात कर रहा हूँ बस उनके आगे अपनी डॉक्टरी झाड़ने लगा।
ओवुलेशन आमतौर पर अगली माहवारी शुरू होने से 12 से 14 दिन पहले होता है। यह महीने का वह समय होता है जब सम्भोग करने पर स्त्री के गर्भवती होने की सबसे अधिक संभावना होती है।
चक्र के शुरू में ग्रीवा यानी (योनी और गर्भाशय के बीच का रास्ता) थोड़ी सख्त, नीची और बंद होती है। लेकिन ओवुलेशन की शुरुवात होते ही यह खुल जाती है और मुलायम हो जाती है ताकि वह स्पर्म को अपने अन्दर समेट सके। पीरियड के खत्म होने के बाद वह जगह फिर से सख्त हो जाती है।
ओवुलेशन प्रक्रिया के दौरान सेक्स की इच्छा बढ़ जाती है। इस दौरान फर्टाइल फेज होता है जिसके कारण यौन सम्बंध बनाने की प्रबल इच्छा होती है।
तो राजमाता बोली पुत्र बहुत बढ़िया। नयी रानी का उर्वर समय अब से तीसरे दिन शुरू होगा और इसीलिए सुहागरात का समय तीसरी रात के लिए निश्चित किया गया है और इस के लिए महाराज और दादागुरु से आज्ञा ले ली गयी है।
फिर उन्होने मुझे बताया की मुझे यहाँ इसलिए बुलाया गया है कि मुझे भाई महाराज की नयी रानी के साथ और अन्य रानियों के साथ सम्भोग कर उन्हें वीर्यदान दे कर गर्भवती करना है। तो मैने कहा राजमाता मुझे ये ज्ञात है। राजमाता बोली और ये सुनिश्चित करने के लिए वह इस पूरी प्रक्रिया की स्वयं निगरानी करेंगी कि यह कार्य की सीमा के भीतर रहे और ये सुनिश्चित हो जाए की रानी गर्भवती हो जाए.
मैं चौंक गया। चौंक गए इसलिए कि राजमाता ने मुझे महारानी को चोदने के लिए कहा था। मैं अपनी माँ से भी बड़ी राजमाता से ऐसी बात सुनने की उपेक्षा नहीं कर रहा था।
उन्होंने मुझे रानियों को न सिर्फ चोदने के लिए कहा बल्कि यह स्पष्ट बताया की मुझे स्तन चूसने, दुलारने, चुंबन और चुदाई सहित सब कुछ करना है ताकि रानी इस सम्भोग का पूरा आनंद उठाये और एक स्वस्थ बच्चा पैदा करे।
मुझे नहीं लगता था कि राजमाता मेरे साथ उन शब्दों का इस्तेमाल करेगी जो उन्होंने मेरे साथ इस बारे में बात करते हुए इस्तेमाल किए थे। मैंने सिर्फ यही कहा। जैसी आपकी आज्ञा राजमाता! इस कार्य के सफलता पूर्वक संपन्न होने की निगरानी के लिए आप मेरी साहिकाओ रोजी और रूबी की सहायता ले सकती हैं वह दोनों भी इस कार्य के लिए प्रशिक्षित और विश्वासपात्र हैं।
" मैं तुमसे यह इसलिए कह रही हूँ पुत्र क्योंकि आप एक कुंवारे हो सकते हो और संभव है आपने अभी तक एक महिला के साथ संसर्ग अनुभव नहीं किया होगा। लेकिन आप रानीयो को एक भाभी समझ कर नहीं चोदोगे बल्कि अपनी प्रेमिका या पत्नी समँझ कर उसके साथ उसे गर्भवती करने के इरादे से सम्भोग करोगे और उसके साथ तब तक रहोगे और सम्भोग करोगे जब तक उसके गर्भवती होने ही पुष्टि नहीं हो जाती। पुत्र आपको याद रखना है हम एक स्वस्थ वारिस चाहते हैं! मेरी आँखों में देखते हुए, महारानी ने मुझे निर्देश दिया।
बार-बार रानियों को चोदने के राजमाता के आखिरी निर्देश को सुनकर मेरा लंड उग्र हुआ। मैं जब ममहाराज के साथ आया तो मैंने केवल पायजामा कुरता पहना हुआ था और नीचे कोई अंडरवियर नहीं पहना हुआ था इस कारण मेरे कैजुअल कपड़े जो मैंने उस समय पहने थे, वे मेरे इरेक्शन को किसी भी सीमा तक नहीं छुपा पाए और मेरे पायजामे में तम्बू तन गया और राजमाता ने इसे देख भी लिया। मैं उस समय शर्मसार हो गया।
तो राजमाता मुझे शरमाते हुए देख बोली इसमें शर्म को कोई बात नहीं है पुत्र ये तो ख़ुशी और गर्व की बात है कि तुम युवा और उत्तेजित हो गए हो और इस राजकार्य के लिए अपनी सेवाएँ देने के लिए ततपर हो।
मेरे मन को वह अवसर याद आ गया जब मैंने नयी रानी के सीने को गर्व और भरा हुआ देखा था। मैंने सोचा कि जिन स्तनों ने उसकी छाती को इतना भरा हुआ बना दिया है, उन्हें बड़े और भव्य होना चाहिए। नई रानी के स्तनों का स्मरण करते ही मेरा लंड फड़क गया।
राजमाता मेरे पास आयी और मेरे कंधो पर हाथ रखा और बोली "पुत्र, तुम इस कार्य के लिए बिलकुल योग्य हो, राजवंश के हो, युवा हो। मैं तुमसे कुछ ऐसा करने के लिए नहीं कहूंगी जो राष्ट्रीय और पारिवारिक महत्त्व का नहीं हो। मैं अपने परिवार के बाहर किसी को भी ऐसा करने के लिए नहीं कह सकती। आपको याद रखना चाहिए यदि आप नहीं तो किसी न किसी को तो रानियों को गर्भवती करना है और फिर यही आपके भाई महाराज और दादा गुरु की भी आज्ञा है?" राजमाता ने तर्क दिया।
मैंने राजमाता की तरफ देखा। उसकी आँखें बड़ी, सुंदर और दयालुता से भरी थीं। मैंने सोचा मैं इन्हे ना कह ही नहीं सकता। यद्यपि मैंने नई रानी का चेहरा नहीं देखा था और उसका नाम भी नहीं जानता था, लेकिन उसकी सुंदर गोरी त्वचा और बड़ी छाती की छोटी-छोटी झलकियाँ जो मैंने देखि थी, उनसे मुझे आभास था कि वह बहुत सुंदर राजकुमारी है और मुहे मालूम था मुझे उन्हें चोदना है और मैं नहीं चाहता था कि कोई और इस नई रानी को छूए। साथ में मेरे मन में बाकी सब से ऊपर राज्य और परिवार की भलाई का ख्याल भी था।
मेरे सेक्स हार्मोन्स मेरे खून में फैल गए और मैं रानी की चुदाई करते उसे छूने, महसूस करने, चूमने के बारे में सोचने लगा। पिछले पंद्रह मिनट में जबसे मैं राजमाता के साथ था और मैंने उनकी मुँह से रानी की चुदाई के बारे में पहली बार सुना था तब से मेरा मन रानी के स्तनों, उसकी कोमल जांघों पर था और मैंने मन में उसकी सुडौल गांड को पकड़ लिया था, उसे अपने लंड पर खींच लिया और उसे छोड़ दिया था।
मैंने सिर्फ यही कहा। जैसी आपकी आज्ञा राजमाता।
कहानी जारी रहेगी
दीपक कुमार