खानदानी निकाह 23

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तीसरी बेगम कमसिन अर्शी की चुदाई​
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Part 23 of the 67 part series

Updated 01/16/2024
Created 01/21/2022
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मेरे निकाह मेरी कजिन के साथ

भाग 23

तीसरी बेगम कमसिन अर्शी की चुदाई​

अर्शी का जिस्म कांपने लगा था। मेरा हाथ पैंटी के ऊपर से चूत पर था और मैं चूत के आसपास के एरिया को सहला रहा था। मैंने लहँगा पूरा ऊपर कर दिया और अच्छे से पेंटी को देखता हुआ जाँघों और पैंटी को सहलाने लगा। अर्शी की चूत गीली थी और वह गीलापन पैटी पर भी आ चुका था।

मैंने अर्शी के लहंगे की डोर भी खोल थी और उसे नीचे की ओर खींचने लगा, अर्शी ने अपनी गांड हवा में उठाते हुए अपना लहंगा उतरवाने में मेरी मदद की। अब वह सिर्फ पेंटी में थी औरमैं उसकी बगल में आकर लेट गया और उसका चेहरा अपनी ओर कर उसके होठ चूसने लगता है और अपना एक हाथ नीचे लेकर जाकर अर्शी पेंटी के अंदर डाल दिया और उसकी चूत को सहलाने लगा और फिर धीरे से अपनी एक उंगली गरमाई अर्शी की गीली चूत के अंदर डाल दिया। उफफ्फ... चूत के अंदर का तापमान पूरा बढ़ा हुआ था। उंगली चूत में जाते ही अर्शी का बदन हिलने लगा और उसने मेरे को कस के पकड़ लीया और मेरे होठों को चमने लगी। मैंने चूत में उंगली अंदर-बाहर करने लगा और पैटी को नीचे करता गया और उसकी पैंटी को उतार दिया।

अर्शी अब पूरी नंगी लेटी हुई थी मेरे आगे। अब उसके जिस्म में बस चूड़ी, कंगन, पायल, नथ और गले में एक हार था जो मैंने उसे पहनाया था। मैं उसकी खूबसूरत कमसिन नंगे बदन की निहारता रहा और अर्शी ने शर्म के मारे अपनी आँखे अब बंद कर ली थी। मैंने उसके पैर फैलाए तो गोली चूत के होंठ आपस में खुल गये और अपने हाथों से चूत को फैलाता हुआ चूत पर किस किया और फिर चूसने लगा और साथ में अपनी उंगली भी चूत के अंदर-बाहर कर रहा था और चूत को चूस भी रहा था। हाथ से चूत के छेद को फैलाकर अपनी जीभ को चूत के अंदरूनी हिस्से में सटा रहा था मैं अपनी जीभ से ही अर्शी की चुदाई कर रहा था। जीभ को चूत के अंदर सटाकर चूसा और फिर चूत के दाने को मुँह में भरकर खींचने लगा।

मैंने उसकी चुत में उंगली डाली। अर्शी ने कराहते हुए विलाप किया, उवो अपने कूल्हों को हिलाकर कसमसाने लगी " ओह, आह कर उसका जिस्म काम्पा और अर्शी की चूत का रस उसकी जाँघों से नीचे बहने लगा और सिसकारी लेती हुई सेक्सी आवाज में बोली प्लीज मेरा पिशाब निकलने वाला है क्या कर रहे हो, मैं समझ गया की उसका लैंड खाये बिना ही क्लाइमेक्स हो गया है

उसके मुँह से आऽ5 उड्... की आवाज निकलने लगी। मैं अर्शी की चूत को चूसता जा रहा था और बीच-बीच में उंगली भी करता जा रहा था। अर्शी हाँफ रही थी। मैं अर्शीकी बगल में सीधा लेट गया।

और वह करवट होकर मेरे से चिपक गई, उसकी चूचियाँ मेरी छाती पर दब रही थी।

और मैं उसको अपनी बाहो में लेकर प्यार से सहलाते हुए चूमने लगा। मैं इस तरह उसके जिस्म से करीब एक घंटे से भी ज्यादा खेला और फिर अर्शी ने पूछा मैं किसकी तरह लगती हु, तो मैंने जवाब दिया अमीषा जैसी, तो वह बोली अब तुम मुझे अमीषा ही कहा करो, आज से मेरा यही नाम है।

इस तरह करीब 2 घंटे चूमना चेतना चलता रहा, तभी जूनि की आवाज़ आयी चाटते ही रहोगे क्या अरे इसकी चुदाई तो करो और मैंने देखा वह मेरी तीनो बहनो और दोनों बेगमो के साथ रोशनदान से देख रही थी, मैंने उसे डांटा और बोलै भागो यहाँ से तो अमीषा उर्फ़ अर्शी बोली देखने दो इनसे क्या शर्म, फिर में रा लंड पकड़ कर बोली रुख्सार देख इसी शानदार बड़े लंड से तेरी भी चूत फटेगी और फिर उत्तेजना में भर बोली फाड़ दो मेरी चूत एक ही झटके में इस गुफा की झिल्ली अपने हथियार से चीयर कर रख दो और अपनी कजिन की चूत की धज्जिया उड़ा दो, छोड़ दो पटक कर मुझे और कसम है तुम्हे कोई भी रहम या दया मत करना

फिर मैंने उसकी चुत के रस की अपने खड़े लंड पर लगाया एक पतली, चिपचिपी फिल्म में ढके होने तक अपने लंड को मोटे तौर पर सहलाया। एक सेकंड बाद, लथपथ चुत के चारों ओर अपना बड़ा गर्म लंडमुंड रगड़ा।

फिर मैंने उसकी मुलायम झांटो पर अपना लंड टिकाया और फनफनाते हुए लुंड से उसकी चूत रगड़ने लगा और अमीषा उछल-उछल कर मज़े ले रही थी और सिसकारी लेती हुई सेक्सी आवाज में बोली प्लीज मेरा पिशाब निकलने वाला है क्या कर रहे हो, मैं समझ गया की उसका लैंड खाये बिना ही एक बार फिर क्लाइमेक्स हो गया है और फिर मैंने अपने लंड की रगड़े तेज़ की और जैसे ही वह झड़ी और उसने आनंद में आंखे बंद की मैंने उसकी चुत के छोटे से छेद पर लंड का सर टिका दिया। फिर मैं बोला। " अमीषा मेरी रानी, मेरी अर्शी तुम्हारी चूत पूरी तरह गीली है। उसे मेरे बड़े लंड की ज़रूरत है, लेकिन सावधान रहना। यह तुम्हारे लिए एक नया अनुभव होने जा रहा है। यह तुम्हारी अनुमान से कहीं अधिक बड़ा है और मैं यह सुनिश्चित करने जा रहा हूँ तुम पूरा अंदर ले लो। फिर मैंने अपने लंड का बड़ा सिर उसकी चूत पर केंद्रित किया।

मैंने अपना औज़ार एक ही झटके में उसकी चूत में दे मारा, मेरा बड़ा लंड जबरदस्ती उसके अंदर घुस गया, एक बार लंडमंफ पूरी तरह से उसकी योनि में फिसल गया, एक हलकी-सी रुकावट और फिर फचक की आवाज़ से लंड पूरा जड़ तक समां गया और अर्शी की चीख निकल गयी आईई आआहा आआआआआईईईई इस्सस मगर गजब की हिम्मत थी अर्शी में उसने अपने हांथो में मेरा चेहरा लेकर अपना मुँह मेरे मुँह के साथ लगा कर अपने चीखे मेरे मुँह में निकाली

उसे पसीना आ रहा था और वह हांफ रही है, चूत में भरा लंड उसके पेट में ऐंठन पैदा कर रहा था। पूर्ण, संपूर्ण होने की भावना, के साथ उसने मेरे लंड को अपने अंदर गहराई से समाहित कर लिया मैं वासना से भर गया। उसकी चूत रिसने लगी यह सिर्फ उसकी चूत से रिसने वाला सिर्फ गर्म रस नहीं था इसमें उसकी झिल्ली फटने से निकला खून भी शामिल था और उसके पैरों को नीचे गिराकर विस्तर पर टपक रहा था, जिससे कमरे में गंध आ रही थी है। मेरा चेहरा उसकी गर्दन में दब गया, मेरी सांसें मेरे लंड की तरह ही गर्म, सख्त, भारी हो गयी। अर्शी अपनी कानो में मेरी कम खतरनाक कराह सुन रही थी अर्शी ने अपने जीवन में कभी भी किसी आदमी से आदिम जानवरों की कराह नहीं सुनी थी। वह अपनी भारी, श्तेज सांसों के बीच फुसफुसा और कराह रही थी। ये उसके लिए बहुत कठिन और तकलीफ भरा था। मैं उसके शरीर को जमकर लूट रहा था, मैं बार-बार अपने लंड को उसके भीतर दबा रहा था।

और फिर मो मेरे नंगे कूल्हों पर पाने हाथ रख कर मुझे चूमते हुए बोली बहुत दर्द हुआ लेकिन मुझे गर्व है कि इसको तुमने एक धक्के में ही फाड़ दिया अब 2 मिनट शांत रहो और मेरे बदन को चूमो और जब में अपने चूतड़ उछालूं तो राजधानी की स्पीड से चोदना।

और मैं पहले ही झड़ चुकी हु मेरी फ़िक्र न करते हुए मस्ती से अपना पूरा रस मेरी योनि में डाल देना, मुझे आज चौदवा दिन है और में तुम्हारे बचे की माँ आज ही की चुदाई में बनना चाहती हु।

अर्शी की आँखों से आंसुओ की धारा बहने लगी और उसने उन्हें गिरने दिया। उसने परवाह नहीं की। उसने सिसकने के बीच जब दर्द थोड़ा कम हुआ तो उसने चूतड़ उछाल कर मुझसे चुदाई शुरू करने की गुहार लगाई, अब कोई परवाह नहीं थी।

फिर मेने ऐसे देखे मारे की उसकी नानी यद् आ गयी, वह अब चुप नहीं थी: वह जोर से कराह रही थी जोर से और लंबी, बिना शर्म के कराह रही थी और मुझे चूम रही थी, उसका शरीर मजे में डूबा, फिर भी एक लंबे समय तक नशे की लत की तरह वह बार-बार मुझसे और जोर से और जोर और तेज चोदने के लिए बोलती रही। मैं हर ज़ोरदार धक्के के साथ कराहने लगा, मैंने उसे जोर से जोर से धक्के मारे और मेरा लंड उसकी चूत के अंदर हर बार उसके गर्भाशय ग्रीवा से टकरा रहा था। हम कराह उठे और बार-बार कराह उठे और 30 मिनट तक लगातार बड़े-बड़े धक्के मार कर छोड़ने के बाद मैं आनंद रस से भीग गया

मैंने मेरे लंड का सिर उसके गर्भाशय ग्रीवा के खिलाफ कसकर दबा दिया और मैं हिंसक रूप से काँप रहा था क्योंकि लंड उसके भीतर सूज गया था। जैसे ही मैंने उसके भीतर विस्फोट किया, हमारी चीखें तेज हो गईं और वह भी कांपते हुए मेरे साथ ही झड़ गयी और मेरा रस पूरी तरह से उसके साथ घुलमिल गया, ताकि एक दिल की धड़कन के लिए, हम एक इकाई हों गए। उसकी चूत अभी भी ब्लास्ट फर्नेस की तरह गर्म थी, मैंने एक गहरी सांस ली।

कहानी जारी रहेगी

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