खानदानी निकाह 25

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तीसरी बेगम की तृप्ति वाली चुदाई​
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Part 25 of the 67 part series

Updated 01/16/2024
Created 01/21/2022
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मेरे निकाह मेरी कजिन के साथ

भाग 25

तीसरी बेगम की तृप्ति वाली चुदाई​

इस के साथ मैंने अपने मुँह को खोलते हुए अपनी लंबी ज़ुबान निकाल कर नीचे से अर्शी की सूजी हुई चूत की मोटी दरार को चाटना शुरू कर दिया।

"ओह" मेरी नुकीली ज़ुबान अपनी पिंक चूत के अंदर घूमते हुए महसूस कर के अर्शी कराह उठी।

मेरी चुसाई ये अर्शी की गरम सिसकियाँ उन के मुँह से निकल-निकल कर कमरे में गूँज रही थी। " ओह, अह्ह्ह्ह! हाईईई! उफफफ़! उम्म्म! ओह्ह्ह!

"अर्शी अब तुम मुझ पर चढ़ कर मेरा लंड अपनी फुद्दि में डालो" थोड़ी देर उसकी फुद्दि को चाटने के बाद मैंने अर्शी को अपने जिस्म के ऊपर चढ़ा लिया।

फिर मैंने नीचे से अर्शी की गीली और गरम चूत के साथ अपना लंड मिला कर अर्शी को उस की कमर से पकड़ा और उसे नीचे की तरफ खैंचते हुए खुद अपनी गान्ड को ऊपर की तरफ उठा दिया।

मेरे चूसने और उसके बाद लौडे की रगड़ से अर्शी की चूत दुबारा से बुरी तरह गरम हो गयी थी।

अचानक मैं बिस्तर से थोड़ा उपर उछला और गुप्प्प्प से अर्शी की चूत के अंदर आधा लंड घुस गया। जब मेरा लंड फिसलता हुआ तक़रीबन आधा अंदर चला गया था मुझे लंड पर कुछ बोहोत गरम चीज़ महसूस हुई और मेरा लंड भीग गया उसके चेहरे को देखा जो की तकलीफ की वजह से बिगड़ गया था और उसकी आँखों से आंसू बहने लगे। मुझे उस पर तरस आया के लंड से चुदने के चककर के कितनी तकलीफ बर्दाश्त कर रही है और अपना लंड बाहर निकल कर अंदर डाला तो उसके रस से तर लंड थोड़ा फ्रीली आ जा रहा था अब मैंने बहरपुर अंदाज़ मैं उसे चोदना शुरू कर दिए और बैठ गया तो अर्शी मेरी गोदी में आ गयी और मैंने अपने होंठ उसके होंठों मैं डाल दिए अब वह भी मज़े ले रही थी मेरे लंड डालने के बाद मुझ से और चिपकने के कोशिश करती जैसे मुझे भी अंदर घुसने की कोशिश कर रही हो। मैं मुससल धक्के मारने लगा अब उसके जिस्म ने भी कांपना शुरू कर दिए और उसकी चूत एक गरम पानी छोडने लगी जिस मैं मेरा लुंड भीग गया और फच-फच की आवाज़ आने लगी।

अर्शी की कमर को मैंने अपने दोनों हाथों से कस के पकड़ रखा था। फिर मैंने अर्शी के बदन को नीचे की तरफ खैंचा। तो चूत पहले से गीली होने की वजह से नेमेरा खड़ा लंड फिसलता हुआ अर्शी की चूत की गहराई में चला गया।

मेरे लंड के पहले धक्के पर अर्शी के मुँह सिसकारी निकली " आईईईईई! ऊओीईएईई! उफफफफ्फ़!

उसकी गरम फुद्दि में लंड डालते ही मैंने अपने हाथ नीचे ले जा कर अर्शी की चूत के सूजे हुए लिप्स को अपने हाथ में ले कर दबाया। तो उसकी चूत ने मेरे बड़े लंड को मुकम्मल तौर पर अपनी ग्रिफ्त में ले लिया था।

मेरे तनकर खड़े लंड पर अर्शी धीरे-धीरे अपनी चूत दबाकर लंड को अन्दर घुसा रही थीं। मुझे उस समय बहुत मज़ा आ रहा था। वह मेरे लंड पर धीरे से उठतीं और फिर नीचे बैठ जातीं, जिसकी वजह से लंड अन्दर बाहर हो रहा था। वह खुद अपनी चुदाई मेरे लंड से कर रही थीं और बहुत मज़े कर रही थीं। सच में नंगी अर्शी मेरे लंड पर उछलते हुए मुझे बहुत मादक लग रही थीं। उनके रेशमी काले बाल चारों तरफ फ़ैल गए थे।

चूत के लिप्स को अपने लंड कर इर्द गिर्द ज़ोर से दबाते ज़ाहिद नीचे से अपनी बहन की फुद्दि में हल्के-हल्के धक्के लगाने लगा। अर्शी के मुँह से सिसकारियो का एक सैलाब उमड़ आया। "हाईईई! ओह!" और अब अर्शी खुद लंड के उपर नीचे होती हुई अपनी गरम चूत चुदवाने लगी। मैंने नीचे से एक ज़ोर दार झटका दिया। तो उस का पूरा लंड अर्शी की चूत के अंदर घुस गया और सीधा अर्शी की बच्चादानी से टकराया। "आअहह, मार डाला!" मैं अब अर्शी की कमर पकड़ के नीचे से लंबे-लंबे धक्के लगाने लगा।

मेरे जोश से अर्शी की चूत मेरे लंड पर ही वह झड़ने लगी। "ऊओ चोदो मुझे, आज फाड़ दो कीईईई!। चूऊऊओत, आ! उउफफफफ्फ़! हाइईइ!"।

मेरा लंड फ़च फ़चफ़ की आवाज़ के साथ अर्शी की फुद्दि में अंदर बाहर हो रहा था और अर्शी की चूत मेरे मोटे लंड को अपने अंदर ज़ोर से जकड रही थी। अर्शी को चोदते-चोदते मैं उसको अपनी बाहों में उठाए हुए बिस्तर से उतर कर फर्श पर खड़ा हो गया।

बिस्तर से उठ कर कमरे के फर्श पर खड़े होने के बावजूद मेरा मोटा और बड़ा लंड अभी तक उस की फूली हुई तंग चूत में जड़ तक ठूँसा हुआ था। मैंने बड़े आहतीमाद से अर्शी को अपने मज़बूत बाजुओं के ऊपर उछालते हुए अपना तना हुआ लंबा लंड उसकी चूत के अंदर बाहर करना शुरू कर दिया। ये अंदाज मेरे लिए भी बिल्कुल नया और मज़ेदार था।

अर्शी ने अपने बाज़ू मेरी गर्दन के गिर्द लपेट लिये और मेरे साथ चिपट गयी और अब उसका पूरा भार मेरे ऊपर था। मुझे बहुत मजा आ रहा था।

इसीलिए उस ने मज़ीद जोश में आते हुए अपने दोनों हाथों से अर्शी के रानों को थाम कर अर्शी के जिस्म को हवा में उछाल-उछाल कर तेज़ी के साथ उस की फुद्दिको लंड के ऊपर नीचे करना शुरू कर दिया।

इस चुदाई से अर्शी को भी मज़ा आने लगा और वह भी अपने मोटे-मोटे चूतड़ उछाल कर और हिला कर मेरा मोटा लंड अपनी चूत के अंदर बाहर लेने लगी। उसकी चूत ने पहले जो पानी छोड़ा था उसके कारण उसकी चूत तर थी और इसीलिए उस की चूत मेरे हर धक्के पर फचाक-फचाक की आवाज़ निकल रही थी।

"ऊऊओिईई! मेरे राजा, अह्ह्ह्ह! मैं गयी अह्ह्ह्ह!" कहते हुए अर्शी ने अपना पानी छोड़ दिया और उसकी गीली चूत से पानी बह-बह कर मेरे लंड के साथ-साथ कमरे के फर्श को भी गीला कर दिया।

कोई 15, 20 सेकेंड्स तक अर्शी के जिस्म को झटके लगते रहे और फिर वह निढाल हो कर मेरी बाजुओं में ही झूल गई।

मैंने आहिस्ता से अर्शी को दुबारा बिस्तर पर लिटा दिया और खुद भी उस के ऊपर ही लेट गया। मैं अभी तक फारिग नहीं हुआ था। इसीलिए मेरा लंड अभी भी लोहे की रोड की तरहा अर्शी की चूत में घुस कर खड़ा था। अर्शी मेरे नीचे लेटी हुई गहरे-गहरे साँस ले रही थी।

मैं अर्शी को बेकरारी से चूमने लगा। चूमते हुए हमारे मुँह खुले हुए थे, जिसके कारण हम दोनों की जीभ आपस में टकरा रही थीं। फिर मैंने अर्शी की जम कर चुदाई की और उनको जन्नत की सैर कराई. फिर थोड़ी देर के बाद वह फिर झड़ गईं। अर्शी कई बार झड़ने के बाद निढाल हो रही थीं। मैं उनकी चूत में धक्के लगाने चालू रखता तो अर्शी फिर गर्म हो जाती थीं। आखिरी बार हम दोनों एक साथ झड़ गए. हम दोनों जन्नत में थे... सच में बहुत मज़ा आ गया। मुझे अर्शी के चेहरे पर संतुष्टि साफ-साफ नजर आ रही थी।

उसके बाद मैं अपना लंड उसकी चूत में डाले हुए ही सो गया, सुबह 8 बजे जब मेरी नींद खुली तो अपना लंड उसकी झांटो पर पाया और पूरा बिस्तर उसके खून से लाल था, मैंने अर्शी को उठाया और उसे चूमा, ज़ीनत और जूनि तो चिल्ला-चिल्ला कर दिमाग ख़राब कर दी थी, पर तुमने मुझे बहुत मजा दिया है उसने कहा तुमसे महीने में 1 हफ्ते चुदना ही ठीक है नहीं तो चूत भोसड़ी बन जाएगी और तुम मुझे नहीं चोदोगे।

इस तरह 7 दिनों तक मैंने अर्शी की जम कर चुदाई की और उसे तृप्त कर दिया।

कहानी जारी रहेगी

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