मेरी बेगमे और मेरी महबूबाएं 34

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इनायत के साथ अकेला ​
1.1k words
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115
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Part 35 of the 47 part series

Updated 10/30/2023
Created 09/04/2021
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मजे-लूट लो जितने मिले

सातवा अध्याय-मेरी बेगमे और मेरी महबूबाएँ

भाग-34

इनायत के साथ अकेला ​

"इनायत, तुम पागल हो।"

"हाँ बेबी," वह बोली और फिर उसने मेरे पायजामे के ऊपर से ही लंड पर अपना हाथ फिराया और फिर मेरे लंड को अपने हाथ से पकड़, अपने पंजों पर उठी और मेरे होठों पर चूमने लगी। फिर वह बोली, "ठीक है, मुझे लगता है किअभी मुझे इसके बारे में सपना देखना होगा।"

और फिर वह निकल कर अपने बट को हिलाती हुई अपने कंधे पर से देखती हुई अपने कमरे की तरफ चली गयी। मैं उसे खड़ा हुआ देखता रहा गया । कुछ देर बाद उनके कमरे से चुदाई की आवाजे आने लगी और मेरा लंड भी काफी कड़क था और मैं सारा के पास गया और मैं इनायत की कल्पना करते हुए मैंने उस रात सारा की जोरदार चुदाई कर दी ।

अगली सुबह मुझे इनायत के सामने जाने में भी संकोच हो रहा था क्योंकि मुझे नहीं पता कि अब इनायत के सामने मुझे कैसा व्यवहार करना है। मैं सोच रहा था कि क्या उसे अपनी पिछली रात की हरकटो का कोई पछतावा था और गर नहीं था तो वह आगे कैसे व्यवहार करेगी। खैर सुबह जब मैं अपने कमरे से बाहर आया तो इनायत और सारा अपने रात के कपड़ों में नाश्ता बना रही थी, जो असामान्य नहीं है। लेकिन इनायत ने पहले से भी कम और झीने कपडे पहने हुए थे।

हमने नाश्ता किया और अपनी सामान्य सुबह की दिनचर्या के अनुसार हम सब कुछ करते रहे। इनायत बहुत सामान्य तरीके से काम कर रही थी की जैसे कि कुछ हुआ ही न हो। अगर वह कल रात पछता रही थी, तो भी वह निश्चित रूप से इसे नहीं दिखा रही थी। बल्कि मुझे लग रहा था की वह कभी-कभी मुझे कुछ मोहक अदाओ से लुभाने की कोशिस कर रही थी।

सुबह इनायत के शौहर अब्दुल ने हमसे जाने की इजाजत ली। इनायत ने मेरी बीबी सारा को गले लगाया और फिर अब्दुल ने सारा को गले लगाया ।चुकी सारा औअर अब्दुल साथ ही पले और बढे थे और एक दुसरे को भाई बहन का मान देते थे इसलिए इसमें कुछ भी नहींअसामान्य नहीं था और मैंने अब्दुल का बैग उठाया और कार की ओर बढ़ने लगा तो मैंने देखा इनायत वहाँ अपनी बाँहों को फैलाये खड़ी थी और उसकी भौहें ऊपर उठी हुई हैं। उसने झट से मुझे गले लगाया और मुझे कस कर पकड़ लिया और वह स्पष्ट रूप से अपनी योनि क्षेत्र को मेरे अंदर धकेल रही थी। मैंने कहा मैं अब्दुल को स्टेशन तक छोड़ कर आता हूँ। अब कुछ दिन इनायत हमारे हघर में रुकने वाली थी ।

आखिरकार जब उसने मुझे छोड़ दिया तो मैं उसे पीछे धकेल कार की तरफ गया। जब मैंने पीछे मुड़कर देखा तो वह दरवाजे की चौखट पर अपना हाथ ऊपर एक बहुत ही मोहक मुद्रा में खड़ी हुई थी।

जब मैं वापिस आया तो दरवाजे पर दस्तक दी। कश्मीरी इनायत ने दरवाजा खोला और उसने जो पहना था उस पर मैं हैरान रह गया। उसने टाइट तंग चूड़ीदार किस्म की सलवार कमीज पहनी हुई थी जिसमे वह अत्यधिक कामुक लग रही थी। उसने कहा, "आपका स्वागत है।" और अपनी बाहों को फैला कर उसने मुझे गले लगा लिया।

हम अंदर गए और कश्मीरा मुझसे अब्दुल की गाडी समय पर थी या नहीं ये पूछने लगी। फिर मैं फ्रेश होने शॉवर में गया और अपने शरीर को धोने लगा। जैसे ही मेरे हाथ मेरे लंड पर पहुँचे, अचानक मुझे अहसास हुआ कि मैं घर इनायत के साथ अकेला था क्योंकि सारा कुछ सामान लेने बाज़ार गयी हुई थी।

मैं शॉवर से बाहर निकला और अपने बाल सुखा रहा था। "बाप रे।" मैंने अपने सिर के चारों ओर से तौलिया खींचा और देखा कि इनायत वहाँ एक चोगे में खड़ी थी और मेरे लंड को घूर रही थी।

मैंने अपनी कमर पर तौलिया लपेट लिया और कहा, "इनायत, तुम यहाँ क्या कर रही हो?"

"क्षमा करें, लेकिन मुझे कल रात के बाद इसे देखना था और भले ही यह इस समय पूरी तरह से कठोर नहीं है फिर भी ये बहुत बड़ा है।"

"इनायत, तुम्हें यह सही नहीं है।"

"मुझे पता था कि आप मेरे सामने नग्न होने में सहज नहीं होंगे। शायद इससे आपको बेहतर महसूस होगा।" और उसने अपना चोगा नीचे गिरा दिया और वह मेरे सामने बिलकुल नंगी खड़ी थी।

मैं बस उसके बदन को शराब को आँखों से पीने लगा और मैंने उसके बड़े और सुडोल प्यारे स्तनों का अध्ययन किया। वह बहुत प्यारी लग रही थी और उसके सख्त निप्पल उसके गुलाबी रंग के एरिओला से बाहर निकल रहे थे।

फिर मेरी नज़र फिर उसकी करीने से काटी हुई झांटो पर गई। उसकी बाहरी लेबिया सूजी हुई थी और उसके भीतरी होंठों को बड़ी ही खूबसूरती से चिपके हुए थे। यह वास्तव में एक सुंदर छोटी चूत थी जो अपने टाइट होने का आभास दे रहे थे और मैंने गीलेपन की हल्की चमक देखी।

जैसा कि मैंने नोटिस किया की उसका शरीर पूरी तरह से आनुपातिक नहीं था। उसके कूल्हे थोड़े चौड़े थे और उसके स्तन उसके फ्रेम के लिए बड़े थे। निश्चित रूप से चुदाई के लिए एकदम त्यार।

तो आमिर मैं अच्छी लगी आपको? उसने इतनी शांति और निडरता से कहा।

, मैं कब से उसे घूर रहा था। वह एक शांत खड़ी थी और मुझे घूरने दे रही थी। मैंने उसके चेहरे की ओर देखा और वह प्रसन्नचित आकर्षित करने वाली मुस्कराहट के साथ मेरी ओर देख रही थी।

"क्या, हुह, नहीं, ठीक है, मेरा मतलब है हाँ, लेकिन..."।

"चिंता न करें आपको कुछ भी कहने की ज़रूरत नहीं है। यह मुझे वह सब बताता है जो मुझे जानना चाहिए।" और उसने मेरे अब उग्र कठोर लंड की ओर इशारा किया जो तौलिये के अंदर तंबू बना रहा था।

"मुझे देखना होगा किअब यह कैसा दिखता है," उसने कहा और तेजी से मेरी ओर बढी और मेरे हिलने से पहले ही तौलिया को खींच लिया।

"वाह आमिर, क्या बात है।" और फौरन एक हाथ लिया और उसे नीचे से दबा दिया।

मैं अंत में इतना ही कह सका, "इनायत। आपको इसे अभी रोकना होगा।"

उसने लगभग फुसफुसाते हुए कहा, " लेकिन आमिर, मुझे बस इसे पकड़ना है। यह बहुत सुंदर है।

जितना मैंने सपना देखा था, उससे कहीं ज्यादा बेहतर और बड़ा। " वह मेरे लंड को घूर रही थी।

मैंने कहा सारा आने वाली होगी तभी घंटी बजी और इनायत ने जल्दी से चोगा पहना और फिर सारा अंदर आ गयी और हमने रात का खाना खाया । कुछ देर तक वे बातें करते रहे और मैंने महसूस किया की इनायत थोड़ी घबराई हुई थी और फिर हम सब अपने कमरों में सोने चले गए।

जारी रहेगी

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