अंतरंग हमसफ़र भाग 102

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लंदन का ख़ास पैराडाइस मनोरजन क्लब​
970 words
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Part 102 of the 343 part series

Updated 04/29/2024
Created 09/13/2020
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मेरे अंतरंग हमसफ़र

छ� ा अध्याय

लंदन में पढ़ाई और मस्तिया

भाग 2

लंदन का ख़ास क्लब​

जब कॉलेज से मैं अपने घर को जाने लगा ब्रेडी ने मुझे किसी के भी साथ किसी भी तरह के यौन संबंध ना रखने के बारे में अपनी चेतावनी दोहराई, और मैंने उसकी सलाह का सम्मान किया और उन दोनों ने ये भी मुझे बताया, कि इस क्लब में विश्व के धनाढ्य और शाही लोग सदस्य है। और जब हमने बाते की तो मुझे मालूम हुआ की ब्रेडी स्वयं एक अफ़्रीकी राजकुमार हैं और आमिर हैदराबाद के नवाबी खानदान से तालुक रखता है । मैंने उन्हें अपने बारे बताया की मैं स्वयं एक पंजाबी जमींदार खानदान से हूँ और मेरे पिताजी ने बताया है की मेरा परिवार भी एक हिंदुस्तानी राजघराने से है ।

ब्रेडी ने बताया की इस क्लब में केवल विशेष और ख़ास लोगो को ही सदस्य बनाया जाता है और जब भी किसी नए व्यक्ति को मेंबर बनाया जाता है तो उसका परिचय सब सदस्यों से करवाने के लिए एक ख़ास आयोजन किया जाता है । जिसमे नए सदस्य को एक नयी लड़की के साथ पहली बार सार्वजनिक रूप से सेक्स करना होता है और फिर सामूहिक सैक्स पार्टी पूरी रात चलती है । इस क्लब में कोई सदस्य ही नए सदस्य को प्रवेश दिलवा सकता है और इस बेहद ख़ास क्लब की सदस्य्ता के लिए प्रवेश शुल्क काफी अच्छी और बड़ी राशि है ।

इस क्लब में मौज-मस्ती करने वाले सभी सदस्य विश्व के धनाढ्य, राजसी, राजनितीतज्ञ, सेना के बड़े अधिकारी और शाही परिवारों के हैं लेकिन लड़कियों के लिए कोई सदस्य्ता शुल्क नहीं है। इस क्लब का सबसे प्रमुख ये नियम है कि जब किसी नए पुरुष को सदस्य्ता दी जाए तो वह अपने साथ किसी महिला रिश्तेदार, बहन या कजिन, या अपनी कोई सुंदर महिला मित्र को भी वो अपने साथ ही क्लब के सदस्यों के सामने पेश करे, ताकि उसे किसी अन्य सदस्यों की रिश्तेदार स्त्रियो के साथ का आनंद लेने से कोई इस बात का सही या गलत फायदा न उ� ा सके और सब सदस्यों के मान सम्मान और प्रतिष्� ा की किसी प्रकार से कोई हानि ना हो।

अब मेरे साथ तो कोई महिला या स्त्री नहीं थी तो ब्रेडी ने मुझे अपनी एक बहन "पर्पल" से मिलवाया जो की हमारे साथ क्लब में पहली बार जाने वाली थी।

घर पहंचने पर मुझे एक लिफाफा प्राप्त हुआ जिस से मालूम हुआ की मेरे पिताजी ने मेरे फूफा जी की मदद करने के लिए जो भी धन उनको दिया था ( इसके बारे में आप मेरे अंतरंग हमसफ़र भाग 26 में पढ़ सकते हैं ) उससे फूफा जी ने बिज़नेस शुरू किया था और उसमे उन्होंने लाभ के ५०% से मेरे लिए एक ट्रस्ट के फण्ड की स्थापना की थी। उस पैसे के निवेश से जो भी धन की आय प्राप्त हुई और साथ में व्यापार के प्रतिवर्ष के मुनाफे के हिस्से से उस ट्रस्ट के पास एक बड़ा फण्ड था, जिसका मैं अकेला लाभार्थी था और उस फण्ड की चेकबुक भी उस लिफ़ाफ़े में थी और सरसरी तौर पर देखने से पता चला की उसमे मेरे लिए अच्छी राशि थी जिसे मैं अपनी मर्जी से खर्च कर सकता था।

अगले दिन मैं ब्रेडी, परपल और आमिर के साथ उस क्लब में गया, जहां उस रात मेरा परिचय सब से करवाया जाना था । लंदन के पुराने शहर में स्थित यह एक बड़ी और पुरानीऔर सुनसान दिखने वाली हवेली थी। जब हम गेट पर पहुंचे तो वहां पर मौजूद सुरक्षा कर्मी ने ब्रेडी के सदस्ता कार्ड की जांच के बाद हमे प्रवेश की आज्ञा दी । प्रवेश द्वार पार करने के बाद मैंने देखा आंध्र से बिल्डिंग काफी सुसजित थी और एक आंगन को पार करते हुए हम पुराने पत्थर की सीढ़ियों से ऊपर चढ़े, और ब्रेडी ने अगले द्वारपाल को अपना नाम बताया तो वो हमे एक मंद रोशनी वाले हॉल के बीच से बाईं ओर एक छोटे, करीने से सुसज्जित कमरे में ले गया जहाँ कुछ परिचारिकायें आयी और वो पर्पल को ले गयी और फिर मुझे उन्होंने वहां कुछ मिनटों के लिए अकेला छोड़ दिया, और प्रवेश समिति से मिलने चले गए और फिर आमिर बहुत जल्द लौट आये और मुझे एक अन्य कक्ष में ले गए जहाँ तीन सज्जन उपस्थित थे और ब्रेडी उनमे से एक था. ब्रेडी ने मुझे अन्य सदसयो से यह कहते हुए मिलवाया कि मेरी इच्छा क्लब का सदस्य बनने की है।

प्रवेश प्रक्रिया बहुत सरल थी; इसमें केवल प्रवेश शुल्क देना था और एक छोटा सा फॉर्म भरना था और हमारे गतिविधियों को गुप्त रखने की शपथ लेनी थी और प्रवेश शुल्क के साथ ही एक हज़ार पौंड का सालाना शुल्क भी मैंने तुरंत चेक से अदा कर दिया।

फिर मुझे कुछ और सीढ़ियों से एक ड्रेसिंग रूम में ले जाया गया । वहां उन्होंने मुझे बताया कि मुझे इस अवसर के लिए पहने जाने वाली पोशाक अपनानी होगी जो कि सामने एक बड़ा ड्रेसिंग-गाउन था, जिसे शर्ट के ऊपर पहना जाना था । मैंने उनके कपड़े उतार दिए, और मुझे एक लाकर दिया गया जिसमे मैंने अपने कपडे और पर्स और चेकबुक इत्यादि रख दी ।

फिर मुझे बड़े दरवाजों की एक जोड़ी की ओर ले जाते हुए, जो हमारे पास आते ही खुद ही खुल जाते थे मैं उनसे गुजर कर आगे गया तो वहां बहुत तेज रौशनी थी । कमरे में प्रवेश करते ही मैं वहां अत्यंत भव्यता का अनुभव किया और भव्यता का एक दृश्य मेरे सामने था, जो मेरे द्वारा पढ़ी गई किसी भी परियों की कहानियों से बढ़ कर । यह ऊंची ऊंचाई और लंबी लंबाई का एक बड़ा कक्ष था, जो विभिन्न रंगों के संगमरमर के स्तंभों की पंक्तियों द्वारा सुसज्जित था । प्रत्येक स्तंभ के बीच बेहतरीन इटालियन संगमरमर में मूर्तिकला की कई उत्कृष्ट कृतियाँ खड़ी थीं, जो नग्न महिलाओं को हर संभव स्थिति में चित्रण कर रही थी और कामुकता से भरपूर थी ।

जारी रहेगी

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