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आठवा अध्याय
हवेली नवनिर्माण
भाग 2
इंस्तांबुल ( टर्की ) की यात्रा
मैं तुम्हारी हूँ।" क्सान्द्रा की सबसे सुंदर मुस्कान उसके चेहरे पर दिखाई दी। मैंने पीछे मुड़कर मंदिर की ओर देखा और आँखें बंद कर लीं।
"धन्यवाद," मैंने मन में प्रेम की देवी को कहा की उन्हेने मेरे प्राथना स्वीकार कर मुझे एक साथिन दे दी थी। फिर मैं उस गाडी में चढ़ गया और घोड़ो के लगाम अपने हाथो में ले ली और क्सान्द्रा को अपनी गोदी में बिठाया और उसे चूमता हुआ पूरी हवेली और उसके कंपाउंड का एक चक्र लगाया फिर उसे लेकर हवेली में अपने कमरे में चला गया।
वो नग्न होकर मेरे पास धीरे धीरे आ गई क्सान्द्रा उस दिन एक छरहरी और कुंवारी दिखने वाली लड़की लग रही थी, उसके मम्मे भी सॉलिड लग रहे थे, उसका पेट भी अन्दर को था लेकिन चूतड़ गोल और चिकने लग रहे थे। और मैं भी पूरा नग्न होकर उसके सामने खड़ा हो गया। मेरा लंड अकड़ा हुआ खड़ा था और उसकी चूत को सलामी दे रहा था।
मैंने आगे बढ़ कर उस को अपनी बाहों में भर लिया और फिर उसको उठा कर चूमते हुए सारा कमरा घूमने लगा ।
फिर मैंने उसको लिटा दिया और उसकी टांगों में बैठ कर धीरे से लंड उसकी टाइट चूत में डाल दिया। उसकी चूत एकदम गीली और पूरी तरह से तप रही थी।
मैं उसके मम्मों को चूसने लगा और हल्के हल्के धक्के भी मारता रहा, वो भी नीचे से धक्के मार रही थी।
थोड़ी देर बाद ऐसा लगा कि क्सान्द्रा की चूत से बहुत पानी बह रहा है। चुदाई रोक कर देखा तो हैरान हो गया कि उसकी चूत में से चुतरस सा फव्वारा सा निकल रहा है, उसको सूंघ कर देखा तो वो पेशाब नहीं था लेकिन चूत का ही रस था।
यह देख कर मैं फिर पूरे जोश के साथ उसको चोदने लगा और थोड़ी देर में क्सान्द्रा फिर से झड़ गई, बुरी तरह कांपती हुई वो मेरे से सांप के तरह लिपट गई।
क्सान्द्रा में यौन आकर्षण बहुत था!और हम दोनों एक दुसरे को बहुत प्यार करते रहे और फिर मैंने जरूरी सामान उस गाडी में रखा और फिर जब हम कुछ देर ऐसे ही प्यार करते और घुमते हुए हवेली से मंदिर पहुंचे तो मंदिर में हमारे सब मुख्य पुजारिणो ने स्वागत किया और फिर दो दिन तक मैंने सब पुजारिणो. और वहां मौजूद कसान, अलेना समीना और अस्त्रा की बार बार चुदाई की. उन दो रातो में मैंने और क्सान्द्रा ने भी कई बार चुदाई की और क्सान्द्रा ने जब तौबा की तभी उसको छोड़ा। फिर हम एक दूसरे के आलिंगन में ही सो गये।
फिर दो दिन बाद कॉलेज खुला और वहां मेरा परिचय अपने सब सहपाठियों से हुआ और कई नए दोस्त बन गए।
शुक्रवार की शाम को मुख्य पुजारिने पाईथिया, दिवा, ग्लोरिया और पर्पल मेरे पास आयी और बोली मास्टर आपको अब तुर्की में देवी के मंदिर में जाना है और जो धन और आभूषण हमे प्राप्त हुए हैं उनका उपयोग तुर्की के मंदिर के नवनिर्माण में होगा. धन हमने बैंक में जमा करा दिया है और कुछ आभूषण वहां आपके साथ भेजने हैं।
मैंने अपने साथ वहां जाने के लिए उस मंदिर की मुख्य पुजारिन फ्लाविआ को चुना तो क्सान्द्रा ने भी मेरे साथ चलने का आग्रह किया. पाईथिया ने अपने साथ जीवा और पर्पल को भी ले जाने का आदेश दिया। शुक्रवार की रात एक बार फिर मैंने सभी मुख्य पुजारिणो के साथ सम्भोग किया और आभूषणों के साथ हम पांचो शनिवार सुबह टर्की के लिए निकल गए । इस्तांबुल के पास प्रेम की देवी के मदिर में पहुँच कर हमने वहां की पुजारिणो के साथ मुलाकात की और उन्होंने हमारे टर्की इंस्तांबुल के कुछ मुख्य स्थान घूमने की व्यवस्था की हुई थी।
हम उन दर्शनीय स्थलों पर घूमने गए इन स्थलों में हमने तुर्की के सुल्तानों का सुलतान का टोपकापी पैलेस भी देखा जो तुर्की में इस्तांबुल के फातिह जिले के पूर्व में एक बड़ा संग्रहालय है। यह 1460 से 1856 तक तुर्क साम्राज्य के प्रशासनिक केंद्र था और तुर्क सुल्तानों का मुख्य निवास था। इसे वहां हरम भी कहते हैं।
जब हम वापिस आये तो हम आपस में दर्शनीय स्थलों के बारे में चर्चा कर रहे थे जिसमे अनेक हाल और कमरे थे. वहां हमारे लिए एक गाइड नियुक्त किया गया था औरउसने हमे हरम या रानिवास की मुख्य विशेषताएं दिखाई और गिनाई ।
इम्पीरियल हरेम का मुख्य भाग सुल्तान के निजी अपार्टमेंट हैं इसमें 400 से अधिक कमरे थे। हरम में सुल्तान की मां, वालिद -ऐ- सुल्तान का घर था; सुल्तान की बेगमे पत्निया और रखैलें और उसका परिवार, जिसमें बच्चे भी शामिल हैं रहते थे और उनकी सेवा के लिए उनकी दासिया रहती थी और हरम में मुख्य रूप से हिजड़ों द्वारा पहरा दिया जाता था । हरम में इमारतों और संरचनाओं की एक श्रृंखला होती है, जो हॉलवे और आंगनों से जुड़ी होती हैं। हरम में रहने वाले प्रत्येक सेवा दल और पदानुक्रमित समूह के पास एक आंगन के चारों ओर रहने की जगह थी। कमरों की संख्या निर्धारित नहीं है, सभी कमरों में से केवल कुछ ही जनता के लिए खुले थे। इन अपार्टमेंट्स में क्रमशः हरम नपुंसक, मुख्य हरेम नपुंसक (दारुस्सादे असासी), रखैलें, रानी मां, सुल्तान की बेगम, राजकुमारों और सुल्तान के पसंदीदा रखेलों और दासियो का कब्जा था। सुल्तान, रानी माँ, सुल्तान की पत्नियों और पसंदीदा, राजकुमारों और रखैलियों के साथ-साथ हरम की रखवाली करने वाले किन्नरों को छोड़कर, हरम के फाटकों से परे सुल्तान को छोड़कर किसी पुरुष को आने की अनुमति नहीं थी।
हरम के कुछ हिस्सों को सुल्तान महमूद I और उस्मान III के तहत इतालवी-प्रेरित ओटोमन बारोक शैली में फिर से सजाया गया था। इसके इलावा सबसे सुंदर और शानदार थे सुल्तान और रानीये के स्नानागार । यह डबल बाथ 16वीं सदी के अंत में बनाया गया था और इसमें कई कमरे हैं। इसे 18वीं सदी के मध्य में रोकोको शैली में फिर से सजाया गया था।
दोनों स्नानागार एक ही डिजाइन में थे, जिसमें एक कैल्डेरियम, एक टेपिडेरियम और एक फ्रिजिडेरियम होता है। कैल्डेरियम, गर्म स्नान करने के लिए कमरा, टेपिडेरियम- प्राचीन स्नानागार का गर्म कमरा और फ्रिजिडेरियम प्राचीन स्नानागार का ठंडा कमरा.. प्रत्येक कमरे में या तो एक गुंबद है, या छत पर किसी बिंदु पर छत्ते की संरचना में कांच लगे हैं ताकि प्राकृतिक धूप अंदर आ सके। फर्श सफेद और भूरे रंग के संगमरमर का था। कैल्डेरियम में एक सजावटी फव्वारे के साथ संगमरमर का टब और सोने का पानी चढ़ा लोहे की ग्रिल विशिष्ट विशेषताएं हैं। सोने की जाली स्नान करने वाले सुल्तान या उसकी रानी को हत्या के प्रयासों से बचाना था। सुल्तान के स्नानागार को उच्च गुणवत्ता वाले ओज़्निक पॉलीक्रोम टाइलों से सजाया था।
सुल्तान मूरत III का बैडरूम र ( मुराद हैस ओडासी-3) हरम में सबसे पुराना और बेहतरीन और सुसज्जित कमरा है, जोइसमे उसके ने मूल इंटीरियर को बरकरार रखा गया है। इसके हॉल में महल के बेहतरीन दरवाजों में से एक दरवाजा है । कमरे को नीले और सफेद और मूंगा-लाल znik टाइलों से सजाया गया है।सोने का पानी चढ़े हुए हुड (ओकाक) के साथ बड़ी चिमनी दो-स्तरीय फव्वारे के सामने खड़ी है, जिसे कुशलता से रंगीन संगमरमर से सजाया गया है। पानी का प्रवाह कमरे में आराम का माहौल प्रदान करते हुए, किसी भी प्रकार की गूँज को रोकने के लिए था। कमरे में सोने का पानी चढ़े हुए दो बिस्तर सजे हुए थे ।
सुलतान की पसंदीदा रानी का आंगन हरम के अंतिम खंड में था और इसके प्रांगण में एक बड़ा पूल और बगीचा था और उस्मि में जिसमें सुल्तान की पसंदीदा का निवास था । गोल्डन रोड (Altın Yol) और भूतल पर सुलतान की पसंदीदा रानी के निवास के साथ शीश महल भी था ।
जब सुल्तान की पसंदीदा गर्भवती हो जाती थी तो उन्हें सुल्तान की आधिकारिक पत्नी की उपाधि और शक्तियां प्रदान की जाती थी।
सभी भवन बेहद शानदार थे और उन्ही खूब अच्छे से देखभाल की जाती थी जिससे प्रतिवर्ष लाखो की संख्या में टूरिस्ट इन्हे देखने आते हैं।
कहानी जारी रहेगी
दीपक कुमार