अंतरंग हमसफ़र भाग 210

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फूफा या मामू का परिवार​
1.2k words
2.71
142
00

Part 210 of the 342 part series

Updated 03/31/2024
Created 09/13/2020
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मेरे अंतरंग हमसफ़र

आठवा अध्याय

हवेली नवनिर्माण

भाग 9

फूफा या मामू का परिवार​

मैं जब लंदन में वापस आया तो मैं मंदिर में पहुँचा और फिर मुझे अपनी माँ का फोन आया जिसने मुझसे पूछा कि क्या मैं लंदन में अपने फूफा के घर गया हूँ।

मैंने उन्हें बतया की व्यस्तता के कारण मैं वहाँ नहीं जा सका और यहाँ मैं अकेला था और अभी चीजों की व्यवस्था कर रहा था और उनका घर कॉलेज से काफी दूर है। मैंने उन्हें बताया की अभी उस हवेली में कुछ सुधार और नवीनीकरण की आवश्यकता है क्योंकि वह काफी समय से बंद थी । तो माँ ने बोला वह पिताजी को बता देंगी और वह आवश्यक व्यवस्था कर देंगे।

उसने मुझे उसी रविवार को उनसे मिलने का निर्देश दिया। इसलिए शाम को मैंने मुझे फूफा के परिवार से मुलाकात करने के लिए निकल गया।

मैं आपको बता सकता हूँ कि उनका परिवार लंदन सेंट्रल सिटी में रहता है। उनका एक बड़ा संयुक्त परिवार है जिसमे मेरे फूफा और उनके एक बड़े भाई और उनके सात छोटे भाइयों के परिवारों हैं। उनकी दो बहनें भी हैं। मेरे फूफा की सबसे बड़ी बहन ही मेरी सौतेली माँ और मेरे पिता दूसरी पत्नी हैं। तो एक तरह से फूफा जी मेरे मामा भी हैं। (मेरी सौतेली माँ का भाई) । मेरी सौतेली माँ का नाम शीना है वह लंदन में अपने भाइयों के साथ ही रहती है। मेरी सौतेली माँ मुझे अपने बेटे की तरह बहुत प्यार करती है। मैंमैंने अपनी दूसरी माँ को छोटी माँ कह कर बुलाता हूँ और फूफा को छोड़कर अपनी छोटी माँ के अन्य सभी भाइयों को मामू बुलाता हूँ और फूफा की दूसरी और सबसे छोटी बहन अभी भी अविवाहित है और उन्हें मैं उनके नाम शज़िआ से बुलाता हूँ क्योंकि वह मेरी हमउंमर हैं और हम दोनों दोस्तों जैसे हैं। वे सभी भी मुझसे बहुत प्यार करते हैं।

पहले जब भी हम लंदन जाते तो हम सब उनके परिवार के साथ ही रहते थे लेकिन चूंकि मेरा कॉलेज शहर के दूसरी तरफ है और उनके घर से काफी दूर है, इसलिए मैं अपनी पुरानी हवेली में अपने कॉलेज के पास अकेला रह रहा था । वर्तमान में उनका परिवार बहुत समृद्ध है और लंदन शहर के मध्य भाग में एक विशाल, 1 हेक्टेयर गेटेड और दीवारों वाली संपत्ति में रहता है। विशाल परिसर 10 फुट की विशाल चारदीवारी से घिरा हुआ है, जिसके सामने 16 फुट लंबा लोहे का बड़ा-सा गेट है। एक षट्भुज आकर में छह 2 मंजिला इमारतें बनायीं गयी हैं। प्रत्येक भवन की एक मंजिल में एक भाई अपने परिवार, बच्चो और पत्नियों के साथ रहते हैं, परिसर के भीतर प्रत्येक बिल्डिंग की प्रत्येक मंजिल पर परिवार के लिए विशाल, अपार्टमेंट हैं, और उन 6 बिल्डिंगो के बीच में बहुत बड़ा हाल है जहाँ बैठक और खाने का कमरा है और वे सभी एक साथ बहुत प्यार से रहते हैं।

एक इमारत में मेरी छोटी माँ शीना उनकी दो बेटियों के साथ रहती है जो हाई स्कूल जा रही हैंऔर सबसे छोटा मामू भी अविवाहित है और एक भवन मेहमानों के लिए है।

उनका अति-समृद्ध परिवार एक अति-उदार और आधुनिक मुस्लिम परिवार है, वह लोग लगभग 10 पीढ़ी पहले भारत से यूके चले गए थे और उनके आधुनिक या संक्षिप्त नाम हैं लेकिन वे काफी हद तक बहुत उदार हैं। वे अपने जीवन के बहुत बुरे दौर से गुजरे थे जब मेरे फूफा और मेरे पिता लंदन में कॉलेज में पढ़ रहे थे। तब मेरे पिता की उन से दोस्ती हो गई थी। मेरे फूफा के परिवार को उस समय व्यापार में भारी नुकसान हुआ और साथ ही मेरे फूफा से बड़े भाई को भी अपनी पहली पत्नी के साथ कुछ मतभेद हो गए, इसलिए उन्हें उसे तलाक देना पड़ा और मुस्लिम परंपराओं के अनुसार उसे भारी हक मेहर और भरण पोषण के लिए भुगतान करना पड़ा। मेरे पिता ने उस समय मेरे फूफा की मदद की थो और इससे उनके परिवार को उस संकट से बाहर निकलने में मदद मिली।

तो जैसा कि आप मेरे अंतरंग हमसफ़र, तृतीय अध्याय, खूबसूरत युवा सहेलिया भाग-5 सौतेली बहने में पहले ही पढ़ चुके हैं की मेरे परिवार में पुरुष रसिक रहे हैं। उनकी एक से अधिक पत्निया रही हैं और विवाहेतर सम्बन्ध भी रहे है तो आपके दादा जी की भी वैसे तो कई पत्निया थीl दादा जी की दो मुख्य पत्निया थी जिनसे उन्हें विशेष लगाव था l एक मेरी दादी थी, जिनसे पिताजी और बड़ी बुआ है और दूसरी अलका की नानी थील जो उनकी सबसे छोटी और प्रिय पत्नी थी जिससे उनके एक संतान थी आपकी छोटी बुआ अर्थात अलका की माँ, उन दिनों दोनों बहनो में अच्छी बनती थी। चुकी आपके दादा जी की अनेक सन्तानो में केवल एक ही लड़का, मेरे पिताजी हैं, इसलिए वह मेरी दादी का बहुत मान करते थे और उसकी कोई बात नहीं टालते थे।

समय के अनुसार जब आपके पिताजी बड़े हो गए तो वे पहले विदेश में पढ़ने गएl फिर उसके बाद भी आपके दादाजी के जैसे ही विदेश जाते रहते थे और पढाई के दौरान वहाँ उनकी मित्रता जेन के पिताजी से हुई। जेन के पिताजी के परिवार को व्यापार में बहुत बड़ा नुक्सान हुआ तो मेरे पिताजी ने अपने दोस्त की बिज़नेस दुबारा खड़ा करने में बड़ी मदद की।

फिर एक दिन दोनों मित्रो से अपनी दोस्ती को रिश्तेदारी में बदलने का प्रस्ताव रखा और अपनी बहन की शादी उनसे करने का प्रस्ताव रखाl फूफा जी ने भी अपने बहन के विवाह का प्रस्ताव मेरे पिताजी के साथ रखा। उसके जब जेन के पिताजी, यहाँ आये तो उन्हें सबसे पहले छोटी बुआ मिली जो की उस समय जवान हो गयी थी और बहुत सुन्दर थी और आज भी बहुत सुन्दर हैं और उन्हें देखते ही छोटी बुआ पसंद आ गयी और उन्होंने उसे ही दिमाग़ में रखते हुए अपनी विवाह के लिए स्वीकृति दे दीl मेरी दादी ने उनसे बड़ी बुआ का विवाह करने का प्रस्ताव किया और चुकी उनकी चलती थी और फूफा जी चुकी मेरे पिताजी के अहसान के नीचे दबे हुए थे वह अपनी मन की बात तो नहीं बोल सके।

तो बड़ी बुआ का उनसे विवाह हो गया और फूफा जी उससे पहले ही चुपचाप छोटी बुआ से सम्बन्ध कर लिया था, जिसके कारण अलका हुई। वक़्त के साथ तुम्हारी बड़ी बुआ के कोई लड़का नहीं हुआ तो उन्होंने और भी विवाह कर लिए और उनसे तुम्हारे फूफेरे भाई और अन्य बहने हुई। वैसे फूफा जी चाहते हो दोनों के साथ ही एक ही समय में शादी कर सकते थे । और अब मुझे अपनी छोटी माँ से मिलने जाना था ।

मेरे लगभग सभी मामू की बहुविवाह है और उनकी कई पत्नियाँ हैं। क्योंकि जब उनका बुरा समय आया था तो उन्होंने उस समय से बहुत साधारण जीवन जीया था। वे 50 से भी अधिक लोग एक साथ रह रहे हैं और उनका घनिष्ठ परिवार हैं।

हालांकि, साधारणतया धार्मिक विश्वासों के कारण लड़कियों को युवावस्था में पहुँचने के बाद मुस्लिम परिवार के बाहर के विपरीत लिंग के सदस्यों के साथ दोस्ती करने से हतोत्साहित किया जाता है और उनके परिवार की महिलाएँ घर में हमेशा अपने सिर को ढकने के लिए हिजाब पहनती हैं और जब भी बाहर निकलती हैं तो अपने सुंदर, लंबे, सुडौल शरीर को छिपाने के लिए एक अबाया पहनती हैं। लेकिन फूफा या मामू के घर में ऐसा बिलकुल नहीं था कोई महिला या लड़की आबया या हिजाब नहीं पहनती थी ।

कहानी जारी रहेगी

दीपक कुमार

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