औलाद की चाह 186

Story Info
उत्तेजक गैंगबैंग अनुभव​
1.8k words
1.5
70
00

Part 187 of the 282 part series

Updated 04/27/2024
Created 04/17/2021
Share this Story

Font Size

Default Font Size

Font Spacing

Default Font Spacing

Font Face

Default Font Face

Reading Theme

Default Theme (White)
You need to Log In or Sign Up to have your customization saved in your Literotica profile.
PUBLIC BETA

Note: You can change font size, font face, and turn on dark mode by clicking the "A" icon tab in the Story Info Box.

You can temporarily switch back to a Classic Literotica® experience during our ongoing public Beta testing. Please consider leaving feedback on issues you experience or suggest improvements.

Click here

औलाद की चाह

CHAPTER 7-पांचवी रात

योनि पूजा

अपडेट-17

उत्तेजक गैंगबैंग अनुभव​

गुरु जी: जय लिंग महाराज! रश्मि! तुम बहुत अच्छा कर रही हो बेटी! एक बात बताओ, क्या तुम अब भी वहाँ पूरी तरह से भीगी हुई हो?

मुझे उम्मीद थी गुरूजी अब फिर ऐसा ही सवाल पूछेंगे लेकिन फिर भी मैं इसका कोई जवाब नहीं दे सकी।

गुरु जी: बेटी, मैं पूछ रहा हूँ कि निर्मल और राजकमल की इस प्रेममयी खुराक के बाद क्या तुम वहाँ भीगी हुई हो?

मैं: ये... ये... हाँ गुरु-जी... वे... बहुत।

गुरु जी: अच्छा। आपकी ऐसा ही होना चाहिए था। अब मंत्र दान का अंतिम भाग आपको इससे भी अधिक उत्तेजक और अनूठा अनुभव प्रदान करेगा।

गुरु जी रुक गए, शायद वे चाहते थे कि मैं उसके बारे में पूछूं। मेरी सांस फूल रही थी क्योंकि नसों से मेरा खून तेजी से बह रहा था और मैं उत्साहित महसूस कर रही थी क्योंकि मैं तो चाहती थी की निर्मल और राजकमल के साथ वाला सत्र ही चलता रहे और गुरूजी कुछ उसके आगे को बात कर रहे थे।

मैं: अब और इससे आगे क्या है गुरु जी? मैंने चकित होकर पुछा । मुझे लगा पता नहीं अब मेरे लिए कौन-सा सरप्राइज बाकी है ।

गुरु जी: रश्मि देखि जब तुम्हारा पति तुमसे प्रेम करता है, तो वह अकेला पुरुष होता है जो तुम्हारे शरीर को सहलाता है, और बहुत संभव है इसमें आपके कुछ अंग उत्तेजना प्राप्त करने से वंचित रह जाए लेकिन मंत्र दान के पिछले दोनों भागो में दो पुरुषो ने तुम्हें मजे दिए हैं और निश्चित ही उन सत्रों में तुम्हे एक पुरुष के साथ संसर्ग से अधिक ाँद मिला होगा और अब इसके बाद तुम्हे मेरे चारो शिष्यों एक साथ मजे देंगे इसलिए अब तुम्हे और अधिक आनद आएगा और तुम्हारा पूरा बदन उन आनन्दो को महसूस करेगा जो संसर्ग में महसूस हो सकते हैं।

मैं क्या?

गुरु-जी: हाँ बेटी। मैं शर्त लगा सकता हूँ-आपको यह बहुत ज्यादा पसंद आएगा। आपने सुना होगा की पुरुष पहले समय में अनेको पत्निया रखते थे और उनके साथ आननद लेते थे और अभी तक आपने बस इस तरह से कल्पना की होंगी हैं कि आपको अनेक मर्द एक साथ प्यार करना चाहते हैं! हा-हा हा... अब निर्मल के साथ उदय, राजकमल, और संजीव एक साथ आपसे प्यार करेंगे। मुझे पूरा विश्वास है इस तरह आपका आननद चार गुना या उससे भी कई अधिक गुना बढ़ जाएगा।

मुझे तुरंत उस समय उन अश्लील वीडियो और ब्लू फिल्मो का ध्यान हो आया जो मैंने अपने पति अनिल के साथ अपने बैडरूम में देखि थी जिनमे नायिका के साथ कई पुरष एक साथ गैंग बेन्ग करते हैं।

उस समय मैं स्तब्ध होकर उन अश्लील वीडियो को देख चुप हो कर रह जाती थी और मुझे सब कुछ नकली-सा लगता था। लेकिन अब तक के दो पुरुषो के साथ एक साथ सेक्स के बाद से मुझे आभास हो गया था कि ये सब वास्तविकता में भी हो सकता है और इस अशोभनीय प्रस्ताव से मैं सुन्न हो गयी! मैं अपना मुँह आधा खुला रखकर वहाँ खड़ी रह गयी और विश्वास ही नहीं कर पायी की मैं आश्रम में गुरु-जी जैसे व्यक्ति के मुख से ये क्या सुन रही हूँ! मेरा सिर गुरुजी की ऐसी अश्लील बातों को सुनकर घूम रहा था।

गुरु-जी: रश्मि, मुझे यकीन है कि आपने उस दोहरे प्रेम प्रसंग का भरपूर आनंद लिया है और अब इन चारो प्रेमियों के साथ भी आप आनद ले। जय लिंग महाराज!

अब इस पर मेरा कोई नियंत्रण नहीं था और मैं बेशर्मी से मुस्कुरायी और सिर हिलाया।

राजकमल: जय लिंग महाराज!

संजीव: जय लिंग महाराज!

उदय: जय लिंग महाराज!

निर्मल: जय लिंग महाराज!

अब मुझे गुरु जी के पीछे-पीछे इस मन्त्र को दोहराने की इतनी आदत पद गयी थी की मेरे भी मुँह से अनायास ही निकल गया: जय लिंग महाराज!

इससे पहले कि कुछ और प्रतिक्रिया कर पाती, संजीव के साथ उदय तेजी से आगे बढ़ा और वह मुझे छूते उससे पहल ही मेरे आगे खड़े निर्मल और पीछे खड़े राजकमल ने मुझे लगा और उदय और संजीव ने मुझे मेरी दायी और बायीं साइड से मेरे बदन को सहलाना शुरू कर दिया ान एक ने सामने से और दूसरा पीछे से मुझे गले लगा रहा था ायर दो मेरे दोनों साइड में मेरे साथ चिपके हुए थे। यह एक अद्भुत एहसास था क्योंकि अब आठ हाथों ने मुझे पकड़ लिया और मुझे गले लगा लिया और मैं प्यार की गरमी से उनके भीतर पिघल गयी!

निर्मल स्टूल पर खड़ा हुआ मुझे सामने से गले लगा रहा था और अपने लंड को मेरी जनघो पर दबा रहा था जबकि राजकमल अपना खड़ा लंड मेरी गांड की दरार को बहुत जोर से दबा रहा था। संजीव मुझे दाए से कसकर गले लगा रहा था और मैं अपने दाए हाथ से संजीव और बाए हाथ से उदय के लिंग को पकड़ कर उसे सहला रही थी और मेरे स्तनो का उदय ने भरपूर फायदा उठाया।

संजीव के हाथ पीछे से मेरी जाँघों से ऊपर ओर मेरे कूल्हों की ओर और फिर मेरे नितम्बो पर गए और राजकमल के हाथ पीछे से मेरे लटकते हुए स्तनों को दबा रहे थे। कुछ देर उसने मेरे स्तनों को पकड़कर उन्हें दबाते हुए निचोड़ लिया। मैं इस से उत्तेजित हो गई और संजीव ने तुरंत मुझे उत्तेजित महसूस किया और वह मेरे मुँह को अपनी और घुमा कर चूमने लगा और मैं भी उसके होंठों को काटने और चूसने लगी और हम जल्द ही लिप-लॉक हो गए।

छोटे कद का निर्मल। मेरे खुले स्तनों को दबा रहा था! संजीव ने चुम्बन करते हुए अपना समय लिया और धीरे-धीरे पूरी तस्सली के साथ मेरे होठों पर दबाव डाला और वह मेरे ओंठो को चूसने लगा। राजकमल उस समय बिल्कुल खली नहीं रहा! उसने मेरी पीठ और फिर मेरे नितम्ब गालों को मसलना जारी रखा और अपने लंड से मेरी गांड की दरार को ट्रेस करना शुरू कर दिया! साथ ही ब निर्दयता से मेरे नितम्बो के गालों को दोनों हाथों से सहला रहा था। निर्मल स्टूल से नीचे उतरा और मेरे पेट और मेरे स्तनों को चूम रहा था और उसके हाथ मेरी योनि पर चले गए थे और मेरी योनि के होंठों के बीच उँगली की नोक डालते हुए, उसकी चूत के दाने को ढूँढ लियाl और उसने मेरी योनि के दाने को इतनी अच्छी तरह से छेड़ा कि मैं उत्तेजना से अपनी जगह पर उछलने लगी, मैं इसे अब बर्दाश्त नहीं कर सकती थी। मैं आग पर थी; मेरी नसों में से खून उबल रहा था। मेरे बदन पर चुभ रहा उन चारो का लंड भी फूल टाइट था।

अब चारो घूमे और उन्होंने अपने जगहे बदल ली निर्मल से जगह संजीव मेरे सामने आ गया, संजीव की जगह राजकमल और राजकमल की जगह उदय मेरे पीछे और निर्मल मेरे दाए आ गया संजीव ने मेरे होठों को अपने मुंह में लिया और उन्हें चूसने लगा। उदय पीछे की तरफ था और मेरी पीठ सहलाने के बाद उसने मेरे नितम्बो को पकड़ लिया और उसे वहाँ बहुत जोर से दबा दिया। उसकी हथेलियाँ काफी बड़ी थीं और मेरे बड़े गोल नितम्ब उसकी हथेलियों में अच्छी तरह समा गए थे। साथ ही वह अपना बहुत लंबा लंड मेरी गांड की दरार में डाल रहा था, जिससे मेरे पूरे शरीर को जोर से झटका लग रहा था। मेरे निप्पल स्तन से ऐसे निकल रहे थे जैसे दो बड़े गोल अंगूर चूसे और रस निकालने के लिए तैयार हों और उन्हें एक तरफ से निर्मल चूस रहा था और दूसरी तरफ से राजकमल मेरे स्तन दबाते हुए मेरे स्तनों को चूम रहा था । और निर्मल ने मेरी योनि के दाने को छेड़ान जारी रखा और मैं उत्तेजना से अपनी जगह पर उछलटी रही मैं इसे अब बर्दाश्त नहीं कर सकती थी। मैं आग पर थी; मेरी नसों में से खून उबल रहा था। मेरे बदन पर चुभ रहा उन चारो का लंड भी फूल टाइट था। मेरा बदन गर्म हो गया था । तभी चारो फिर से दाए घूमे और अब राजकमल मेफ़े सामने था, निर्मल पीछे और संजीव बाए और उदय दाए था और उन चारो ने मेरे शरीर के अंगो के साथ खेलना जारी रखा और अब मेरे नाखे बंद थी और मुझे इस बात का कुछ अंदाजा नहीं था कि मेरे बदन के किस अंग पर किसका हाथ है और मेरे हाथो में किसके लंड हैं क्योंकि मैं उत्तेजना से कांप रही थी।

जब मैं दो लोगों के साथ एक साथ सेक्स कर रही थी यो मुझे लग रहा था कि मैं इस पूजा-घर में रंडी-गिरी के सारे रिकॉर्ड तोड़ रही हूँ! लेकिन अब इस गानागबानग में टी मैं नए रिकॉर्ड स्थापित कर रही थी और आधे घंटे में चार आदमी मुझे एक साथ चूम रहे थे उनके आठ हाथ मेरे-मेरे गोल सुडोल और सख्त स्तनों और नितम्बो को मसल रहे थे और उसके लंड मेरे बदन के हर अंग प्रत्यंग को स्पर्श कर रहे थे कोई मुझे चाट रहा था और कोई चूम रहा था तो कोई चूस रहा था और मेरी योनि में पता नहीं किस-किस की उंगलिया बारी-बारी से घुस रही थी और मेरे मगनासा को उनके अंगूठे जोर से दबा रहे थे।

में: आअह्ह्ह उउउ आआआआ उउउ ररररर ीीीी......अब उउउ...अब प्लीज रुक जाओ! प्लीज रुको!

गुरु जी: गुरु जी: ओम ऐ, क... चा... वि, नमः! ओम ऐं...! आखिरी कुछ सेकंड...!

मैं मन्त्र दोहराने लगी तभी मैंने महसूस किया, एक जीभ मेरे मुँह के अंदर तक चली गई और मेरे पूरे मुंह के अंदर की तरफ चाट रही थी। फिर दूसरी ने होठों और जीभ को मेरे पूरे चेहरे पर घुमाया और फिर मुझे चूमता हुआ मेरी गर्दन और कंधे पर चला गया और तीसरा जीभ घूमा-घूमा कर मेरे स्तन चूस रहा था और चौथा अपनी जीभ से चाटने के बाद मेरी पीठ और नितम्बो को चूम रहा था।

फिर एक मेरे निपल जो की काफी सूज गए थे, उन्हें अच्छी तरह से घुमा कर निचोड़ रहा था एक बार फिर इस चौतर्फी पुरुष अंतरंग सत्र ने मुझे अपने उत्कर्ष और स्खलन के कगार पर धकेल दिया और में पुरुष स्पर्श प्राप्त करने के लिए इतना उत्साहित ही गयी थी कि मैंने ाननखे खोल कर उदय को ढूँढा और उसकी और घूमी और उदय के सीधे लिंग को पकड़ लिया और इसे अपनी योनि में धकेलने की कोशिश की!

मैं मुश्किल से मंत्र को दोहरा सकी, मुझे मेरा सिर चक्र रहा था और चारो ने मेरी इस हालत का पूरा फायदा उठाया और मेरी जवानी के आकर्षणों पर आक्रमण करने के लिए स्वतंत्रता से मेरे बदन के साथ खिलवाड़ कर मुझे उत्तेजित किया और चारो में मेरे शरीर का एक इंच भी अनदेखा और अनछुआ नहीं छोड़ा और मैं इस सत्र में स्खलित हुई और मेरी पूरी टांगी मेरे योनि रस से भीग गयी ।

गुरु जी: जय लिंग महाराज! अद्भुत, शानदार रश्मि! आप सचमुच आज तक आयी सभी महिलाओं से श्रेष्ट सिद्ध हुई हैं और तालियों की गड़गड़ाहट की पात्र हैं!

गुरु जी और उनके चारों शिष्यों ने ताली बजाकर मेरा गर्मजोशी से स्वागत किया।

गुरु-जी: बेटी, आपने मंत्र दान को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है और अब आप लिंग पूजा करोगी और फिर मैं योनि पूजा पूरी करूंगा। ` जय लिंग महाराज!

आगे योनि पूजा में लिंग पूजा की कहानी जारी रहेगी

Please rate this story
The author would appreciate your feedback.
  • COMMENTS
Anonymous
Our Comments Policy is available in the Lit FAQ
Post as:
Anonymous
Share this Story

Similar Stories

A Day Out with Bev Shopping with Bev leads to a day of gangbang fun.in Group Sex
Scratching an Itch Katie scratches an itch to be taken by multiple guys.in Loving Wives
Nikki's Day at the Beach Hot wife finds fun by the sea.in Loving Wives
It's Always Wild with Franco This is another wild weekend experience with my course mate.in Group Sex
Hypersexual A young woman's secret night of lust and debauchery.in Erotic Couplings
More Stories