अंतरंग हमसफ़र भाग 252

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9.6 डॉक्टरी की पढ़ाई, परिचय
926 words
5
43
0

Part 252 of the 342 part series

Updated 03/31/2024
Created 09/13/2020
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मेरे अंतरंग हमसफ़र

नौवा अध्याय

डॉक्टरी की पढ़ाई

भाग 6

परिचय

केपरी हमारे पीछे-पीछे हवेली में आयी भूतल घुमते हुए जिसमे एक बड़ा हॉल था जिसमें एक भव्य सीढ़ी थी जो ऊपर तीसरी मंजिल और छत तक जाती दिख रही थी। एक क्रिस्टल झूमर बिजली की मोमबत्तियों के साथ ओवरहेड लटका हुआ था जिससे रोशनी टुकड़ों के माध्यम से इंद्रधनुषी नृत्य कर रही थी। दरवाजे कमरे के दोनों ओर से निकलते थे, दीवारें गहरे रंग की लकडियॉ की पैनलिंग से ढकी हुई थीं। एक कोने में दो बड़ी-बड़ी आँखों वाली एक महिला की एक अजीब-सी मूर्ति थी, मूर्ति हमारे पैतृक पंजाब के गाँव में लगी हुई मूर्तियों से मिलती-जुलती थी, जहाँ से मेरा यौन जीवन शुरू हुआ था जिसके बारे में मेरे अन्तरंगमफर के पहले और दुसरे अध्याय में विस्तृत कहानी है और हमारे घर में भी वैसी ही कुछ मूर्तिया थी उनकी वह बड़ी-बड़ी सुंदर आंखें। मैंने पहली बार सोचा ये मुर्तिया जिस भी महिला को सोच कर बनाई गयी होगी वह कितनी खूबसूरत रही होगी और मुझे ये भी पता था कि यह गुप्त मार्ग की कुंजी थी जिसकी खोज मैंने और रोजी ने मिल कर की थी।

नौकरानी ने मुड़कर मेरा बैग नीचे रख दिया। फिर उसने मेरे साथ आयी हुई महिलाओं का स्वागत किया, "आप सबका कुमार साहब की हवेली में स्वागत है आपसे मिलकर बहुत खुशी हुई, देवियों। मैं मोनिका हूँ, कुमार साहब की हवेली की देखभाल करने वाली और आपकी परिचारिका।"

" शुक्रिया, ठीक है, डेल्फी पाइथिया ने उल्लेख किया कि हवेली में एक परिचारिका है जो हवेली की देखभाल करती है। केपरी ने कहा उसकी आवाज में उसका घमंड झलक रहा था और क्यों न हो वह थी ही बहुत सुंदर!

"मैं हवेली के साथ उनकी मिली हूँ, मेरी जिम्मेदारी है इस हवेली का ख्याल रखना" उसने कहा और मेरे करीब चली गई। "कुमार इस हवेली के मालिक हैं, इसलिए मेरे भी मालिक हैं।" मोनिका ने मेरे चेहरे पर हाथ फेरा और मुझे चूमा।

मैं उसके गर्म होंठों को अपने ऊपर महसूस करने लगा और उसे किश करने लगा। केप्री जो मेरे पीछे थी वह चौंक गयी और हांफने लगी। मेरा लिंग खड़ा हो गया और मेरे अंडकोषों में उबाल आने लगा। केप्री को विश्वास नहीं हो रहा था कि यह हो रहा है। उन सब के सामने मोंका बिंदास हो कर अपनी जीभ मेरे मुंह में ठूंस रही थी। मैं कराह उठा, उम्म्म्म! चुंबन में आराम मिल रहा था मजा आ रहा था।

उसके होंठ अद्भुत थे रस भरी अरे नरम। उसकी उंगलियाँ मेरे चेहरे पर कितनी कोमल थीं। पर्पल, क्सान्द्रा, जीवा और केप्री की चकित आंखें हमे घूर रही थीं। उसके चुंबन ने मुझे उसके समर्पण का एहसास दिया। मैं सिहर उठा, मैं उससे जुड़ा हुआ महसूस कर रहा था जैसे मैंने कभी किसी के साथ नहीं था। रोजी के साथ भी नहीं!

मेरा दिल तेजी से और तेजी से धड़क रहा था जैसे मुझे लगा कि यह उसकी धड़कन के साथ तालमेल बिठा रहा है।

"डेल्फी जीवा," केपरी ने हांफते हुए कहा।

"वह उसकी सेविका है," जीवा ने कहा, उसकी आवाज लगभग स्वप्निल थी। "अगर वे चुंबन करते हैं, तो ये ठीक है।"

फिर मेरे दिल की धड़कन मोनिका की धड़कन से मेल खाने लगी। हम एकजुट हो गए थे थे। उस बिंदु पर उसने अपनी आँखें बंद कर लीं और चूमते हुए साँस ली। मैंने महसूस किया कि वह मेरे फेफड़ों से सांस खींच रही है। चूसने से मोनिका के पूरे शरीर में एक करंट-सा दौड़ गया। आखिर वह अपनी जवानी में मेरा इन्तजार कर रही थी। मेरा स्पर्श पाते ही उसके अन्दर वासना का ज्वार बढ़ने लगा था। उसके अन्दर कामवासना की लहरे जोरो से हिलोरे मार रही थी अब उसे और ज्यादा चाहिए था। मैंने अपने दोनों हाथ उसकी कमर पर रख दिए। उसने मैंने उसकी कमर के आकार को महसूस किया। यह किसी मूर्तिकार द्वारा गढ़ी गई किसी भी मूर्ति से बेहतर थी। मैंने ने धीरे से अपनी हथेलियों को उसके पसली के पिंजरे के किनारों पर सरका दिया। खुशी की शुरुआती लहरों को महसूस करते ही उसने अपने मुंह से सांस छोड़ीऔर जब मैंने चुंबन तोड़ा तो वह कांप उठी।

"लार और सांस का उपहार," वह फुसफुसायी। "जीवन की लय का उपहार, जुनून की गर्मी। अब बीज का उपहार। वह बीज जो पृथ्वी में जीवन शक्ति का संचार करता है।"

मैंने कहा मोनिका ठहरो! मैं पहले तुम्हारा परिचय करवा देता हूँ! । वह मुस्कुरा दी! मैंने जीवा और पर्पल को पाने पास दोनी तरफ खींचा और पहले जीवा को उसने मुझे अपने पास खींचा, उसे किस किया और बोला ये हैं प्रेम के मंदिर की प्रमुख पुजारिने जीवा और फिर राजकुमारी पर्पल को किस कर बोलै ये है पुजारिन राजकुमारी पर्पल और मैंने उसे जब जीवा को दुबारा चूमा तो वह भी मेरे ओंठ चूमने लगी इससे मुझे आत्मविश्वास मिला। फिर मैंने पुनः पर्पल को किस किया।

मोनिका बोली आपका हवेली में पुनः स्वागत करती हूँ, कुछ भी चाहिए हो तो आप मुझे बेझिझक बोल सकती हैं।

फिर मैंने क्सान्द्रा की अपनी तरफ आने का इशारा किया सूए गले लगाया, किस किया और बोला ये है क्सान्द्रा जो की पुजारीन पाईथिया की बहन है और इन्हे मित्र ब्रैडी ने मेरी परिचारिका नियुक्त किया है । ये अब हमारे साथ ही रहेंगी।

तो मोनिका बोली बहन क्सान्द्रा का स्वागत है और मैं बहन क्सान्द्र से पहले भी मिल चुकी हूँ और फिर मैंने केप्री को पास बुलाया और उसका हाथ पकड़ा, ये हैं केप्री जिन्हे इस्तांबुल के प्रेम के मंदिर की प्रमुख परिचारिका और उन्हें विशेष प्रशिक्षण के लिए यहाँ मेरे पास भेजा गया है और ये हमारे पास रहेंगी और इन्हे आपको और हमे मिल कर प्रशिक्षित करना है।

जारी रहेगी।

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1 Comments
AnonymousAnonymousabout 1 year ago

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