महारानी देवरानी 001

Story Info
प्रमुख पात्र -राजा और रानी की कहानी
875 words
3.47
45
00

Part 1 of the 99 part series

Updated 04/14/2024
Created 05/10/2023
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महारानी देवरानी

अपडेट 1

ये कहानी की शुरुआत होती है ऐसी सदी में जब भारत अनेक छोटे-छोटे साम्राज्य में बता हुआ था। ऐसे ही एक छोटे-सा राज्य था उत्तर भारत में जो की चारो और से बर्फीले पहाड़ों। जंगल और गहरी नदियों से घिरा था इसी कारण से अब तक के हर विदेशी आक्रमण से बचा हुआ था । राज्य का नाम था घटकराष्ट्र था। घटकराष्ट्र में केवल 5000 लोगों की आबादी थी । यहाँ की हरी भरी जमीन या वातावरण से यहाँ के जीव जाति को रहने खाने की कोई भी कमी नहीं थी, प्रजा की खुशहाली की वजह थी की यहाँ के राजा राजपाल भी अपनी प्रजा को अपने हृदय से प्रेम करते थे।

प्रमुख पात्र

घटकराष्ट्र का राजा

राजपाल सिंह आयु 40 वर्ष. लांबाई 5.7

राजपाल सिंह की पत्नी

रानी सृष्टि 5.5

राजपाल सिंह की माता जी

महारानी जीविका

राजकुमारी देवरानी

राजा राजपाल सिंह के कोई संतान नहीं थी जिसका उन्हें अंदर ही दुख था या चिंता रहती थी कि उनके बाद ये राज्य का उत्तराधिकारी कौन होगा जो घटकराष्ट्र को संभलेगा, इसी सोच में डूबा राज पाल के कानो में कुछ आवाज आती है। वह नींद से जगते ही देखता है उसके सामने उसकी सेना पति एक हाथ में पत्र ले कर खड़ा था। वह राजा को वह पत्र दे कर कहता है "महाराज ये हमारे पड़ौस के राजा रतन सिंह ने भेजा है। मैं उनके राज्य हो कर आ रहा हूँ जहाँ में घटकराष्ट्र में कृषि के लिए उत्तम बीज का प्रबंध करने गया था"।

राजा राजपाल: अच्छा लाओ... इस पत्र को देखने लगा की क्या संदेश है राजा रतन का और वह अपनी सेना पति को जाने का आदेश दे कर पत्र पड़ने पढने में डूब जाता है।

राजा राज पाल पत्र को पढ़ता है और फिर सोचता है कि वह करे तो आखिरी क्या करे! तभी रानी सृष्टि आती है और राजा को चिन्तित देख उनकी चिंता का कारण जानने की कोशिश करती है।

रानी सृष्टि: महाराज क्या हुआ? आप चिंतित क्यों हैं?

महाराज: बात ये है कि राजा रतन ने हमें उनके युद्ध में उनका साथ देने के लिए अमनत्रित किया है!

रानी सृष्टि: तो आपने क्या सोचा है?

महाराज: रानी। तुम तो इस बात को जानती हो के घटकराष्ट्र हमेशा से हिंसा का खिलाफ रहा है, हिंसा के साथ नहीं। पिता जी ने भी अपने जीवन में कभी दुसरो के राज्य को उजाड़ कर अपने राज्य को बढ़ाने का नहीं सोचा!

रानी सृष्टि: हमे ये सब ज्ञात है महाराज लेकिन आज कल भारत पर विदेशी ताकते हावी होती जा रही है। हम तो इस जंगल या प्रकृति से घिरे हैं ये ही हमारी रक्षा करते हैं जिसकी वजह से आज तक यहाँ किसी ने आक्रमण नहीं किया है!

महाराज: महारानी! आप कहना क्या चाहती हो?

रानी सृष्टि: महाराज यदी भविष्य में कहीं कुछ अनर्थ हो जाए या हम पर आक्रमण हो तो हम हमारी छोटी-सी सेना से उनका मुकाबला नहीं कर सकते ऐसे में हमारे पड़ोस में राज्य ही हमारी मदद कर सकते हैं!

महाराज रानी की चतुराई से प्रसन्न हुआ या कहा "आपकी राय ठीक है रानी में इस युद्ध में राजा रतन का साथ जरूर दूंगा और आपके सुझाव के लिए आपको धन्यवाद करता हूँ।"

राजा राज पाल इस तरह अपने सम्बंध अच्छे बनाये रखने के लिए अपनी छोटी-सी सेना को ले कर पर्शिया की सीमा पर राजा रतन के साथ युद्ध करने चला गया। कुछ महिनो के युद्ध के बाद राजा रतन सिंह युद्ध जीत गया और युद्ध में अपनी कला का जौहर दिखा के राजा राज पाल सिंह ने अपने नाम का लोहा मनवाया। पर्सिया के लोगों में राजा राज पाल तथा राजा रतन का खौफ बैठा गया।

राजदरबार में राजा राजपाल राजा रतन सिंह के पास गया और उन्हें प्रणाम किया।

तब राजा रतन ने राजा राज पाल के बहादुरी के बारे में दरबार में घोषणा की और उन्हें अपने समीप बिठाया ।

राजा रतन: राजा राज पाल हम तम्हारी सैन्य कला से अति प्रभावित हुए हैं इसका पुरस्कार हम आपको अवश्य देंगे!

राजा राज पाल: धन्यवाद राजा रतन जी ये तो आपका बड़पन्न है नहीं तो मेरे गुण आपके सामने कुछ भी नहीं हैं।

राजा रतन: हमें तुम कुछ देना चाहते हैं वादा करो तम हमारे पुरूस्कार को स्वीकार करोगे!

राज पाल: जी हम वादा करते हैं!

तब राजा रतन ताली बजाता है या एक बुद्ध व्यक्ति के साथ एक बालिका आती है और वह वृद्ध व्यक्ति राजा राज पाल के चरणों की जोड़ी पकड़ लेता है और धन्यवाद की झड़ी झरी लगा देता है। तब राजा रतन राजा राज पाल से कहता है।

राजा रतन: राजा राज पाल जी! ये वही लोग हैं जिनकी जान बचने के लिए हमें यहाँ आना पड़ा और आपको ये जान कर खुशी होगी ये बूढ़ा व्यक्ति और कोई नहीं बल्कि पर्सिया के पूर्व राजा है और ये उनकी पुत्री है देवरानी और परसिआ के राजा अपनी जान बचाने की खुशी में अपनी बेटी देवरानी का हाथ तुम्हारे हाथ में देना चाहते हैं और हम भी पुरस्कार के रूप में आपको इसका हाथ आपको देते है।

राजा राज पाल: पर... (अपने मन में: ये कैसे हो सकता है ये घटकराष्ट्र के नियमो का उल्लंघन होगा। में दूसरा विवाह बिलकुल नहीं कर सकता और-और तो और ये देवरानी मेरे से आधे आयु की लग रही है बिलकुल किसी किशोरी बालिका जैसी है)!

कहानी जारी रहेगी

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