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Click hereमहारानी देवरानी
अपडेट 11
प्लान
कमला: युवराज अभी भोजन करने चलें। आप मुझे शाम में झील के पास मिलिए मुझे आपसे कुछ बात करनी है।
उस शाम सूर्य ढलते ही बलदेव ये सोचते हुए पता नहीं कमला क्या बात करना चाहती है, कहीं वह मेरे इज्जत और सम्मान को बचाये रखने के बदले में कुछ मांग तो नहीं करेगी? वह जा कर झील किनारे बैठ जाता है और प्रतीक्षा करने लगता है। हलका अँधेरा छाने लगा था। सूर्यस्त देखते-देखते उसे पता ही नहीं चलता की उसके बगल में कमला आ कर बैठ गयी है। ये पहली बार था जब युवराज के बराबर में कमला बैठी थी। फिर बलदेव उसे देख कर पूछता है ।
बलदेव: मुर्झाया-सा मुह ले कर "तुम कब आई?"
कमला: आप किसके याद में थे जो आपको मेरे आने का पता नहीं चला?
बलदेवः किसी की नहीं।
कमला: कहीं महारानी की याद में तो नहीं?
बलदेव हल्का क्रोधित हो कर कमला को देखता है।
"बोलो क्यों बुलाया क्या काम है?"
कमला: जब मैंने पहली बार आपको और महारानी को देखा था तभी समझ गई थी कि आप दोनों में कुछ खिचड़ी पक रही है"जैसे आप दोनों एक दुसरे को घूर रहे थे फिर आप दोनों का गले लगना। सहलाना।"
बलदेव: इसमें माँ की कोई गलती नहीं है। वह तो मैं ही बेहक गया था।
कमला: बड़ी चिंता है माँ की। पूरा दोष अपने ऊपर ले रहे हो।
बलदेव: हम्म!
कमला: देखे युवराज में अपने आप से ज्यादा महारानी को चाहती हूँ। मैं उनको दुख में बिलकुल नहीं देख सकती।
बलदेव: हम्म!
कमला: मैंने आप दोनों में सच्चे प्यार का दिया जलता हुआ देखा है और मुझे इस से कोई आपत्ति भी नहीं है।
अब बलदेव के सांस में सांस आती है।
कमला: पिछले 18 साल में कभी उन्हें इतना खुश और चैन कि नींद सोते हुए नहीं देखा है जितना अब देख रही हूँ, मैंने उनको खून के आसु रोते देखा है, उन्हें ना पति का प्यार मिला ना, उनके भाई या बाप का, ना ससुराल वालों का, सबने उनका सिर्फ समय-समय पर इस्तेमाल ही किया है।
उन्होंने अपने पति के प्यार के बिना इतने साल गुजारे हैं सिर्फ तुम्हारा मुह देख कर, नहीं तो किसी औरत के बस की बात नहीं कि वह अपने आप पर, अपनी इच्छाऔ पर काबू कर ले और महाराज को तुम्हारी बड़ी माँ ने तुम्हारी माँ के साथ मिलन से रोक दिया। फिर महाराज ने भी तुम्हारी माँ से ऐसी दूरी बना ली जैसी कि वह दुनिया की सब से बदसूरत औरत हो।
कमला: बोलिए युवराज आप मेरे बेटे जैसे है "क्या आपको देवरानी पसंद है"।
बलदेव चुप चाप एक गहरी सोच में डूबा था कि वह क्या कहे और करे"।
बलदेव: मैं क्या कहू मेरे पास उत्तर नहीं है।
कमला: वही जो आपका दिल कहे।
बलदेव: हाँ में उनसे प्रेम करने लगा हूँ! उनकी बोली से, उनके अंदाज से, उनकी सोच से, मेरा प्रेम सिर्फ शरीर तक सिमित नहीं है, मेरी आत्मा में बस चुकी है वो।
कमला: (हल्का मुस्कुराते हुए) हा-हा मैं समझ सकती हूँ दिन में महारानी की ऐसी प्रस्तुति के बाद आप फिसल गए और उनका शरीर ही ऐसा है कि कोई भी उन्हें ऐसे देख कर फिसल जाए।
बलदेव: हाँ वह तो है में तो उनके सामने कुछ भी नहीं हूँ।
कमला: नहीं युवराज आप जैसा भी कोई नहीं है। महारानी जैसी शरीर की मलिकिन के उपयुक्त आपका शरीर ही है।
बलदेव इस बत पर हल्का मुस्कुरा देता है और अपनेमूछ पर ताव देता है।
कमला: इतना भी नहीं है आपको संयम बरतने और व्यवहार के बारे में अभी बहुत कुछ सीखना होगा। महारानी के जिम्मेदरी उठाने लायक बनने के लिए भी अभी आपको बहुत कुछ सीखना है।
बलदेव: तो क्या करें हम कमला जी।
कमला: अब तो सब ठीक है पर आज एक नया मोड़ आ गया है वह नहीं बताया आपको।
बलदेव: कैसा मोड।।
कमला: थोड़ा चिन्तित होते हुए, बात ये है कि महारानी आज मुझे मिलीतो उन्होंने मुझे कुछ कहा। और उसके बाद युवराज को वह सब बात बता दी जो महारानी ने सुबह की थी।
ये सून के उसकी माँ अपनी प्यास बुझाने के लिए कोई और पुरुष ढूँढ रही है बलदेव की आँख भर आई।
बलदेव: शायद वह अभी मुझे एक पुरुष के रूप में नहीं देखती।
कमला: नहीं ऐसा नहीं उनकी सेहन शक्ति हम से कोई गुना ज्यादा है और इतने सालो सब कुछ सहन करती आई है, वह इतनी संस्कारी है कि वह चाहते हुए भी समाज विरुद्ध नहीं जा सकती। जिस स्त्री ने इतने सालो से कभी गैर मर्द की ख्वाहिश नहीं की, मुझे लगता है कि वह किसी और से सम्बंध रख कर, आपके के लिए अपने प्यार को दबाना चाहती है।
बलदेव: अगर ऐसा न हुआ तो और वह सच में उन्हें मैं नहीं चाहिए और वह सचमुच किसी अन्य पुरुष से सम्बंध रखना चाहती है, ना कि मेरे प्यार को दबाने के लिए फिर?
कमला: तुम्हारा दिल क्या कहता है? जैसे हमारे सामने दिन में आधी नंगी आ गई जैसे तुमसे चिपकती है। वह सब क्या है? क्या एक बेटे से ऐसा करते हैं?
बलदेव: दिल तो कहता है कि उसे भी प्यार है पर दिमाग नहीं मानता।
कमला: दिल की सुनो और वैसे भी एक बारी प्रयास कर देखो पता लगा लो कि आखिर वह चाहती क्या है?
बलदेव: हाँ ये ठीक रहेगा।
कमला: अगर सब कुछ सही रहा तो महारानी का भार संभलने के लिए त्यार रहो, विशेष तौर पर वैसे जैसे उस पुस्तक के चित्र में था।
बलदेव: याद करते हुए उस चित्र जिस्मे स्त्री को पुरुष खड़े-खड़े अपने गोद में बैठा अपना लैंड पेल रहा था उसके चेहरे पर एक मुस्कान फ़ैल जाती है "नहीं कमला वह सब कला है ऐसा सच में नहीं होता है"।
कमला: होता है, युवराज होता है> जब उतनी उर्जा हो तब होता है और मझे यकीन है आप वह कर लोगे और हसने लगती है।
बलदेव शर्मा के मारे अपना सर झुका देता है।
बलदेव: वह छोड़ो ये बताओ अब आगे क्या करना है?
कमला: में महारानी के कहे अनुसर उसके लिए एक पुरुष ढूँढूंगी।
बलदेव: (विचलित हो कर) क्या?
कमला: पूरी बात सुनिये युवराज, वह पुरुष कोई और नहीं तुम ही हो। मैं उनके पास पत्र पहुँचाउंगी की कोई उनसे प्रेम करता है। तुम्हे बस अपना नाम बदल कर पत्र देना है फिर आप दोनों पत्र के द्वारा बात आगे बढ़ाओ।
बलदेव: फिर?
कमला: आगे की बात आगे बताऊंगी।
कल पत्र दे देना और हा अपना नाम शेर सिंह लिख देना। आज में उन्हें बताउंगी कि कोई शेर सिंह ने कुश्ती मैदान में उन्हें देखा था और वह उनको देख कर पागल हो गया है, समझ गए न तुम? उन्हें पटाओ पर किसी और नाम का प्रयोग करो।
बलदेव: ठीक है कमला जासूस। करते हैं ।
फिर दोनों उठ जाते हैं कमला देवरानी की ओर चली जाति है और बलदेव वैध जी कक्ष में चला जाता है।
जारी रहेगी