पत्नी की सहेली से जबरदस्त प्यार

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खड़ा भी नहीं हुआ जा रहा था। कुछ देर बैठ कर उठा और चाय बना कर पी, शरीर में कुछ जान सी आयी। नित्यक्रम करने के बाद नहाने चला गया। नहा कर थकान कम हो गयी। किचन में ब्रेड सेक कर चाय बना कर नाश्ता किया और ऑफिस के लिये निकल गया। ऑफिस में दर्द का ध्यान नहीं रहा। शाम को जब घर लौट रहा था तब लगा कि जाँघों के मध्य भारीपन और सुन्न सा हो रहा है।

घर आ कर कपड़ें बदलें तो देखा कि लंड़ तो लाल पड़ा था, कल के घर्षण के कारण सुजा सा भी था इसी वजह से सुन्न सा भी लग रहा था। कुछ देर सरसों के तेल से उस की मालिश करी तो आराम मिला फिर बाक्सर पहन कर खाने के बारें में सोचने लगा। मुझे लग रहा था कि कल के अनुभव के बाद निधि आज खाना लेकर नहीं आ पायेगी लेकिन मेरी यह धारणा गलत निकली, वह अपने निश्चित समय पर खाना लेकर हाजिर हो गयी।

उस की चाल से पता चल रहा था कि वह दर्द से परेशान है लेकिन काम कर पा रही थी। उस ने भी मेरे साथ की खाना खाया और फिर बोली कि एक कप चाय बना कर पीला दो। मैं चाय बनाने चला गया। चाय के कम के साथ दर्द की गोली भी लेकर आया तो वह बोली कि अगर मुझे खानी होती तो मैं रात को ही खा लेती लेकिन मैं तो इस नये दर्द का मजा ले रही हूं।

हम दोनों चाय पीने लगे। मैंने पुछा कि दिन कैसे कटा तो वह बोली कि खड़ी होते ही अंदर दर्द होने लगता है, कल तो तुमने चूत का भी बैंड़ बजा दिया था फिर पीछे से जाँघों के बीच आग लगी है। तुम्हारा क्या हाल है? मैंने उसे बताया कि रात को तो कुछ पता नहीं चला, सुबह ऑफिस में काम की वजह से ध्यान ही नहीं गया।

अभी जब ऑफिस से आ कर कपड़ें बदले तब जा कर देखा कि लिंग लाल हो गया है तथा सुजा और सुन्न सा है। ब्रीफ उतार कर उस पर तेल की मालिश करी तब जा कर कुछ आराम मिला है। यह कह कर मैंने बाक्सर उतार दिया, निधि नें लंड़ को हाथ में लेकर कहा कि यह तो सुज गया है। मैंने कहा कि कल ऐसा लग रहा था कि किसी कुवांरी चूत को भोगने का मौका मिल रहा है सो उसी का परिणाम है।

वह हँसीं और बोली कि मुझ से पुछों दोनों तरफ से भोगा गया, तथा आगे से और पीछे से दोनों तरफ से आक्रमण झेलने पड़ें। चूत तो सुज कर लाल हो गयी है पीछे का पता नहीं क्या होगा? मैंने उसे आगे झुकने को कहा और उस की साड़ी पेटीकोट चुतड़ों से ऊपर कर के चुतड़ों को चौड़ा करके देखा तो गांड़ लाल पड़ी थी। फिर उस के कपड़ें सही कर दिये। वह बोली की ऐसा क्यों हुआ, कईयों नें बताया है कि उनके पति गांड़ मारते है, अगर ऐसा हाल होता है तो क्या मजा आता होगा? मैंने कहा कि हो सकता है पहली बार की वजह से ऐसा है जब आदत पड़ जायेगी तो ऐसा नहीं होगा। वह चुप रही।

उसका आज भी घर जाने का कोई इरादा नजर नहीं आ रहा था, ऐसा मुझे लग रहा था। कुछ देर की चुप्पी के बाद वह बोली की आज का क्या इरादा है? तुम बताओं? प्यास तो लग रही है बुझानी भी है। चाहे कितना भी दर्द हो। मैं भी उस की राय से सहमत था। अब जो होना होगा सो होगा। सोचने से कोई लाभ नहीं था। कुछ देर बाद मुझे लगा कि दर्द को भुलने की एक ही दवा है कोई नशा। शराब ही इस समय हम दोनों को दर्द भुलने में सहायता कर सकती है।

मैंने निधि से पुछा कि कुछ पीना है? तो जबाव मिला कि क्या है? मैंने कहा स्काच है वोदका है, बोलों क्या पियोंगी? वह बोली कि जो तुम्हें पसन्द हो चलेगी। उस की बात सुन कर मैं वोदका के दो पैग बना कर ले आया और हम दोनों सीप करने लगे। वोदका बहुत तेज होती है इस लिये थोड़ी ही देर में हम दोनों पर नशा चढ़ने लगा। तीन-चार पैग पीने के बाद मुझे लगा कि अगर नहीं रुके तो रात को कुछ कर नहीं पायेगे। यह सोच कर मैं गिलास किचन में रख आया।

अब हम दोनों बेडरुम में आ गये। निधि नें साड़ी उतार कर एक तरफ रख दी। अब वह ब्लाउज और पेटीकोट में थी। मैं उसे दो बार भोग चुका था लेकिन मैंने कभी उसे ध्यान से देखा नहीं था। आज मेरी नजर गयी कि उसकी पतली कमर नीचे भरे नितम्ब और ऊपर कसे उरोज बला कि सेक्सी लग रही थी। उस के शरीर पर कही पर भी फालतु मांस नहीं था। कोई अप्सरा सी लग रही थी हो सकता था कि मुझ पर नशें का असर होने लगा था। निधि भी शराब के नशे में आ गयी थी।

अब जो होना था सो होना ही था। हम दोनों एक दूसरें पर टूट पड़ें और एक -दूसरें को बुरी तरह से चुमने लगे। दोनों नें एक दूसरें के चेहरे गरदन छाती कोई जगह नहीं छुटी जहां पर चुम्बन नहीं किया। फिर मैंने उस का ब्लाउज उतार दिया, उस नें उस के नीचे ब्रा नहीं पहन रखी थी उस के भरे उरोजों को देख कर मेरा मन डोल गया और मै उन्हें होठों में ले कर चुसने लगा, इतना मुहं में लिया कि निधि की चीख निकले लगी वह बोली कि तुम्हारें ही है आराम से पीयों मै भागी नहीं जा रही हूँ।

उस की बात सुन कर मेरी उत्तेजना पर कुछ देर के लिये रोक लगी लेकिन फिर मेरे होठं उस की निप्पलों को चुसने लगे। जब उन से मन भर गया तो उस की नाभी को थुक से गिला करके पेटीकोट को नीचे खिसकानें की कोशिश करी लेकिन नाड़ा बंधा होने से ऐसा नहीं हो सका। हाथ से पेटीकोट का नाड़ा खोल कर उसे नीचे कर दिया। पेटीकोट के अंदर भी कुछ नहीं पहना था। मेरी उत्तेजना और बढ़ गयी और मेरे होंठ उस की भग्न को मुहं में लेकर चुसने लगे। निधि के हाथों नें मेरे पैरों को अपने ऊपर कर के मेरे लिंग को मुँह में डाल कर लॉलीपॉप की तरह चुसना शुरु कर दिया।

फिर धीरे-धीरे पुरा लिंग उस के मुँह में समा गया। मेरा सारा शरीर आनंद की वजह से हिल रहा था। निधि को पता था कि अगर में डिस्चार्ज हो गया तो अगला दौर लम्बा चलेगा। यही वह चाहती थी मैंने उस की मंशा समझ कर उस की योनि में ऊगली अंदर बाहर करनी शुरु कर दी कुछ देर बाद मुझे उस का जी-स्पाट मिल गया अब मै अपनी ऊंगली से उसे सहला रहा था, इस से निधि को मजा आ रहा था। हम दोनों ऐसे सफर पर थे जहां दोनों को मजा आ रहा था। कुछ देर बाद निधि के पांव मेरी गरदन पर कस गये इस का यह अर्थ था कि वह डिस्चार्ज हो गयी थी। कुछ देर बाद मेरे लिंग नें भी निधि के मुँह में वीर्य उगल दिया। निधि नें पुरा वीर्य पी लिया और लिंग को साफ कर दिया।

अब हम दोनों शान्त हो गये और एक-दूसरे की बगल में लेट गये। शराब की वजह से हमारें शरीर जल से रहे थे। कुछ ज्यादा ही ताकत लग रही थी। 15-20 मिनट बाद जब दूबारा जोश सा आया तो निधि बोली कि आज में तुम्हारें ऊपर आती हूँ मै ही सब करुंगी।

मैंने बाहें फैला दी वह मेरे ऊपर लेट गया कुछ देर तो लेट कर अपना शरीर मेरे शरीर से रगड़ कर दोनों को उत्तेजित करती रही फिर जब मेरा लिंग तन गया तो उसे हाथ से पकड़ कर योनि के मुँह पर रख कर कुल्हों को हल्का सा धक्का दिया, लिंग अंदर चला गया, इस के बाद दूसरे प्रहार में पुरा लिंग उस की योनि में समा गया। अब वह धीरे-धीरे अपने कुल्हों को ऊपर-नीचे और हिला कर लिंग को अंदर बाहर कर रही थी।

उस के उरोज इस काम में हिलने चाहिये थे लेकिन वह छोटे साइज और कसे होने के कारण ऐसा नहीं कर पा रहे थे, मैंने उन्हें सहलाया और निधि से पुछा कि यह छोटे क्यों है तो वह बोली कि पता नहीं, कहते है शादी के बाद तो साइज बढ़ जाता है लेकिन यह नहीं बढ़ें है। शायद बच्चे के जन्म के समय ही कुछ हो। मै उन की घुन्डियों को दो ऊंगलियों के बीच ले कर मसलने लगा।

वह बोली कि कुछ तो दया करो। कभी पीछे कभी आगे कभी नीचे कभी ऊपर। मैंने कहा कि मजा जहां आयेगा वहां किया जायेगा। वह बोली कि चलो ऐसी ही सही यह कह कर वह ऊपर से उतर गयी और मेरे को पलट कर मेरी गांड में ऊंगली डालने की कोशिस करने लगी। मैंने कहा कि आराम से करो मुझे भी अच्छा लग रहा है यह सुन कर उस नें पुरी ऊगली गांड में ऊतार दी। मैं भी कभी कभी उत्तेजना वश अपनी ऊंगली गांड में डाल लिया करता था।

वह कुछ देर तक ऐसा करनी रही फिर पुरा अगुंठा उस ने मेरी गांड में उतार दिया। मैं भी इस का मजा लेने लगा। मेरा लिंग इस कारण से और कठोर हो गया था, अब मैंने निधि को पीठ के बल लिटाया और उस के दोनों पांव अपने कंधो पर रख लिये, उस की योनि दो कस गयी और गांड दिखने लगी। मैंने बिना कुछ लगाये अपने लिंग को उसकी गांड में डालने का प्रयत्न किया, पहले तो लिंग फिसल गया लेकिन दूसरी बार लिंग गांड में घुस गया, निधि चिल्लाने लगी, निकालों नहीं तो मेरी गांड फट जायेगी अभी तो कल का दर्द ही कम नहीं हुआ है।

लेकिन मैं शराब के नशे में होने के कारण कुछ सुन नहीं रहा था तिसरी बार में मैंने पुरा लिंग उसकी गांड में घुसेड़ दिया। निधि दर्द की वजह से अंट-शंट बक रही थी लेकिन मैं उसे छोड़ने के मुड में नहीं था सो उसके कुल्हों को और ऊपर उठा कर उस की गांड़ मारने लगा। कुछ देर बाद उस की आवाज आहहहहहह उहहहहहहह में बदल गयी। मुझे पता नहीं मैंने कब तक उसकी गांड मारी क्योंकि दूसरी बार में तो ज्यादा समय लगना ही था।

कब मैंने गांड में से लिंग निकाला और उस की योनि में डाल दिया, पैर मेरे कंधों पर होने के कारण निधि दर्द से कराह रही थी लेकिन मैं किसी तरह की रिआयत करके के मुड में नहीं था। फिर में जब थक गया तो उस के पांव नीचे कर दिये और उस की बगल में लेट कर उस की योनि में पीछे से लिंग घुसेड़ दिया। मेरे दोनों हाथ उस के उरोजों को मसल रहे थे।

इस के बाद मेरे हाथ उस की कमर से होते हुये नीचे की तरफ चले गये। अब उस की योनि के अंदर मेरी दो ऊंगलियां कहर मचा रही थी। निधि की आहें मुझे और उत्तेजित कर रही थी और मैं अपने लिंग का प्रहार उस की योनि पर पुरे जोर से कर रहा था। मुझे नहीं पता चला कि कब में स्तखलित हुआ।

सुबह छुट्टी थी इस लिये चिन्ता नहीं थी लेकिन निधि को तो जाना ही था। सुबह अंधेरें मेरी आंख खुली तो देखा कि निधि मेरे ऊपर पांव रख कर सो रही थी, सारा शरीर सना हुआ था हम दोनों का बिस्तर भी पानी के दागों से भरा हुआ था। मैंने निधि को हिलाया तो वह कुनमुनी सी हो कर बोली कि सोने दो।

मैंने उसे जोर से झकझौरा तो वह उठ कर बैठ गयी, मुझे देख कर बोली कि रात को तो तुमनें मेरी जान ही निकाल दी थी। शरीर का कोई हिस्सा नहीं है जिसे ना मसला हो क्या हो गया था? मुझे कुछ याद नहीं आ रहा था मैंने कहा कि कुछ याद नहीं है शायद कल रात ज्यादा शराब पी ली थी इसी लिये नशे में था।

वह बोली कि मेरी गांड तो फाड़ ही दी है, आगे भी बुरा हाल है। अगर आज ये आ गये तो मै क्या करुँगी? मुझे कुछ याद नहीं आ रहा था। इस लिये मैं चुप था, वह ही बोली कि अब मुझे घर छोड़ कर आयों। उसकी बात सुन कर मैं जैसे नींद से जागा और कपड़ें पहनने लगा, वह भी कपड़ें पहननें लग गयी।

बाहर अभी भी अंधेरा था मैं उसे उस के घर बड़ें ध्यान से ताक-झांक कर छोड़ आया। घर आ कर मैंने अपने पर घ्यान दिया तो देखा कि रात को हमनें जाने कितनी बार संभोग किया था, इस कारण से सारा बिस्तर दाग से भर गया था। मेरा शरीर भी सुखे योनि द्रव और वीर्य से चुपक सा रहा था। सबसे पहले चद्दर उतार कर पानी में डाली उस के बाद गीली तौलिया ले कर शरीर साफ किया। फिर चाय बना कर पी। चाय से आराम सा लगा लेकिन शराब का हैगऑवर भी था। मैं इतनी शराब तो आराम में पी लेता था लेकिन कल क्या हुआ मुझे समझ नहीं आ रहा था। एक ही बात समझ आ रही थी कि कल की रात के अनुभव के बाद निधि दूबारा मेरे पास नहीं आयेगी।

एक तरह से मैं यही चाहता था लेकिन उस के साथ मुझे इतना शारीरिक सुख मिला था जो पत्नी के साथ नहीं मिल पाया था इस का दूख भी था। अब कुछ हो नहीं सकता था। यही सोच कर बिस्तर पर लेटा तो ना जाने कब आँख लग गयी। फोन की घंटी से आँख खुली तो देखा कि दिन के 11 बज रहे थे। फोन पर पत्नी थी बोली कि आज क्या बात है फोन ही नहीं उठा रहे थे? मैने कहा कि नींद आ रही थी इस लिये दूबारा सो गया था।

वह बोली कि कोई बात नहीं है आज तो तुम्हारी छुट्टी है, कभी तक सोओ। मैंने उस से पुछा कि वह कब आयेगी तो वह हँस कर बोली कि मेरे बिना तुम्हारा काम नहीं चलता? मैंने कहा हाँ तुम्हारें बिना मन नहीं लग रहा है। वह बोली कि एक-दो दिन में आती हूँ। यह कह कर फोन कट गया। मैंने उठ कर नाश्ता बनाया और किया। मन तो करा कि निधि को फोन करुँ, लेकिन हिम्मत नहीं हुई।

नाश्तें के बाद कामों में लग गया। शाम को दो मुझे आशा नहीं थी कि निधि खाना ले कर आयेगी लेकिन वह समय पर खाना लेकर हाजिर थी। उसे देख कर मुझे बहुत शर्म आ रही थी। मैंने उसे सॉरी बोला और कहा कि कल रात को जो भी हुआ हो मैं उस के लिये तुम से माफी मांगता हूँ। वह कुछ देर मुझे देखती रही फिर बोली कि इस पर कभी बाद में बात करेगें अभी तो मैं चलती हूँ यह कह कर वह चली गयी। मैंने खाना खा लिया। मैं इस के बाद टीवी देखने बैठ गया, मन अशान्त था निधि की वजह से, समझ नहीं आ रहा था कि उस की नाराजगी कैसे दूर करुँ? तभी दरवाजे की घंटी बजी, जा कर देखा तो निधि थी।

उसे अंदर ले कर दरवाजा बंद कर दिया। हम दोनों कुछ देर चुपचाप खड़ें रहैं, फिर मैंने उसे बेड पर ले जाकर दरवाजा बंद कर दिया। उस के सामने उसके पैरों में बैठ कर मैंने उस से क्षमा मांगी और अपने कान पकड़ें तथा वायदा किया कि अब कभी उस के साथ गुदा मैथुन नहीं करुँगा। मेरा यह करना निधि को अच्छा लगा और वह मेरे बाल सहलातें हुये बोली कि वैसे तो तुम इतने अच्छे बच्चे हो लेकिन बिस्तर पर शैतान क्यों बन जाते हो? मैंने जबाव दिया कि मुझ से रुका नहीं जाता।

वह हँस पड़ी और बोली कि अब बताओं क्या इरादा है? मैंने उस के चेहरे को देखा तो वहाँ शैतानी झलक रही थी। मैंने कहा कि जैसा मालकिन चाहेगी गुलाम वैसा ही करेगा। मेरी बात पर वह हँस कर दोहरी हो गयी और बोली कि तुम तो पुरे नाटकबाज हो, तुम्हारा कुछ नही हो सकता, तुम्हें मैं छोड़ नहीं सकती, सजा भी नहीं दे सकती,

बताओं क्या करुं?

प्यार करो

बदमाश से जो रुकता ही नहीं है

शराब का दोष था

अच्छा, शराब को पता था कि आगे से करना है या पीछे से करना है

यह मेरा दोष है

क्या सजा दूं?

जैसा उचित समझो

मौका तो छोड़ नहीं सकती इसीलिये गुस्से में होने के बावजूद दूबारा आयी हूँ, कोई बदमाशी नहीं करना

कुछ करते ही नहीं है

यह तो नहीं कहा है

फिर समझाओं क्या करना है क्या नहीं करना

जैसा सब करते है वैसा करों

क्या सब करते है

जैसे तुम्हें पता नही है

क्या पता नहीं है

अब मत सताओ, नहीं तो चली जाऊँगी

जा कर देखो,

धमकी

नहीं सच्चाई

मेरी बात पर निधि नें मुझे नीचे से उठा कर बिस्तर पर गिरा दिया और मेरे ऊपर लेट गयी, उस के बदन की सुगन्ध मेरे नथुनों में घुस रही थी। उस के बदन की गरमी मुझे गरमा रही थी। उस के बदन के उतार-चढाव मुझे उकसा रहे थे। मैंने उसे के उपर अपनी बांहें कस दी कुछ देर तक मैं ऐसे ही पड़ा रहा। निधि भी चुपचाप पडी रही फिर बोली कि क्या बात है मैंने कहा कि मैं तुम्हें महसुस करना चाह रहा हूँ मुझे करने दो।

वह कुछ नहीं बोली। कुछ देर बाद मेरे हाथ उस की कमर से होते हुये कुल्हों से हो कर नीचे तक गये और फिर ऊपर आ कर उस के चेहरे को पकड़ लिया और मेरे होठों नें उस को होठों को ढक लिया, वह इसी की प्रतीक्षा में थी उस के होंठ मेरे होठों से मानों चिपक गये। बहुत समय तक हम दोनों होठों का रस पीते रहे। इस के बाद मैंने उसे खिसका कर अपने चेहरे पर कर लिया और उस के पेटीकोट को हटा कर उस की योनि को चुमना चाहा तो देखा कि वहां पेंटी मौजूद है।

उसी के उपर से योनि की गंध लेनी शुरु कर दी। उस की जाँघों को चुमना शुरु कर दिया मेरा चेहरा उस के पेटीकोट से ढका था, काफी देर मै ऐसा ही करता रहा। फिर निधि की आवाज आयी की सिर्फ अपनी मत सोचों मेरी भी सोचों। उस की बात सुन कर मैंने उस की साड़ी खोल दी और पेटीकोट का नाड़ा भी खोल दिया।

इस के बाद पेटीकोट को उस की कमर से ऊपर करके सिर के ऊपर से निकाल दिया। अब निधि नीचे से नंगी थी। मैंने उस की पेंटी को ऊंगली से किनारे कर के उस की योनि में ऊगली डाल कर अंदर का जायजा लिया। अंदर पुरी तैयारी थी, चिकनाई थी। इस के बाद मेरी जीभ योनि का मुआयना करने लगी। उत्तेजना के कारण निधि अपने कुल्हें हिला कर उन्हें मेरे चेहरे पर टकरा रही थी।

मैंने दोनों हाथों से उस के कुल्हों को पकड़ कर योनि को चेहरे से चुपका रखा था वह ज्यादा हिल नहीं पा रही थी। निधि को मजा तो आ रहा था लेकिन पेंटी की वजह से उसे परेशानी हो रही थी लेकिन मैं उसे उठने नहीं दे रहा था। तभी मैंने एक हाथ पीछे से हटा कर निधि के उरोजों पर रख दिया, मैं ब्लाउज के ऊपर से ही उस की छातियों को सहलना चाहता था। इस से अलग तरह की उत्तेजना मिलती है। यह मुझे पता था।

आज हम दोनों कपड़ों में ही संभोग करने वाले थे। निधि को भी अच्छा लग रहा था इस लिये वह भी ना नुकर नही कर रही थी। तभी निधि बोली कि मै डिस्चार्ज होने वाली हूँ मैंने कहा होने दो, तभी उस की योनि मेरे मुह से चिपक गयी उस में से पानी निकल कर मेरे होठों को गिला करने लगा मैं उस के कसैले स्वाद को चखता रहा। निधि के कुल्हें हिल हिल कर अपनी उत्तेजना दिखा रहे थे।

अब मैंने दोनों हाथों से निधि के उरोजो को मसलना शुरु कर दिया था ब्लाउज ब्रा के ऊपर से उरोजों का मर्दन निधि को पसन्द आ रहा था फिर मेरा हाथ उस के ब्लाउज के अंदर घुस गया और एक उरोज को पकड़ कर मसलना शुरु कर दिया इस में निधि को दर्द हो रहा था, उस ने कहा कि दर्द हो रहा है यह सुन कर मैने हाथ निकाल लिया। हाथों से उस के ब्लाउज के हुकों को खोल दिया और ब्लाउज को कंधों पर सरका दिया अब काले रंग की ब्रा सामने थी।

इस के बाद हाथ निधि की पीठ पर ले जा कर ब्रा के हुक भी खोल दिये। इस के बाद निधि नें ब्लाउज और ब्रा उतार दी। निधि अभी तक मेरे चेहरे पर ही बैठी थी। मैंने हाथ बढ़ा कर अपना बाक्सर नीचे किया और निधि को नीचे की तरफ खिसका कर उस की योनि में अपना लिंग डाल दिया, लिंग के किनारे से पेंटी का किनारा टकरा रहा था लेकिन मुझे इस में भी मजा आ रहा था।

मैं नीचे से उछल उछल कर अपना लिंग योनि में अंदर बाहर कर रहा था कुछ देर तो निधि कुछ नहीं बोली फिर बोली कि तुम मेरी चीज को परेशान कर रहे हो, मैंने कहा कि वह मेरा है तो जबाव मिला कि अब मैं उस की मालकिन हूँ उसे दर्द हो रहा है थोड़ा रुको। यह कह कर वह मेरे ऊपर से ऊठ गयी।

उस ने पहले अपनी पेंटी उतारी फिर मेरा बॉक्सर निकाला उस के बाद मेरी टीशर्ट भी उतार दी। अब हम दोनों मादरजात नंगे थे। उस ने कहा कि अब मजा आयेगा। यह कह कर वह मेरे लिंग के ऊपर बैठ गयी और पुरा लिंग उस की योनि में समा गया। हम दोनों फिर से दौड़ दौड़ने लग गये। जब थक गये तो मैं उस के ऊपर आ गया। फिर तुफान आया और चला गया।

दोनों एक दूसरे की बगल में हांफते हुये लेट गये। जब सांसे सही हुई तो निधि मेरी तरफ मुड़ी और बोली कि आज मजा नहीं आया? मैंने कहा कि हां मजा आया है तो वह बोली कि कल क्या हुआ था? मैंने उसे अपने से लिपटाया और कहां कि शराब और तुम्हारें नशें ने मुझे बेकाबू कर दिया था मझे सही में पता ही नहीं है कि मैंने क्या किया है।

तुम कोई पहली बार तो मेरे साथ नहीं सोई हो? वह चुप रही फिर बोली कि मुझे तो आज जैसा ही पसन्द है। मैंने कहा कि मुझे भी ऐसा ही पसन्द है। निधि ने मेरे लिंग पर हाथ लगाया तो देखा कि वह तना हूआ था, उस ने मुझ से कहा कि तुम जरुर को दवायी खाते हो नहीं तो संभोग के बाद लिंग सिकुड़ कर छोटा हो जाता है, तुम्हारा तो फिर से तैयार है।

मैंने उसे बताया कि ऐसा मेरे साथ पहले से ही है लगता है कि संभोग के दौरान लिंग से तनाव पुरा नहीं जाता या नसों से रक्त वापस नही होता है। मैंने कोई दवाई नहीं खायी है, मुझे किसी दवाई के खाने की जरुरत भी नही है। मैंने निधि को बताया कि अभी दूबारा संभोग किया तो मैं काफी समय तक डिस्चार्ज नही होऊंगा उस की चूत का बाजा बज जायेगा। वह बोली कि आज यह भी देख लेते है यह कह कर उस ने मुझे अपने पर घसीट लिया और मेरा लिंग पकड़ कर योनि में डाल दिया।

लिंग योनि में चला गया मुझे पता था कि वह पुरे तनाव में नही है लेकिन निधि को समझाना मुश्किल काम था सो मैं संभोग में लग गया। संभोग के दौरान लिंग की उत्तेजना बढ़ गयी और हम दोनों एक लम्बें सफर पर चल पड़ें जब सफर खत्म हुआ तो दोनों बुरी तरह थक कर चुर हो चुके थे। कब सो गये यह पता ही नही चला। सुबह जल्दी उठ कर निधि अपने घर चली गयी और मैं अपने कामों में लग गया लेकिन कल रात की संभोग में बहुत आनंद आया था, दोनों के शरीर और मन संतुष्ट हुये थे। संभोग का यही असली अर्थ है।

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