Note: You can change font size, font face, and turn on dark mode by clicking the "A" icon tab in the Story Info Box.
You can temporarily switch back to a Classic Literotica® experience during our ongoing public Beta testing. Please consider leaving feedback on issues you experience or suggest improvements.
Click hereपहले भाग से आगे की कहानी -
*********************************
तुम फिर से बीमार पड़ जाओ इस लिए नही बचाया है। अभी आराम करों, सुबह इस बारे में आगे बात करेगें, तो वह बोली की आप यहाँ से मत जाओ, मुझें डर लग रहा है। मैंने कहा कि मैं कही नही जा रहा, अपने लिए कम्बल ला रहा हूँ नही तो रात को मेरी कुल्फी जम जायेगी। उस ने कहा कि आप मेरे साथ बिस्तर में सो सकते है। मैंने कहा कि नही तुम अकेली सोओ। मैं अपने लिए कुछ प्रबन्ध करता हूँ। मैं अन्दर से एक मोटा गद्दा ले कर आया और उसे बेड के बगल में बिछा दिया और उस पर चद्दर डालकर दो कम्बल डाल दिये। कमरे में हीटर तो चल ही रहा था।
मुझें भी नींद आ रही थी, इस लिए मैं गद्दे पर लेट गया और अपने ऊपर दोनों कम्बल डाल लिए। इस से मेरे शरीर को भी आराम मिला। घर पुरी तरह से बन्द था कमरे का दरवाजा भी बन्द था। मैंने उस से कहा कि अगर उस के शरीर में दर्द हो तो क्या मैं उसे कोई दवा दूँ? उस ने कहा कि दर्द नही है। फिर मैंने पुछा कि बुखार तो नही लग रहा तो उस ने कहा कि उसे नही पता चल रहा, इस पर मैं अपने बिस्तर से निकला और मैंने उस के माथे को छु कर देखा फिर उस की कलाई पकड़ का देखा कि बुखार तो नही आ रहा, बुखार तो नही था। मुझें चैन मिला। मैंने कहा बुखार तो नही है। सो जाओ।
आप के बारे में कुछ पुछू तो बुरा तो नही मानेगे?
नही तो पुछो
आप यहा अकेले में क्यों रहते है?
शहर के शोर और भीड़ से बचने के लिए यहाँ पर आया हूँ।
लगता है कि आप भी परेशानी से बचने के लिए यहाँ पर है।
हाँ कुछ ऐसा ही है।
तुम बताओ तुम यहाँ की तो नही लगती?
मैं भी नीचे से हूँ। कुछ दिनों के लिए यहाँ पर शान्ति पाने के लिए आई थी।
ऐसा क्या हुआ कि जान देने की जरुरत पड़ गयी।
अपने मन से आज हार गयी थी। और कोई रास्ता नही दिखाई पड़ा।
क्या बात थी?
जिस को जान मानती थी उस ने धोखा दे दिया था, मेरी दोस्त के साथ चला गया
तुम तो जिन्दा हो फिर वह तुम्हारी जान कैसे हुआ।
उस समय कोई बताने वाला नही था। अब सब सोच कर अपने पर गुस्सा आ रहा है।, उस समय तो लग रहा था कि शायद जान देने से ही मुक्ति मिलेगी।
वो तो चला गया फिर तुम्हारे मरने से उसे क्या सजा मिलती?
सही है, लेकिन आप समझ नही सकते?
नही भई हम तो तुम्हारी उमर से गुजरे नही है। ना हम ने प्यार किया है ना ही प्यार में धोखा खाया है
एक गया तो दुसरा मिल जाता। कोई इतना जरुरी कैसे हो गया कि उस के जाने पर अपनी जान दे दो।
हाँ गलती है, हो गयी थी।
आप जैसा कोई सलाह देने वाला होता तो ऐसा कदम नही ऊठाती
उस के पीछे अपने मां-बाप के बारे में नही सोचा
उन को मेरे बारे में कोई चिन्ता नही है। सब अपने में मस्त है।
आप की कहानी क्या है?
मेरी कहानी को समझने के लिए तुम अभी छोटी हो
नही बताना चाहते तो ना बताऐ
कुछ खास नही है मैंने भी धोखा खाया है इस लिए जीवन से मन उब गया था। सब कुछ छोड़ कर यहाँ के एकान्त में अपने दुख को भुलाने की कोशिश कर रहा हूँ।
आप और मैं एक ही नाव के सवार है
अपनी उम्र से बड़ी बात करती हो।
आप और मैं दोस्त बन सकते है। मैं बड़ी अकेली हूँ लेकिन लगता है कि मुझें आप के रुप में दोस्त मिल गया है
दोस्त तो बन ही सकते है उम्र की सीमा इस में बाधा नही डाल सकती
एक उम्र के बाद दो ही रुप होते है आदमी और औरत का, और कुछ नही
तुम तो दार्शनिक हो, इतनी बड़ी बात कहाँ से सीखी?
कुछ गलत कहा हो तो बताओ, उम्र कहाँ से आ गई आप पुरुष है और मैं स्त्री इस के अलावा कुछ और है क्या?
मैं चुप रहा उस की इस बात का मेरे पास कोई जबाव नही था
इस का मतलब मैं और आप अब दोस्त है।
हां
देखते है कि इस दोस्ती में क्या मिलता है?
मेरे कम दोस्त है लेकिन जो है उन के लिए जान हाजिर है किसी के लिए तो गोली भी खायी है
बहादुर है
पता नही क्या हूँ लेकिन जो हूँ सो हूँ
मुझें चाय पीनी है आप को पीनी है?
हाँ मैं भी पी लुगा।
मैं बना कर लाती हूँ।
वह चाय बनाने किचन में चली गई, मैं उसे अकेला नही छोड़ना चाहता था इस लिए उसके पीछे किचन में आया। मुझें आया देख कर वह बोली की आप को अभी तक मुझ पर विश्वास नही है इस लिए मेरे पीछे चले आये है।
मैंने कहा कि तुम औरतों को भगवान ने छठी इन्दिय दी है। तभी तो सामने वाले के मन की बात जान लेती हो। मेरी बात सुन कर वह हँस दी।
तभी जोर से बिजली कड़की, उसकी आवाज इतनी तेज थी कि लगा कि सारा मकान हिल गया हो। वह घबरा कर मुझ से लिपट गयी। मैंने उसे लिपटा लिया। हम दोनों कुछ देर तक ऐसे ही खड़े रहे फिर वह मेरे से छिटक कर अलग हो गई। इसी समय जोर से बारिश शुरु हो गयी। जोरदार बारिश के साथ बार-बार बिजली कड़क रही थी। इसी समय बिजली भी चली गयी। लेकिन थोड़ी देर में आ गयी, मैंने सोलर पैनल लगा रखे है वह ऐसे समय पर पावर बैकअप देते है। बिजली के दूबारा आ जाने से उस के चेहरे पर रौनक वापस आ गयी। वह चाय बनाने में दुबारा लग गयी। मैं उसे काम करते देखता रहा।
चाय बना कर कपों को प्लेट में रख कर वह कमरे में चल दी।
मैं भी उस के पीछे-पीछे कमरे में आ गया। वह चाय की प्लेट बिस्तर पर रख कर रजाई में घुस गई। मैं भी अपना कप उठा कर अपने बिस्तर में आ गया। चाय पीते-पीते हम दोनों बात करते रहे। मैंने कहा कि तुम चाय भी बढ़िया बनाती हो। उस ने कहा कि प्रशांसा के लिए धन्यवाद। इस के बाद उस ने कहा कि मुझें रात में डर लगता है क्यों नही आप ऊपर आ कर सोते, मैंने कहा कि मैं यही सही हूँ। इस के बाद वह चाय के कप किचन में रखने चली गई। मैं लेटा हुआ सोचता रहा कि सुबह क्या होगा, रात को जब यह होटल नही लौटी होगी तो होटल वालों ने पुलिस को रिपोर्ट करी होगी। सुबह पुलिस इसे ढुढ़ती हुई यहाँ जरुर आयेगी। वह जब किचन से आ कर लेट गयी तब मैंने पुछा कि तुम किस होटल में टहरी हुई थी। उस ने कहा कि होटल नही रिसोर्ट है ऊपर, रायल रिट्रीट। इस के बाद मैं सो गया।
रात को मैंने करवट बदलनी चाही तो लगा कि साथ में कोई और लेटा है। आँख खोली तो देखा कि वह नीचे आ कर मेरे पास लेटी हूई थी। मैंने उसे गोद में लेकर फिर से बेड पर लिटा दिया। जब मैं उसे लिटा रहा था तो उस ने मेरा हाथ पकड़ कर खीच लिया, मैं भी उस के साथ ही बेड पर गिर गया, उस ने कहा कि उसे डर लग रहा है। आप यही लेट जाओ। मैंने उठने की कोशिश नही की और एक किनारे पर लेटा रहा। थोड़ी देर बाद मेरी आँख लग गयी। सुबह के समय मेरी नीद खुली तो देखा कि वह अपनी एक बांह और टांग मेरे उपर रख कर आराम से सो रही थी।
उस का मासुम चेहरा देख कर मुझें उस पर प्यार आ रहा था। तभी उस की आँख खुल गई और वह उठ कर मेरे उपर आ गयी उस के होंठ मेरे होंठों को छु रहे थे मेरे हाथ उस की पीठ पर थे। उस के ऊपर लेटे होने से अब मुझें पता चल रहा था कि वह भरपुर यौवन की मालकिन थी। उस के यौवन का भार मेरे वक्षस्थल पर पड़ा हुआ है। मैंने अपने मन को कड़ा किया और उस को उठा कर बगल में लिटा दिया। इस पर उस ने कहा कि मेरे से आपको इतना डर क्यों लग रहा है? मैंने कुछ नही कहा चुपचाप पड़ा रहा है।
मैंने उस से कहा कि वह नहा कर तैयार हो जाए मैं उसे उस के होटल छोड़ कर आता हूँ, वो लोग उस की खोज कर रहे होगे, इस पर उस ने कहा कि उसे वहाँ नही जाना है। मैंने कहा कि जिद नही करते, अभी वहाँ चलते है और जा कर देखते है कि क्या हालत है अगर सब कुछ सही होगा तो तुम मेरे साथ वापस आ सकती हो। उस को मेरी बात समझ में आ गयी। वह बोली के मेरे कपड़ें तो गीले है। मैंने कहा कि मैं अभी उन्हें प्रेस से सुखा देता हूँ उस के बाद वह पहनने लायक हो जायेगे। मैंने उस के सारे कपड़ें रात को ही निचोड़ कर डाल दिये थे, वह अब तक शायद सुख गये होगे। कपड़ों को देखा तो वह सुख गये थे मैंने उन को प्रेस किया और उन को उसे पहनने के लिए दे दिया।
वह जब कपड़ें पहन कर आ गयी तो मैंने उसे समझाया कि वह वहाँ जा कर यह कहेगी कि वह रास्ता भुल गयी थी और मेरें पास पहुंच गयी थी उसे किसी भी हालत में आत्महत्या की बात नही करनी है नही तो पुलिस उस पर आत्महत्या का केस कर देगी। उस ने सहमति में सर हिलाया।
मैंने अपनी जीप निकाली और उस को साथ लेकर उस के रिसोर्ट की तरफ चल दिया, बीस मिनट में हम वहाँ पहुंच गये। वहाँ पर जा कर पता चला कि अभी तक किसी को उस के लापता होने का पता नही था। मैंने चैन की सांस ली। मैंने उस से कहा कि वह जहाँ भी फोन करना चाहती है वहाँ फोन करके बता दे कि वह यहाँ से चैकआउट कर रही है। रिसोर्ट को एड़वान्स पैमेन्ट किया हुआ था इस लिए कुछ देना नही था, उस ने वहाँ के फोन से शायद घर पर फोन कर के कहा कि वह यहां से चैकआउट कर रही है और अपने किसी दोस्त के साथ जा रही है। वहाँ पर फोन नहीं है वह खुद ही फोन करेगी कुछ दिनों के बाद।
इस के बाद उस ने अपना सामान निकाल कर मेरी गाड़ी में रखा और हम दोनों घर के लिए वापस चल दिये। रास्ते में उस ने मुझ से पुछा कि आप मेरे लिए इतना कुछ कर रहे है लेकिन आप ने अभी तक मेरा नाम नही पुछा है, मैंने कहा कि कल सबसे पहले मैंने तुम्हारा नाम ही पुछा था, लेकिन तुम ने बताया नही था। अब बता दो अगर परेशानी ना हो तो। उस ने हँस कर कहा कि आप हर बात को ऐसे ही घुमा देते है। मैंने कहा कि नही लेकिन जो लोग ज्यादा अकड़ दिखाते है उन से ऐसा करना पड़ता है। इस पर वह बोली की मेरा नाम माधवी है। आप का नाम क्या है? मैंने कहा कि मुझें महेश कहते है।
यह कह कर मैंने उस की तरफ हाथ बढ़ाया उस ने भी अपना हाथ बढ़ा कर हैड़शैक किया। हम दोनों हँसने लगे। उस ने कहा कि आप पर हँसी जंचती नही है। मैंने पुछा कि माधवी कहाँ की रहने वाली हो? उस ने कहा कि दिल्ली की। मैंने कहा कि मैं भी दिल्ली का रहने वाला हूँ। उस ने कहा कि अच्छी गुजरेगी दो दिल्ली वालों के बीच। उस का सामान काफी था उसे देख कर मैंने पुछा कि कितने दिन बिताने आई थी यहाँ पर। उस ने कहा कि पता नही लेकिन दो-तीन महीने से पहले तो नही जाने वाली थी।