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Click hereअनचाहे संबंध भाग 03 से आगे की कथा
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सुबह नाश्ता करने के बाद मैंने माधवी से कहा कि आज चल कर डॉक्टर से फिर से मिल आते है, इस पर वह बोली कि मुझें कुछ साड़ियाँ खरीदनी है और उन के लिए ब्लाउज भी सिलवाने है, शायद डॉक्टर इस में हमारी कुछ सहायता कर दे। मैंने कहा कि वह पुरी सहायता करेगी, उस से मेरी दोस्ती बहुत पुरानी है तथा वह तो यहाँ के सब बाजारों को जानती है। हम डॉक्टर के पास पहुँचे तो वह खाली हुई थी। मैंने उन से माधवी की रिपोर्ट के बारे में पुछा तो उन्होने बताया कि कुछ खास नही है ऐनिमिक है दवाई लिख देती हूँ सही हो जायेगी, इस पर मैंने कहा कि कोई लुबरिकेन्ट भी लिख दे, इस पर वह मेरे को देख कर बोली की यहाँ तो मिलना मुश्किल है, मैं मगाँ दुँगी। कुछ ना मिले तो चमेली के तेल का प्रयोग कर सकते हो।
मैंने कहा कि लुबरीकेशन की कमी से बड़ी परेशानी हो रही है। यह सुन कर उन्होनें एक जैल लिख दिया और कहा कि कोशिश कर लो शायद मिल जाये। इस के बाद मैंने कहा कि माधवी को ब्लाउज सिलवाने है कोई सही दर्जी हो तो उस का पता बता दो और हाँ किसी दुकान का पता बताओ जहां से अच्छी साड़ीयां खरीदी जा सके। मेरी बात को सुन कर डॉक्टर सीमा मुस्कराई और बोली कि आज लगता है तुम्हारी क्लास लगी है। मैंने हँस कर कहा कि दोस्त का मजाक उड़ाना अच्छा नहीं है। इस पर आशा बोली कि मेन बाजार में मिश्रा जी की दुकान में तुम्हे सब चीज मिल जायेगी। कहो तो उन्हें फोन कर दूँ। मैंने कहा इस की जरुरत नही है। मैं मैनेज कर लुगाँ तुम तो दर्जी का इन्तजाम करो यह सुन कर आशा ने कहा कि मेरी मरीज है वह अपना बुटीक चलाती है उसे फोन कर देती हूँ सब हो जायेगा।
आशा ने उसे फोन कर दिया, मैं पता ले कर चलने लगा तो डॉक्टर आशा ने मेरी तरफ देख कर कहा कि कभी हमें भी तो अपने घर आने का निमंत्रण दो, मैंने कहा कि दोस्तों के घर आने के लिए निमंत्रण नही दिये जाते, जब मन करे आ जाओ। इस पर आशा बोली कि मेरा मन आजकल बड़ा परेशान है सोच रही हूँ कि वीकएड़ पर तुम्हारे पास आ जाऊँ। मैंने कहा कि इस में सोचने की जरुरत नही है। कल शाम को क्लीनिक को बन्द कर के मेरे यहाँ आ जाओ। आशा ने हाँ में सर हिलाया।
मैंने बाहर आकर माधवी को साथ लेकर पहले बाजार में जाकर मेडिसन ली, जैल भी मिल गया। इस के बाद साड़ी की दुकान पर पहुँचे, माधवी ने दो-तीन साड़ीयाँ पसन्द की मैंने उन के साथ के ब्लाउज और पेटीकोट के कपड़ें भी खरीद लिए। इस के बाद हम बुटीक की तरफ चल दिये, वह कुछ दूरी पर था। वहाँ पहुँच कर ब्याउज का नाप देने के बाद साड़ीयाँ भी फॅाल लगाने के लिए तथा पेटीकोट के कपड़ें भी उस को दे दिये। उन से कहा कि अगर कल तक बन जाये तो डॉक्टर आशा के क्लीनिक पर पहुँचा दे। फीस देनी चाही तो वह बोली कि बाद में ले लुगी। पहले आप मेरा काम तो देखे।
उन से विदा लेकर रास्ते में मैंने माधवी से कहा कि तुम से बिना पुछे मैंने डॉक्टर आशा को वीक एंड़ पर घर आने का बोल दिया है। इस पर माधवी बोली कि अच्छा रहेगा अगर कोई तीसरा भी हमारे साथ होगा। मैंने कहा कि उस के लिए कुछ सामान लेना हो तो खरीद लेते है। हम ने सब्जियाँ और कुछ और रसोई का सामान खरीदा और घर के लिए चल पड़े। इस से पहले मैं इस बाजार में महीने में एक बार ही आता था। मेरी आवश्यकताएं बहुत कम थी। सिर्फ खाने का सामान ही लेने आना होता था।
घर पहुँच कर माधवी बोली कि मेरा सामान जिस कमरे में है उस को आशा के लिए तैयार कर देते है। मैंने हाँ मैं सर हिलाया, आशा से कुछ छुपाने की जरुरत नही थी वह सब कुछ समझ सकती थी। पहली बार उस ने मेरे करीब आने का प्रयास किया है। इस से पहले जब भी वह ऐसा करती थी तो मैं उसे अन्देखा कर देता था मैं किसी को अपने एकान्त में भागीदार बनाने को तैयार नही था, माधवी ने आ कर सब कुछ बदल दिया था, मैं भी अपने अकेलेपन से बाहर निकलने की कोशिश कर रहा हूँ। शायद आशा भी इस में सहायता कर सके। उस की और मेरी मानसिक दोस्ती मजबुत है उसे कुछ कहने की आवश्यकता नही पड़ती वह सब कुछ अपने आप समझ जाती है, माधवी और मेरे संबंध को भी वह समझ चुकी है। उस के व्यवहार से कुछ पता नही चल रहा था कि वह इस से खुश है या नहीं। जब वह हमारे साथ रहेगी तो शायद कुछ पता चले।
माधवी ने मुझें चिन्ता में देख कर पुछा कि आप किसी बात को लेकर परेशान दिखाई दे रहे है क्या बात है? मैंने मन में सोचा कि औरतों से मन की बात छुपाना मुमकिन नही है। मैंने कहा कि कुछ भी नही है। चलो तुम्हारें कमरे को देखते है, यह कह कर मैं माधवी का हाथ पकड़ कर उस के कमरे में ले गया। माधवी बोली कि मैं बिस्तर तैयार कर देती हूँ बाकि तो कुछ करना नही है। मेरे को देख कर बोली कि क्या यह सोच रहे है कि उस के सामने हम दोनों एक कमरे में कैसे रहेगे, मैंने कहा सोच तो यही रहा हूँ तो माधवी बोली कि जिस लड़की को साथ ले जाकर चैकअप कराते हो कि वो गर्भवती तो नही है, उस के लिए पिल्स लिखवाते हो उस के साथ सोने की बात पता चलने में छुपाने की कौन सी बात है। डॉक्टर को तो आपने ही सब कुछ बता दिया है अब चिन्ता की बात नहीं है वह सब समझती है। उस की बात सुन कर मुझें शान्ति मिली। हम दोनों आगे आने वाले दिनों का प्रबन्ध करने लगे।
रात को जब सोने के लिए बिस्तर पर लेटे तो माधवी बोली कि कल तो मेरी वजह से आप को मजा नही आया होगा तो मैंने कहा कि तुम्हें भी कहाँ मजा आया था इस पर वह बोली कि आप यह समझ लो कि वह मेरी पहली रात थी, इतना दर्द हुआ था कि बता नही सकती अभी भी चलने में दर्द है। मैंने कहा कि मेरी भी हालत तुम्हारे जैसी ही है लिंग पर इतनी जलन है कि अभी भी हाथ लगाने में दर्द हो रहा है, वह हँस कर बोली कि हम दोनों की हालत ऐसी है जैसी दो कुंवारों की पहली बार करने पर होती होगी। मैंने कहा कि उन की भी हमारे जैसी नहीं होती होगी। इस पर माधवी बोली कि क्या दूर रह कर ही काम चलाना पड़ेगा मैंने कहा नही इस का भी हल निकाल लिया है आज कल जैसा नही होगा वह बोली चलो देखते है। तुम्हें ऐसा तो नही लग रहा कि मैं दर्द का दिखावा तो नही कर रही हूँ मैंने कहा कि ऐसा क्यों लगेगा तुम्हें तो ज्यादा अनुभव नही है लेकिन मैं तो अनुभवी हूँ लेकिन जो हो रहा है वो तो है ही। आज देखते है अगर कल जैसा हुआ तो डॉक्टर की सहायता लेगे।
मैं उठ कर जैल की टयुब ले आया। माधवी उसे देख कर बोली कि इस से समस्या दूर हो जायेगी मैंने कहा, लगा कर कर देखते है अभी पता चल जायेगा। मैंने माधवी को बांहों में लेकर चुमना चाहा तो वह बोली कि मेरे को इस तरह की दवा से पहले परेशानी हुई थी मैंने कहा कि यह तो मेडिसन है हमारी तरह की प्रोबल्म के लिए ही बनायी गयी है। डरने की कोई बात नही है। माधवी ने अपनी बाहें मेरी गरदन में डाल दी, उस के होंठों ने अपनी जगह ढ़ुढ़ ली थी। उसकी जीभ मेरे मुँह में घुस रही थी मैंने उस की नोक को दातों से पकड़ लिया। हम दोनों को चुम्बन में बड़ा मजा आता था इस लिए काफी देर तक एक दुसरें को चुमते रहे। कुछ देर में ही दोनों के कपड़ें नीचे फर्श पर पड़े थे।
मैं माधवी के उरोजों को मसल रहा था उन को पीने के लिए मैंने उन्हे पुरा मुँह में भर लिया था, निप्पल के चारों तरफ जीभ फिरा कर मैं उन्हे उत्तेजित कर रहा था निप्पल फुल कर आधे इंच से ज्यादा लम्बे हो गये थे मेरे होठ उरोजों के बीच से होकर माधवी की नाभी तक पहुंच गये थे उस को चुम कर सपाट पेट से नीचे योनि के मुख पर उस के क्लोरिट को चुस कर उस को भड़काने का काम कर रहे थे माधवी के मुँह से आहहहहहहह उहहहहहहहहहहहहह निकलने लगा। मैं ने अपने आप को 69 की पोजिशन में कर लिया था, माधवी लिंग को मुँह में लेने में कतरा रही थी मैं कोई जबरदस्ती नही करना चाहता था वह अपने आप करे यह मेरी इच्छा थी। मैंने योनि के होठों को खोल कर जीभ को उसकी गहराई में उतार दिया। माधवी का शरीर तन सा गया।
मेरे लिंग में भी तनाव आ गया था तभी माधवी ने मेरे लिंग का सुपाढ़ा अपने मुँह ले लिया और उसे लॉलीपॅाप की तरह चाटने लगी। इस से मेरा शरीर भी तन गया। मैं हाथों से उस की जाँघों को सहला रहा था, फोरप्ले की ज्यादा जरुरत थी तभी दर्द कम हो सकता था। माधवी के हाथ भी मेरे अंणकोष को मरोड़ रहे थे इस के बाद उस ने उत्तेजना में अपने नाखुन मेरे कुल्हों में गाढ़ दिये। दर्द की लहर मेरे शरीर में दौड गयी। मैंने करवट बदली और मैं माधवी के नीचे हो गया उस के कुल्हें मेरे हाथों में आ गये और मैंने उन्हें मसलना दबाना शुरु कर दिया।
माधवी ने मेरा पुरा लिंग मुँह में निगल लिया था मैंने अपने होठ उस की योनि से हटा कर ऊंगली अन्दर डाली तो माधवी ने कहा कि ऐसा मत करो दर्द हो रहा है यह सुन कर मैंने माधवी को पीठ के बल लिटा दिया और जैल को निकाल कर अपनी ऊंगली पर लगा कर उस ऊंगली को योनि में डाला तो माधवी बोली कि बड़ा ठन्ड़ा लग रहा है अब मेरे ऊंगली अन्दर बाहर करने से उसे दर्द नही हो रहा था वह बोली कि अब सही लग रहा है। मैंने कहा कि यही इस का काम है। यह कह कर मैंने कुछ और जैल ले कर अपने लिंग पर लगा लिया और उस के पैरों के बीच बैठ गया लिंग को योनि के मुँह पर रख कर धक्का दिया तो चिकनाई के कारण योनि में बिना किसी परेशानी के चला गया। दूसरे धक्के में पुरा लिंग योनि में घुस गया, अब तक माधवी ने कुछ नही कहा था मैंने पुछा कि क्या हाल है तो वह बोली कि सही है। अब मैंने अपने को कोहनियों के सहारे ऊँचा उठा कर कुल्हों को जोर-जोर से ऊपर-नीचे करना शुरु किया। मेरी गति बढ़ती जा रही थी। नीचे से माधवी की कराहट निकल रही थी। आज मेरे लिंग में दर्द नही हो रहा था।
मेरी गति बढती देख कर माधवी ने भी मेरा साथ देना शुरु कर दिया हम दोनों के शरीर तेज गति से हिल रहे थे बिस्तर भी कराह रहा था। ना जाने कैसा नशा था या प्यास थी कि हम दोनों की तेज गति के कारण दोनों के शरीर पसीने से नहा गये थे मैं समझ नही पा रहा था कि यह गति कहाँ जा कर रूकेगीं। एक तरह का जगंलीपन सा सवार था। दिमाग कुछ और सोचने को तैयार नही था। मेरा शरीर तो ऐसा तना था कि पुरा शरीर एक लकीर में आ गया था। मैंने गति कम कर के करवट ले कर माधवी को ऊपर कर लिया अब उस का शरीर तेज गति से हिल रहा था होठ मुझें चुम रहे थे। कुल्हें वहशीपन से हिल कर लिंग को अन्दर समाने के लिये जोर लगा रहे थे लिंग के साथ अंड़कोष का हिस्सा भी योनि में घुस रहा था।
तभी मैंने माधवी के कन्धे पर काट लिया बदले में उस के दाँत मेरे कन्धे के मांस में गढ़ गये। मेरी चीख निकल गयी। मुझें लगा कि मैं अपने चरम पर पहुचने वाला हूँ मैंने पांवों से माधवी के कुल्हें लॅाक कर लिये मेरी आंखों के आगे तारें झिलमिलानें लगे। कुछ क्षण के लिए चेतना लुप्त सी हो गई। लिंग के मुँह पर गर्मी की जलन हुई शरीर इतना गरम हो गया था कि लग रहा था कि भट्टी जल रही थी। माधवी भी पस्त हो कर मेरे ऊपर लेट गयी उस की गति भी रूक गयी। वासना का जो ज्वालामुखी हमारे अन्दर धधक रहा था वह फट गया था। कोई दर्द नही था सिर्फ गरमी का अहसास था।
कुछ समय के बाद जब हम दोनों की चेतना लौटी तो मैंने माधवी को चुमा और पुछा कि कैसा रहा तो उस ने कहा कि मार ही डालो। मेरे को बहुत गर्मी लग रही है सारा शरीर जल रहा है। आज से पहले तो ऐसा नही हुआ है। मैंने कहा कि मेरे शरीर में भी आग सी लगी है गर्मी कम ही नही हो रही है। माधवी के मैंने बगल में लिटा लिया। हमारे साथ जो गुजर रहा था वह हम दोनों ने आज तक महसुस नही करा था। मैं चुपचाप पड़ा रहा, शरीर का निचला हिस्सा गीला था लिंग से वीर्य निकल रहा था मैंने उसे रोकने की कोशिश नही की। माधवी से पुछा तो वह बोली की अपने आप देख लो मैंने उठ कर देखा तो उस की योनि से भी पानी निकल रहा था मैं उसे भी रोकने के पक्ष में नही था उसे बहने दिया।
दस मिनट बाद उठ कर कपड़े से माधवी की योनि पोछी और अपने लिंग को भी साफ करा। अब तक हम दोनों के शरीर की गर्मी कम हो चुकी थी तथा हमारी चेतना भी पुरी तरह से आ चुकी थी। इस संभोग के अनुभव ने हमारे होश उड़ा दिये थे। मैंने माधवी से कहा कि कॉफी पीनी है तो उस ने कहा कि मेरे में हिम्मत नही है मैंने कहा कि मैं बना कर लाता हूँ यह कह कर मैं किचन में चला गया कॉफी ला कर माधवी को दी तो उसे पी कर उस ने कहा कि गरमी को गरमी ही मारती है। मैं भी उस के पास ही बैठ कर कॉफी पीने लगा। माधवी बोली कि हमें हुआ क्या था मैंने कहा कि शायद पहली बार हम दोनों ने संभोग का असली आनंद लिया है। हमारे अन्दर सेक्स की आग लगी हुई थी पहली बार सही तरीके से यह प्यास बुझी है इस लिए ये हालत है। तुम्हें दर्द हुआ तो उस ने कहा कि कैसा दर्द मुझें तो कुछ पता ही नही चला बस गर्मी बढ़ती जा रही थी। मैंने भी कहा कि मुझें भी कोई दर्द नही हुआ बस गर्मी बढ़ती गयी। एक पागलपन सा छा गया था। लेकिन मजा बहुत आया है। माधवी बोली कि यह बात तो है जैल में तो कुछ नही था मैंने कहा कि नही वह तो वाटर बैस्ड जैल है, जैल की वजह से हम दोनों सेक्स का असली मजा ले पाये है यह आनंद ही असली सेक्स है दम निकाल देता है।
माधवी बोली कि एक बार तो लगा था कि इस गर्मी में मैं जल जाऊगी। तुम्हारी तेजी से तो मेरे शरीर की सारी हड़ियां हील गयी है। मैंने कहा कि मेरी भी यही हालत है तुम्हारी तेजी से मेरे सारे जोड़ हिल गये है। ऐसी तेजी तो मैंने पहले नही देखी थी। पहले भी संभोग किया है लेकिन आज की बात कुछ अलग ही है। माधवी बोली की आज की बात ही अलग है मुझें अभी तक विश्वास नही हो रहा है कि हम दोनों ही यह कर रहे थे। मैंने उसे अपने से लिपटा कर कहा कि मैंने कहा था कि आज कल से बेहतर करेगे। दूसरे मिलन में हम दोनों की सारी परेशानी दूर हो गयी। माधवी मेरे सीने को चुम रही थी। उस ने कहा कि अब कुछ मत कहो।
मैं ने उस को बाहों में कस लिया। वह बोली कि मारने का इरादा है क्या? मैंने कहा कि नही दूबारा खाने का है। माधवी बोली कि हाजमा खराब हो जायेगा। उस ने यह कह कर मैंने लिंग को हाथ लगाया तो उसे पता चला कि वह तो पुरे तनाव में आ चुका था। इस पर माधवी बोली कि इस को तो दूसरा मौका देना ही पड़ेगा। देखते है इस में कितनी ताकत बची है। यह कह कर वह मेरे ऊपर आ गयी ओर उस ने हाथ से लिंग को योनि में डाल लिया।
माधवी का शरीर धीरे-धीरे हिलने लगा। मैं भी उस का साथ देने लगा। संभोग करते करते हम कब सो गये पता ही नही चला। सुबह देखा कि वीर्य और योनि द्रव से दोनों के शरीर के नीचे के हिस्से गीले पड़े थे। उठने के बाद माधवी बोली की पहले अपने को पौछ ले फिर कुछ और काम करेगे मैंने हामी भरी। मैं जब ऊठ कर खड़ा हुआ तो पता चला कि सारा शरीर टुटा सा लग रहा था। माधवी की हालत भी मेरे जैसी थी। लेकिन हम खुश थे कि हमने पहली बार सेक्स का सही आनंद लिया था। दिमागों से भारी बोझ उतर गया था।
चाय पीते समय माधवी बोली की कल की रात हुआ क्या था। मैंने कहा कि दिमाग को ज्यादा कष्ट मत दो अब रोज ऐसा ही होगा। हमारे दिमाग में जो रूकावट थी वो अब हट गयी है। माधवी बोली की मुझें तो लगा कि आपने वियाग्रा तो नही ले ली, मैंने ऐसा सुना था। मैंने कहा कि मेरी वियाग्रा तो तुम हो, तुम्हारा ही असर था जो ऐसा जोरदार सेक्स हुआ। मेरे दिमाग में भी शायद कोई मानसिक रोक थी जो कल हट गयी है। मुझें तो लग रहा है कि कल मेरी जवानी का पहला दिन था माधवी बोली की मेरी तो कल ही पहली रात थी। मैंने कहा कि मैं नहाने जा रहा हूँ उस के बाद नाश्ता करना है बड़ी जोर की भुख लग रही है, माधवी बोली की पहले मैं नहा कर आती हूँ फिर आप जाना। मैं ने कुछ नही कहा।
माधवी और मेरी रात मजेदार गुजरी, नये खिलाडि़यों की तरह हम ने हर चीज का खुल कर मजा लिया। सुबह शुक्रवार था शाम को आशा को आना था इस लिए हम दोनों तैयारी करने में लगे रहे। दोपहर का खाना खाने के बाद हम दोनो सो गये, साथ में सोये तो फिर से संभोग करने का मन करा तो प्यार करने में लग गये। संभोग खत्म हुआ तो दोनों को लगा कि नींद ना आ जाए इस लिए उठ कर बैठ गये और बातें करने लगे। माधवी बोली की डॉक्टर आशा से कैसे दोस्ती हूई? मैंने कहा कि जब पहली बार यहां आया था तो डॉक्टर की तलाश कि तो पता चला कि एक ही है जो दस किलोमीटर दूर है, उस से मिलने गया तो दवा ले कर चला आया, इसी सिलसिले मैं कई बार मिलना हुआ बातों में पता चला कि उस की और मेरी रुचियाँ एक जैसी है तो बातचीत होने लगी जब भी बाजार जाता हूँ तो उस से मिल कर जरुर आता हूँ।
वह भी अकेली है उदास रहती थी, दो अकेले लोगों के बीच दोस्ती जल्दी होती है जैसे तुम्हारे मेरे बीच। माधवी बोली की दोस्ती कहाँ तक है मैंने कहा कि क्या कहाँ तक? उस ने कहा कि मेरी बात का सीधा जबाव दो, मैंने कहा कि अगर तुम सोच रही हो कि हम दोनों में संबंध है तो ऐसा कुछ नही है मैंने तुम्हे पहले ही बताया था, आशा ने कोशिश की थी लेकिन मैंने उस का कोई जबाव नही दिया था मैं किसी भी तरह के शारीरिक संबंध के लिए तैयार नही था। तुम्हारे साथ जाने ऐसा क्या हुआ है जो मेरे मन में सेक्स करने की इच्छा जागी है। तुम से पहले तो मैंने किसी के एडवान्सिस का कोई जबाव नहीं दिया है। मन में इच्छा ही नही होती थी। तुम ने आ कर मेरे मन में यह आग दुबारा लगायी है।
माधवी बोली कि अब अगर वह चाहे तो क्या जबाव दोगें। मैं चुप रहा, इस पर माधवी बोली कि मेरे कारण उस को मना नही करना। वह आप की उम्र की है दोस्त है तो उस की सहायता करना आप की जिम्मेदारी है। यह सुन कर मैंने माधवी को देखा और पुछा कि तुम्हें बुरा नही लगेगा। इस पर वह बोली कि बुरा तो लगेगा लेकिन अपने हित के लिए मैं आप का नुकसान नही कर सकती। मैंने बात बदलने के लिए कहा कि माधवी जी दार्शनिक मत बनो, अपने आप को बलि मत चढ़ाओ। ऐसा कुछ नही है इस लिए इस पर सोचना बन्द कर दो। माधवी बोली कि आप पुरुष लोग औरतों की भावनाओं को समझ नही पाते मैंने आशा कि नजर में आप के लिए प्यार की झलक देखी है इस लिये यह बात की है नही तो कौन अपने प्रेमी को किसी और के साथ बाँटना चाहती है?
मैंने उस से कहा कि इस से संबंधों में बहुत कठिनाई आ सकती है ऐसे संबंध सीधे-साधे नही होते, मेरी राय में तो इन से बचना चाहिए। माधवी बोली कि आप जैसा प्रेमी जिस को मिल जाये तो उस औरत की किस्मत खुल जायेगी। मैंने कहा कि तुम्हारी खुली है या नही। वह बोली कि मैं आप को बाँधना नही चाहती। मैंने कहा कि मैं तो कही जाना नही चाहता। उस ने कहा कि अभी गरमी है इस लिए बोल रहे है। मैं यह सुन कर चुप हो गया। माधवी को पता चल गया कि मैं इस बातचीत से खुश नही हूँ इस लिए उस ने इसे यही पर खत्म कर दिया।