पूजा की कहानी पूजा की जुबानी Ch. 07

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मेरी शादी के बाद बड़े भैया से मस्ती भरी चुदाई.
4.6k words
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Part 7 of the 11 part series

Updated 03/13/2024
Created 11/26/2022
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(मैं और मेरे बड़े भय्या - 1)

मेरी शादी के बाद बड़े भैया से मस्ती भरी चुदाई

दोस्तों, मैं हूँ पूजा; आपकी चहेती पूजा मस्तानी मेरे एक और मदभरी अनुभव के साथ आपके समक्ष में।

यह बात उन दिनों की है जब मैं 24 वर्ष की थी। मेरि शादी होचुकी थी और मैं जुडवा बच्चो की माँ भी बनगयी। जब मेरे बच्चे 10 महीनेके थे तो मैं मेरे माइके आयी थी, मेरी छोटी बहन नीरजा कि शादी में। शादी संपन्न होकर 20 दिन गुजर चुके हैं। जब मैं अपने घर जाने के लिए तैयार हो रही थी तो माँ ने कहा.. "पूजा बेटी, कुछ दिन और रुकते तो अच्छा था..." मैं माँकी बात मानकर रुक गयी। इसका एक और कारण भी था। वह था मेरे और मेरे पापा की मुलाकात नहीं हुयी थी। दोस्तों आपको मालूम हि है की मैं जब 19 वर्ष की थी तो में मेरे पापाके साथ सम्भोग किया था। (पढ़िए मैं और मी पापा की 3 कड़ियाँ) शादी की भगदड़ में पापा से मेरी मिलन नहीं हुयी थी। पापा के चुदाने की एक चाहत मेरी दिल में रह गयी थी, तो मैं भी माँ के पूछते ही रुक गयी।

शादी का भगदड़ कम हुयी और घर के वातावरण में प्रशान्तता आगयी है। उस दिन सवेरे पापा ने किसी काम के लिए गांव गए हुए थे। तीन चार दिन वहिं रुकेंगे। घरमे मैं, माँ और मेरे बड़े भैय्या वसंत ही रह गए है। मेरी बहन नीरजा शादी के बाद ससुराल चली गयी। छोटा भाई जयंत हॉस्टल चला गया। अब पापा के गांव जानेके बाद हम तीनों ही घर में रह गये।

एक बात मेरे यहाँ आने के बाद, मेरी नोटिसमे जो आया; यह है की मेरे बड़े भय्या मुझे एक अजीब तरह से देख रहे थे। मैं जब भी उन्हें देखा उन्हें मेरे अंगोंकी ओर ताकते पाया; और मेरे देखने पर उन्होंने नजरे चुराते थे। पहले कुछ दिन तो मैं इसे मेरा भ्रम समझा था लेकिन जल्दी ही मुझे पक्का हो चुकी है की भैया मुझे चाहत से देख रहे है। उनके आँखों में मरे रति लालसा दिखी। हुआ यह की उस दिन मैं स्नान करने के बाद अपने कमरे में कपडे बदल रही थी। मेरे बदन पर सिर्फ तौलिया बंधे में बाथरूम से निकली और सीधा अलमारा के पास गयी; और मेरे कपडे ढूंढने लगी। इतने मे अलमारा के साइड में लगे आईने में एक छबि सी दिखी। कोई मुझे खिडकी से चोरी छुपे देख रहा है। मैं जब ध्यान दिया तो वह चेहरा फिरसे दिखाई वह मेरे बड़े भय्या थे। मेरी उत्सुकता जगी और मैं बहुत धीमी गति से अपने कपडे बदलते बार बार आईने में देख रही थी। मुझे भैया के आँखों में मेरे प्रति लालासा, और लिप्सा दिखी।

मैं मेरी सुन्दरता पर अपने मे हंसी और गर्व भी फील करी। मुझे मालूम है मैं कितना सुन्दर हूँ। मैं कपडे बदलकर बाहर आयी। उसके बाद जब भी मैं भैया को देखि; हमेशा उन्हें मेरी ओर लिप्सा भरी नजरों से देखते पायी।

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उस शाम जब घर में हम तीनों के अलावा और कोई नहीं थे तो भैय्या पूछे "पूजा कहीं बाहर चलना है क्या...?"

"कहीं जाने का मन तो कर रही है भैय्या, लेकिन कैसे इन दो बच्चों से..." में अपने जुड़वाँ बच्चों की ओर देखते बोली।

"पूजा बच्चोंको मैं संभालती हूँ.. यह ऊपर का दूध तो पीते हैं ना...?" माँ बोली।

"हाँ माँ.. पीते हैं.."

"एक काम करो..." माँ बोली तुम उनका दूध तैयार कर के मुझे देदो.... उन्हें मैं सम्हालती हूँ... जब से आयी हो कहीं बाहर ही नहीं गयी हो...जाओ जाकर घूमकर आवो" माँ बोली।

मैं बच्चोंका दूध मिलाकर और डायपर चेंज करके मम्मी की सौंपी और भैया के साथ बाहर आयी। भैय्या अपना मोटर साइकिल निकाले और पूछे "पूजा कहाँ चले...?"

"कुछ स्पेसिफिक (specific) नहीं है भैय्या ऐसे ही लांग ड्राइव पे चलते है..." बोलते में बाइक पर बैठी। मैं सलवार सूट में थी तो मेरे पैर दोनों ओर डालकर बैठी। शहर के वातावरण से निकलते है भैय्या गाड़ी की स्पीड बढ़ा दिये।

शाम का समय था.. सफर सुहाना था। कुछ दूर चलनेके बाद भइया अकस्मात् ब्रेक लगाये तो मैं आगे को भैय्या के ऊपर गिरी; और मेरे वक्ष भैय्या के पीट पर रगड़ खाने लगे। इसके बाद तीन चार बार और ब्रेक लगाए और हरबार मेंरे स्तन भैया के पीट पर रगड़ने लगी। तब मैं समझगई की भैय्या मेरे बूब्स को फील करना चाहते हैं तो में आगे किसक कर भैय्या से सटकर बैठ गयी और इधर उधर कि बातें करने लगी, और अपने चूचियों को भैय्या के पीट पर दबा रहीथी।

दोस्तों आपको मालूम हि है की मैं इन्सेस्ट की शौकीन हूँ... सबसे पहले जब मैं 18 वर्ष की थी तो मैं अपने बजू घरवाले अंकल से अपना सील तुड़वाई थी। (पढ़िए मैं और नेबर अंकल)

तब से मेरे गुप्तांग में चुदास के कीड़े रेंगने लगे और मैं अंकल के साथ साथ मेरे ट्यूशन (tuition) मास्टर से भी सम्बन्ध बनाये है। एक दिन मैं ट्यूशन मास्टर की लंड चूस रहि थी तो मेरे सगे चाचा ने देख लिया था। एक महीने के बाद जब घर वाले चाची की छोटे भाई की शादी में दूसरे शहर गए तो; चाचा ने मुझे अपना हवस का शिकार बनाया। उसके छह, सात महीने के बाद किसी सरकारी नौकरी का एग्जाम लिखने के लिए मुझे दूसरा शहर जाना पड़ा। उस समय पापा ने मुझे उस शहर लेगए और परीक्षा लिखने के बाद होटल में उन्होंने मुझे.... क्या हुआ आपको मालूम है।

इसीलिए घरवालोंके साथ या रिश्तेदारों के साथ चुदाई करने ममुझे कोई दिक्कत नहीं है। या यूँ समझो मुझे कोई reservations नहीं है।

सो में भैया से सटकर अपनी चूची दबाते उनके कंधे पर अपना chin (टोढ़ी) रखकर बातें कर रही थी। बातें तो कर रही थी लेकिन मेरि दृष्टि बार बार रियर व्यू मिरर पर ही टीकी थी।

मैंने देखा की भैय्या उस मिरर से मुझे ही देख रहे थे।

"ऐसे क्या देख रहे हो भैया...?" में उन्हें मिरर में देखती पूछी।

भैय्या एक क्षण गभराये और फिर बोले "पूजा तुम शादी के बाद और बच्चोंको जन्म देनेके बाद और भी सुंदर हो गयी हो..."

"ओह भैय्या आप भी ना..." में कही एक क्षण रुकी और फिर बोली "एनीवे थैंक्स भैया..." और आगे झुक कर उनके गाल को चूंमि; जिस से मेरे स्तन और जोरसे भैय्या के पीट पर चुभने लगे।

फिर कुछ समय इधर उधर की बातें करते रहे फिर भैय्या बोले.. "काश.." और रुक गए।

"क्या? क्या कहे हो भैय्या आपने...?" मैं पूछी।

"कुछ तो नहीं..."

"नहीं भैया.. आप कुछ बोल रहे थे... बोलिये ना..."

"छोड़ो पूजा वह बात.."

"नहीं भैय्या आपको बताना पड़ेगा.. क्या मतलब है 'काश' का...."

"छोड़ो न पूजा कुछ तो नहीं युहीं जुबान फिसल गयी..."

"नहीं भैय्या आपको मेरी कसम बताना ही पड़ेगा..." मैं भी जिद करने लगी। मैं जानना चाहती थी की भैय्या के मन के क्या है।

"छोड़ो पूजा तुम बुरा मानोगी..."

"नहीं भैया... मैं कुछ बुरा नहीं मानूँगी प्लीज....बोलिये...काश क्या?" मैं जिद पर अड़ गयी। तब तक हम जहाँ जाना है वहां पहुंच गए... वहां एक तालाब थी। तालाब की एक ओर मिटटी, एक और किनारे पर पत्तर हैं। उस ओर sheet rock के ऊपर तालाब स्थित है। जहाँ पानी एकदम साफ है। हम एक जगह गाड़ी रोकी और वहां स्थित एक पेड़ के छावं में बैठे। साफ पानी देखकर मुझे तैरने का मन कर रही है।

"भैय्या चलो तैरते हैं..."

"पूजा पागल हो गयी हो क्या.... चेंज के कपडे नहि है... और तो और टॉवल तक नहीं है..."

"ओहो.. भैया.. चलो न.. यहाँ कौन है..देखो कितना निर्जन है.. दूर कहीं कुछ लोग कपडे धो रहे है.. चालो ना..प्लीज ..." मै भैय्या का हाथ पकड़कर खींची। पानी के समीप जाकर मैने तो सलवार कमीज उतार फेंकी और सिर्फ ब्रा पैंटी में पानी में उतर गयी। पहले तो भैय्या मेरी ड्रेस चेंज करते ही अचम्भे में रह गये फिर मेरी दिगंबर शरीर से अपाने ऑंखें सेकने लगे।

मेरी देखा देखि भैया भी अपने कपड़े उतारे और सिर्फ बाक्सर पर तैरने लगे। मुझे बॉक्सर मे भैय्या का उभार साफ दिखने लगी। 'कितना लम्बा होगा भैय्या का.. और मोटापा...' मै सोचने लगी।

काफी समय पानि मे तैरनेके बाद हम फिर से उस पेड़ की छांव में आगये और वैसे ही बैठे। मैं टाँगे पसार के बौठि थी। मेरी जांघोंके बीचकी उभार के साथ फांकों का उभार भी स्पष्ट (clearly) दिखने लगी। मैंने देखा कि भैया का दृष्टी बार बार मेरी जंघोंके बीच पड रही है। मैंने यह भी नोट किया कि मेरी नग्न शरीर देख कर भैया में कुछ हलचल हो रही है। भैया को रिझाने के लिए में दूसरी ओर पलटी और भय्या से बोली "भइया इधर मत देखो" कही और में अपनी ब्रा भी खींच डाली। फिर मैं अपनी पैंटी भी उतारकर उसे निचोडी और वहांके पत्तर पर सूखने केलिए डाली। पत्तर गर्म थे। मुझे मालूम है भैय्या मेरि नंगी पीट को और मेरि गद्देदार चूतड़ों को और उनके बीच की दरार को देख रहे है।

भइया को अपने नंगा पीठ और पीछे का हिस्सा दिखाते हुए मेरे शरीर में एक अजीब सी झुर झूरी होने लगी। कोई 10 मिनिट बाद मेरे पैंटी और ब्रा सूख गए तो में उन्हें पहनी और अपने सलवार सूट पहनी। भैय्या भी अपने कपडे पहने।

"पूजा यह जगह तो बहुत ही सुनसान है.. तुम इस से पहले यहाँ आचुकी हो क्या...?" पूछे।

"हाँ भैय्या मैं मेरी सहेली यहाँ आया करते थे, कभी कभी नीरजा भी"

"अच्छा इतनी सुनसान जगह मे क्या करते थे?"

"ओह भैय्या यह सब लडकियों की बातें है... ऐसा नहीं पूछते.." मैं उन्हें आँख मारते बोली।

"सालियां कहीं की..." वह बुद बुदाये लेकिन मैंने उन्हें सुनली।

"भैय्या क्या कहा आपने....?"

कुछ नहीं चलो..." वह उठे और बाइक निकाले। हम घर की ओर चलने लगे। सड़क पर आते ही मैं फिर से अपने वक्ष भैया के पीट पर रगड़ने लगी, साथ ही साथ मेरा दायां हाथ उनके जांघ पर रख कर दबाने लगी।

सडक पर अनेके बाद मैं अपने जीभ से भैया के कान के लौ को टच करते पूछी "भैय्या.. तो आप कुछ कह रहे थे कि मुझे बुरा लगेगा ...बोलिये ना काश के बाद क्या है..?"

"अरी छोड़ो न वह बात..."

"नहीं... अगर आप नहीं बतायेंगे तो आज से हमारी कट्टी, में आपसे बात नहीं करूंगी"।

"अरे नहीं पूजा ऐसा मत कहो..."

"फिर बोलो क्या बात है...."

"ठीक है.. लेकिन पहले वादा करो कि तुम बुरा नहीं मानोगी..."

"प्रॉमिस भैया.. मैं बुरा नहीं मानूंगी..."

मैं कही और उनके जाँघ को सहलाने लगी। मेरा जी चाह रहाथा की मैं भैय्या के उभार पर हाथ रखूँ पर रोक के रखी हूँ।

"... काश तुम मेरी बहन न होती..." भैय्या कह रहे थे... "और मोहल्ले की कोई और लड़की होती तो..." उन्होंने फिरसे रुके...

मैं उनके बातों पर खिल खिलाकर हंसी और पूछी "कोई और लडकि होती तो क्या करते भैय्या...." मैं पूछी।

"क्या करता.. उस से दोस्ती करता और मेरी गर्ल फ्रेंड बनाता.. और क्या...?"

भैय्या की बातों पर मैं फिरसे खिल खिलाकर हंसी और पूछी... "गर्लफ्रेंड बनाकर क्या करते भैय्या...?" भैय्या से ऐसी बातें करने में मुझे आनंद आ रहा था। मेरे जांघों के बीच कहीं चुदाई के कीड़े रेंगने लगे।

"क्या करना है ... घुमते, फिरते मौज मस्ति करते... और क्या..."

मैं मेरे स्तनोंको और जोरसे भैय्याके पीट पर दबारहि थी। उनके जांघ पर मेरे हाथ को और आगे बढाकर उनके उभार को हल्का सा टच करि और पूछि मौज मस्ति का क्या मतलब है भैय्या..

यह सब बातें चल रही थी और हम एक दूसरे को rear view मिरर में देख रहे हे।

"यार पूजा.. तुम भी तो कॉलेज में पढ़ी हो.. तुम्हारा भी कोई बॉयफ्रेंड होगा...नो"

"नहीं मेरा कोई बॉयफ्रैंड नहीं है..." मुझे क्या पता बॉयफ्रेंड और गर्लफ्रेंड क्या करते है..." मैं उन्हें छेढ़ते बोली।

"मैं नहीं मानता ... कोई बॉयफ्रेंड नहीं है यह हो सकता है.. लेकिन बॉयफ्रेंड और गर्लफ्रेंड क्या करते है यह पता नहीं... यह बात में नहीं मानता..."

"छी... छी... आप कितने गंदे हो भैय्या... अपनी सगी बहन के लिए ऐसा ख्याल रखते हो.,.."

"अब बहन है ही इतनी सुन्दर तो बेचारा भाई क्या करे..."

भैयाके बातों से मैं लज्जा से लाल हो गयी... और बोली... "चलो..चलो.. अँधेरा हो रहा है..मेरे बच्चे.." मैं कही।

जबतक हम घर पहुंचे शाम के 7.30 बज रहे थे। घर के अंदर आते ही मैं माँसे पूछी.. माँ बच्चों ने कुछ तंग तो नहीं किया...?"

"नहीं पूजा वह तो आराम से अभी तक सो रहे है...अच्छा आठ बजने वाली है.. मुहं हाथ धोलो.. और खाना खालो..." माँ बोली।

मैं मेरे कमरेमे गयी और फ्रेश होकर जब डाइनिंग हॉल में पहुंचे तो भैया आलरेडी वहां तय्यार बैठे थे। हम तीनों ने मिलकर खाना खाये।

खाना खत्मकर जब भैय्या सिंक की ओर चले तो मैं भी उनके पीछे पीछे सिंक पर पहुंची।

भैया हाथ धोरहे थे तो में बोली... "भैय्या रात को मम्मी सोनेके बाद मेरे कमरे में आना..." में उनके कान मे फूस फुसायी।

"क्यों....?"

"आपको गर्लफ्रेंड का मजा चखानी है.... और क्यों...?" मैं कही और एक आंख दबाकर flying kiss देकर बिना पलटे सीढ़ियां चढ़ने लगी।

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रात के 9.30 बजे हैं। भैय्या अभी तक कमरे में आये नहीं। वह आएंगे इसकी मुझे पक्का पता है, क्यों की जब में गर्लफ्रेंड का मजा लेने की बात कही तो उनके आँखों की चमक ही बतादि की वह कितने उत्तेजित और उत्साहित हैं। अभी तक क्यों नहीं आये, सोचते मैं अपनी उभर आये बुर पर साड़ी के ऊपर से ही सहला रहि थी। मेरी चूचियों में कड़ापन आगया और एक अजीब सी ठीस उठने लगी। एक हाथ से चूची को सहलाते दूसरे हाथ से बुर को दबा रही थी।

आआह्ह्ह्ह... एट लास्ट भैय्या "पूजा..." कहते अंदर आये। मैं बिस्तर पर लेटी हुयी थी तो उठगयी और अंदर आते भैय्या को देख कर मुस्कुरायी। भैय्या आते ही मुझसे लिपट गए, मझे अपने बाहोंमे लेकर सारा मुहं पर चुम्बन लेने लगे। मुझे इतने जोर से जकड़े हे की मुझे सांस लेना भी दूभर हो रहा था।

जबरदस्ती मैं उनसे छुडाली और बोली..."यह क्या है भैया... इतने जोरसे...आआआहहह.. मेरी साँसे रुक गयी है..." कही।

"ओह पूजा में अपने उत्तेजना को कण्ट्रोल कर नहीं पाया...."

"मैं कहाँ भगरही हूँ भैय्या.. मैं स्वयं ही आपको बुलाई थी.."

"सॉरी पूजा.." कहे और फिर मेरे गाल को चूमे।

"चलो कोई बात नहीं जब उत्तेजित हो तो ऐसा हो जाता है... बोलो अब क्या प्रोग्राम है...?"

"पहले तो मैं तुम्हे बिना कपड़ों के देखना चाहता हुँ.... तुम्हार नग्न सौंदर्य के समुद्र डूबने का बाद बाकि का काम बाद में, प्रस्तुत तो तुम्हें नंगा करना है..."

भैया के बातों से मेरे सारे शरीर में आग लग गयी। दिल की धड़कन तेज होगयी।

"ठीक है भैय्या, लेकिन पहले मेरा एक शर्त है...." मैं अपने निचले होंठ को दन्त से दबती बोली।

"शर्त.. कैसी शर्त...?"

"मुझे नग्न देखने से पहले अपना नंगा पन का नजारा करा दो..."

"क्यों.... किसी मर्द को नंगा नहीं देखि हो क्या...?" मेरे गाल को चिकोटि काटते बोले।

"यही सवाल अगर मैं करूं तो...?"

"देखि है.. लेकिन मेरी पूजा का नहीं देखि..."

"मेरी पूजा...? मैं कबसे आपकी पूजा बनगयी भैय्या ...?"

"जबसे तुम नीरजा की शादी में आयी हो.. तब से.. तुम इतनी सुंदर हो गयी हो.. की बोलो मत... लगता है.. जिजाजी का अमृत खूब असर कर रही तुमपर..."

"छी भैय्या आप भी न.." मैं कही और फिर पूछि ..."ऐसे क्या देखे हो भैय्या आप मुझ में...?"

"यह कहना कठिन है... क्योंकि तुम्हारी हर अंग निखर रहा है... ऐसे निखार बहुत कम लड़कियों में देखने को मिलती है..."

"भैय्या... लगता है आप बहुत से लड़कियों को देखें हैं..कितनों का देख चुके है...?"

"मेरे कॉलेज के टाइम में दो लड़कियां मुझे पर मरती थी.. फिर अब ऑफिस में एक.. फिर एक और लड़की..."

"इन सब में मेरे जैसा निखार आप ने किसमे देखें है...?"

"नीरजा...मेँ"

"क्या...? नीरजा... हमारी छोटी बहन, 20 दिन पहले जिसकी शादी हुयी है...?" मैं आश्चर्य चकित होकर चिल्लाई...

"शशशशश.. चिल्लाओ मत.. माँ उठ जाएगी..."

"कहीं आप उसे..." मैं अपनी बात रोकी।

भैय्या छिछोरे पन से हँसे और अपना अंख दबाये।

"बहनचोद कहीं का..."

"हाँ... वह तो मैं हूँ ही... इसलिए तो अब एक और बहन को चोदने आया हूँ..." वह एक क्षण रुके और फिर मुझसे पूछे.. "अब तुम बोलो तुम कितनों को नंगा देख चुकी हो...सच कहना"

"हम औरतों को आप जैसा चांस कहां मिलता भैय्या... मैं तो सिर्फ दो को देखि हूँ...एक आपके जिजाजी का और एक शादी से पहले हमारे नेबर अंकल का..." मैं यहाँ सरासर झूट बोली .. आज तक मैं आधे डज़न लंड मेरे चुदासी बुर में लील चुकी हूँ..."

"ओह। .चलो अब शुरु हो जावो.. अपने कपडे उतारने"।

नहीं भईया, मैं अपनी शर्त बताई थी न.. पहले आप..." मैं बोली।

"ठीक है.. एक काम करो.. तुम्ही मेरे कपडे उतारलो..." भैय्या का ऐसा बोलते ही मैं उनके पास गयी। भैय्या उस समय, टी शर्ट और पजामा में थे। पहले मैंने उनका टी शर्ट निकालदी। अंदर बनियान नहीं पहने थे। भैया का गोरा बदन, विशाल भुजयें और विशाल छाती के स्वामी थे। छाती पे दोनों ओर ब्राउन कलर में उनके गोल दब्बे और उनके बीच साबुत चना जैसे उनका निप्पल्स, बहुत ही आकर्षक थे। उनके निप्पल्स को देखते ही मेरे मुहं में पानी आगयी। उस पानी को गलेके निचे उतारते में अपनी नाखून से उनके निप्पल को छेड़ी।

"स्स्स्सस्स्स्सह्ह्ह...." भैया के मुहाँ से एक मीठी सिसकार निकली।

"क्या हुआ भैय्या ....?" मैं अपना नाखून वैसे ही चलते पूछी।

"साली तू तो बहुत चालाक निकली..." भैया मेरे गाल को काटते बोले।

"मैं आप ही की बहन हूँ भैय्या" मैं कही फिर उनके सारे बदन पर हाथ फेरती, फिर उनकी दूसरी घुंडी को मेरे होंठों से दबायी।

"ममममआ"

मैं वैसे ही उनके निप्पल को दबाते पूरी छाती को चाटने लगी। मेरा दायां हाथ निचे खिसक कर पाजामे के उपरसे ही उनकी औजार को पकड़ी। उसे हाथ में लेते ही मुझे मालूम पड़गया की उन्होंने पजामा के अंदर भी कुछ नहीं पगने। एक हाथ से उनको दबाते, दूसरे हाथसे पाजामा की नाडा खींची और उसे निचे को खींचने लगी। भैया अपने नितम्ब उठाकर पाजाम निकालने मे सहयोग करे।

अब भैय्या मेरे सामने पूरा नंगेथे। उनके बलिष्ट जांघों के बीच उनका मर्दानगी पूरा अकड़कर एक इस्पात की चढ़ बनी है। उनके लंड की बेस पर घुंगराले झांट थे।

"हाय भैया.. कितना प्यारा है.. आपका.. गुड..." मैं उसे मेरी मुट्ठी में दबाकर आगे झुक कर उसे निहारने लगी। भैया गोरे बदन के होने की वजह से उनका मस्ताना भी गोरा ही है और उसके foreskin पीछेको खिसक कर उनका गुलाबी सूपाड़ा, लाइट की रौशनी में चमक रही है। पूरे लंड की लम्बाई पर नसे दिख रहे है।

"पच...पच...पच.." मैं उस टोपे पर चुंबन अंकित करने लगी। फिर एक हथेली पर भैया के वृषणों को लेकर ऐसे हिलाने लगी जैसी में उन्हें तोलकर वजन का अंदाजा लगा रही हूँ। "भैय्या आपका यह आपसे भी हैंडसम है..." कही और पूरा टोपे को मेरे मुहं में लेकर चुभलाने लगी।

"नहीं पूजा.. ऐसे नहीं... मैं नंगा होगया हूँ, तुमने मुझे देखली अब तुम अपना दिखाओ.. दट इस ए फेयर गेम (That is a fair game)" बोले।

"ठीक है भैय्या, जैस आप चाहे... यह लो..." कही कर पहले मैंने अपना साड़ी उतार दी। अब मैं पेटीकोट और ब्लाउज में हूँ। में उन्हें लुभाने केलिए ब्लाउज के हुक्स बहुत ही धीमे से खोलने लगी। एक हुक खोलती और भैय्या को देखकर मुस्कुराती और फिर दूसरा... मैं अपना ओन (own) टाइम ले रही थी। मेरी ऐसी देरी से भैय्या उत्तेजित हो गये और मेरी पेटीकोट का नाडा खींचे। पेटीकोट मेरे टकनो पर गिरी। जंघोंके बीच मेरी उभार दार बुर पैंटी में खैद है..."

"इस्स्स्सस्स्स्स..." भैय्या के मुहं से एक निराशा जनक आअह्ह निकली।

"क्या हुआ भैय्या?" में एक छिनाल की तरह आंख मारते पूछी।

"पूजा क्या तुम रातमे भी इनर्स पहनती हो..?" बिचारे भैय्या को क्या मालूम मैं उन्हें रिझाने के लिये ही इनर्स पहनी हूँ।

भैया के प्रश्न पर मैं सिर्फ हँसके रहगयी और अपने ब्लाउज के हुक खोलने लगी। जैसे ही मेरे सारे हुक्स खुले और मैं अपना ब्रा भी निकल दी भैय्या मुझपर भूखे शेर की तरह टूट पड़े। मुझे बिस्तरपर लिटाकर "आआह्ह्ह्ह... पूजा क्या मस्ती भरिहैं तुम्हरे चूचियां..." कहते एक निपप्ल को पिंच करते दूसरे को मुहं में लेकर चूसने लगे। जैसे ही चूसने लगे मेरा दूध की धार उनके मुहं को भर ने लगी। सारा दूध निंगलकर "ववाह.. पूजा.. कितना मीठा है तुमहरे दूध..." कहे और फिर मेरी चूची को मुहं में भरलिये।

"पीलो भैय्या... जितना चाहे पिलो.. तुम्हारे बहन का दूध... मेरे बच्चोंके लिए पर्याप्त मात्रा में मेरे दूध निकलते है..." में कही और उनके महँ को मेरे दुद्दुओं पर दबाने लगी।

भय्या मेरा दूध पीते एक हाथ बढाकर मेरी पैंटी निचे खींचने लगे। मैं अपनी नितम्ब उठाकर पैंटी निकलने में मदद करी। अब हम दोनो भाई बहन एक दूसरे के सामने नवजात शिशु की तरह नंगे थे। भैय्या मेरे दुद्दू चुभलाते मेरे रिस रहे बुरमे अपनी ऊँगली डालने लगे। मैं भी भैय्याका लंड को एंट रही थी। मुझे भैय्या का मुहंमे लेने का मन कर रहा था।

"भैय्या" में उन्हें बुलाई।

"हाँ..पूजा..."

"69 चलेगा क्या...?"

"हाँ..हाँ...पूजा क्यों नहीं..." कहे और मेरे ऊपर उल्टा आगये। अब उनकी जांघों में मेरा सिर है तो मेरी जंघों मे भैय्या का सिर।

मेरे जांघों में आते ही भैया.. मेरे उभर पर ताबड तोड़ चूमने लगे.. :"पूजा .. पूजा..ओह..." कहते बड़ बड़ा रहेथे।

मैं उनके औजार को मुहं में लेकर lolly pop की तरह चूसने लगी। सारे टोपे पर जीभ चला रही थी और टोपे पर स्थित नन्हे से छेद में जीभ घुसेड़ रही थी।

भैय्या का खुरदरा जीभ मेरे बुर के फांकों पर जादू कर रही थी। अपने दो उँगलियों से मेरे फांकों को चौड़ा कर अपना जीभ अंदर डालने लगे। भैया के हरकतों से मैं हवा में उड़ने लगी। लंड को चूसते चूसते कभी कभी उनके बॉल्सको भी चूस रही थी। में जब भी बॉल्स को चूसी... "sssssssssmmmmaa" कहते सिसकने लगे।

चूसते चूसते मेरी दृष्टि भैय्या के बलिष्ट नितम्बो के बीच गयी। वहां से एक अलग ही मदभरी गंध आ रही थी। मैं मेरी नाक वहां फंसा कर वहां सूंघने लगी। ऐसा करते समय मुझे कुछ नटकट करनेका मन करी। मैं उनके गांड पर ढेर सारा थूक चिपड़कर मेरी तर्जनी ऊँगली से वहां दबा रही थी। दो या तीन मिनिट होते ही भैय्या के गांड के मांस पेशियाँ relax करने लगे तो मैंने मेरी ऊँगली गांड अंदर पेलदी।

"हे पूजा यह क्या कर रही हो...." भैय्या पूछे।

"क्यों भैय्या अच्छा नहीं लगा...?"

"गुद गुदी हो रही है..."

"अच्छा.. जब तुम हम लोगों के साथ ऐसा करते हो तो हमें भी ऐसे ही लगती है..." कही और मेरा पूरा ऊँगली अंदर डालकर खुरेदने लगी। ऐसा हमारा खेल कोई पांच या छह मिनिट चला होगा की हम दोनों लगभग एक ही समय में झड़ गए। भैय्या का वीर्य मेरे मुहं मे भरने लगी और मेरे लस लसा भैया चाट चाटकर अपने गले के नीचे उतारने लगे। फिर हम दोनों थक कर अगल बगल लेट गए।

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पंद्रह मिनिट बाद जब मेरी आंख खुली तो भैया को मेरे साइड में निस्तेज पड़ा पाया। बड़ा प्यारा लग रहे थे भैय्या। में उनकी जांघों में देखि। उनका मस्ताना भी उनके जैसे ही सुस्त पड़ी है। में आगे झुक कर एकबार उस मस्ताने को चूमि फिर भैया के ललाट को किस करि। मेरे चूमने से भैय्या आंखे कोले और मुझे अपने गिरिफ्त में लेकर झंझोड़ने लगे।

"ओह भैय्या आअह इतनी जोरसे नाहिं....न...मम्मा..." में उनके गिरिफ्त में चट पटायी।

"पूजा अब सहा नहीं जाता.... चलो शुरू होते हैं.." मुझे मसलते बोले।

"हहहहहहाआ..भैय्या..में कब मना कर रही हूँ.. तुम्हरे वस्ताद को दंगल के लिए तैयार तो होने दो..."

"वो तो तैयार है पूजा..."

"क्या....?" में आश्चर्य से उनके जांघों में देखितो धंग रह गयी क्यों की उनका यार तो पूरा कड़क होकर सच में ही दंगल के लिए तैयार था।

में चित लेट कर अपनी टाँगे पैलाई और खुद अपने हाथोंसे मेरी बुरकी फांके खोलकर "अब आजाओ भैय्या मेरी मुनिया भी दंगल के लिए तैयार है..." बोली"

भैय्या मेरे जांघों में आये और अपना हलब्बी सुपाड़ा मेरी फांकों पर रगड़ने लगे..."

मेरा सारा शरीर उस सुपाड़ी की टच से झनझना उठ। मैं बेसब्री से भैय्या की एंट्री की वेट कर रही थी। चूत के अंदर कहीं बड़ी जोर से खुजली होने लगी।

"आआह्ह्ह्ह...ससससस... भैय्या अब आजाओ सहा नहीं जाता..."मैं अपनी कमर उछलते बोली।

मेरी फांकों के सेंटर पर अपना मस्ताने को रखकर भैय्या एक जोर का शॉट मारे।

"आआह्ह्ह... मरी....रे.. बहनचोद .. जरा धीरे... आआअह्हह्ह्ह्ह ..." में दर्द से चिल्लायी। में यह भी भूल गयी की निचे की कमरे में मेरी माँ सो रही है...

"शशशशशशश... पूजा.. ऐसे क्यों चिल्ला रही हो.. जैसे पहली बार चुद रही हो..."

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