गंगाराम और स्नेहा Ch. 11

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गंगाराम कैसे स्नेहा की 19 वर्षीय बहन पूजा को पटाकर चोदने की
3.8k words
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Part 11 of the 12 part series

Updated 11/29/2023
Created 06/03/2022
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गंगाराम और स्नेहा - 11

(गंगाराम - पूजा 1)

स्वीटसुधा 26

Story infn

गंगाराम कैसे स्नेहा की 19 वर्षीय बहन पूजा को पटाकर चोदने की कहानी

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गंगाराम अपने किसी कामसे कारमें कहीं जा रहाथा। रास्ते मे बस स्टॉप पर उसे स्नेहा की छोटी बहन पूजा दिखी। बस स्टॉप पर वह बसकि इन्तजार कर रही थी। उसके कंधेपर कॉलेज बैग है। गंगाराम दूरसे ही उसे देखलिया और सीधा बस स्टॉप पर अपनी कार रोकी और बाहर देखते "पूजा" उसे बुलाया। उसे बुलाने की आवाज सुनकर पूजाने कारकी ओर देखि। उसे हाथ हिलाते गंगाराम दिखा। वह उस ओर चल पड़ी।

"हेलो पूजा कैसी हो, पहचाना...?" पुछा।

पूजा गंगाराम को कैसे भूल सकती; वह तो उसे अपने (गंगाराम) बर्थडे पर एक कॉस्टली सलवार सूट दिया था। इसके अलावा वह वहां गंगाराम के घर बहुत से मस्ती भी कर चुकी थी।

"हाय अंकल कैसे हैं...?" वह उत्साहित होकर पूछी।

"पहचाना...?" गंगाराम फिरसे पुछा।

"हाँ अंकल... आप कोई भूलने वाले इंसान है क्या...?" वह मुस्कुराती चहकती बोली।

"कहाँ; कॉलेज जा रही हो क्या...?"

"हाँ अंकल..."

"कौनसा कॉलेज...?" फिरसे पुछा।

पूजा बोली।

"चलो कार में बैठो.. मैं जिधर जा रहा हूँ उधर ही यह कॉलेज..."

"परवाह नहीं अंकल मैं बस में चालि जावूँगी। खामखां आपको तकलीफ..."

"अरे इसमें तकलीफ कैसा.. मैं थोड़े ही तुम्हारा बोझ उठा रहा हूँ... बैठो बैठो ..." गंगाराम सामने पैसेंजर सीट वाला डोर खोलते बोला और जोर का ठहाका लगाया जैसे वह कोई जोक बोला हो...

पूजा डोर खोलकर सामनेवाले पैसेंजर सीट पर बैठी। गंगाराम गाड़ी आगे बढ़ाया।

"तुम्हारा इंटर होगया है न..."

"हाँ अंकल..."

"अब क्या कर रही हो...?"

"B.Sc फर्स्ट ईयर में हुं अंकल..." पूजा बोली।

पूजा, स्नेहा की छोटी बहन है और यह अब 19 की है और B.Sc फर्स्ट ईयर में है। उस समय वह एक सलवार सूट जिसकी वजह से वह बहुत ही आकर्षक दिखरही है। वह पीले रंग की सलवार पहनी है और लेमन ग्रीन रंग की कमीज। उसके 'B' कप साइज के चूची टॉप से बाहर छलकने को उतावले दिख रहे ही। सलवार में भी उसकी सुडैल जांघों की और उसकी गोल गद्देदार चूतड़ की कटाव दिख रहि है। उसके होंठों पर एक हल्कीसी मुस्कान तैर रही थी।

गंगाराम की नजर बहुत दिनों से उस पर थी। वह एक रियल्टर (Realtor) है। वह एक 56 वर्ष का हट्टा कट्टा मर्द है और बहुत ही अय्याश आदमी है। वह दरिया दिलवाला तो है ही साथ में बहुत चालाक भी है। एक बार जब उसे दांत में तकलीफ थी तो वह डेंटिस्ट के पास गया और वहां उसने 21 वर्ष की, दुबली पतली; बड़े साइज के निम्बू जैसे चूची वाली स्नेहा दिखी। बाद में उसने स्नेहा से दोस्ती बढाई और मौका देखकर उसकी अनचुदी बुर में अपना 9 1/2 इन्च लंड दाग दिया। साथ ही साथ वह स्नेहा की सहेली सरोज 22 को भी चोद चूका है। उसी समय उसकी नजर स्नेहा की 45 वर्ष की गधराई माँ और 18 छोटी बहन पूजा पर पड़ी। बाद में उसने तिकडम करके स्नेहा की माँ की खूब चुदी चूत को भी जीभर कर पेला। अब उसकी नजर पूजा पर है।

गंगाराम गाड़ी को आगे चलाकर उसने गाड़ी को एक मेडिकल स्टोर के आगे रोका। "एक मिनिट, कुछ दवाएं लेनी हैं, अभी आया.." कहा और गाडीसे उतरगया। पांच मिनिट बाद वह आया और दवाएं देश बोर्ड में रखा और पूजा को दो डायरी मिल्क चॉकलेट थमाया...

"अरे यह सब क्यों अंकल..." वह चॉकलेट लेने को हीच खिचाते बोली।

"अरे रखलो.. बहुत दिन के बाद दिख रही हो.. वैसे भी सुना है लड़कियों को चॉकलेट बहुत पसंद है.. वैसे मुझे भी चॉक्लेट बहुत पसंद है। वह डबल मीनिंग के साथ पूजा की जांघों में झांक बोला। पूजा मतलब समझ नहीं स्की। वह सिर्फ मुस्कुराकर चॉक्लेट लेली।

पूजा हलके से मुस्कुराई और चॉकलेट अपने हाथमे पकड़कर बैठी है। उसे चॉकलेट की बहुत चाहत है। खासकर डेरी मिल्क। लेकिन वह 10 रूपये वाली डेरी मिल्क भी खरीद नहीं सकती। उसे पैसेकी कीमत मालूम है। उसे मालूम है की घर का खर्च बड़ी बहन स्नेहा की कमाई और मम्मी की सिलाई के पैसे से चलती है। इसीलिए वह कभी अपने पास पैसे होनेपर भी चॉकलेट नहीं खरीदती। डेरीमिल्क तो क्या वह पांच रूपये वाली फाइव स्टार भी नहीं खरीदती और दो रपये वाली eclair से काम चलाती है। अब गंगाराम ने उसे 100 रूपये वाली डेरी मिल्क चॉकलेट दिया है.. वह भी दो दो।

जब पूजा यह सब सोचरही है तो गंगाराम उसे परख रहा था। उसका बदन भरा भरा है। गोरी चिकनी चमड़े वाली लड़की है। उसके B साइज के चूची उसके हर सांस के साथ नियमित तरीके से ऊपर नीचे हो रहे थे। वह सलीके के सलवार सूट पहनी है। उसके हर अंग से मदकता छलक रहि है। खासकर उसके मादक चूची पर गंगाराम की नजर ठिकी रही। 'क्या मस्त है ...' वह सोचा। उसने अपने नजर निचे घुमाया। पूजा के सफाचट पेट, उसके निचे पतली कमर,सुडैल जाँघे... एह सब देख कर उसका मन मचल गया।

'यह तो स्नेहा से भी मस्त है, कैसे लगेगी उसमे अपना घुसाने में, लगती अभी कुंवारी है.. इसकी सील अभी नहीं टूटी'' वह सोच रहा था।

"क्लासेस शरू होगये हैं क्या...?" वह पूछा

"जी अंकल.."

"पढ़ाईमे ध्यान दे रही हो...?"

"यस अंकल...?"

उसके बाद दोनों में कोई बातचीत नहींहुई। गंगाराम खमोशि से कार चलता रहा। पूजाको उसके कॉलेज के छोड़कर 'बाई' कहा और कार आगे लेगाया। उसके बाद तीन और दिन वह पूजा से मिला और उसे कॉलेज के पास ड्राप करा। इधर उधर की बातचीत में पूजा की जिझक कम हुयी और अब वह खुलकर बात कर रही थी।

चौथे दिन गंगाराम पूजा को कॉलेज के पास ड्राप करते समय उसका बैग लिया और उसमे कुछ रखा फिर बैग पूजा को देदिया।

"क्या है अंकल यह..." कहति वह बैग में हाथ डालकर और पैसे बहार निकली और बोली... "यह क्या अंकल.. यह पैसे किसलिए...?" पूछी। उसने देखा कि वह 500 रूपयेके चार नोट थे।

"इतने रूपये..क्यों अंकल...?" वह चकित थी।

"अरे रखलो पूजा...."

"नहीं अंकल.. यह सब अच्छा नहीं है.. वैसे भी पैसे की जरूरत नहीं हैं..." वह रूपये लौटती बोली।

पैसे तो हर किसीको जरूरत होती है.. रखलो.. तुम स्नेहाकि छोटी बहन हो.. कालेज जाती हो.. अपना खर्च होता ही है.."

"नहीं..."

"देखो मैं तुमसे बडा हुं और तुम्हारा अंकल भी हूँ.. अच्चे बच्चे बड़ों का कहा मानते है... चलो रखलो बैग में.." गंगाराम उसे प्यार से डांटा। पूजा पैसे बैग में रख ली। तीन दिन उसे ड्राप कारनेका बाद एक दिन फिर से उसे चॉकलेट दिलाया और फिरसे 500 रूपये दिया। पूजा ना, ना कहि लेकिन गंगाराम उसे जबरदस्ती प्यारसे डांटते चुप कराया।

उस दिन उसे कलेज के पास छोड़ने के बाद वह पूजको एक हफ़्ते तक दिखा नहीं।

समय होने पर गंगाराम का कार न देख कर पूजा बेचैन होती थी। 'क्या होगया अंकल को नहीं आये..' वह सोचने लगी। उस हपता पूरा गंगाराम पूजा को दिखा नहीं ।

नेक्स्ट मंडे को गंगाराम फिर पूजा की बस स्टॉप पर आया। "ओह अंकल कहाँ चले गए..लास्ट वीक पूरा दिखे नहीं..."

"कुछ काम से शहर से बाहर जाना पड़ा पूजा.. क्या तुम मेरी राह देख रही थी।

"और नहीं तो क्या... मैं आपकी राह देखते, देखते बेचैन होती थी" वह बोली।

"बेचैन क्यों...?"

पूजको क्या जवाब देना समझ में नहीं आया...

"फिर कभी बाहर जारहे हैं तो बताया करो अंकल...बैसे इस ओर और कितने दिन आएंगे..?" वह पूछी।

"एक डेढ़ महीना तो आऊंगा ही... इधर हमारा एक कन्स्ट्रक्शन प्रोजेक्ट चल रहा है। उसका सुपरवाइजरी जो करनी है; वह कहा।

उसके बाद कोई एक हप्ते तक गंगाराम स्नेहा से मिलता रहा और उसे कुछ न कुछ देता रहा जैसे, चॉकलेट, या ऐसीहि कुछ और। इस बीच पूजा भी गंगारामसे खूब गुलमिल गयी। दोनों के बीच बहुत सारे बातें और हंसी मजाक भी चलने लगा। पूजा अपने कॉलेज की बातें तो गंगाराम अपनी व्यवसाय के बारे में बता था।

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एक दिन स्नेहा गंगारामको मिलने आयी। जैसे की हर बार होता है गंगारामसे अपने गोद में बिठलिया और उसके अंगों से खेलने लगा। स्नेहा भी कुछ कम नहीं थी। वह गंगारामकी जंघोंमे हाथ डालकर उसके उभर रहे औजार को सहला रही थी। जब की गंगाराम स्नेहा कि होंठों को चूमता उसके छोटे, छोटे चूचियों से खिलवाड़ कर रहा था।

"अंकल...लगता है आपका रोज रोज कुछ बढ़ा हो रहा है..." स्नेहा उसके लंड को मुट्टीमे जकड़ती बोली।

"और मुझे लगता है कि रोज रोज तुम्हारे में निखार आरही है..." गंगाराम उसे सामने ठहराकर उसकी कमीज उतारते बोला। स्नेहा अपने हाथ उठाकर कमीज उतरवा ली। कमर के ऊपर अबवह सिर्फ ब्रा में कड़ी थी।

"आह.. कितना सुन्दर है तुम्हारा बदन... और क्या खुशबू आरही है..." गंगाराम कहा और उसकी ब्रा को ऊपर उठाकर एक चूचि को मुहं में भरकर चूसने लगा।

"ससस...ससससस...ससस...आह्हः" वह एक मीठी सिसकारी ली।

"क्या हुआ डियर..." गंगाराम पुछा।

"अंकल आप कहीं जादूगर हो क्या... मैं जब भी आप के यहाँ अती हूँ आप मेरेपर कुछ जादू करते हैं..." वह उस से लिपटती बोली।

"ऐसी कोई बात नहीं है स्नेहा... यह सब तुम्हारा स्नेह के सिवाय कुछ नहीं.." कहा और फिर बोला " स्नेहा कमरेमे चले क्या...?" पुछा।

"क्यों तड़प रहे हो क्या...?" अपने निचले होंठ को दाँतों से दबाते पूछी।

"साली जदूगरनि.. जादू तो तू करती है मुझपर... और मुझे कहती है जादूगर.." अबकी बार वह उसके पेट को चाटता बोला। गंगाराम की जीभ उसके पेट पर गुद गुदी करने लगी। कुछ ही देर में उसकी जीभ स्नेहा की नाभि में घुसकर वहां खुरेदने लगी।

"अम्मा...आअह्ह्ह.." स्नेहा की मुहं से एक मीठी सिसकी निकली।

गंगाराम और निचे आया और उसकि सालवार के साथ साथ उसकी पैंटी भी खींच दिया। उसे अपने बाँहोंमें लिया और बैडरूम की ओर चला। उसे बिस्तर पर चित लिटाया और उसके ऊपर आया। स्नेहा उसके लिये अपने टाँगें खोल रखी। गंगाराम उसके बीच आया और अपना हलब्बी लावड़ा हाथ में लिए पुछा "स्नेहा... तय्यार..."

"यस अंकल.... अब जल्दी डालदीजिया.. बहुत खुजली हो रही है..."

"अच्छा.. किधर...?" वह लवड़ा उसकी बुर के फांकों के बीच रख पुछा।

"ओफ्फो.. अंकल जल्दी करिये.. मेरि चूत में आग लगी है.." कही और गंगाराम के लंड को मुट्ठी में पकड़ उसे बुर की छेद पर रख कमर उछाली। गंगाराम भि निचे को दबाव दिया।

"आअह्ह्ह..." कही स्नेहा। सूपाड़ा अंदर जा चूका था।

"अंदर डालो अंकल.." कहती वह अपनी गांड उछालने लगी।

स्नेहा तू बहुत चुड़क्कड़ बनगई.." एक शॉट देता बोला।

"हाँ अंकल... मेरा चदू अंकल ने मुझे चोद चोद कर चुदक्क्ड़ बनाया.. अब इसमें मेरा क्या दोष..."

गंगाराम उसके ऊपर झुका और उसकी चूची को चूसता चोदने लगा।

आअह्ह्ह.. और अंदर डालिये अंकल.. अंदर तक चोट पड रही है... यह चुदायी भी क्या खेल है जितना खेलो और खेलने को दिल कहता है..." कहती वह कमऱ उछाल रही थी।

"हाँ यह बात तो सच है..."

फिर दोनों के बीच में खूब जमकर चुदाई हुई। उसके बाद वह अपने आप को साफ कर फिर सोफे पर बैठे। पहले की तरह ही स्नेहा फिरसे गंगाराम की गोद में बैठकर उसे चूमती अपनी चूची मिंजवा रही है।

"स्नेहा..." गंगाराम बुलाया।

"वूं..."कही और उसके ओर देखि।

"कभी तुम्हारी सहेली सरोज को ले आना प्लीज.."

"क्यों मेरेसे ऊबगए है हो क्या...?"

"नहीं मैं डार्लिंग.. बहुत दिन होगये... कुछ नयी चाहिए थी.. एक बार फिर थ्रीसम होजाये.."

"ठीक है.. अगले हप्ते ले आवूंगी वैसे मैं एक बात बोलना भूल गयी.. मैं आई ही इस वजह से...?"

"क्या है...?"

"कल आप हमारे घर आएंगे..."

"क्यों...?"

"मेरी छोटी बहन पूजा की जन्मदिन है.."

"अरे वाह... फिर तो तुम्हारे घर क्यों...? कहीं बाहर चलते है; जैसे रिसोर्ट...."

"नहीं अंकल.. हमारे ही घर..मुझे मालूम है हमारा घर छोटा है... बात यह है की पूजा अपने कुछ दोस्तों को भी बुलाना चाहती है..."

"ठीक है फिर कब आना होगा..?"

"सात बजे तक आजाईये"

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दूसरे दिन बहुत ही धूम धाम से पूजा की जन्मदिन मनाया गया। पूजा अपनी क्लास मेट्स को बुलाली थी। यहाँ ज्यादा आकर्षण का केंद्र गंगाराम बना। वह पूजाके लिए एक सोने की चैन के साथ ढेर सारी चॉकलेट और मिठाईयां ले आया था। केक कटा गया और गिफ्ट्स देने वाले गिफ्ट्स देने लगे। पूजा की दोस्त उन्हें तरह तरह के गिफ्ट्स दिए हैं।

पूजा का फ्रेंड जिसका नाम किशोर है और पूजा का senior है पूजा को एक गिफ्ट दिया और आगे झुक कर उसकी गाल को चूमा। चूमते चूमते उसने अपना एक हाथ पूजाके उन्नत वक्ष पर रखकर हल्कासा दबाव दिया। "Sssssshhhhhhh किशोर यह क्या कर रहे हो कोई देखलेगा..." पूजा फूस फुसाते बोली।

"अरे यार एन्जॉय दी फन कोई देखा तो नहीं न..."

"अगर कोई देखलेता तो..." वह लजाते बोली।

लेकिन उनेक यह हरकत गंगाराम के नजरों में गिरी और उसने उनके बातें भी सुनी। फिर गंगाराम अपना गिफ्ट दिया। उसने सोने कि चेन निकालकर पूजा की गले में डाला और कटा गया केक से एक टुकड़ा पूजा की मुहंमे दिया। सोने चैन दखकरतो सब हैरान रहगये। इतनी महँगि गिफ्ट कोई सोचा नहीं थे। फिर जन्मदिनका शोर शराबा शुरू हुआ। पूजा और गोपी के फ्रेंड्स; और स्नेहा की सहेली सरोज और उसका पति अशोक भी थे। तीनों बड़े भी, पूजाकी माँ, पिता, और गंगाराम भी बच्चोमे मिलगये। गंगाराम आते समय एक महँगी व्हिस्की ले आया था और जब बच्चे कूल ड्रिंस्क चॉकोलेट में मस्त थे तो यह चार लोग; गंगाराम, गौरी, उसका पति और सरोज का पति अशोक वही एक कोने में व्हिस्की की जायका लेने बैठ गए। एकबार तो गंगाराम स्नेहा और सरोज को भी आमंत्रित करने को सोचा लेकिन फिर कुछ सोचकर खामोश रहगया।

कुछ देर बाद पूजा और गोपी के फ्रेंड्स चलेगये तो घर वाले, गंगाराम और सरोज और सरोज के पति ही डिनर के लिए बैठे।

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दूसरे दिन कॉलेज में पूजा की जन्मदिनके चर्चे होरहे थे। सबने पूजाकी आयी गोल्ड चैन के बारेमें पूछ रहे थे और पूछ रहे थे की "वह कौन है.. इतने कॉस्टली गिफ्ट क्यों दिए है.." वगैरा... वगैरा ...

"वह मेरे मामा है, मम्मी के बड़े भाई" पूजा बोलने लगी.. "वह मेरे मम्मी के कजिन हैं और बहुत पैसे वाला भी.. उनका real estate का व्यापार है..वह हमें कुछ हेल्प करना चाहते है लेकिन मम्मी बहुत कुद्दार है तो नहीं मानती ईसीलिए ऐसे कॉस्टली गिफ्ट्स; गिफ्ट के नामपर देते रहते है... यह देखो मेरे इयर रिंग्स भी उन्होंने ही दिए.." पूजा अपनी कान की रिंग्स बताते बोली और बहुत गर्व फील करने लगी।

"यार पूजा.. तुम्हारे मामा तो बहुत हैंडसम है वैसे ऊनिकी ऐज (उम्र) क्या होगा...?" एक ने पूछी।

"मुझे पक्का नहीं मालूम, होंगे 55 ये 56 साल के..."

"wwaaaaavvv.... व्हाट ए बॉडी यार... 55 के तो दीखते हि नहीं..." एक बोली।

"काश वह मेरे बॉय फ्रेंड होते..." एक और लड़कीने एक लम्बी आअह्ह भरते बोली।

"चुप साली मुहंमें जो आये बोलदेति हो..." पूजा उसे डाटि ... "खबरदार जो उनकी तरफ आंख उठाकर देखि तो..."

सब लड़कियां खिल खिलाकर हँसते है और एक पूछती... "क्या.. वह तेरा बॉय फ्रेंड है क्या...? यार तू उसे बॉयफ्रेंड बनाना चाहती हो...?"

"चुप हरामजादियों.. वह मेरे मामा है..."

"तो क्या हुआ.. आज कल कुछ बड़े घर कि लड़कियाँ अपने डैडी को ही बॉयफ्रेंड बनाते है..."

"मैं बड़े घर की लड़की नहीं हूँ..."

"मामा तो बड़े घर के है न...बनालो बॉय फ्रेंड" और सब खिल खिलाकर हँसते है।

पूजा अपने टांग पटकते वहांसे चालि जाति है।

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"किशोर कल तुमने ऐसे क्यों किया है.. अगर कोई देखलेते तो...?" पूजा किशोर से पूछती है। शाम कॉलेज के बाद पूजा और किशोर एक नजदीकी बाग़ में एक बुश के पीछे बैठेथे तो पूजा पूछी।

किशोर पूजा का बॉय फ्रेंड है.. और वह पूजासे 2 साल सीनियर है। वह धनि बाप का बिगड़ा बेटा है, और लड़कियों का रसिया है। अपने हैंडसम के वजह से वह कितनी ही लड़कियो पटाकर चोद चूका है। अब उसकी नजर जवान, कमसिन और सुन्दर पूजा पर है। इन बातों से अंजान पूजा उसे चाहने लगी

"कोई देखे तो नहीं न..."

"फिर भी..."

"माय डियर लव.. वह कल की बात है छोड़ो उसे.. आज की बात करो..."

"क्या बात करनी है...?" पूजा पूछती है।

"मेरे समीप तो आओ बताता हूँ..."

"नहीं... तुम कुछ कुछ करते हो तो मुझे कुछ कुछ होता है...." कहती है फिर भी वह किशोर के समीप अति है...

किशोर उसे खींच कर अपन गोद में बिठाता है और उसके होंठों को अपनेमे लेता है।

पूजा उससे सहयोग करते उससे लिपटती है और उसके मुहंमें जीभ देतीहै... किशोर उसे चुभलाते उसकि एक घाटीले चूची को दबाता है..."

"सससस...किशोर आअह इतने जोरसे नहीं, इट पैन्स (it pains)" वह कहती है।

"पूजा होल्ड इट ..." किशोर उसके कान में बोलता है। पूजा अपने एक हाथ बढाकर उसके मर्दानगी को पैंटके उपरसे ही दबोचती है... और अबकी बार किशोर उसे चूमते उसकी निप्पल को पिंच करता है..

"सससस.. नहीं.. ऐसे पिंच मत करो मुझे खुजली सी होती है.." पूजा तड़पते बोलती है।

"कहाँ...?"

"चुप बेशर्म कहीं के.. तुम्हे मालूम है खुजली कहाँ होती है..."

"तो खुजली मिठालो न डियर.. एक बार उसे अंदर जाने दो..."

"किसे...?" उसके लंड को जोरसे भींचते पूछी।

"जिसे तुम जकड़ी हो... उसे..." किशोर इस बार दूसरी चूची को दबाता है...

"नथिंग डूइंग... शादी तक इसका ख्याल आने मत दो..." वह बोली.. और फिर उठकर खड़ी होगयी अपन कपडे झाड़कर... और बोली "गुड बाई... कल मिलेंगे" कही और चल पड़ी।

"साली.. हाथ से निकल गयी..." सोचा किशोर। उसे पूजा से शादी करने का कोई इरादा ही नहीं। बस वोहतो पूजाकी जवानी को और सुंदरता को लूटना चाहता है बस...

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दूसरे दिन गंगाराम पूजा से बस स्टैंड पर मिला। उसे देखते ही पूजा भाग के आयी और उसकी कार में चढ़ती बोली "गुडमॉर्निंग अंकल"

"गुडमॉर्निंग पूजा.. कैसे हो...?" पुछा।

"ठीक हूँ अंकल..."पूजा कही।

"बोलो पूजा और क्या हाल चाल है?"

"सब ठीक है अंकल लेकिन कल मेरे सहेलियों के बीच आपके बहुत से चर्चे हुए हैं।

"अच्छा.. ऐसा क्या चर्चे हए हैं, हम भी तो सुने.." वह पूजा का कंधेपर एक थपकी देता पुछा।

"यही..." पूजा बोलने लगी, "आप कौन है आपका हमारा क्या रिश्ता है.. और आपने मुझे इतने कीमती गिफ्ट; सोनेकी चैन क्यों दिए हैं .. वगैरा..."

"अच्छा... तो तुम क्या बोली..."

"यही की आप मेरे मामा हैं.. मम्मीके कजिन भैया है... हमेशा कुछ न कुछ गिफ्ट्स देते ही रहते हैं..बहुत अमीर है बस...।

"जब तुमने मुझे अपना मामा बनालिये है तो मामहि बुलाया करो.. क्यों अंकल बुलाती हो...?"

"आपको पसंद है मेरे मामा बुलाना..."

"I will be happy ..."

"ठीक है मामाजी..." पूजा बोली।

थैंक्यू स्वीटी.. तुम बहुत अच्छी लड़की हो..." गंगाराम बोला और साइड में झुक कर पूजाके गाल को चूमा.. चूमते उसने अपना टंग से हल्कासा टच किया। उस टच ने पूजा को पुलकित करदी।

"और क्या बातें हुयी.. बोलो तो सही..."

"मेरी एक सहेली कहरहि थी की आप बहुत स्मार्ट है.. तो दुसरी कह रहिथी की वह आपको अपना बॉयफ्रेंड बनाना चाहती है...."

गंगाराम ठहाका मारकर हंसा और बोला "बॉय फ्रेंड और इस बुड्ढे को....?"

"वह तो कहरहि थी की आपके स्मार्टनेस सामने फिल्मस्टार भी बेकार..." पूजा एक मनिट रुकी और पुछी "वैसे आपका ऐज क्या है अंकल...?"

"56 वर्ष का हूँ मैं ... और उस जन्मदिन पर तुम और तुम्हारे घर वाले भी आये थे भूल गयी..."

कुछ देर दोनों में चुप्पी रही।

फिर गंगाराम पुछा..."अच्छा..पूजा तुमने तुम्हारी जन्मदिन के बारेमे मुझे क्यों नहीं बोली...?"

"स्नेहा दीदी बोली न अंकल..."

"वह तो बोली.. लेकिन तूम स्वयं क्यों नहीं बोली...और तुम फिरसे अंकल कही...?"

पूजा कुछ बोलती नहीं है.. चुप रहती है।

"बोलो..." गंगाराम जोर दिया।

"वह क्या है न मामाजी.. आप हमेशा हमें इतने महंगी गिफ्ट्स देते हैं... हम आपको कुछ दे नहीं पाते.. इसीलिए.. I was feeling uneasy"

"अरे इसमें uneasy फील करने की क्या बात है.. अगर तुम चाहोतो कुछभी देसकते हो...तुमतो मेरे अपने हो..." कहा और पूजा के कांधोके गिर्द हाथ डालकर अपने समीप खींचा और एक चुम्मा देकर अपनापन जताया।

"थैंक्यू मामाजी..." पूजा कुछ लजाती बोली।

"थैंकयू क्यों...?"

"अपने मुझे अपना कहा है इसीलिए..."

"अच्छा.. सिर्फ थैंक्यू से काम नहीं चलेगा..."

"फिर....?"

"मामाको चुम्मा दो...और थैंक्यू बोलो"

पूजा झट गंगाराम की और झुककर उसके गाल को चूमती बोलती है "थैंक्यू मामाजी..."

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उस रात पूजा को नींद नहीं आरही थी। उस शाम पढाई करके, खानेके बाद वह बिस्तर पर जा गिरी। उसके मनमे गंगाराम के कहे बातें गुन्ज रहे थे। मामाजी ने ऐसा कयो कह की मैं चाहूँ तो कुछ भी देसकती हूँ... क्या है मेरे पास मामाजी को देनेके लिए... वह सोच रही थी। इतनेमे उसके सहेलियों बातें भी उसे याद आ रही थी। क्या कह रहेथे वह... कह रहेथे की तुम्हारा मामाजी बहुत स्मार्ट एंड हैंडसम है.. साली नंदा ने तो मामाजी को अपने बॉय फ्रेंड तक बनानेको सोच रही है... साली कहीं की..

उपरसे वह क्या बोल रहीथी.. मुझे सलाह दे रहीथी की मामाजी को मैं अपना बॉय फ्रेंड बनावू... क्या यह अच्छा रहेगा... आज सुबह मामाजी जब गालको चूमकर टंग को टच से उसका शरीर क्यों ऐसा पुलकित हुआ... क्या मेरा शरीर मामाके छुनेसे रेस्पोंड कर रही है... एक बात पूजको और याद आयी की वह कभी भी गंगाराम से हंसी मजाक करते बातें करती थी और जब कभी भी अंकल उन्हें छूते थे तो उसकी पैंटी गीली होकर चिप चिपासा हो जाती थी।

मैं उन्हें क्या देसकती हूँ.... कहीं मामा का उद्देश्य वही तो नहीं... शयद यही होगा... नहीं तो उनका यह बोलने का क्या मतलब की मैं चाहूँ तो कुछ भी देसकती हूँ... क्या मामाजी मुझे... उसकी सोच रुक गयी...

पूजा को मालूम है की उसकी दीदी उनसे चुद रही है.. एक दिन उसने अपनी माँ के बातें सुनी... माँ दीदी से कह रही थी... "बेटी स्नेहा.. कुछ जतन करना... में तुम्हे गलत नहीं कह रही हूँ... लेकिन संभलके... मुझे मालूम है तुम पर क्या बीत रही है... तुम जवान होगयी हो.. और मुझे मालूमहै की जवानी क्या होती है... तुम्हारे मन में भी जवानीके उमंग उभरते है.. यह बात मुझे मालूम है.... तुम्हारे पापा तुम्हारी शादी करेंगे मुझे उम्मीद नहीं... तुम्ही अपने पार्टनर को ढूंढ़लो... तबतक तुम अपने उमंगें पूरी करलो....लेकिन संभलके..कहीं गर्भ न ठहरजाये..."

माँ के यह बातें सुनकर पूजा को मालूम पड़ा की स्नेहा दीदी गंगाराम से चुद रही है.. माँ भी कितनी ब्रॉड माइंडेड (Broad minded) है.. मेरी अच्छी मम्मी... अब मैं भी जवन होगई हूँ.. 19 की हूँ.. मरे मनमें भी जवानी के उमंग उभर रहे है.. क्या मैं भी गंगाराम मामासे... पूजा सोच रही थी।

उसके कुछ सहेलियों के जिसके बॉय फ्रेंड्स है वह उन्हें उनके साथ हुई घटनावो को उसे सुनाते थे। कहते थे की चुदाई में खूब मजा आता है.. अपनी चूतमे लंड पेलवाने में या लंड को चूसने और मुट्टीमे बांधने का मजा ही कुछ और है..

एह सब सोचते सोचते उसे नींद कब लग गयी उसे पता ही नहीं चला।

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एक हप्ते तक पूजा और गंगाराम मिलते रहे। यानि की गंगाराम उसे कॉलेज छोड़ने जाता था। इधर पूजा अधेड़बून में थी की क्या करे। आजकल उसके चूचियों में न सहने वाली ठीस उठरहि है। उसकी अनचुदी बुर में उसे महसूस होने लगी की अंदर कई कीड़े रेंग रहे है... उसे समझ में नहीं आ रहा था की इस खुजली कैसे मिठाये। एक बार यह बात उसने अपने एक सहेली से कही तो वह कही की "पूजा अब तेरा बुर चुदने को लालियत है... उस खुजली को मिठाने का एक ही तरीका है... और वह है किसी तगड़े लंड को तुम्हारी बुर की मिलाप करदो .. फिर देखो तुम्हारी खुजली कैसे गायब होजाती है .."

आजकल उससे रातों में नींद नहीं आरही है। घंटों वह अपनी बुर पर हाथ फेरती और स्तन को दबाते ख्यालों में खो जाती है। अब उससे सहन नहीं होरहा है.. वैसे उसके कॉलेज में किशोर के अलावा कई लड़के उसके पीछे पड़े है... लेकिन वह किसी को अपना कुंवारापन सौंपना नहीं चाहती। वह बहुत बेचैन रहने लगी।

तो दोस्तों कैसी रही यहाँ तक की कहानी। मुहं बोली मामा भांजी में क्या गुल खिली, और कैसे मामा ने इस जवान भांजी का सील खोली यह क़िस्सा आप मेरे आनेवाली अगली कड़ी में पढ़िए। तबतक के लिए मैं आप सभी पाठकों मेरा अलविदा खूबूल करिये। फिर जल्दी ही पुनर्मिलन होगा।

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