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VOLUME II-विवाह और शुद्धिकरन
CHAPTER-5
मधुमास (हनीमून)
PART 46
रानीयो के अभयारण्य में कामक्रीड़ा की शुरुआत
जब वह झड़ रही थी तो वह रानी बोली नीतिका अपनी गांड आगे पीछे करो । फिर रानी अपने सिंघासन पर लौट गयी । नीतिका अपने गांड हिला कर लंड पर आगे पीछे करने लगी और जोर से कांपने लगी । लंड अभी भी पूरा नहीं जा रहा था। जल्द ही नितिका निढाल हो कर नीचे गिर गयी । मैंने रानी की और देख रहा था और मेरा लंड तना हुआ सलामी दे रहा था ।
अब उस रानी के साथ खड़ी एक लड़की आयी और मेज पर चढ़ गयी । नीचे बैठी और मेरे लंड को हाथ में पकड़ उसे सहलाने लगी । लंड बहुत मोटा और लम्बा हो गया था और उसके हाथ में नहीं आ रहा था । मैंने उस लड़की जिसका नाम रूपिका था, की कमर में हाथ डाल कर उसे खड़ी किया और उसे खुद से चिपका लिया। मैंने उसकी गर्दन घुमा मैंने अपने होंठ रूपिका के होंठ पर रख दिए और रूपिका के होंठों का रस पीने लगा।
उसके रस भरे ओंठ चूसे हम दोनों एक दूसरे के होंठ को बुरी तरह से चूम रहे थे। मैंने अपने होंठ से रूपीका के ऊपर वाले होंठ को बुरी तरह पकड़ लिया और खींचते हुए चूसने लगा और मैंने अपनी एक उंगली रूपिका के मुंह डाली और उसे चुसाने लगा। मेरी उंगली उसकी लार से गीली हो गई. मैंने अपनी उंगली उसके मुंह से निकाली और गर्दन पर बिखरे बालों को एक तरफ करके उसके नर्म, गुदाज और कोमल गर्दन की त्वचा पर अपनी उंगली घुमाने लगा। जब मेरी उंगली की नमी उसके बदन की तपिश से खत्म हो जाती तो मैं उसकी गर्दन को चाट कर फिर से गीला कर देता और फिर से उंगलियाँ घुमाने लगता।
रूपीका जब भी जोर लगाते हुए अपनी कमर को पीछे की तरफ झुकाती तो मैं उसके चूतड़ों से अपनी जांघें सटा देता। थोड़ी देर बाद मैंने अपने एक हाथ को उसके गले और सीने के उभारों के आस पास घुमाने लगा। रूपिका के बदन की बढ़ती गर्मी के साथ अब उसके बदन पर पसीना आने लगा था। उसके सीने पर उभरी कई सारी पसीने की बूँदें को मैंने अपनी हथेलियों पर एकत्र किया और उसकी दूधों पर मल दिया।
तभी मेरे सामने खड़ी दोनों लड़किया आपस में चिपक गयी, अब मेरी आँखों के सामने भी दो एक से बढ़ कर एक खूबसूरत, लड़कियों के जवान और उन्नत नंगे जिस्म थे। उनमे से एक का नाम मिताली और दूसरी का नाम चित्रा था । चित्रा का जिस्म मिताली से थोड़ा ज्यादा गदराया और मिताली का जिस्म छरहरा था। इस पर चित्रा की अदायें उसे और भी कातिल बना रही थी। मिताली ने चित्रा को अपने गले से लगा लिया। दोनों कुछ देर तो गले लगी रही । फिर मिताली चित्रा के बदन को हल्के हाथों से सहला और दबा रही थी। दो खूबसूरत किशोरिया शरीर आनंद के लिए कुश्ती लड़ रही थी। उस कक्ष में रौशनी ऐसी थी की मैं केवल उनकी गर्दन तक देख पा रहा था।
मैं उन्हें चूमते हुए और खिलखिलाते हुए सुन सकता था, उनकी योनियाँ एक-दूसरे से रगड़ रही थीं, इसलिए मैं अभी तक उनके प्रेम छिद्रों को नहीं देख सका लेकिन उनके हाथ और रग्स के आभास से स्पष्ट था की दोनों एक दुसरे के स्तनों और नितंबों पर बहुत अधिक दबाव डाल रही थी।
फिर मिताली ने धीरे से चित्रा की गर्दन को चाट लिया; पहले एक बार, फिर दूसरी बार, फिर तीसरी... और बाद में तो उसे जहाँ खुली जगह मिली वहाँ वह जीभ फिरती रही। अब मेरे, रूपिका और रानी के बीच में खड़ी इन दोनों लड़कियों के बीच फोरप्ले की शुरुआत हो गई थी बस ये देखना था कि ये फोरप्ले कितना कामुक हो सकता है।
इधर मेरे साथ चिपकी रूपिका का पूरा बदन और दोनों स्तन पसीने से तरबतर हो गये थे जिन पर मेरे हाथ इतनी आसानी से फिसल रहे थे जैसे उन पर तेल लगा हो। मैं उसकी दोनों चूचियाँ बारी-बारी दबाने लगा। हर बार जब मेरा हाथ उसकी चूचियों पर अपनी पकड़ मजबूत करता तो रूपिका के आअह्ह... उम्म्म जैसी सिसकियाँ निकल जाती और मैंने देखा मेरे साथ चुम्बन करते-करते रूपिका भी बीच-बीच में मिताली और चित्रा को देख रही थी और फिर जब हमारी नजरे मिलती तो वह मुस्कुरा देती थी और हम फिर से तन्मयता से चूमने लग जाते लेकिन अब मैं आँखे खोल मिताली और चित्रा को देखते हुए रुपिका को चूम रहा था ।
फिर सामने मिताली ने धीरे से चित्रा के एक गाल चूम लिया और दूसरे पर अपनी उँगलियाँ घुमाने लगी जैसे वह कुछ लिखने की कोशिश कर रही हो। मैं भी साथ-साथ रूपिका को चूमे जा रहा था और रूपिका भी आँखें खोलकर सब देख रही थी। हमारे सामने चित्रा की आँखें खुली थी और उसके होंठ बुरी तरह काम्प रहे थे। मिताली ने एक बार चित्रा के कांपते हुए होंठ पर अपनी उंगलियाँ फेरी तो उसकी उंगली पर चित्रा के होंठों की लाली के साथ उसकी लार के कुछ अंश आ गये; जिसे मिताली ने बड़ी अदा से अपने मुंह डाल लिया और चूसने लगी। फिर अपनी लार से गीली उंगली चित्रा के मुंह में घुसेड़ दी जिसे चित्रा ने एक बार अपनी जीभ से छू लिया।
अब रूपिका के बदन की गर्म की सीधे मेरे लंड पर असर कर रही थी, हर गुजरते पल के साथ मेरा लंड तन रहा था। मेरा आधा तना हुआ लंड उसकी चूत को आंसू बहाने पर मजबूर करने के लिया काफी था जब भी मैं उसकी पीठ पर झुकता तो मेरा लंड उसकी चूत को चूम कर लौट आता। हमे ऐसे कामुक हटे देख मेरे सामने की दो गर्म लड़कियाँ एक दूसरे के साथ रगड़ने और आलिंगन करने और सहलाने और रगड़ने से और अधिक कामुक हो रही थी ।
जैसे ही मिताली ने अपने होंठ उसके होंठ पर रखे थे वैसे ही चित्रा की आँखें बंद हो गई और उसकी सांसें रुक गई। मिताली ने उसके होंठ चूमने शुरू किये। मिताली जब चित्रा के होंठ चूम तो रही थी और उन पर पड़ रही रोशनी थोड़ी बढ़ गयी और अब चित्रा और मिताली के नग्न स्तन दख रहे थे, दोनों के स्तन गोल और सुंदर थे, मिताली ने चित्रा के हाथों को उठा कर अपने उरोजों पर रख लिया और अपने हाथों पर दबाव बनाते हुए उसके हाथ से अपने चुचे दबवाने लगी।
चित्रा भी आखिर कब तक शांत रहती... उसने मिताली का साथ देना शुरू किया। पहले चित्रा ने मिताली के होंठ को एक बार चूमा फिर धीरे से अपने मुंह को खोलकर अपने मुंह में मिताली की जीभ को प्रवेश की अनुमति दे दी। दोनों एक दूसरे को चूमने में व्यस्त थी। कभी चित्रा मिताली का ऊपर वाला होंठ पकड़ लेती तो मिताली उसका निचला होंठ अपने दांतों से दबा देती।
दोनों धीरे-धीरे गर्म होने लगी थी इसलिये दोनों को जहाँ जगह मिलती वहाँ एक दूसरे के अंगों को सहलाती और रगड़ती। नितिका ने म्यूजिक चला दिया और रूपिका मेरे साथ संगीत की धुन पर थिरकने लगी और मिताली चित्रा के साथ नाचने लगी। मेरे सामने दो सुंदर युवतियाँ एक दूसरे से लिपट कर नाच रही थी। वह दोनों अपने मोटे चूतड़ों को हिला हिला कर नाच रही थी। वे दोनों मेरी तरफ देख कर मुस्कुरा कर नाच रही थी, अपनी गांड को मटका रही थी। दोनों कभी एक दूसरे की कमर से कमर टकरा कर ठुमका लगती तो कभी एक दूसरे चूचियाँ चूमने लगती।
बीच बीच में चित्रा और मिताली मेरी तरफ देख रही थी, मुझे रूपिका के साथ आलिंगन कर उसके स्तनों के साथ खेलता हुआ देख और फिर एक दुसरे के बदन के साथ खेलने लगती। चित्रा की दोनों चूचियाँ को मिताली ने चूमा और फिर क्लीवेज को चाटते हुए नाभि की तरफ बढ़ने लगी। जैसे ही मिताली ने चित्रा की नाभि को चूमा, चित्रा ने मिताली के सर को अपनी नाभि में घुसा लिया और खुद अपनी कमर घुमाती हुई नाभि चटवाने का मजा लेने लगी। मिताली उसकी नाभि चाट रही थी अपनी एक उंगली उसकी चूत की लकीर में फिराने लगी। मिताली जितना उंगली सहलाती उतना ही चित्रा के मुंह से आअह्ह... आअह्ह... अह्ह की सिसकारी निकलती।
इस बीच मैंने रूपिका की एक चूची को मुँह में भर लिया और दूसरी को हाथों से मसलने लगा। अब मैं थोड़ा नीचे सरक कर उनकी नाभि को अपनी जीभ से सहला रहा था। फिर मैंने उनकी जान्घों पर चूमना और दाँतों से हलके-हलके काटना शूरू किया। रूपिका उम्म्ह... अहह... हय... याह... की आवाजें निकाल रही थी। अब मैं उनकी टांगों के बीच में आ गया और उनकी चूत के पास मुँह ले जा कर जीभ से उसे चाटने लगा।
जारी रहेगी