एक नौजवान के कारनामे 265

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2.5 .48 रानीयो के अभयारण्य में कामक्रीड़ा
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Part 265 of the 278 part series

Updated 04/23/2024
Created 04/20/2021
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पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे-265

VOLUME II-विवाह और शुद्धिकरन

CHAPTER-5

मधुमास (हनीमून)

PART 48

रानीयो के अभयारण्य में कामक्रीड़ा

फिर मिताली चित्रा के मम्मों पर हाथ फेरने लगी और चित्रा कंधे हिलाने लगी। कभी आगे, तो कभी पीछे करने लगी। दोनों अपने होंठों पर जीभ फेरने लगी। अपनी एक नंगी टांग बाहर निकाली और अपने बदन को लहराया, गांड को मटकाया। वाह क्या नज़ारा था, मेरा लंड बेकाबू होने लगा।

मैंने मिताली का हाथ पकड़ कर लंड पर रख दिया। वह धीरे-धीरे मेरे लंड को सहलाने लगी। तभी मेरे सामने चित्रा ने अपनी गांड लहराई और जीभ अपने होंठों पर फेर कर मुझे ललचाने लगी। फिर उसने धीरे-धीरे अपने टाँगे फैला कर अपनी चूत के दर्शन करवाए। फिर पलट कर अपने चूतड़ दिखाए और उनको मटकाया। चूतड़ों को आगे पीछे किया।

उफ्फफ्फ्फ़ क्या नज़ारा था, क्या लचीली गांड थी, एकदम चिकनी नरम मुलायम और गद्देदार, फिर वह घोड़ी बन अपनी गांड दिखाने लगी और अपने हाथ गांड पर फेरने लगी। कभी इस साइड से घूम कर, कभी उस साइड से घूम कर गांड दिखाने लगी। वह कभी आधी अपने स्तनों और कभी अपनी गांड पर हाथ फेरती और जीभ निकाल कर होंठों पर फेरने लगती।

मैं लगातार ललचा रहा था और मिताली के हाथ के ऊपर से अपने लंड को दबाने लगता था। वह अपने एक मम्मे को, एकदम गोल-गोल बड़े-बड़े मम्मे को, सहलाते हुए फिर दूसरे मम्मे को सहलाने लगी। उसने कानों में झुमका, मांग में टीका और नथ पहन रखी थी और गले में एक बड़ा-सा हार और कमर में कमरबनध पहन रखा था। सच में बड़ी मादक लग रही थी। मैंने मिताली की तरफ देखा, वह भी अपने मम्मों और चूत को हाथ से सहला रही थी। उसकी भी कामाग्नि भड़कने लगी थी। मेरा लंड भी पूरा उग्र था ।

मिताली अपने दूसरे हाथ से अपनी चूचियाँ खुद दबा रही थी, मैं चित्रा के पास गया और उनके ओंठ चूमने के बाद उसकी गर्दन और पीठ, स्तन नितम्ब सब चूम कर सहलाने लगा। फिर मैं चित्रा से अलग हुआ और उसकी चूत को निहारने लगा उसके टांगों के बीच में छोटी-सी कमसिन रस से भरी योनि जिसके दोनों तरफ थोड़े से फूले हुए होंठ बीच में बारीक से लकीर और अंदर से आता हुआ रस! मैंने अपनी नाक उसकी चूत के करीब कर दी और खुशबू को सूंघने लगा।

मैंने जीभ से उसकी चूत से टपकते रस को चाट लिया। चूत पर जीभ पड़ते ही चित्रा के बदन में झुरझुरी दौड़ गई। मैं अपने घुटनों पर झुका अपनी कमर और चित्रा की चूत को सीध में कर लिया। अब मैं चित्रा की टांगों के बीच में आ गया और लंड को उनकी चूत के ऊपर रगड़ने लगा।

तभी मिताली ने अचानक से अपने होंठों को मेरे होंठों की तरफ बढ़ाए और मेरे होंठों को किस करने लगीं। मैंने तुरंत मिताली को अपने पास खींच लिया और उससे किस में साथ देने लगा। मैंने चित्रा को अपनी ओर खींच लिया और हम तीनों एक साथ में किस करने लगे।

मैं अपनी जुबान बाहर निकाले हुए था और चित्रा व मिताली की ज़ुबानें एक साथ मेरी जीभ से टकराने लगी थीं। चुंबन के साथ-साथ धीरे धीरे मैं अपने हाथ मिताली और चित्रा के मम्मों पर ले गया और धीरे-धीरे से उनके चूचों को दबाना शुरू कर दिया।

मैं फिर चित्रा की चूचियों पर टूट पड़ा और उन्हें चूसने लगा! तभी मिताली ने भी चित्रा की दूसरी चूची को अपने मुँह में ले लिया।

चित्रा की एक तरफ मैं और दूसरी तरफ मिताली उसके स्तन चूस रहे थे ।

चित्रा की सिसकारियाँ निकलनी शुरू हो गईं 'आह धीरे करो आह रानी माँ! आह मैं मर गई।'

चित्रा मिताली की चूचियों को मसलने लगी।

मिताली-आआहह धीरे आहह...!

थोड़ी देर बाद दोनों मेरे लंड सहलाने लगी और मेरे लंड को देख कर लार टपकाने लगीं। मिताली ने मुझे नीचे लिटाया और मैं लंड हिलाते हुए बोला-जल्दी आओ और इसे चूसो ना!

मिताली जल्दी से आकर मेरे मुँह पर चूत लगा कर नीचे बैठ गईं और नीचे झुक कर लंड को मुँह में लेना शुरू कर दिया।

चित्रा मेरे लंड के पास बैठी और लंड और मेरे अंडकोष को किस करती हुई धीरे से नीचे बैठ गईं।

अब चित्रा ने भी मिताली के साथ मेरे लंड को चूसना शुरू कर दिया। अब दोनों मेरे लंड को एक साथ में चूसने लगीं।

मैं-आआह... आह...!

फिर कुछ देर लंड चुसवाने के बाद मैंने चित्रा को ज़मीन पर लिटा दिया और-और उसे पटक कर उसके ऊपर चढ़ गया। मैंने अपना लंड हाथ में पकड़ा और पीछे से चित्रा चूत के मुहाने पर रख दिया। मिताली ने अपनी गीली हो चली चूत के रस में अपनी उंगलिया भिगोई और लंड पर मल कर लंड की चिकना किया । चूत पर लंड का अहसास होते ही चित्रा साँसें रोककर आगे मिलने वाले सुख़ का अनुभव पाने के लिए खुद को तैयार करने लगी।

मिताली ने नीचे झुक कर चित्रा की चूत के होंठ दोनों हाथों के अंगूठे से खोल दिए और मैं धीरे से अपना लंड उसकी गीली चूत में उतारने लगा।

मैं लंड पर दबाव बनाता जा रहा था और लंड उसकी चूत में अंदर जाता जा रहा था। धीरे-धीरे मेरा आधा लंड उसकी चूत में समा गया तो चित्रा ने एक जोर की सांस ली जैसे वह कितनी देर से इस पल का इंतजार कर रही हो।

मैंने चित्रा की कमर को प्यार से थाम लिया और धीरे-धीरे लंड को आगे पीछे करने लगा।

मैं चित्रा को प्यार से चोद रहा था और उसके बदन को सहला रहा था।

मैं धीरे-धीरे अपना लंड डालने लगा। मुझे लगा की उस विशेष खुराक की वजह से मेरा लंड पहले से बहुत लम्बा और मोटा हो गया था ज इनकी योनियों में आसानी से पूरा नहीं समा रहा था।

मैंने एक जोर का धक्का लगाया और लंड अंदर डाल दिया। उसका मुँह खुल गया और आँख से पानी आ गया। मैंने धीरे-धीरे शॉट लगाने शुरू किए।

सामने से मिताली उसके मुँह पर बैठ अपनी चूत चुसवाने लगी और इधर मुझे किश करने लगी।

मिताली-आअहह आह... अब चित्रा की चूत मिताली के मुंह के ठीक नीचे थी। मिताली चित्रा की चूत चाटने लगी।

मैं चित्रा को तेजी से चोदने में लगा हुआ था चित्रा भी मेरे चुम्बन में मेरा साथ दे रही थी।

मिताली चित्रा की चूत में तेजी से अंदर बाहर होते मेरे लंड को बड़े ध्यान से देखने लगी।

फिर पता नहीं उसके दिमाग में ख्याल आया उसने बाहर आते जाते मेरे लंड को चाटना शुरू कर दिया।

चित्रा के योनिरस से सना हुआ लंड जब भी चूत से बाहर आता तो चित्रा उसे चाट लेती।

मिताली लगातार मेरे लंड और चित्रा की चुदती हुई चूत से खेल रही थी।

मिताली ने फिर सरकते हुए अपनी एक चूची मेरे मुँह में डाल दी और मैंने मिताली की चूची को अपने मुँह में दबा कर मिसमिसाते हुए चूसना चाटना और काटना शुरू कर दिया। फिर मिताली मेरे मुँह पर चूत लगा कर बैठ गयी और मैंने मिताली की चूत को अपने मुँह में दबा कर मिसमिसाते हुए चूसना चाटना काटना शुरू कर दिया, और जीभ से चुदाई शुरू कर दी और साथ साथ चित्रा की चुदाई भी जारी रखी।

मिताली-आआह... धीरे... आअहह।

इस तरह मैं लंड से चित्रा और अपनी जीभ से मिताली को चोद रहा था जिससे उम्म्म... आअह्ह... ओय्य्य... श्श्ह... स्स्स्स जैसी सिसकारियाँ मिताली और चित्रा दोनों के मुंह से निकल रही थी।

मिताली अपने हाथ से अपनी चूत को रगड़ते हुए अपनी चूत चटवाने में लगी हुई थी।

जब मैं चित्रा को चोदने में मग्न था तो मिताली की बदन गर्मी ज्यादा बढ़ गई।

लगभग 5 मिनट के बाद चित्रा झड़ गईं और मिताली भी जोर-जोर से आवाज़ करने लगीं।

'आआहह...!'

फिर मिताली धीरे से सरक कर निकली और चित्रा को एक कोने कर दिया।

मिताली चित्रा हट कर मेरे मुँह की तरफ आ गई...!

मिताली ने मुझे नीचे लिटा दिया और वह अब मेरे ऊपर बैठ कर मिताली ने मेरे लंड को अपनी मुट्ठी में खींचते हुए अपनी चूत से सटा दिया। मिताली ने अपनी चूचियाँ पकड़ कर मेरे क्लीन शेव चेहरे पर रगड़ना शुरू कर दिया। मेरा लण्ड ठीक मिताली की चूत के नीचे था, तभी मैंने मिताली की कमर पकड़ कर एक जोरदार धक्का माराl वह उछल पड़ीl तब तक मगर मेरा टोपा चूत में फंस चुका था।

मेरा लंड इस समय लोहे की सलाख जैसा सख्त और गर्म था और मिताली उस पर-पर बैठी हुई थी। मैंने जोर लगाया तो मिताली चिल्ला पड़ी। मैंने उसे खिलौने की तरह उठाया और खड़े हो कर एक और झटका दिया।

फिर मैं मिताली को गोद में ले कर बैठ गया और वह मेरे होंठ चूसने लगी, लगभग दो मिनट तक हम ऐसे ही बैठे रहे, दो मिनट बाद मिताली को थोड़ा आराम मिलाl तो मैं फिर बोला-मिताली अपनी चूत को ऊपर-नीचे करोl

मिताली क भंकर दर्द हो रहा था फिर भी वह रोते-रोते अपनी चूत को ऊपर-नीचे करने लगी, बीस-पच्चीस बार ऊपर-नीचे करने के बाद मुझे अच्छा लगने लगा। मैं मिताली को ही देख रहे था और बोला-जब दर्द ख़त्म हो जाए तो बताना।

मिताली बोली-अब दर्द हल्का हो गया है।

बस यह सुनते ही मैंने मिताली की कमर पकड़ कर उसे थोड़ा ऊपर उठाया और नीचे से जोर-जोर से धक्के लगाने लगा।

मिताली के बड़े-बड़े कोमल मम्मे किसी फुटबॉल की तरह उछाल मार रहे थे और मेरे, मुँह से टकरा कर मुँह की मालिश लकर रहे थे और उसकी चूत भी अब गीली हो गई थी।

फिर नीचे हो अपनी चूत में मेरा लंड लेने लगी। मेरा मोटा लंड अटक-अटक कर जा रहा था। मुझे अब ज्यादा ताकत लगा कर उसकी बुर में डालना पड़ रहा था। पूरे लंड को सुपारे से टट्टों तक को दबा-दबा कर चुदवा रही थी, चित्रा अपने हाथ से अपनी योनि को मींजे जा रही थी तथा मुँह से अजीब-अजीब आवाजें निकाले जा रही थी।

मैंने चित्रा को पकड़ लिया और उसके होंठों का चुम्बन लेने लगा। वह पहले ही इतनी गर्म हो चुकी थी कि ज्यादा कुछ करने की जरूरत नहीं पड़ी और वह भी मुझे जोर-जोर से चूमने लगी। उसने मुझे कस कर पकड़ लिया। काफ़ी देर तक मैं उसके होंठों को चूसता रहा, उसे भी अब इस सब में पूरा मजा आने लगा था।

मैं मिताली को उछाल-उछाल कर चोदने में लगा हुआ था।

मिताली भी हर बार अपनी कमर को उठा कर मेरे लंड का स्वागत कर रही थी।

मेरे लंड के हर वार से चित्रा और मिताली के मुंह से चीखें ही निकल रही थी।

मेरे हर धक्के से आअह्ह... स्स्स... आआईई... उम्म्म जैसी आवाज आ रही थी।

तभी चित्रा और मिताली जोर से कराहती हुई एक साथ झड़ गयी ।

जारी रहेगी

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