महारानी देवरानी 098

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सुहागरात सुहागदिन की सुबह
2.5k words
4.33
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Part 98 of the 99 part series

Updated 04/14/2024
Created 05/10/2023
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महारानी देवरानी

अपडेट 98

सुबह 8:30

सुहागरात से लेकर सुहागदिन

देवरानी: हे भगवान ये अब तक खड़ा है।

बलदेव:सब वैध जी के जड़ी बूटी का असर है।

"राजा जी अब स्नान कर लेते हैं मुझे भूख लग गई।"

"माँ जब तक कमला नाश्ता नहीं करती तुम मेरा लौड़ा खाती रहो।"

"हट बदमाश।"

बलदेव जल्दी से स्नान कर बाहर निकल जाता है देवरानी चैन का सांस लेती है या अपने अंग को रगड़ रगड़ कर नहाने लगती है।

देवरानी: ( मन मैं) उफ़ ये बलदेव भी ना मुझे एक पल के लिए भी नहीं छोड़ता है । मुझे रात भर छोड़ने के बाद भी इसका मन नहीं भरता है।

देवरानी मुस्कुरा रही थी और अपनी चूत को रगड़ रही थी फिर जैसे ही उसकी नज़र नीचे पाव रोटी की तरह फूली हुई अपनी चूत पर जाती है वह कररह उठती है ।

देवरानी: आअह्ह्ह! हे भगवान ये क्या। आज इसकी जबरदस्त रगड़ाई हुई है जिससे कितनी सज गई है और सुर्ख लाल हो गई है मेरी योनि।

"उफ़ मार मार के सुजा दी है आह हथोड़े जैसा लौड़ा भी तो है मेरे बेटे नहीं मेरे पति देव का। "

देवरानी के दिमाग में बलदेव का खड़ा लंड घूम रहा था, जिससे देवरानी की चूत में फिर से गीलापन आना शुरू हो जाता है।

"हाय कलमुही इतनी चुदाई के बाद भी कैसे आसु बह रही है चुदने के लिए ।"

देवरानी धीरे से बुदबाबाते हुए अपने ऊपर पानी डाल रही थी।

"कमला सही कहती थी मेरे बारे में, मैं हूं ही एक नम्बर की छिनाल, चुददकड । "

ये कह कर अपने आप बुरी तरह शर्मा जाती है । "

"हे भगवान मैं क्या सोच रही हूं आज तो मेरी मन्नत पूरी हुई है भगवान ने मेरा और बलदेव का मिलाप करवा दिया । और हम दोनों हर संकट से बच गए, मुझे उपवास रखने हैं फिर चारो धाम की यात्रा करनी है और गरीबों को दान देना है। "

ये सोच कर महारानी देवरानी गेहरी सोच में डूब जाती है।

"हे भगवान मुझे शक्ति दे के मैं ये सब पूरा कर सकूँ । "

तभी बलदेव की आवाज उसके कानों में गूंजती है।

"माँ आजाओ ऊ रानी माँ कहाँ रह गयी? "

आवाज सुन कर देवरानी नींद से जागती है, इस से पहले देवरानी कुछ जवाब देती। बलदेव फिर पुकारता है ।

बलदेव: देवरानी दो बार बुलाया मेरी बिलकुल सुनती नहीं हो तुम।

बलदेव थोड़ा चिढ़े हुए पलंग पर अपनी खड़े लंड को अपने हाथ से सहलाना छोड़ कर कहता है

देवरानी: आयी बेटा बस थोड़ी देर और मेरे राजा।

बलदेव: मुझे लगा कहीं सो तो नहीं गई मेरी रानी ।

देवरानी:आती हूँ जी।

बलदेव: ठीक है जल्दी आ जाओ!

बलदेव फ़िर से अपने लंड को हाथ में ले कर उसे सहलाता हुआ रात में अपनी माँ की चुदाई को याद कर के खुश हो रहा था।

बलदेव:(मन मैं) भगवान आज का दिन मेरे लिए बहुत महत्तव रखता है आज मेरा घर बस गया और मेरे सपनों की रानी मेरी मां, मेरी सूंदरी, आज से मेरी पत्नी है। । भगवान मुझे यकीन नहीं हो रहा पारस की रानी और घटराष्ट्र की महारानी देवरानी मेरी सगी माँ रात भर मुझसे इसी बिस्तर पर चुदी है। । अब तो बस मुझे माँ को खुश रखना है और माँ को गर्भवती कर अपने नन्हे मुन्ने बच्चों को देखना है। उसे बहुत प्यार करना है ।

तभी ठक की आवाज के साथ स्नान घर का दरवाजा खुलता है । जिसके बाद स्नान घर से देवरानी बाहर निकलती है।

देवरानी एक ओढ़नी को अपनी ऊपर बांधी हुई थी।

झीनी सी ओढ़नी में उसके भारी गोर और गीले बदन को साफ साफ देखा जा सकता था, भारी मम्मे चलते हुए कूद रहे थे, नीचे से ओढ़नी छोटी होने के करण देवरानी का मखमली पेट या चूत के बाल भी दिख रहे थे।

देवरानी: क्या हुआ जी। क्यों पुकार रहे थे ।

बलदेव हडबढ़ाते हुए कहता है ।

बलदेवःकु कुछ नहीं।

देवरानी बलदेव का हाल समझते हुए मुस्कुराती है फिर उसके पास आने लगती है।

देवरानी: तो क्यू बुला रहे थे । थोड़े तो धैर्य रखो महाराज।

और एक कातिल मुस्कान देती है।

बलदेव उठ कर बैठ जाता है।

बलदेव:वो आपने नहाने में बहुत देर लगा दी मेरी रानी माँ ।

देवरानी अपनी भारी गांड को उठा कर वही पलंग पर गद्दे से चिपका देती है।

अपना सर झुका के कहती है ।

देवरानी: वो जी रात के तेल का चिप-चिपापन जा नहीं रहा था।

बलदेव मुस्कुरा देता है।

बलदेव:सिर्फ तेल का चिपचिपा या कुछ और भी?

देवरानी गुस्सा का नाटक करते हुए अपनी आखे फाड़ कर बलदेव की तरफ देखती है

देवरानी: ये आपने ही तो किया है मेरे राजा बेटा, ऐसा लस्सा लगाया के शरीर में से निकलने का नाम नहीं ले रहा था।

बलदेव: अच्छा तो मेरी वजह से हुआ और तुमने जो अपने बेटे से किया और मुझे गंदा किया। ।

देवरानी:क्या? मैंने तुम्हे गंदा किया?

देवरानी गुस्सा हो जाती है।

बलदेव:हां किया किया मेरी रानी सब तुमने किया ।

देवरानी: चुप रहो आप राजा । आपने तो मेरे अंदर तक ऐसा अपना पानी उधेला है ऐसा लग रहा है मेरे पुरे शरीर में आपका पानी चल रहा है।

बलदेव ये सुनकर देवरानी को अपने बाहो में खीचता है।

बलदेव: रानी मैं तो यहीं चाहता हूं कि तुम जल्दी से मेरे पानी से हमारे बच्चे की मां बन जाओ, जिसके साथ मैं खेल सकूं, जो हमारे प्यार की निशानी हो।

ये कह कर बलदेव देवरानी को सीने से लगा लेता है।

देवरानी: ( मन मैं) बलदेव में तुमसे बिना पूछे वो जड़ी बूटी खा ली जिसने तुम मेरे अंदर कितना भी पानी छोड़ दो मैं जल्दी से मां नहीं बनूंगी। । मुझे मुआफ कर दो बेटा। । पर मैं अभी मां नहीं बनना चाहती ।

बलदेव:क्या हुआ मां, क्या सोच रही हो, क्या तुम्हें नहीं चाहिए हमारा नन्हा सा मुन्ना सा बच्चा?

देवरानी बात पलटते हुए "बेटा मैं महारानी देवरानी हूं तुम इतने भी बड़े शेर नहीं कि मुझे एक रात में गर्भवती कर दो। "

ये सुन कर बलदेव देवरानी को दबा लेता है।

"तो रानी अब देख कैसे मैं तेरी चूत को अपने पानी से लबालब भर देता हूँ। "

देवरानी:आह राजा तुम्हारा तो लिंग अंदर घुसता है तो निकलने का नाम नहीं लेता।

बलदेव:अपनी चूत से पूछो माँ जो पानी छोड़ कर मेरे लंड को चिपका लेती है और बाहर नहीं निकलने देती ।

बलदेव अपने होठों को देवरानी के होठों से मिला देता है या दोनों एक दूसरे को चूसते हैं।

"गल्लप्प गलप्प गलप्प गलप्प उहम्म्म्म उम्म्म्म आआह उम्म्म आह उम्म गलप्प गलप्प"

आआह राजा "

"माँ ये क्यों ओढ़ कर आई हो, स्नान घर से ये पहन कर भी तो नंगी ही दिख रही हो।"

तुमने शर्म त्याग दी है बलदेव मैंने नहीं त्यागी है । "

"अच्छा जी ।"

बलदेव आगे बढ़ कर चुन्नी के ऊपर से देवरानी के पपीतो को दबाने लगता है फिर झटके में चुनरी उतार कर फेक देता है

बलदेव: उह्म्म क्या भारी गोल पपीते जैसे मम्मे है तेरे मेरी माँ अब इसे मेरी बेशर्मी दिखती है। साली।

देवरानी:आहह उह्म्म आआह राजा गाली नहीं आआह।

बलदेव:चुप साली। और देवरानी की गोल गांड पर एक थप्पड़ मारता है।

देवरानी: आआआह मर गयी।

बलदेव: अभी थप्पड़ मारा है गांड मारूंगा तो क्या करोगी।

देवरानी: नहीं मारने दूंगी।

बलदेव:कैसे नहीं देगी तू मेरी पत्नी है और तेरे इस लटकते मटके जैसी गांड ने तो मुझे दीवाना बनाया है ।

ये कह कर बलदेव एक उंगली देवरानी को उठा कर अपनी उंगली हलके से गांड के छेद पर रख कर सहलाने लगता है।

देवरानी:इश्ह्ह उम्म्म वहा नहीं वहा तो राजपाल ने कभी छुआ भी नहीं ।

बलदेव: अगर उस के बस का कुछ होता तो मेरी रानी तुम मेरे पास थोड़ा ही आती । फिर राजपाल। मेरे बाप ने बस यहीं अच्छा काम किया । उसने मेरे लिए ये प्यारी गांड कुवारी छोड दी उफ क्या मखमली मुलायम गांड है। कसम से मजा ही आ जाएगा ।

झट से बलदेव हल्की सी एक उंगली अंदर डाल देता है।

देवरानी:आआआआआआआआआआआआह नहींईईई।

बलदेव देखता है देवरानी की आंखो में आसु थे, वो उंगली बाहर निकलने वाला था के देवरानी उससे पहले ही अपने हाथ से बलदेव के हाथ को झटक देती है।

"आज ये मत करो बलदेव मुझे क्षमा करो आज नहीं । "

"क्यू माँ । बिना आपकी गांड मारे तो मेरी सुहागरात अधूरी रह जायेगी । "

"बेटा मेरे पे उपकार कर दे । मैं तुझे मना नहीं करती पर मैं रात भर चुद चुद कर थक गई हूँ। अभी अगर तुमने पीछे से किया तो मैं मर ही जाऊँगी। बेटा बस आज इसे रहने दे । "

फिर देवरानी अपनी आंखों से निकली कुछ बुंदो को हाथो से पूछती है।

बलदेव देवरानी की पीड़ा समझते हुए, देवरानी के ऊपर आजाता हैफिर उसे चूम कर गले लग जाता है।

"मेरी रानी आज छोड़ देता हूं पर ये मत सोचना मैं गांड नहीं मारूंगा तेरी। । समझी मां।"

"हां बेटा मुझे परवाह नहीं, मेरा हर अंग तेरा है, मैं खुद चाहती हूं कि तुम मेरे पीछे से डालो और मेरे पिछवाड़े के हर खुजली दूर कर दो, पर आज नहीं। "

"ज़रूर तुम्हारे पिछवाड़े की खुजली दूर कर दूंगा पर तुम एक उंगली घुसने से रो दी हो तो लौड़ा घुसने से क्या होगा। "

"सुखा नहीं डालना । फिर बेटा गुदा में जगह ही कितनी होती है। "

"उसकी तुम फ़िकर मत करो मेरी रानी माँ वो कैसे करना है कर लूँगा अभी आओ और मेरे लंड को शांत करो। "

बलदेव देवरानी को चूमने लगता है और आगे बढ़कर देवरानी को अपने गोद में नंगी उठा कर खड़ा हो जाता है फिर पच्छ से खड़े खड़े चूत में लंड पूरा पेल देता है।

घप्प घप्प पछ पछ की आवाज पुरे कक्ष में गूंज रही थी। घटराष्ट्र की महारानी अपने पुत्र, अपने बेटे, अपने राजा, अपने पति, बलदेव के गोद में बैठी चुद रही थी।

"आआह आआह बेटा आआह उम्म्म्म आआह आआ बेटा आआह!"

"उम्म माँ ये ले। और ले!"

"आहा आआआह राजा जी आआआह उह्म्म्म आआआह!" हर घस्से के साथ देवरानी कराह रही थी ।

कुछ देर यू उसने चोदने के बाद बलदेव अपनी माँ को नीचे घुटने के बल घोड़ी बना कर पास रखे टेबल पर बिठा दिया ।

पीछे से हाथ बढ़ा कर देवरानी की दोनो जांघो को फेलाया और उसके दोनो हाथो को पकड़ कर एक झटका मारता है।

"ये ले मेरी घोड़ी अपने घोड़े का लौड़ा। " फिर बलदेव धडाधड तेज धक्के पेलने लगता है देवरानी की चूत में उसे घोड़ी बनाये हुए उसकी सवारी करनी लगता है ।

"उफ़्फ़ बेटा, आराम से कर हाए मर गई मैं आआह राजा उफ़"।

"आआह मेरी माँ मेरी पत्नी ले आह। "

थप्प्प थप्प की आवाज पुरे कक्ष में गूंज रही थी। चप चप छप छप की आवाज लौड़े और पनियायी हुई चूत की मिलन पर आ रही थी।

देवरानी की पायल और चूडियो की खनक, पच पच लौड़े और चूत के मिलन, चूत पर टट्टे टकराने से फट्ट फट्ट की आवाज, खूब जोर से आ रही थी। साथ वाले कमरे में बंधा हुआ बलदेव का बाप राजपाल ऐसी आवाजों को इस रात भर सुन सुन परेशान हो चुका था, इन आवाजों ने उसे रात भर सोने नहीं दिया था । उसे रोना आने लगता है और उसके आंसू निकलने लगते है ।

इधर नीचे कमला सवेरे उठ जाती है और दोनों प्रेमीो, नए पति पत्नी के जोड़े, या मां बेटे के लिए नाश्ता बना कर जल्दीबाजी में सीढ़ी से चढ़ कर ऊपर आ रही थी । जैसे ही वह ऊपर पहुंच जाती है उसे हल्के सिसकने की और थप थप पच पच की आवाज आने लगती है।

कमला: ( मन मैं) हाय दय्या सुबह के 10 बजने वाले हैं और देवरानी अब तक चुद रही है । लगता है महाराज ने रात भर चुदाई की है ।

कमला एक हाथ में नाश्ते का प्लेट रख दरवाजे के पास पहुँचती है, पहले तो वो पास वाले कमरे की खिड़की से अंदर झाँक कर देखती है तो राजपाल कुर्सी से बंधा अपने सर झुकाए बैठा था।

कमला: हाय कहि ये राजपाल अपनी पत्नी की गालियां, चुदाई के आवाजे सुन सुन कर कहीं मर तो नहीं गया, दिल के दौर से । जब खुद का बेटा ही, बाप को बगल के कक्ष में बांध कर रात भर पटक पटक कर अपनी मां को चोद रहा है तो दौरा भी क्यू ना पड़े, और.. अब राजपाल को पता चलेगा कि एक स्त्री की शक्ति क्या होती है। ये सब इसी राजपाल की गलती है।

तभी कमला देवरानी के आहे सुनती है।

"आआआह राजा जी आआह जी या ज़ोर से आह।"

कमला: लो जी मुझे अंदाजा तह की महारानी छिनाल थी पर इतनी बड़ी छिनाल निकलेगी ये नहीं पता था।

कमला दरवाजा ठकठकाती है फिर अपना एक कान दरवाजे पर लगा कर सुनती है।

बलदेव इस ठक ठक से बेपरवाह, अंदर अपनी माँ को घोड़ी बना कर झुकाये तेजी से पेल रहा था।

"ये ले मेरी पत्नी मेरी रानी माँ ले खा मेरा लौड़ा!"

"आआह राजा उफ़ आह उन्म्म्म आआह ऊऊ! "

कमला: अब क्या करू? आवाज लगाती है।

"महारानी। महाराज । "

दो तीन बार जब कमला आवाज देती है तब जा कर देवरानी को सुनाई पड़ती है, पर बलदेव तो अब भी अपनी माँ की चूत की सेवा में लगा हुआ था।

देवरानी: उहह मम्म आआह राजा जी बाहर कोई है।

बलदेव: उहह अब ये ले। । कौन है?

बलदेव अपनी गति धीमी करते हुए देवरानी की तरफ देखता है ।

देवरानी दरवाजे की तरफ इशारा करती है।

"महारानी। । महाराज सुबह हो गई आप उठे नहीं?"

बलदेव महारानी की ओर देख मुस्कुराता है और अपना लौड़ा देवरानी की चूत से बाहर खीचता है।

लौड़ा बाहर निकलते हुए फ्टच की आवाज आती है मानो बहुत पुरानी बोतल का धक्कन खुल गया हो।

कमला: (मन मैं) हाय दय्या कहीं ये महाराज के लंड का टोपा निकालने की आवाज तो नहीं थी।

देवरानी भी ये आवाज़ सुनती है । वो बस बलदेव को निहार रही थी और उसके चेहरे पर एक कातिल मुस्कान के साथ हंसी छूट जाती है।

बलदेव:हसो मत देवरानी! जाओ कमला से नाश्ता ले लो।

देवरानी झुकी हुई चुद रही थी वो पीछे हो कर लेट जाती है।

"ना बाबा, अब तो मुझमें उठने की हिम्मत नहीं है, तुम्हारा मुसल इस मुनिया से ऐसे निकला जैसे बहुत छोटी ओखली में फंसा हुआ हो और इससे मेरी तो जान ही निकल गयी है ।"

"ठीक है कुछ पहन लो"

"मैं कुछ ओढ़ लेती हूं बेटा जी । तुम पूरा दरवाजा मत खोलना नहीं तो तुम्हारी मां, तुम्हारी दुल्हन, को इस हालत में देख लेगी कमला। "

कमला देख लेगी तो क्या हुआ, उसने आपको पहले भी नग्न देखा होगा ।

कमला तक तो ठीक है । पर अगर उसके साथ की हुआ तब?

"ठीक है मैं खोलता हूँ दरवाजा। "

देवरानी झट से पास रखा जालीदार ओढ़नी अपने ऊपर ओढ़ लेती है।

बलदेव कपडे पहन कर दरवाजा खोलता है।

तो सामने कमला मुस्कुराए हुए एक बड़े थाली में नाश्ता लिए खड़ी थी। बलदेव पूरा दरवाजा नहीं खोलता पर कमला अपनी कनखियों से अंदर देख लेती है।

कमला: ( ( मन मैं) महारानी तो पस्त हो नग्न सो रही है।

कमला: महाराज कब से खड़ी हूं। कितनी बार दरवाजा खटखटाया मैंने ।

बलदेव: वो हम गहरी नींद में थे कमला इसलिए उठ नहीं पाए।

कमला: हम्म आप दोनों के लिए नाश्ता लायी हूँ 10 बजने वाले है। आज देर हो गई मुझे, क्षमा कीजिये ।

कमला: (मन मैं: घपा घप महारानी को पेल रहे थे/, मुझसे कह रहे हो सो रहे थे। वाह महाराज!)

बलदेव:हम्म अच्छा।

कमला: हन महाराज वो आपकी आखे भी लाल है। आप ठीक हो ।?

बलदेव:हां वो अभी अभी उठा हूं ना, इसीलिए।

जारी रहेगी

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