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Click here"स्वीट हार्ट अपने तांगे उठावो और पकडे रखो..." वह उसकी बुर को चाटता बोला।
तुलसी अपने टाँगे उठाकर पकड़ राखी जिस से उसकी चुदी चूत और खुलगायी। करुणा की जीभ अब उसकी फांकों को चाट ताहि थी। उसकी इस हरकत से तुलसी के शरीर में एक संन सनी पैदा हुयी 'OH MY GOD, IT FEELS WONDERFUL,' वह चिल्लाई। फिर लड़के ने अपना जीभ उसकी गांड की छेद में घूमाने लगा।
"ससससस..हहहहह..हहहा" तुलसी एक बार और सिसकने लगी।
जैसे जैसे वह तुलसी को मकरंद टपकते बुर को चाट रहा था और चुभला रहा था तुलसी उसे अपने ऊपर खींचते कही..." आअह्ह्ह.. अब मेरे से रहा नहीं जाता.. करुणा मेरे राजा... अब देर मत करो.. डालो.. अपना लंड अंदर डालो... वह चुदाई के चरम सीमा पर पहुँचते बोली।
उसके बातोंको को उन सुना करते वह उसे अपने जीभ से चोद रहा था। जीभ अंदर बाहर होने लगी। 21 वर्ष की उम्र में करुणाकर एक अनुभवी और औरत को ख़ुश करने वाला लड़का बनगया। इस खेल में उसकी कजिन दीदी उसकी टीचर है। विजयवाड़ा में जिसके यहाँ यह आजकल अपने पढ़ाई के लिए रह रहा है।
कुछ ही मिनिटों में तुलसी फिरसे गर्म होने लगती है। वह अपनी चूतको करुणा की मुहं पर दबा रहीथी और अपने हाथ उसके सिर पर रखकर अपना चूत पर दबाने लगी। उसकी चूत एक नाले की तरह बहने लगी।
"करुणा.. प्लीज और तेज करो जीभ की चुदाई तेज करो... खुरेदो... आआह्ह... मममममम... आआ.. Karuna... I AMMM COOMMMMM... MIIIIIIINNNN.. NGG.. GGGGG,' तुलसी बुद बुदारही थी।
करुणाकर ने अपना काम जारी रखा... उसकी जीभ चूत के अंदर बाहर और चारो तरफ चल रही थी। तुलसी ने लड़के की बाल पकड़कर अपने ऊपर खींची... "करुणा... माय डियर अब चोदो मुझे..." कही; उसके सांसे भरी होगये और वह हांफ रही थी।
वह तुलसी के ऊपर आगया और कहा "तुम्हारी इच्छा मेरे लिए आज्ञा है" कहते वह उसके गलों को चूमा और अपना मुश्टन्ड उसकी फांकों के बीच रख कर दबाया।
"OWWW....Mmmmmaaaa" वह चट पटायी। जैसेही लडके का लँड उसकी फ़क होल (Fuck Hole) के अंदर घुसी उसे ऐसा लगा की उसकी बुर पैलरही है... 'इसका मोटा है, मेरे पति की तरह...' वह सोची।
अब वह लड़के का लंड तुलसी की पानी छोड़ते बुर में अंदर बाहर होने लगा। वह उसे लम्बे स्ट्रोक्स देते देते कभी कभी शार्ट स्ट्रोक्स भी दे रहा था। इस कला उसे उसकी सेक्स टीचर ने (कजिन दीदी) दी थी। अपने 'दी' की दी हुयी लेसन याद करता वह कभी अपना लंड सुपाडे तक बाहर खींचता और जोर का शॉट देने लगा तो कभी कभी अंदर ही अंदर हंप (hump) करने लगा। हर्षातिरेक से तुलसी के चीखे निकल रही थी। उसके नितम्ब करुणा के लण्ड के मवमेंट के मुताबिक ऊपर उठ रहीथी।
"HEY...HESS FUCK ME HARDER. Y...HES FASTER. OH OHH I AM ABOUT TO CUM," वह सिसकने लगी।
करुणाकर अपने चुदाई चालू रखा।
"Y...HESS Y...HESSS, करुणा मै फिरसे झड़ने ली हूँ... YES YES, I AMMM COMMMMIIIINNNNG," वह जोरसे चीखी और ढेर सरा रस छोड़ते अपने साँस के लिए हांफ रहीथी।
"ओह्ह...डिअर... मुझे मालूम नहीं था की मुझे इतना तृप्ति मिलेगी.... यू आर ए ग्रेट फकर डोंट स्टॉप...KEEP MOVING...मुझे एक बार फिर झड़ने दो.." निचेसे अपनी गांड उठाते बोली। वह हांफ रही थी।
"मै भी ज्यादा दूर नहींहूँ... मै भी झड़ने ववाल अहं..." कहा, फिरभी वह उपर निचे हो रहा था। इतनी देर की चुदाई में वह भी हांफ रहा था।
"फस्टर डियर... मममम...हहहहह... फस्टर एंड हार्डर I AM ALMOST THERE. Y...HESSS, Y...HESSS I AMM THERE OHHH मेरे राजा aaaahhhssssmmmaaa वह चिल्लाई और उसकी कमर को कमांन की तरह उठी फिर धप से निचे गिरी और वह निढाल होगयी। ठीक उसी समय करुणा भी अपना गर्म लावा उसकी गम भट्टी में उंडेला और वह भी उसके ऊपर गिरा और हांफने लगा। गर्म लावा ने गर्म बत्ती कोशांत करने लगी। एक दो मिनिट बाद जब उनके साँस ठीक हुई तो दोनों अब तक हुयी चुदाई के बारे मे सोंचते एक दुसरे के होंठों को चूमने लगे।
कोई पांच छह मिनिट बाद दोनों एक दूसरे को देख मुस्कुराये। सचमे तुलसी की ऐसा मजा कभी नहीं मिला.. सिवाय अपने पति से... संतुष्टि से उसका चेहरा चमक रहा था। यही हल करुणा का भी था। वह सोचा भी नहीं तह की तुलसी जैसी सुंदरी को वह चोदकर संतृप्त कर सकता है।
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तलसी और करुणाकर बॉलकनी में बैठकर निचे की और देख रहेथे। संतृप्त सेक्स के बाद वह दोनों अपने अपनेको साफ किये और कपडे भी पहने। करुणा निचे जाकर बस के बारेमेमालूम करा। बस अब 25 / 30 मिनिट मे आने वाली है। करुणाकर तुलसी को अपने गोद में बैठने को कहता है लेकिन वह हँसते दूसरे कुर्सी पर बैठती है।
"मैने तुम्हारी बूब्स भी नहीं देखे..." लड़का उसकी बूब्स की और लालच से देखते कहता है। तुलसी एक मुस्कन देती है. उसका जवाब नहीं देती।
"तुम मेरी दीदी जैसे ही हो..." अब तक हुए लव गेम के बारेमे सोचता बोला।
"अच्छा वह कौन है...?" पूछी।
"मेरा कजिन सिस्टर.. दीदी..."
"तुम कह रहे थे की तुम कजिन दीदी के साथ रह रहेहो वही है क्या...?" करुणाकर अपना सिर 'हाँ' में हिलाया।
"ओह तो वह तुम्हारी गुरु है..." करुणाकर लज्जा से मुस्कुराता है।
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उनका सफर फिर से शुरू होकर एक घंटा बीत गया।
"थैंक्यू वैरी मच... जो कुछ भी तुमने किया.. मुझे तृप्ति मिली, (I am satisfied) 10, 15 मिनिट में मेरा स्टॉप आजायेगा..." वह बोली और इधर उधर देख कर उसे चूमि।
"तुम्हारा फ़ोन नंबर क्या है...? वह पुछा।
एक क्षण तो वह न कहने को सोची लेकिन उस लड़के की चुदाई.. उसे इतना पसंद आया की वह सोची क्यों न कभी कभी एक चेंज के तौर पर.... सोचकर बोली.. "तुम्हरा नुम्बर देदो.. मै फ़ोन करूंगी"
करुणाकर उसे नंबर देता है।
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तुलसी का गम्यस्थान अति है और उसका पति बस चढ़कर उसका सामान और बच्चे को लेलेता है। दोनों निचे उतरे और स्कूटर स्टंड पर जाने लगे। करुणाकर उसे ही देख रहा था लेकिन वह उसे देखती ही नहीं। लेकिन जब वह मोटरसाइकिल पर जारहे होते है तो वह देखती की करुणाकर उसे ही देख रहाहै तो वह उसे एक फ्लाइंग किस देती है और मोटरसाइकिल आगे बढ़ जाति है। बस स्टार्ट होती है.. और करुणाकर एक बार तुलसीके साथ हुए चुदाई को याद करते अपने आप में मुस्कुराता है।
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कुछ घंटे पहले करुणाकर से जमकर चुदने के बाद भी तुलसी अपने पतिसे अपना कमर उछाल उछाल कर ठुकवाति है। पति से पिलवाते वह करुणाकर के बारेमे सोचने लगी। उसके होंठों पर भी एक मुस्कराहट आयी।
तुलसी का सफर समाप्त हुआ।
प्यारे पाठको कैसी रही आपकी सफर तुलसी के साथ। सफर में मजा आया तो कमेंट करके बताये.. अब इजाजत दीजिये, फिरमिलेँगे...
आपकी स्वीटसुधा 26
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