मेरा घोड़े जैसा लॉडा माँ की चूत में

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मम्मी नेअपनी रसीली छूट में उसका लंबा और मोटा लॉडा लिया ..
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raviram69
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माँ बैटे कि कहानी
रविराम69 © Musafir-Mastram

पटकथा :

कैसे रवि की मम्मी ने अपने बेटे को अपने हुस्न के जाल में फसा कर, अपनी रसीली छूट में उसका लंबा और मोटा लॉडा लिया ... रवि ने भी अपनी मम्मी को जमकर चोदा ...

मैं आपका अपना रवि, आज एक नयी कहानी लेकर हाज़िर हुया हूँ , मेरी माँ मुझको बहुत चाहती थी, क्योंकि मैं उनका अकेला बैटा था. मेरी माँ बहुत प्यार से मेरा ख्याल रखती थी और मैं हमेंशा उनके आस-पास रहना पसन्द करता था. वो बहुत हि सुन्दर थी, एकदम गोरी चिट्टी लम्बे लम्बे काले बाल, कद करीब 5’5″ और फ़िगर 38DD-25-38 था. मैं उनकी मुम्मों पर फ़िदा था (मम्मी के मुम्मे बिल्कुल रसीले आम की तरह से थे, कपड़ो के अंदर भी उनके मुममे आम की झलक देते थे, दिल करता था की अभी के अभी नीचे गिरा कर दोनो आमों को मसल डालूं ) और हमेंशा उनकी एक झलक पाने के लिये बैताब रहता था. जब भि काम करते वक्त उनका आन्चल उनकी छाती पर से फिसल कर नीचे गिरता था या वो नीचे झुकती, मैं उनकी चुन्ची कि एक झलक पाने के कोशिश करता था. माँ को इस बात का पता था और वो जान-भूज कर मुझे अपनी मुम्मे का जलवा दिखा देती थी.

यह बात तब हुइ जब मेरे पिता जी काम के सिलसिले में बाहर गये थे. पिता जी मुझे घर पर रह कर पढायी करने को कह कर गए थे, क्योंकि हमारे फ़ाइनल एक्जाम नजदीक आ रहे थे.

अगले दिन सुबह के बजे कि ट्रेन से पिता जी चले गये. हम दोनो पिता जी को रेलवे स्टेशन तक विदा करने गये थे. माँ उस दिन बहुत हि खुश थी. जब हम लोग घर पहुन्चे तो उन्होने मुझे अपने कमरे में बुलाया और कहा कि जब तक पिता जी वापिस नही आ जाते, मैं उनके कमरे में हि सोया करु.

उन्होने मुझसे अपनी किताब वगैरा वहीं ला कर पढने को कहा. मैं तो खुशी से झुम उठा और फ़टाफ़ट अपनी टेबल और कुच्छ किताबें उनके कमरे में पहुन्चा दिया. माँ ने खाना पकाया और हम दोनो ने साथ साथ खाना खाया. आज वो मुझ पर कुच्छ ज्यादा हि मेहरबान थी और बार बार किसी न किसी बहाने से अपनी चुन्ची का जलवा मुझे दिखा रही थी.

खाना खाने के बाद माँ ने मुझे फल खाने को दिए. फ़ल देते वक्त उन्होने मेरा हाथ मसल दिया और बडे ही मादक अदा से मुस्कुरा दिया. मैं शर्मा गया क्योंकि यह मुस्कान कुच्छ अलग किस्म कि थी और उसमे शरारत झलक रही थी. खाने के बाद मैं तो पढने बैठ गया और वो अपने कपडे बदली करने लगी.

गर्मी के दिन थे और गर्मी कुच्छ ज्यादा हि थी. मैं अपना शर्ट और बनियान उतार कर केवल पैन्ट पहन कर पढने बैठ गया. मेरी टेबल के उपर दिवार पर एक शीशा टन्गा था और माँ को मैं उस शीशे में देख रहा था.

वो मेरी तरफ़ देख रही थी और अपने कपडे उतार रही थी. वो सोच भि नहीं सकती थी कि मैं उनको शीशे के अन्दर से देख रहा था. उन्होने अपना ब्लाउज खोल कर उतार दिया. हाय क्या मदमस्त चुन्ची थी. मैं पहली बार स्टैप वाली ब्रा में बन्धे उनके मुम्मे को देख रहा था. उनकी चुन्ची कहीं बडी बडी थी और वो ब्रा में समा नहीं रही थी. आधी चुन्ची ब्रा के उपर से झलक रही थी.

कपडे उतार कर वो बिस्तर पर चित लेट गयी और अपने सीने पर एक दुप्पटे से थोडा ढक लिया. ऎक पल के लिये तो मेरा मन किया कि मैं उनके पास जा कर उनकी चुन्ची को देखु, फ़िर सोचा यह ठीक नही होगा और मैं पढने लग गया. लेटते हि वो सो गयी और कुच्छ हि देर में उनका दुप्पटा उनके छाती से सरक गया और सांसो के साथ उठती बैठती उनकी मस्त रसिली चूंचिया साफ़ साफ़ देख रहा था. रात के बारह बज चुके थे. मैंने पढायी बन्द कि और बत्ती बुझाने ही वाला था कि माँ कि सुरिली आवाज मेरे कानो में पडी,

बैटे इधर आओ न.

मैं उनकी तरफ़ बढा, अब उन्होने अपनी चुन्ची को फ़िर से दुप्पटे से ढक्क लिया था. मैंने पूछा, क्या है माँ?

उन्होने कहा, रवी बेटे, जरा मेरे पास ही लेट जाओ न, थोडी देर बात करेन्गे फ़िर तुम अपने बिस्तर पर जा कर सो जाना.

पहले तो मैं हिचकिचाया लेकिन फ़िर मान गया. माँ बोली, रवी, शर्माओ मत. आओ न.

मुझे अपने कानो पर यकीन नही हो रहा था. मैंने लाइट बन्द कर दी और नाइट लेम्प जला कर मैं बिस्तर पर उनके पास लेट गया. जिस बदन को सालो से निहारता था आज मैं उसि के पास लेटा हुआ था. माँ का अध-नन्गा शरीर मेरे बिलकुल पास था.

मैं ऐसे लेटा था कि उनकी चुन्ची बिलकुल नन्गी मालुम दे रही थी, क्योंकि थोडा सा हिस्सा हि ब्रा में छुपा था. क्या हसीन नजारा था. उन्होने मेरा हाथ पकड कर धीरे से खींच कर अपने उभरे हुए चुन्चों पर रख दिया और मैं कुच्छ नहीं बोल पाया लेकिन अपना हाथ उनकी चुन्ची पर रख रहने दिया. रवी बेटे , मुझे यहाँ कुच्छ खुजली हो रही है, जरा सहलओ न.

मैंने ब्रा के उपर से हि उनकी चुन्ची को सहलाना शुरु किया. माँ ने मेरा हाथ ब्रा के कप में घुसा कर सहलाने को कहा और मेरा हाथ ब्रा के अन्दर कर दिया. मैंने अपना पुरा हाथ अन्दर घुसा कर जोर जोर से उनकी चुन्ची को रगडना शुरु कर दिया.

मेरी हथेली कि रगड पा कर माँ के निप्पल कडे हो गये. मुलायम - मुलायम मांस के स्पर्श से मुझे बहुत अच्छा लग रहा था लेकिन ब्रा के अन्दर हाथ करके मसलने में मुझे दिक्कत हो रही थी. अचानक वो अपनी पीठ मेरी तरफ़ घुमा कर बोली, रवि बैटे, यह ब्रा का हुक्क खोल दो और ठीक से सहलाओ.

मैंने कान्पते हुए हाथों से माँ कि ब्रा कि हुक्क खोल दिया और उन्होने अपने बदन से उसे उतार कर नीचे डाल दिया. मेरे दोनो हाथों को अपने दोनो चुचयों पर ले जाकर वो बोली, थोडा कस कर दबाओ न.( मम्मी की आवाज़ काँप रही थी) मैं भि काफ़ी उत्तेजित हो गया और जोश में आकर उनकी रसीली चुन्ची से जम कर खेलने लगा.
क्या बडी बडी चुन्चीयां थी. खडी खडी चुन्ची और लम्बे लम्बे निप्पल. पहली बार मैं किसि औरत कि चुन्ची को छू रहा था. माँ को भि मुझसे अपनी चुन्ची कि मालिश करवाने में मजा आ रहा था. मेरा लण्ड अब खडा होने लगा था और अन्डर-वियर से बाहर निकलने के लिये जोर लगा रहा था. मेरा 8″ का मोटा लॉडा पुरे जोश में आ आकर उपर नीचे होने लगा था. माँ कि चुन्ची मसलते मसलते हुए मैं उनके बदन के बिलकुल पास आ गया था और मेरा लण्ड उनकी जान्घो में रगड मारने लगा था.

अचानक वो बोली, रवि, बैटे यह मेरी टान्गो में क्या चुभ रहा है?

मैंने हिम्मत करके जवाब दिया, यह मेरा हथियार है माँ”.

मैं हाथ लगा कर देखूं, रवि? उन्होने पूछा

और मेरे जवाब देने से पहले अपना हाथ मेरे लण्ड पर रख कर उसको टटोलने लगी. अपनी मुठी मेरे लण्ड पर कस के बन्द कर ली और बोली, बाप रे, रवि , तेरा लंड तो बहुत कडक है.

वो मेरी तरफ़ घुमी और अपना हाथ मेरे अन्डरवियर में घुसा कर मेरे फ़ड-फ़डाते हुए लण्ड को इलास्टिक के उपर निकाल लिया. लण्ड को कस कर पकडे हुए वो अपना हाथ लण्ड कि जड तक ले गयी, जिससे सुपाडा बाहर आ गया. सुपाडे कि साइज और आकार देख कर वो बहुत हैरान हो गयी. उन्होने पूछा ….बैटे कहाँ छुपा कर रखा था इतने दिन तक? इतना लंबा चौड़ा लॉडा तो तुम्हारे पापा का भी नही है.. हाए! रवि बेटे, कितना मोटा लंड है तुम्हारा.

मैंने कहा, यहीं तो था तुम्हारे सामने लेकिन तुमने ध्यान हि नही दिया इस पर.

माँ बोली, मुझे क्या पता था कि तुम्हारा इतना बडा होगा. वो मेरे लण्ड को अपने हाथ में लेकर खीन्च रही थी और कस कर दबा रही थी. फ़िर माँ ने अपना पेटिकोट अपनी कमर के उपर उठा लिया और मेरे तने हुए लण्ड को अपनी जान्घो के बीच ले कर रगडने लगी. वो मेरी तरफ़ करवट ले कर लेट गयी ताकी मेरे लण्ड को ठीक तरह से पकड सके.

उनकी चुन्ची मेरे मुन्ह के बिलकुल पास थी और मैं उन्हे कस कस कर दबा रहा था. अचानक उन्होने अपनी एक चुन्ची मेरे मुन्ह में ठेलते हुए कहा, चुसो इनको अपने मुन्ह में ले.

मैंने उनकी लेफ़्ट चुन्ची को अपने मुन्ह में भर लिया और जोर जोर से चूसने लगा. थोडी देर के लिये मैंने उनकी चुन्ची को मुन्ह से निकाला और बोला, मैं हमेंशा तुम्हारे ब्लाउज में कसी चुन्ची को देखता था और हैरान होता था. इनको छुने कि बहुत इच्छा होती थी और दिल करता था कि इन्हे मुन्ह में लेकर चुसु और इनका रस पिऊं. पर डरता था पता नही तुम क्या सोचो और कहीं मुझसे नाराज न हो जाओ. तुम नही जानती माँ कि तुमने मुझे और मेरे लण्ड को कितना परेशान किया है?

माँ ने कहा ---- अच्छा तो आज अपनी तमन्ना पुरी कर लो, रवि बेटे , जी भर कर दबाओ, चुसो और मज़े लो. मैं तो आज पूरी कि पूरी तुम्हारी हूँ जैसा चाहे वैसा हि करो.

फ़िर क्या था, माँ कि हरी झन्डी पाकर मैं टूट पडा माँ कि चुन्ची पर. मेरी जीभ उनके कडे निप्पल को महसुस कर रही थी. मैंने अपनी जीभ माँ के उठे हुए कडे निप्पल पर घुमाया. मैं दोनो आमों को कस के पकडे हुए था और बारी बारी से उन्हे चुस रहा था. मैं ऐसे कस कर चुन्चीयों को दबा रहा था जैसे कि उनका पुरा का पुरा रस निचोड लुन्गा.


माँ भि पुरा साथ दे रही थी. उनके मुन्ह से ओह्! ओह्! अह्! चे, चे! कि आवाज निकल रही थी. मुझसे पुरी तरह से सटे हुए वो मेरे लण्ड को बुरी तरह से मसल रही थी और मरोड रही थी. उन्होने अपनी लेफ़्ट टान्ग को मेरे कन्धे के उपर चडा दिया और मेरे लण्ड को को अपनी जान्घो के बीच रख लिया.

मुझे उनकी जान्घो के बीच एक मुलायम रेशमी एहसास हुआ. यह उनकी चूत थी. माँ ने पैन्टी नही पहन रखी थी और मेरे लण्ड का सुपाडा उनकी झान्टो में घुम रहा था. मेरा सब्र का बान्ध टूट रहा था.

मैं माँ से बोला, माँ मुझे कुच्छ हो रहा और मैं अपने आपे में नही हूँ, प्लीस मुझे बताओ कि मैं क्या करू?

माँ बोली, तुमने कभि किसि लडकी को चोदा है आज तक?

मैंने बोला, नही. कितने दुख कि बात है. कोइ भि लडकी इसे देख कर कैसे मना कर सकती है. शादी तक ऐसे हि रहने का इरादा है क्या?

मैं क्या कहता. मेरे मुन्ह में कोइ शब्द नही थे. मैं चुपचाप उनके चैहरे को देखते हुए चुन्ची को मसलता रहा. उन्होने अपना मुन्ह मेरे मुन्ह से बिलकुल सटा दिया और फुस्फुसा कर बोली, रवि , अपनी माँ को चोदोगे? ककक क्यों नही मैं बडी मुश्किल से कह पाया. मेरा गला सूख रहा था.

वो बडे मादक अन्दाज में मुस्कुरा दि और मेरे लण्ड को आजाद करते हुए बोली, ठीक है, लगता है अपने अनाडी राजा बैटे को मुझे हि सब कुच्छ सिखाना पडेगा. पर गुरु दख्शिना पुरे मन से देना पडेगा. चलो अपनी चड्डी उतार कर पुरे नन्गे हो जाओ. मैं पलन्ग पर से उतर गया और अपना अन्डर-वियर उतार दिया. मैं अपने तने हुए लण्ड को लेकर नन्ग धडन्ग अपनी माँ के सामने खडा था.

माँ अपने रसिले होन्ठो को अपने दान्तो में दबा कर देखती रही और अपने पेटिकोट का नाडा खीन्च कर ढीला कर दिया. तुम भि इसे उतार कर नन्गी हो जाओ कहते हुए मैंने उनका पेटिकोट को खीन्च दिया. माँ ने अपने चूतड उपर कर दिए जिससे कि पेटिकोट उनकी टान्गो से उतर कर अलग हो गया. माँ अब पुरी तरह नन्गी हो कर मेरे सामने चित पडी हुइ थी. माँ ने अपनी टान्गो को फ़ैला दिया और मुझे रेशमी झान्टो के जन्गल के बीच छुपी हुइ उनकी रसीले गुलाबी चूत का नजारा देखने को मिला.

नाइट लेम्प कि हल्की रोश्नी में चमकते हुए नन्गे जिस्म को को देख कर मैं उत्तेजित हो गया और मेरा लण्ड मारे खुशी के झुमने लगा. माँ ने अब मुझसे अपने उपर चडने को कहा. मैं तुरन्त उनके उपर लेट गया और उनकी चुन्ची को दबाते हुए उनके रसीले होन्ठ चूसने लगा. माँ ने भि मुझे कस कर अपने आलिन्गन में कस कर जकड लिया और चुम्मा का जवाब देते हुए मेरे मुन्ह में अपनी जीभ को अन्दर डाल दिया. हाय क्या स्वादिश्ट और रसीली जीभ थी. मैं भि उनकी जीभ को जोर शोर से चूसने लगा.

हमारा चुम्मा पहले प्यार के साथ हल्के में था और फ़िर पुरे जोश के साथ. कुच्छ देर तक तो हम ऐसे हि चिपके रहे, फ़िर मैं अपने होन्ठ माँ के नाज़ुक गालों पर रगड रगड कर चुमने लगा.

फ़िर माँ ने मेरी पीठ पर से हाथ उपर ला कर मेरा सर पाकड लिया और उसे नीचे कि तरफ़ दबा दिया. मैं अपने होन्ठ उनके होन्ठो से उनकी थोडी पर लाया और कन्धो को चूमता हुअ चुन्ची पर पहुन्चा. मैं एक बार फ़िर उनकी चुन्ची को मसलता हुआ और खेलता हुआ काटने और चूसने लगा. उन्होने बदन के निचले हिस्से को मेरे बदन के नीचे से निकाल लिया और हमारी टान्गे एक-दूसरे से दूर हो गई. अपने दायें हाथ से वो मेरा लण्ड पकड कर उसे मुठी में बान्ध कर सहलने लगी और अपने बायें हाथ से मेरा दाहिना हाथ पकड कर अपनी टान्गो के बीच ले गयी.

जैसे हि मेरा हाथ उनकी चूत पर पहुन्चा उन्होने अपनी चूत के दाने को उपर से रगड दिया. समझदार को इशारा हि काफ़ी था. मैं उनके चुन्ची को चुस्त हुआ उनकी चूत को रगडने लगा. बैटे अपनी उन्गली अन्दर डालो न? कहती हुए माँ ने मेरी उन्गली को अपनी चूत के मुन्ह पर दबा दिया.

मैंने अपनी उन्गली उनकी चूत कि दरार में घुसा दिया और वो पुरी तरह अन्दर चली गयी. जैसे जैसे मैंने उनकी चूत के अन्दर का मुआयना करता मेरा मजा बडता गया.

जैसे हि मेरी उन्गली उनके चूत के दाने से टकरायी उन्होने जोर से सिस्कारी ले कर अपनी जान्घो को कस कर बन्द कर लिया और चूतड उठा उठा कर मेरे हाथ को चोदने लगी.

उनकी चूत से पानी बह रहा था. (उनका ऑर्गॅज़म हो गया था .) थोडी देर बाद तक ऐसे हि मजा लेने के बाद मैंने अपनी उन्गली उनकी चूत से बाहर निकाल लिया और सिधा हो कर उनके उपर लेट गया. माँ ने अपनी टान्गे फ़ैला दि और मेरे फ़डफ़डाते हुए लण्ड को पकड कर सुपाडा चूत के मुहाने पर रख लिया.

उनकी झान्टो का स्पर्श मुझे पागल बना रहा था, फ़िर माँ ने मुझे कहा, अब अपना लौडा मेरी बुर में घुसाओ, प्यार से घुसेडना नहीं तो मुझे दर्द होगा, अह्ह्ह्ह्ह्! मैं क्योंकि नौसिखिया था, इसिलिये शुरु शुरु में मुझे अपना लण्ड उनकी टाइट चूत में घु्साने में काफ़ी परेशानी हुई.

मैंने जब जोर लगा कर लण्ड अन्दर करना चाहा तो उन्हे दर्द भि हआ. लेकिन पहले से उन्गली से चुदवा कर उनकी चूत काफ़ी गीली हो गयी थी. माँ भि हाथ से लण्ड को निशाने पर लगा कर रास्ता दिखा रही थी और रास्ता मिलते हि एक हि धक्के में मेरा सुपाडा अन्दर चला गया. इससे पहले कि माँ सम्भले या आसन बदले, मैंने दूसरा धक्का लगाया और पुरा का पुरा लण्ड उनकी मक्खन जैसे चूत कि जन्नत में दाखिल हो गया.

माँ चिल्लाइ, उइइइइ इइइइइइइ इइइइइ आआआ उहुहुह्ह्ह्ह्ह् ओह बैटे, ऐसे हि कुच्छ देर हिलना डुलना नही, हि! बडा जालिम है तुम्हारा लण्ड. मार हि डाला मुझे तुमने राजा बैटे… किसी आदमी का लॉडा / लंड है या किसी घोड़े का लंड है .. किसी गधे के लंड जैसा मोटा और लंबा लंड है रवि, तुम्हारा लंड तो.

माँ को काफ़ी दर्द हो रहा लगता था. मैं अपना लण्ड उनकी चूत में घुसा कर चुप चाप पडा था. माँ कि चूत अन्दर हि अन्दर मेरे लौडे को मसल रही थी. उनकी उठी उठी चुन्चीयां काफ़ी तेजी से उपर नीचे हो रही थी.

मैंने हाथ बढा कर दोनो चुन्ची को पकड लिया और मुन्ह में लेकर चूसने लगा. माँ को कुच्छ राहत मिलि और उन्होने कमर हिलानी शुरु कर दि. माँ मुझसे बोली, बैटे शुरु करो, चोदो मुझे. ले लो मजा जवनी का मेरे रज्ज्ज्ज, और अपनी गाण्ड हिलाने लगी. मैं तो था अनाडी. समझ नहीं पाया कि कैसे शुरु करु. मैं तो माँ के इशारे का इन्तजार कर रहा था.
पहले मैंने अपनी कमर को उपर किया तो लण्ड चूत से बाहर आ गया.

फ़िर जब नीचे किया तो ठीक निशाने पर नही बैठा और माँ कि चूत को रगडता हुअ नीचे फिसल कर गाण्ड में जाकर फन्स गया. मैंने दो तीन धक्के और लगाए पर लण्ड चूत में वापिस जाने बजाए फिसल कर गाण्ड में चला जाता. माँ से रहा नही गया और तिलमिला कर बोली, अरे मेरे भोले राजा जरा ठीक से निशाना लगा कर डालो नही तो चूत के उपर लौडा रगड रगड कर झड जाओगे. मैं बोला, माँ अपने इस अनाडी बैटे को कुच्छ सिखाओ, जिन्दगी भर तुम्हे गुरु मानुन्गा और लण्ड कि दक्शिना दुन्गा.

माँ लम्बी सान्स लेती हुए बोली, हाँ बैटे, मुझे हि कुच्छ करना होगा. मेरा हाथ अपनी चुन्ची पर से हटाया और मेरे लण्ड पर रखती हुइ बोले, इसे पकड कर मेरी चूत के मुन्ह पर रखो और लगाओ धक्का जोर से.

मैंने वैसे हि किया और मेरा लण्ड उनकी चूत को चीरता हुअ पुरा का पुरा अन्दर चला गया. फ़िर माँ बोली, अब लण्ड को बाहर निकालो, लेकिन पुरा नही. सुपाडा अन्दर हि रहने देना और फ़िर दोबारा पुरा लण्ड अन्दर पेल देना, बस इस्सि तरह से करते रहो. मैंने वैसे हि करना शुरु किया और मेरा लण्ड धीरे धीरे उनकी चूत में अन्दर-बाहर होने लगा.


फ़िर माँ ने स्पीड बढा कर करने को कहा. मैंने अपनी स्पीड बढा दी औए तेज़ी से लण्ड अन्दर-बाहर करने लगा. माँ को पुरी मस्ती आ रही थी और वो नीचे से कमर उठा उठा कर हर शोट का जवाब देने लगी. लेकिन ज्यादा स्पीड होने से बार बार मेरा लण्ड बाहर निकल जाता था. इससे चूदायी का सिल्सिला टूट जाता था.

आखिर माँ से रहा नही गया और करवट ले कर मुझे अपने उपर से उतार दिया और मुझको चित लिटा कर मेरे उपर चड गयी. अपनी जान्घो को फ़ैला कर मेरी बगल में कर के अपने गद्दे दार चूतड रख कर बैठ गयी.


उनकी चूत मेरे लण्ड पर थी और हाथ मेरी कमर को पकडे हुए थी और बोली, मैं दिखाती हूँ कि कैसे चोदतें है, और मेरे उपर लेट कर धक्का लगाने लगी. मेरा लण्ड घप से चूत के अन्दर दाखिल हो गया. माँ ने अपनी रसीलि चुन्ची मेरी छाती पर रगडते हुए अपने गु्लाबी होन्ठ मेरे होन्ठ पर रख दिया और मेरे मुन्ह में जीभ को डाल दिया. फ़िर माँ ने मज़े से कमर हिला हिला कर शोट लगाना शुरु कर दिया. बडे कस कस कर शोट लगा रही थी मेरी प्यारी माँ. चूत मेरे लण्ड को अपने में समाये हुए तेज़ी से उपर नीचे हो रही थी. मुझे लग रहा था कि मैं जन्नत में पहुन्च गया हूँ. जैसे जैसे माँ कि मस्ती बड रही थी उनके शोट भि तेज़ होते जा रहे थे.

अब माँ मेरे उपर मेरे कन्धो को पकड कर घुटने के बल बैठ गयी और जोर जोर से कमर हिला कर लण्ड को तेज़ी से अन्दर-बाहर लेने लगी. उनका सारा बदन हिल रहा था और सन्से तेज़ तेज़ चल रही थी. माँ कि चुन्चीयां तेजी से उपर नीचे हो रही थी. मुझसे रहा नही गया और हाथ बढा कर दोनो चुन्ची को पकड लिया और जोर जोर से मसलने लगा.

माँ एक सधे हुए खिलाडी कि तरह कमान अपने हाथों में लिये हुए थी और कस कस कर शोट लगा रही थी. जैसे जैसे वो झडने के करीब आ रही थी उनकी रफ़्तार बडती जा रही थी. कमरे में फच फच कि मादक आवाज गुन्ज रही थी.
जब उनकी सान्स फुल गयी तो खुद नीचे आकर मुझे अपने उपर खीन्च लिया और टान्गो को फ़ैला कर उपर उठा लिया और बोली, मैं थक गयी मेरे रज्ज्ज्ज, अब तुम मोर्चा सम्भालो. मैं झट उनकी जान्घो के बीच बैठ गया और निशाना लगा कर झटके से लण्ड अन्दर डाल दिया और उनके उपर लेट कर दनादन शोट लगाने लगा. माँ ने अपनी टान्ग को मेरी कमर पर रख कर मुझे जकड लिया और जोर जोर से चूतड उठा उठा कर चूदायी में साथ देने लगी. मैं भि अब उतना अनाडी नही रहा था और उनकी चुन्ची को मसलते हुए ठका ठक शोट लगा रहा था. कमरा हमारी चूदायी कि आवाज से भरा पडा था.

माँ अपनी कमर हिला कर चूतड उठा उठा कर चुद रही थी और बोले जा रही थी, अह्ह्ह् आअह्ह्ह्ह्ह् उन्ह्ह्ह्ह् ऊओह्ह्ह्ह् ऊऊह्ह्ह्ह्ह् हाआआन् हाआऐ मीईरे रज्ज्ज्ज्ज, आआआअर् गय्य्य्य्य्ये रीईए, चूऊओद् रे चूऊओद्. ऊइइइइइइइइ मीईईरिइइइइ आआअ, फाआआअत् गाआआयीई रीईई आआआज् तो मेरी चूत. ईईएर तो दुउउउम् निक्क्क्कल् तुउउउउने तूऊ आआज. बराआअ जाआअलीएम हाआऐरे तुउउउम्हाआआर लौडा, एक्दुउउउम महीईन् मस्स्स्स्स्सल पीईएस्स् दिय्य्य्य्य रीईई. मैं भि बोल रहा था, लीईए मेरिइइइइ रनिइइइ, लीई लीईए मेरा लौडा अप्निइइइइ ओख्लीईए मीईए. भराआअ तर्पय्य्य्य्य्य है तुनीई मुझीई. लीईए लीई, लीई मेरिइइइइ आइइइइ यह लण्ड अब्ब्ब्ब्ब तेरा हिइइइ है. आह्ह्ह्ह्ह्ह्! उह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह् क्या जन्नत का मज़ा सिखयाआअ तुनीईए. मैं तो तेराआअ गुलम् हूऊऊ गया.

माँ गाण्ड उछाल उछाल कर मेरा लण्ड अपनी चूत में ले रही थी और मैं भि पुरे जोश के साथ उनकी चुन्चीयों को मसल मसल कर अपनी माँ को चोदे जा रहा था. माँ मुझको ललकार कर कहती, लगाओ शोट मेरे राजा, और मैं जवाब देता, यह ले मेरी रानी, ले ले अपनी चूत में. जरा और जोर से सरकाओ अपना लण्ड बैटा अपनी माँ कि चूत में, यह ले मेरी रानी, यह लण्ड तो तेरे लिये हि है. देखो रज्ज्ज्ज मेरी चूत तो तेरे लण्ड कि दिवानी हो गयी है, और जोर से और जोर से आआईईईईए मेरे रज्ज्ज्ज्ज्ज्ज. मैं गयीईईईईए रीई, कहते हुए मेरी माँ ने मुझको कस कर अपनी बाहों में जकड लिया और उनकी चूत ने ज्वालामुखी का लावा छोड दिया.

अब तक मेरा भि लण्ड पानी छोडने वाला था और मैं बोला, मैं भि अयाआआ मेरी जाआअन, और मेरे लण्ड ने भि अपना पानी छोड दिया और मैं हाफ़्ते हुए उनकी चुन्ची पर सिर रख कर कस के चिपक कर लेट गया. यह मेरी पहली चूदायी थी. ईसिलिये मुझे काफ़ी थकान महसुस हो रही थी. मैं माँ के सीने पर सर रख कर सो गया. माँ भि एक हाथ से मेरे सिर को धीरे धीरे से सहलाते हुए दुसरे हाथ से मेरी पीठ सहला रही थी. कुच्छ देर बाद मुझे होश आया तो मैंने माँ के रसिले होन्ठो के चुम्बन लेकर उन्हे जगाया. माँ ने मुझे भी चूमा और अपनी आन्खे खोले ली.

माँ ने करवट लेकर मुझे अपने उपर से हटाया और मुझे अपनी बाहों में कस कर कान में फुस-फुसा कर बोली, रवि बैटे तुमने तो कमाल कर दिया, क्या गजब कि ताकत है तुम्हारे हल्लाबी लण्ड में, तुमने तो मेरी चुदाई ऐसे करी जैसे कोई घोड़ा क्सिसी घोड़ी को जबरदस्त चोद रहा हो.

मैंने उतर दिया, कमाल तो अपने कर दिया है माँ, आज तक तो मुझे मालुम हि नही था कि अपने घोड़े जैसे लण्ड को कैसे इस्तेमाल करना है. य़ह तो आपकी मेहरबानी है जो कि आज मेरे घोड़े जैसे लण्ड को आपकी चूत कि सेवा करने का मौका मिला. अब तक मेरा घोड़े जैसे लण्ड उनकी चूत के बाहर झान्टो के जन्गल में रगड मार रहा था. माँ ने अपनी मुलायम हथेलियों में मेरा घोड़े जैसे लण्ड को पकड कर सहलाना शुरु किया. उनकी उन्गली मेरे आन्डो से खेल रही थी.

उनकी नजुक उन्गलीयों का स्पर्श पाकर मेरा घोड़े जैसे लण्ड भि जग गया और एक अन्गडाई लेकर माँ कि चूत पर ठोकर मारने लगा. माँ ने कस कर मेरा लण्ड को कैद कर लिया और बोली, बहुत जान है तुम्हारे लण्ड में, देखो फ़िर से फ़ड-फ़डाने लगा है, अब मैं इसको चोदुन्गी. हम दोनो अगल बगल लेटे हुए थे. माँ ने मुझको चित लिटा दिया, और मेरी टान्ग पर अपनी टान्ग चडा कर लण्ड को हाथ से उमेठने लगी. साथ हि साथ माँ अपनी कमर हिलाते हुए अपनी झान्ट और चूत मेरी जान्घ पर रगडने लगी. उनकी चूत पिछली चूदायी से अभि तक गिलि थी और उसका स्पर्श मुझे पागल बनाए हुए था.

अब मुझसे रहा नही गया और करवट लेकर माँ कि तरफ़ मुन्ह करके लेट गया. उनकी चुन्ची को मुन्ह में दबा कर चुसते हुए अपनी उन्गली चूत में घुसा कर सहलाने लगा.

माँ एक सिस्कारी लेकर मुझसे कस कर चिपट गयी और जोर जोर से कमर हिलाते हुए मेरी उन्गली से चुदवाने लगी. अपने हाथ से मेरे लण्ड को कस कर जोर जोर से मुठ मार रही थी. मेरा लण्ड पुरे जोश में आकर लोहे कि तरह सख्थ हो गया था. अब माँ कि बेताबी हद से ज्यादा बड गयी थी और खुद चित हो कर मुझे अपने उपर खीन्च लिया. मेरे लण्ड को पकड कर अपनी चूत पर रखती हुइ बोली, आओ मेरे राजा, दूसरा राउन्ड हो जाये… मैं मम्मी की तरफ देख कर मुस्करा दिया और दूसरे राउन्ड तैय्यरी करनी लगा… अब तो मम्मी का जब भी दिल करता अपने बेटे का घोड़े / गधे जैसा लंड का स्वाद ले लेती..

दोस्तो अपनी राय ज़रूर दीजिए

आपका अपना
रविराम69 © Musafir-Mastram

raviram69
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1 Comments
AnonymousAnonymousabout 8 years ago
चुत चाची कि मुझे भि चाहिऐ

चुत चाची कि मुझे भि चाहिऐ