आंटी_रेल गाड़ी में आंटी मस्त गांड

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// मोटे मोटे मुम्मे और गांड वाली आंटी ने गांड मरवाई //
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आंटी_रेल गाड़ी में आंटी की मस्त गांड में मोटा लंड

By: raviram69© द्वारा रविराम६९

// मोटे मोटे मुम्मे और गांड वाली आंटी ने गांड मरवाई //

\\\

All characters in this story are 18+. This story has adult and incest contents. Please do not read who are under 18 age or not like incest contents. This is a sex story in hindi font, adult story in hindi font, gandi kahani in hindi font, family sex stories, कामुक कहानी, हिंदी सेक्स स्टोरीज, हिंदी में चुदाई की कहानी

मेरा संक्षेप परिचय

=============

दोस्तो, मेरा नाम रविराम69 है, सभी मेरे मोटे लम्बे और गधे जैसे लंड की वजह से मुझे 'लॅंडधारी' रवि के नाम से बुलाते हैं। कई औरतें मुझे मस्तराम कहते हैं. मेरा लंड 9 इंच लम्बा और 3 इंच मोटा है। जब मेरा लंड खड़ा (टाइट) होता है तो ऐसा लगता है जैसे किसी घोड़े का लंड या किसी गधे का लंड हो, मेरा लंड उसकी चूत का पानी निकाल कर ही बाहर आता है, और वो लड़की या औरत मेरे इस लंबे, मोटे और पठानी लंड की दीवानी हो जाती है । आज तक मैंने बहुत सी शादीशुदा और कुवांरियों की सील तोड़ी है। मैंने अपनी मम्मी को भी पटाकर चुदाई की है क्योंकि मेरे पापा काम के सिलसिले में ज़्यादातर बहार ही रहते हैं, में बचपन से ही देखता आया हूँ, की मम्मी की चूत कितनी प्यासी है, पापा के कहने पर ही मम्मी हमेशां अपनी चूत की झांटों को साफ़ कर के रखती है, (मम्मी की चूत के ऊपर सिर्फ दिल के आकार (शेप) में बाल हैं, अब तो मम्मी मेरे पठानी लैंड की दीवानी है .. जब पापा घर पर नहीं होते तो हम दिन और रात मैं कई कई बार चुदाई कर लेते हैं .. बस या ट्रेन या रिक्शा मैं भी मम्मी मेरे लैंड को (सबसे छुपाकर) हाथ में रखती है और मेरे लैंड को आगे पीछे करती है. मम्मी को मेरे लंड का लम्बाई और मोटाई बहुत बसंद है ..मम्मी को मेरा लैंड पूरा मूंह मैं ले कर चूसना और चूत में डालकर रखना बहुत पसंद है, मेरा लंड घोड़े/गधे के लंड जैसा है -- आगे से लंड का सुपाड़ा फूला हुआ है, और लंड की लम्बाई पीछे की तरफ से मोटी होती जाती है, जब किसी की चूत या गांड में पूरा जड़ तक लंड घुस जाता है तो दोनों को ही चुदाई का आनंद आता है .....(बाकि फिर दोस्तों ),

अभी स्टोरी

============

मैं दिल्ली का हूँ. मैं एक अच्छी कम्पनी में जॉब करता हूँ. आज मैं जो सेक्स स्टोरी सुनाने जा रहा हूँ, वो मेरे साथ दिल्ली मेट्रो में घटी थी.

ये वाकिया करीब दस दिन पहले का है, मैं रोज की तरह अपने ऑफिस नॉएडा सेक्टर 16 से मेट्रो से अपने घर लौट रहा था. मेट्रो में बहुत भीड़ थी क्यूंकि ये टाइम ऑफिस के छूटने का जो था. धक्का मुक्की करके मैं जैसे तैसे अन्दर चढ़ गया. वैसे डब्बे में पैर भी रखने को मुश्किल सी हो रही थी. अगले स्टेशन पर कुछ लोग उतर गए, तो थोड़ी जगह हुई.. जिससे मैं कुछ और अन्दर को घुस गया.

इस स्टेशन पर कुछ और लोग चढ़े इसलिए डब्बे में तो फिर से जैसे भीड़ थी, बल्कि उससे भी ज्यादा बढ़ गई.

मैं जहाँ खड़ा था, वहां मेरे आगे एक 30-31 साल की मैरिड आंटी भी खड़ी हुई थी. उसने साड़ी पहनी हुई थी और वो अकेली थी. वो मुझे एकदम सेक्सी माल लग रही थी. उसका फिगर भी एकदम सेक्सी था.

उसके उठे हुए चूतड़ मेरे लौड़े के आगे थे, पहले मेरा कोई गलत इरादा नहीं था, लेकिन भीड़ की वजह से मेरा लंड उसके चूतड़ों पर दब रहा था. जैसा कि आपको पता है लंड पर किसी का कंट्रोल नहीं होता है. वही हुआ, थोड़ी देर के बाद मेरे लंड का मोटा सुपाडा आंटी के चूतड़ों में दबने लगा. आंटी ने एक दो बार पीछे देखा लेकिन वो बिना कुछ बोले ऐसे ही खड़ी रही.

मैंने थोड़ा चांस लिया और अपना एक हाथ उसकी गांड पर टच करवा दिया. वो कुछ नहीं बोली तो धीरे धीरे करके मैंने उसके चूतड़ों पर अपना पूरा हाथ रख दिया. उन्होंने पीछे देखा और मुझे थोड़ा पीछे होने को बोला. मैं समझ नहीं पा रहा था कि वो क्या चाह रही है.

मैं थोड़ा पीछे हो गया. अब मैं उसकी गांड से टच नहीं हो रहा था लेकिन अक्षरधाम से भीड़ एकदम चढ़ी और फिर उससे चिपकना मेरी मजबूरी हो गया.

और अब तो भीड़ इतनी ज्यादा थी कि वो कह भी नहीं सकती थी कि पीछे हटो. अब मेरा खड़ा लंड का मोटा सुपाडा आंटी की गांड की दरार में लगा था. अब आंटी ने भीड़ का फायदा देख कर अपना हाथ पीछे कर दिया और मेरे लंड को अपनी गांड पर दबा दिया. मुझे थोड़ा दर्द हुआ और मैंने भी आंटी की गांड को अपने हाथ से दबा दी.

मैं उसके कूल्हों को हाथ से सहला रहा था और मेरा हाथ उसकी गांड की दरार पर लग गया था, मैं उसके चूतड़ों को दबाने लगा. उसे भी मज़ा आने लगा और वो अपनी गांड को मेरे लंड की तरफ दबाने लगी.

मैंने घूम कर देखा तो भीड़ में किसी का भी ध्यान हमारी तरफ नहीं था. लगभग सब चेहरे थके हुए से थे.. जैसे किसी को कुछ परवाह भी नहीं थी.

फिर मैं अपना हाथ आगे करके उसकी चूत पे ले गया और ऊपर से सहलाने लगा. बाय गॉड... आंटी की बुर को टच कर के तो बड़ा मज़ा आ रहा था.

थोड़ी देर में राजीव चौक आ गया तो वो उतरने लगी. मैं भी उसके पीछे उतर गया. अब मैंने चलते हुए उसे हाय कहा तो वो भी हंस कर हैलो बोली.

मैंने कहा- आपका नम्बर मिल सकता है?

आंटी ने थोड़ा भाव खाने के बाद अपना मोबाइल नम्बर दे दिया. फिर हम मेट्रो के अन्दर के ही कैफे काफी डे में बैठे गए. वो मेरे साथ इस वक्त ऐसा बर्ताव कर रही थी, जैसे कि हम एक दूसरे को काफी समय से जानते हों और जैसे वो मेरी गर्लफ्रेंड हो. मैंने उसकी खूब तारीफ़ की, वो सुन कर खुश हो रही थी.

उस दिन तो कुछ नहीं हुआ लेकिन अब हम फोन पर रेग्युलर बात करते और एक साथ ही मेट्रो में आया जाया भी करते हैं. जब कभी भीड़ होती और मौक़ा मिलता तो मैं उसकी गांड और चूत को दबा देता था.

अगले सन्डे मैंने उसे फोन किया और घूमने चलने को बोला, वो तैयार हो गई, मैंने उसे इन्डिया गेट पर बुलाया और तय वक्त पर मैं भी वहां पहुँच गया और हम मिल गए. उसने टॉप और जींस पहना थाज जिसमे वो सेक्सी लग तही थी, उसके चूतड़ पूरे उठे हुए नजर आ रहे थे, मेरा लंड उसके चूतड़ देख कर खडा हो गया.

हम वहीं बैठ कर बातें करने लगे, उसने बताया कि उसका पति सेल्स मैनेजर है और अक्सर आउट ऑफ़ टाउन ही होता है.

मैंने उससे होटल में चलने को कहा तो साली ने थोड़ा भाव खाया लेकिन फिर वो रेडी हो गई. ऑटो करके हम दोनों एक सस्ते वाले होटल पर आए और कमरा ले लिया. कुछ ही देर में तो हम दोनों बेड पर थे और बातें कर रहे थे.

बातों बातों में मैंने उसकी टांगों पर हाथ रख दिया और सहलाने लगा. उसने आँखें बंद कर लीं. फिर मैंने उसेव अपनी बांहों में भर लिया और उसे किस करने लगा, वो भी मेरा साथ देने लगी. मैं अपना हाथ उसकी चूची पर ले आया और सहलाने लगा. उसकी चूचियां काफी मुलायम थी, मुझे बहुत मजा आ रहा था और उसे भी जरूर मजा आ रहा होगा.

कुछ ही पलों में हम दोनों की कामुकता बढ़ गई और मैंने उसका टॉप उतार दिया. वो ब्लैक कलर की ब्रा में थी, मैंने ब्रा को भी निकाल दिया.

वाऊ.. क्या मोटे मोटे मुम्मे थे..

मैंने अपने होंठ उसकी एक चूची पर रख दिए और मैं उसकी चूचियों को काफी देर तक चूसता रहा. वो गरम हो गई थी, कहने लगी- क्या मस्त चूसते हो यार.. कितने जन्म की प्यास थी तुम्हारी?

उसकी इस बात पर हम दोनों हंस पड़े.

मैंने कहा- यार मुम्मे चूसने की प्यास कभी बुझ सकती है क्या?

फिर मैं अपना एक हाथ उसकी जींस के ऊपर से ही उसकी चूत पर ले गया और दबा दबा कर सहलाने लगा. कुछ देर बाद मैंने उसकी जींस भी निकाल दी और ब्लैक कलर की पेंटी भी नीचे खींच ली. उसकी नंगी चूत देख कर मेरी कामुकता और बढ़ गई और अब मुझे उसे चोदने की जल्दी होने लगी.

वो सामने मेरे पूरी नंगी पड़ी थी, उसकी चूत एकदम चिकनी थी, वो पहले से अपनी चूत को चुदाई के लिए तैयार करके लाई थी, उसे पता था कि आज उसकी चूत चुदाई होना निश्चित है.

मैं उसकी चूत की दरार में उंगली फिराने लगा तो उसकी चूत पानी छोड़ने लगी. मैंने अपनी एक उंगली चूत के अंदर घुसा दी तो वो कांप उठी और सिसकारियां भरने लगी. वो बेचैन होने लगी और मेरे मोटे लंड को मेरी पैन्ट के ऊपर से ही पकड़ने लगी.

क्या बताऊँ दोस्तो कि ये आंटी कितना सेक्सी माल थी. मैंने भी अपने कपड़े निकाल दिए और उसके ऊपर चढ़ गया, मैं लंड हिला कर बोला- अब तुम्हारी बारी है.

वो समझ गई कि मैं क्या कह रहा हूँ. उसने मेरा लंड पकड़ के अपने मुँह में ले लिया और मोअन करते हुए उसे चूसने लगी. वो कभी मेरे सुपारे पर जीभ फिराती तो कभी पूरा लंड मुंह में भर लेती.

लंड चूसते चूसते उसने मुझे बताया कि उसके पति का लंड इतना बड़ा नहीं है और वो ज्यादा देर तक खड़ा भी नहीं रहता है.

मैंने पूछा- क्या वो तुमको चोदता नहीं है?

उसने कहा कि मेरा पति मुश्किल से पांच मिनट चोद पाता है.

मैंने अब आंटी को बेड पर लिटा लिया और के पैर अपने कंधे के ऊपर रख लिए और अपने लम्बे मोटे गधे जैसे लंड को चूत के मुँह पर रख कर झटका लगाया. उसकी चूत चिकनी थी, इसलिए लंड बिना किसी मुश्किल के अन्दर घुस गया पर वो चिल्लाने लगी. शायद उसकी चूत सही तरह से खुली नहीं थी या साली नौटंकी कर रही थी.

फिर मैं उसे किस करने लगा और धीरे से दूसरा झटका मारा, मेरा लम्बा मोटा पूरा लंड अब उसकी चूत में था. अब मैंने शॉट मारना स्टार्ट कर दिया. पूरा कमरा फचाफच की आवाज़ से गूंज रहा था.

कुछ देर बाद वो मेरे ऊपर चढ़ गई और उसने मेरे लंड को अपनू चूत में लेकर लंड की सवारी कराणे लगी. इस पोज़ीशन में चूत चोदने में बहुत ही मजा आ रहा था क्यूंकि मेरा लंड उसकी चूत में पूरा घुस रहा था और मुझे बिना मेहनत किये ही चूत चुदाई का मजा मिल रहा था.

अब मैंने आंटी से कहा कि मैं आपकी गांड भी मारना चाहता हूँ, मुझे ट्रेन में आपकी गांड मस्त लगी थी.

वो हंस कर बोली- तभी तुम उसे खूब दबा रहे थे.

उसने मुझे गांड मारने से मना नहीं किया तो मुझे समझ में आ गया कि इसके सब छेद खुले हुए हैं. मैंने उसे कुतिया की तरह उल्टा लिटा दिया और उसकी गांड पर थूक लगा दिया. मैंने कुछ थूक की बूंदों को अपने लंड के सुपारे पर भी मल के उसे चिकना और चिकना कर दिया.

मैंने सही एंगल सैट करके गांड पर लंड रखके ऐसा झटका दिया कि लंड गांड में आधे से अधिक घुस गया. आंटी की गांड मानो फट गई और वो चिल्लाने लगी- उईईइ माँ अह्ह्ह्ह ह्ह माँ.. मर गईईई बाप रे कितना बड़ा घुसेड़ दिया.. आआह.. आह्ह्ह्ह मेरी गांड में.. उई..

मैंने कुछ मिनट तक लंड नहीं हिलाया तो उसे थोड़ी राहत हुई. मैंने हाथ आगे करके उसकी चुचियों को दबा दिया और गांड में लंड को धीरे धीरे हिलाने लगा.

वो सीत्कार तो कर रही थी लेकिन अपनी गांड हिला कर मेरा साथ भी दे रही थी.

कुछ देर गांड सेक्स के बाद हम फिर से चूत चुदाई करने लगे. पन्द्रह मिनट की चुदाई के बाद मैं झड़ने वाला था तो मैंने कहा- जान डिस्चार्ज कहाँ करूँ?

वो बोली- अन्दर ही निकालो ना.. मेरे पास तो लाइसेंस है.

हम दोनों हंस पड़े और फिर मैंने दो तीन जोर के झटके लगा कर अपने लंड का पानी आंटी की चूत में निकाल दिया.

वो बोली- आह.. कितना गरम है तेरा रस..

झड़ने के बाद मैं आंटी के नंगे बदन पर ही लेटा रहा कुछ देर!

मैंने आंटी से पूछा- मजा आया?

वो बोली- मुझे तो बहुत मजा आया, तू बता कि तुझे मजा आया या नहीं!

मैं बोला- मुझे तो खूब मजा आया तुम्हारी चूत और गांड मार कर!

इसके बाद मैंने रिसेप्शन पर फोन करके कोल्ड ड्रिंक मंगवाई और हम सेक्स की बातें करने लगे. कुछ देर बाद मैं फिर से आंटी को चोदने लगा.

मैंने पूरे दिन के लिए रूम लिया था तो दो बार चुदाई करने के बाद हम रूम बंद कर के बाहर घूमने चले गए और खाना खा कर लौटे.

रूम में आते ही हम दोनों फिर शुरू हो गए. उस दिन शाम तक तो वो मेरे लंड से 4 बार चुदी जिसमें दो बार मैंने उसकी गांड भी मारी.

आज भी अक्सर वीकेंड में उसका पति जब आउट ऑफ़ टाउन होता है, मुझे इस हॉट आंटी के साथ सेक्स करने को मिलता है. आंटी तो मेरे मोटे लम्बे घोड़े जैसे लंड की दीवानी हो गयी है }

~~~ समाप्त ~~~

दोस्तो, कैसे लगी ये कहानी आपको,

कहानी पड़ने के बाद अपना विचार ज़रुरू दीजिएगा ...

मेरी इमेल है रविरम६९ @ रीडिफ़ मेल डॉट कॉम

आपके जवाब के इंतेज़ार में ..

आपका अपना

रविराम69 (c) "लॅंडधारी" (मस्तराम - मुसाफिर)

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