Bhabhi ka haseen dhokha Ch. 04

Story Info
Bhabhi realises she can't live without her devar.
3.3k words
4.11
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Part 4 of the 6 part series

Updated 06/08/2023
Created 09/11/2017
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भाभी के साथ इतनी चुदाई के बाद मैं थक चुका था. इसलिए अपने कमरे में आ कर मैं नंगा ही अपने बिस्तर पर लेट गया और सो गया. कुछ देर बाद भाभी ने आकर मुझे जगाया.

"राजू... उठ... सोने से पहले पजामा तो पहन लेता. अपना लौड़ा सारी दुनिया में नुमाइश करने का इरादा है क्या"?

"भाभी... नुमाइश के लिए दुनिया है लेकिन घर तो इसका आपके अंदर है".

भाभी मुस्कुराई. मैने पल्लू हटा के उनकी नाभि चूमी फिर उनकी नाभि चाटने लगा. भाभी ज़ोर से मेरा सर दबाने लगी और मुझसे अपना पेट चटवाने लगी.

"राजू, जितना प्यार तुझे मेरे पेट को करना है कर ले. तेरे भैया रास्ते में हैं और महीने भर घर पर ही रहेंगे."

"भाभी ये तो बुरी खबर है. आपकी चूत में तो आग लग जाएगी."

"सही कहा राजू... बहुत मिस करूँगी इस छोटे शेर को".

"भाभी... तो एक बार... मेरा लंड चूसो ना".

"ज़रूर चूसूंगी, राजू... लेकिन वादा कर की तू अभी मेरे उपर या अंदर अपना माल नही गिराएगा".

"तो कहाँ गिराऊंगा... भाभी?"

"यह मेरे पास एक शीशी है. उसमे अपना सारा माल गिरा देना. नहा धो कर आई हूँ. फिर से नही नहाना मुझे".

"ठीक है, भाभी. अब चूसो ना प्लीज़".

भाभी बिस्तर पर बैठ गयी. मेरा लंड अपने दोनो हाथों में लेकर प्यार से बोली.

"ये महाशय तो थकते ही नहीं. इतनी चुदाई की, फिर भी शांत नही हुआ. बड़ा गुस्सैल लंड है".

फिर भाभी ने मेरा लंड चाटना शुरू कर दिया और प्यार से मेरे टटटे सहलाने लगी.

मुझे बड़ा आनंद आ रहा था. भाभी मेरा लंड टट्टों से टोपे तक चाटती. एक बार उन्होने मेरे लंड का छेद अपनी जीभ से छेड़ा, मेरे अंदर बिजली दौड़ गयी.

"भाभी, उधर ही चाटो ना".

"बदमाश... भाभी से अपना छेद चटवाता है... शर्म नही आती तुझे?"

मैं मुस्कुराया और भाभी के बाल सहलाने लगा.

भाभी भी मुस्कुराई और मेरे छेद को अपनी जीभ से चाटने लगी.

"बहुत अच्छा लग रहा है, भाभी... रुकना मत".

मैं नंगा खड़ा अपना छेद चटवा रहा था. भाभी मेरे टटटे सहला रही थी.

मुझे इतना आनंद आ रहा था. मैने भाभी की चूचियाँ ब्लाउस के उपर से ही पकड़ ली और कस-कस के दबाने लगा.

"आराम से राजू... साड़ी खराब मत कर".

"भाभी प्लीज़... क्या मैं आपका मुँह चोद सकता हूँ"?

"नही!"

"प्लीज़ भाभी... अभी आप एक महीने के लिए नही मिलोगी मुझे प्लीज़ करने दो".

"उफ्फ... ठीक है कर ले... लेकिन अगर तूने मेरे मुँह में अपना माल छोड़ा, तो याद रखना, तुझे कभी अपने जिस्म पर हाथ नही रखने दूँगी".

"ठीक है भाभी".

मैं नीचे झुक कर भाभी के होंठ चूमने लगा. खूब देर उनका रसपान किया.

भाभी तब तक मेरे टटटे सहला रही थी. फिर अपना लंड उनके मुँह के सामने ले आया. भाभी ने भी अपना मुँह हल्का सा खोला.

मैने भाभी का चेहरा पकड़ा और अपना लंड उनके मुँह में सरका दिया. भाभी जीभ से मेरा लंड गीला कर रही थी. साथ ही मेरे टट्टो की मसाज कर रही थी.

मुझे बहुत आनंद आ रहा था. कुछ देर बाद मैने अपने कूल्हे आगे-पीछे करने शुरू किए. उनकी मुँह चुदाई शुरू हो गयी थी. मैं प्यार से उनका मुँह चोद रहा था. लेकिन ख़याल रख रहा था की अपना माल उनके मुँह में ना गिरा दूं.

भाभी खूब मज़े ले रही थी. एक हाथ से वो मेरे टटटे सहला रही थी. तभी मैने उनका दूसरा हाथ अपने कूल्हे पर महसूस किया. वो मेरे कूल्हे अपने नाखूनो से नोचने लगी. मुझे मज़ा आ रहा था. करीब 15 मिनिट ऐसे ही चला.

अचानक भाभी की उंगली मेरे पिछवाड़े के छेद पर पड़ी और वो उसे अपनी उंगली से मलने लगी.

मुझे लगा मैं छूटने वाला हूँ.

"भाभी मैं.... मैं... मैं छूट रहा हूँ".

भाभी ने तुरंत अपने मुँह से मेरा लंड निकाला और एक हाथ से हिलाने लगी. दूसरे हाथ से शीशी का ढक्कन खोला और बोली, "ले राजू.. इसमे झड़ना".

"भाभी आप हिलाती रहो... मैं छूटने वाला हूँ".

भाभी ने वैसा ही किया. जल्दी ही मैं छूटा.

मेरा माल लंड से निकल कर शीशी को भरने लगा. मैं 20 सेकेंड छूटा जिससे पूरी शीशी भर गयी.

छूटने के बाद मैं बिस्तर पर गिर पड़ा और आराम करने लग. भाभी साड़ी ठीक करने लगी.

थोड़ी देर बाद भाभी मेरे पास आई और शीशी को देख कर बोली.

"हाय राम! राजू तू कितना माल छोड़ता है. एक बार में. इतने माल से तो तू 10 औरतों को एक साथ पेट से कर सकता है".

"मुझे तो सिर्फ़ एक ही औरत को पेट से करना है". मैं भाभी के पेट पर हाथ फिराते हुए बोला.

"हट.. बदमाश... मुझे पेट से करेगा तू?... अपनी भाभी को पेट से करेगा?... अपनी नाजायज़ औलाद देगा मुझे?"

"क्यों नही भाभी... आप इस दुनिया की सबसे उत्तम औरत हो... आप नही चाहोगी की आपके साथ जो बच्चा पैदा करे वो भी उत्तम हो?... आप नही चाहोगी की आपका बेटा मेरे जैसा मस्त लंड पाए?"

"बिल्कुल चाहूँगी, राजू... लेकिन एक नाजायज़ औलाद को जन्म नही देना मुझे.... ये बता... तुझे सच में मैं उत्तम लगती हूँ?"

"भाभी... आप तो सर्व-गुण संपन्न हो. आप खूबसूरत हो. सेक्सी हो. अच्छा खाना बनाती हो. कौन नही चाहेगा आपसे शादी करना. और आपका ये गोरा मुलायम पेट और ये प्यारी सी नाभि.... कौन मर्द नही चाहेगा की उसका बच्चा इस पेट में पले... भाभी अगर आपकी बहन होती तो मैं उससे ज़रूर शादी कर लेता".

भाभी मुस्कुराई और मुझे आके चूम लिया.

"चल... तेरे भैया आते ही होंगे. कपड़े पहन ले".

भाभी इतना कहके चली गयी.

थोड़ी देर बाद भैया आ गये और खाना खाने के लिए मुझे नीचे बुलाया गया. टेबल पे चाची और भैया बैठे थे. भाभी खाना बना रही थी.

"मैं भाभी की ज़रा मदद करता हूँ." मैने चाची और भाभी से बोला.

मैं किचन में भाभी के पीछे जाकर खड़ा हो गया. फिर भाभी की कमर पर अपना हाथ रख दिया.

भाभी चौंक उठी और पीछे घूमी तो मैने उन्हे झट से चूम लिया.

वो मुझसे अलग हुई और बोली "राजू... यहाँ नही... तेरे भैया बगल वाले कमरे में ही हैं"

"भाभी आप खाना बनाइए... मुझे अब आपकी चूत तो अगले कई दिनो तक नही मिलेगी... अब ऐसे ही मज़े लेने पड़ेंगे"

भाभी ने चेहरे से नाराज़गी जताई पर वो खाना बनाने लग गयी.

मैं अपना हाथ सरका कर उनके पेट पर ले गया और नाभि से खेलने लगा.

"एक दिन देखना इस पेट से मेरी औलदें पैदा होंगी"

फिर मैं अपना हाथ साड़ी के अंदर सरका कर उनकी चूत को रगड़ने लगा.

दूसरे हाथ से मैं चूचियाँ दबाने लगा.

"राजू... नही... तेरे भैया को सब सुनाई दे जाएगा".

लेकिन भाभी की चूत गीली होने लगी थी.

"राजू ये वक़्त और जगह नही है ये सब करने की".

"तू चूत क्यूँ गीली है तेरी... सुम्मी".

भाभी मेरी तरफ गुस्से से देखने लगी.

भाभी ने मेरा हाथ अपनी चड्डी में से निकाल दिया और खाना लेकर डाइनिंग टेबल पर चली गई. मैं थोड़ी देर बाद पानी लेकर डाइनिंग टेबल पर पहुंचा और भाभी के बगल में बैठ गया. सब लोग खाना खाने लगे और मैंने धीरे से भाभी के पेट पर हाथ रख दिया. भाभी ने मुझे फिर गुस्सा नजरों से देखा. लेकिन मैंने अपना हाथ नहीं हटाया और प्यार से उनका पेट चलाने लगा. नाभि के इर्द-गिर्द गोल गोल अपनी उंगलियों से घुमा घुमा के मैं आनंद ले रहा था. फिर मैंने एक चम्मच गिरने के बहाने से नीचे झुका और पल्लू हटा के उनका पेट चूम लिया. भाभी ने मेरा चेहरा अपने पेट से हटाया और खाना खाने लग गई. मुझे मालूम था कि अगले कुछ दिनों तक भाभी की खूबसूरत योनि का स्वाद मुझे नसीब नहीं होगा. इसलिए मैंने सोचा कि कुछ दिन उनकी चड्डी से ही काम चलाना पड़ेगा. मुझसे रुका नहीं गया और मैं धीरे-धीरे भाभी की साड़ी उठाने लगा. उनकी गोरी सुडौल जांघें मुझे ललचा रही थी. मैंने उनकी जांघ पर अपना हाथ रख दिया. बहुत ही मुलायम त्वचा थी. भाभी ने झट से मेरा हाथ अपने हाथ से पकड़ लिया और आंखों से इशारा किया रुकने का. लेकिन मैं कहां मानने वाला था. जैसे ही भाभी ने मेरा हाथ छोड़ा मैं धीरे-धीरे फिर से उनकी चड्डी की तरफ अपना हाथ बढ़ाने लगा. उनकी चड्डी के पास पहुंचकर मैं उनकी चूत सहलाने लगा. चड्डी बहुत गीली थी. भाभी की आंखें गुस्से से तमतमा रही थी. लेकिन मैंने एक ना सुनते हुए धीरे धीरे उनकी चड्डी नीचे उतारने लगा. थोड़ी ही देर में उनकी चड्डी मैंने उनके जिस्म से अलग कर दी और किसी बहाने से नीचे झुक कर उनकी चड्डी अपनी जेब में रख ली. भाभी साड़ी के नीचे अब पूरी नंगी थी. खैर मेरा रात का इंतजाम तो हो गया. मैंने सोचा भाभी की चड्डी की महक लेते हुए मीठी नींद सोऊंगा. हम सब खाना खाकर सोने चले गए. मैं लेटे लेटे भाभी की चड्डी की महक लेते हुए अपना लंड हिला रहा था. तभी किसी ने मेरे दरवाजे पर खटखटाया. मैंने दरवाजा खोला तो सामने भाभी खड़ी थी और गुस्से से मुझे देख रही थी.

तभी उन्होंने मेरे गाल पर जोर का थप्पड़ रसीद दिया.

"तूने क्या मुझे अपनी रंडी समझ रखा है? जब आकर मेरी चूत मैं अपनी उंगली करेगा या सब की मौजूदगी में मेरी चड्डी उतार के मुझे नंगा करेगा? शुक्र मना कि तेरे भैया सासू मां को नहीं पता चला. पहले भी तुझे बोला था मेरे साथ कोई जोर जबरदस्ती नहीं करना. मैं कोई ढाई रूपए वाली रंडी नहीं हूं जो तू मेरे साथ अपनी मनमानी करें. बेशर्म मुझे पेट से करना चाहता था ना तू. आइंदा मुझे छूना भी मत नहीं तो मैं पुलिस में जाऊंगी और तेरी शिकायत करूंगी. तू मेरी चूत के जितने मजे लेना चाहता था ले चुका. अब बस मेरी चड्डी पर ही मुंह मारना. भड़वा साला मुझे अपनी रंडी समझता है".

मुझे यकीन नहीं हुआ कि भाभी इतना बुरा मान गई है. मैं उनको मनाने उनके पीछे गया. भाभी ने मुझे धमकाया की वह सच में पुलिस के पास जाएंगे अगर मैंने उन्हें छुआ भी तो. फिर भाभी अपने कमरे में चली गई और मैं भी अपने कमरे में आ गया. भाभी की चड्डी संभालकर अंदर रख दी और बिना हस्तमैथुन किए सो गया.

अगले 10 दिन तक मेरी भाभी से बात नहीं हुई. वह मुझे देखकर इग्नोर करती. खाना खाने को बुलाने के लिए भी भैया से कहती. भाभी मुझसे नाराज थी. और इस नाराजगी के चलते मैं इतने दिनों हस्तमैथुन भी नहीं किया. एक रात पानी पीने के लिए जब मैं उठा तो भाभी के कमरे से कामुक आवाजें आ रही थी. मैं दरवाजे पर कान लगाकर खड़ा हो गया.

"हां जानू.... हां बस वही पर... बस उधर ही... प्लीज रुकना मत.... चोदो मुझे.... चोदो मुझे... मेरी चूत की प्यास बुझाओ"

"मेरी जान.... हा.... हां.... मैं छूट रहा हूं.... मैं छूट रहा हूं"

भैया छूट के भाभी के जिस्म से अलग हो गए और खर्राटे मार के सोने लगे. भाभी रोने लगी.

"10 दिन से मेरा संभोग अधूरा रह जाता है... अपने भाई से कुछ सीख... बिना मेरा पानी निकाले छूटता नहीं था... बेचारा आज कल बस हस्तमैथुन ही कर पा रहा होगा. लेकिन गलती उसी की ही है... पर माफी भी तो मांग सकता है ना".

उसके बाद भाभी सो गई और मैं भी अपने कमरे में आकर सो गया. सुबह हुई तो भैया काम पर चले गए मैं भी कॉलेज जाने के लिए तैयार हो रहा था. नीचे उतरा तो भाभी के कमरे की तरफ गया. भाभी नहा कर आई थी और साड़ी पहनकर अपने बाल सवार रही थी. मैं धीरे से आकर जमीन पर बैठ गया और अपना सर उनके पांव पर लगा दिया.

"यह क्या कर रहा है राजू?"

"भाभी प्लीज मुझे माफ कर दीजिए. मुझसे गलती हो गई. आप की मर्जी के बिना अब कभी मैं आपको हाथ भी नहीं लगाऊंगा"

भाभी ने मुझे उठने को कहा फिर मुझे अपने गले से लगा लिया.

"जा राजू मैंने तुझे माफ किया. लेकिन वादा कर ऐसी हरकत तू दोबारा कभी नहीं करेगा".

"वादा करता हूं भाभी... आप जब से नाराज हुई तब से मैं हस्तमैथुन भी नहीं कर पाया हूं"

भाभी को कस के गले लगा लिया और फूट-फूट कर रोने लगा.

"रो मत राजू... तुझे सबक सिखाना जरूरी था"

"भाभी आई लव यू... आपके बिना मैं जी नहीं पाऊंगा".

"आई लव यू टू राजू"

फिर भाभी ने मुझे चूम लिया. मैं भी भाभी को प्यार से चूमने लगा.

"बड़ा तड़पाया मैंने मेरे राजू को.... ले... जितना प्यार करना है कर ले".

मैंने पल्लू खोल दिया और उनका गोरा पेट मेरे सामने था. मैंने भाभी की नाभि को चूम लिया और खूब देर तक चूमता रहा. फिर प्यार से उनका पेट सहलाने लगा और फिर उनका पेट अपने चेहरे से लगा लिया.

"चल राजू अब तू कॉलेज जा और रात को मुझे तेरी जरूरत पड़ेगी".

"क्या हुआ भाभी?"

" 10 दिन की प्यासी हूं समझ जा". भाभी ने मुझे आंख मारते हुए बोला.

मैं खुशी-खुशी कॉलेज चला गया. और रात का बेसब्री से इंतजार करने लगा. कॉलेज से वापस आया तो भाभी खाना बना रही थी.

मैं मुंह हाथ धोकर नीचे आया और टीवी देखने लगा. थोड़ी देर बाद खाना लग गया. हम सब खाना खाने लगे. खाना खाने के बाद भाभी मेरे पास आई और बोली "तैयार रहना तुझे कॉल करूंगी थोड़ी देर में".

हम सब सोने चले गए. मुझे मालूम था कि भैया भाभी की चुदाई शुरू हो गई होगी. करीबन 1 घंटे बाद मुझे भाभी का फोन आया.

"राजू मेरे कमरे में आ जा".

मैं उत्साहित होकर भाभी के कमरे में गया. वहां भैया सो रहे थे और नीचे गद्दा बिछा हुआ था.

"आजा राजू... गद्दे पर लेट जाओ".

"लेकिन भैया?"

"अरे तेरे भैया को मैंने थोड़ी शराब पिला दी. सुबह तक नहीं उठेंगे."

मैं कपड़े उतारकर नंगा हो गया और लंड हाथ में लेकर धीरे धीरे हिलाने लगा. भाभी ने भी अपने सारे कपड़े उतार दिए और मेरे लंड को ललचाई निगाहों से देखने लगी.

"राजू तरस गई हूं तेरे लंड के लिए. चूत मेरी बड़ी प्यासी है. आज की प्यास बुझा जा".

"जरूर भाभी. आप गद्दे पर लेट जाइए और बंदा आप की खिदमत में हाजिर है".

भाभी गद्दे पर लेट गई. और मैं अपना मुंह की चूत के पास ले गया. मैंने गहरी सांस अंदर ली तो उनकी मादक खुशबू से मेरा लंड पूरे शबाब पर आ गया. मैंने अपनी जीभ निकाली और प्यार से उनकी चूत चाटने लगा. बहुत ही गर्म थी उनकी चूत. और जल्द ही चूत से पानी बहने लगा. मैं सारा पानी चट कर गया. भाभी कामुक आवाजें निकाल रही थी और अपनी चूचियां सहला रही थी. मैं अपना काम करता रहा. फिर मैंने अपनी उंगली ली और उनका दाना रगड़ने लगा. भाभी तो मानो पागल ही हो गई. उनकी सांसे तेज हो गई.

"हां राजू. बस मुझे चाटता रह. प्लीज रुकना मत. मुझे छूटने मैं मेरी मदद कर.... आह.... आह.... आह... हां मेरे राजा. काश तू मेरा पति होता. चाट मुझे. चाट मुझे"

मैं एक हाथ से उनका दाना रगड़ रहा था और दूसरे हाथ से उनकी चूचियां मसल रहा था. तभी भाभी के अंदर से एक आवाज आई "आह" की और भाभी छूटने लगी. भाभी खूब देर छूटी और फिर शांत हो गई. मैं ऊपर आ गया हूं और उनको चूमने लगा. भाभी भी मुझे चूमने लगी. मैंने देखा उनकी आंखों से आंसू बह रहे थे. मैंने प्यार से उनकी आंखें चूम ली और आंसू पी गया.

"राजू, मैं 10 दिन की प्यासी हूं. मेरे अंदर आग लगी हुई थी. आग बुझाने के लिए शुक्रिया. अरे यह क्या, तेरा छोटा शेर तो बड़ा उछल रहा है."

भाभी मुझे उठने को बोली. खुद भी उठ गए. मेरा लंड मुंह में लिया और प्यार से चूसने लगी. कभी-कभी मेरे लंड के छेद को वह अपनी जीभ से छेड़ती तो मुझे आनंद आ जाता. मैं भी 10 दिन से हस्तमैथुन नहीं किया था. मेरे अंडे में बहुत माल था.

"भाभी प्लीज अब चोदने दो ना. आप चुस्ती रही तो मैं आपके मुंह में ही झड़ जाऊंगा"

भाभी ने मेरा लंड अपने मुंह से निकाला और गद्दे पर लेट गई. मैं उनके ऊपर चढ़ गया, अपना लंड उनकी चूत के मुंह पर रखा और एक ठोकर मारी जिस से मेरा पूरा लंड एक ही बार में नंगी चूत में जा धसा.

भाभी के मुंह से कामुक आवाजें आने लगी. मैंने धीरे धीरे अपना लंड आगे पीछे करना चालू किया. चुदाई शुरू हो चुकी थी. मैं भाभी को चूम लिया और फिर उनकी एक चूचुक मुंह में लेकर चूसने लगा.

"हां. चोद मेरे राजा. चोद मेरे राजा. बना दे मेरी चूत का भोसड़ा".

मैं कस के भाभी को चोदने लगा. भाभी खूब मज़े लेने लगी और गंदी गंदी गालियां देने लगी.

"आह मादड़चोद.... ओ बहनचोद.... चोद रे साले मादरजात.... खुद को मेरी चूत के लायक साबित कर".

"कुत्तिया. रंडी. छिनाल. पति से चुदवाती है और अब अपने देवर से चुदवा रही है. मेरी रांड"

भाभी ने मुझे कस के पकड़ लिया, अपने पैर मेरे चूतड़ों पर रख दिए मुझे कस के चोदने को कहने लगी. मैंने अपनी रफ़्तार बढ़ा दी. अब भाभी की चूत से फच फच फच फच की आवाज आने लगी. तभी अचानक भाभी छूटने लगी. मैंने अपनी रफ्तार थोड़ी और बढ़ाई और उनको छूटने में मदद की. मैंने उनको चूम लिया. मेरे अंडे भाभी के चूतड़ों पर तबला बजा रहे थे. बहुत ही कामुक माहौल था. भाभी पसीने से तर थे. फिर भी मुझे और चोदने को कहती रही. तभी मुझे लगा कि मैं छूटने वाला हूं. मैंने भाभी को कस के पकड़ लिया.

"भाभी मैं छूटने वाला हूं. अपना माल कहां निकाल दूं?"

"जहां भी तेरा मन करें निकाल दे. तूने खुद को मेरे जिस्म के काबिल साबित कर दिया है".

मैंने भाभी को चूम लिया और फिर उनकी चूत में छूटने लगा. 10 दिन का माल इतना ज्यादा था कि उनकी चूत से मेरा माल बहने लगा और जमीन पर इकट्ठा होने लगा. मैं 20 सेकंड तक छूटता रहा और भाभी प्यार से मेरे अंडे सहला रही थी.

हम दोनों बहुत थक गए थे और एक दूसरे की बाहों में ही आराम करने लगे. मेरा लंड अभी भी भाभी की चूत मैं ही था और माल छोड़ रहा था.

"भाभी, इतना माल कितनी औरतों को पेट से कर सकता है?"

मैंने मुस्कुराते हुए पूछा.

"कम से कम 25-30 औरतों के लिए तो इतना माल काफी होगा".

"भाभी, थैंक यू. आपके बिना तो यह लंड पागल ही हो गया था. मुझे लगता है आपकी चूत ही इसका असली घर है".

"अच्छा देवर जी. और अपना यह माल जो छोड़ रहा है उसका घर कहां है?"

मैं मुस्कुराया और भाभी के पेट को चूम लिया.

"यही है मेरे माल की असली जगह. आपके पेट में. 9 महीने अपना घर बनाएगा उसको"

"हट बदमाश. मुझे मां बनाएगा तू? और बाप कौन होगा. तू या तेरा भाई?"

"आप जैसा बोलो भाभी. मैं तो आपसे शादी भी कर लूंगा. आई लव यू सुमन".

"आई लव यू टू राजू. तुझे एक खुशखबरी सुनाऊं?"

"क्या हुआ भाभी? क्या सच में आप पेट से हो?"

"अरे नहीं रे पगले. तेरे भैया अगले हफ्ते 2 महीने के लिए मुंबई जा रहे हैं और सासू मां भी 1 महीने के लिए हरिद्वार जा रही हैं किसी आश्रम में".

"मतलब?"

"मतलब तू और मैं 1 महीने के लिए इस घर में अकेले होंगे".

"सच में भाभी?" मेरी खुशी का ठिकाना नहीं रहा और मैंने भाभी को चूम लिया.

"मैं इंतजार नहीं कर सकता, भाभी, आपके साथ अकेले वक्त बिताने का".

"अच्छा ऐसा क्या करेगा तुम मेरे साथ?"

"बस भाभी. इतना चोदूंगा की एक साथ आप आधे दर्जन बच्चों की मां बन जाओगी".

भाभी हंसने लगी और मुझे चूम लिया. मेरा मन था कि आज भाभी से चिपक कर ही सो जाऊं.

"उठ जा राजू. कपड़े पहन ले और अपने कमरे में जाकर सो जा".

"भाभी प्लीज सोने दो ना आज अपने साथ. बड़े दिन हो गए हैं".

"राजू हफ्ता भर सब्र कर. खूब मस्ती करेंगे हम दिन में. रात में चिपक कर सोएंगे एक साथ".

मैंने भाभी के होठों को चूम लिया और उठ गया. मैं अपने कपड़े पहनने लग गया तो देखा भाभी की चूत काफी खुल गई थी.

"देखो भाभी. असली मर्द से चोदने का असर. आपकी चूत भी बंद होने का नाम नहीं ले रही".

भाभी हंसने लगी और मैं अपने कमरे में चला गया और भाभी के ख्यालों में खोया खोया सही सो गया.

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