भाई-बहन, एक दूजे के सहारे

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भाई-बहन, एक दूजे के सहारे.
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सुरिंदर छोटे से गांव का रहने वाला है. उसके माँ बाप मर चुके हैं गाँव में बस उसके माँ बाप और बहन ही थे गांव में घोर गरीबी के चलते उसे 15 साल की ही उम्र अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़ कर दिल्ली आना पड़ा. दिल्ली आते ही उसे एक कारखाने में नौकरी मिल गयी. उसने तुरंत ही अपनी लगन एवं इमानदारी का इनाम पाया और उसकी तरक्की सिर्फ एक साल में ही सुपरवाइजर में हो गयी.

अब उसे ज्यादा वेतन मिलने लगा था. अब वो अपने गाँव अपने माँ बाप और बहन से मुलाक़ात करने एवं उन्हें यहाँ लाने की सोच रहा था. तभी एक दिन उसके पास उसकी बहन का फोन आया कि उसके माँ बाप का एक्सिडेंट हो गया है. सुरिंदर जल्दी से अपने गाँव के लिए छुट्टी ले कर निकला. दिल्ली से गाँव जाने में उसे तीन दिन लग गए. मगर दुर्भाग्यवश वो ज्यों ही अपने घर पहुंचा उसके अगले दिन ही उसके माँ बाप की मृत्यु हो गयी. होनी को कौन टाल सकता था. माँ बाप के गुजरने के बाद सुरिंदर अपनी बहन को दिल्ली ले जाने की सोचने लगा क्यों कि यहाँ वो बिलकुल ही अकेली रहती और गाँव में कोई खेती- बाड़ी भी नही थी जिसके लिए उसकी बहन गाँव में रहती. पहले तो उसकी बहन अपने गाँव को छोड़ना नही चाहती थी मगर भाई के समझाने पर वो मान गयी और भाई के साथ दिल्ली चली आयी. उसकी बहन का नाम सुगंधा है. उसकी उम्र 20-21 साल की है. गाँव में मनोज नाम के लड़के से उसका चक्कर चला था। वो लड़का सुगंधा को चोद कर भाग गया था।

सुरिंदर ने दिल्ली में एक छोटा सा कमरा किराया पर ले रखा था. इसमें एक किचन और बाथरूम अटैच था. उसके जिस मकान में यह कमरा ले रखा था उसमे चारों तरफ इसी तरह के छोटे छोटे कमरे थे. वहां पर लगभग सभी बाहरी लोग ही किराए पर रहते थे. इसलिए किसी को किसी से मतलब नही था. सुरिंदर का कमरे में सिर्फ एक खिडकी और एक मुख्य दरवाजा था. सुगंधा पहली बार अपने गाँव से बाहर निकली थी. दिल्ली की भव्यता ने उसकी उसकी आँखे चुंधिया दी. जब सुरिंदर अपनी बहन सुगंधा को अपने कमरे में ले कर गया तो सुगंधा को वह छोटा सा कमरा भी आलिशान लग रहा था. क्यों कि वो आज तक किसी पक्के मकान में नही रही थी. वो गाँव में एक छोटे से झोपड़े में अपना जीवन यापन कर रही थी. उसे उसके भाई ने अपने कमरे के बारे में बताया . किचन और बाथरूम के बारे में बताया. यह भी बताया कि यहाँ गाँव कि तरह कोई नदी नहीं है कि जब मन करे जा कर पानी ले आये और काम करे. यहाँ पानी आने का टाइम रहता है. इसी में अपना काम कर लेना है. पहले दिन उसने अपनी बहन को बाहर ले जा कर खाना खिलाया. सुगंधा के लिए ये सचमुच अनोखा अनुभव था. वो हिंदी भाषा ना तो समझ पाती थी ना ही बोल पाती थी. वो परेशान थी . लेकिन ने उसे समझाया कि वो धीरे धीरे सब समझने लगेगी.

रात में जब सोने का समय आया तो दोनों एक ही बिस्तर पर सो गए. सुरिंदर का बिस्तर डबल था. इसलिए दोनों को सोने में परेशानी तो नही हुई. परन्तु सुरिंदर तो आदतानुसार किसी तरह सो गया लेकिन पहाड़ों पर रहने वाली सुगंधा को दिल्लीकी उमस भरी रात पसंद नही आ रही थी.वो रात भर करवट लेती रही. खैर! सुबह हुई. सुरिंदर अपने कारखाने जाने केलिए निकलने लगा. सुगंधा ने उसके लिए नाश्ता बना दिया. सुरिंदर ने सुगंधा को सभी जरुरी बातें समझा कर अपने कारखाने चला गया. सुगंधा ने दिन भर अपने कमरे की साफ़ सफाई की एवं कमरे को व्यवस्थित किया.शाम को जब सुरिंदर वापस आया तो अपना कमरा सजा हुआ पाया तो बहुत खुश हुआ. उसने सुगंधा को बाजार घुमाने लेगया और रात का खाना भी बाहर ही खाया.

सुगंधा अब धीरे धीरे अपने गाँव को भूलने लगी थी. अगले 3 -4 दिनों में सुगंधा अपने माँ बाप की यादों से बाहर निकलने लगीथी और अपने आप को दिल्ली के वातावरण अनुसार ढालने की कोशिश करने लगी. सुरिंदर सुगंधा पर धीरे धीरे हावी होने लगा था. सुरिंदर जो कहता सुगंधा उसे चुप चाप स्वीकारकरती थी. क्यों कि वो समझती थी कि अब उसका भरण - पोषण करने वाला सिर्फ उसका भाई ही है. सुरिंदर भी अब सुगंधा का अभिभावक के तरह व्यवहार करने लगा था.

सुरिंदर रात में सिर्फ अंडरवियर पहन कर सोता था. एक रात में उसकी नींद खुली तो वो देखता है कि उसकी बहन बैठी हुई.

सुरिंदर - क्या हुआ? सोती क्यों नहीं?

सुगंधा - इतनी गरमी है यहाँ.

सुरिंदर - तो इतने भारी भरकम कपडे क्यों पहन रखे हैं?

सुगंधा - मेरे पास तो यही कपडे हैं.

सुरिंदर - गाउन नहीं है क्या?

सुगंधा - नहीं.

सुरिंदर - तुमने पहले मुझे बताया क्यों नहीं? कल मै लेते आऊँगा.

अगले दिन सुरिंदर अपनी बहन के लिए एक बिलकूल पतली सी नाइटी खरीद कर लेते आया. ताकि रात में बहन को आराम मिल सके. जब उसने अपनी बहन को वो नाइटी दिखाया तोवो बड़े ही असमंजस में पड़ गयी. उसने आज तक कभी नाइटी नही पहनी थी. लेकिन जब सुरिंदर ने बताया कि दिल्ली में सभी औरतें नाइटी पहन कर ही सोती हैं तो उसने पूछा कि इसे पहनूं कैसे? सुरिंदर ने कहा - अन्दर के सभी कपडे खोल दो. और सिर्फ नाइटी पहनलो. बेचारी सुगंधा ने ऐसा ही किया. उसने किचन में जा कर अपनी पहले के सभी कपडे खोले और सिर्फ नाइटी पहनली. नाइटी काफी पतली थी. सुगंधा का जवान जिस्म अभी 20 साल का ही था. उस पर पहाड़ी औरत का जिस्म काफी गदराया हुआ था. गोरी और जवान सुगंधा के मुम्में बड़े बड़े थे. गाउन का गला इतना नीचे था कि सुगंधा के मुम्में का निप्पल सिर्फ बाहर आने से बच रहा था.

सुगंधा ने गाउन को पहन कर कमरे में आयी और सुरिंदर से कहा - देख तो,ठीक है?

सुरिंदर ने अपनी बहन को इतने पतले से नाइटी में देखा तो उसके होश उड़ गए. सुगंधा का सारा जिस्म का अंदाजा इस पतले से नाइटी से साफ़ साफ़ दिख रहा था. सुगंधा के आधे मुम्में तो बाहर दिख रहे थे. सुरिंदर ने तो कभी ये सोचा भी नही था कि उसकी बहन के मुम्में इतनी गोरे और बड़े होंगे. वो बोला - अच्छी है. अब तू यही पहन कर सोना. देखना गरमी नहीं लगेगी

उस रात सुगंधा सचमुच आराम से सोई. लेकिन सुरिंदर का दिमाग बहन के बदन पर टिक गया था. वो आधी रात तक अपनी बहन के बदन के बारे में सोचता रहा. वो अपनी बहन के बदन को और भी अधिक देखना चाहने लगा. उसने उठकर कमरे का लाईट जला दिया. उसकी बहन का गाउन उसकी जांघ तक चढ़ चुका था. जिस से सुगंधा की गोरी चिकनी जांघ सुरिंदर को दिख रही थी. सुरिंदर ने गौर से सुगंधा के मुम्में की तरफ देखा. उसने देखा कि सुगंधा के मुम्में का निप्पल भी साफ़ साफ़ पता चल रहा है. वो और भी अधिक पागल हो गया. उसका लंड अपनी बहन के बदन को देख कर खड़ा हो गया. वो बाथरूम जा कर वहां से अपनी सोई हुई बहन के बदन को देख देख कर मुठ मारने लगा. मुठ मारने पर उसे कुछ शान्ति मिली. और वापस कमरे में आ कर लाईट बंद कर के सो गया. सुबह उठा तो देखा सुगंधा फिर से अपने पुराने कपडे पहन कर घर का काम कर रही है. लेकिन उसके दिमाग में सुगंधा का बदन अभी भी घूम रहा था.

उसने कहा - सुगंधा, रात कैसी नींद आयी?

सुगंधा - कल बहुत ही अच्छी नींद आयी. गाउन पहनने से काफी आराम मिला.

सुरिंदर - लेकिन, मैंने तो सिर्फ एक ही गाउन लाया. आगे रात को तू क्या पहनेगी?

सुगंधा - वही पहन लुंगी.

सुरिंदर - नहीं, एक और लेता आऊँगा. कम से कम दो तो होने ही चाहिए.

सुगंधा - ठीक है, जैसी तेरी मर्जी.

सुरिंदर शाम कारखाने से घर लौटते समय बाज़ार गया और जान बुझ कर झीनी कपड़ों वाली गाउन वो भी बिना बांह वाली खरीद कर लेता आया.

उसने शाम में अपनी बहन को वो गाउन दिया और कहा आज रात में सोते समय यही पहन लेना.

रात में सोते समय जब सुगंधा ने वो गाउन पहना तो उसके अन्दर सिवाय पेंटी के कुछ भी नही पहना. उसका सारा बदन उस पारदर्शी गाउन से दिख रहा था. यहाँ तक कि उसकी पेंटी भी स्पष्ट रूप से दिख रहे थे. उसका गोरा गोरा मुम्मा और निप्पल तो पूरा ही दिख रहा था. उस गाउन को पहन कर वो सुरिंदर के सामने आयी. सुरिंदर अपनी बहन के बदन को एकटक देखता रहा.

सुगंधा- देख तो कैसा है, मुझे लगता है कि कुछ पतला कपडा है.

सुरिंदर - अरे सुगंधा, आजकल यही फैशन है. तू आराम से पहन.

अचानक उसकी नजारा अपनी बहन के कांख के बालों पर चली गयी. कटी हुई बांह वाली गाउन से सुगंधा के बगल वाले बाल बाहर निकल गए थे.

सुरिंदर ने आश्चर्य से कहा - सुगंधा , तू अपने कांख के बाल नही बनाती?

सुगंधा - नहीं आज तक नहीं बनाया.

सुरिंदर - अरे सुगंधा, आजकल ऐसे कोई नहीं रखता.

सुगंधा - मुझे तो बाल बनाना भी नही आता.

सुरिंदर - ला , मै बना देता हूँ.

सुगंधा आजकल सुरिंदर के किसी बात का विरोध नहीं करती थी. सुरिंदर ने अपना शेविग बॉक्स निकाला और रेजर निकाल कर ब्लेड लगा कर तैयार किया. उसने सुगंधा को कहा- अपने हाथ ऊपर कर. उसकी बहन ने अपनी हाथ को ऊपर किया और सुरिंदर ने अपनी बहन के कांख के बाल को साफ़ करने लगा. साफ़ करते समय वो जान बुझ कर काफी समय लगा रहा था. और हाथ से अपनी बहन के कांखको बार बार छूता था. इस बीच इसका लंड पानी पानी हो रहा था. वो तो अच्छा था कि उसने अन्दर अंडरवियर पहन रखा था. किसी तरह से सुरिंदर ने कांपते हाथों से अपनी बहन के कांख के बाल साफ़ किये.

बाल साफ़ करने के बाद सुगंधा तो सो गयी. मगर सुरिंदर को नींद ही नहीं आ रही थी. वो अपनी बहन की बगल में लेटे हुए अँधेरे में अपने अंडरवियर को खोल कर अपने लंड से खेल रहा था.अचानक उसे कब नींद आ गयी. उसे ख़याल भी नहीं रहा और उसका अंडरवियर खुला हुआ ही रह गया. सुबह होने पर रोज़ कि तरह सुगंधा पहले उठी तो वो अपने भाई को नंगा सोया हुआ देख कर चौक गयी. वो सुरिंदर के लंड को देखकर आश्चर्यचकित हो गयी. उसे पता नहीं था कि उसके भाई का लंड अब जवान हो गया है और उस पर बाल भी हो गए है. वो समझ गयी कि उसका भाई अब जवान हो गया है. उसके लंड का साइज़ देख कर भी वो आश्चर्यचकित थी क्यों कि उसने आज तक अपने यार मनोज के लंड के सिवा कोई और जवान लंड नहीं देखा था. मनोज का लंड इस से छोटा ही था. हालांकि उसके मन में कोई बुरा ख़याल नही आया और सोचा कि शायद रात में गरमी के मारे इसने अंडरवियर खोल दिया होगा. वो अभी सोच ही रही थी कि अचानक सुरिंदर की आँख खुल गयी और उसने अपने आप को अपनी बहन के सामने नंगा पाया. वो थोडा शर्मिंदा हुआ लेकिन आराम से तौलिया को लपेटा और कहा - सुगंधा, चाय बना दे न.

सुगंधा थोडा सा मुस्कुरा कर कहा - अभी बना देती हूँ.

सुरिंदर ने सोचा - चलो सुगंधा कम से कम नाराज तो नहीं हुई.

लेकिन उसकी हिम्मत थोड़ी बढ़ गयी. अगली ही रात को सुरिंदर ने सोने के समय जान बुझ कर अपना अंडरवियर पूरी तरह खोल दिया और एक हाथ लंड पर रख सो गया. सुबह सुगंधा उठी तो देखती है कि उसका भाई लंड पर हाथ रख कर सोया हुआ है. उसने सुरिंदर को कुछ नही कहा और वो कमरे को साफ़ सुथरा करने लगी. उसने सुरिंदर के लिए चाय बनाई और सुरिंदर को जगाया. सुरिंदर उठा तो अपने आप को नंगा पाया ,.

सुरिंदर थोडा झिझकते हुए कहा - पता नहीं रात में अंडरवियर कैसे खुल गया था.

सुगंधा - तो क्या हुआ? यहाँ कौन दुसरा है? मै क्या तुझे नंगा नहीं देखी हूँ? बहन के सामने इतनी शर्म कैसी?

सुरिंदर - वो तो मेरे बचपन में ना देखी हो. अब बात दूसरी है.

सुगंधा - पहले और अब में क्या फर्क है? यही ना अब थोडा बड़ा हो गया है और थोडा बाल हो गया है , और क्या? अब मेरा भाई जवान हो गया है. लेकिन बहन के सामने शर्माने की जरुरत नहीं.

सुरिंदर समझ गया कि सुगंधा को उसके नंगे सोने पर कोई आपत्ति नहीं है.

अगले दिन रविवार है. शाम को सुरिंदर ने आधा किलो मांस लाया और सुगंधा ने उसे बनाया . दोनों ने ही बड़े ही प्रेम से मांस और भात खाया. सुगंधा अब पूरी तरह से सुरिंदर के अधीन हो चुकी थी.

सुगंधा अपने झीनी गाउन को पहन कर बिस्तर पर आ गयी. सुरिंदर वहां तौलिया लपेटे लेटा हुआ था. सुरिंदर ने अपनी जेब से सिगरेट निकाला और सुगंधा से माचिस लाने को कहा. सुगंधा ने चुप- चाप माचिस ला कर दे दिया. सुरिंदर ने सुगंधा के सामने ही सिगरेट सुलगाई और पीने लगा. सुगंधा ने कुछ नही कहा क्यों कि उसके विचार से सिगरेट पीने वाले लोग अमीर लोग होते हैं.

सुरिंदर - सुगंधा, तू सिगरेट पीयेगी?

सुगंधा - नहीं रे .

सुरिंदर - अरे पी ले, मांस भात खाने केबाद सिगरेट पीने से खाना जल्दी पचता है. कहते हुए अपनी सिगरेट सुगंधा को दे दिया. और खुद दुसरा सिगरेट जला दिया. सुगंधा ने सिगरेट से ज्यों ही कश लगाया वो खांसने लगी.

सुरिंदर ने कहा - आराम से सुगंधा. धीरे धीर पी. पहले सिर्फ मुह में ले. धुंआ अन्दर मत ले. सुगंधा ने वैसा ही किया. 3 -4 कश के बाद वो सिगरेट पीने जान गयी. आज वो बहुत खुश थी. उसका गोरा बदन उसके काले झीने गाउन से साफ़ झलक रहा था.

सुरिंदर - कैसा लग रहा है सुगंधा?

सुगंधा - कुछ पता नहीं चल रहा है. लेकिन धुआं छोड़ने में अच्छा लगता है.

सुरिंदर हंसने लगा. कुछ दिन यूँ ही और गुजर गए. सुगंधा अपने भाई से धीरे धीरे खुलने लगी थी. सुरिंदर भी अब रोज़ सुबह नंगा ही पाया जाता था. सुरिंदर ने अब शर्माना सचमुच छोड़ दिया था. सुरिंदर ने अपनी बहन को ब्यूटी पार्लर ले जा कर मेकअप और हेयर डाई भी करवा दिया था. वह उसके मेक-अप के लिए लिपस्टिक, पाउडर क्रीम आदि भी लेता आया था. सुगंधा दिन ब दिन और भी खुबसूरत होती जा रही थी.

एक रात सुरिंदर ने सिगरेट पीते हुए अपनी बहन को सिगरेट दिया. सुगंधा भी सिगरेट के काश ले रही थी. सुगंधा काला वाला झीने कपडे वाला पारदर्शी गाउन पहन रखा था. उसका गोरा बदन उसके काले झीने गाउन से साफ़ झलक रहा था.

सुरिंदर - सुगंधा एक बात कहूँ.

सुगंधा - हाँ बोल.

सुरिंदर - तू रोज़ गाउन पहन के क्यों सोती है? क्या तेरे पास ब्रा और पेंटी नहीं हैं?

सुगंधा - हाँ हैं, लेकिन तेरे सामने पहनने में शर्म आती है.

सुरिंदर - जब मै तेरे सामने नही शर्माता तो तू मेरे सामने क्यों शर्माती हो? इसमें शर्माने की क्या बात है? कभी कभी वो पहन कर भी सोना चाहिए. ताकि पुरे शरीर को हवा लग सके. दिल्ली में शरीर में हवा लगाना बहुत जरुरी है नहीं तो यहाँ के वातावरण में इतना अधिक प्रदुषण है कि बदन पर खुजली हो जायेंगे. देखती हो मै तो यूँ ही बिना कपडे के सो जाता हूँ.

सुगंधा - तो अभी पहन लूँ?

सुरिंदर - हाँ बिलकूल.

सुगंधा अन्दर गयी और अपना गाउन उतार कर एक पुरानी ब्रा पहन कर बाहर आ गयी. पुरानी पेंटी तो उसने पहले ही पहन रखी थी. सुगंधा को ब्रा और पेंटी में देख सुरिंदर का माथा खराब हो गया. वो कभी सोच भी नहीं सकता था कि उसकी बहन इतनी जवान है.उसका लंड खड़ा हो गया. उसके तौलिया में उसका लंड खड़ा हो रहा था लेकिन उसने अपने लंड को छुपाने की जरुरतनहीं समझी.

वो बोला - हाँ , अब थोड़ी हवा लगेगी. तेरे पास नयी ब्रा और पेंटी नहीं है?

सुगंधा - नहीं. यही है जो गाँव के हाट में मिलता था.

सुरिंदर - अच्छा कोई बात नहीं, मै कल ला दूंगा.

सुगंधा ने लाईट ऑफ कर दिया, लेकिन सुरिंदर की आँखों में नींद कहाँ? थोड़ी देर में जब उसे यकीं हो गया कि सुगंधा सो गयी है तो उसने अपना तौलिया निकाला और अपने खड़े लंड को मसलने लगा. सुगंधा के चूत और चूची को याद कर कर के उसने बिस्तर पर ही मुठ मार दिया. सारा माल उसके बदन पर एवं बिस्तर पर जा गिरा. एक बार मुठ मारने से भी सुरिंदर का जी शांत नहीं हुआ. 10 मिनट के बाद उसने फिर से मुठ मारा. इस बार मुठ मारनेके बाद उसे गहरी नींद आ गयी. और वो बेसुध हो कर सो गया.

सुबह होने पर सुगंधा ने देखा कि सुरिंदर रोज़ की तरह नंगा सोया है और आज उसके बदन एवं बिस्तर पर माल भी गिरा है. उसे ये पहचानने में देर नहीं हुई कि ये सुरिंदर का वीर्य है. वो समझ गयी कि रात में उसने मुठ मारा होगा. लेकिन वो जरा भी बुरा नहीं मानी. वो समझती है कि उस का भाई जवान है, एवं समझदार है इसलिए वो जो करता है वो सही है. वो कपडे पहन कर सुरिंदर के लिए चाय बनाने चली गयी. तभी सुरिंदर भी उठ गया. वो उठ कर बैठा ही था कि उसकी बहन चाय लेकर आ गयी. सुरिंदर अभी तक नंगा ही था.

सुगंधा ने कहा - देख तो, तुने ये क्या किया? जा कर बाथरूम में अपना बदन साफ़ कर ले. मै बिछावन साफ़ कर लुंगी.

सुरिंदर बिना कपडे पहने ही बाथरूम गया. और अपने बदन पर से अपना वीर्य धो पोछ कर वापस आया तब उसने तौलिया लपेटा. तब तक सुगंधा ने वीर्य लगे बिछवान को हटा कर नए बिछावन को बिछा दिया.

उस दिन रविवार था. सुरिंदर बाज़ार गया और अपनी बहन के लिए बिलकुल छोटी सी ब्रा और पेंटी खरीद कर लाया. ब्रा और पेंटी भी ऐसी कि सिर्फ नाम के कपडे थे उस पर. पूरी तरह जालीदार ब्रा और पेंटी लाया. शाम में उसने अपनी सुगंधा को वो ब्रा और पेंटी दिए और रात में उसे पहनने को बोला. रात को खाना खाने के बाद सुरिंदर ने सिगरेट सुलगाई और उधर उसकी बहन ने नयी ब्रा और पेंटी पहनी. उसे पहनना और ना पहनना दोनों बराबर था. क्यों कि उसके चूत और मुम्मों का पूरा दर्शन हो रहा था. लेकिन सुगंधा ने सोचा जब उसके भाई ने ये पहनने को कहा है तो उसे तो पहनना ही पड़ेगा. उसे भी अब सुरिंदर से कोई शर्म नही रह गयी थी. पेंटी तो इंतनी छोटी थी कि चूत के बाल बिलकुल बाहर थे. सिर्फ चूत एक जालीदार कपडे से किसी तरह ढकी हुई थी. ब्रा का भी वही हाल था. सिर्फ निप्पल को जालीदार कपडे ने कवर कियाहुआ था लेकिन जालीदार कपड़ा से सब कुछ दिख रहा था. उसे पहन कर वो सुरिंदर के सामने आयी. सुरिंदर को तो सिगरेट का धुंआ निगलना मुश्किल हो रहा था. सिर्फ बोला - अच्छी है.

सुगंधा ने कहा - कुछ छोटी है. फिर उसने अपनी चूत के बाल की तरफ इशारा किया और कहा - देख न बाल भी नहीं ढका रहें हैं.

सुरिंदर - ओह, तो क्या हो गया. यहाँ मेरे सिवा और कौन है? इसमें शर्म की क्या बात है. खैर! मेरे शेविंग बॉक्स से रेजर ले कर नीचे वाले बाल बना लो.

सुगंधा - मुझे नही आते हैं शेविंग करना. मुझे डर लगता है.

सुरिंदर - इसमें डरने की क्या बात है?

सुगंधा - कहीं कट जाए तो?

सुरिंदर - देख सुगंधा, इसमें कुछ भी नहीं है. अच्छा , ला मै ही बना देता हूँ.

सुगंधा - हाँ, ठीक है.

सुगंधा ने उसका शेविग बॉक्स में से रेजर निकाला और सुरिंदर को थमा दिया. सुरिंदर ने उसके चूत के बाल पर हाथ घसा और उसे धीरे धीरे रेज़र से साफ़ किया.

उसका लंड तौलिया के अन्दर तम्बू के तरह खड़ा था. किसी तरह उसने अपने हाथ से चूत के बाल साफ़ किया. फिर उसने उसने अपनी बहन को सिगरेट दिया और खुद भी पीने लगा. वो लगातार अपनी बहन के चूची और चूत को ही देख रहा था और अपने तौलिये के ऊपर लंड को सहला रहा था.

सुरिंदर ने कहा - अब ठीक है. चूत के बाल साफ़ करने के बाद तू एकदम सेक्सी लगती है रे.

सुगंधा ने हँसते हुए कहा - चल हट बदमाश, सोने दे मुझे. खुद भी सो जा.कल तुझे कारखाना भी जाना है ना.

सुरिंदर ने अपना तौलिया खोला और खड़े लंड को सहलाते हुए कहा - देख ना सुगंधा, तुझे देख कर मेरा लंड भी खडा हो गया है.

सुगंधा ने कहा - वो तो तेरा रोज ही खड़ा होता है. रोज की तरह आज भी मुठ मार ले.

सुरिंदर ने हँसते हुए कहा - ठीक है. लेकिन आज तेरे सामने मुठ मारने का मन कर रहा है.

सुगंधा ने कहा - ठीक है. आजा बिस्तर पर लेट जा और मेरे सामने मुठ मार ले. मै भी तो जरा देखूं कि मेरा जवान भाई कैसे मुठ मारता है?

सुगंधा और सुरिंदर बिस्तर पर लेट गए. सुरिंदर ने बिस्तर पर अपनी बहन के बगल में लेटे लेटे ही मुठ मारना शुरू कर दिया. सुगंधा अपने भाई को मुठ मारते हुए देख रही थी. पांच मिनट मुठ मारने के बाद सुरिंदर के लंड ने माल निकालने का सिग्नल दे दिया. वो जोर से आवाज़ करने लगा.उसने झट से अपनी बहन को एक हाथ से लपेटा और अपने लंड को उसके पेट पर दाब कर सारा माल सुगंधा के पेट पर निकाल दिया. ये सब इतना जल्दी में हुआ कि सुगंधा को संभलने का मौक़ा भी नही मिला. जब तक वो संभलतीऔर समझती तन तक सुरिंदर का माल उसके पेट पर निकलना शुरू हो गया था. सुगंधा भी अपने भाई को मना नही करना चाहती थी. उसने आराम से अपने शरीर पर अपने भाई को अपना माल निकालने दिया. थोड़ी देर में सुरिंदर का माल की खुशबु रूम में फ़ैल गयी. सुगंधा का पेंटी भी सुरिंदर के माल से गीला हो गया. थोड़ी देर में सुरिंदर शांत हो गया. और अपनी बहन के बदन पर से हट गया. लेकिन थोड़ी ही देर में उसने अपनी बहन के शरीर को अच्छी तरह दबा कर देख चुका था. सुगंधा भी गर्म हो चुकी थी. उसने भीअपने पुरे कपडे उतारे और बिस्तर पर ही मुठ मारने लगी. उसने भी अपना माल निकाल कर शांत होने पर नींद मारी. सुबह होने पर सुगंधा ने आराम से बिछावन को हटाया और नया बिछावन बिछा दिया.

अगली रात को लाईट ऑफ कर दोनों बिस्तर पर लेट गए. सुगंधा ने सुरिंदर के पसंदीदा ब्रा और पेंटी पहन रखी थी. आज सुरिंदर अपनी बहन का इम्तहान लेना चाहता था. उसने अपनी टांग को पीछे से अपनी बहन की जांघ पर रखा. उसकी बहन उसकी तरफ पीठ कर के लेती थी. सुगंधा ने अपने नंगी जांघ पर सुरिंदर के टांग का कोई प्रतिरोध नहीं किया. सुरिंदर की हिम्मत और बढी.वो अपनी टांगो से अपनी बहन के चिकने जाँघों को घसने लगा. उसका लंड खडा हो रहा था. उसने एक हाथ को सुगंधा के पेट पर रखा. सुगंधा ने कुछ नही कहा. सुरिंदर धीरे धीरे सुगंधा में पीछे से सट गया. उसने धीरे धीरे अपना हाथ अपनी बहन के पेंटी में डाला और उसके गांड को घसने लगा. धीरे धीरे उसने अपनी बहन के पेंटी को नीचे की तरफ सरकाने लगा.

पहले तो सुगंधा आसानी से अपनी पेंटी खोलना नही चाहती थी मगर सुरिंदर ने कहा - सुगंधा ये पेंटी खोल ना.आज तू भी पूरी तरह से पूरी तरह से नंगी सोएगी. सुगंधा भी यही चाहती थी. उसने अपनी कमर को थोड़ा ऊपर किया जिस से कि सुरिंदर ने उसके पेंटी को उसके कमर से नीचे सरका दिया और पूरी तरह से खोल दिया. अब सुगंधा सिर्फ ब्रा पहने हुए थी. सुरिंदर ने उसके ब्रा के हुक को पीछे से खोल दिया और सुगंधा ने ब्रा को अपने शरीर से अलग कर दिया. अब वो दोनों बिलकूल ही नंगे थे. सुरिंदर ने अपनी बहन को पीछे से पकड़ कर अपने लंड को अपनी बहन के गांड में सटाने लगा. उसका तना हुआ लंड सुगंधा की गांड में चुभने लगा. सुगंधा को मज़ा आ रहा था. उसकी भी साँसे गरम होने लगी थी. जब सुगंधा ने कोई प्रतिरोध नही किया तो सुरिंदरने अपनी बहन के बदन पर हाथ फेरना चालु कर दिया. उसने अपना एक हाथ सुगंधा के मुम्मों पर रख उसे दबाने लगा.

उसने सुगंधा से कहा - सुगंधा, मेरा मुठ मारने का मन कर रहा है.

सुगंधा - मार ना. मैंने मना किया है क्या?

सुरिंदर - आज तू मेरा मुठ मार दे ना सुगंधा.

सुगंधा - ठीक है . कह कर वो सुरिंदर की तरफ पलटी और उसके लंड को पकड़ ली. खुद सुगंधा को अहसास नही था की सुरिंदर का लंड इतना जबरदस्त है. वो बड़े ही प्यार से सुरिंदर का लंड सहलाने लगी. सुरिंदर तो मानो अपने सुध बुध ही खो बैठा. वो अपने आप को जन्नत में पा रहा था. सुगंधा अँधेरे में ही सुरिंदर का मुठ मारने लगी. सुगंधा भी मस्त हो गयी.

वो बोली - रुक , आज मै तेरा अच्छी तरह से मुठ मारती हूँ. कह कर वो नीचे झूकी और अपने भाई सुरिंदर का लंड को मुह में ले ली. सुरिंदर को जबये अहसास हुआ कि उसकी बहन ने उसके लंड को मुह में ले लिया है तो वो उत्तेजना के मारे पागल होने लगा. उधर सुगंधा सुरिंदर के लंड को अपने कंठ तक भर कर चूस रही थी. थोड़ी ही देर में सुरिंदर का लंड माल निकालने वाला था.

वो बोला - सुगंधा - छोड़ दे लंड को माल निकलने वाला है.

सुगंधा ने उसके लंड को चुसना चालु रखा. अचानक सुरिंदर के लंड ने माल का फव्वारा छोड़ दिया. सुगंधा ने सारा माल अपने मुह में ही भर लिया और सब पी गयी. अपने भाई का वीर्य पीना का आनंद ही कुछ और था. थोड़ी देर में बसन्ती ने सुरिंदर के लंड को मुह से निकाल दिया. और वो बाथरूम जा कर कुल्ला कर के आई.

तब सुरिंदर ने कहा - सुगंधा , तुने तो कमाल कर दिया.

सुगंधा ने बेड पर लेटते हुए कहा - तेरा लंड का माल काफी अच्छा है रे.

कह कर वो सुरिंदर कि तरफ पीठ कर के सोने लगी. मगर सुरिंदर का जवान लंड अभी हार नहीं मानने वाला था. उसने अपनी बहन को फिर से पीछे से पकड़ कर लपेटा और उसके बदन पर हाथ फेरने लगा. उसका लंड फिर खड़ा हो गया. इस बार उसका लंड सुगंधा की चिकनी गांड के दरार में घुसा हुआ था. ये सब उसके लिए पहला अनुभव था. वो अपनी बहन के गांड के दरार में लंड घुसा कर लंड को उसी दरार में घसने लगा. वो इतना गर्म हो गया की दो मिनट में ही उसके लंड ने माल निकालना चालु कर दिया और सारा माल सुगंधा के गांड के दरारों में ही गिरा दिया. उत्तेजना के मारे फिर से उसका बहुत माल निकल गया था.सुगंधा का गांड पीछे से पूरी तरह भींग गया. धीरे धीरे जब सुरिंदर का लंड शांत हुआ तो तो सुगंधा के बदन को छोड़ कर बगल लेट गया और थक के सो गया. इधर सुगंधा उठ कर बाथरूम गयी और अपने गांड को धोया और वो वापस बिना पेंटी के ही सो गयी. वो जानती थी कि सुरिंदर उससे पहले नहीं उठेगा और सुबह होने पर वो नए कपडे पहन लेगी. लेकिन वो भी गर्म हो गयी थी. काफी अरसे बाद उसके शरीर से किसी लंड का मिलन हुआ था. वो सोचने लगी कि उसके भाई का लंड उसके यार मनोज से थोड़ा ज्यादा ही बड़ा और मोटा है. उसे भी मनोज के साथ मस्ती की बातें याद आने लगी. ये सब सोचते हुए वो सो गयी. सुबह वो पहले ही उठी और कपडे पहन लिए. सुरिंदर ज्यों ही उठा उसकी बहन सुगंधा उसके लिए गरमा गरम कॉफी लायी और मुस्कुरा कर उसे दिया. सुरिंदर समझ गया कि आज की रात कहानी और आगे बढ़ेगी.

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