बुआ का प्यार

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बुआ और भतीजा का प्यार.
5.7k words
3.88
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7
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Part 1 of the 2 part series

Updated 06/08/2023
Created 12/08/2017
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यह कहानी पूर्णतया काल्पनिक है। कहानी के सभी पात्र अठारह वर्ष या उससे ऊपर के हैं।

यह कहानी एक ऐसी औरत की है जो सती सावित्री थी, परंतु एक नाटकीय मोड़ ने उसे कुछ और ही बना दिया। यह कहानी उसी की जुबानी।

मेरा नाम उषा है। मेरी उम्र 39 साल है। मेरे पति विवेक एक मल्टीनेशनल कंपनी में बडे़ अधिकरी हैं। मेरा बेटा मानव अभी 18 साल का है और बंगलौर में इंजीनियरिंग कर रहा है। मैं अपने पति के साथ मुंबई में रहती हुँ। हमारे साथ मेरे भाई का बेटा रवि भी रहता है जो कोई कंप्यूटर कोर्स कर रहा है। उसकी उम्र तेईस साल है।

एक दिन टीवी पर योग का कोई प्रोग्राम दिखाया जा रहा था जिसमें गोमुत्र के बारे में बताया जा रहा था। चूँकि मेरे पति औफिस गये हुए थे इसीलिए मैं और रवि घर पर समय बिताने के लिए टीवी देख रहे थे।

उस प्रोग्राम को देखते हुए मैंने कहा "कोई कैसे गोमुत्र पी सकता है। यह तो बहुत ही गंदा होता है।"

तभी रवि ने कहा"बुआ उसे मशीन से साफ करके पीने लायक बनाया जाता है। तब उसे पीते हैं।"

मेरा भतीजा कभी कभी मुझसे चुहलबाजी भी करता है और मैं उसका मजा लेती हुँ।

मैंने बात बढा़ते हुए कहा"तभी तो कोई किसी का मुत्र ऐसे कैसे कोई पीये।"

तभी रवि ने कहा"कोई किसी का क्या मतलब । युँ तो दुनिया में कुछ भी असंभव नहीं। आपने लोगो को लोगों का न पीने का तो सुना ही होगा तो मूत पीना कौन सी बडी़ बात है।"

मैने कहा"दुसरों की छोड़ तु बता। बडी़ डींग हाँकता है। तु कर सकता है क्या।"

मेरी डींग हाँकने वाली बात पर वह उत्तेजित होते हुए बोला"इसमें कौन सी बडी़ बात है, जरुर करके दिखा सकता हुँ।"

"लगी शर्त तु नहीं कर पाएगा।"

"करुँगा जरुर,लगी शर्त।"

"परंतु अपनी नहीं किसी और की। समझे। मेरे सामने पीनी होगी। अगर मर्द हो तो इनकार मत करना।"ऐसा कहकर मैं हँसने लगी।

फिर उसने मेरी शर्त मानते हुए बोला "बुआ यहाँ कोई और तो है नहीं, मैं तुम्हारी मूत ही पियुँगा वह भी सीधे बिना कोई अन्य चीज के।"

अब मैं शर्मिंदा हो ग़ई। मैने उसे यह बात भुलने को कहा। परंतु उसने कहा"न करना हो तो ठीक ही है। सभी औरतें अपने बात से मुकरती ही हैं।"

अब मैने ताव में उसकी बात मानी पर यह काम अभी न करने को कहा।

तब रवि ने कहा कि अगर वह यह काम कर लेगा तो मुझे उसकी एक बात माननी होगी।झिझकते हुए मैनें उसकी बात मानी और कहा"परंतु ये बातें किसी को पता नहीं लगनी चाहिए।"

उसके बाद मैं अपने घर के काम में लग गयी। मेरे पति शाम को घर आए तब तक रवि से कोई विशेष बात नहीं हुई।

दो दिनों के बाद मेरे पति ने औफिस जाने के बाद फोन कर कहा कि उन्हें 10 दिनों के लिए काम से यूरोप टुर पर जाना है, इसलिए उनका सामान तैयार कर दूँ। मैंने उनका सामान तैयार कर पैक कर दिया। विवेक शाम को आए और सो गये। उनकी फ्लाइट सुबह 4बजे की थी। सुबह उनके जाने के बाद मैं थोडी़ देर सोयी।

फिर सुबह के कामकाज समाप्त होने के बाद मैं टीवी पर सीरियल देख रही थी,उसी समय रवि आया और पूछा "बुआ फुफा तो विदेश गये हैं कब तक आएँगें।"

मैने कहा कि दस दिनों में आएँगे। तभी मैं बाथरुम जाने को उठी तब उसने पूछा "बुआ आप मुझसे गुस्सा तो नहीं हो क्योंकि उस दिन के बाद से आपने मुझसे विशेष बात भी नहीं की और थोडा़ दुर रहने लगी हो"। मैंने कहा "ऐसी कोई बात नहीं है"।

"बुआ अगर बुरा न लगे तो उस दिन की शर्त याद है न।"

"बुरा मानने वाली कोई बात तो नहीं है। फिर बात तो मैंने ही शुरु की थी। मैंने मजाक किया था।" मैंने बात टालने के मूड में कहा।

परंतु वह आज बात टालना नहीं चाहता था। उसने फिर कहा "बुआ तो फिर आज देख ही लो मैं मर्द हुँ या नहीं। तुम भी अपनी जुबान से मत फिरना। मैं यह बाय किसी को नहीं बताऊँगा।"

मुझे बडी़ कोफ्त होने लगी कि मैंने एक साधारण बात को कहाँ से कहाँ ला दिया।

आखिर झिझकते हुए मैंने कहा "पर मैं तुम्हारे आँख पर पट्टी बाँधुंगी और इस बात पर आगे कोई बात नहीं होगी, समझे।" मैं अपने कमरे में कोई कपडा़ लाने गयी।

उसने हाँ कहा और वहीं बैठा रहा। कमरे से आकर मैंने उसे अपने कपडे़ खोलकर बाथरुम में जाने को कहा। बाथरुम में जब मैं गयी तो वह तौलिया लपेट कर खडा़ था। मैंने उसके आँखों पर मोटी पट्टी बाँधी जिससे उसे कुछ दिखाई न दे। फिर सहारा देकर मैंने उसके सिर को नीचे किया। उस समय मैं साडी़ पहने हुए थी। अब मुझे भी सिहरन हो रही थी। फिर मैं उसके सिर पर अपनी चुत को उसके मुँह के पास रखकर पिशाब करने लगी। उत्तेजनावश पिशाब की एक मोटी धार उसके मुँह में गिरी और मैं पिशाब करने के बाद उठी। उसे देखा तो मैं आश्चर्यचकित हो गयी। उसने मेरा पूरा मूत पी लिया था। मैंने बिना कुछ कहे उसके आँखों की पट्टी खोली और उसे नहाने को बोलकर बाररुम से बाहर आ गयी।

बाहर आकर मैं अपने दुसरे कामों में व्यस्त हो गयी। रवि से नजरें मिलाने की हिम्मत नहीं हो रही थी। खैर किसी तरह दो दिन बित गये।

इन दो दिनों में जब भी वह बात याद आती मेरी चूत गीली हो जाती थी।

तिसरे दिन मेरे टीवी देखते समय रवि मेरे पास आया। वह बोला "बुआ जो हुआ सो हुआ। मैं यह बात किसी को नहीं बताऊँगा और यह बात सताने वाली है भी नहीं कि मैंने आपका मूत पिया है।"

मैंने भी कहा कि यह बात किसी हालत में कोई न जाने क्योंकि इससे मेरी बदनामी होगी।

"बुआ ऐसे देखा आपने मैंने असंभव वाला काम कर दिया। मूत पीने समय तो बहुत ही खारा लगा पर मैं किसी तरह पी ही गया। आपके बाथरुम से निकलने के बाद थोडी़ उबकाई हुई पर सब ठीक हो गया। वैसे मेरी शर्त तो याद है ना।"

"हाँ याद है, बोलो क्या करना है।" मैनें थोडे़ कडे़ लहजे में उससे पूछा।

"रहने दीजिए बुआ आप नहीं कर पाएँगी।"

"ऐसा कौन सा काम है जो मैं नहीं कर पाउँगी।"

"आप मुझसे नाराज हो जाएँगी। और फिर आप से नहीं हो पाएगा।"

"अगर तुम वह वाली बात किसी को न बताओ तो मैं नाराज नहीं होउँगी और तुम जो कहोगे मैं करुँगी।"

"मैं किसी को कुछ नहीं कहुँगा, लेकिन आप कर नहीं पाएँगीं।"

"ऐसा क्या है जो मैं नहीं कर पाऊँगी।"

"बुआ वो...वो...।"

"क्या वो... बोलकर देखो, मैं कुछ भी कर सकती हुँ।"

"मैं चाहता हूँ कि...।"

"क्या चाहते हो? मुझे कमजोर मत समझो। मैं तुम्हें कुछ भी करके दिखा सकती हूँ।"

"बुआ, मैं आपके चूत के दर्शन करना चाहता हूँ और उसे जीभर के चूमना चाहता हूँ। उसकी गंध अभी भी मुझे बेचैन कर रही है।"

अब मैं चौंक उठी।

मैं कुछ बोलती इससे पहले ही रवि ने कहा "बुआ आपने पहले ही कहा है आप नाराज नहीं होंगीं और आप कुछ भी कर सकती हैं। अगर नहीं करना चाहती हैं तो कोई बात नहीं। मुझे पहले ही मालुम था कि आपसे नहीं होगा।पर आप नाराज ना हों।"

मैंने उससे कहा "क्या मालुम था मुझे कि तुम ऐसा कुछ कहोगे और औरतें भी अपने जुबान की पक्की होती है।" ऐसा कहकर मैं अपने कमरे में चली गयी।

वहाँ मैं सोचने लगी कि ये मैंने क्या कर दिया। खैर बहुत सोचने के बाद मैंने अपनी चड्डी उतारी और रवि को आवाज दिया।

थोडी़ देर में रवि आया और बिस्तर पर बैठा। मैंने कहा "देखो बेटा, यह जो तुम कह रहे हो वह कहीं से भी सही नहीं है। परंतु चुँकि शुरुआत मैंने की और मुझे तुम्हारी शर्त पूरी करनी है, इसीलिए मैं तुम्हारी बात मानूँगी। लेकिन यह सब बातें किसी को भी पता नहीं चलनी चाहिए।"

तब रवि ने कहा "बुआ यह बातें मैं किसी को नहीं बताऊँगा चाहे कुछ भी हो जाए।"

मैंने उसे आँख बंद करने को कहा और अपना पेटिकोट उठाया। फिर उसे आँख खोलने को कहा। वह कुछ देर युँ ही मेरी नंगी जाँघ और चूत को निहारता रहा, फिर काफी करीब से देखने लगा। फिर तेजी से उसने अपनी जीभ मेरी चूत पर फिरायी। मेरी तो हालत खराब हो गयी। मेरी जिंदगी में यह पहली बार था कि कोई मेरी चूत पर जीभ फिरा रहा हो। मेरे पति ने भी मेरे साथ ऐसा कभी नहीं किया।

पति के साथ मेरी सेक्स लाइफ सामान्य ही थी। हमनें कुछ नया करने की कभी सोची ही नहीं।

इधर मेरी चूत पर जीभ फिरने से मुझे अजीब सी सिहरन महसूस हो रही थी। मैंने अपनी आँखे बंद कर लीं। अब उसने तेजी से अपनी जीभ चलाना शुरु किया। मेरी हालत पतली हो रही थी। एक अजीब सी मदहोशी मुझ पर छा रही थी। उसके जीभ से चाटते चाटते लगा कि मैं सातवें आसमान पर पहुँच गयीं हूँ। अब उसने अपनी जीभ अंदर डालनी शुरु। कब तो मुझे लगा कि मैं मर ही जाऊँगी।

अचानक मेरे अंदर कुछ अजीब लगने लगा। अब मैं नहीं चाहती थी कि वह रुके कि तभी वह रुका और बोला "बुआ मैं तो और भी चाटना चाहता हूँ। "

"तो चाटो न रुक क्यों गये।" मेरी बात सुनकर वह मुस्कुराया और बोला कि जबतक फुफा जी नहीं आते हैं तबतक दिन में एक बार मैं आपका चूत जमकर चाटुँगा। अगर मंजुर हो तो बोलिये।

मेरी हालत यह थी कि मुझे अपनी चूत चटवाने के अलावा कुछ नहीं सूझ रहा था।

मैंने कहा "तुम जो कहो मुझे मंजूर है पर अभी रुको मत अपना काम जारी रखो।"

मेरी बात सुनकर उसने मेरी चूत को जमकर चाटना चालू कर दिया। दो मिनट बाद ही ऐसा लगा जैसे मेरे अंदर का सबकुछ बाहर निकल आएगा। और फिर मैंने अचानक उसका सिर पकड़ कर अपने चूत पर कसकर सटाया कि तभी मेरी चूत ने पानी छोड़ना चालू कर दिया। मैं झड़कर निढाल पर गयी। ऐसा लगा मानो मेरी पूरी ताकत किसी ने निचोड़ ली हो। परंतु उसने मेरी चूत को चाटना नहीं छोडा़। तभी फिर एक बार मैं झड़ने लगी । ऐसा उसने दो बार और मुझे झडा़या। फिर मैंने उसे जबरदस्ती हटाया और मैं निढा़ल होकर पडी़ रही। फिर कब मुझे नींद आ गयी पता ही चला।

जब मैं उठी तो शाम ढ़ल चुकी थी। मैं नहाने चली गयी। नहाने वक्त भी मैंने अपनी चूत को रगड़कर झाडा़ पर मुझे वैसा शुकुन नहीं मिला जैसा कि चूत चटवाते वक्त मिला था।

फिर मैं नहाकर निकली और तैयार होकर बैठी ही थी कि रवि आ गया। उसने मेरा हाल पूछा।

मैने कहा कि मैं ठीक हूँ। मैंने उससे पूछा कि उसने यह सब कहाँ से सीखा।

उसने कहा कि यह सब उसने विडियो देखकर और किताबों से सीखा है। फिर उसने पूछा "बुआ कैसा लगा, ये तो बताइए।"

तब मैंने कहा कि जैसे मैं स्वर्ग में पहुँच गयी हुँ। मैंने पहली बार अपनी चूत चटवायी। इसका अनुभव मैं बयां नहीं कर सकती। तुमने मेरी हरकतों से पकड़ लिया होगा।

मेरी बात सुनकर वह मुस्कुराने लगा और बोला अब तो जब भी मन होगा तब करवाओगी न।

मैंने झेंपते हुए कहा "ऐसा कोई जरुरी थोडे़ ही है। ऐसे भी हमें अपने रिश्ते की देखते हुए ही कोई काम करना है। अगर तुम इसे राज रखो तो करने में कोई हर्ज नहीं।" अब मैं भी बहकने लगी थी।

तभी रवि मेरे गोद में आकर बैठ गया और मुझे तुरंत करने के लिए मनाने लगा। मैंने उसकी बात को अनसुना करते हुए उसे अपने गोद से उतारते हुए किचेन में चली गयी। फिर रवि भी मेरे पीछे पीछे किचेन आ गया। उसने मेरी गाँड सहलाते हुए मुझसे जिद्द करने लगा। मै युँ ही इनकार करती रही।

तभी वह मेरे कदमों में गिर कर मनुहार करने लगा। फिर भी मैं इनकार करती रही। मेरे अंदर भी खलबली मची थी। मैं भी उससे अपने चूत को जमकर चटवाना चाहती थी। इसीलिए मैं उसे अनमने ढंग से मना कर रही थी।

तभी उसने मेरी साडी़ उठायी और अंदर घुस गया। फिर तेजी से उसने मेरी पैंटी नीचे सरकायी और मेरे चूत पर अपनी ऊँगली फिराने लगा। मैं अब पूरी तरह मस्त हो चुकी थी। मैंने उसे इशारे से मेरी पैंटी उतारने को कहा। उसने मेरी पैंटी उतारने के बाद मेरे चूत को चाटना शुरु किया। अब मैं साँतवे आसमान पर पहुँच गयी थी। चूत चाटते चाटते कब उसने मेरी साडी़ पेटीकोट सहित उतारा मुझे इसका भी ध्यान नहीं रहा। अब मैं पूरी तरह उसके नियंत्रण में थी। तभी उसने मेरी झाँटो भरी चूत को चाटना छोड़ मुझे झाँट साफ करने को कहा।

मैंने उससे कहा कि उसका जो भी मन है वो करे। तब उसने रेजर लाकर मेरे झाँटो को साफ करना शुरु किया। जैसे जैसे झाँट साफ होते गये मुझे अजीब सा महसूस होने लगा।

मेरे झाँटों को साफ करने के बाद उसने फिर से चूत को चाटना शुरु किया। अब मेरे अपने जाँघों से उसके सिर को दबाने लगी। अचानक मुझे अपने अंदर अजीब सा सिहरन होने लगा और मैं तेजी से झड़ गयी। मैं किचेन में ही फर्श पर बैठ गयी।

फिर न जाने मुझे क्या हुआ कि मैंने अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिया और उसे चूमना चालू कर दिया। पाँच मिनट तक ऐसे ही चूमने के बाद मैंने उसे खाने के लिए इंतजार करने को कहा।

फिर मैंने अपने कपडे़ समेट कर रखा और आधे नंगे रहकर ही खाना बनाया और खाने को डायनिंग टेबल पर लगाया। फिर मैं और रवि दोनों खाना खाने लगे।

खाना खाने के बाद सारे काम निपटाकर मैं अपने कमरे में बिस्तर पर लेटी। मैं अब तक अर्धनग्न ही चादर ओढ़कर लेटी थी।

तभी रवि केवल अंडरवियर में आया और बोला "बुआ मुझे नींद नहीं आ रही है और मुझे फिर तुम्हारा चूत चाटने की इच्छा है।" यह कहकर वह मेरे बगल में चादर के अंदर आकर लेट गया और मेरे जाँघों को फैलाने लगा।

मैंने भी उसे पूरी छुट देते हुए अपने कमर को हिलाने लगी। थोडी़ ही देर में मैं झड़ गयी।

मैं बिस्तर पर ही लेटी थी कि रवि ने मुझे अपना लंड चूसने को कहा। थोडी़ ना नुकुर के बाद मैं उसका लंड चूसने को तैयार हो गयी। फिर मैंने उसके अंडरवियर को नीचे सरकाया।

उसका लंड सामान्य से थोडा़ मोटा और एकदम तन कर खडा़ था। यह पहली बार था जब मैं अपने पति के अलावा किसी और का लंड देख रही थी। मैंने इससे पहले अपने पति का भी लंड कभी नहीं चूसा था।

सबसे पहले मैंने अपने जीभ से उसके लंड के सुपारे को चाटा। थोडा़ नमकीन जैसा जरुर था पर स्वाद उतना बुरा भी नहीं था।

फिर मैंने उसके पूरे लंड को मुँह में भर लिया। मुँह में भरकर मैं उसे जीभ से ही हिलाने लगी। अब रवि साँतवें आसमान पर था। लगभग दस मिनट लंड चूसने के बाद उसका शरीर अकड़ने लगा।

तभी रवि बोला "उषा डार्लिंग कसकर चूसो मेरा लंड अब मैं झड़ने वाला हूँ।" उसके मुँह से इसतरह अपना नाम सुनकर मैं चौंक उठी पर मैंने उसका लंड चूसना जारी रखा। तभी उसने मेरे सिर को कसकर पकडा़ और अपने लंड को तेजी से मेरे मुँह में हिलाने लगा। थोडी़ ही देर में उसके लंड ने वीर्य का फव्वारा मेरे मुँह में छोडा़।

मुझे ऐसा लगा जैसे किसी ने जबरदस्ती मेरे मुँह मे गर्म पानी डाल दिया हो। परंतु पता नहीं मुझे क्या हुआ मैंने उसे उगला नहीं बल्कि किचेन में जाकर एक गिलास पानी के साथ पी गयी।

उसके बाद मैं अपने बिस्तर पर रवि के बगल में ही सो गयी।

सुबह मेरी नींद रवि के मेरे चूत चाटते समय ही खुली। अचानक मुझे उत्तेजना महसूस हुई और मैंने रवि के सिर को कसकर पकडा़ और मैं झड़ गयी। फिर मैं उठकर बाथरुम चली गयी और रवि सो गया।

सुबह का काम खत्म होने के बाद अपने लिभिंग रुम में बैठकर सोच रही थी कि मैंने अपने भतीजे के साथ इस नये संबंध से कैसे निपटुँ। हालांकि अभी तक मैंने संभोग नहीं किया था फिर भी मुझे अजीब लग रहा था।

तभी रवि आया और बोला "क्या कर रही हो उषा"।

मैं उसके मुँह से इस तरह अपना नाम सुनकर चौंकि और बोली "ये क्या बार बार मेरा नाम लेकर बुला रहे हो"।

तब उसने कहा "देखो उषा यह सच है कि तुम मेरी बहुत ही प्यारी बुआ हो पर अब मैं तुमसे सच्चा प्यार करने लगा हूँ और प्यार में और कोई रिश्ता तो होता नहीं। फिर तुम इतनी प्यारी और खुबसूरत हो कि मैं बयां नहीं कर सकता। वैसे ये सब तभी होगा जब हम दोनों अकेले होंगें। सबके सामने हम बुआ भतीजा ही रहेंगें।"

उसके इस तरह कहने पर मैं थोडा़ आश्वशत हुई।

तभी वह मेरे पास आया और मुझे स्मूच करने लगा।

अब मैं भी उसका साथ देने लगी। उसने मेरा गाउन निकाल फेंका। गाउन के नीचे मैं पूरी तरह नंगी थी। फिर उसने मुझे सोफे पर लिटा कर चूत चाटने लगा।

अब मैं मदमस्त हो चूकी थी। मैंने उसे उठाकर उसका पजामा खोला और उसके लंड से खेलने लगी।

उसने मुझे फिर लिटाया और चूत को चाटने लगा। अब हम एक दुसरे के अंगों को एक साथ चाट रहे थे। मैं अब पूरी तरह उसके काबू में थी।

तभी उसने मेरे निप्पल को जमकर मसलना शुरु किया। मैं तुरंत ही झड़ गयी। उस दिन एक बार और हमने ऐसा किया।

फिर रात भर हम दोनों नंगे ही एक साथ सोये।

सुबह मेरे पति विवेक ने मुझे फोन किया और कहा कि वह शाम तक आ रहे हैं। मैं जल्दी उठी और फ्रेश होकर घर की साफ सफाई में लग गयी।

उसके बाद मैं रवि को उठाने गयी तो देखा कि वह नंगे ही सो रहा है और उसका लंड तनकर खडा़ था। मैं बिना कुछ सोचे उसका लंड चूसने लगी। अब मुझे लंड चूसने में मजा आने लगा था। लंड चूसते समय ही वह उठ गया और मेरा सिर पकड़ कर हिलाने लगा। थोडी़ ही देर में वह मेरे मुँह में ही झड़ गया। मैं भी उसका सारा वीर्य पी गयी। अब मुझे वीर्य पीना अच्छा लगने लगा था।

मैंनें उसे बताया कि उसके फुफा शाम तक आ जाएँगे इसीलिए ठीक से व्यवहार करे। शाम तक मैं सारा काम खत्म कर खाना खाकर चाय पी रही थी। रवि अपना क्लास करने गया था।

मेरे पति आ गये। टुर के बारे में पूछ कर उन्हें तौलिया देकर मैं रात का खाना बनाने चली गयी। खाना बनाकर मैं अपने कमरे में गयी तो देखा कि मेरे पति फ्रेश होकर अखबार पढ़ रहे थे। मुझे उन्होंने आलिंगन में भरा और चूमने लगे। मैंने उन्हें छोड़ने को कहा और बोली कि रवि कभी भी आ जाएगा, रात को करेंगे।

फिर हम लोग टीवी देखने लीभिंग रुम में आ गये। लगभग नौ बजे रवि भी आ गया। उसके फ्रेश होते ही मैंने खाना लगाया और खा पीकर हमलोग सोने चले गये। कमरे में आने पर मैंने कपडे़ बदलकर नाइट गाउन पहना और पति के पास आकर लेट गयी।

मैंने अपने पति को थोडा़ परेशान देखा और परेशानी की वजह पूछी। उन्होंने मुझे औफिस के काम का हवाला दिया। मैंने कहा "यह औफिस के काम की वजह से आप परेशान नहीं हैं कुछ और ही वजह है। मैं आपको इतने सालों से जानती हूँ। जरुर आप कुछ छुपा रहे हैं। बताईये मुझे क्या बात है"।

इस तरह मैंने उन्हें बहुत बोला तब उन्होंने कहा कि अगर तुम गुस्सा न हो तो ही मैं कुछ कहुँगा।

मैंने कहा कि मैं गुस्सा नहीं होंगी।

तब उन्होंने कहा "उषा तुम्हे मालुम है कि मैं ब्लू फिल्म नहीं देखता, पर इस बार टुर में जब मैं इंग्लैंड में था मुझे मेरे कलीग ने एक ब्लू फिल्म दिखाई। उसमें दो आदमी और एक औरत होती है। एक आदमी अधेड़ है और औरत उसकी पत्नी होती है। दुसरा आदमी बहुत ही कम उम्र का होता है लगभग उनके बेटे के उम्र का। अधेड़ आदमी अपनी नीरस सेक्स लाइफ में कुछ नया करना चाहता है। इसीलिए अपनी पत्नी और उस लड़के को अपने सामने सेक्स करने के लिए मनाता है। दोनों उसके कहने पर सेक्स करते हैं और फिर उनका सेक्स लाइफ अच्छा चलने लगता है।"

यह कहते हुए मेरे पति ने एक विडियो अपने लैपटाॅप पर चलाया। उसमें एक लड़का और औरत सेक्स कर रहे थे, अधेड़ आदमी बगल में बैठकर उन्हें देख रहा होता है। लड़का उस महिला का चुंबन लेता है और धीरे धीरे महिला को नंगा करता है। फिर लड़का महिला को चुमते हुए उसके चुचियों को चुसने लगता है। थोडी़ देर चुसने के बाद वह नीचे बढ़ता है और उसकी नाभि को चुमता है और नीचे जाते हुए चूत चाटने लगता है। महिला अपने आपे से बाहर हो जाती है और लड़के को अपना चूत चाटने को उकसाती है। थोडी़ देर चूत चाटने के बाद महिला लड़के को नंगा करती है और उसका लंड देखकर आश्चर्य करती है। लड़का उसे अपना लंड चूसने को कहता है। महिला उसका लंड चूसने लगती है। वह उसका पूरा लंड मुँह में नहीं ले पाती है क्योंकि वह सामान्य से बडा़ होता है। फिर भी महिला कोशिश करती है और खाँसने लगती है।

फिर वह लड़का महिला को बिस्तर पर लिटाता है और अपना लंड उसके चूत में डालने लगता है पर एक बार में लंड चूत में नहीं जाता है। फिर दुसरी बार धक्का लगाने पर लंड सरसराकर चूत में चला जाता है। महिला चित्कार उठती है और थोडा़ रुककर धक्का लगाने को बोलती है। लड़का पहले तो धीरे धीरे फिर तेजी से धक्का लगाते हुए झड़ जाता है।

फिर अधेड़ आदमी वीर्य से भरे महिला के चूत को चाटता है और वह भी चुदाई करता है।

पूरा विडियो देखकर मैं भी गर्म हो जाती हूँ और पति को चूमने लगती हूँ। मेरे पति मेरा नाइटगाउन उतार फेंकते हैं और मेरी चिकनी चूत को देखकर हाथों से सहलाने लगते हैं। वह मेरी चूत के बारे में पूछते हैं तो मैं उन्हें कहती हूँ कि यह आपके लिए है।

मेरे पति मुझे चोदना शुरु करते हैं और कुछ ही क्षण में झड़ जाते हैं। मैं युँ ही रह जाती हूँ। हमदोनों बिस्तर पर पडे़ होते हैं। मेरे पति मुझसे पूछते हैं कि तुम्हारा क्या विचार है।

"किस बारे में"

"यही कि क्या हम भी किसी तिसरे को अपने बेडरुम में जगह दे सकते हैं। अगर तुम राजी हो तो मुझे कोई दिक्कत नहीं है।" मैं उनकी बात सुनकर बिना कोई जवाब दिए करवट बदलकर सो जाती हूँ। वह भी सो जाते हैं।

अगले दिन उठकर मैं फ्रेश होकर किचन का काम निपटाती हूँ। मेरे पति भी फ्रेश होकर औफिस जाते समय नाश्ता कर निकल जाते हैं। मेरी अपने पति से कोई बात नहीं होती। रवि भी अपने क्लास के लिए नाश्ता कर निकल जाता है।

अब मैं अकेली सोचतीं हूँ कि पति की बात मानी जाए कि नहीं। मन तो था कि मान जाती हूँ और रवि को शामिल कर लेती हूँ, पर कुछ सोच कर रुक जाती हूँ। यूँ ही सोचते सोचते दिन निकल जाता है।

फिर रात को बेडपर जाने के बाद मेरे पति फिर से वही बात पूछते हैं। मैं शांत ही रहती हूँ।

फिर पति के बार बार कहने पर मैं बोली "अगर मैं आपकी बात मान भी लुँ तो क्या भरोसा कि अगला इस बात को राज ही रखेगा"।

तब विवेक(मेरे पति) ने कहा "अगर तुम राजी हो तो हम कोई ऐसे आदमी को ही शामिल करेंगे जो कोई भी बात किसी को ना कहे।"

"कौन है वह आदमी? तुम्हारा कोई दोस्त"

"नहीं! कोई ऐसा जो हमारे राज को राज रखे। जो बहुत ही नजदीकी हो।"

"ऐसा कौन है नजदीकी व्यक्ति"

कुछ देर सोचने के बाद मेरे पति ने कहा "रवि के बारे में तुम्हारा क्या खयाल है।"

रवि का नाम सुनकर एक बार तो मैं खुश हो गयी क्योंकि रवि के साथ तो मेरा संबंध आगे बढ़ने के बावजूद मैं उससे अभी तक चुदी नहीं थी। मैंने अपनी खुशी दबाते हुए कहा "यह आप क्या कह रहे हैं? रवि मेरा भतिजा है और फिर वह मानव से थोडा़ ही तो बडा़ है।"

"रवि इसलिए क्योंकि हम उस पर विश्वास कर सकते हैं कि वह हमारी बातों को राज रखेगा। फिर उम्र तो कोई मायने नहीं रखता है।"

"ठीक है पर क्या आप उससे जाकर कहेंगें कि आओ और अपनी बुआ को चोदो। क्या यह ठीक रहेगा?"

"दो दिन बाद उसका जन्मदिन है। मैं उसे शाम को किसी तरह बाहर भेज दुँगा। उस दौरान तुम तैयार होकर उसके कमरे में चली जाना और बत्ती बंद कर लेना। मैं उससे कहुँगा कि वह कमरा बंद कर बत्ती जलाए, उसका तोहफा वहीं है। फिर देखते हैं वह क्या करता है। अगर वह मान जाता है तब आगे देखते हैं।"

"ठीक है। अगर कुछ गड़बड़ हुई तो आप ही संभालना।" यह कहकर मैं करवट लेकर सो गयी।

अगले दो दिनों तक मेरी अपने पति से कोई विशेष बात नहीं हुई।

तिसरे दिन सुबह उठने पर मैंने रवि को जन्मदिन की बधाई दी और अपने काम में लग गयी। मेरे पति ने भी रवि को जन्मदिन की बधाई दी और मुझे शाम के लिए इशारा किया। फिर तैयार होकर औफिस चले गये। अपना काम खत्म कर मैं भी ब्युटि पार्लर चली गयी। दोपहर बाद मैं घर आई तो रवि घर ही था। हमनें खाना खाया। खाने के बाद रवि अपने क्लास चला गया। मैं भी थोडा़ आराम करने लगी।

शाम को सात बजे के आसपास मेरे पति भी आ गये। थोडी़ देर बाद रवि भी आया। आते ही मेरे पति ने कुछ कुछ काम बताकर बाहर भेज दिया और मुझे तैयार होकर उसके कमरे में जाने को बोला। मैं भी तैयार होने लगी।

तैयार होने के बाद मैंने रवि का कमरा भी थोडा़ ठीक किया। उसके आने से पहले मैं उसके कमरे में गयी और बिस्तर पर बैठ गयी। मेरे पति ने मुझे चादर से ढ़ककर बत्ती बंद कर दिया और बाहर चले गये।

रवि के आने के बाद मेरे पति ने उससे कहा "रवि आज तुम्हारे जन्मदिन पर मैंने तुम्हारा तोहफा तुम्हारे कमरे में रख दिया है। कमरे में जाओ और कमरा बंद कर अपना तोहफा ले लो। अगर पसंद आए तो ठीक नहीं तो तोहफा वापस भी कर सकते हो। लेकिन किसी भी सूरत में तोहफे के बारे में किसी से कोई बात नहीं करनी है, यह याद रखना।

रवि अब कमरे में आया और कमरा बंद कर बत्ती जलायी। बत्ती जलाने के बाद उसने बिस्तर मुझे ढ़ँका हुआ पाया और उसने मेरे उपर से चादर हटाया। चादर हटाने के बाद मुझे देखने पर सोचने लगा।

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