घर की लाड़ली - चुदक्कड़ परिवार Ch. 02

Story Info
घर के लाड़ली बेटी ने बड़े योजनाबद्ध तरीके से घर को अपने चुदाई.
4k words
3.44
48k
2
0

Part 3 of the 11 part series

Updated 06/09/2023
Created 09/22/2018
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इस कहानी के सारे पात्र १८ वर्ष से ज्यादा आयु के हैं. ये कहानी पूरी तरह से काल्पनिक है और अगर इसके किसी पात्र या घटना किसी के वास्तविक जीवन से मिलती है तो उसे मात्रा के संयोग माना जायेगा.

यह कहानी मेरी पिछले कहानी "किस्मत का खेल - चुदक्कड़ परिवार" श्रृंखला के अगली कड़ी है, परन्तु अपने आप में एक पूरी कहानी है. आशा करता हूँ की पाठकों को पसंद आएगी.

*****

अध्याय - 2 तौलिये का कमाल

सुबह विक्रम उठा और अपने कोचिंग चला गया जहाँ वो कम्पटीशन के तयारी करता था. रजत सुबह देर से जगता था. तो वो करीब 7:30 के आस-पास जगा. पापा ऑफिस जा चुके थे और मम्मा पड़ोस में गयी थी कुछ काम से. इस वक्त घर में मयूरी और रजत अकेले थे.

मयूरी ने इस समय का फायदा उठाने की सोची. वो बाथरूम नहाने गयी और जानबूझकर नहाने के बाद पहनने वाले कपडे लेकर नहीं गयी. फिर वो नहाकर बाथरूम से बाहर आयी. इस समय उसने अपने नशीले बदन पर सिर्फ एक तौलिया लपेटा हुआ था. इस तौलिये में उसके शरीर का कोई भी भाग छुप नहीं पा रहा था.

उसके विशाल चूचियां एकदम तनी हुई थी और गांड बिलकुल बाहर निकला हुआ था. उसके गोरी जाँघे बिलकुल साफ नज़र आ रही थी जो देखने में एकदम चिकनी लग रही थी. उसके शरीर पर पानी की बुँदे अब भी झलक रही थी और उसने शरीर को और मादक बना रही थी. गीले बालों में वो इस समय एकदम अप्सरा लग रही थी. मतलब इस रूप में देख कर कोई ऋषि-मुनि भी अपना तप छोड़ कर मयूरी के इस खूबसूरत और क़यामत शरीर में खो जाता।

खैर, अपना कपडा लेने के बहाने वो अपने कमरे में गयी जहाँ रजत अब भी अपने बिस्तर पर लेटा हुआ था. मयूरी की इस मनमोहक काया को देखर रजत अपनी नजरें मयूरी के इस कातिल बदन से हटा नहीं पा रहा था. वो एकदम खुले मुँह से उसको एकटक देखता ही जा रहा था. मयूरी ने ये नोटिस किया और अपने कदम वो कमरे की अलमारी की तरफ बढ़ा दिया. उसने ऐसे व्यक्त किया जैसे उसको इस बारे में कुछ पता ही नहीं हो.

पर मयूरी जान चुकी थी की अगले कुछ मिनटों में इस कमरे में फिर से एक तूफ़ान आनेवाला था. और वो तूफान वो खुद ले कर आनेवाली थी. वो मुस्कुराते हुए अलमारी से अपने कपडे निकालने लगी और उनको अपने बिस्तर पर रखने लगी. फिर उसको एक विचार आया. उसने एक पिन जो अलमारी में रखी थी, को निकलकर निचे फेंक दिया और उसपर अपना पैर रख दिया. पर उसने इस बात का ख्याल रखा की वो उसको गड़े नहीं. और अचानक से चिल्लाने लगी...

मयूरी: "उईईई....... माँ....... आह्ह....."

रजत: "क्या हुआ दीदी?"

मयूरी: "अरे मेरे पांव में कुछ गड गया.... बहुत दर्द हो रहा है... आ..... आ..... "

रजत हड़बड़ा कर उठा और मयूरी के पास आकर खड़ा हो गया और उसके पांव में देखने लगा. लेकिन उसकी नजर मयूरी के पांव से ज्यादा उसकी जांघो को घूर रही थी. वो बोला:

रजत: "कहा दीदी?"

मयूरी: "निचे... प्... पांव में.... देखेगा प्लीज?"

रजत: "मै देखता हु... "

और रजत को तो जैसे मौका मिल गया हो अपनी इस कमसिन बहन को नजदीक से देखने और छूने का. वो फट से बैठ गया और मयूरी के पांव पकड़ कर ऊपर उठाया और अपने एक पैर के घुटने पर रख दिया. उसके ऐसा करने से अब तौलिया जो मयूरी ने पहन रखा था, निचे से थोड़ा चौड़ा हो गया और जांघो के साथ-साथ उसके चुत भी थोड़ी थोड़ी दिखने लगी. पर रजत ने अभी तक अपनी नजर ऊपर की नहीं थी तो उसको मयूरी के कुंवारी चुत के दर्शन अभी तक हुए नहीं थे. और वो अब उसके पांव के तलवे को निचे से सहला कर देखने की कोशिस करने लगा की पिन कहा गड़ा है?

पर कोई पिन गड़ा हो तब तो कुछ समझ आये? थोड़ी देर निरिक्षण करने के बाद उसको कुछ समझ नहीं आया तो उसने अपने चेहरा ऊपर किया और बोला:

रजत: "ये पिन गड गया है शायद, पर मुझे तो कुछ समझ नहीं आ रहा की कहा गड़ा है?"

पर ये कहते हुए रजत की नजर मयूरी की चुत पर सीधी पड़ी क्यूँकी मयूरी का एक पैर ऊपर था तो तौलिया थोड़ा खुल सा गया था और चूत साफ़ दिखाई दे रही थी. रजत की आँखों और मयूरी की चुत के बिच मुश्किल से 5-6 इंच का फैसला होगा. वो मयूरी की नंगी चिकनी जाँघे और खुली चुत के दर्शन होते ही अवाक्-सा रह गया. उसने देखा की उसके बड़ी-बहन की चुत एकदम गुलाबी है. वहां पर के भी बाल नहीं है क्यूँकी मयूरी ने नहाते वक्त थोड़ी-देर पहले ही अपनी चुत के बाल साफ किये थे. उसका मुँह खुला का खुला ही रह गया. मयूरी ने नोटिस किया पर कुछ बोला नहीं इस बारे में. वो अपने दर्द पर ध्यान देते हुए कहती है:

मयूरी: "तो देखो ना की कहा गड़ा है?"

रजत का गला सुख रहा था. वो थोड़ा हकलाते हुए बोलता है:

रजत: "कैसे देखु, शायद निचे पाँव में गड़ा है वह मेरी नजर नहीं पहुंच रही?"

मयूरी: "तुम निचे लेट जाओ और देखो, कही खून तो नहीं निकल रहा? मुझे आअह्ह्ह..... दर्द हो रहा है बहुत.... "

रजत: "ठीक है... तुम अपना पाँव बिस्तर पर रखो "

मयूरी: "ओके "

मयूरी अपना एक पाँव जिसमे वो पिन गड़ने का नाटक कर रही थी वो नजदीक के बिस्तर के किनारे पर पर रख देती है. फिर रजत जमीन कर लेट जाता है और पांव के तलवे को देखने लगता है. पर वो अपना ध्यान केंद्रित नहीं कर पाता. क्यूँकी निचे से अब मयूरी की प्यारी नंगी-खुली चुत साफ़ नजर आ रही थी. उसका ध्यान बार-बार उसकी चुत पर ही चला जाता है. फिर थोड़ा सा पाँव और बहुत ज्यादा मयूरी की चुत का निरीक्षण करने के बाद वो खड़ा होने की कोशिश करता है ये बोलते हुए की कुछ नजर नहीं आ रहा.

पर गलती से उसका सर मयूरी के तौलिये से टकरा जाता है जिसकी गांठ पहले से ही मयूरी ने कमजोर कर रखी थी और वो लगभग खुलने ही वाली थी. रजत के ऐसे में तौलिये से टकराने से तौलिया पूरी तरह खुल जाता है और वो जमीन पर गिर जाता है. अब रजत के सामने जो नजारा था, वो उसके होश उड़ाने वाला था.

मयूरी उसके सामने पूरी तरह से नंगी थी. उसके कमसिन बदन पर वस्त्र के नाम पर एक भी कपडा नहीं था. उसकी बड़ी-बड़ी विशाल चूचिया एक दम खड़ी थी. निप्पल्स टाइट थे और गांड भी बिलकुल शेप में था. तुरत नहाने की वजह से मयूरी के शरीर पर अभी भी पानी की बुँदे थी और ये सब रजत को और भी मदहोश कर रहा था. वो समझ नहीं पाया की ऐसे में करना क्या है? उसका मुँह एकदम खुला का खुला रह गया. उसने नोटिस किया की उसका लंड उसके शॉर्ट्स में तम्बू बनाये हुए है और वो अब इतना टाइट हो चूका है की फटने को तैयार है. इतने तनाव की वजह से उसको अपने लंड में हल्का से दर्द महसूस हुआ.

इधर मयूरी इस बात के लिए पूरी तरह से तैयार थी. तौलिया गिरते ही उसने घबराने का नाटक किया और रोने लगी.

उसके ऐसा करने से रजत एकदम घबरा गया. उसे समझ नहीं आया की अब क्या करना है. फिर थोड़ी देर तक ऐसे ही मूरत की तरह खड़ा रहने के बाद मयूरी के रोने से उसकी तन्द्रा टूटी. उसने मयूरी को चुप करते हुए बोला:

रजत: "आ... अरे... कोई बात नहीं........."

मयूरी फिर भी चुप नहीं हुई और वैसे ही नंगे बदन वो अपने भारी चूचियों के साथ वो रजत के सीन से लिपट गयी. मयूरी की चूचियां इतनी बड़ी थी की रजत को वो चुभने लगी. पर ये चुभन उसके एक अलग ही आनंद का एहसास करा रहे थे. वो एकदम अवाक् खड़ा रहा. इस समय उसके गले में वो अप्सरा लिपटी हुए थी - एकदम नग्न.... वो मूर्ति की तरह खड़ा रहा. और मयूरी रोती रही. फिर थोड़ी देर में जब रजत की तन्द्रा टूटी तो उसको समझ आया की उसको मयूरी को चुप करना चाहिए. उसने अपना एक हाथ उसके पीठ पर और दूसरा हाथ उसकी गोल गोल बड़ी बड़ी गांड पर रखते हुए बोला:

रजत: "अरे कोई बात नहीं दीदी... तुम रोओ मत... घर में कोई नहीं है और किसी ने नहीं देखा..."

मयूरी (रोते हुए): "पर तुमने तो देख लिया... मुझे पूरा नंगा... मेरा सब कुछ देख लिया..... "

रजत: "अरे कोई बात नहीं... मैं तो तुम्हारा भाई हूँ... किसी से कुछ नहीं कहूंगा.... "

और अब धीरे धीरे रजत ने उसके गांड पर हाथ फेरना चालू कर दिया था. वो थोड़ा थोड़ा सामान्य हो रहा था. पर उसका लंड अभी भी फनफना रहा था.

मयूरी: "तुम सच में किसी से कुछ नहीं कहोगे......?"

रजत: "अरे तुम पागल हो? कैसे कहूंगा किसी को? तुम मेरी बहन हो... कुछ कह भी नहीं सकता... "

मयूरी: "पर तुमने तो मुझे पूरा नंगा देख लिया? मेरा सब कुछ देख लिया...?"

रजत अब अपने हाथ की एक ऊँगली को मयूरी की गांड की दरारों में डालकर धीरे-धीरे सहला रहा था. वो अभी तक यही समझ रहा था की ये मौका फिर दुबारा नहीं मिलने वाला, तो जितना मजा लेना है, ले लो... लेकिन उस बेचारे को पता नहीं था की अब उसकी किस्मत खुलने वाली है... अब उसको मजे ही मजे मिलने वाले है...

रजत: "तो क्या हुआ... कोई बात नहीं... हम अपने घर में है... और घर पर कोई नहीं है... तो किसी को पता नहीं चलेगा... तुम निश्चिंत रहो... "

अब रजत ने अपनी एक उंगली मयूरी की गांड के छेद पर रखकर धीरे-धीरे घुसाने की कोशिश कर रहा था. इस समय वो मयूरी के गांड के छेद की गर्मी को अपने उंगलियों में महसूस कर पा रहा था. इधर मयूरी भी रजत की तेज़ धड़कनो को महसूस कर पा रही थी.

मयूरी: "फिर तो ठीक है... पर प्लीज किसी को बताना मत... की तुमने मुझे एकदम पूरा नंगा देख लिया है... "

रजत: "ठीक है दीदी..."

मयूरी अब चुप हो चुकी थी. पर उसने रजत का खड़ा लंड अपने निचे महसूस किया. वो पहले ही बहुत देर से रजत का हाथ अपने गांड पर महसूस कर पा रही थी. अब तो रजत ने अपनी एक उंगली भी उसके गांड के छेद पर रख कर रगड़ना सुरु कर दिया था. पर मयूरी को इस बात से बहुत आनंद मिल रहा था. उसने रजत की इस हरकत पर कोई प्रतिकिया नहीं दी और उसको वो करने दिया जो वो इतनी देर से कर रहा था. फिर वो अचानक से बोली:

मयूरी (सिसकारी लेते हुए): "इ..... इ..... इ.... "

रजत: "क्या हुआ दीदी?"

मयूरी: "अरे निचे तुम्हारी जेब में कुछ है शायद... वो मुझे निचे वहां चुभ रहा है... "

और ये कहते हुए उसने अपने एक हाथ से रजत का लंड पकड़ लिया... रजत इस चीज़ के लिए बिलकुल भी तैयार नहीं था. उसके मुँह से जोर से सिसकारी निकल गई... जो आनंद और आश्चर्य से लिप्त थी... मयूरी के ऐसा करने से रजत का हाथ मयूरी के गांड पर और भी जोर से पकड़ बना रहा था.

रजत: "आ.... हआ.... आए.... "

मयूरी: "क्या हुआ?"

रजत: "वो... वो... "

तबतक मयूरी में रजत के लंड को जोर से दबाना चालू कर दिया था. रजत इस बात का खूब आनंद ले रहा था पर कुछ कह नहीं पा रहा था. इधर मयूरी को अपने नंगे होने का कोई गम नहीं था. वो तो बस अपने प्लान का एक-एक कदम बढ़ाये जा रही थी और उसको सफलता भी मिलती जा रही थी.

मयूरी: "क्या हुआ....?"

रजत: "वो जो तुमने पकड़ रखा है वो मेरा..... "

मयूरी: "क्या है ये.....?"

और मयूरी अनजान बनते हुए निचे उसके लंड की तरफ देखती है जो उसने अपने एक हाथ से रजत के शॉर्ट्स के ऊपर से ही पकड़ रखा था. फिर वो थोड़ा अनजान बनते हुए बोलती है:

मयूरी: "ओह सॉरी... ये तो तुम्हारा........"

रजत: "हा... ये मेरा... "

मयूरी (अनजान बनते हुए): "पर ये इतना खड़ा क्यूँ है?"

रजत: "वो... वो... क... क्युकी... "

मयूरी (हैरानी से): "क्या ये...... मेरी... वजह से..... खड़ा है रजत??"

रजत: "नहीं.... नहीं..... नहीं दीदी... वो..."

मयूरी: "फिर किस की वजह से? यहाँ तो मैं ही हु बस... वो भी पूरी नंगी... और ओह... ह हाँ... मैं तुम्हारी बाँहों में हु... और हाँ तुम्हारे हाथ मेरी गांड के छेद पर रगड़ रहे है.... इस से तो यही साबित होता है की ये मेरे लिए खड़ा है?"

मयूरी ने ऐसा कहते हुए रजत के लंड को उसके शॉर्ट्स के अंदर हाथ डालकर अपने दोनों हाथो से पकड़ लिया और उसके ऐसा कहने से रजत एकदम सकपका गया.... उसने अपना हाथ मयूरी के गांड से तुरंत हटाया मयूरी को अपनी बाँहों से अलग करते हुए पीछे हट गया. पर मयूरी ने उसका लंड अपने हाथ से नहीं छोड़ा. रजत के चेहरे पर पसीने की बुँदे थी... वो घबरा गया था....

मयूरी इसी मौके की तलाश में थी शायद. उसने रजत को शांत करते हुए कहा:

मयूरी: "रजत, घबराओ नहीं... पर मेरी बात सुनो... तुमने मुझे पूरा नंगा देख लिया है... और मेरी गांड में उंगली भी की है... तो अब तुम्हे इसके बदले में मेरे लिए कुछ करना होगा... "

रजत: "क... क्या... करना होगा दीदी?"

मयूरी: "तुम अपने कपडे उतरो.... सारे.... "

मयूरी ने अपना फरमान जारी किया.... रजत बिलकुल समझ नहीं पा रहा था की ये उसके साथ क्या हो रहा है? वो अवाक् रह गया पर फिर धीरे से बोला:

रजत: " अरे...? क्यूँ दीदी?"

मयूरी: "क्युकी तुमने मुझे पूरा नंगा देख लिया है तो अब मुझे अच्छा नहीं लग रहा है. इसलिए मैं भी तुमको पूरा नंगा देखूंगी... फिर मुझे बराबर लगेगा... तुम समझ रहे हो न?"

रजत घबरा भी रहा था और शर्मा भी रहा था. उसको कुछ समझ नहीं आया. वो पूछा:

रजत: "पर इस से क्या होगा?"

मयूरी: "बोला न... मुझे अच्छा लगेगा... "

रजत एकदम बेबस महसूस कर रहा था. वो अपनी ही बहन के आगे नंगा मजबूर था जो इस समय खुद ही नंगी थी, पर ये उसके लिए रहत की बात थी. क्यूँकी किसी नंगे आदमी के सामने नंगा होने में उतना बुरा नहीं लगता. पर अगर वो नंगा इंसान अगर आपकी खुद की बहिन हो तो मामला थोड़ा अलग होता है.

रजत (आग्रह करते हुए): "पर ये मेरा ल.. लंड तो छोड़ दो....?"

मयूरी: "नहीं, अगर तुम भाग गए तो? मैं तो नंगी हु, अभी तुम्हारा पीछा भी नहीं कर सकती इस अवस्था में?"

रजत (हथियार डालते हुए): "ठीक है... "

रजत अपनी टी-शर्ट उतरता है और फिर बनियान. फिर वो अपने शॉर्ट्स उतरता है और सिर्फ चड्डी में खड़ा हो जाता है. वैसे भी उसका लंड पहले से ही बाहर था जो उसकी कमसिन नंगी बहन ने अपने हाथ से पकड़ा हुआ था. फिर भी वो अपना चड्डी उतरने में थोड़ा सकुचाता है.

मयूरी: "उतरो यार इसको भी... मैं तुम्हारे सामने एकदम नंगी खड़ी हूँ और तुम शर्मा रहे हो? मुझे याद है की अभी तुमने अपनी उंगलिया मेरी गांड में डाल रखी थी. जल्दी करो... वैसे तुम घबराओ नहीं... मैं वादा करती हूँ की तुम्हे इस बात के लिया कभी भी जीवन में पछतावा नहीं होगा.... "

अब मयूरी का रोना बंद हो चूका था और उसके चेहरे पर शरारती मुस्कान ने अपनी जगह ले ली थी. रजत भी धीरे-धीरे सामान्य महसूस कर रहा था पर उसका लंड अभी भी अपने बहिन के इस स्वरुप को देखर एकदम खड़ा था. ऊपर से मयूरी ने उसका लंड अपने हाथो से पकड़ रखा था और बिच-बिच में दबा भी रही थी. रजत को अब शायद इस बात का एहसास हो चूका था की आगे क्या होनेवाला है...

उसने अपनी चड्डी भी उतार दी और बोला:

रजत: "ये लो दीदी... हो गया मैं भी एकदम नंगा... अब तुम्हे अच्छा लग रहा है?"

मयूरी: " हाँ... बहुत ही ज्यादा अच्छा लग रहा है? और तुम्हे?"

ऐसा कहते हुए मयूरी रजत के एकदम करीब आ गयी और उसके लंड को गौर से देखने लगी. रजत अब मयूरी की चूचियों को बेहिचक देख रहा था.

रजत: "मेरा क्या? मैं तो वही कर रहा हु जो तुम कह रही हो?"

मयूरी: "अच्छा? तुम्हे अपना लंड ऐसे खड़ा करने के लिए मैंने कहा क्या? और जो तुम इतनी देर में कभी मेरी चुत तो कभी मेरी ये चूचियां देख रहे हो इसके लिए मैंने कहा क्या? और जो थोड़ी देर पहले तुम अपनी उंगलिया मेरी गांड में चला रहे थे, वो...? उसके लिए भी मैंने कहा था क्या?"

रजत: "वो... वो.... नहीं.... पर... "

मयूरी: "और ये क्या तुम मेरी चूचियों को ऐसे घूरे जा रहे हो? इनको खा जाओगे क्या?"

रजत: "न.... नहीं तो... मैं नहीं देख रहा?"

मयूरी ने फिर वही तीर मारने की सोची जो उसने कल रात को अपने बड़े भाई पर मारा था.

मयूरी (थोड़ा मायूस होते हुए): "मतलब मेरी चूचियां देखने लायक नहीं है क्या?"

रजत: "अरे नहीं... ये तो कमाल की है... "

मयूरी: "फिर तुमने ये क्यूँ कहा की तुम नहीं देख रहे? मतलब मैं तुम्हारे सामने एकदम नंगी हूँ... और तुम मेरी चूचियों को देखो भी ना तो ये तो वही बात हुई ना की ये उतनी आकर्षक नहीं है?"

रजत: "दीदी... ऐसी बात नहीं है... ये इतनी आकर्षक है की इनपर से नजर हटाना मुश्किल है... मेरा तो जी करता है की इनको खा जाऊँ..."

मयूरी (ख़ुशी और आश्चर्य से): "सच रजत???"

रजत: " हाँ दीदी... सच में....."

मयूरी: "और क्या करना चाहते हो तुम मेरे साथ?"

रजत: "तुम तो काम की देवी हो दीदी... तुम्हारा शरीर तो जैसे वरदान है इस संसार के ऊपर... "

और ऐसा कहते हुए रजत ने अपना एक हाथ मयूरी की चूची पर रख दिया और हलके से दबा दिया...

मयूरी चिहुँक पड़ी... हालाँकि वो इस चीज़ के लिए पहले से तैयार थी पर सेक्स को लेकर वो भी पहले से अनुभवी नहीं थी. उसको भी इसका हर सुख नया-नया सा लग रहा था. वो धीरे से फिर से रजत के गले लग गयी और बोली:

मयूरी: "तो अगर तुम मेरे साथ कुछ करना चाहते हो रजत तो यही वक्त है... तुम्हे मेरी अनुमति है मेरे शरीर से खेलने की... "

रजत: "सच दीदी... "

मयूरी: "हाँ मेरे प्यारे छोटे भाई... खा जाओ अपनी दीदी के इस जवान शरीर को... "

रजत आगे बढ़ता है और अपने होठ मयूरी के होठ पर रख देता है... उसका एक हाथ मयूरी के जांघो के बिच चुत के साथ छेड़छाड़ करने में व्यस्त हो जाता है जबकि दूसरा हाथ उसकी एक चूची को उमेठने में लग जाता है. मयूरी आंखे बंद कर के इस पल का आनंद लेने लग जाती है और साथ ही साथ वो रजत के लंड के साथ खेलते रहती है.

रजत थोड़ी देर मयूरी को गहरा चुम्बन देने के बाद उस से अलग होता है और निचे बैठ जाता है. वो अपना मुँह मयूरी की चुत के पास ले जाकर उसको सूंघने लग जाता है. मयूरी ने अपनी चुत की झाँठें आज ही साफ़ किया था तो वो क्षेत्र एकदम साफ़ सुथरी थी. मयूरी के कंवारी चुत एकदम गुलाबी-गुलाबी लग रही थी और उसकी खुशबु रजत को पागल कर रही थी. रजत के लिए जीवन में ये पहली बार था जब वो किसी औरत के नंगे चुत को इतने नजदीक से देख रहा था, और किस्मत की बात थी की वो चूत उसकी खुद की बड़ी बहिन की थी वो कमाल की सुंदरी थी, बल्कि कहा जाये तो कामदेवी थी.

मयूरी अपना एक पाँव उठाकर बिस्तर पर रखकर रजत को अपने चूत चाटने का आमंत्रण देती है. रजत अपनी जबान से मयूरी को सुख देने में जुट जाता है और मयूरी अब स्वर्ग का आनंद लेने में व्यस्त हो जाती है. दोनों भाई-बहन काम वासना में लिप्त सब कुछ भूलकर एक-दूसरे पर कुर्बान हो जाना चाहते है. क़रीब 15 मिनट की लगातार चुत-चटाई में मयूरी फिर से 4-5 बार झड़ जाती है और रजत अपनी कामुक सगी बहन के कामरस का एक एक बून्द चाट जाता है.

फिर अब वो मयूरी को पलटने को बोलता है और उसके पीछे जाकर उसकी गाँड़ की छेद पर अपनी ज़बान रख देता है और और बड़े ही कला के साथ वो उसके गाँड़ को अपने ज़बान से चाटने लगता है। मयूरी के लिए ये सुख एकदम नया था, वो पागल हुई जा रही थी। उसको विस्वास नहीं हो रहा था की उसके गाँड़ को चटवाने में इतना मज़ा आता होगा। पर अभी उसको ये सुख मिल रहा था। थोड़ी ही देर में मयूरी ने इतने सुख का अनुभव किया कि वो चरम सीमा पर पहुँच गयी और उसके चूत ने अपना अमृत छोड़ दिया। रजत को इस बात का एहसास होता है और वो झट से अपना मुँह आगे को लता है और उसके चूत से निकले हुए अमृत का एक-एक बून्द फिर से चाट जाता है.

मयूरी ने अब रजत को बिस्तर पर बैठने को कहा. रजत ऐसे बैठा था की उसका पाँव निचे जमीन पर लटक रहा था. मयूरी ने उसके पैर फैलाये और उसके लंड को अपने हाथ से पकड़कर अपने रसीले होंठो पर रख लिया. पहले तो उसने अपने जबान से उसके लंड को चाटा फिर उस प्यार से मुसल जैसे लंड को अपने मुँह में ले लिया और अपना मुँह आगे-पीछे करने लगी जैसे वो अपना मुँह अपने छोटे भाई के लंड से चुदवा रही हो. लगभर दस मिनट की इस नायब क्रिया के बाद जब रजत के लंड ने अपना पानी छोड़ा तो मयूरी ने उसके लंड से निकले हुए एक-एक कतरे को चाट-चाट कर साफ कर दिया.

फिर रजत ने मयूरी को उठाया और उसके गुलाबी रसीले होठो पर अपने होठ रख दिए. रजत को उसके मुँह से अपने ही वीर्य का स्वाद आ रहा था पर वो इस समय हर उस चीज़ का आनंद ले रहा था जिसको वो अबतक गन्दा समझता रहा था. थोड़ी देर तक दोनों एक दूसरे के होठ और जबान को चाटते रहे की अचानक घर के दरवाजे की घंटी बजी.

मयूरी: "लगता है मम्मा आ गयी.... "

रजत: "हाँ... शायद "

मयूरी: "अब...? "

रजत: "अब तो बाकी का काम बाद में करना पड़ेगा... "

मयूरी: "ठीक है मेरे राजा... अपनी दीदी की चूत को एक बार प्यार से अलविदा कहो और जाकर दरवाजा खोलो... मुझे कपडे पहनने में थोड़ा वक्त लगेगा... "

रजत: "ठीक है मेरी जान... "

ऐसा कहते हुए रजत ने मयूरी की चूत पर एक लम्बा सा चुम्बन दिया और अपने कपडे पहनता हुआ बाहर चला गया. बाहर जाते समय उसने अपने कमरे का दरवाजा बंद कर दिया था ताकि मयूरी आराम से अपने कपडे पहन सके. मयूरी ने जल्दी-जल्दी अपने कपडे पहने और मुस्कुराती हुई अपने बिस्तर पर लेट गयी. बाहर से उसको शीतल (उसकी माँ) की रजत से बातचीत की आवाज़ आ रही थी तो वो समझ गयी की माँ आ गयी है.

अब वो अपने आगे के योजना के बारे में सोचने लगी. अब तक उसने अपने दोनों भाइयों को ट्राई कर लिया था और दोनों उसके चंगुल में फंस चुके थे. उसने दोनों को अपने चुत का स्वाद चखा दिया था और दोनों के लंड का स्वाद चख चुकी थी. अब वो ये सोच रही थी की आगे किस भाई से अपने चुत चुदवायेगी। फिर उसको ख्याल आया की क्यूँ ना दोनों से एक साथ सेक्स का मजा लिया जाए? पर ये कठिन था... क्यूँ की दो बड़े कारण थे - एक तो ये की दोनों सगे भाई थे और दोनों को एक दूसरे के साथ मयूरी के सम्बन्धो के बारे में पता नहीं था. दूसरा ये की दोनों की कुछ महीनो से आपस में बनती नहीं थी.

फिर मयूरी ने निश्चय किया की यही सही मौका है दोनों भाइयों की मिलाने का. इसी बहाने दोनों में सुलह भी हो जाएगी और उसको दोनों के लंड से एक साथ चुदवाने का मौका भी मिल जायेगा. अब वो अपने आगे की योजना पर काम करने लगी.

-- अगले अध्याय में पढ़िए कैसे मयूरी ने दोनों भाइयों को एक साथ चुदाई के लिए मनाया.

लेखक से:

ये मेरी जिंदगी की पहली रचना "चुड़क्कड़ परिवार" श्रृंखला की अगली कड़ी है. मैं सेक्स और चुदाई के कहानियो का बचपन से शौक़ीन रहा हूँ. विशेष रूप से रिश्तो में चुदाई की कहानियों का बड़ा प्रशंसनीय रहा हूँ. मुझे अपनी इस श्रृंखला की ये कड़ी को लिखने में बहुत वक्त लग गया, पर ये बहुत ही रोमांच से भरी हुई कहानी तैयार हुई है. मेरी पाठकों से आग्रह है की आपको ये कहानी कैसी लगी, आप अपनी राय मुझे मेरे ईमेल आईडी पर जरूर दें ताकि मैं इसकी दूसरी कड़ी भी लिख पाऊँ.

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