घर की लाड़ली - चुदक्कड़ परिवार Ch. 03

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विक्रम: "मयूरी... मैं आने वाला हु... क्युआ करूँ.......?"

मयूरी: "प्लीज भैया... अपने लंड का पानी आज मेरी चूत में ही छोड़ना... मैं इस चुदाई का पूरा सुख लेना चाहती हूँ... आ.... ह.... "

विक्रम: "फिर ये लो... आ.... आह.... "

और ऐसा कहते हुए हो एक झटके के साथ अपना वीर्य पहली बार अपनी छोटी बहिन की चूत में छोड़ देता है... मयूरी को अपने अंदर विक्रम का गरमा-गर्म वीर्य महसूस होता है... वो इस आनंद का अनुभव अपनी ऑंखें बंद करके करने लग जाती है... विक्रम मयूरी के ऊपर ही एक कटे हुए वृक्ष की तरह गिर जाता है... अब तक विक्रम और मयूरी दोनों ही इस घनघोर चुदाई के कारण थक चुके थे. विक्रम मयूरी की रसीले होठों को चूसने लगता है... दोनों की साँसे बहुत ही ज्यादा तेज़ हो चुकी है और दोनों एक दूसरे की धड़कने को आराम से सुन और महसूस कर सकते थे... मयूरी अभी एकदम तृप्त महसूस कर रही थी.

इन दोनों को थोड़ी देर आराम करने के बाद रजत ने मयूरी की पास ही पड़ी पैंटी से उसकी चूत को साफ़ किया. मयूरी ने देखा की उसकी चूत के आस-पास थोड़ा बहुत खून लगा हुआ था और ये खून विक्रम के लंड पर भी लगा हुआ था. पर ये सब देख कर भी वो एकदम सामान्य थी, बल्कि वो खुश थी...

मयूरी उठी और बाथरूम की तरफ बढ़ने लगी. चुदाई के बाद से उसको पेशाब भी आ रहा था और वो अपना चूत में लगा खून और विक्रम के लंड से निकला हुआ माल भी साफ़ करना चाहती थी. वो जानती थी की थोड़ी ही देर में रजत उसकी चूत में चटनी कूटने वाला था, पर इस बात के लिए वो भी बहुत ज्यादा उत्साहित थी. वो अपने छोटे भाई को बड़ा होते हुए देखना चाहती थी. वो चाहती थी की जब उसका छोटा भाई उसकी चूत की ताबड़तोड़ चुदाई करे तो वो एक-एक पल का पूरा आनंद ले. इसीलिए वो पहले ही अपने चूत की सफाई कर लेना चाहती थी. थोड़ी देर में जब मयूरी बाथरूम से वापिस आयी तो विक्रम भी पेशाब करने और अपने लंड को साफ़ करने बाथरूम गया और थोड़ी देर में नग्न ही वापिस भी आ गया.

मयूरी आते ही रजत के ऊपर चढ़कर बैठ गयी जो इस वक्त सोफे पर लेटकर मयूरी को अपनी ऒर आते हुए देखकर आराम से अपने लंड को सहला रहा था. इतना ज्यादा थक जाने के वावजूद भी शायद वो इस वक्त आराम करने के मूड में नहीं थी. मयूरी रजत के सीने पर चढ़ी हुई थी और रजत ने अपने हाथ मयूरी के मस्त गोल-गोल बड़ी-बड़ी चूचियों को सहलाने और थोड़ी ही देर बाद उनको जोर-जोर से बड़ी ही बेदर्दी से मसलने में व्यस्त हो गया. रजत मयूरी के चूचिओं से बहुत ही ज्यादा आकर्षित हो जाता था, शायद वो उनको बहुत ही ज्यादा पसंद थी, और उसका ये आकर्षण एकदम जायज था, मयूरी की जैसी चूचिया थी, उनकी तरफ किसी का भी तेज़ आकर्षण बहुत ही सामान्य था.

थोड़ी देर मयूरी की मस्त चूचियों से खेलने के बाद रजत ने मयूरी को सोफे पर लिटा दिया और खुद उसके ऊपर चढ़ गया. अब वो मयूरी के ऊपर से उसकी चूचियों से खेल रहा था. इतनी देर में विक्रम भी मयूरी की मस्त चूचियों से खेलता रहा. दोनों भाई अपनी बहन की चूचियों का साथ में मजा ले रहे थे और मयूरी अपने दोनों भाइयों को अपने से इतना प्यार करते हुए देखकर आनंदित हुई जा रही थी. थोड़ी देर ऐसे ही खेलने के बाद विक्रम ने रजत से कहा:

विक्रम: "छोटे? तो तू तैयार है अपनी बड़ी बहन को चोदने के लिए?"

रजत: "हाँ भैया... बिलकुल... "

विक्रम: "तो मैं इसकी चुत को थोड़ा गिला कर देता हूँ, जिस से तुमदोनो को परेशानी काम और मजा ज्यादा आये..."

और ऐसा बोलकर विक्रम मयूरी की चुत का रुख करता है. वो उसकी चुत (जिसका सील उसने थोड़ी देर पहले ही तोडा था) को अपनी जीभ से चाटने लगा. उसके ऐसा करने से उसकी छोटी बहन का चूत दो कारणों से गिला होने लगा - एक तो उसके चूत के अंदर से थोड़ा थोड़ा पानी निकल रहा था और दूसरा विक्रम के मुँह से थूक निकलकर उसकी छोटी बहिन का चूत गिला कर रहा था. थोड़ी देर तक ऐसे ही करने के बाद जब वो आश्वश्त हो गया अब उसकी चूत एकदम गीली हो गयी है तो वो रजत का लंड अपने हाथ में लेकर बोलता है:

विक्रम: "मेरे भाई, अब तुम ये अपना लौड़ा अपनी बहन की इस खूबसूरत और गहरी मगर टाइट चूत में पेल सकते हो. ये एकदम तैयार है... मगर मेरे हिसाब से तुम्हे अपना लंड भी थोड़ा गिला कर लेना चाहिए... "

रजत (थोड़ी शैतानी से मुस्कुराते हुए): "तो तुम कर दो गिला..."

विक्रम (आश्चर्य के साथ): "मतलब?"

रजत: "अरे... जैसे तुमने दीदी की चूत को गिला किया, वैसे ही मेरा लंड अपने मुँह में लेकर इसको भी गिला कर दो.... "

रजत के ऐसा कहने से मयूरी और रजत दोनों धीरे-धीरे मुस्कुराने लगते हैं. पर थोड़ी देर में दोनों की मुस्कुराहट आश्चर्य के मारे मुँह खुला का खुला रह जाता है क्यूँ की विक्रम ने कुछ अप्रत्याशित से कर दिया था:

विक्रम: "अगर ऐसी बात है तो ठीक है... मैं तुमदोनो के लिए कुछ भी कर सकता हु... "

और ऐसा कहते ही विक्रम अपने छोटे भाई का मोटा सा लंड अपने मुँह में गपाक से डालकर उसको चूसने लगता है.

विक्रम: "म... ग... प... क.... म.... "

रजत और मयूरी को विश्वाश नहीं होता की विक्रम ऐसा कर रहा है. मयूरी मन में ही सोचती है की देखो, जो भाई सुबह तक एक दूसरे से बात तक नहीं कर रहे थे वो अभी एक दूसरे का लंड चूसने को भी तैयार हैं... रजत अपने लंड को अपने भाई के मुँह में महसूस कर के बहुत ही ज्यादा आनंद ले रहा था. उसको तो विश्वास ही नहीं होता की उसके साथ ऐसा हो रहा है. कल से लेकर आज तक उसकी बड़ी बहिन ने उसका लंड कई बार चूसा था और आज देखो, उसका अपना बड़ा भाई उसका लंड कितने मजे से चूस रहा है. थोड़ी देर तक विक्रम अपने छोटे भाई के लंड को चूसने के बाद जब आश्वस्त हो जाता है की उसका लंड काफी गिला हो गया है तो उसके लंड को अपने मुँह से बाहर निकलता है और बोलता है:

विक्रम: "भाई... अब ये तेरा लंड मयूरी की चूत की चुदाई के लिए बिलकुल तैयार है... चल शुरू हो जा... और चोद दे इसकी चूत को... पूरा कर दे इसका अरमान अपने दोनों भाइयों से चुदाने का... "

रजत: "बिकुल मेरे भाई... "

और ऐसा कहकर रजत अपना लंड मयूरी की चूत पर सेट करता है और एक जोरदार झटका मारता है, मयूरी को हल्का सा दर्द होता है पर उस से भी ज्यादा आनंद होता है और वो उस पल के आनंद में खो जाती है...

मयूरी: "आह...... आ... आए... आई... आह..."

उसके ऐसे आवाज़ निकलने से रजत और उत्साहित हो जाता है और वो एक और झटका मारता है. अब रजत का पूरा लंड मयूरी के चुत के अंदर था और रजत ने झटके मरने शुरू कर दिए थे. जो ताबड़तोड़ झटको में व्यस्त हो जाता है. मयूरी की चूत बड़ी ही टाइट थी और उसका एहसास रजत को भी हो रहा था पर वो इस समय बस चुदाई में व्यस्त रहना चाहता था.

विक्रम अपना लंड मयूरी के मुँह में डालता है और वो उसके मुँह की चुदाई करने लगता है... अब मयूरी के मुँह से निकलने वाली आवाज़ें उसके मुँह में ही जैसे दब जाती है. मयूरी इस समय जैसे स्वर्ग में थी. उसके अपने दोनों भाई उसकी जबरदस्त चुदाई में लगे हुए थे. आज ही उसकी चूत की सील उसके अपने बड़े भाई ने थोड़ी थी और अब छोटा भाई उसकी चूत में जैसे चटनी कूट रहा था. साथ ही उसका बड़ा भाई उसके मुँह को चोद रहा था. उसको इस से ज्यादा कुछ नहीं चाहिए था इस वक्त.

लगभग 12-15 मिनट की लगातार चुदाई के बाद उसके दोनों भाई झड़ जाते है. रजत मयूरी की चुत में ही अपना पूरा वीर्य छोड़ देता है और विक्रम उसके मुँह में. मयूरी विक्रम के लंड से निकले एक-एक बून्द को चाट-चाट कर साफ़ करती है और अपने हलक से निचे अमृत की तरह उतार लेती है. साथ ही अपने छोटे भाई के लंड से निकले वीर्य की गर्मी और आनंद को भी अपने चुत में महसूस करती है.

तीनो जब इस घनघोर चुदाई के बाद थक जाते है तो एक साथ ही सोफे पर एक दूसरे पर गिर जाते है. लेकिन थोड़ी ही देर में तीनो इस चुदाई के खेल के लिए फिर से तैयार हो जाते है. एक और बार चुदाई के दौर से गुजरने के बाद तीनो नहाने के लिए बाथरूम में जाते हैं और एक साथ ही नहाते है. नहाते समय रजत विक्रम का लंड अपने मुँह में लेकर चूसता है और तीनो फिर से नहाते-नहाते ही दो बार चुदाई करते है. इस तरीके से अगले दो दिन में तीनो भाई बहिन के बिच चुदाई का सिलसिला चलता रहता है. तीनो ने अपना कॉलेज और कोचिंग छोड़कर तबतक घर में रहने का निर्णय लेते हैं जबतक उनके माता-पिता वापिस नहीं आ जाते और इस दौरान घर में बस चुदाई ही चुदाई चलती रहती है.

दो दिन बाद शीतल और अशोक वापिस आते है. इसके बाद भी इन भाई-बहनो के बिच चुदाई बंद नहीं होती है. कारन है - इन तीनो का घर में एक ही कमरा होना. रात को तीनो को चुदाई करने का पूरा मौका मिलता और तीनो इस मौके को कभी जाने नहीं देते, बस दुःख ये था की तीनो खुलकर उस दिन जैसा चुदाई नहीं कर पा रहे थे. उनके माता-पिता को भनक तक नहीं थी की उनके बच्चे आपस में भी चुदाई कर रहे है. एक रात को तीनो के इस ख़ामोशी भरे चुदाई के बाद बातचीत शुरू होती है.

रजत (मायूसी से): "ऐसे तो अब मजा ही नहीं आ रहा यार... "

मयूरी: "ऐसे कैसे?"

रजत: "अरे.. मतलब अपनी ही बहन को अपने ही घर में चोदो मगर खुल के अपने मुँह से आवाज़ तक नहीं निकल सकते...?"

मयूरी: "रजत, तुम अपनी बहन को अपने घर में चोद रहे हो, किसी रंडी को नहीं... "

विक्रम: "छोटे, जब तुम अपनी बीवी को चोदना ना, तो जोर-जोर से चोदना और खूब आवाज़ निकालना... "

रजत: "अच्छा?"

विक्रम: "हाँ. और क्या... "

रजत: "भैया, तुम भी आ जाना मेरे कमरे में... फिर दोनों भाई जैसे दीदी को चोदते हैं एक साथ, वैसे ही मेरी बीवी को भी चोदेगे... "

विक्रम: "आईडिया बुरा नहीं है...."

मयूरी: "पर ये तब हो पायेगा जब तुम्हारी बीवी इस बात के लिए मानेगी... और हर लड़की तुम्हारी अपनी बहन मयूरी नहीं है... की तुमदोनो का लंड एक साथ लेने को तैयार हो जाएगी... "

रजत: "हाँ... ये बात तो है... पर तुमको एक साथ चोदने में बड़ा मजा आता है दीदी... आई लव यू.... "

मयूरी: "आई लव टू मेरे भाइयों... पर तुम्हारी एक बात सही है... "

विक्रम: "क्या... कौन सी बात?"

मयूरी: "ऐसे ख़ामोशी से चुदाई करने में मजा तो नहीं आता... "

विक्रम: "हाँ... ये बात तो है... पर क्या कर सकते है... घर में मम्मी पापा होते है... कम से कम मम्मी तो घर में जरूर होती है... दिन में भी,... "

मयूरी सोचने लग जाती है की अगर अपनी चुदाई में माँ को भी शामिल कर लिया जाये तो ये समस्या ख़तम हो सकती है. और फिर वो अगर ये करने में कामयाब हो जाती है तो वो पापा को भी चोद सकती है क्यूँ की इसके बाद माँ मयूरी को अपने बाप से चुदने के लिए मना नहीं कर पायेगी क्यूँ की वो खुद अपने दो जवान बेटों से चुद रही होगी. लेकिन ये इतना आसान नहीं होगा. वो डायरेक्ट अपने बेटों से चुदने को शायद कभी तैयार ना हो... पर मयूरी को फिर याद आती है अपनी दोस्त हिना... वो हिना जिसके अपनी माँ साथ साथ सेक्सुअल सम्बन्ध थे. मतलब दो औरतों के बिच भी आकर्षण की वजह से सेक्स सम्बन्ध संभव है. और मयूरी तो बला की खूबसूरत है... तो उसने अपने हुश्न को हथियार बना कर अपनी माँ का ही शिकार करने का मन बनाया. फिर वो हलके से मुस्कुरायी और अपने भाइयों से बोली...:

मयूरी: "अभी तुम दोनों सो जाओ... कल जल्दी जागना है... "

और फिर तीनो सो जाते है... पर मयूरी अपने अगले मिशन पर लग जाती है...

-- आगे पढ़िए कैसे मयूरी ने अपनी माँ के साथ लेस्बियन सेक्स किया और उसको अपने बेटों से चुदाई के लिए मनाया.

लेखक से:

ये मेरी जिंदगी की पहली रचना "चुड़क्कड़ परिवार" श्रृंखला की अगली कड़ी है. मैं सेक्स और चुदाई के कहानियो का बचपन से शौक़ीन रहा हूँ. विशेष रूप से रिश्तो में चुदाई की कहानियों का बड़ा प्रशंसनीय रहा हूँ. मुझे अपनी इस श्रृंखला की ये कड़ी को लिखने में बहुत वक्त लग गया, पर ये बहुत ही रोमांच से भरी हुई कहानी तैयार हुई है. मेरी पाठकों से आग्रह है की आपको ये कहानी कैसी लगी, आप अपनी राय मुझे मेरे ईमेल आईडी पर जरूर दें ताकि मैं इसकी दूसरी कड़ी भी लिख पाऊँ.

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