घर की लाड़ली - चुदक्कड़ परिवार Ch. 04

Story Info
घर के लाड़ली बेटी ने बड़े योजनाबद्ध तरीके से घर को अपने चुदाई.
3.5k words
3.87
49.5k
2

Part 5 of the 11 part series

Updated 06/09/2023
Created 09/22/2018
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इस कहानी के सारे पात्र १८ वर्ष से ज्यादा आयु के हैं. ये कहानी पूरी तरह से काल्पनिक है और अगर इसके किसी पात्र या घटना किसी के वास्तविक जीवन से मिलती है तो उसे मात्रा के संयोग माना जायेगा.

यह कहानी मेरी पिछले कहानी "किस्मत का खेल - चुदक्कड़ परिवार" श्रृंखला के अगली कड़ी है, परन्तु अपने आप में एक पूरी कहानी है. आशा करता हूँ की पाठकों को पसंद आएगी.

*****

अध्याय - 4 - माँ-बेटी का अनूठा प्रेम सम्बन्ध

अगली सुबह अशोक अपने दफ्तर चला जाता है और दोनों लड़के पढाई करने कॉलेज और कोचिंग. घर में अगले 3 घंटे के लिए मयूरी और उसकी खूबसूरत माँ अकेले थे और कोई डिस्टर्ब करने वाला नहीं था. मयूरी उठी और उसने अपनी माँ को सर से पैर तक अच्छे से ताड़ा. शीतल एक घरेलु काम-काजी महिला थी पर अन्य औरतो की तरह उम्र का असर उसके शरीर पर ज्यादा हुआ नहीं था. वो देखने में एकदम छरहरी और खूबसूरत थी. कमर अभी भी पतली जैसे किसी 30 साली की महिला की होती है, बाल घने और लम्बे, होंठ पतले और रसभरे, चूचियां तनी हुई, गांड ऐसी की पीछे से कोई भी मर्द देखे तो बस देखता ही रह जाए.

मयूरी ने अंदाजा लगाया की अगर शीतल किसी भी चौराहे से गुजरे तो उस चौराहे के सारे मर्दों की नज़र उसके शरीर से हट नहीं पायेगी. शायद यही वजह है की अशोक अब भी शीतल से बहुत प्यार करते है और लगभग रोज़ ही शीतल की जबरदस्त चुदाई करते है. विक्रम और रजत ने भी बताया था की वो दोनों ही उसके नाम का मुठ अकसर ही मरते हैं.

शीतल ने अभी एक नाइटी पहनी हुई थी और इस वस्त्र में उसके चूचियों और गांड के उभार साफ़ झलक रहे थे. शीतल के अंगो का का इतना विस्तारपूर्वक दर्शन करने के बाद अब तो मयूरी की चुत में भी कुछ-कुछ होने लगा था. मयूरी ने अपने शॉर्ट्स के अंदर हाथ डाल के अपनी चुत में एक ऊँगली डाली और थोड़ी देर हलके हलके मजे लेने के बाद वो अपनी इस प्यारी माँ की तरफ बढ़ी.

शीतल अपने कमरे में जहाँ वो अशोक के साथ सोती थी और रोज़ अलग-अलग अंदाज़ में चुदवाती थी, वह का बिस्तर ठीक कर रही थी. मयूरी पीछे से जाकर अपने माँ को गले लगाती है जैसे बच्चे अपनी माँ में लाड़-प्यार से चिपक जाते हैं. पर आज मयूरी के मन में वैसा प्यार नहीं बल्कि हवस और वासना ने जगह ले रखा था. शीतल अब भी बिस्तर ठीक कर रही है. मयूरी शीतल से पीछे से चिपकते हुए उसके गर्दन वाले भाग पर प्यार भरा चुम्बन देते हुए कहती है:

मयूरी (बच्चों की तरह ठुमकते हुए): "माँ... "

शीतल: "हाँ बेटा, उठ गया मेरा बच्चा?"

मयूरी: "हाँ माँ... पर... "

शीतल: "हाँ.. बोलो बेटा... "

मयूरी: "माँ... आज मेरे बदन में बहुत दर्द हो रहा है... "

शीतल (चिंतित होते हुए): "क्या हुआ बेटा... सब ठीक है ना?"

मयूरी: "हाँ माँ.. बस थोड़ा बदन दुःख रहा है.... "

शीतल: "मालिश कर दूँ तेरे बदन की?"

मयूरी: "हाँ माँ... प्लीज कर दो... बहुत दुःख रहा है... "

शीतल: "ठीक है... तुम कपडे उतरो और लेट जाओ... मैं तेल लेकर आती हूँ... "

मयूरी (खुसी से): "ओके मेरी प्यारी माँ... "

और शीतल किचन की तरफ बढ़ जाती है... और इतने देर में अपना टॉप और शॉर्ट्स निकाल देती है. फिर उसके मन में कुछ ख्याल आता है और वो अपनी ब्रा और पैंटी भी निकल देती है और पास में पड़ा एक तौलिया लपेट लेती है. उसको पता है की तौलिये में उसका शरीर और भी मादक और कामुक लगता है. उसकी ये विशाल चूचियां और ये बड़े-बड़े गाँड़ आधे से भी ज्यादा बाहर दिख रही होती है. उसकी गोरी गोरी मांसल जाँघे जैसे चमक रही होती है और इन सब चीज़ो पर से इंसान तो क्या फ़रिश्तो की भी नज़र नहीं हट सकती.

इतने देर में शीतल किचेन से एक कटोरी में सरसो का तेल लेकर कमरे में दाखिल होती है. शीतल मयूरी को ऐसे देखर अवाक्-सी रह जाती है. ऐसा नहीं है की उसने मयूरी को पहले कभी नंगा नहीं देखा था पर अभी पता नहीं क्यूँ वो बहुत ही कामुक लग रही थी और शीतल इतनी हसीं लड़की को देखकर अपने शरीर में एक अलग तरह का गन-गनाहट महसूस करती है, उसका मुँह खुला का खुला ही रह जाता है. मयूरी, उसकी अपनी बेटी आज उसको कुछ अलग ही तरह की खूबसूरत लग रही थी. वो उसके शरीर में कुछ नयी भावनाओं और तरंगो को जागते हुए महसूस कर पा रही थी.

इतनी देर एकटक देखने के बाद मयूरी ने अपने सवाल से शीतल की तन्द्रा तोड़ी:

मयूरी: "माँ... मैं लेट जाऊँ?"

शीतल (जैसे नींद से जागते हुए): "ह.. हाँ... तुम लेट जाओ... "

मयूरी अपनी माँ के इस व्यव्हार को अच्छे से नोटिस करती है और वो समझ जाती है की उसकी चाल एकदम सही दिशा में है.

पर वो बिना कुछ व्यक्त किये चुपचाप बिस्तर पर सीधा लेट जाती है जिस से उसका चेहरा, चूचियां और चुत ऊपर की दिशा में हो और शीतल को दिखाई दे. शीतल में मयूरी आज पता नहीं क्यूँ पर अपनी वो छोटी सी, प्यारी-सी बेटी नहीं देख पा रही थी, बल्कि वो एक खूसबूरत नायब औरत देख रही तो जो उसकी काम-इच्छाओं को जागृत कर रही थी. उसके चेहरे के भाव बदल रहे थे और वो इन भावों को दिखाना नहीं चाहती थी. इसलिए उसने मयूरी को कहा:

शीतल: "तुम उल्टा लेट जाओ.. पहले तुम्हारे पीठ की मालिश कर दूँ... "

मयूरी: "ठीक है माँ..."

और मयूरी उल्टा होक लेट गयी. पर अब बात और भी बिगड़ने वाली थी. क्यूँ की पीठ की मालिश करने के लिए तौलिये को उतारना जरुरी था. शीतल पता नहीं क्यूँ पर आज थोड़ा घबरा रही थी मयूरी से ये कहने में की अपना तौलिया उतर दो... पर थोड़ा देर सोचने के बाद उसने हकलाते हुए धीरे से कहा:

शीतल: "अ... अपना ये... ये... तौलिया... उतार दो... "

मयूरी उसके भावों के बदलाव को अच्छे से नोटिस कर रही थी पर कुछ बिना व्यक्त किये हुए उसने अपना तौलिया उतार कर बगल में रख दिया. अब शीतल के सामने मयूरी एकदम आदमजात नंगी लेटी हुए थी. शीतल मयूरी की इस नायब शरीर का निरिक्षण करने में लग गयी की ईशवर ने कितने फुर्सत से बनाया होगा. मयूरी के पीठ का आकार बहुत की प्रभावशाली था और उसकी गांड तो बस... कमाल की थी.

अपने भावनाओ को काबू करने की कोशिश करते हुए शीतल अपने हाथ में थोड़ा से तेल लेकर मयूरी के पीठ पर लगाकर मालिश काना शुरू कर देती है. पर आज इस मालिश में शीतल को एक अलग ही प्रकार का आनंद आ रहा था. एक तो वो समझ नहीं पा रही थी की की किसी स्त्री के प्रति उसका ये आकषण इतना तेज़ क्यूँ है... और वो भी अपने खुद की बेटी के ऊपर... पर जो भी हो, आज उसको मयूरी के पीठ की मालिश करने में एक अलग ही मजा आ रहा था.

इधर शीतल भी इसका सम्पूर्ण आनंद ले रही थी. थोड़ी देर पीठ की मालिश करने के बाद शीतल का हाथ अपने आप ही मयूरी के गांड की गोलाइयों पर चला गया और वो बड़े प्यार से उनका मालिश करने में लग गयी. उसे पता ही नहीं चला की कब वो पीठ की मालिश करते करते मयूरी के गांड की तरफ मुड़ गयी और वो अपने धुन में उसकी गांड की मखमल जैसी सतह हो बड़े प्यार से मालिश करते-करते उसकी गांड की छेद में भी अपना हाथ डालने लगी. शीतल ने मयूरी के गांड के छेद वाले जगह की गर्मी को महसूस किया और इस से उसकी काम वासना और भी बढ़ रही थी. इसी बिच उसने मयूरी के जांघो को भी मसलना शुरू कर दिया था.

शीतल को एक बात का पूरा फायदा मिल रहा था की मयूरी अभी उसके चेहरे का भाव नहीं देख प् रही थी और इस वजह से वो एकदम बिंदास होकर ये करने का आनंद लेने में व्यस्त थी. एक बार अनायास ही उसके एक ऊँगली मयूरी के गांड की छेद में डाल दी, इस से मयूरी चिहुंक सी पड़ी और शीतल को जैसे अपने पकडे जाने का एहसास हुआ. उसने अपने भाव छुपाते हुए बात को बदलने के मन से मयूरी को तुरंत ही पलट जाने को कहा.

मयूरी तुरंत ही पलट गयी और अब शीतल के सामने जो नज़ारा था, वो उसको बहुत ही ज्यादा उत्तेजित कर रहा था. अब वो मयूरी की दो विशाल चूचियों का बिकुल सामने से दर्शन कर पा रही थी, साथ ही साथ वो उसकी चुत और उसके आस-पास के छेत्र जैसे गोरी-गोरी जांघो को बिलकुल सामने से देख पा रही थी. पर अपने स्थिति पर काबू करते हुए उसने अपने हाथ में तेल लेकर मयूरी के पेट पर लगाया और मालिश करने में लग गयी.

पर पेट पर वो कितनी देर तक मालिश करती, थोड़ी ही देर में उसको मयूरी की उन विशाल चूचिओं का रुख करना पड़ा. जब शीतल ने मयूरी की चूचियों की मालिश शुरू की तो उसको बहुत ही ज्यादा आनंद आ रहा था. पर इस बात से मयूरी भी अप्रभावित नहीं रह पायी और उसके मुँह से भी आनंद के स्वर में आहें निकलने लगी...

मयूरी: "आह... आह.. "

शीतल: "क्या हुआ... "

मयूरी: "कुछ नहीं माँ... बहुत मजा आ रहा है... "

शीतल चुप रही और मयूरी की चूचिओं को मसलती रही. फिर थोड़ी देर में मयूरी ने बातचीत शुरू किया।

मयूरी: "माँ... "

शीतल: "ह.. हाँ... बेटा..."

मयूरी: "बहुत दिन से एक बात कहना चाह रही थी आपसे... "

शीतल: "है.. बोलो.. "

और इसी बिच शीतल से उत्तेजना की वजह से मयूरी की चूचियों पर थोड़ा ज्यादा दबाव पड़ गया और मयूरी को दर्द और आनंद दोनों का ज्यादा एहसास हुआ, पर उसके मुँह से आहों की रूप में ये एहसास बहार निकल गया.

मयूरी: "आ.. आह... माँ.. "

शीतल: "सॉरी बेटा... ज्यादा जोर से दबा दिया क्या मैंने?"

मयूरी: "नहीं माँ... बहुत अच्छा लग रहा है... ऐसे ही करो न... आह... "

शीतल: "ठीक है बेटा... तो तुम क्या कह रही थी?"

मयूरी: "माँ... आप गुस्सा तो नहीं करोगे ना... "

शीतल: "नहीं बेटा... आप बिना डरे अपनी बात बताओ... "

मयूरी: "माँ... कुछ दिनों से मेरे मन में... "

शीतल: "बोलो बेटा... "

मयूरी: "वो... मै... "

शीतल: "अरे कोई बात नहीं बेटा... आप बताओ... क्या बात है... डरने की कोई जरुरत नहीं है... "

मयूरी: "वो कुछ दिनों से मुझे सेक्स करने का बहुत ज्यादा मन होता है... "

शीतल: "क्या...?"

मयूरी: "हां माँ.. कभी-कभी तो मन करता है की किसी से भी जाके सेक्स कर लूँ... "

शीतल (समझाते हुए): "अच्छा...? पर इसमें घबराने या शरमाने की कोई बात नहीं है बेटा... ये सब बिलकुल सामान्य है... इस उम्र में होता है... "

मयूरी: "पर मैं ये सब नहीं करना चाहती माँ... क्यूँ की इस से मेरी और घर की बदनामी हो सकती है... "

शीतल: "बिलकुल सही... एक छोटी से गलती का परिणाम बहुत ज्यादा बुरा हो सकता है... "

मयूरी: "पर मैं करू क्या माँ... मुझे चुदाई की बहुत तीव्र ईक्षा होती है कभी-कभी... "

शीतल अभी भी मयूरी की विशाल और माखन जैसी मुलायम चूचियों की मालिश कर रही है...

शीतल: "मैं समझ सकती हूँ... पर तुम्हे अपने मन पर काबू करना होगा... एक बार तुम्हारी पढ़ाई ख़तम हो जाये फिर तुम्हारी किसी नौजवान लड़के से शादी करा देंगे... फिर जी भर के सेक्स करना... रोज़-रोज़ छुड़वाना अपने पति से... "

मयूरी: "पर माँ... उसमे बहुत वक्त है अभी... मेरे से अब बर्दाश्त नहीं होता... "

शीतल (कुछ सोचते हुए): "अच्छा... अगर तुमसे एकदम बर्दाश्त नहीं हो रहा तो तुम एक काम कर सकती हो..."

मयूरी (ख़ुशी से): "क्या माँ... "

शीतल: "तुम हस्त-मैथुन कर सकती हो... "

मयूरी: "माँ... मुझे पता है... की हस्त-मैथुन क्या होता है... पर मैंने किया नहीं है कभी... और मुझे थोड़ा अजीब लगता है अपने हाथ से ये सब करने में... "

शीतल: "अरे... इसमें अजीब क्या है? सब लड़किया करती है... "

मयूरी: "मतलब आप भी करती हो?"

शीतल (हसते हुए): "नहीं पगली... मेरे लिए तो तेरे पापा है ना... रोज़ खूब चोदते है... तो अब जरुरत ही नहीं पड़ती... लेकिन कभी कभी जब तुम्हारे पापा बाहर जाते है कुछ दिनों के लिए तब मैं अकेले में करती हूँ... "

मयूरी: "ओ... पर माँ... मुझे तो ये अजीब लगता है बिलकुल... मतलब अपने हाथ से... कैसे??"

शीतल: "अरे... आसान है... जब सेक्स का बहुत मन कर रहा हो तो अपनी एक या दो ऊँगली अपनी चूत में डाल लो... फिर उसको अंदर-बाहर करते रहो... बहुत मजा आता है... "

मयूरी: "आप मुझे सीखा सकते हो प्लीज...?"

शीतल: "मैं तुम्हे... कैसे...??"

फिर शीतल कुछ सोचते हुए बोलती है...

शीतल: "अच्छा ठीक है... अपनी टाँगे चौड़ी कर के फैलाओ... और मुझे अपनी चूत दिखाओ... "

मयूरी: "ठीक है... "

और मयूरी अपनी टाँगे फैला देती है, नंगी तो वो पहले से ही थी.

शीतल थोड़ा निचे सरक जाती है जिस से वो मयूरी की चुत को अच्छे से देख पाए. फिर वो अपना एक हाथ उसके गुलाबी-सी चूत पर फेरती है. मयूरी के मुँह से सिसकारियां निकलने लगती है...

मयूरी: "आ... आह... माँ..."

शीतल: "क्यूँ ... मजा आ रहा है... "

मयूरी: "हाँ माँ... बहुत अच्छा लग रहा है... "

शीतल अपनी जवान बेटी की इस खूबसूरत चुत को देखकर अपने अंदर की चुदास की पनप को और तीव्र होता हुआ महसूस कर रही होती है. उसको समझ नहीं आता की किसी औरत के जिस्म को देखकर उसको ऐसा क्यूँ महसूस हो रहा है. ऐसी भावना उसके मन में पहली बार जनम ले रही थी इसलिए उसको कुछ समझ नहीं आ रहा था. वो बड़े गौर से मयूरी की चुत का निरिक्षण करती है और अपना हाथ उसपर बड़े प्यार से फेरते हुए बोलती है:

शीतल: "मयूरी... "

मयूरी: "ह.. हाँ... माँ... आह... "

शीतल: "तुम्हारी चुत तो बहुत खूबसूरत है... एकदम गुलाबी... टाइट... रसीली... "

मयूरी: "तुम्हे अच्छी लगी माँ...?"

शीतल: "हाँ बेटा... जी करता है की इनको चूम लूँ... "

मयूरी: "आह... माँ... तो आपको रोका किसने है... चूम लो... चाट लो... जो करना है वो करो... मुझे बहुत अच्छा लग रहा है... "

शीतल: "सच बेटा...?"

मयूरी: "हाँ माँ... आप जो चाहो वो कर सकते हो.... "

और ऐसा कहते हुए मयूरी अपने हाथ शीतल के गर्दन पर रखती है और वो उसके चेहरे को अपने चुत पर झुका कर दबा देती है. शीतल को तो जैसे इस वक्त यही चाहिए था. वो अपने होठों से मयूरी की चुत को प्यार करने लग जाती है. पहले तो वो उसकी चुत की कली को चूमती है फिर अपनी जबान से उसको चाटने लग जाती है. फिर थोड़ी ही देर में वो अपनी जबान मयूरी की चुत के अंदर डालकर कुछ कलाबाजियां दिखने लग जाती है.

मयूरी के लिए ये नया नहीं था, वो पहले भी कई बार अपनी चुत अपने दोनों भाइयों से चटवा चुकी थी पर एक औरत के होठ और जबान की बात ही अलग होती है और विशेष रूप से अपनी सगी माँ आपकी चुत चाट रही हो तो उसकी बात ही थोड़ी अलग होती है. उसको अभी कुछ ज्यादा ही मजा आ रहा था अपनी चुत चटवाने में.

खैर, मयूरी की सिसकारियों की आवाज़ अब और तेज़ हो जाती है और उसकी तेज़ आहों और सिसकारियों की आवाज़ से शीतल को और जोश मिल रहा था उसे अपनी बेटी की चुत चाटने में. ये उसके लिए पहली बार था जब वो किसी औरत का चुत चाट रही थी, लंड तो वो कई बार चाट चुकी थी अपने पति का पर ये एहसास थोड़ा अलग था और इसी वजह से उसको कुछ ज्यादा ही मजा आ रहा था.

उत्तेजना के कारन मयूरी अपनी माँ का मुँह अपने हाथ से अपनी चुत पर जोर जोर से दबा दे रही थी जिस से शीतल को कभी कभी साँस लेने में थोड़ी दिक्कत भी हो रही थी पर इस समय वो दोनों कुछ भी कर गुजरने को बिलकुल तैयार थे. थोड़ी देर मयूरी की रसीली चुत को चाटने के बाद, अब तक मयूरी की छूट ने ३-४ बार पानी छोड़ दिया था और उसकी माँ ने उसकी चुत के पानी का एक-एक बून्द अपनी होठों और जबान से चाट-चाट कर साफ किया.

अब शीतल ने अपनी बिच की ऊँगली मयूरी के चुत में डाल देती है. और मयूरी की चुत पहले से ही गीली होने की वजह से वो आराम से सरसराते हुए अंदर चली जाती है. हालाँकि शीतल को उसके चुत के टाइट होने का एहसास तब भी होता है. मयूरी अचानक से चिहुंक सी जाती है और इसी बिच शीतल अपने हाथ को आगे-पीछे करके मयूरी की चुत को चोदने लग जाती है.

शीतल जोश में अब अपने हाथ को मयूरी की चुत में अंदर-बाहर करने की रफ़्तार को बहुत ज्यादा बढ़ा देती है... मयूरी की सिसकारियां अब बहुत ही ज्यादा तेज़ हो चुकी है...

मयूरी: "आ... ह... आह.... माँ.... "

शीतल (पुरे जोश में जोर से चिल्ला कर): "मजा आ रहा है बेटी?"

मयूरी: "हाँ... माँ... बहुत मजा आ रहा है... आह... ह... और जोर से... करो माँ... आह... ऐसे ही... आ... बहुत मजा आ रहा है माँ... आ.... ह... "

शीतल अपनी बेटी को बहुत देर तक अपने हाथों से चोदति है... फिर जब वो उसके चुत से ढेर सारा पानी बहार निकलता है तब उसके चूत का निकला हुआ पानी वो उसी के मुँह में डाल कर कहती है:

शीतल: "ले बेटा... अपनी चुत का पानी का स्वाद चख.... बहुत मस्त है... मैंने इतनी देर में बहुत सारा पिया है ये स्वादिष्ट पानी... "

मयूरी भी पुरे जोश में अपनी माँ के आदेश का पालन करती है और वो सारा पानी चाट जाती है.

अपनी के द्वारा अपनी चूत-चटाई और ऊँगली से चुदाई के बाद मयूरी को अब अपनी योजना बहुत हद तक तो सफल होते हुए नज़र आ रही थी. पर वो इसके पहले की अपनी माँ के साथ अपने बेटों से चुदवाने की बात करे, वो पूरी तरह आस्वस्त हो जाना चाहती थी. इसलिए उसने इस माँ-बेटी के बिच का अनूठा प्यार को और आगे बढाने की बात सोची. उसने अपना अगली चल चली:

मयूरी: "माँ... "

शीतल: "हाँ बेटा.... "

मयूरी: "अ... वो.. क्या मैं... मैं भी आपकी चूत... "

शीतल: "हाँ बेटा... बिलकुल... मुझे बहुत ख़ुशी हुई ये बात जानकर की तुम मेरा चुत चाटना चाहती हो... "

मयूरी: "तो आप अपने कपडे उतार दो ना... "

शीतल: "जरूर... "

और शीतल अपना नाइटी उतार फेंकती है... और उसके साथ ही साथ वो अपनी काले रंग की ब्रा और पैंटी भी बड़े रफ़्तार से उतार देती है जैसे उसको अपनी बेटी से चुत चटवाने की कुछ ज्यादा ही जल्दी हो. अब वो अपनी नंगी जवान बेटी के सामने खुद भी बिलकुल वस्त्रहीन थी.

मयूरी अपनी नंगी माँ को बड़े गौर से देखती है और उसके शरीर का निरिक्षण करने में लग जाती है. शीतल की उम्र के मुताबिक उसका शरीर बहुत ही ज्यादा जवान और हसीं था. चूचियां बिना ब्रा के भी बड़ी और खड़ी थीं, कमर एकदम पतली और गांड मयूरी की तरह ही बड़ी-बड़ी थी. शीतल बहुत गोरी थी और बिना कपड़ो के वो किसी हीरोइन से कम नहीं लगती थी. शायद यही वजह थी की अशोक आज भी उसके प्यार में पागल था.

मयूरी अपनी नंगी माँ को अपनी तरफ जोर से खींचती है और अपने होंठ उसके होंठो से जोड़ देती है. फिर दोनों माँ-बेटी में चुमन का एक लम्बा दौर चलता है... दोनों औरतें जैसे एक-दूसरे को या तो खा जाना चाहती थीं या एक-दूसरे में जैसे समा जाना चाहती थी. शीतल अपने चुम्बन का अनुभव दिखाती है और अपनी जबान मयूरी के मुँह एक अंदर डाल कर कलाबाजियां करने में लग जाती है.

दोनों ही औरतें एक-दूसरे को चूमने के साथ साथ अपने एक-एक हाथ से एक-दूसरे की एक-एक चूचियों को मसलने और एक-एक साथ से एक दूसरे की मुलायम गांड का जायजा लेने में भी उतना ही व्यस्त थी जितना उनके होठ और जबान चुंबन के उस प्रगाढ़ दौर में व्यस्त थे. फिर थोड़ी देर और इसी अवस्था में एक दूसरे को प्रेम करने के बाद दोनों औरतों ने 69 की अवस्था अपनायी और एक दूसरे के मुँह से चूत का अभिवादन करने का कार्य शुरू हुआ. दोनों औरतों ने एक साथ एक-दूसरे की चूत को चाटना और अपनी-अपनी जबान से एक-दूसरे की चूत को चोदना शुरू कर दिया. ज्यादा उत्तेजना की वजह से दोनों ही कभी कभी बिच-बिच में अपना मुँह एक-दूसरे की चूत में जोर से दबा देते है... कमरे में दोनों औरतों की सिसकारियां और आँहें गूंज रही होती है.

दोनों का प्रेमालाप करीब बीस मिनट तक ऐसे ही चलता रहता है और इतनी देर में दोनों ही माँ-बेटी 6-7 बार झड़ जाती है. इतनी देर में दोनों ने एक-दूसरे के शरीर के लगभग हर अंग को चाट और चुम लिया था. दोनों ने एक-दूसरे की गांड का भी स्वाद ले लिया था. और दोनों एक-दूसरे की बिच कायम हुए इस नए रिश्ते से काफी खुश लग रही थी. परन्तु इतनी देर तक लगातार प्रेमलाप के बाद दोनों पसीन-पसीन हो गयी थी और बहुत ही जोर-जोर से हांफ रही थी. दोनों की सांसे चढ़ी हुई थी और दोनों ही काफी थक चुकी थी.

-- आगे पढ़िए कैसे मयूरी ने माँ को अपने दोनों बेटों से एक-साथ चुदवाया.

लेखक से:

ये मेरी जिंदगी की पहली रचना "चुड़क्कड़ परिवार" श्रृंखला की अगली कड़ी है. मैं सेक्स और चुदाई के कहानियो का बचपन से शौक़ीन रहा हूँ. विशेष रूप से रिश्तो में चुदाई की कहानियों का बड़ा प्रशंसनीय रहा हूँ. मुझे अपनी इस श्रृंखला की ये कड़ी को लिखने में बहुत वक्त लग गया, पर ये बहुत ही रोमांच से भरी हुई कहानी तैयार हुई है. मेरी पाठकों से आग्रह है की आपको ये कहानी कैसी लगी, आप अपनी राय मुझे मेरे ईमेल आईडी पर जरूर दें ताकि मैं इसकी दूसरी कड़ी भी लिख पाऊँ.

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Anonymous
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1 Comments
AnonymousAnonymousover 1 year ago

very innovative, keep it up

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