घर की लाड़ली - चुदक्कड़ परिवार Ch. 07

Story Info
घर के लाड़ली बेटी ने बड़े योजनाबद्ध तरीके से घर को अपने चुदाई.
3.8k words
3.02
107.2k
2

Part 8 of the 11 part series

Updated 06/09/2023
Created 09/22/2018
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इस कहानी के सारे पात्र १८ वर्ष से ज्यादा आयु के हैं. ये कहानी पूरी तरह से काल्पनिक है और अगर इसके किसी पात्र या घटना किसी के वास्तविक जीवन से मिलती है तो उसे मात्रा के संयोग माना जायेगा.

यह कहानी मेरी पिछले कहानी "किस्मत का खेल - चुदक्कड़ परिवार" श्रृंखला के अगली कड़ी है, परन्तु अपने आप में एक पूरी कहानी है. आशा करता हूँ की पाठकों को पसंद आएगी.

*****

अध्याय - 7 - पिता-पुत्री की प्रेम लीला

मयूरी अशोक के कमरे में प्रवेश जब करती है तो अशोक अपने बिस्तर पर लेटकर एक किताब पढ़ रहा था. उसने तकिये को सिरहाने से लगाकर, उसपर आधा लेटने और आधा बैठने की अवस्था में बड़ी ही गहनता के साथ कोई किताब पढ़ रहा था. उस बेचारे को तो ये पता भी नहीं था की उसके किस्मत में अब क्या आने वाला है, उसपर तो अब साक्षात् कामदेवी की कृपा बरसने वाली थी.

मयूरी अंदर कमरे में घुसते हुए अपने पापा को आवाज़ देती है:

मयूरी: "पापा....?"

पापा: "हाँ बेटा..."

मयूरी: "आप पढाई कर रहे हैं...?"

पापा: "हाँ बेटा... कुछ काम था...?"

मयूरी: "नहीं... मुझे लगा की आप आजकल मुझपर बिलकुल ध्यान नहीं दे रहे है... मुझे प्यार भी नहीं करते पहले की तरह... तो आपसे बात करि जाय... "

पापा: "ऐसा नहीं है बेटा... पापा आपसे बहुत प्यार करते हैं... पर थोड़ा बिजी होते हैं आज कल... और आप काफी बड़ी हो गयी हैं... तो आपको गोद में उठाकर पहले की तरह प्यार भी नहीं कर सकते... "

मयूरी इतना सुनते ही जोर-जोर से उछलने और पैर पटकने लगती है और बच्चों की तरह जिद करने लगती है...

मयूरी: "नहीं... नहीं.... नहीं... मैं बड़ी नहीं हुई हूँ... आप बस मुझे प्यार नहीं करते... "

उसके ऐसे उछलने और बच्चों की तरह जिद करने से पापा को पहले तो उसपर बड़ा प्यार आता है लेकिन अगले ही पल उनकी नजर और नजरिया दोनों उस सामने जिद से नाच रही लड़की को लेकर बदल जाता है. थोड़ी देर पहले जो लड़की उसे अपनी बेटी नजर आ रही थी अब उसमे उनको कुछ और नजर आता है. मयूरी जब बच्चों की तरह जिद करते हुए नाच रही थी तो उछलने की वजह से उसकी गोल-गोल भारी चूचियां जोर-जोर से ऊपर-निचे हो रही थी. इसके दो प्रमुख कारन थे- एक की उनका साइज और आकर बहुत बड़ा था और दूसरा की मयूरी ने सपोर्ट के लिए अंदर ब्रा भी नहीं पहना हुआ था. साथ-ही-साथ ऊपर निचे कूदने की वजह से उसकी छोटी सी स्कर्ट जो पहले ही पड़ी मुश्किल से उसकी चुत और जाँघों को ढक पा रही थी, बार-बार हवा में ऊपर ही रह जा रही थी और उस से मयूरी की जाँघे और गांड बिलकुल नंगी सामने से नजर आ रही थी. अशोक को अपने बेटी का चुत तो नहीं दिख रहा था क्यूँ की वो जांघो में निचे कही छुप जा रहा था और वो अपने आँखे फाड़-फाड़ कर अपनी बेटी के सामने ही उसकी चूत में नजर भी नहीं डाल सकता था, पर गांड और उछलती हुई चूचियों पर से वो अपने ध्यान हटा नहीं पा रहा था.

और इस अवस्था में मयूरी को देखकर पापा बिलकुल अवाक् से रह जाते हैं... थोड़ी देर तक कुछ समझ नहीं पाते की क्या करना है... इतनी कामुक लड़की देखकर उनका मन करता है की वो उठे और जाकर मयूरी की दोनों चूचियों को जोर से पकड़कर मसल दे और उसका वो टॉप फाड़कर उसको नंगा कर दे... स्कर्ट ऊपर-निचे होने से उसको ये भी पता चल जाता है की मयूरी ने अभी पैंटी नहीं पहनी हुई है... उसका मन करता है की वो उसकी स्कर्ट को तुरंत फाड़कर उसके जिस्म से अलग कर के उसको एकदम नंगा कर के उसकी चुत और गांड को खूब चूमे और चुदाई करे...

पर थोड़ी देर ऐसे ही ताड़ने के बाद अगले ही पल उसके अंदर का पिता जाग जाता है और उनको ख्याल आता है की ये लड़की उनकी अपनी बेटी है... वो अपने मन पर नियत्रण करते है और हँसते हुए उसको शांत करने के लिए कहते है:

पापा: "अच्छा... अच्छा... ठीक है... आप शांत हो जाइये... और बताइये आपको क्या चाहिए..."

मयूरी (इठलाते हुए): " पापा... मुझे प्यार करो... पहले की तरह... अपने गोद में बिठाकर... "

पापा: "अरे... ओहो... ऐसे कैसे मैं तुम्हे अपने गोद में बिठा सकता हूँ... तुम अब..."

मयूरी (बात को बिच में काटते हुए): "मैं बताती हूँ कैसे..."

और वो ऊपर बिस्तर पर चढ़ने लग जाती है और बोलती है:

मयूरी: "पापा... मैं आपकी गोद में बैठने आ रही हूँ... "

और ऐसा कहते हुए वो बिस्तर पर चढ़ कर खड़ी हो जाती है और पापा के हाथ से किताब छीन कर बगल में पटक देती है. इस समय स्थिति कुछ इस तरह है: पापा उसी अवस्था में आधे बैठे और आधे लेटे हुए हैं, मयूरी अपने दोनों गोरी और लम्बी टाँगे जो की बिलकुल नंगी और आकर्षक हैं, को अपना पापा के दोनों तरफ डाले हुए है. इस से अशोक अब मयूरी की दोनों टांगो के बिच में बैठा हुआ है और मयूरी उसके ठीक सामने खड़ी है. इस अवस्था में खड़े होने की वजह से पापा का चेहरा थोड़ा निचे पड़ जाता हाउ और मयूरी की स्कर्ट बहुत छोटी होने की वजह से उसकी जाँघे और चुत के आस-पास की जगह का पापा बड़े आराम से दर्शन कर पा रहे हैं.

अब मयूरी ने इस वक्त का नियत्रण पूरी तरह से अपने हाथ में लिया हुआ है. उसको पता है की अब उसके पिता उसके इस कामुक और आकर्षण शरीर की हवस जाल में पूरी तरह फंस चुके हैं. नहीं तो अगर ऐसा नहीं होता तो वो अब तक मयूरी को जोर से डाँट चुके होते उसकी ऐसी हरकतों के लिए. पर ऐसा कुछ हुआ नहीं है अब तक, मतलब वो अपने पापा को अपने प्रेमजाल में फंसाने में कामयाब रही है. इसी आत्मविश्वास की साथ वो आगे बढ़ती है. और अपना अगला साहसी कदम रखती है.

वो अपने पापा के गोद में बैठने ही वाली होती है की जान बूझकर वो अपनी चुत वाली जगह और जाँघों को वो बैठने के क्रम में अपने पापा के मुँह के पास सटा देती है. उसने पैंटी नहीं पहना हुआ होता है इसलिए उसकी अंतःअंगों का सीधा स्पर्श उसके पापा के होंठों और नाक से होता है.

मयूरी के इस आघात का पापा पर सीधा असर पड़ता है. उसकी चुत की खुशबू और स्पर्श जैसे ही पापा की मुँह और नाक पर पड़ती है, वो मदहोश हो जाते है. एक क्षण के लिए उनको एक अलग ही रोमांच का अनुभव होता है. अब तक वो अपनी बेटी की इस खूबसूरत काया और कृष्ण का पूरी तरह कायल हो चूका होता है. अब उसके अंदर का पिता पता नहीं कहा चला गया, वो अपने आप को जो महसूस कर पा रहा है वो है बस एक मर्द को इस वक्त बहुत ही ज्यादा कामुक हुआ पड़ा है. इस कामुकता की वजह से उसका लंड पूरी तरह से खड़ा हो चूका होता है. और ये हर बार से कुछ ज्यादा ही टाइट है इस वक्त क्यूँ की इस समय वो अपनी खुद की बेटी के शरीर को चोदने और भोगने का रोमांच अनुभव कर रहा है.

खैर, मयूरी अब पापा की गोद में बैठ जाती है अपनी दोनों टाँगे अपने पापा के दोनों तरफ फैला कर. और वो अपने पापा की एकदम नजदीक बैठी है इसलिए जरा सा भी हिलने-डुलने पर उसकी चूचियां उसके पापा की चेहरे से टकरा रही थी. उसने बातचीत जारी किया:

मयूरी: "पापा... मुझे बहुत अच्छा लग रहा है बहुत दिनों बाद आपकी गोद में बैठकर... "

पापा: "अच्छा...?"

मयूरी: "हाँ पापा, अपने तो मुझे प्यार करना छोड़ ही दिया है.... "

पापा: "अच्छा...? सॉरी बेटा... आजकल मैं शायद काम में कुछ ज्यादा व्यस्त रहता हूँ... "

मयूरी: "वो तो ठीक है... पर आपको मेरे लिए भी वक्त निकालना चाहिए... वरना मुझे कौन प्यार करेगा...?"

पापा: "एकदम सही बात... अच्छा... एक बात बताओ... "

मयूरी: "क्या पापा...?"

पापा: "आप अपने पापा को प्यार करते हो?"

मयूरी: "हाँ पापा... "

पापा: "कितना...?"

मयूरी (अपनी दोनों बांहे फैलते हुए): "इतना सारा... आ........ "

और ऐसा करते हुए वो अपने पापा के चेहरे को अपनी बांहों में भर लेती है. इस से अब पापा का चेहरा पूरी तरह से मयूरी की बांहो और चूचियों में कैद हो जाता है. मयूरी अपने पापा को अपने बाँहों में जोर से दबा देती है और पापा उसकी चूचियों की कोमलता को एकदम नजदीक से महसूस कर पाते हैं. वो थोड़ी देर तक ऐसे ही बैठे रहते है फिर पापा भी अपने दोनों हाथ से मयूरी को जोर से पकड़ लेते है और मयूरी की गांड को जोर से दबा देते है. वो बहुत देर तक इसी अवस्था में रहते हैं. दोनों को इस अवस्था में एक अलग ही सुख का अनुभव हो रहा होता है. की तभी पापा पीछे से अपने हाथ से मयूरी की गांड को धीरे-धीरे सहलाना चालू कर देते हैं.

मयूरी को भी बड़ा मजा आने लगता है और आनंद में वो अपने मुँह से निकल रहे आँहो को रोक नहीं पाती...

मयूरी: "आ... आह... पापा... "

पापा (उसकी गांड को सहलाते हुए): "क्या हुआ बेटा...?"

मयूरी: "कुछ नहीं पापा... बहुत अच्छा लग रहा है... आई लव यू पापा... "

पापा: "आई लव टू मेरा बच्चा... "

और ऐसा कहते हुए पापा मयूरी की गांड की दरार में अपना हाथ डाल देते है... मयूरी की पकड़ और तेज़ हो जाती है और वो और जोर से अपने पापा को भींच कर दबा देती है. पापा समझ जाते है की मयूरी को भी आनंद आ रहा है और वो इस पापा के इस काम में राजी भी है.

मयूरी: "आ... आह... पापा... "

पापा कुछ बोलते नहीं है और अपने हाथ की एक ऊँगली मयूरी की गांड की दरार से होते हुए उसके गांड की छेद में डाल देते हैं... मयूरी को अब बहुत ज्यादा आनंद आने लगता है. वो अपने होंठ पापा की होठों पर रख देती है और जवाब में पापा भी अपने होठ से उसके निचले होठ को कैद कर लेते हैं. और इस तरह शुरू होता है पहली बार एक प्रगाढ़ चुम्बन का दौर एक पिता और पुत्री के बिच. दोनों एक चुम्बन के दौर का पूरी तरह से आनंद लेने में जुट जाते हैं. इसी दौरान पापा अपने एक साथ से मयूरी की गांड के एक हिस्से को आजाद करते हैं और मयूरी की जादुई चूचियों पर अपना वो हाथ फेरने लग जाते है.

मयूरी थोड़ा पीछे हटती है और अपनी बांहों की पकड़ को थोड़ा ढीला करते हुए अपने पापा को अपनी चूचियों को पकड़ने और मसलने का रास्ता देती है.

इसी बिच पापा मयूरी के टॉप के ऊपर से ही उसकी चूचिओं का नाप लेते हैं और फिर उनको नायब चूचियों को जो की बड़ी-बड़ी और भारी-भारी होने के साथ-साथ उतनी ही कड़ी और टाइट थीं, को पहले तो दबाने और फिर जोर-जोर से मसलने में लग जाते हैं. मयूरी की आहें अब तेज़ हो जाती हैं.

थोड़ी देर ऐसे ही मयूरी के टॉप के ऊपर से ही उसकी चूचियों को मसनले के बाद अशोक उसकी टॉप को थोड़ा ऊपर कर देता है पर उसको निकलता नहीं है, और चूँकि मयूरी ने बिलकुल ढीला-ढाला टॉप पहना हुआ था वो भी बिना ब्रा के तो इस हिसाब से उसके टॉप को निकलने की कोई जरुरत भी नहीं थी, थोड़ा सा ऊपर करते ही वो पूरी तरह दिख भी रहा था और पकड़ा भी जा सकता था, लगभग उसके उतार देने जैसी ही बात थी.

अब अशोक ने मयूरी की चूचिओं को और जोर से पकड़ा और थोड़ी देर दबाने के बाद उसने अपने होंठों को मयूरी के होंठो से अलग कर उसकी चूचिओं पर रख दिया. अशोक अब मयूरी की चूचियों को अपने होठों से जोर-जोर से चूस रहा था. थोड़ी ही देर में उसने अपना दूसरा हाथ जो की मयूरी की गांड के छेद में व्यस्त था, को वहां से आजाद कर उसको मयूरी की चूचिओं पर लगा दिया, इस तरह से अशोक अब पूरी तरह अपना ध्यान उन विशाल और बहुत ही आकर्षक गोरी चूचियों को चूसने और मसलने में व्यस्त हो गया.

मयूरी की आहे अब और भी तेज़ हो रही थी पर वो अपने पर नियंत्रण रखे हुए थी क्यूँ की वो अपनी आवाज़ को बहार नहीं जाने देना चाहती थी. वैसे अगर घर को कोई सदस्य ये सब सुन ये देख भी लेता तो इस स्थिति में कुछ फर्क नहीं पड़ने वाला था पर वो फिर भी सावधानी से आगे बढ़ना चाहती थी.

करीब 15 मिनट तक मयूरी की चूचियों का आनंद लेने और उनपर जुल्म ढाने के बाद अब अशोक पूरी तरह बेशरम और उत्तेजित हो चूका था. मयूरी इस समय उसकी गोद में बैठी हुई थी, उसका ढीला सा टॉप उसके गले तक ऊपर किया हुआ था जिस से वो अर्धनग्न अवस्था में थी. अशोक ने मयूरी को पीछे धकेल दिया जिस से वो पीछे की तरग गिर गयी और अशोक ने अपना पैर खिंच लिए. अब मयूरी अशोक के सामने लेती हुई थी, अशोक ने उसके स्कर्ट को थोड़ा ऊपर किया जिस से वो उसकी चुत के दर्शन कर पाए. मयूरी ने इसमें उसकी पूरी सहायता की और अपने दोनों पैर फैला कर उसका स्वागत किया.

अशोक के सामने अब उसकी बेटी बिलकुल नंगी पड़ी हुई थी, हालाँकि उसने कपडे तो पहने हुए थे पर वो मयूरी का शरीर का कोई भी भाग ढकने में कामयाब नहीं था. अशोक ने अपने हाथ से मयूरी की चुत को सहलए और वो उसकी गुलाबी चुत को देखकर एकदम उसपर मोहित हो गया. मयूरी की चुत अब तक बहुत गीली हो चुकी थी. उसकी चुत पर कोई बाल नहीं था और वो बहुत ही प्यारा लग रहा था. अशोक ने मयूरी की चुत को धीरे-धीरे सहलाते हुए पूछा:

अशोक: "बेटा...?"

मयूरी: "हाँ पापा... आह... "

अशोक: "क्या तुम्हारी इस प्यारी सी चूत में कभी किसी का लंड गया है या इसकी सील टूट चुकी है?"

मयूरी: "पापा... मुझे माफ़ कर दीजिये पर मेरी इस चुत की सील टूट चुकी है... "

अशोक: "कोई बात नहीं बेटा... अच्छा एक बात बताओ... "

मयूरी: "आह... आ... हाँ... आह... पापा.... "

अशोक (उसकी चुत में ऊँगली डालकर घुमाते हुए): "तुमने अब तक कितने लोगो का लंड लिया है? और कितनी बार?"

मयूरी: "आह... पापा... अब तक... आह... दो लोगो ने इस चूत में अपना लंड डाला है... दो-दो बार... आह... "

अशोक: "कोई बात नहीं... तुम्हारी चुत तो अब भी बिलकुल कंवारी लग रही है मेरी जान... तुम चिंता मत करो... इसको मैं खूब चोदुँगा... वैसे किस-किस से चुदवाया है तुमने अब तक?"

मयूरी: "ये मैं आपको बाद में बताउंगी पापा... पर मैं वादा करती हूँ... की बता दूंगी... "

अशोक: "ठीक है... अब इस चूत को तीसरे लंड का स्वाद चखना है आज... "

मयूरी: "पापा... मैं आपसे से बचपन से ही चुदना चाहती थी... आपको हमेशा माँ को चोदते हुए देखकर अपने चुत में ऊँगली करती थी और सोचती थी की काश मैं आप से चुदवा पाती... आपका लंड अपने चूत में वैसे ही डलवा पाती जैसे आप माँ की चूत और गांड में डालते हैं... आज इतने वर्षों बाद मेरा सपना पूरा होने वाला है..."

अशोक: "मैंने कभी सोचा नहीं था की मेरी बेटी मेरे बारे में ऐसा सोचती है... नहीं तो मैं तुमने कभी का चोद देता मेरी जान... तुम्हे बड़ा होते हुए देखकर मेरा भी हमेश मन करता था तुम्हे चोदने को. कई बार तो तुम्हारा ख्याल अपने मन में रखकर तुम्हारी माँ को चोदता था मैं. पर आज देखो, हम दोनों की ख्वाहिशें पूरी होने वाली है... "

और ऐसा कहते ही अशोक ने मयूरी की चूत पर अपना मुँह रख दिया और और अपनी जबान से उसको चाटने और चोदने लगा.

कुछ ही मिनटों में मयूरी की चुत से ढेर सारा पानी निकल जाता है जिसको अशोक चाट-चाट कर साफ कर देता है. इतनी देर में मयूरी हांफ-सी जाती है फिर भी वो अपने इस पिता-पुत्री की चुदाई के खेल में रुकना नहीं चाहती. वो अपने पापा से बोलती है:

मयूरी: "पापा...?"

अशोक: "हाँ मेरी जान..."

मयूरी: "क्या मैं आपका लंड चूस सकती हूँ...?"

अशोक: "बिलकुल मेरी जान... मुझे बहुत ख़ुशी होगी... तुम्हे शायद नहीं मालूम पर मैंने कई बार अपने सपने में तुम्हे अपना लंड चुसाया है... आज वो सारे सपने पुरे कर दो मेरी सेक्सी बेटी... "

अशोक ऐसा कहते हुए अपना लंड बाहर निकलता है और अब मयूरी के सामने उसके पिता का टनटनाते हुआ लंड है जिसको उसने चुप-चुप कर कई बार देखा था. करीब से इस लंड को देखने और छूने का उसका पहला मौका था. मयूरी ने बड़े प्यार से अपना पिता के लंड को पकड़ा और उसके टोपे की चमड़ी को पीछे कर दिया. उसने जायजा लिया की अशोक का लंड विक्रम और रजत के लंड से थोड़ा पतला पर ज्यादा लम्बा है. उसने उसी समय अपने मन में ठान लिया की अपने गांड की सील तो मैं इसी लंड से खुलवाउंगी. थोड़ा पतला होने से ये आराम से काम दर्द में उसके गांड का दरवाजा खोल सकता था.

मयूरी ने अशोक के लंड को थोड़ा सहलाने के बाद अपने होठ उसपर रख दिए. पहले तो उसक बड़े प्यार से चूमा और फिर उसको घप से अपने मुँह में घुसा लिया. अब मयूरी अपने पिता के लंड को किसी रंडी की तरह चूस रही थी. अशोक के लिए ये अनुभव उसके सपने के पूरा होने जैसा था, इस समय वो बिलकुल स्वर्ग का अनुभव कर रहा था. उसके मुँह से भी आहें निकल रही थी पर वो अपने आवाज़ पर काबू किये हुए था.

करीब 10 मिनट के लंड चुसाई के बाद अशोक के लंड से प्रेमधारा निकल पड़ी. उसके लंड से निकले एक-एक बून्द वीर्य को मयूरी ने पि लिया. उसका पूरा मुँह अचानक से निकले अशोक के वीर्य से भर गया. पर वो बहुत ही ख़ुशी और गर्व से अपने पिता के लंड से निकले वीर्य को स्वाद ले-ले कर पि रही थी. अशोक के लंड से वीर्य निकलने के वावजूद भी उसका लंड मुरझाया नहीं था. उसने मयूरी को बिस्तर पर लिटाया और अपना लंड उसकी चुत पर सेट किया. फिर उसने मयूरी से अनुमति ली:

अशोक: "बेटा...?"

मयूरी: "हाँ पापा... आह... "

अशोक: "तो फिर डाल दूँ अपना लंड तेरी इस प्यारी सी चूत में...?"

मयूरी: "प्लीज पापा... अब देर ना करो... मैं इस लंड को अपने चुत में लेने को बहुत ही ज्यादा आतुर हूँ... डाल दो अपना लंड मेरी चुत में पापा... अपनी बेटी को अपनी बीवी बना लो पापा... अपनी रंडी बना लो मुझे.... "

अशोक: "जरूर मेरी जान... आज से तुम मेरी बेटी ही नहीं मेरी बीवी भी हो और मेरी रंडी भी.... "

और ऐसा कहते हुए अशोक ने एक जोरदार धक्का अपने लंड से लगाया और उसका लंड पूरा का पूरा मयूरी की चूत में समां गया, करना था मयूरी की चुत का जरुरत से ज्यादा गिला होना. अपने पिता के साथ होनेवाली चुदाई की उत्तेजना में उसकी चूत ने बहुत सारा पानी छोड़ रखा था जिस से उसकी चुत बहुत ही ज्यादा चिकनी हो गयी थी.

अशोक का लंड पूरा का पूरा मयूरी की चूत के अंदर था, उसने धीरे-धीरे धक्का लगाना शुरू किया. हालाँकि मयूरी पहले से चुदी हुई थी पर फिर भी उसकी छूट बहुत ही टाइट थी, और इस बात का एह्साह अशोक को हो रहा था. उसको अपने लंड में थोड़ा-थोड़ा दर्द का भी अनुभव हो रहा था पर उत्तेजना चरम सिमा पर थी. उसने चुदाई शुरू की और कमरे में दोनों की जाँघों की तकरने की थप-थप की आवाज़ गूंज रही थी साथ ही साथ मयूरी की तेज़ चुदाई की वजह से आहें भी निकल रही थी.

मयूरी ने अशोका का लंड पहली बार अपनी चूत में लिया था पर उसको बहुत ही ज्यादा आनंद आ रहा था. अशोक का लंड थोड़ा पतला तो था पर लम्बा ज्यादा था और इस वजह से उसको चुदाई का एक अलग ही अनुभव हो रहा था. अशोक चुदाई के साथ साथ मयूरी की चूचियों को मसल भी रहा था.

करीब 10-12 मिनट की घमासान चुदाई के बाद दोनों एक साथ झड़ गए. अशोक ने अपना वीर्य अपनी बेटी की चूत में ही गिरा दिया. फिर बहुत थकना के कारन दोनों बिस्तर पर कटे हुए वृक्ष की तरह गिर गए. थोड़ी देर आराम किया था दोनों ने की उनको किसी के अपने कमरे की तरफ आने की आवाज़ सुनाई देती है. दोनों अपने सपनो की दुनिया से बहार आते है और मयूरी और अशोक दोनों अपने कपडे ठीक करके बिस्तर पर ठीक से बैठ जाते है. मयूरी बिस्तर से निचे उतर कर खड़ी हो जाती है. की तभी कमरे के दरवाजे धकेलते हुए शीतल अंदर दाखिल होती है.

शीतल जैसे ही कमरे में घुसती है, उसको अंदर चुदाई की खुशबु का एहसास होता है. उसकी नजर बिस्तर पर जाती है जिसका बेडशीट चादर अस्त-व्यस्त पड़ा होता है. वो समझ जाती है की मयूरी ने अपने बाप का लंड अपने चूत में डलवा लिया है. पर वो अनजान बनते हुए कहती है:

शीतल: "चलो दोनों लोग... खाना तैयार है... और वक्त भी हो गया है..."

अशोक: "हाँ... तुम चलो मैं आता हूँ... "

शीतल मुस्कुराते हुए चली जाती है और खाने की टेबल कर खाना लगाने लगती है. अशोक मयूरी की होंठो को फिर से चूमता है, उसकी चूचियों को जोर से दबाता है और फिर मुस्कुराते हुए कहता है...

अशोक: "मयूरी बेटा... "

मयूरी: "हाँ पापा... "

अशोक: "मुझे अपनी चुदाई का मौका देने के लिए धन्यवाद... तुम्हे चोदकर मुझे जीवन का असल आनंद मिला है... "

मयूरी: "मुझे भी बहुत सुख की अनुभूति हुए है पापा... आपको भी धन्यवाद... पर अभी तो आपको बहुत कुछ करना है... मेरी गांड की सील अभी भी खुली नहीं है... आपको इसको भी खोलना है और मुझे अब रोज़ चोदना है... "

अशोक: "जरूर मेरी जान... अब तो मैं तुम्हे रोज़ ही चोदुँगा... और कल तेरी गांड का दरवाजा भी खोल दूंगा..."

मयूरी: "बिलकुल पापा... फिर मैं आपको एक और सरप्राइज दूंगी... "

अशोक: "वो क्या... "

मयूरी (इठलाते हुए): "वो तो आपको कल पता चलेगा.... चलो खाने चलते हैं... "

थोड़ी देर में सब लोग बहार हॉल में आते है. सब लोग सामान्य दिखने का प्रयास कर रहे होते हैं पर अंदर से सब एक दूसरे से कुछ छुपा रहे होते है. घर का पिता अपने बाकी सदस्यों से ये छुपा रहा होता है की उसने थोड़ी देर पहले अपनी बेटी को इसी घर में चोद डाला. विक्रम और रजत ये की थोड़ी देर पहले वो अपनी माँ की अंतःअंगों के साथ अपनों हवस मिटने में व्यस्त थे. शीतल अपने पति से ये छुपा रही थी की वो अपने बेटों से एक अलग ही सामान्य स्थापित करने वाली है. बस मयूरी ही थी जिसको सब पता था. आखिर वो इस पूरी घटना की रचयता थी.

घर के तीनो मर्द खाने की टेबल पर हाथ मुँह धोकर बैठते हैं और शीतल और मयूरी किचन में खाना निकलने के बहाने इकट्ठे होते है. जैसे ही दोनों को थोड़ा अकेले में वक्त मिलता है दोनों एक दूसरे को अपने साथ हुई घटना का पूरा ब्यौरा हंस हंस कर बड़ी ख़ुशी से देते हैं.

फिर दोनों मिलकर खाना टेबल पर लगते है और सब लोग खाना खाकर सो जाते हैं.

-- आगे पढ़िए कैसे शीतल ने अपने दोनों बेटों से एक साथ चुदवाया.

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2 Comments
AnonymousAnonymous2 months ago

Chutiye har part ke bad agle part ki story idea kyu deta hai? Mai choot mei ungali karti hun to maja khatam ho jata hai. Teri story vaise bhi bakwad hai. Mai shadi se pahle clasmates, relatives,neighbours (Muslims even, whom I have always disliked), after marriage, sasural ke log, servants, handymen and online lovers

Arti agarwal

AnonymousAnonymousover 4 years ago
Hi

Any bhabhi or lady or house wife enjoy full body type and fully enjoy sex for verious position so call or whats app me 9879993603 Chirag

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