घर की लाड़ली - चुदक्कड़ परिवार Ch. 10

Story Info
घर के लाड़ली बेटी ने बड़े योजनाबद्ध तरीके से घर को अपने चुदाई.
2.7k words
3.22
252.4k
4

Part 11 of the 11 part series

Updated 06/09/2023
Created 09/22/2018
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इस कहानी के सारे पात्र १८ वर्ष से ज्यादा आयु के हैं. ये कहानी पूरी तरह से काल्पनिक है और अगर इसके किसी पात्र या घटना किसी के वास्तविक जीवन से मिलती है तो उसे मात्रा के संयोग माना जायेगा.

यह कहानी मेरी पिछले कहानी "किस्मत का खेल - चुदक्कड़ परिवार" श्रृंखला के अगली कड़ी है, परन्तु अपने आप में एक पूरी कहानी है. आशा करता हूँ की पाठकों को पसंद आएगी.

*****

अध्याय - 10 - जन्मदिन का जश्न

अगले दिन सबको ये पता था की घर की लाड़ली बेटी का जन्मदिन है तो सबने अपने-अपने काम से छुट्टी ले लिया. सुबह में सबने मयूरी की जन्मदिन की बहुत-सारी बधाइयाँ दिया. नाश्ते के वक्त अशोक ने ये एलान कर दिया की आज शाम को जो मयूरी के जन्मदिन का जश्न होगा उसमे सिर्फ घर के लोग होंगे और बहार का कोई भी व्यक्ति नहीं होना चाहिए. इस बात पर सबने अपनी सहमति जताई। फिर नाश्ते के बाद सब लोग शॉपिंग के लिए निकल गए और मयूरी के लिए बहुत सारे कपडे-वगैरह ले आये. जन्मदिन वाला केक घर के फ्रिज में रख दिया गया.

करीब 8 बजे सब लोग घर के हॉल में इकठे हुए रजत फ्रिज से केक ले आया और डाइनिंग टेबल पर रख दिया. घर को बहुत अच्छे से पहले ही सजाया जा चूका था. सब लोग बहुत खुश और उत्साहित लग रहे थे. डाइनिंग टेबल के आस-पास से सारी कुर्सियों को हटा दिया गया था. लम्बे से डाइनिंग टेबल के एक तरफ मयूरी खड़ी थी और उसके बगल में उसके पापा और बाकि सारे लोग टेबल के दूसरी तरफ खड़े थे मयूरी के एकदम सामने. मयूरी ने एक लाल रंग का टॉप और नील रंग का जींस के कपडे वाला शॉर्ट्स पहना हुआ था और वो उसके इस पहनावे में उसका गदराया हुआ शरीर एकदम क़यामत लग रहा था. उसने लाल रंग का गहरा लिपस्टिक लगाया हुआ था, मेक-अप की उसको कोई जरुरत नहीं थी क्युकी वो प्राकृतिक रूप से की बला की खूबसूरत थी, और वो इस वक्त एकदम माल लग रही थी.

घर के सब लोग मयूरी के केक काटने का इंतजार कर रहे थे की मयूरी ने अपनी आँखों से मुस्कुराते हुए अपने पापा की ओर देखकर कुछ इशारा किया. अशोक समझ गया और मयूरी के ठीक बगल में आ खड़ा हुआ. खड़ा होते ही उसने बोलना शुरू किया:

अशोक: "आज हमारी लाड़ली का जन्मदिन है और इस शुभ मौके पर मैं कुछ कहना चाहता हूँ... "

रजत: "हाँ.. पापा... बिलकुल... "

अशोक: "देखो... इस घर में कुल पांच लोग हैं... दो मर्द और दो औरत... "

विक्रम: "हाँ... "

अशोक: "और सब के सब वयस्क हैं... मतलब 18 साल या उस से ऊपर की उम्र के... "

विक्रम: "जी पापा... "

अशोक ने गहरी सांस ली और मयूरी की तरफ देखा जैसे इजाजत मांग रहा हो... मयूरी ने जैसे आँखों से इशारो-इशारों में अपनी सहमति दी... अशोक अपनी बात जारी रखता है:

अशोक: "तो अब जो मैं बात बोलने जा रहा हूँ... उस से इस घर की किस्मत बदलने वाली है... और इसके बाद सब कुछ हमेशा के लिए बदल जायेगा... जिसे चाहकर भी कभी वापिस नहीं लाया जा सकेगा... "

विक्रम (उत्सुकता से): "ऐसी क्या बात है पापा...?"

अशोक: "बता रहा हूँ... सुनो... "

और अशोक धीरे से मयूरी के पीछे जा खड़ा हुआ और अपने दोनों हाथ उसने उसकी कमर पर रख दिए और धीरे-धीरे अपने हांथों को वो ऊपर ले जाने लगा मयूरी की चूचियों की तरफ. पर उसने ऐसा झटके में नहीं किया वक्त लिया... और उसने बातचीत जारी रखा:

अशोक: "मेरी बेटी... जितनी खूबसूरत है... उतनी ही हसीन भी है और उसका शरीर कमाल का है... इतना कमाल का है की अगर किसी की नजर इसकी इन भारी-भारी चूचियों पर एक बार पड़ जाए तो वो अपनी नजर हटा नहीं सकता... "

और ऐसा कहते हुए अशोक ने अपने दोनों हाथों से मयूरी की दोनों चूचियों को जोर से जकड लिया और दबाने लगा. मयूरी के मुँह से सुख वाली आहें निकल गयी...

मयूरी: "आ... ह... आह... पापा... "

और अशोक ने घर में सब के सामने उसकी चूचियों को दबाना चालू रखा. घर के बाकी सरे लोगों की हालत गंभीर हो रही थी और वो इस स्थिति को समझ नहीं पा रहे थे. हो तो सबकुछ वैसे ही रहा था जैसे वो कई दिनों से चाहते थे पर अचानक से होने से सब क सब अवाक् रहे गए. शीतल को तो वैसे भी पता था की अशोक मयूरी को चोद रहा है पर सब के सामने ऐसे व्यव्हार से वो भी विचलित हो रही थी.

विक्रम: "प... प्... पापा... "

अशोक: "विक्रम, तुम्हारे लिए तो ये नया नहीं है ना....? तुमने ही तो सबसे पहले मयूरी की चूचियों के दर्शन किये थे...? क्यूँ.........?"

विक्रम: "पा... पा... वो... आपको पता है...?"

शीतल: "क्या....?"

शीतल इस बात से अनजान थी और उसके लिए ये बात एकदम नयी थी... अशोक शीतल को जवाब देता है:

अशोक: "हाँ मेरी जान... तुम्हारे बड़े बेटे ने सब से पहले मेरी इस फूल जैसी बच्ची की कच्छी उतरी... उसकी चूचियों को चूसा, दबाया.... उसकी चुत भी चाटी... वो भी इसी घर में... "

शीतल: "क्या......?"

अशोक: "हाँ... और तो और... उसने अपना लंड भी चुसवाया अपनी छोटी बहन से.... "

शीतल: "म... मतलब...?"

अशोक: "अरे इतना ही नहीं... अगले ही दिन... तुम्हरे इस बड़े बेटे ने मयूरी की चुत की सील भी तोड़ी और खूब चोदा... वो भी तुम्हारे छोटे बेटे के साथ... मिलकर.... जैसे वो दोनों तुम्हे चोदते हैं.... "

शीतल जैसे पकड़ी गयी हो... वो घबरा गयी ये जानकार की उसके पति को पता चल चूका है की वो अपने दोनों बेटों से चुदवा रही है...

शीतल: "म... मै.. मैं... वो... "

अशोक: "रुको... नहीं... तुम्हारे जैसे नहीं चोदते हैं ये दोनों इसको... क्यूँ की तुम तो दोनों एक ही वक्त पर अपनी गांड और चूत भी मरवाती हो ना... पर मयूरी की गांड तो एकदम कोरी थी.. वो तो मैंने तोड़ी है कल... "

रजत: "क्या.... आपने दीदी की गांड... "

अशोक: "अरे हाँ... तुम्हे तो अपनी दीदी की गांड बहुत पसंद है ना... अब तुम चाटने के बाद अपना लंड भी पेल सकते हो इसकी मखमली गांड में मेरे बेटे... "

अशोक द्वारा घर के सभी लोगो के आपसी चुदाई के रिश्ते की पर्दा फाश करने के बाद सब सदमे में थे... सब चुप थे... पर अशोक अब अपना एक हाथ मयूरी की चूची पर से हटाकर उसकी पैंटी में डाल चूका था और अब वो उसकी चुत में उंगली कर रहा था... मयूरी घर के हर सदस्य के चेहरे के भाव को पढ़ रही थी और वो बहुत ही ज्यादा आनंदित हो रही थी...

सबको सदमे में चुप देखकर अशोक माहौल को सामान्य करने की सोचता है और बोलता है:

अशोक: "घर के तीनो लंड घर की दोनों चुतों को चोद रहे हैं... मगर... छुप-छुप कर... क्यूँ ... जब सब चोद ही रहे हैं तो सबके साथ करों और खूब मजे लो... देखो, मैं यहाँ किसी को गलत नहीं कह रहा... तो तुम लोग बुरा मत सोचो किसी बात के बारे में... मैं खुद भी मयूरी को चोदता हूँ... यहाँ तक की मैंने इसकी गांड की सील भी तोड़ दी है... तो अब चुदाई पुरे घर में अच्छे से होनी चाहिए... किसी से छुपने या डरने की जरुरत नहीं है... क्यूँ रजत?"

रजत (ख़ुशी से): "हाँ पापा... मुझे तो ये सोचकर ही मजा आ रहा है आप अब मेरे साथ दीदी और माँ को चोदेगे..."

अशोक: "हाँ बिलकुल... मैं भी यही चाहता हूँ... पूरा परिवार आराम से सबकी चुदाई करे और खुश रहे... शीतल, तुम्हे डरने की कोई जरुरत नहीं है... अपने बेटों से जितना चुदना चाहो, चुदो... मुझे को दिक्कत नहीं है... "

शीतल: "वाह... क्या बात है... अब आएगा असली मजा चुदाई का... "

अशोक: "पर एक बात है... "

शीतल: "हमे कुछ नियम तय करने होंगे... क्युकी ये हम जो भी कर रहे हैं, वो समाज के नियमों की खिलाफ है... इसलिए... "

विक्रम: "क्या नियम पापा... "

अशोक: "हम, जितना चाहें अपने परिवार में चुदाई करें, कोई दिक्कत नहीं... पर ये बातें, कभी भी, गलती से भी घर के बाहर नहीं जानी चाहिए.... "

विक्रम: "ठीक है... "

अशोक: "अगर घर में कोई भी व्यक्ति बाहर का आता है, तो हमे हमेशा सामान्य परिवार की तरह व्यवहार करना होगा... "

रजत: "ठीक है... "

अशोक: "बढ़िया... फिर आज मयूरी का जन्मदिन का जश्न शुरू करें...?"

शीतल: "केक काटकर?"

अशोक: "नहीं... हमारी लाड़ली की ये जन्मदिन कुछ अलग तरीके से मानाने की इच्छा है... "

शीतल: "कैसे...?"

अशोक: "ये घर के सभी लोगों से एक साथ चुदना चाहती हैं... मतलब घर के तीनो लंड इनको एक साथ अपने अंदर चाहिए..."

रजत: "वाओ.... मजा आएगा... "

अशोक: "फिर शुरू करते हैं... "

विक्रम: "बिलकुल... "

अशोक: "रुको... अब चुकी सबकुछ सामने आ ही चूका है, तो मुझे नहीं लगता की कपड़ो को पहन कर रखने की जरुरत है... "

रजत: "हाँ, बिकुल सही बात है... मैं तो तब से यही सोच रहा हूँ की कब सब नंगे होंगे... "

अशोक: "चलो फिर, तुम ही सबके कपडे उतारोगे... "

रजत: "जैसी आपकी आज्ञा पिताजी.... "

और रजत सबके कपडे उतरने लग जाता है. पहले वो अपनी माँ के फिर अपनी बड़े भाई के, फिर अपने बहिन के और अंत में अपने पिता के कपडे भी वो खुद उतरता है. जब वो अपने पिता के कपडे उतर रहा होता है तो अशोक उसकी रोक लेता है और बोलता है:

अशोक: "रजत...?"

रजत: "हाँ पापा....?"

अशोक: "सुना है तुम दोनों भाई लंड भी चूसते हो?"

रजत: "जी पापा.... आप देखना, एकबार घर का पूरा परिवार एक साथ आपका लंड चूसेगा.... आपको खूब मजा आएगा... "

पर उसके बोलते-बोलते तक अशोक अपना लंड उसके मुँह में पेल देता है और रजत बड़े मजे से अपने बाप का लंड चूसने लगता है. अशोक, फिर मयूरी को बोलता है:

अशोक: "मयूरी... बेटा, तुम डाइनिंग टेबल पर लेट जाओ... आज केक काटेंगे नहीं... सब तुम्हारे शरीर पर से लेकर खाएंगे.... "

मयूरी (बड़ी ख़ुशी से): "जी पापा... "

और मयूरी लंबसे से डाइनिंग टेबल पर लेट जाती है.

अशोक: "विक्रम, तुम केक मयूरी की चूत, गांड, चूचिओं, जांघो और गालों पर लगा दो... "

विक्रम: "जी पापा... "

और विक्रम केक हाथ में लेकर लेटी हुई मयूरी की सभी अंगों पर लगाने लग जाता है. शीतल भी उसकी सहायता करती है.

केक को पूरी तरह से मयूरी के सारे कामांगों पर लगवाने के बाद अब अशोक आगे बोलता है:

अशोक: "तो, आज मयूरी का जन्मदिन बिना केक काटे ही मनाया जायेगा. चलो सब लोग मयूरी के शरीर पर लगे केक को खाना शुरू करो... "

और अशोक का आदेश पाते ही घर के सब लोग यहाँ तक की अशोक खुद भी मयूरी के शरीर एक एक-एक हिस्से पर लगे केक को मुँह से खाने लग जाते हैं. अशोक मयूरी की चूचियों पर लगे केक को अपने होंठ और जीब से चाटने और खाने लगता है. जबकि विक्रम मयूरी की चूत पर लगे केक को खाने लग जाता है और रजत वो उसका मनपसंद जगह मिल जाता है जो की है मयूरी की कोमल गांड. शीतल मयूरी की जाँघों पर लगे केक को अपनी जीभ और होंठों से चाट-चाट कर खाने लग जाती है.

घर के इतने सारे लोगों के होंठों और जबान से अपने शरीर के हर हिस्से को चटवाने के प्रहार को मयूरी सह नहीं पाती। वो आनंद में कराहने लग जाती है. उसे एक अलग ही सुख का अनुभव हो रहा था जो अपने भाइयों, माँ और बाप से इतनी बार चुदवाने के बाद भी नहीं आया था.

मयूरी: "आ... ह.... आह... ये क्या कर रहे हो तुमलोग... आह... मुझे मार डालोगे क्या.... आह.... "

अशोक: "मयूरी, मेरी जान.... तुम्हे अपने जन्मदिन के तोहफे का ये पहला चरण कैसा लग रहा है?"

मयूरी: "ओ... पापा... मेरी जान.... मुझे बहुत अच्छा लग... रहा है... आह... "

और फिर सब लोग फिर से मयूरी को किसी भूखे भेड़िये की झुण्ड की तरह चाटने लगे. इस वक्त घर के सारे सदस्य मयूरी की साड़ी गुप्तांगो पर अपने जीभ और होंठ से प्रहार पर प्रहार किये जा रहे थे, और इस अद्भुत सुख का मयूरी खूब आनंद ले रही थी. इतनी देर में मयूरी करीब तीन बार झाड़ चुकी थी.

फिर, जब सबने उसके शरीर पर लगे केक को पूरा का पूरा चाट लिया तो मयूरी ने बड़े ही शिकायती लहजे में कहा:

मयूरी: "अशोक डार्लिंग... "

मयूरी के लिए ये पहली बार था जब उसने अपने पापा को उसके नाम से बुलाया था, पर इस वक्त उसके मुँह से अपना नाम सुनकर अशोक को और भी मजा आ रहा था. उसने जवाब दिया:

अशोक: "हाँ... मेरी जान.... बोलो... "

मयूरी: "सबने तो केक खा लिया, पर मुझे तो खिलाया ही नहीं...?"

अशोक: "अभी खिलाते तुझे केक मेरी चुड़क्कड़ बेटी... "

और ऐसा कहते ही उसने घर के सभी लोगो को फिर से आदेश दिया:

अशोक: "सब लोग अपने-अपने लंड पर केक लगाओ... और शीतल, तुम अपनी चूत पर केक लगाओ, आज मेरी बिटिया को उसके जन्मदिन का केक खिलाना है... "

सबने बड़ी ख़ुशी-ख़ुशी अपने लंड और चूत पर केक लगा लिया और तीनो लोग, के ठीक सामने उसको बिठाकर अपना लंड जिनपर केक लगा हुआ था, खड़ा कर दिया.

अशोक: "मयूरी... लो, खा लो केक... अब तुम्हे सबके लंड और अपनी माँ की चुत पर लगे केक को खाकर ख़तम करना है बेटा... "

मयूरी: "जी पापा... जरूर... "

फिर मयूरी सबसे पहले अपने प्यारे पापा के लंड पर लगा केक खाने लगती है, उसने अशोक के लंड का केक ख़तम भी नहीं किया था की विक्रम अपना लंड उसके मुँह में ठूंस देता है और रजत भी जबरदस्ती अपना लंड उसके मुँह में ठूंसने लग जाता है. अब घर के तीनो लंड मयूरी के मुँह में जबरदस्ती जैसे-तैसे ठूंसे जा रहे थे और वो मजे ले-ले कर जैसे भी हो सबका लंड चूस और चाट भी रही थी. अंत में सबके लंड पर लगे केक को पूरी तरह चाट-चाट कर साफ़ करने के बाद अपनी माँ की चुत पर लगे केक को भी चाट-चाट कर खाकर ख़तम किया.

रजत: "केक कैसा लगा दीदी?"

मयूरी: "बहुत ही ज्यादा स्वादिष्ट मेरे भाई... मुझे बहुत मजा आया... तुम्हे केक कैसा लगा?"

रजत: "दीदी, आपको तो पता है ना की मुझे अपनी गांड का स्वाद बहुत पसंद है... उस पर केक का स्वाद तो जैसे मजा ही आ गया."

अशोक: "फिर कार्यक्रम आगे बढ़ाएं...?"

विक्रम: "जरूर पापा... देर किस बात की?"

अशोक: "ठीक है फिर... केक का काम तो हो चूका, अब जन्मदिन का असली तोहफा देने की बारी..."

शीतल: "हाँ.. बिलकुल... "

अशोक: "मयूरी, तुम तैयार हो?"

मयूरी: "हाँ पापा... इस दिन का तो बहुत इंतज़ार किया है मैंने... मैं बिलकुल तैयार हूँ... "

अशोक: "ठीक है फिर... निचे जमीन पर लेट जाओं... "

मयूरी: "जी पापा... "

और मयूरी टेबल पर से उठकर निचे जमीन पर लेट जाती है... अशोक अपना लंड मयूरी की चूत पर सेट करता है... रजत को उसकी गांड मारने का इशारा करता है और विक्रम को मयूरी के मुँह में लंड डालने को बोलता है. फिर अशोक के इशारे पर तीनो एक साथ अपना-अपना लंड मयूरी की एक-एक छेद में पेल देते हैं... और फिर शुरू होता है घर में सामूहिक चुदाई का ये पहला दौर... मयूरी के लिए तो जैसे उसके सपने को साकार होने जैसा था. मयूरी कुछ बोल भी नहीं पाती क्युकी विक्रम उसके मुँह में ताबड़तोड़ चुदाई कर रहा होता है और अपना लंड उसके गले तक पेल रहा होता है. इधर अशोक और रजत उसकी गांड का हलवा बनाने में लगे होते है. शीतल मयूरी की चूचियों को चूसने लग जाती है.

ये नायब चुदाई लगभग आधे घंटे तक चलती है. जब किसी का लंड झड़ जाता तो थोड़ी देर में वो अपना लंड खड़ा कर के फिर से चुदाई करने लगता. फिर अपना अपना लंड बदल-बदल कर तीनो ने मयूरी की खूब चुदाई की.

उसके बाद सबने वैसे ही शीतल की भी खूब चुदाई की और फिर विक्रम और अशोक ने मयूरी की और रजत ने अकेले शीतल की चुदाई की. इस दौरान सबने एक साथ अशोक के लंड को भी खूब चूसा... पूरी रात सब पार्टनर बदल-बदल कर चुदाई करते रहे और उस दिन के बाद घर में चुदाई का जश्न जारी रहा.

समापन

लेखक से:

ये मेरी जिंदगी की पहली रचना "चुड़क्कड़ परिवार" श्रृंखला की अगली कड़ी है. मैं सेक्स और चुदाई के कहानियो का बचपन से शौक़ीन रहा हूँ. विशेष रूप से रिश्तो में चुदाई की कहानियों का बड़ा प्रशंसनीय रहा हूँ. मुझे अपनी इस श्रृंखला की ये कड़ी को लिखने में बहुत वक्त लग गया, पर ये बहुत ही रोमांच से भरी हुई कहानी तैयार हुई है. मेरी पाठकों से आग्रह है की आपको ये कहानी कैसी लगी, आप अपनी राय मुझे मेरे ईमेल आईडी पर जरूर दें ताकि मैं इसकी दूसरी कड़ी भी लिख पाऊँ.

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7 Comments
AnonymousAnonymous3 months ago

Mai 34 sal ki Indian housewife hoon, maine ab tak 27 logo se ( 15 sal se 65 sal ) se chudwaya hai; mai hindu hoon, lekin muslim, sikh, chamar aur Bhangi logo se bhi khoob chudwaya hai. Mai sab tarah se sex enjoy karti hoon.Lund ko har tarah istemal kiya hai- muh mei, gaand mein aur choot mein

Akeli hoti hoon tan online chat mei anjan logo se chudwati hoon; face ke alawa kuch bhi dikha sakti hoon.

Riya Aggarwal

ChoduBollsChoduBollsalmost 2 years ago

Ghar ka mahol randikhana jaisa ho fir bhosdichod lodo v bhosmarani chuto ko bahar jaana hi nhi pde

indianlover99indianlover99almost 3 years agoAuthor

I have other chapters in mind, but could not find time to write it.

AnonymousAnonymousalmost 3 years ago

Please extend this series further

brosisincestbrosisincestover 3 years ago
मैं भी अपना ऐसा ही चुदक्कड़ परिवार बनाऊंगी

मेरी बेटी अभी 7 साल की ह। उसका बदन बोहोत तेज विकसित हो रहा है। उसका भाई और मैं मेरी बेटी की मालिश करते हैं। उसका भाई उसकी चूत में उंगली भी करता है। मैं अपने बेटे से चुद चुकी है और बेटी के साथ लेस्बियन करती हूं।

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