कमली मौसी और मोटा लंड

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कमली मौसी ने मेरे मोटे लंड का स्वाद चखा
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कमली मौसी
प्रेषक : रविराम69 © (मस्तराम मुसाफिर)

Note:
This story has adult and incest contents. Please do not read who are under 18 age or not like incest contents. This is a sex story in hindi font, adult story in hindi font, gandi kahani in hindi font, family sex stories

पटकथा: (कहानी के बारे में) :
=====================================================
// कमली मौसी ने मेरे मोटे लंड का स्वाद चखा \\
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Tags:
बहू बूढ़े बहुत चोदा चुचियों छाती चोली पहनी थी चोली काफ़ी टाइट थी और छोटी भी थी चूसने चूत गाल गाँड गाउन होंठ जाँघ जिस्म जांघों उतारने कमली झड़ कमल खूबसूरत किचन कमर क्लीवेज लूँगी, लंड लंबा चौड़ा लंड मज़ा मुलायम माधुरी नाइटी नंगा निपल्स पिताजी पतली रवि ससुर सास टाइट उतारने

Story : कहानी:
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कमली मौसी

कमली मौसी अभी 38 की थी. उसने प्यार में धोका खाने के बाद शादी नही की थी. उसके प्रेमी राजेश ने उससे अपने प्यार के जाल में फसाने के बाद कमली को दो साल तक जी भर तक चोदा था. गाँड तो उसने कमली की खूब मारी थी. तब वो 22 साल की थी. तभी उससे पता चला था की राजेश मॅरीड है और उसकी एक बची भी है. उसकी में बदली हो जाने के बाद कभी नही दिखा था. कमली ने बचा ना हो, इसका पूरा ध्यान रखा था बस यही सावधानी उसे बदनामी से बचा गयी. पर इन दो सालों में उससे चुदाई का अच्छा अनुभव हो गया था.

कमली कितनी ही अदाओं से चुदवाना सीख गयी थी. मर्दों से बिना चुदाई कराई उनको झारवा देने की कला भी वो बखूबी सीख गाही थी.चूड़ने में बहुत से आसान उसने सीख लिए थे. पर ऐसा नही था की धोका खाने से उससे लड़को या मर्द जाती से विरक्ति हो गयी थी. कुछ दीनो तक वो विचलित ज़रुरू रही थी पर जल्दी ही उसने फिर से छुड़वाने का प्रोग्राम कंटिन्यू कर दिया था.

इन दीनो हू अपने बड़ी बेहन के घर पर रह रही थी. उसकी बेहन गीता उस से से 10 साल बड़ी थी. उसका लड़का रवि भी था जिससे घर में सभी मुन्ना कह कर पुकारते थे. और अभी उसने कालेज कॉलेज में दाखिला ले लिया था. वो भी भरपूर जवानी के दरवाजे पर था. कुछ कुछ शर्मीला सवभाव का था. घर में जवान औरत के नाम पर बस उसकी कमली मौसी ही थी. मौसी को च्छूप च्छूप कर कपड़े बदलते हुए देखता था और कभी नहाते हुए एक नज़र भर कर देख लेता था, फिर अपने सपने में लाकर उसके नाम की मूठ मारा करता था. उसका मान करता था की अपनी कमली मौसी को खूब छोड़े और जब उसका पानी निकल जाता तो हू नॉर्मल हो जाता था.

कमली बहुत महीनो से किसी मर्द के साथ सोई नही थी. कमली बहुत महीनो से किसी मर्द के साड सोई नही थी सो उसमे काम-भावना बहुत बलवती होती जेया रही थी. वो रात को तो एक बार रवि के नाम की मस्तेरबाटिंग ज़रुरू कर ही लिया करती थी. पर आपसी शरम के कारण वो दोनो खुल नही पाते थे. रवि अपनी कमली मौसी के इरादे बहुत कुछ समझ चक्का था पर इसी तरह कमली भी रवि की नज़रे पहचानने लगी लगी थी. पर बिल्ली के गले में घंटी कौन बँधे. कौन आरंभ करे, कैसे करे, किस में इतनी हिम्मत थी. फिर… मौसी का रिश्ता था.. जीवन भर की शरमंदीगई उतनी पड़ती.

पर होनी को तो होना ही था, तो बात अपने आप ही बनते चली गयी थी.

एक दिन रवि के नाना जी का फ़ोन आया की उनके पैर की हड्डी टूट गयी है और हू बहुत तकलीफ़ में हैं सो उन्होने ने जल्द से जल्द कमली को बुलाया था. रवि ने नेट पर से रिज़र्वेशन देखा तो पाया की वेटिंग की लिस्ट बहुत लंबी थी और 100 से ज़्यादा लंबी थी. फिर उसने मजबूरन बस सर्विस का सहर लिया और एक रात का सफ़र था सो स्लीपर में कोशिश की तो जगह मिल गाही. रवि ने दो अलग अलग स्लीपर बुक करवा दिया. उसने कमली मौसी को बता दिया क दोनो के स्लीपर अलग अलग हैं. कमली को गुस्सा तो बहुत आया , सोचा कितना मूरख है रवि भी.. सला डबल स्लीपर ले लेता तो क्या बिगर जाता.शायद बात ही बन जाती... ।

रात के दस बजे की बस थी. दोनो रोटी खार कर टू सीटर से बस स्टेशन पहुँच गये. ठीक समय पर बस चलने को थी. तभी एक लड़की और एक लड़का बस में चाड गये. दोनो लड़के-लड़की के पीछे बस में चाड गये. उसके पीछे पीछे बस के कंडक्टर भी चाड गये और बस को चलने का इशारा किया.

सामने की डबल स्लीपर खाली था, शायद उसके पर्सेंजर नही आए थे. उसने वो स्लीपर उन दोनो लड़का लड़की को दे दिया पर लड़की ने माना कर दिया क हू किसी अंजन लड़के के साथ स्लीपर नही लेगी.

तभी कंडक्टर ने कमली से कहा== बेहन जी, साथ वाला लड़का आपका बेटा है ना?

कमली : जी हू मेरा बेटा ही है, क्यों क्या हुआ?

कंडक्टर: आप दोनो उस दौ डबल स्लीपर पर आ जायें, तो में इन दोनो को आपका सिंगल सिंगल स्लीपर दे सकता हूँ.

कमली : ठीक है, चलो उस से पर हम आ जाते हैं… हे रवि, ठीक है ना.

में: जी, जैसा आपको ठीक लगे.
वे दोनो आगे वेल डबल स्लीपर में आ गये. हू दोनो सिंगल स्लीप्र उन दोनो को दे दिया गया. रवि तो मौसी को एक ही डबल स्लीपर में साथ पाकर रोमांचित हो गया था.

फिट आंड फाइन सरीर की मालकिन और पतली कमर वाली, चौरी गाँड वाली कमली मौसी सलवार कुर्ते में बहुत अच्छी और भली लग रही थी.

कमली भी मन ही मन में रवि के साथ सोने में रोमांच का अनुभव करने लगी थी. बस चली दी थी और मैं ऑफीस के सामने आकर खरी हो गयी. लेते लेते डॉन वन एक शुवर की तरफ देखा तो कमली मुस्करत दी और रवि भी शर्मा सा गया. वो कुछ नर्वस हो गया था.
कमली : मुन्ना(रवि) टुमरे पास गोली है ना सर दर्द वाली.. अच्छा रहने दे… तुम ही मेरा सर दबा देना.

मैं: जी मौसी

तभी बस चल पड़ी.

कमली : रवि, हू कला शीशा खींच कर बंद कर दे

मैने केबिन का शीशा बंद कर दिया.

कमली : रवि, परदा भी खींच दे, कितनी रोशनी आ रही है.

मैने परदा भी बंद कर दिया.'

कमली : चल अब थोरा सा सर दबा दे…बहुत दर्द कर रहा है. ये कहकर मौसी दूसरी तरफ करवट बदल कर सो गई.

मैं सरक कर लगगभगमौसी की पीठ से सत गया. उसने अपना हाथ बड़ा कर सर पर रख दिया और हौले हौले सर को सहलाने और दबाने लगा. मेरे सरीर में गर्मी सामने लगी थी.. अब मेरा हाथ धीरे धीरे से कमली मासी के बलों को सहलाने लगा था. फिर अंजाने में उसके गालों को भी सहलाने लगे. कमली को भी मर्द-संसर्ग से उत्तेजना सी होने लगी. उसने अपना श्रीर रवि के श्रीर से चिपका सा लिया. रवि को कमली मौसी के गोल गोल चूटर उसके कुल्हों से स्पर्श करने लगे.

कौन किससे समझता भला??... और रवि का लंड, वो तो ना चाहते हुए भी सख़्त होने लगा था. मुन्ना से रहा नही गया तो उसने भी तोरा सा हिल कर अपने आप को उसकी गाँड पर फिट कर लिया. उसका सख़्त लॅंड कमली मौसी की गाँड से घर्षण कर आग पैदा करने लगा. कमली को उसके कड़क लंड की चुभन लगने लगी थी. वो बिना हीले इss आनंद को एक सपने की तरह भोग रही थी. कमली ने धीरे से अपना सर घुमा कर रवि को देखा.

रवि ने भी अपनी आँखें उसकी आखें से मिला दी. दोनो की नज़रै प्यार से नहा गयी. रवि का चेहरा कमली के चेहरे के निकट आता जा रहा था. दोनो की आखें बंद होने लगी थी. फिर धीरे से होंठ से होंठ का स्पर्श हो गया.

पर तभी एक मामूली झटके से बस रुक गयी. दोनो के होंठ ज़ोर से भींच से गये. फ्री वो दोनो अलग हो गये. रवि का लंड अभी भी कमली की गाँड में उसके पाजामे सहित उसकी गाँड के च्छेद से चिपका हुया था. यदि कमली का पाजामा बीच में नही होता तो इश्स बस के झटके से लंड गाँड के च्छेद के भीतर घुस चुका होता.

कमली धीरे से हंस पड़ी... रवि भी शर्मा गया. वो धीरे से कमली से अलग हो गया.

“बस क्यों रुक गयी.... कमली ने पूछा.
“पता नही”
झाँक कर बाहर देखा तो चार पाँच आदमी गाड़ी के पीछे कुछ कर रहे थे.

रवि उठा और बोला- मौसी अभी आया...

कह कर वो केबिन से बाहर उतर गया। फिर आकर बोला 'टायर बदल रहे हैं ... दस-पन्द्रह मिनट तो लगेंगे।'

'मुझे तो सू सू आ रही है।'

'आ जाओ मौसी ...'

कमली केबिन से नीचे उतर आई और बस से बाहर आ गई। बाहर बरसात जैसा मौसम हो रहा था। ठण्डी हवा चल रही थी।

'चल ना मेरे साथ ...' रवि कमली के साथ साथ अंधेरे में आगे बढ़ गया। वहाँ कमली ने अपना कुर्ता ऊपर किया और पायजामा नीचे सरका कर पेशाब करने को बैठ गई। रवि के तो दिल के तार झनझना से गये। गोल सुन्दर चूतड़ मस्त दरार ... रवि का दिल चीर गई।
कमली ने अन्दर चड्डी नहीं पहन रखी थी। उसने पेशाब करने बाद अपना पायजामा ऊपर खींच लिया।

'तू भी पेशाब कर ले...'

रवि र वि ने भी अपनी पैंट की जिप खोली और लण्ड बाहर निकाल लिया। उसके लण्ड में अभी भी सख्ती थी सो उसे पेशाब निकल नहीं रहा था। पर कुछ क्षण बाद उसने पेशाब कर लिया। कमली वहीं खड़ी हुई थोड़े से प्रकाश में ही उसका लण्ड देखती रही। पर जब पेशाब करके रवि ने अपना लण्ड हिला कर पेशाब की बून्दें झटकाई तो कमली का दिल मचल उठा।

दोनों फिर से बस में आ गये और अपने स्लीपर में चढ़ गये। कमली ने गहरी आँखों से उसे देखा और लेटे हुये ही उसने कहा- मुन्ना, कितना मजा आया था ना?

रवि शरमा गया। उसने अपने नजरें नीची कर ली।

कमली ने अपनी आँखें मटका कर कहा- ये देखो, मुझे यहाँ लग गई थी।

कमली ने र वि का हाथ अपने होंठो पर छुआ कर कहा, फिर अपना चेहरा उसके निकट ले आई- यहां एक बार ... बस एक बार ... छू लो..

कमली की सांसें तेज होने लगी थी। रवि का दिल भी तेज गति से धड़कने लगा था- मौसी ... आप ... कुछ कहेंगी तो नहीं?

'ओह मुन्ना ... चलो करो ना ...'

रवि की शरमा-शरमी को दरकिनार करते हुये कमली ने अपने होंठ उसने उसके होंठों से चिपका दिये। तभी बस का एक मामूली झटका लगा। उसके होंठों पर उसके दांतों से फिर लग गई।

बस चल दी थी। 'उई मां ... ये बस भी ना ...'

पर तब तक रवि ने कमली के दोनों कबूतरों को अपने हथेलियों में थाम लिया था। फिर रवि जैसा अपने सपने में मुठ मारते हुये सोचता करता था... उसकी छातियों को उसने उसी तरह सहलाते हुये मसलना आरम्भ कर दिया। रवि का लण्ड बहुत ही सख्त हो गया था। तभी कमली ने भी अपना आपा खोते हुये अपना हाथ नीचे ले जाते हुये उसके लण्ड को पैंट के ऊपर से ही पकड़ लिया।

'ओह, मौसी ... मुझे पर तो जैसे पागलपन सवार हो रहा है।'

'मुन्ना, अपनी पैंट तो उतार दे ... तुम्हारा लण्ड... उफ़्फ़ तौबा ... मेरे हाथ में दे दे।'

'मौसी, खुद ही उतार कर ले लो ना ...।'

कमली ने रवि की पैंट को खोला और चड्डी के भीतर हाथ घुसा दिया। फिर रवि का कड़क लण्ड उसके मजबूत हाथों में था। रवि तड़प सा उठा। कमली उसके मुख में अपनी जीभ घुसाते हुये उसके मुँह को गुदगुदाने लगी। रवि भी उसकी चूचियों को घुमा घुमा कर दबाने लगा।

कमली की चूत में आग भड़कने लगी। वो जोर जोर से रवि का कड़कता लण्ड तोड़ने मरोड़ने लगी।
'मुन्ना, पैंट उतार ... जल्दी कर।'

मुन्ना ने अपनी पैंट और फिर चड्डी उतारते हुये समय नहीं लगाया। कमली ने भी अपना पायजामा उतार दिया।

'उफ़्फ़, जल्दी कर ... अपना मुँह नीचे कर ले ... हाय रे ... जल्दी कर ना'

रवि जल्दी से नीचे घूम गया। कमली ने उसे करवट पर लेटा कर उसका सधा हुआ कड़ा लण्ड अपने मुख के हवाले कर लिया।

'मुन्ना, तू भी मेरी चूत को चूस ले ... हाय मम्मी ... जल्दी कर ना'

रवि को तो जैसे मन मांगी मुराद मिल गई। वो तो बस सपने में ही ये सब किया करता था। कमली ने अपनी टांग उठाई और अपनी चूत खोल दी।


रवि ने उसकी खुशबूदार चूत की दरार में अपना मुख टिका दिया और उसे अपने स्टाइल से उसका रस चूसने लगा। उसने अपने सपनों में, अपने विचारों में जिस तरह से वो चूत को चूसना चाह रहा था उसने वैसा ही किया। उसके दाने को चूस चूस कर उसने कमली को बेहाल कर दिया। अपनी दो दो अंगुलियाँ उसकी चूत में डाल कर उसमें खूब घर्षण किया। कमली ने तो अपने ख्यालों में भी इतना आनन्द नहीं उठाया होगा। तभी कमली तड़प उठी और उसने अपनी चूत जोर से भींच ली, उसका काम-रस ... उसके यौवन का पानी चूत से उबल पड़ा। वो झर झर झड़ने लगी।

एक क्षण को तो वो अपने आप को झड़ने के सुख में भिगोती रही, फिर कमली ने भी रवि को अपनी कुशलता का परिचय दे दिया। उसके लण्ड के रिंग को सख्ती से चूसते हुये, उसके डण्डे पर मुठ मारते हुये उसने रवि को भी धराशई कर दिया। उसके लण्ड से वीर्य की धार तेजी से कमली के मुख में समाती चली गई। कमली ने सारा वीर्य जोर जोर से चूस चूस कर पूरा निगल लिया और फिर उसे बिल्कुल साफ़ करके उसे छोड़ दिया।

झड़ने के बाद दोनों फिर से सीधे हो कर लेट गये।

' रवि कर ली अपने मन की ... मजा आया?'

'मौसी, मेरा तो पूरा दम निकाल दिया आपने ... सच में बहुत मजा आया।'

कुछ देर तो वो दोनों बतियाते रहे, फिर बस एक जगह रुक गई। समय देखा तो रात के ठीक बारह बज रहे थे।

'बस यहां आधे घण्टे रुकेगी, चाय, पानी पेशाब नाश्ता खाना ... के लिये आ जाओ।'

बाहर होटल वाला अपनी बुलंद आवाज में पुकार रहा था।

'चलो, क्या पियोगे ठण्डा, चाय ... दूध कुछ?'

'हां मौसी, चलो। पहले चाय पियेंगे ... फिर दूध भी ... आप पिलायेंगी?'

'चाय होटल में और दूध बस में ...! चलें?' कमली ने रवि को तिरछी नजर से देखते हुये कहा।

रवि कुछ समझा, कुछ नहीं समझा ... दोनों बस से उतर पड़े।

दोनों ने एक बार फिर पेशाब किया, फिर चाय और पकोड़े खाये।


बस की रवानगी का समय हो गया था। रवि बार अपने हाथ की अंगुली कमली की गाण्ड में घुसा देता। कमली बार बार उसकी अंगुली को हटा देती। उसके बार बार करने से वो बोल उठी- अरे भई, मत कर ना ... कोई देख लेगा !

'मजा आता है मौसी ... बड़ी नरम है ...'

'दुनिया को तमाशा दिखाओगे...? लोग मुझ पर हंसेंगे !'

कमली ने रवि का हाथ थामा और दोनों ही समय से पूर्व ही बस के केबिन में घुस गये। कमली ने बड़े ध्यान से केबिन के शीशे बन्द कर दिये थे। परदे भी ठीक से लगा दिये थे। फिर उसने अपना पायजामा उतार कर एक तरफ़ रख दिया। रवि ने भी उसके देखा देखी अपनी पैन्ट उतार कर कमली के पायजामे के साथ ही रख दी। दोनों एक दूसरे को देख कर अपना मतलब पूरा करने के लिये मुस्करा रहे थे।

बस रवाना हो चुकी थी।

'मुन्ना दूध पियोगे...?'

'पिलाया ही नहीं, मैं तो बस सोचता ही रह गया...!'

कमली ने अपना कुरता ऊपर करके पूरा उतार दिया।

'अरे मौसी, कोई आ गया तो...?'

'तो उसे भी दूध पिला दूँगी... ले आ जा... दूध पी ले... !' कमली हंसते हुये बोली।

'अरे मौसी ! आपने तो मुझे मार ही डाला ... ये वाला दूध पिलाओगी ... मेरी मौसी की जय हो...!'

रवि ने मौसी की चूचियों को हिलाया और उसके निप्पल को अपने मुख में ले लिया। कमली ने उसे बड़े प्यार से अपनी बाहों में समेट लिया और प्यार से उसे अपने चूचकों को बारी बारी उसके मुख में डालती जा रही थी और उसके चूसने पर बार बार आहें भरती जा रही थी।

'मुन्ना, गाण्ड मलाई खायेगा?' कमली ने अपनी गाण्ड मरवाने के लिये रवि से कहा।

"गाण्ड मलाई? वो क्या होता है...?'

'उफ़्फ़, मुन्ना कितना भोला है रे तू ... लण्ड को गाण्ड में घुसेड़ कर फिर अपने लण्ड से मलाई निकालने को गाण्ड मलाई कहते हैं।' कमली का दिल मचल रहा था कुछ कुछ करवाने को।

'मौसी, गाण्ड चुदाओगी ...?' रवि सब समझ गया था।

'धत्त, कैसे बोलता है रे ... वैसे इसमें मजा बहुत आता है ... चोदेगा मेरी गाण्ड?" कमली खुश हो उठी।

"हाय मौसी, तुस्सी द ग्रेट... मजा आ जायेगा...!' रवि किलकारी मारता हुआ चहक उठा।

'तो फिर चिपक जा मेरी गाण्ड से... पहले की तरह ... देख सुपारा खोल कर छेद पर चिपकाना !' कमली ने शरारत से वासना भरी आवाज में कहा।

कमली ने एक करवट ली और अपनी गाण्ड उभार कर लेट गई। रवि ने अपना लण्ड हाथ में लिया और उसका सुपारा खोल दिया। फिर आराम से उसकी गाण्ड से चिपक गया। कमली ने अपनी गाण्ड खोल दी और अपनी गाण्ड को ढीली कर दी- मुन्ना, थूक लगा कर चोदना...

रवि ने थूक लगा कर उसके छेद में लगा दिया और अपना सुपाड़ा उसकी गाण्ड पर चिपका दिया और कस कर कमली की पीठ से चिपक गया।

'यह बात हुई ना, बिल्कुल ठीक से फ़िट हुआ है ... अब लगा जोर !'

रवि के जवान लण्ड ने थोड़ा सा ही जोर लगा कर छेद में प्रवेश कर लिया। रवि को एक तेज मीठी सी गुदगुदी हुई। कमली का चंचल मन भी शान्त होता जा रहा था। अब लौड़ा उसकी गाण्ड में था, संतुष्टि भरी आवाज में बोली- चल मुन्ना ... अब चोद दे ... चला अपनी गाड़ी... उईईई ... क्या मस्त सरका है भीतर !'

रवि का लण्ड उसके भीतरी गुहा को सहलाता हुआ, गुदगुदी मचाता हुआ चीरता हुआ अन्दर बैठता चला गया। रवि धीरे धीरे अन्दर बाहर करता हुआ लण्ड को पूरा घुसाने की जुगत में लग गया। कमली की गाण्ड मीठी मीठी गुदगुदी से कसक उठी। रवि कमली की गाण्ड चोदने लगा था। अब उसकी रफ़्तार बढ़ रही थी। कमली की चूत में भी खुजली असहनीय तेज होने लगी थी। वो तो बस अपनी गाण्ड हिला हिला कर चुदवाने में लगी थी। उसे बहुत मजा आ रहा था। पर चूत तो मारे खुजली के पिघली जा रही थी।

कुछ देर गाण्ड चुदाई के बाद कमली ने अपना पोज बदला और सीधी हो गई। 'मुन्ना, मेरे ऊपर चढ़ जा रे ... अब चूत ... आह्ह ... पेल दे रे !'

रवि धीरे से कमली पर सवार हो गया। पर बस में ऊपर जगह कम ही थी, फिर भी धक्के मारने की जगह तो काफ़ी ही थी।

"मौसी, टांगें और खोलो ... मुझे सेट होने दो !'

'उफ़्फ़, मुन्ना ... लण्ड तो घुसा दे रे ... मेरी तो उह्ह्... आग लगी हुई है !'

कमली की टांगे चौड़ाते ही रवि ने अपना लण्ड उसकी चूत में अड़ा दिया।

'उस्स्स ... ये बात हुई ना ... आह्ह्ह मर गई राम जी ... और अन्दर घुसेड़ जानू ... चोद दे मरी चूत को !'

दोनों जैसे आग की लपटों से घिरे हुए थे, जिस्म झुलस रहा था। लण्ड के चूत में घुसते ही कमली तो निहाल हो उठी। लण्ड पाकर कमली की चूत धन्य हो उठी थी।

रवि वासना की आग में तड़प रहा था- मौसी... साली... की मां चोद कर रख दूँ ... तेरी तो ... भेन की फ़ुद्दी ... साली हरामजादी ...

'मुन्ना ... छोड़ना नहीं ... चूत का भोसड़ा बना दे यार ... जोर से चोद साले हरामी...'

रवि उसकी चूचियों को घुमा घुमा कर जैसे निचोड़ रहा था। मुख से मुख भिड़ा कर थूक से उसका सारा चेहरा गीला कर दिया था। कमली की चूत पिटी जा रही थी। कमली के मन की सारी गाण्ठें ढीली होती जा रही थी। वो मस्ती से स्वर्ग में विचर रही थी।

तभी कमली का शरीर कसने लगा ... उसकी नसें जैसे तन सी गई ... आँखें बन्द होने लगी ... होंठ थरथरा उठे ... उसकी मांसपेशियाँ में तनाव सा आया और वो एक हल्की चीख के साथ झड़ने लगी। उसने रवि को जोर से भींच लिया।

तभी रवि ने भी जोर लगाया और अपना वीर्य कमली की चूत में उगलने लगा। रवि बार बार चूत पर जोर लगा कर वीर्य निकाल कर कमली की चूत में भरता रहा। कमली मदहोश सी गहरी सांसें लेती हुई सभी कुछ आत्मसात करती रही।

कुछ ही देर में वे दोनों निढाल हो कर दूसरी तरफ़ लुढ़क गये। कमली चूंकि अनुभव वाली युवती थी, उसने तुरन्त रवि को पैन्ट पहनाई, कपड़े ठीक किये, फिर उसे नींद के आगोश में जाने दिया।

फिर उसने स्वयं भी अपने कपड़े ठीक किये और एक करवट लेकर सो गई।

जब सवेरे नींद खुली तो रवि उसके बदन को सहला रहा था।

''मुन्ना, बस अब नहीं... घर आने वाला है ... मौके मिलेंगे तो खूब मस्ती करेंगे।'

सात बजे बस पहुँच गई थी। उन्होंने टू सीटर किया और घर पहुँच गये।

रवि के नाना जी के पाँव का फ़्रेक्चर मामूली ही था पर उन्हें उठने की सख्त मनाही थी। बस इसी बात का फ़ायदा दोनों ने खूब उठाया। रवि मौसी को कभी तो रसोई में ही चोद देता या कभी नाना जी पास के कमरे में ही खड़ी खड़ी ही चोद देता था।

जब भी रवि को मौका मिलता अपनी कमली मौसी की गाँड और चूत का बजा बजा देता .. इस प्रकार दोनो ने काई दीनो तक नाना के घर पर मस्ती की

दोस्तो, कैसे लगी ये कहानी आपको ,

कहानी पड़ने के बाद अपना विचार ज़रुरू दीजिएगा ...

आपके जवाब के इंतेज़ार में ...

आपका अपना

रविराम69 (c) (मस्तराम - मुसाफिर)

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