रवि का मोटा लंड देखा और चुदवाया

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(रवि का घोड़े जैसा लंड देख कर. मैंने शर्म छोड़ कर चुदवाया )
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रवि का मोटा लंड देखा और चुदवाया
By raviram69 (c)

(रवि का घोड़े जैसा लंड देख कर मेरी चूत ने भी पानी छोड़ दिया था .... और मैंने शर्म छोड़ कर चुदवाया )
रविराम६९ द्वारा लिखित कामुक कहानी

प्रेषक : रविराम69 © "लॅंडधारी" (मस्तराम मुसाफिर)

Note:
All characters in this story are 18+. This story has adult and incest contents. Please do not read who are under 18 age or not like incest contents. This is a sex story in hindi font, adult story in hindi font, gandi kahani in hindi font, family sex stories

मेरा परिचय
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दोस्तो, मेरा नाम रविराम69 है, दोस्त मुझे 'लॅंडधारी' रवि के नाम से बुलाते हैं। कई औरतें मुझे मस्तराम कहते हैं. मेरा लंड 9 इंच लम्बा और 3.6 इंच मोटा है। मैं अपने लंड को गधे के लंड या घोड़े के लंड जैसे लम्बा कर सकता हूँ ..जब मेरा लंड खड़ा (टाइट) होता है तो ऐसा लगता है जैसे किसी घोड़े का लैंड या किसी गधे का लंड उसकी चूत का पानी निकाल कर ही बाहर आता है, और वो लड़की या औरत मेरे इस लंबे, मोटे और पठानी लंड की दीवानी हो जाती है । आज तक मैंने बहुत सी शादीशुदा और कुवांरियों की सील तोड़ी है। मैंने अपनी मम्मी को भी पटाकर चुदाई की है क्योंकि मेरे पापा काम के सिलसिले में ज़्यादातर बहार ही रहते हैं, में बछ्पन से ही देखता आया हूँ, की मम्मी की चूत कितनी प्यासी है, पापा के कहने पर ही मम्मी हमेशां अपनी चूत की झांटों को साफ़ कर के रखती है, अब तो मम्मी मेरे पठानी लैंड की दीवानी है .. जब पापा घर पर नहीं होते तो हम दिन और रात मैं कई कई बार चुदाई कर लेते हैं .. बस या ट्रेन या रिक्शा मैं भी मम्मी मेरे लैंड को (सबसे छुपाकर) हाथ में रखती है और मेरे लैंड को आगे पीछे करती है. मम्मी को मेरे लैंड का लम्बाई और मोटाई बहुत बसंद है ..मम्मी को मेरा लैंड पूरा मूंह मैं ले कर चूसना और चूत में डालकर रखना बहुत पसंद है ...

पटकथा: (कहानी के बारे में कुछ अंश ) :
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मैं बोली- ज़रा धीरे धीरे मेरे राजा ! इसका मज़ा लेना है तो धीरे धीरे इसे अंदर डालो और फिर जब पूरा चला जाए फिर ज़ोर ज़ोर से इसे अंदर बाहर करो ! उसने अपना लंड धीरे-धीरे मेरी चूत में डाला और फ़िर एक ज़ोर से धक्का पेल दिया और उसका पूरा मोटा लंड मेरी चूत में चला गया।.........
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कहानी
=====

मैं अपना अनुभव आप लोगों को सुना रही हूँ ...

मेरा नाम सविता है, 34 साल की हूँ, मेरी शादी 10 साल पहले हुई थी। वैसे तो मैं एक छोटे शहर से हूँ लेकिन शादी के बाद अपने पति के साथ मुंबई में रहती हूँ। मेरे पति रमेश एक कंपनी में सुपरवाइज़र हैं। हम लोग मुंबई में एक चॉल के एक कमरे में रहते हैं।

यह बात करीब नौ साल पहले की हैं, हमारी शादी को करीब डेढ़ साल हो गया था। जैसे कि हर शादीशुदा जोड़े का होता है, शादी के पहले साल में सेक्स के अलावा कुछ भी नहीं सूझता, मेरे पति को और मुझे भी। जब भी मौका मिलता, हम लोग चुदाई में लग जाते थे। उनकी ड्यूटी शिफ्ट में होती थी इसलिए सेक्स के लिए वक़्त की भी कोई पाबन्दी नहीं थी, जब भी उनका मूड होता था, वो शुरू हो जाते थे। कई बार छुट्टी के दिन तो वो मुझे अन्दर कुछ भी पहनने को भी मना करते थे, ताकि चुदाई करने में कोई वक़्त न डालना पड़े।

कभी कभी वो ब्लू फिल्म की सीडी लाते थे, वो देखने के बाद चुदाई और भी जोर से होती थी। शादी से पहले मुझे सेक्स के बारे में इतना कुछ पता नहीं था लेकिन बम्बई में आने के बाद कुछ ज्यादा ही पता चल रहा था। हम लोग कभी चौपाटी या दूसरे किसी समुन्दर किनारे घूमने गए तो वह बैठे जोड़ों को देख कर कुछ अजीब सा लगता था, लेकिन रत में चुदाई के वक़्त उसके बारे में सोचा तो बड़ा मज़ा आता था।

एक साल की ऐसी मस्त सेक्सी जिंदगी के बाद, सब रोजमर्रा जैसा काम सा लगने लगा था। मुझे सेक्स में इतना मज़ा नहीं आ रहा था। हाँ, चुदाई होती थी लेकिन उनका मन रखने के लिए। जब भी वो मूड में होते थे, मैं न नहीं कहती थी, टाँगें फैला कर लेट जाती थी और वो लग जाते थे।

थोड़े दिनों के बाद जब मेरा मूड नहीं होता था तब मैं कभी कभी मना भी करती थी। कभी कभी वो मान जाते थे। वो भी तरह तरह से मुझे गर्म करने की कोशिश करते थे। कभी गर्म होती थी कभी नहीं। कभी कभी चुदाई के वक़्त वो अपने दोस्तों के बारे में, उनकी बीबियों के बारे में बातें करते थे। पहले तो मुझे उन पर बहुत गुस्सा आता था। लेकिन बाद में सोचा कि अगर उनको ऐसी बातों से मज़ा आता हैं तो क्यों नहीं।

उन्हीं दिनों हम लोगो ने एक अंग्रेज़ी मूवी देखी। नाम तो याद नहीं लेकिन उसमें भी मिंया-बीबी होते हैं जिनकी कल्पनाओं की एक सूचि होती हैं और वो एक-एक कल्पना पूरी करते जाते हैं।

उस रात चुदाई के वक़्त रमेश ने कहा- क्यों न हम भी ऐसी एक सूचि बनायें और उसे पूरी करने की कोशिश करें !

पहले तो मुझे यह कुछ अजीब सा लगा लेकिन उनके बार-बार कहने पर मैं मान गई क्योंकि जब मैं भी गर्म मूड में होती हूँ तब ऐसी सब बातें अच्छी लगती हैं।

उन्होंने पूछा- तुम्हारी काल्पनिक लालसाएँ क्या हैं?

लेकिन मैं कुछ भी नहीं बोली। उन्होंने बड़ी कोशिश की लेकिन मैंने कुछ भी नहीं बताया। कई बार पूछने के बाद भी मेरे न बोलने से उन्होंने पूछना छोड़ दिया।

अगली बार जब हम लोग चोदने के बारे में सोच रहे थे तब उन्होंने अपना लण्ड मेरे हाथ में थमाया और कहने लगे- तुम्हें कैसा लगेगा अगर कोई बड़ा मोटा काला लंड तुम्हारे हाथ में हो?

मुझे उनका ऐसा कहना कुछ अजीब सा लगा। कुछ गुस्सा भी आया, सोचा कि यह कैसा मर्द हैं जो दूसरे किसी का लंड अपनी बीबी के हाथ में देने की बात कर रहा है। लेकिन मन ही मन में उस बारे में सोच कर अच्छा भी लगा लेकिन मैंने कुछ भी नहीं बताया।

वो बोलने लगे- तुम्हें इतना सोचने की जरुरत नहीं है। देखो, मैं चाहता हूँ कि मैं दूसरी किसी औरत को चोदूँ। मुझे मेरे बहुत सारे दोस्तों की बीवियाँ अच्छी लगती हैं। और भी पड़ोस वाली बहुत सारी औरतें हैं जिन्हें चोदने की मेरी इच्छा हैं। तो फिर अगर तुमको लगता है कि किसी और से चुदवा लूँ तो उसमे गलत क्या है?

वो जो कह रहे थे ठीक था। लेकिन असल में ऐसा कुछ करना मुझे ठीक नहीं लगता था।

मैंने कहा- तुम्हें जो लगता है, वो लगने दो लेकिन मुझे उसमें कोई रुचि नहीं है।

बात यही पर नहीं रुकी।अगली बार से जब भी मौका मिलता, वो इस बात का जिक्र करते और मैं मना करती। उनको लगता कि मैं थोड़ी खुल जाऊँ। शायद मुझे किसी और से चोदने के ख्याल से उन्हें बड़ा मज़ा आता था। या शायद, अगर मैं किसी और से चुदवाने के लिए तैयार हो गई तो उनको किसी और औरत को चोदने का मौका मिल जायेगा। शायद वो मुझे अपराधी महसूस करवाना चाहते थे पता नहीं।

ऐसे ही बहुत बातों के बाद आखिर में मैं इस बात के लिए मान गई कि मैं कुछ अंग-प्रदर्शन करूँ जब जब मौका मिले और वो भी दूसरी औरतो के बारे में गन्दी बाते करें। अगर मुझे लगा तो मैं भी दूसरे मर्दों के बारे में बोलूँ या दूसरों के बारे में हम लोग बेझिझक बातें करें, दोनों के बीच में कोई बंधन न रहे। संक्षेप में हम एक दूसरे के सामने बेशर्म हो कर बातें करें।

जब कभी हम लोग बाहर घूमने जाते, मैं थोड़ा मेकअप करती, इनके कहने पर मैंने दो तीन गहरे गले के ब्लाऊज़ भी सिला लिए थे। कभी कोई शादी या ऐसी कोई उत्सव में जाते वक़्त मैं भी गहरे गले के ब्लाऊज़ पहनने लगी। मुझे भी मज़ा आने लगा था। अगर कोई मेरी तरफ देखे तो मुझे भी अच्छा लगने लगा था।

शायद रमेश भी इस ख्याल से गर्म होता था। उस रात जब चुदाई होती थी, तब वो बोलता- वो आदमी कैसे घूर कर तुम्हारी तरफ देख रहा था। शायद तुम्हें याद करके अब मुठ मार रहा होगा।

मुझे भी ऐसी बातें अच्छी लगने लगी। मैं भी बोलती- हाँ ! मुझे भी ऐसा ही लगता है। अगर वो वाला आदमी मिल जाये तो उससे मस्त चुदवा लेती ! वो मुझे मस्त चोदता ......!

रमेश की हालत देखने लायक होती थी। शायद वो डर जाता था कि कहीं मैं सच में तो किसी से चुदवा तो नहीं रही? वो लाख छुपाना चाहे लेकिन उसके चेहरे पर साफ़ दिखाई देता था। लेकिन फिर कभी वो दूसरे मर्द के बारे में बात करने लगे तो मैं एकदम गुस्सा हो जाती थी। उसे भी समझ में नहीं आता कि यह अचानक फिर क्या हो गया? लेकिन तब उसके चेहरे के ऊपर की चिंता गायब दिखाती थी।

मैं भी मन ही मन में किसी और से चुदवाने के बारे में सोचने लगी थी। कोई हट्टा-कट्टा मर्द दिखाई दे तो लगता था- काश यह मुझे मिले और मैं इसके साथ मस्त चुदाई करूँ।

कभी कभी इसी ख्याल में मेरी चूत गीली हो जाती थी मैं भी मौके की तलाश में थी और वो अचानक मेरे हाथ आ गया।

हुआ यूँ कि -

अपनी कंपनी के किसी काम से रमेश आठ दिन के लिए बाहर गया था। इसलिए मैं आठ दिन की भूखी थी। ऊपर से जब भी उसका फ़ोन आता वो ऐसी ही कुछ उल्टी-सीधी बातें करके मूड गर्म बनाता था। मन में बहुत सारी योजनाएँ भी बना कर रखी थी कि जब वो वापस आयेगा तब क्या करुँगी ! कैसे करुँगी !

हम जहाँ पर रहते थे, उसके ठीक सामने वाले बगल वाले घर में ही एक सेवामुक्त परिवार रहता था। वो लोग कहीं बाहर जा रहे थे और जाते समय घर की चाबियाँ मुझे दे गए थे।

उस दिन सुबह ही फ़ोन आया कि उनके कुछ रिश्तेदार आज उनके घर आने वाले हैं और 2-3 दिन के लिए वो उनके घर पर ही रुकेंगे, इसीलिए मैं घर की चाबिया उनके पास सौप दूँ।

शाम को वो लोग आ गए। एक युगल था और उनके साथ एक और लड़का भी था। जोड़े की उम्र करीब 32/30 की होगी और लड़के की करीब 25 साल।

उन्होंने अपना परिचय करवाया। वो लड़का उस आदमी का दोस्त था। उनके किसी रिश्तेदार की शादी थी इसीलिए वो मुंबई आये थे। वो किसी छोटे गाँव से थे। थोड़ी पढ़ाई-लिखाई भी की थी शायद। ऐसा उनके कपड़ों से लग रहा था। लेकिन खेती-बाड़ी करते थे जिसकी वजह से डील-डौल काफी अच्छा था, औरत भी थोड़ी सांवली थी लेकिन काफी सुन्दर थी। उस औरत का नाम सुगन्धा, उसके पति का सागर और उसके दोस्त का नाम रवि था।

चॉल का कमरा होने की वजह से दो कमरों के बीच में दीवारें इतनी अच्छी नहीं थी। हमारे और बगल वाले कमरे में पार्टीशन के लिए ऊपर वाले हिस्से में लकड़ी की पट्टियाँ इस्तेमाल की गई थी जिसकी वजह से अगर ऊपर वाली हिस्से से बाजू वाले कमरे में झांका जाय तो सब कुछ दिख सकता था। हमारे कमरे में भी एक ऐसी ही लकड़ी की पट्टी थी जो अगर थोड़ी सी सरकाई जाये तो बाजू के कमरे का नजारा साफ़ दिखाई देने लगता था।

उस शाम वो लोग कहीं बाहर घूमने के बाद करीब साढ़े गयारह बजे लौटे। मैं 5-10 मिनट पहले ही बत्ती बंद करके लेटी थी। उनके दरवाजा खोलने की आवाज़ से नींद से जाग गई थी। आपस में थोड़ी बातें करने के बाद वो जोड़ा अंदर के कमरे में चला गया और उस लड़के रवि ने बाहर के कमरे में अपना बिस्तर लगाया और कुछ कह कर बाहर चला गया।

मैंने सोचा कि कहीं पान खाने गया होगा। जाते समय वो बाहर से ताला लगा कर चला गया ताकि जब वापिस लौटे तब उनको तंग ना करना पड़े।

अब सिर्फ सागर और सुगन्धा ही घर पर थे। पहली बार बम्बई की चमक-दमक देखकर शायद कुछ चहक भी गए थे। बाजु वाले कमरे में जवान युगल के होने के ख्याल से ही मुझे कुछ अजीब सा लगने लगा था। मुझे रहा नहीं गया, लाइट जलाये बगैर ही मैं दीवार के पास गई, पट्टी सरकाई और दूसरी ओर देखने लगी।

सामने का नज़ारा एकदम देखने लायक था। सुगन्धा बिस्तर पर बैठी हुई थी और सागर सामने आइने के सामने खड़ा होकर अपने कपड़े बदल (उतार) रहा था। उसने अपनी शर्ट उतारी, सिर्फ बनियान पहने हुए उसका व्यक्तित्व एकदम आकर्षक लग रहा था। फिर उसने अपनी पैन्ट भी उतारी। सिर्फ अन्डरवीयर और बनियान में उसकी जांघों और बाजूओं की मांसपेशियाँ एकदम नज़र आ रही थी।

दिखने में तो वो साधारण ही था लेकिन शरीर की रचना किसी भी फिल्म हीरो को पीछे छोड़ सकती थी। उसने अपना बनियान भी उतारा । अब वो सिर्फ अन्डरवीयर में ही था। सुगन्धा उसकी तरफ देख रही थी।

उसने उसे बोला- ऐसे क्या देख रही हो? तुम भी कपड़े उतारो और आ जाओ बिस्तर पर !

सुगन्धा ने उसके अन्डरवीयर नीचे खींचते हुए कहा- जरा देखने तो दो अपने मर्द को ! कैसा दिखता है? घर पर कभी देखने का मौका ही नहीं मिलता।

सागर भी उसे कपड़े उतारने के लिए कहने लगा तो सुगन्धा बत्ती बंद करने लगी।

सागर ने कहा- घर में तो हमेशा अँधेरे में ही चुदाई होती है। रवि भी बाहर गया है, आज तो लाइट जला के ही चुदाई करेंगे।

अब तक उसका लण्ड करीब-करीब खड़ा हो गया था, काला, लम्बा और मोटा लंड। जैसा कि कभी मैंने खवाबों में सोचा था, बिल्कुल वैसा !

कोई भी औरत अगर ऐसा लंड देखेगी तो उसकी नियत ख़राब हो जाएगी।

सुगन्धा ने भी जल्दी जल्दी में अपनी साड़ी उतार दी और सिर्फ पेटीकोट और ब्लाऊज़ में बिस्तर पर बैठ गई। सागर अपना लंड खड़ा करके खड़ा था। मेरी आँखो से 5-6 फीट की दूरी पर सागर का लंड मेरे सामने था और उसका पीछे का हिस्सा पीछे वाले आइने में एकदम साफ नज़र आ रहा था।

क्या नज़ारा था ! ऐसा लग रहा था कि दीवार तोड़ कर उस कमरे में चली जाऊँ और उसका लंड पकड़ कर चूस लूँ !

शायद मेरे दिल की बात सुगन्धा को सुनाई दे गई। सागर उसकी तरफ बढ़ा और उसने अपने लंड का सुपारा सुगन्धा के मुँह में दे दिया। सुगन्धा भी बड़े प्यार से जोश में आकर उसका लंड आइसक्रीम की तरह चूसने लगी थी।

थोड़ी देर बाद दोनों 69 की अवस्था में आ गए। सागर बिस्तर पर लेट गया, सुगन्धा की टाँगे फैलाई और उसकी चूत में जीभ डाल कर चाटने लगा।

आग दोनों तरफ एकदम बराबर लगी थी।

सुगन्धा अजीब अजीब सी आवाज़ें निकाल रही थी- आह आह ...... उम्म्म ! बड़ा मज़ा आ रहा है ! मेरे चोदू पति ! बड़ा मज़ा आ रहा है ! और जोर से और जोर से चाट...... कुत्ते की तरह चाट डाल मेरी चूत ! खा ले मेरी क्रीम ! बड़ा मज़ा आ रहा हैं.......

सुगन्धा की ये बातें सुनकर सागर और भी गर्म हो गया। वो भी जोश में आ गया कहने लगा- गाँव में तो एकदम भोली भली बन कर रहती थी, कभी कुछ भी नहीं बोलती थी। एक दिन शहर में क्या घूमी तो तो एकदम कुतिया बन गई है। मुझे कुत्ते की तरह चाटने को कहती है? मेरी चुद्दक्कड़ रानी देख, कितनी गीली हो गई हैं तेरी यह मस्त चूत ! देख कैसी क्रीम निकल रही है। शहर में आने के बाद तू इतनी चुद्दक्कड़ बन जाएगी, यह अगर पहले पता होता तो सुहागरात मनाने के लिए शहर ही आते। पहले दिन से ही मस्त होकर चुदाई करते। कोई बात नहीं देर से पता चला लेकिन दुरुस्त है । अब देखम तेरी चूत का कैसा हाल बनाता हूँ। आज रात इतना चोदूँगा कि तुझे जिंदगी भर याद रहेगा .......

सुगन्धा- फिर देर किस बात की। आ जा ! आ जा ! चोद मुझे ! फाड़ ड़ाल मेरी चूत ! चोद-चोद कर मेरे दाने की भुर्जी बना दे। डाल दे अपना काला मोटा लंड मेरी गर्म गर्म चूत में ! रात भर मेरी चूत से लंड मत निकालना ! देख कितनी गर्म हो गई है मेरी चूत। तेरा लण्ड आलू की तरह उबल के पक जायेगा मेरी चूत में.......। आह्ह आह आ जा मेरे चोदू ...... दिखा दे अपनी मर्दानगी.....मेरी चूत की प्यास बुझा ! कब से प्यासी है मेरी चूत तेरा काला मोटा लण्ड अन्दर लेने के लिए ..... सिर्फ मुँह से ही क्या कर रहा है? चोद मुझे ! मेरी चूत फाड़ दे !

सुगन्धा और जोर जोर से लंड चूसने लगी। ऐसा लग रहा था कि रही पूरा लंड निगल तो नहीं जाएगी?

वैसे सागर का लंड लम्बा होने के साथ साथ बड़ी भी था फिर भी सुगन्धा इतनी कामुक हो चुकी थी की करीबन पूरा ही मुँह में ले रही थी। सुगन्धा का ऐसा रूप सागर शायद पहली बार देख रहा था। सुगन्धा के मन के कामुक ख्याल उसके चेहरे पर साफ़ नज़र आ रहे थे और सागर का अचरज भी। सागर- तू तो एकदम चुद्दक्कड़ की तरह बात कर रही है। तेरी ऐसी बातें सुनके मैं तो एकदम परेशान हो गया हूँ ! तू सुगन्धा ही है या कोई और?

कोई और क्यों चाहिए तुझे? मैं हूँ ना ! तुम मर्द भी बड़े कमीने होते हो ! घर में जवान बीवी होते हुए भी दूसरी औरतों के बारे में सोचते हो। देख देख ! मेरी तरफ़ गौर से देख ! आज बल्ब जलाया है तो करीब से देख ! देख कैसी मस्त है तेरी चुद्दक्कड़ बीवी ! देख कितनी मस्त हैं उसकी चूत। आ चोद मुझे जितनी तुम्हारी मर्ज़ी उतना चोद ! दिखा कितना जोश है तेरे इस मोटे काले लंड में ! आज इतनी देर तक चुदवाना चाहती हूँ कि दूसरी औरतों की तरफ देखना ही क्या, उनके बारे में सोचना भी भूल जायेगा .....

सुगन्धा की ये बाते सुन कर मुझे लग रहा था कि जैसे वो मेरे मन की बात बोल रही है। जब भी रमेश मुझे चोदते समय दूसरी किसी औरत के बारे में बोलता था, मुझे भी लगता कि घर पर मेरे जैसी जवान और सेक्सी बीवी होते हुए भी ....... मैं भी मन ही मन में किसी और मर्द के बारे में सोचने लगती थी। आज सागर और रवि को देखने के बाद लगा कि ऐसा मर्द होना चाहिए जिससे मैं चुदवाना चाहूंगी। कितना मज़ा आयेगा वाह !

सोच कर ही मेरी चूत पूरी तरह से गीली हो गई। मैं मन ही मन में खुद को सुगन्धा की जगह पर देखने लगी।

सुगन्धा की ये भड़काऊ बातें सुनकर सागर भी जोश में आ गया, उसने सुगन्धा को पीठ के बल लिटा कर उसकी दोनों टाँगें अपने कंधों पर डाल दी, लंड का सुपारा उसकी चूत के मुँह पर रख दिया और जोर का धक्का दिया।

एक ही झटके में उसका पूरा लंड सुगन्धा की चूत में चला गया। सुगन्धा के मुँह से थोड़ी सी आह निकली लेकिन अगले ही पल में उसने सागर को जकड़ लिया। ऐसा लग रहा था कि अगर उसका बस चले, सागर को पूरा ही अपने अन्दर समां ले।

वो भी गांड उठा-उठा कर सागर के धक्कों का साथ देने लगी। सागर के धक्कों के साथ में चूत में से आनेवाली पचक पचक की आवाज़ भी साफ़ सुनाई दे रही थी । ऐसे ही 2-3 मिनट तक धक्के लगाने के बाद सागर ने दो तीन झटके दिए और पानी निकाल दिया। सुगन्धा अब तक झड़ी नहीं थी। सागर के लंड में का जोश ख़त्म होने लगा था। झटके से सुगन्धा ने सागर को नीचे लिटाया और खुद उसके लंड पर बैठ गई, लंड हाथ में पकड़ कर अपनी चूत में डाल लिया और जोर जोर से घिसने लगी।

अपना काम हो गया तो एकदम मुर्झा गए? मुझे कौन ठंडा करेगा? मैं छोडूंगी नहीं ........

ऐसे कहकर करीब 5 मिनट धक्के देने के बाद वो भी झड़ गई, चुदाई के बाद की संतुष्टि उसके चेहरे पर साफ़ नज़र आ रही थी।

मेरी हालत एकदम उल्टी थी।

आँखों के सामने चुदाई का यह सजीव दृश्य देखने के बाद में भावनाएँ और भी भड़क उठी थी। अच्छे बुरे के बारे में सोचना बंद हो गया था, मन में सिर्फ एक ही ख्याल था कि किसी सागर या रवि जैसे आदमी से कैसे भी चुदवा लूँ?


मेरे मन की इच्छा शायद पूरी होने वाली थी। मेरा ध्यान उनके सामने वाले कमरे की तरफ गया। लाइट जल रही थी। शायद रवि इसी दरमियान लौटा था और उसने भी यह चुदाई का नज़ारा देखा था। शायद किसी छेद में से वहाँ का भी नजारा साफ दिखाई देता था।

रवि अपना लंड पैंट से बाहर निकाल कर हिला रहा था शायद। जैसे ही मुझे वो पूरा दिखाई दिया, मैं तो चौंक ही गई। इसका तो सागर से भी बड़ा था- काला, लम्बा और मोटा .....।

काश ! मैं मन ही मन में सोचने लगी और ठान भी लिया कि कैसे भी करके इसका मज़ा तो लेना ही चाहिए।

मुझे कुछ भी समझ नहीं आ रहा था। मन की बेचैनी दूर करने के लिए मैं दरवाजा खोल कर बाहर गलियारे में आ गई, सोचा कि थोड़ी बाहर की ठंडी हवा ले लूँ, शायद मन थोड़ा सा शांत हो जाये। लेकिन, किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। संजोग पर मेरा आज तक विश्वास नहीं था लेकिन संजोग की बात या शायद मेरे जैसे ही ख्याल रवि के मन में भी थे, वो भी दरवाजा खोलकर बाहर आ गया। उसने निकर पहन रखी थी, उसमें उसका बदन एकदम मस्त लग रहा था। एकदम वो दबंग के विलेन की तरह.......

मैं उसकी तरफ देख कर मुस्कराई। मैंने गाऊन पहना था। अन्दर पेटीकोट नहीं था, सिर्फ ब्रा और पेंटी।

शायद उसमें मेरा शरीर काफी नज़र आ रहा था। रात काफ़ी गहरा चुकी थी। ऐसे ही कुछ इधर उधर की बातें की और मैं अन्दर जाने लगी।

तभी रवि ने कहा- भाभी, एक ग्लास पानी मिल सकता है? सागर और भाभी अन्दर सो रहे होंगे और इस वक़्त उन्हें जगाना ठीक नहीं इसलिए....

मैंने कहा- क्यों नहीं ! आप अन्दर तो आईये। मुझे भी नींद नहीं आ रही थी, कॉफी पीने का दिल कर रहा था। आईये ! आपके लिए भी कॉफ़ी बनाती हूँ !

उसने थोड़ी भी देर नहीं लगाई, अन्दर आ गया और सोफे पर बैठ गया।

मैंने पानी का ग्लास ला कर सामने वाली तिपाई पर रख दिया। जब मैं झुकी तब मेरे चूचे उसे साफ़ दिखाई दिए होंगे।

उसके चहरे पर एक तरह की चाहत दिखाई दी। कमरे में कुछ चीज़े इधर-उधर बिखरी थी, मैं झुक कर उन्हें ठीक करने लगी ताकि मेरे चूचे उसे और भी साफ़ तरह उसे दिखाई दें। उसका लंड अब पूरी तरह से खड़ा हो गया था। उसकी निकर में से वो अब साफ़ नज़र आ रहा था।

मैं जल्दी अंदर गई और कॉफ़ी ले आई। ज्यादा कुछ बात किये बगैर ही दोनों कॉफ़ी पीने लगे।

रवि ने पूछा- आपके पति कहीं बाहर काम करते हैं क्या?

मैंने बताया- नहीं, किसी काम के लिए बाहर गए हैं हफ्ते भर से, आज लौटने वाले थे लेकिन .......

इस मौके का फायदा उठाने के लिए शायद, रवि बोला- साथ में रहने की आदत होने पर ऐसे दूर रहना मुश्किल होता ना?

मैं यह बात पहले बहुत बार सुन चुकी थी। जब भी याहू पर चैटिंग करती और बताती कि पति बाहर गए हैं तो सामने वाला यह जरूर कहता (जब भी ये रात की पारी में काम पर रहते, मैं कभी कभी याहू पर चैट करती थी, यह भी मुझे मेरे पति ने ही सिखाया था।)

मैंने पूछा- तुम्हारी शादी हुई है?

उसने कहा- नहीं !

मैंने पूछा- तुम्हारी उम्र क्या है?

तो वो बोला- 25 साल।

मैं मुस्कराते हुए बोली- तब तो तुम्हें भी बड़ी मुश्किल होती होगी? अकेले रात गुजरते हुए, और वो भी जब आजू-बाजू के माहौल में जब कोई भड़काने वाले दृश्य दिखाई दे तब...!

कॉफ़ी का कप लौटाते वक़्त उसके हाथ का स्पर्श मुझे हुआ। जैसे शरीर में बिजली का करंट दौड़ गया।

मैंने कप वहीं पर रख दिया और सामने का दरवाजा बन्द कर दिया। अगले पल मैं उसकी बाहों में थी। उसने मुझे जोर से कस लिया और बेसब्री से मुझे चूमने लगा। मेरी भी हालत कुछ अलग नहीं थी। मैं भी सालों की प्यासी की तरह उसका साथ देने लगी थी। एक पराये मर्द की बाहों में होने का अनुभव कुछ और ही था।

उसने कहा- भाभी, तुम बहुत सुंदर हो। कब से बस अपने दिल की बात दिल में रख कर घूम रहा था। बहुत दिल करता था कि आपसे आकर दोस्ती की बात करूँ लेकिन हिम्मत ही नहीं होती थी। मेरी नज़र में तुम बहुत ही खूबसूरत और सेक्सी औरत हो और मैं हमेशा तुम्हारे पति को बहुत ही खुशनसीब समझता हूँ जिसे तुम्हारे जैसे औरत मिली है।

यह सुनकर मैं बहुत खुश हुई। पता था यह मुझे मक्खन लगा रहा है, मैंने भी कहा- जबसे तुम यहाँ आए हो, तबसे तुम्हारे बारे में सोच रही थी। मैं भी चाहती थी कि तुम्हारे जैसा कोई तगड़ा जवान मिले जो मेरी सारी इच्छायें पूरी करे !

उसने मेरे बालों में हाथ फेरना शुरु किया और उसके कान पर मैंने प्यार से अपनी जीभ फेर दी। मैं भी अब काफ़ी गर्म हो चुकी थी। मैंने उसकी कमीज़ में हाथ दे दिया और उसके शरीर को ज़ोर से अपने हाथों से पकड़ लिया। उसने धीरे धीरे मेरे गाउन में हाथ डाला और अपना चेहरा गाउन के ऊपर रख दिया।

मैंने कहा - ज़रा आराम से काम लो ! यह सब तुम्हें ही मिलेगा !

उसने मेरा गाउन उतार दिया और मैंने उसकी निकर और कमीज़ भी निकाल दी। वह मुझे उठा कर अन्दर ले गया, बिस्तर पर लिटा दिया, मेरी ब्रा निकाल दी और मेरे बड़े बड़े चूचे चूसने लगा। मैं भी अब उसका पूरा देने लगी थी, मैंने उसके लण्ड को हाथ में पकड़ा, ज़ोर से दबा दिया और हिलाने लगी।

रवि बोला- इतनी ज़ोर से हिलाओगी तो सब पूरा पानी अभी निकल जायेगा !

उसने मेरे स्तन चूसते-चूसते अपने हाथ से मेरी पैन्टी निकाल दी और हाथ मेरी चूत पर फेरना शुरू कर दिया।

मैंने उसका अंडरवीयर निकाल दिया और उसके लण्ड को प्यार से सहलाने लगी। उसने मेरे चूचों से अपना मुँह हटाया और मेरी नाभि को चाटना शुरू किया। मैं और कुछ ज्यादा ही गर्म हो गई थी। फिर उसने धीरे धीरे अपना मुँह मेरी चूत पर रख दिया और चाटने लगा। मेरी सिसकी निकल गई और मैंने अपनी टाँगें फैला दी जिससे वो मेरी चूत को अच्छी तरह से चाट सके।

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