सीधी- सादी रूपा की जवानी (भाग - १)

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रूपा की जवानी का रस उसके बॉस रवि नाथ ने पिया
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सीधी- सादी रूपा की जवानी (भाग - १)
प्रेषक : रविराम69 © "लॅंडधारी" (मस्तराम मुसाफिर)

Note:
This story has adult and incest contents. Please do not read who are under 18 age or not like incest contents. This is a sex story in hindi font, adult story in hindi font, gandi kahani in hindi font, family sex stories

पटकथा: (कहानी के बारे में) :
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// जानिए, कैसे एक सीधी- सादी और कुँवारी लड़की रूपा
की जवानी का रस उसके बॉस रवि नाथ ने पिया \\
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Tags:
बहू बूढ़े बहुत चोदा चुचियों छाती चोली पहनी थी चोली काफ़ी टाइट थी और छोटी भी थी चूसने चूत गाल गाँड गाउन होंठ जाँघ जिस्म जांघों उतारने कमली झड़ कमल खूबसूरत किचन कमर क्लीवेज लूँगी, लंड लंबा चौड़ा लंड मज़ा मुलायम माधुरी नाइटी नंगा निपल्स पिताजी पतली रवि ससुर सास टाइट उतारने

कहानी के कुछ अंश
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“आपका साइज क्या है?” रूपा ने अपनी ब्रा का साइज बताया तो अमर ने कहा,’ब्रा का साइज नहीं चलेगा, चलो मुझे तुम्हारा नाप लेना पड़ेगा’, और इतना कहते ही टेप हाथ में पकड़ के और हाथ बाँध के खड़ा हो गया जैसे किसी का इंतज़ार कर रहा हो। रूपा की समझ में नहीं आया तो बोला, ‘अब आपके टी-शर्ट के ऊपर से कैसे साइज लूँ, टी-शर्ट उतारिये’।
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मेरा परिचय
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दोस्तो, मेरा नाम रविराम है, दोस्त मुझे 'लॅंडधारी' रवि के नाम से बुलाते हैं। मेरा लंड 9 इंच लम्बा और 2 इंच मोटा है। जब मेरा लंड खड़ा (टाइट) होता है तो ऐसा लगता है जैसे किसी घोड़े या किसी गधे का लंड हो । मेरे लंड का ख़ास आकर्षण है मेरे लंड का सुपाड़ा, मेरे लंड का सुपाड़ा किसी मोटे लाल प्याज़ की तरह से है, जब वो चूत या गाँड के अंदर-बाहर होते हुए घर्षण करता है तो और भी टाइट हो जाता है और लड़की/ औरत की चूत या गाँड को भी बहुत आनंद मिलता है और जिसके अन्दर जाये, उसकी चूत का पानी निकाल कर ही बाहर आता है, और वो लड़की या औरत मेरे इस लंबे, मोटे और पठानी लंड की दीवानी हो जाती है । आज तक मैंने बहुत सी शादीशुदा और कुवांरियों की सील तोड़ी है और सभी मेरी आज तक दीवानी हैं।

Story : कहानी:
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आज रूपा की नौकरी का पहला दिन था, और वो अपने बॉस को इम्प्रेस करना चाहती थी । वो परेशान और थोड़ी घबराई हुई थी । उसने झटपट एक लाल रंग का सुन्दर सलवार सूट पहना और हल्का सा मेकअप किया - हलके लाल रंग की लिपस्टिक और छोटी से बिंदी। बला की खूबसूरत लग रही थी वो जैसे एक 19 साल की नवयुवती ही लग सकती है।

जिस कंपनी में उसे पर्सनल सेक्रेटरी की नौकरी मिली थी, उसका मालिक उसके बाप के बचपन का दोस्त था - रवि नाथ । रवि नाथ एक नंबर का ठरकी आदमी था, उसकी बीवी लम्बी बीमारी के चलते नहीं रही थी और तबसे वो अपनी ठरक मिटाने के नित नए तरीके खोजता था। उसकी नज़र रूपा पर तब से ही थी जब से उसके शरीर पे जवानी का रंग चढ़ना शुरू हुआ था। उसने सोचा कि ऑफिस की बोरियत तो मिट ही जाएगी अगर एक सुन्दर चेहरा रोज़ नज़र आता रहे, इस से ज्यादा उसके मन में कुछ नहीं था (अभी तक तो)।

रूपा समय पर निकली तो थी, लेकिन ट्रैफिक के कारण ऑफिस पहुँचते पहुँचते लेट हो गयी । लगभग दौड़ती हुई जब वो ऑफिस पहुंची तो देखा की सभी अपने अपने टेबल पर कंप्यूटर के सामने बैठे काम में व्यस्त हैं। रिसेप्शनिस्ट ने उसे सीधा रवि सर के केबिन जाने को कहा । रवि का केबिन ऑफिस के एक कोने पर था, रूपा ने दरवाज़ा खटखटाया तो अंदर से एक कड़क आवाज़ आई - ‘कम इन!‘। रूपा अंदर पहुंची तो देखा कि केबिन बहुत ही बड़ा और सुन्दर तरीके से सजा हुआ था । बीच में एक बड़ा सा टेबल जिसके एक छोर पे लैपटॉप रखा था और दुसरे छोर पर कुछ फाइल्स । उसने आज तक कोई ऑफिस नहीं देखा था इसलिए वो सभी साज सज्जा देखने में खो सी गयी ।

“यस?, क्या काम है?” - एक भारी भरकम आवाज़ से वो चौंकी और देखा कि रवि सर उसकी तरफ प्रश्न भरी नज़रों से देख रहे हैं। रूपा ने डरे हुए स्वर में बताया कि आज उसका पहला दिन है और रोते हुए लेट पहुँचने के लिए माफ़ी मांगी। वैसे तो रवि को कोई फर्क नहीं पड़ा था उसके लेट आने से और न ही वो खुद कभी समय पर आता था, और इतनी हसीन लड़की ऐसे माफ़ी मांगेगी तो कौन नहीं पिघलेगा । लेकिन उसने मौके का फ़ायदा उठाते हुए तीखा रुख अपनाया और कहा, ‘ये स्कूल या कॉलेज नहीं है जहाँ जब मर्ज़ी आओ या जाओ, तुम यहाँ नौकरी कर रही हो और अपनी कंपनी के हित में काम करना तुम्हारा कर्तव्य है, आज तो में छोड़ रहा हूँ लेकिन अगली बार कोई गलती हुई तो इस नौकरी से हाथ धो बैठोगी, बोलो मंज़ूर है?’

ये सुन के रूपा ने रोना थोड़ा बंद किया और दृढ़ निश्चय से बोली, “में इस कंपनी के लिए खूब मन लगा कर काम करुँगी ’। रवि ने मुस्कुराते हुए पुछा, ‘सिर्फ मन लगा कर या तन, मन और धन से सेवा करोगी?’ तो रूपा को छुपा हुआ मतलब बिलकुल समझ नहीं आया और उसने जोश के साथ उत्तर दिया कि वो काम के लिए अपना तन, मन और धन सब न्योछावर करने के लिए तैयार है । ये सुन कर रवि का दिमाग बिजली की गति से काम करने लगा ।

कुछ सोच कर उसने कहा, ‘दैट्स माय गर्ल!‘ और फिर उसने रूपा से कई कॉन्ट्रैक्ट साइन करवाये, जिन्हे रूपा ने पढ़ने की कोशिश की लेकिन कानूनी भाषा से उसके सर में दर्द होने लगा तो उसने सभी कागज़ात जल्दी से साइन कर दिए ।

1-2 दिन में ही रवि का शक यकीन में बदल गया था । वो समझ गया था कि रूपा को तीव्र बुद्धि कहना गलती होगी। उसने पहले तो रूपा का विश्वास जीता और फिर अपनी दुःख भरी कहानी सुना कर, सहानुभूति । एक दोपहर को अचानक रूपा के टेबल का फोन बजा, रवि ने उसने तुरंत अपने केबिन में आने को कहा। जब रूपा पहुंची तो देखा की रवि के चेहरे पे पसीना था और वो बेहद ही तनाव में लग रहा था और कुछ ढूंढ रहा था। रूपा ने पुछा तो वो बोला, ‘रूपा तुम तो जानती हो की मुझे उच्च रक्तचाप की समस्या है और डॉक्टर ने तनाव मेरे लिए जहर बताया है। जब भी में तनाव में होता हूँ तो एक रबड़ की बाल को पिचकता हूँ ज़ोर ज़ोर से, जिस से मेरा तनाव काम हो जाता है और मेरी जान बच जाती है। मेरी वो बॉल मिल नहीं रही और मेरे सीने में बेहद दर्द हो रहा है, कुछ करो’।

रूपा को कुछ समझ नहीं आया और वो बेहद डर भी गयी। अपनी नासमझी में जा कर रवि के सीने को सहलाने लगी जैसे उस से दिल में आराम आ जाएगा । इतने पास रूपा को पाकर रवि ने कहा, ‘ऐसे कुछ नहीं हो रहा, लेकिन एक उपाय है जिसमें मुझे तुम्हारी मदद चाहिए। बॉल का एक विकल्प मेरे सामने ही है’, और ये कहते हुए उसने रूपा के तेज़ी से उठते गिरते मम्मो की तरफ नज़र घुमायी। रूपा को एक पल को तो समझ नहीं आया।

इतने में रवि का एक हाथ उसके एक मम्मे को पकड़ चूका था । वो बोला, ‘रूपा, प्लीज मेरी जान बचा लो, मेरा तनाव दूर होना बहुत जरूरी है, डॉक्टर को बुलाने का भी समय नहीं है। मुझे इन्हे मसलने दो’। और इतना कहते हुए वो एक हाथ से रूपा के सूट के ऊपर से ही उसका स्तन मसलने लगा, दुसरे हाथ से वो अपना दिल सहला रहा था जैसे उसे आराम मिल रहा हो। रूपा बोली,’पर सर ये तो गलत है, ऐसे करना तो गन्दी बात मानी जाती है और वो भी अपने बॉस के साथ?’

पर ये बोलते हुए उसने रवि का हाथ नहीं हटाया। रवि ने मज़े लेते हुए लेकिन कराहने का नाटक करते हुए कहा, ‘क्या किसी की जान बचाना गलत है? और तुम तो सिर्फ अपना कर्तव्य निभा रही हो कंपनी के लिए और उसके मालिक के लिए। इसमें कुछ भी गलत नहीं है।’ निरंतर मसलने के कारण रूपा भी गरम हो रही थी, तो उसी आवाज़ में बोली,’सर, आप शायद सही कह रहे हैं, ये मेरी ड्यूटी ही तो है’। इतना सुनते ही रवि ने अपना दूसरा हाथ दुसरे मम्मे पे रख दिया और कस के दोनों बॉल्स को निचोड़ने लगा। थोड़ी देर मसलने के बाद उसने यूँ दर्शाया कि उसका तनाव अब काम हो गया है।

वैसे तो उसका मन कर रहा था कि अभी उसका सूट फाड़ कर उसके निप्पल से खेले लेकिन वो जानता था कि जल्दबाज़ी में सब गड़बड़ हो सकता है। फिर उसने रूपा को जाने को कहा और उसे अपनी जान बचाने के लिए धन्यवाद दिया। रूपा का शरीर भी इस खेल में थोड़ा गरम हो गया था, लेकिन उसे पता नहीं था की ऐसा क्यों हो रहा है। रवि का धन्यवाद सुनने के बाद उसे बहुत ख़ुशी और अपने ऊपर गर्व हुआ की उसने किसी की जान बचायी है। रूपा के बाहर जाते ही रवि ने अपने चेहरे पे छिड़की हुई पानी की बूँदें पोंछी और बाथरूम जा कर रूपा के नाम का पानी निकाला।

अगले दिन फिर दोपहर को रवि का फ़ोन आया, रूपा पहुंची तो देखा कि वो फ़ोन पर है लेकिन चेहरे पे वैसे ही पसीने के निशाँ थे। रूपा समझ गयी की जरूर कोई बहुत तनाव भरी बात चल रही होगी फ़ोन पर। रूपा को थोड़ा अजीब लगा की फ़ोन के चलने की बत्ती तो जल ही नहीं रही थी लेकिन उसने सोचा कोई नयी टेक्नोलॉजी का फ़ोन होगा जो मुझे समझ नहीं आ रहा। रवि ने उसे इशारे से पास बुलाया और फ़ोन उसके हाथ में दे दिया। उसने उसे एक कागज पर लिख कर बताया कि वो फ़ोन उसके कान पर पकड़ कर रखे।

उसके फ़ोन लेते ही रवि के दोनों हाथ उसके मम्मों पर पहुँच गए और उन्हें बेदर्दी से मसलने लगे। रूपा ने अपना निचला होंठ अपने दाँतों से दबा लिया जिस से उसके मुंह से आवाज़ ना निकले नहीं तो फ़ोन कॉल में व्यवधान पड़ेगा । कुछ देर मसलने के बाद, रवि ने एक हाथ हटाया और कागज पर लिखा, “अपनी ब्रा उतारो, ज्यादा अच्छे से तनाव निकलेगा”! रूपा ने जब उसकी आँखों की तरफ देखा तो वो उस से दया की भीख मांगती हुई दिखी। रूपा ने फ़ोन रवि को पकड़ाया और अपने सूट में हाथ डालकर बखूबी अपनी ब्रा निकाल के बाहर रख दी।

एक बार को तो रूपा को लगा कि रवि मुस्कुराया लेकिन फिर उसके माथे की शिकन देख कर उसने सोचा की ये उसका भ्रम ही होगा । ब्रा निकलने के बाद रवि ने सीधा उसके निप्पलों को दबोचा। उसने दोनों हाथों से उसके निप्पल पकड़ के ज़ोर भींच दिए। रूपा की चीख निकल गयी तो रवि ने बहुत ही गुस्से से उसकी तरफ देखा और उसकी चुन्नी का गोल बना के उसके मुंह में ठूंस दिया, जिस से रूपा की आवाज़ बंद हो गयी।

फिर उसने अपना खेल जारी रखा, पहले तो वो बाहर से ही खेल रहा था लेकिन अब उसने अपने हाथ उसके सूट के अंदर डाल के उसके निप्पल पकड़ लिए और फिर ज़ोर से खींचे। फिर दोनों निप्पल पकड़ के ज़ोरदार तरीके से हिलाये, रूपा बेचारी सिर्फ गुं गुं की आवाज़ ही कर पा रही थी । इसी तरह लगभग 10 मिनट खेलने के बाद रवि ने इशारे से फ़ोन रखने को कहा।

फ़ोन रखते ही वो चिल्लाया,’शोर क्यों कर रही थी? लाखों का नुक्सान हो जाता कंपनी को अगर तुम्हारी आवाज़ आ जाती तो’। रूपा सहम गयी और उसने माफ़ी मांगी तो रवि बोला ‘हाँ ठीक है ठीक है, और सुनो कल से ब्रा मत पहनना, तनाव निकलने में मुश्किल होती है’। और साथ ही उसने रूपा को एक लिफाफा दिया ।

रूपा ने जब उसे अपनी टेबल पर जाकर खोला तो उसमें एक वेस्टर्न कपड़ों का कैटलॉग था, दूकान का पता था । साथ में एक चिट्ठी थी, जिसमें लिखा था कि कल से उसे ऐसे ही कपडे पहनने हैं, साथ में दस हज़ार रुपये का चेक भी था कपडे खरीदने के लिए । उसी शाम जाकर चिट्ठी के अनुसार रूपा कपडे खरीदने गयी उसी दूकान पर। रूपा ये नहीं जानती थी कि ये दूकान रवि ने ही फ्रैंचाइज़ी पर चला रखी थी और उसका बेटा अमर उस दूकान का मैनेजर था।

रूपा बचपन से बहुत सुन्दर थी लेकिन अक्ल भगवान ने उसे कम ही दी थी। स्कूल उसने जैसे तैसे ही पार किया था, और आज कल वो शहर के ही एक छोटे से कॉलेज में दुसरे साल में पढ़ रही थी । अमर, रवि रवि का बेटा, रूपा के कॉलेज से ही पास हुआ था, इसलिए वो रूपा की खूबसूरती और नासमझी को अच्छी तरह जानता था। अमर और उसका बाप रवि दोनों एक दुसरे से पूरी तरह खुले हुए थे। अमर की माँ के जाने के बाद रवि ने अपने बेटे को 18 साल का होते ही एक दोस्त की तरह बड़ा किया था ।

अब वो 25 साल का था और उसने ही अपने बाप को ये आईडिया दिया था कि रूपा को काम पर रखें। रूपा के माँ बाप को चिंता थी की हमारी बेटी को शायद कहीं नौकरी ना मिले तो वो चाहते थे की इसकी कहीं पार्ट टाइम नौकरी लग जाए जिस से बाद में नौकरी मिलने में कोई समस्या न हो। रूपा के पिताजी ने जब ये बात रवि को बताई तो रवि ने तुरंत अपनी कंपनी में नौकरी का प्रस्ताव रख दिया जिसे रूपा के घर वालों ने ख़ुशी ख़ुशी स्वीकार भी कर लिया।

अब अमर रूपा के दूकान पर आने का इंतज़ार कर रहा था। रूपा दूकान पर पहुंची तो उसने देखा कि वो एक छोटी से दूकान थी जहाँ सब तरह के कपडे मिलते थे - ब्रा, पैंटी से लेकर जीन्स, टॉप और स्कर्ट तक। रवि ने कैटलॉग में चार कपड़ों पर निशान लगाये थे - एक थोंग, एक माइक्रो मिनी लेदर की स्कर्ट, एक सफ़ेद रंग का टैंक टॉप और एक लाल रंग का गहरे गले का ब्लाउज। अंदर पहुँचते ही रूपा ने देखा कि एक कोट सूट वाला आदमी एक कोने में लड़की को ब्रा पहना रहा था। पहले तो उसे देख के अजीब लगा, लेकिन उस आदमी के काम करने के तरीके से वो एकदम पेशेवर लग रहा था।

कुछ ही देर बाद एक सेल्स गर्ल उसके पास आई और पुछा,’क्या मैं आपकी मदद कर सकती हूँ?’ रूपा ने बताया कि उसे कुछ कपडे खरीदने हैं तो वो बोली कि रूपा की किस्मत अच्छी है जो विदेश से फैशन डिज़ाइन सीख कर आये मिस्टर अमर आज दूकान पर हैं और बस एक लड़की के लिए अंतर्वस्त्र दे कर आपके साथ होंगे। रूपा बड़ी खुश हुयी, उसने आज तक किसी विदेश से लौटे हुए व्यक्ति से बात नहीं की थी। रूपा ने देखा की जिस लड़की को अमर ब्रा पहना रहा था उसने सामान खरीद लिया है और 1 लाख का बिल दिया।

सेल्स गर्ल ने रूपा की फटी हुई आँखों को देख लिया था और बोली कि ये तो कुछ भी नहीं, लोग तो अमर सर के 1 घंटे की कीमत 50 हज़ार देते हैं। रूपा ये नहीं जानती थी कि ये योजना अमर के दिमाग की उपज थी जिस से रूपा को किसी भी तरह का कोई शक न हो। अब अमर रूपा के पास आया और बहुत ही स्मार्ट तरीके से हेलो कहा । रूपा की तो जैसे ज़ुबान ही बंद हो गयी थी। बड़ी मुश्किल से उसने बताया की उसे क्या सामान खरीदना है, थोंग बताते हुए उसे बहुत शर्म भी आई। तो अमर ने मजाक उड़ाते हुए और हँसते हुए कहा - ‘हाहा , इंडियन लड़कियां भी ना’।

ये बात रूपा को बुरी लग गयी और उसने भी सोच लिया की वो भी अमर को दिखा देगी की देसी गर्ल सब कुछ कर सकती है। सबसे पहले अमर उसे ब्लाउज वाले सेक्शन में ले गया और 2-3 बहुत ही सुन्दर ब्लाउज ले आया और पुछा, “आपका साइज क्या है?” रूपा ने अपनी ब्रा का साइज बताया तो अमर ने कहा,’ब्रा का साइज नहीं चलेगा, चलो मुझे तुम्हारा नाप लेना पड़ेगा’, और इतना कहते ही टेप हाथ में पकड़ के और हाथ बाँध के खड़ा हो गया जैसे किसी का इंतज़ार कर रहा हो। रूपा की समझ में नहीं आया तो बोला, ‘अब आपके टी-शर्ट के ऊपर से कैसे साइज लूँ, टी-शर्ट उतारिये’।

रूपा को बहुत शर्म आ रही थी, लेकिन गुस्सा भी था तो उसने भी यूँ दिखाया कि उसे कोई फर्क नहीं पड़ता और झट से अपनी टी-शर्ट निकल फेंकी। टी-शर्ट निकलते ही उसके फुटबॉल साइज के गोरे गोरे मम्मे ब्रा में से झांकते हुए नज़र आने लगे। ये देखते ही अमर के मुंह में पानी सा आ गया, लेकिन उसने खुद को कंट्रोल करते हुए बड़ी ही पेशेवर अंदाज़ में पुछा की क्या आप इस ब्लाउज के साथ ब्रा पहनेंगी? रूपा को बताना ही पड़ा की उसकी कंपनी में ये रूल है की ब्रा नहीं पहननी है, तो अमर ने उसकी कंपनी की तारीफ करते हुए ही कहा की फिर तो ब्रा उतार के साइज लेना पड़ेगा। रूपा शर्म से लाल हो रही थी और उसके निप्पल भी दूकान के एसी के कारण खड़े हो रहे थे। बड़े ही झेंपते हुए उसने अपनी ब्रा भी उतार डाली।

अमर को इसी पल का इंतज़ार था। उसने अपने दोनों हाथों में मम्मों को भर लिया और अच्छे से दबाने लगा । रूपा के पूछने पर अमर बोला की ऐसा करने से ही सही माप आ पाएगा। रूपा को लगा की विदेश से पढ़ के आया है तो सही ही होगा और वो भी चुप चाप खड़ी रही। थोड़ी देर अच्छे से दोनों दूध के टैंकरों को दबाने के बाद अमर ने नाप लेना शुरू किया। नाप लेने में भी उसने निप्पल के साथ काफी छेड़खानी की, इन सब हरकतों से रूपा की चूत ने पानी छोड़ना शुरू कर दिया था। अच्छी तरह माप लेने के बाद एक ब्लाउज फाइनल हुआ। रूपा ने चैन की सांस ली ही थी कि अमर उसे थोंग सेक्शन में ले आया ।

वहां तरह के मॉडल्स की फोटोज लगी थी। रूपा तो उन्हें देख कर ही शर्मा रही थी और सोच रही थी कि अमर के साथ कैसे थोंग खरीदेगी। अमर थोंग लाने चला गया, वापिस आते ही उसने लगभग आदेश दिया रूपा को, ‘चलो अपनी जीन्स और पैंटी उतारो, थोंग ट्राई करके देखना है कि नहीं?’ रूपा से ना बोलते नहीं बना और किसी दासी की तरह उसने चुपचाप अपनी जीन्स और पैंटी उतार दी। अब वो सिर्फ अपना टी-शर्ट पहने खड़ी थी। अमर ने उसे एक स्टूल पर बैठने को कहा। जैसे ही वो बैठी, अमर ने स्टूल के नीचे एक बटन दबाया जिस से वो स्टूल ऊँचा होने लगा और लगभग अमर की कमर की ऊंचाई पे आ गया।

रूपा ने अमर को घबरा कर देखा तो अमर ने कहा की ये तुम्हारी योनि का निरीक्षण करने के लिए ज़रूरी है। रूपा की चूत पूरी तरह गीली हो चुकी थी और उस से रस बह कर बाहर आ रहा था। ऐसे नंगे स्टूल पे बैठ कर रूपा को और शर्म आ रही थी और जिस से चूत और पनिया रही थी। अमर ने कहा, ‘अब मुझे तुम्हारी चूत का साइज लेना है, इस के लिए में एक डंडे की तरह की चीज़ अंदर डालूँगा, और तुमको अपनी आँखें बंद करनी होंगी क्यूंकि ये लेज़र तकनीक से चलती है और अगर आँखें खोली तो तुम अंधी भी हो सकती हो’।

ये शब्द सुन के रूपा डर गयी और तुरंत उसने आँखें बंद कर लीं। उसने इस बात पर ध्यान नहीं दिया कि कितने आराम से अमर “आप” से “तुम” और “योनि” से “चूत” पर आ चुका था। अमर ने बड़ी मुश्किल से अपनी हंसी रोकी। उसे लगता था कि रूपा से मज़े लेना आसान होगा लेकिन इतना आसान ये उसने नहीं सोचा था। उसे अपनी किस्मत और अपनी चालाकी पर यकीन नहीं आ रहा था।

उसने तुरंत अपनी पैंट खोल कर अपना काला, मोटा लॅंड बाहर निकल लिया और एक झटके में रूपा की चूत में घुसा दिया। आह! क्या गरमागरम, मलाईदार चूत थी रूपा की। उसकी कसी हुयी चूत गीली होने के कारण पूरा 7 इंच लम्बा लण्ड अंदर ले गयी और अकस्मात् ही रूपा के भी मुंह से आह निकल पड़ी। अमर ने उसे आँखें बंद रखने की हिदायत दी और उसे चोदते हुए बोला,’बहुत ही सही, क्या मज़ा, मेरा मतलब क्या माप आ रहा है चूत का’।

साथ ही में उसने उसके दोनों चूचियों को दबोच लिया और पकड़ के तेज़ी से चोदने लगा। रूपा ने सोचा की चूची क्यों पकड़ी है फिर उसने खुद ही सोच लिया कि ज़रूर ये माप लेने के लिए काम आता होगा। उसे अपनी बुद्धिमानी पर बेहद ख़ुशी हुयी और उसे माप देने में भी मज़े आ रहे थे। तभी अमर अचानक से चीख उठा, ‘आह, आह, बस माप होने ही वाला है, माप खत्म होते ही इस यन्त्र से क्रीम निकलेगी जो चूत में जाना बहुत जरूरी है’। ये कहते ही उसने अपनी मलाई रूपा की चूत में निकालना शुरू कर दी।

जब काम पूरा हो गया तो अमर ने एक टिश्यू लेकर उसकी चूत पोंछ दी और कहा की माप ले लिया है मैंने। फिर एक थोंग पसंद करवाया, इसी तरह मज़े लेते हुए अमर ने कैटलॉग से कहीं ज्यादा शॉपिंग करायी रूपा को और रूपा बड़ी ही ख़ुशी ख़ुशी घर को चल पड़ी। अब कल वो इन्ही कपड़ों में ऑफिस जाएगी और उसकी आशा यही थी की रवि सर खुश रहें और वो ‘एम्प्लॉयी ऑफ़ दी मंथ’ बन जाए।

अगले दिन

अगले दिन से ही रूपा ने अपने नए वेस्टर्न कपडे पहनना शुरू कर दिया। टाइट टॉप बिना ब्रा के और छोटी छोटी स्कर्ट में एकदम पटाखा ही लगती थी वो। रवि ने मम्मे मसलने को बातें करने की तरह एक आम बात बना दिया था। सुबह सुबह वो रूपा को केबिन में बुलाता और दिन भर के कामों के बारे में बताता। ये बताते हुए उसे किसी भी प्रकार का तनाव ना हो इसलिए वो रूपा को अपने सामने टेबल पर बिठा कर और उसके जवान और उभरे हुए स्तनों को आटे की तरह अच्छी तरह गूंथता था। अब तो ब्रा थी नहीं और टॉप के अंदर से हाथ डालना भी आसान था।

दिन में कम से कम 4-5 बार तो महत्वपूर्ण कॉल होती ही थी जिसमें रूपा का होना ज़रूरी था, जब रूपा के मम्मों में थोड़ा दर्द होता तो रवि ने समझाया कि उसकी गोल मटोल गांड भी वही काम कर सकती है जो उसकी चूचियाँ कर रही थी। रवि अपनी ज़िन्दगी से बेहद खुश था। जैसे की एक दिन सुबह जब ऑफिस में कोई नहीं था और रूपा आ चुकी थी तो रवि केबिन से बाहर जाकर रूपा की डेस्क पर जा पहुंचा।

बातें करने में आसानी के लिए वो खुद कुर्सी पर बैठ गया और रूपा को अपनी गोद में बिठा लिया। फिर दोनों हाथों में चूचियाँ लेकर उसने बात शुरू की।
रवि: ‘और रूपा, कैसी हो आज तुम? घर में सब ठीक हैं ना?’

रूपा: ‘हाँ सब ठीक हैं, पापा पूछ रहे थे की काम कैसा चल रहा है तो मैंने उन्हें बताया की मैं पूरी मेहनत से काम कर रही हूँ’।

रवि एक पल को ठिठका और उसे लगा की कहीं सब कुछ तो नहीं बता दिया रूपा ने घर पर।

रूपा: ‘आपने जैसा समझाया था की मेरा काम कंपनी के लिए बड़ा इम्पोर्टेन्ट और सीक्रेट है और इसीलिए किसी को भी पता नहीं चलना चाहीये कि मैं रोज़ क्या करती हूँ, तो मैंने उन्हें बस यूँ ही बता दिया की काम अच्छा चल रहा है, मैंने ठीक किया ना सर?’

ये सुनते ही रवि को चैन मिला और उसने अपने खड़े लण्ड को रूपा की मुलायम गांड में और अच्छी तरह मसलना जारी रखा, साथ ही मज़े में चूचियाँ दबोच लीं।

रवि: (मुस्कुराते हुए) ‘तुमने बिलकुल ठीक किया रूपा, तुम वाकई में बहुत तेज़ हो और बहुत आगे जाओगी’।

ये सुनकर रूपा बहुत खुश हो गयी और रवि की गोद में ख़ुशी से उछलने लगी। इसका सीधा असर रवि के लंड पर हुआ था, वो और कड़ा हो गया।

रूपा: ‘सर ये मेरे पीछे क्या चुभ रहा है?’

रवि: ‘अरे रूपा, कुछ नहीं, ये तो मेरा फ़ोन है जो जेब में रखा है, तभी तो बीच बीच में हिल भी रहा है, अपने क्लाइंट के मैसेज आ रहे हैं ना’।

रवि अब झड़ने के बहुत करीब था, रूपा की गरम गांड में उसके लंड को फिसलने में बहुत ही मज़ा आ रहा था। उसने रूपा की स्कर्ट तो ऊपर उठा ही रखी थी और रूपा ने रवि के कहेनुसार थोंग भी पेहेन रखी थी। थोंग उसकी गांड पर एक पतला सा कपडा ही तो था और इसलिए उसका मन कर रहा था की अपनी पैंट की ज़िप खोल दे और रूपा के गांड से सीधा लंड की मुलाकात करवा दे। ये थोड़ा मुश्किल था, तो उसके दिमाग ने एक अलग आईडिया सोचा।

रवि: ‘अच्छा रूपा ये बताओ कि क्या तुम मेरी स्लट हो?’

रूपा: ‘सर ये स्लट क्या होता है?’

रवि: ‘अरे स्लट मतलब काम के प्रति मेहनती और आज्ञाकारी’।

रूपा: ‘सर तो फिर मैं आपकी स्लट हूँ, आपकी हर आज्ञा मानती हूँ और आगे भी मानूंगी, मैं आपकी सबसे बड़ी स्लट हूँ ना?’

ये सुनते ही रवि झड़ने लगा, तेज़ी से गांड में धक्के लगाता हुआ बोला,

रवि: ‘हाँ, हाँ.. आह, तुम मेरी स्लट हो, मेरी स्लट! सबसे बडी स्लट!’

ये सिलसिला इसी प्रकार चल रहा था। एक दिन सुबह-सुबह जब वो ऑफिस जाने के लिए तैयार हो रहा था तो उसने अपने मोटे शरीर को देखा, उसकी तोंद निकली हुई थी और लंड के आस पास ढेर सारे बालों का जमावड़ा था। वो अपनी किस्मत पर ख़ुश तो था लेकिन जो इंसान के पास है उस से कभी वो खुश कहाँ रहता है, ये दिल हमेशा ही मांगे मोर । अब वो सोचने लगा की कैसे इस खेल को अगले चरण में पहुँचाया जाए। सोचते सोचते उसके दिमाग में एक ख्याल आया और उसके चेहरे पर एक शैतानी मुस्कान तैर उठी।

अगले ही दिन

अगले ही दिन रूपा को हमेशा की तरह रवि ने बुलाया। रूपा समझ गयी की फिर उसकी चूचियों और गांड की ज़रुरत है। लेकिन रूपा जब अंदर पहुंची तो देखा की रवि सर की टेबल पर काफी सारे x-ray रखे हुए हैं और मेडिकल रिपोर्ट भी रखी हैं। रवि बहुत ही परेशान दिख रहा था।

रूपा: ‘क्या हुआ सर? ये सब क्या है? और आप इतने चिंतित क्यों हैं?’

तो रवि ने उसे तुरंत अपने पास बुलाया और उसकी चूचियाँ पकड़ते हुए बोला।

रवि: ‘रूपा, मेरी तो किस्मत ही फूटी है। पहले तो उच्च रक्तचाप था ही, अब डॉक्टर ने बताया है कि तनाव शरीर के अलग अलग अंगों की तरफ फैलने लगा है। दिल तो परेशानी में है ही लेकिन अब दूसरे अंग भी खतरे में है’।

रूपा ये सुन कर दुखी हुई और बड़े ही प्यार से बोली।

रूपा: ‘सर मैं आपकी कुछ मदद कर सकती हूँ क्या?’

रवि: ‘हाँ एक उपाय है, जैसे अभी मेरे लण्ड में बहुत तनाव है और अगर तुम इस पर मसाज कर दोगी तो सारा तनाव दूर हो जाएगा’।

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