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Click hereवह यह सब तुम्हें क्यों बता रही थी मैं इस बारें में कुछ भी नहीं कह सकता हूँ। तुम्हें मेरी बात पर विश्वास करना पड़ेगा तो वह मेरी छाती चुम कर बोली की मुझे तो विश्वास है तभी तो तुम से शादी करी है लेकिन मन में शंका थी सो पुछ लिया, नाराज तो नहीं हो? मैंने उस के गाल सहला कर कहा कि नहीं नाराज तो नहीं हुँ लेकिन हैरान हूँ। मुझे तो एक ही कारण समझ आता है कि लड़के को इतना बदनाम कर दो कि कोई शादी करने को तैयार ना हो और लड़के को हार कर मुझ से शादी करनी पड़े। लेकिन यह बड़ी दूर की कौड़ी है।
पत्नी बोली कि मुझे ही नहीं कई और लड़कियाँ भी उस समय वहां पर थी लेकिन किसी को उस की बात पर विश्वास नही हो रहा था। शायद वह मुझे ही सुना कर कह रही थी। उस को पता चल गया होगा कि तुम्हारी और मेरी शादी की बात चल रही है। उसे रोकने के लिये चाल चल रही थी। मैंने हँस कर कहा कि मेरी मामी को मुझ पर इतना विश्वास था कि वह उसे मेरे साथ दिल्ली भेज रही थी और यह मेरे बारे में ऐसी बातें कर रही है। क्या कहुँ? उस ने मेरे होंठों पर उगंली रख कर कहा कि कुछ मत कहो। मैंने उस की ऊंगली पकड़ कर मुँह में डाल ली और उसे चुसना शुरु कर दिया इस का असर भी हुआ वह दूसरे हाथ से मेरे चेहरे को सहलाने लगी। हम लोगों के अंदर गर्मी जग रही थी। उस ने चेहरा उठा कर मेरे होंठों को चुम लिया, मैंने दोनों हाथों से उस का चेहरा पकड़ कर उस की आंखों को चुम लिया। फिर उस के होंठों पर जोर से चुम्मा ले लिया। उसे तो इसी का इंतजार था वह अपनी बांहें मेरे गले में डाल कर मुझ से लिपट गयी और मेरे कान में बोली कि मुझे तुम्हारी बांहों के कसाव की याद आती है मुझे कस कर जकड़ लो।
मैंने उसे आंलिगन में ले लिया हम दोनों आंलिगन में ही लेट गये। काफी देर तक दोनों ऐसे ही पड़े रहे। शायद हमारें शरीर एक दूसरे के सामीप्य का आंनद ले रहे थे। विछोह की पीड़ा दूर करना चाहते थे। उस के पांव मेरी कमर से हो कर पीछे चले गये और उस की गर्म सासें मेरी गरदन पर लगने लगी। मैंने हाथों से उस के उरोजों को सहलाया तो वह कस कर मुझ से लिपट गयी अब में उसे आगे से नहीं सहला सकता था सो मैंने अपने हाथ उस की पीठ पर ले जा कर उसे सहलाना शुरु कर दिया, इस के बाद मेरे हाथों नें उस के कुल्हों की ऊचांई को नापना शुरु कर दिया फिर मैंने शरारत से साड़ी के ऊपर से ही उस के कुल्हों की दरार में उंगली डाल दी मेरी इस हरकत से उसे झटका सा लगा वह कान में बोली कि वहाँ कुछ नहीं मिलेगा। मैंने कहा कि ढ़ुढने वाले ढुढ़ लेते है तो वह हंस कर बोली कि कोशिश भी मत करना। मैंने उस के कुल्हों पर चुटकी काट कर कहा कि अपनी चीज है कौन रोकेगा? वह बोली कि आगें क्या कमी है, मैंने कहा कि कुछ नया करने में क्या गलत है तो वह बोली कि गलत है इस लिये तो मना कर रही हूँ।
मैंने हँस कर कहा कि मैडम कुछ नहीं कर रहा आप नें ही वहाँ जाने के लिये मजबुर किया है तो वह समझ कर मुझ से अलग हो गयी। मैंने उसकी गरदन को चुम कर होंठों को उस के उरोजों के मध्य उतार दिया। उस को मुझे सताने में मजा आ रहा था मैंने सोचा कि आज इस को भी परेशान करते है सो मैं अपने हाथ उस के उपर से हटा कर लेट गया। अब वह अकेली लेटी हुई थी आग तो उस के अंदर भी लगी हुई थी लेकिन स्त्री सुलभ लज्जा के कारण वह ऐसा कर रही थी, यह मैं समझता था। लेकिन उसे परेशान करने का मन तो नहीं था लेकिन ऐसा हो रहा था। कुछ देर तक वह ऐसे ही पड़ी रही फिर मुछ से लिपट गयी और बोली कि
नाराज हो?
नहीं तो,
लेकिन दूर क्यों लेटे हो?
तुम ने ही तो मना किया है।
किस बात के लिये मना किया था?
तुम्हें ही पता होगा?
मैंने तो कुछ किया भी नहीं था
करने का इरादा था
नहीं, जब इरादा होगा तो तुम्हारी मर्जी से होगा, जबरदस्ती कुछ नही होगा
मुझे डर लग गया था
बहादूर लड़की आज कल बड़ी जल्दी डर जाती है वह भी पति से
पता नहीं
यहां आ कर कुछ और तो पता नहीं चला है?
किस बारें में
तुम्हें ही पता होगा, किस बारें में
नहीं तो
फिर मुझ से कैसा डर, तुम्हें लगता है कि मैं तुम्हें कष्ट पहुँचाने की सोच सकता हूँ वह भी अपनी जान को
पता है लेकिन उस बारें में गलत ही सुना है।
आज इस विषय को भी स्पष्ट कर लेते है।
मुझे कुछ नही सुनना
सुनना पड़ेगा, अगर गलत बात सुन कर प्रेम करते में डरोंगी तो आंनद कैसे लोगी?
तुम तो भाषण देने लगे
बात ही ऐसी है तुम्हारें व्यवहार की वजह से सारा मुड खराब हो गया है।
सारी
सॉरी किस बात की तुम्हारी गलतफहमी दूर करनी पड़ेगी।
अब माफ कर दो
जब गल्ती ही नहीं करी तो माफी किस बात की
तुम्हें बुरा लगा इस लिये
मुझे कारण बता है और यह भी समझता हूँ कि किसी सहेली या रिश्तेदार ने उस बारें में जो बताया है उसे लेकर तुम्हारें मन में डर बैठ गया है। उसे दूर करना जरुरी है। जब तक तुम नहीं चाहोगी मैं तुम्हारें साथ गुदा मैथुन नही करुँगा। इस बात को गांठ बाध लो। मेरी जान को कष्ट हो और मुझे मजा आये यह मेरे स्वभाव में नहीं है, मुझ पर तुम्हें और तुम को मेरे पर इतना विश्वास तो होना ही चाहिये नहीं तो बड़ी परेशानी पैदा हो सकती है। और कुछ कहुँ?
नहीं मुझे पता है कि तुम कुछ भी गलत नहीं करोगें, लेकिन लोगों की बात सुन कर मन में डर बैठ गया था, जब तुम नें वहाँ हाथ लगाया तो वही डर हावी हो गया था। तुम्हारी बात सही है कि तुम्हें सब बात बतानी चाहिये थी। मेरी एक सहेली ने बताया कि उस के पति ने उस से गुदा मैथुन किया तो उसे बहुत दर्द हुआ और खुन भी निकला। उस का वह अनुभव बहुत डरावना था। किसी और ने भी कहा कि आदमी कुछ दिन बाद पीछे से करने की जिद करते है और वहाँ से करने पर बहुत दर्द होता है। बैठना भी मुश्किल हो जाता है। यह सब सुन कर मुझे बहुत डर लगा था। लेकिन तुम ने मेरा डर हटा दिया है। मुझे तुम्हारी बात पर पुरा विश्वास है।
यह कह कर वह बोली कि प्रोफेसर साहब रात ऐसे ही काटनी है? मैंने उस की साड़ी अलग करते हुये कहा कि रात तो ऐसे कटेगी की तुम याद रखोगी। उस की साड़ी अलग करने के बाद मैंने उस का ब्लाउज उतार दिया और फिर ब्रा को भी उतार दिया, वह चुप चाप पड़ी रही। जब पेटी कोट उतारा तो वह बोली कि अपने तो उतारों मैंने कहा कि वह तुम्हारा काम है मैं तो अपना काम कर रहा हूँ। यह सुन कर वह मेरे कपड़ें उतारने लगी और कुछ देर बाद हम दोनों बिना वस्त्रों के एक दूसरे के सामने थे। उस ने हाथ बढ़ा कर मेरे लिंग को हाथ में ले कर सहलाना शुरु कर दिया। इस के कारण उस में उत्तेजना आने लगी मैं उस के उरोजों को दबाता रहा फिर निप्पल को मुँह में ले कर उन्हें चुसना शुरु कर दिया।
मेरी इस हरकत पर वह बोली कि ज्यादा जोर में मत करों नहीं तो चीख निकल जायेगी। मेरे हाथ नें उस की योनि के अंदर जा कर अन्वेषण करना शुरु कर दिया। वह हल्की आवाज में कराहने लगी। उस की कराह सुन कर मैं और भी उत्तेजित हो गया। ऊंगली अंदर बाहर होने के कारण योनि में गिलापन बढ़ गया था। उन के दांत मेरे कंधे में गढ़ गये। फिर वह अपने होंठों से मेरे निप्पल को चुसने लगी। उसे पता था कि यहाँ चुमने से मुझे बहुत उत्तेजना होती थी सो वह वही कर रही थी।
मैं उठ कर उस के ऊपर उल्टा बैठ गया और उस की योनि को चाटना शुरु कर दिया। उस ने भी लिंग को मुँह में लेकर मथना शुरु कर दिया, मुझे लगने लगा कि मैं उस के मुँह में ही स्खलित ना हो जाऊँ सो उठ कर उस की जाँघों के बीच बैठ कर लिंग को योनि में डालने की कोशिश की योनि बहुत कसी हुई थी सो उस ने नीचे से हाथ लगा कर लिंग को प्रवेश करने में सहायता की। धीरे धीरे से लिंग को योनि के अंदर जाने दिया। जब पुरा अंदर चला गया तो रुक गया।
उस ने मेरे कुल्हों पर चुटकी काटी जो इस बात का इशारा था कि रुकों नही। मैंने जोर जोर से धक्कें लगाने शुरु कर दिया। मेरी पत्नी के शरीर पर ज्यादा मांस नही था सो उस की हड्डीयां मुझे चुभ रही थी, काफी देर ऐसा ही करता रहा फिर उस के ऊपर से हट कर बगल में लेट गया तो वह मेरे ऊपर आ गयी और लिंग को योनि में लेकर धक्कें लगाने लगी। पहले धीरे-धीरे फिर उस के धक्कों की रफ्तार बढ़ गयी।
हम में से कोई भी अपनी गति कम नही कर रहा था मैं भी नीचे से कुल्हें उठा कर धक्कें लगा रहा था। उस के पत्थर के समान कठोर उरोजों को दातों से काट रहा था साइज कम होने के कारण वह पुरे मुँह में आ रहे थे सो उन्हें चुस रहा था। इस के कारण वह बहुत उत्तेजित थी। फिर वह भी थक कर बगल में लेट गयी। हम दोनों पसीने से तरबतर थे। मैं अब उस के दोनों पैरों को अपने कंधो पर रख कर धक्के लगा रहा था उसे दर्द तो हो रहा था लेकिन वह कुछ कह नही रही थी कुछ देर बाद मैंने उस के पांव नीचे कर दिये। थक मैं भी गया था लेकिन चरम पर नही पहुँच पा रहा था सो उसे करवट लिटा कर उस के पीछे से लिंग योनि में डाला और हाथों से उस के उरोजों को निप्पलों को सहलाना शुरु कर दिया फिर उस का चेहरा अपनी तरफ कर के उस का चुम्बन लिया। मेरे कुल्हें उस के कुल्हों पर जोर से प्रहार कर रहे थे, गति कम नही कर सकते थे। फिर अचानक मेरे शरीर में झनझनाहट सी हुई और मैं स्खलित हो गया। काफी दिनों के बाद ऐसा हुआ था सो लिंग के मुह पर गर्म-गर्म वीर्य की आग सी लग गयी। वह भी निश्चल सी पड़ गयी।
मैं जैसे ही अलग हुआ वह उठ कर मेरे ऊपर आ गयी और लिंग जो अभी तना हुआ था योनि में डाल कर लेट गयी। उस के कुल्हें धीरे-धीरे हिल रहे थे उस का चरम भी शायद आने वाला था, कुछ देर बाद ही वह कंपकपायी और मुझे लिंग के मुह पर गर्म द्रव की गरमाहट महसुस हुई। मैंने उसे कस कर आंलिगन में कस लिया। उसे नीचे कर के हल्कें धक्के लगाने के बाद जब लिंग सिकुड़ कर योनि से बाहर निकल गया तो उस की बगल में लेट गया। उस की छाती जोर-जोर से ऊपर नीचे हो रही थी। मैं भी हांफ रहा था। कुछ देर ऐसे ही पड़े रहे। फिर जब होश में आये तो वह मुझ से बोली कि मेरी तो जान ही निकल गयी थी। मैंने कहा कि मेरा भी ऐसा ही हाल है। यह कह कर मैंने उसे अपने से सटा लिया। थके होने के कारण जल्दी ही हम दोनों सो गये।
**** समाप्त ****