नेहा का परिवार 12

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अक्कू ने कसमसा कर मेरी घुंडियों को कस कर निचोड़ दियस औऐर मेरी हल्की चीख और भी ऊंची हो गयी जैसे ही उसका गरम लंड का रस मेरी गांड में बौछारें मारने लगा। मैं बिलबिला उठी आनंद के अतिरेक से। अक्कू की आनंद भरी सिस्कारियों ने मेरे आनंद को को और भी उन्नत कर दिया। सिर्फ इस विचार से कि मेरे छोटे भैया को मेरी गांड मारने से इतना आनंद आ रहा है उससे मेरे आनंद के चरमसीमा अपरिमित असीमित सीमा में बदल गयी।

मैं एक बार फिर से झाड़ गयी पर इस बार मेरा रति-निष्पति ने मुझे लगभग बेहोश कर दिया। मैंने आनंद से अभिभूत हो आँखें बंद कर लीं और अक्कू का गरम लंड का रस मेरी जलती गांड को 'शीतल' करने का प्रयास कर रहा था।

न जाने कितनी देर बाद दोनों हाँफते भाई-बहन फिर दुबारा जीवित संसार के सदस्य बने।

"दीदी, आई लव यू ," अक्कू ने धीरे से फुसफुसा कर मेरे कान की लोलकी [इयर-लोब्यूल] को चूसते हुए फुसफुसाया।

मैं अक्कू के अपनी गांड की चुदाई से इतनी थक चुकी थी कि बस पलंग की चादर में दबे अपने होंठों की मुस्कान से ही अपने प्यार को दर्षा पाई।

दोनों बहन-भाई ना जाने कितनी देर तक एक दुसरे से उलझे ऐसे ही लेते रहे।

"दीदी, क्या अब मैं आपको सीधा लिटा कर आपकी गांड मारूं?" अक्कू डैडी की सारी क्रियाओं का प्रदर्शन करना चाह रहा था।

मैंने खिलखिला कर हंस दी ," अक्कू , मेरे प्यारे भैया , तुम जब जैसे भी मेरी गांड मार सकते हो। अब यह गांड तो तुम्हारी है , पर तुम्हारा लंड अब मेरा है। "

अक्कू भी अपनी उम्र के बच्चों की तरह खिलखिला उठा , "दीदी यह अदला बदली तो मुझे स्वीकार है। इस तरह तो मैं आपके गांड जब चाहे मार सकता हूँ। "

मैंने भी हँसते हुए कहा ," मेरे बुद्धू छोटे भैया , यह ही तो मैं ेपहले कहा था। "

अक्कू ने मेरा मुंह मोड़ काट मेरी फड़कती नासिका को चूम लिया ," दीदी मुझे अब आपकी गांड आपका मुंह देखते हुए मारनी है। "

अक्कू के शब्दों में एक विचित्र सी परिपक्वता थी और मैंने उस का प्रस्ताव आदर से स्वीकार कर लिया।

अक्कू ने जब अपना लंड मेरी गांड में से निकाला तो मेरी गांड में से ज़ोर का दर्द हुस और मैं न चाहते हुए भी चीख उठी।

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