पहाड़ों की यादें

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सुबह जब आँख खुली तो आशा जा चुकी थी। मैंने अपने आप को देखा तो बिना कपड़ों के था। कपड़ें पहने और कमरे से बाहर निकल आया। बाहर बादल छाये थे इस लिये सूर्य कही दिख नहीं रहा था। आशा भी अपने कामों में लगी थी इस लिये कहीं नहीं दिखी। मैं भी अपने कामों में लग गया। जब नहाने जाने लगा तब उन से सामना हुआ। वह बोली कि पानी गरम कर दिया है उसी से नहाना। मैंने सर हिलाया और रसोई से गरम पानी ले कर बाथरुम में घुस गया। नहाते समय पता चला कि रात को क्या हुआ था सारे कपड़ें ब्रीफ वीर्य और योनि द्रवों से चुपके हुये थे। नहाने के बाद जब बाहर निकला तो आशा बोली कि अपने कपड़ें छोड़ दो मैं धो दूँगी। मैंने वैसा ही किया।

हम दोनों के बीच संबंध गहरा रहा था। मैं इस चिन्ता में था कि यह संबंध कही आशा की जिन्दगी में कोई तुफान ना ला दे लेकिन उन के चेहरे पर कोई चिन्ता नहीं दिखाई देती थी। वह रोज रात को मेरे साथ सोती और सेक्स का आनंद लेती और सारे दिन अपने काम में लगी रहती थी। सोलर बैटरी के कारण लाइट की समस्या दूर हो गयी थी। कुछ दिनों बाद मुझे जाना था। मैं ज्यादा दिन इस लिये नहीं रुक सकता था क्योंकि कोई लड़की उस कमरे में आने वाली थी। मेरे जाने से दो दिन पहले ही वह आ गयी।

आशा ने इस का समस्या का समाधान यह निकाला कि वह और लड़की दोनों उन के कमरे में सोने लगे। महीना पुरे होने के बाद जब मैं चलने लगा तो मैंने अपना पता आशा को दिया और कहा कि अगर वह कभी भी दिल्ली आये तो मेरे पास जरुर आये तो वह हँस कर बोली कि पहले आप अपने रहने का तो कर ले। इस पर मैंने उन्हें बताया कि घर तो मेरे पास है। जॉब में ढुढ़ लुगा। मेरी बात सुन कर वह लडकी जिस का नाम माधुरी था बोली कि मैं एक बड़ी कंपनी में एचआर हुँ। मेरा नंबर ले लो हफ्ते बाद मुझे फोन करना कुछ करते है।

इस के बाद मैं आशा और माधुरी से विदा ले कर वापस आ गया। शहर में मुझे अपनी जगह फिर से बनानी थी। एक नयी लड़ाई लड़नी थी। अब मैं उस के लिये पुरी तरह से तैयार था। माधुरी को फोन किया तो वह बोली कि तुम कल मुझ से आ कर मिलो। जब उस से मिला तो वह बोली कि तुम्हारे बारें में पता किया था। तुम्हारें साथ बहुत बुरा हुआ है। कई नौकरियां है तुम्हारें लाइक कहो तो बात करुँ? मैंने उसे बताया कि मुझे नौकरी की तलाश है। वह बोली कि नौकरी तो मिल जायेगी।

हुआ भी ऐसा ही मुझे एक कंपनी में सीनियर वाइस प्रेसीडेंट की जॉब मिल गयी। मेरा अनुभव इस नौकरी में काम आया और मैं कंपनी में आगे बढ़ने लगा। माधुरी से मेरी दोस्ती मित्रता से आगे निकल गयी थी। हम ने अभी शादी नहीं की थी। शायद मैं शादी के नाम से डरने लगा था और वह डर अभी तक दूर नहीं हुआ था।

एक दिन आशा का फोन आया कि वह दिल्ली आने वाली है कुछ काम है क्या मैं उन्हें मिल सकता हूँ। मैंने कहा वह जब भी आये मैं उन्हें लेने आ जाऊँगा। वह बोली कि कल दोपहर की ट्रेन है। मैंने उन से ट्रेन का नंबर और समय ले लिया। समय पर उन्हें लेने पहुँच गया। स्टेशन से उन्हें अपने घर ले आया। मेरा घर देख कर उन की आँखें हैरानी से फेल गयी। वह मुझ से बोली कि आप मेरे यहाँ एक महीने रह कर आये है उस पर विश्वास नहीं हो रहा है।

मैंने उन्हें बताया कि वो एक महीना मेरे जीवन का सबसे अच्छा समय था। उस ने मुझे मेरा आत्मविश्वास वापस लौटाया तभी मैं आज यहाँ पहुँचा हूँ। आप भी उस में भागीदार थी। वह बोलीकि आप के साथ बिताया समय बहुत अच्छा था। उन्होंने बताया कि सरकारी ऑफिस में उन्हें कोई काम है कितना समय लगेगा यह उन्हें पता नहीं है? मैंने आशा को कहा कि मैं अपनी एक कार और ड्राइवर आप के साथ कर देता हूँ वह आप को रोज ले जायेगा और वापस लायेगा।

मैं थोड़ा काम में व्यस्त हूँ आप से शाम को मिला करुँगा। वह बोली कि मेरा कही रुकने का इंतजाम कर दे। मैंने कहा कि मुझे आप की आवभगत करने का मौका मिला है इसे कैसे छोड़ दूँ। आप मेरे साथ ही रहो। वह मुझे देख कर बोली कि तुम्हारें लिये कोई समस्या तो नहीं हो जायेगी? मैंने कहा कि मैं अभी भी अकेला ही हूँ वह बोली कि माधुरी का चक्कर क्या है। मैंने कहा कि आप को सब पता है फिर मुझ से क्यों पुछती है। आशा बोली कि कब तक भागते रहोगे? मैंने कहा कि जब मन मान जायेगा तो ठहर जाऊँगा। वह बोली कि जैसी तुम्हारी मर्जी।

रात को दोनों के बीच वही हुआ जो होना था क्योंकि दोनों एक दूसरें के स्वाद को जानते थे और उसे फिर से चखने के लिये उतावले थे। आशा तीन दिन रही और हम दोनों ने भरपुर सेक्स का मजा लिया।

उनके जाने के समय सुबह माधुरी आयी तो वह उसे देख कर बहुत खुश हुई। दोनों के बीच फोन पर बातें होती रहती थी। वह माधुरी से बोली कि इन्हें पकड़ कर क्यों नहीं रखती हो? इस पर माधुरी बोली कि मेरे से ज्यादा तो आप का वश है इन पर आप भी मेरी सिफारिश कर दो। मेरी तो सुनते ही नहीं है। आशा मेरी तरफ मुड़ी और बोली कि अगली बार मैं जब यहाँ आऊँ तो माधुरी मुझे इस घर में मिलनी चाहिये। मैंने उन की बात पर सर हिला कर कहा कि जैसी आप की आज्ञा। इस पर वह हँस पड़ी और माधुरी से बोली कि अब यह राजी हैं जल्दी से शादी कर मार। पता नहीं कल दिमाग बदल जाये। माधुरी बोली कि अगर ना नुकर करेगें तो आप को बुला लुंगी। इस पर हम तीनों हँस पड़े।

दो महीने बाद माधुरी और मैंने शादी कर ली। हमारी शादी में आशा अपने परिवार सहित शामिल हुई। आशा के परिवार से मेरा और माधुरी का आज भी संबंध है।

**** समाप्त ****

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